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योना — पुर्नजागरण का भविष्यवक्ता!JONAH – THE PROPHET OF REVIVAL! द्वारा डॉ. आर. एल. हायमर्स, जूनि. ‘‘यहोवा का यह वचन अमितै के पुत्र योना के पास पहुंचा‚ उठ कर उस बड़े नगर नीनवे को जा और उसके विरुद्ध प्रचार कर; क्योंकि उसकी बुराई मेरी दृष्टि में बढ़ गई है’’ (योना १:१‚२) |
योना की पुस्तक स्वयं भविष्यवक्ता योना ने लिखी थी। मैं इसलिए कहता हूं क्योंकि यह पुस्तक योना के विचार और प्रार्थनाओं को प्रकट करती है जो स्वयं उसके सिवाय और कोई नहीं जान सकता था। योना एक ऐतिहासिक व्यक्ति था यह सत्य २ राजा १४:२४—२५ में दर्ज है जहां प्राचीन रब्बी लोग उसके बारे में कहते हैं‚ ‘‘अमित्तै के पुत्र अपने दास गथेपेरवासी योना भविष्यद्वक्ता’’ (२ राजा १४:२५)। प्रभु यीशु मसीह ने स्वयं योना को एक वास्तविक‚ ऐतिहासिक नबी बताया था। आइए मत्ती की पुस्तक से अध्याय १२:३९—४१ निकाल लेते हैं। आप अपने स्थानों पर खड़े हो जाइए‚ जब मैं यीशु ने योना के विषय में क्या कहा‚ इस पाठ को पढ़ता हूं।
‘‘उस ने उन्हें उत्तर दिया कि इस युग के बुरे और व्यभिचारी लोग चिन्ह ढूंढ़ते हैं; परन्तु यूनुस भविष्यद्वक्ता के चिन्ह को छोड़ कोई और चिन्ह उन को न दिया जाएगा। यूनुस तीन रात दिन जल —जन्तु के पेट में रहा‚ वैसे ही मनुष्य का पुत्र तीन रात — दिन पृथ्वी के भीतर रहेगा। नीनवे के लोग न्याय के दिन इस युग के लोगों के साथ उठकर उन्हें दोषी ठहराएंगे क्योंकि उन्होंने यूनुस का प्रचार सुनकर‚ मन फिराया और देखो‚ यहां वह है जो यूनुस से भी बड़ा है’’ (मत्ती १२:३९—४१)
कृपया, ऐसे ही खड़े रहिए जब मैं लूका ११:२९—३० से भी पढ़ता हूं।
‘‘जब बड़ी भीड़ इकट्ठी होती जाती थी तो वह कहने लगा; कि इस युग के लोग बुरे हैं; वे चिन्ह ढूंढ़ते हैं; पर यूनुस के चिन्ह को छोड़ कोई और चिन्ह उन्हें न दिया जाएगा। जैसा यूनुस नीनवे के लोगों के लिये चिन्ह ठहरा वैसा ही मनुष्य का पुत्र भी इस युग के लोगों के लिये ठहरेगा’’ (लूका ११:२९—३०)
अब आप बैठ सकते हैं।
योना को लेकर २ राजा १४:२५ ऐतिहासिक खबर देता है। लूका ११:२९—३० में यीशु मसीह योना को चिंन्ह के रूप में प्रकट करते हैं। मत्ती १२:३९—४१ में योना का तीन दिन जल —जन्तु के पेट में रहना‚ यीशु के द्वारा संकेत दिया गया था कि वह भी मरने के बाद गाड़े जाएंगे और तीसरे दिन पुर्नजीवित होंगे। तो इस तरह पुराने नियम की पुस्तक योना को भविष्यवक्ता दर्शाती है और मसीह स्वयं योना के जंतु के पेट में जाने और वापिस जीवित निकल आने को अपनी मृत्यु और पुर्नजीवित होने की भविष्यवाणी के रूप में बताते हैं।
सर विंस्टन चर्चिल ने खूब कहा था, ‘‘हम प्रोफेसर ग्रेडग्रिंड (उदारवादी) और डॉ ड्रायसडस्ट की पुस्तकों से फिर भी असहमत हो सकते हैं। परंतु इस बात के लिए हमें पक्का भरोसा है कि ये सब बातें जैसे पवित्र लेख (बाइबल) में लिखा गया है उसी क्रम में घटी होंगी’’ (डॉ जे वर्नान मैगी ने थ्रू दि बाइबल में उद्धृत में किया था‚ वॉल्यूम ३‚ योना पर व्याख्या‚ परिचय, पेज ७३८)
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१. पहिला‚ योना को पहिली बुलाहट
‘‘यहोवा का यह वचन अमितै के पुत्र योना के पास पहुंचा‚ उठ कर उस बड़े नगर नीनवे को जा और उसके विरुद्ध प्रचार कर.......’’ (योना १:१‚२)
पद ३,
‘‘परन्तु योना यहोवा के सम्मुख से .......भाग जाने के लिये उठा’’ (योना १:३)
मैं इस व्यक्ति योना को समझ गया हूं। इसलिए पुराने नियम की पुस्तकों में से योना की छोटी सी पुस्तक मुझे प्रिय है। योना परमेश्वर यहोवा की उपस्थिति से भाग गया था। लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया था। मैं मिशनरी कार्य के लिए बुलाया गया था और मैं इस बात को जानता था। किंतु मै इतना गरीब विधार्थी था कि मैं कॉलेज से ग्रेजुएट होने की पढ़ाई पूरी नहीं कर सकता था। अगर मैं सदर्न बैपटिस्ट मिशनरी बनना चाहता था तो मुझे इसके लिए कॉलेज और सेमनरी ग्रेजुएट होना आवश्यक था। तब मैंने भी योना के समान महसूस किया था। मैं जानता था कि इस कार्य के लिए मेरी बुलाहट है‚ किंतु कॉलेज में फेल होने के भय से मैंने परमेश्वर की उपस्थिति से भागने का प्रयास किया। क्योकि परमेश्वर मुझसे कुछ असंभव करने के लिए कह रहे थे।
एक युवा सेमनरी विधार्थी ने मुझसे कहा था‚ ‘‘मैं सेवा में नहीं जा सकता हूं क्योंकि मैं जानता हूं कि मैं इस सेवा में चूर — चूर हो जाऊँगा‚ खत्म हो जाऊँगा।’’ वह सेवा कार्य में विफल होने के डर से पीछे हट गया। मैंने इस बारे में विचार किया। तब मैंने खुद से कहा, ‘‘मैं तो पहिले ही से चूर — चूर हो चुका हूं‚ और कितनी बार खत्म हो चुका हूं इसलिए अब मुझे और ऐसी विफलता से डर नही लगता।’’
यह एक डर है जो यहोवा द्वारा बुलाए गए व्यक्ति को सेवा कार्य करने से रोकता है। यह डर रूप बदलकर प्रकट होता रहता है। जिस युवा की मैं बात कर रहा हूं वह जो कुछ करता था‚ उसमें जीत हासिल करता ही था — परंतु वह सेवाकार्य से डर गया। उसके छोटे भाई ने उसके लिए कहा था, ‘‘मेरा भाई कुछ भी कर सकता है।’’ किंतु यह युवा ‘‘चूर — चूर होने और खत्म हो जाने’’ के डर को नहीं जीत पाया।’’ वह छः फीट लंबा, उंचा जवान था एक ‘‘उत्तम’’ विधार्थी कहलाने वाला, वरदान प्राप्त प्रचारक। परंतु वह परमेश्वर की उपस्थिति से भाग गया क्योंकि वह डर गया था!
मेरे युवा साथियों, जो बात मैंने जीवन में सीखी, मैं अब आपके साथ साझा करता हूं कि कैसा भी कार्य जिसे करने के लिए परमेश्वर यहोवा आपको बुलाते हैं‚ आप उसे अवश्य कर सकते हैं — चाहे वह कैसा भी कार्य हो! बाइबल कहती है, ‘‘जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं’’ (फिलिप्पयों ४:१३) क्योंकि मैंने अपने जीवन में इस पद को सिद्ध कर दिया है‚ मैं जानता हूं कि यह सत्य है। यहां मैं अपने अस्सी साल की उम्र में चल रहा हूं, कैंसर ग्रस्त इंसान रह चुका हूं, घुटनों में रूमेटिड आर्थेराइटिस है पर मैं नहीं डरता और इससे बढ़कर जो बात हुई कि दो दुष्ट आदमी मेरे चर्च को तोड़कर अपने साथ ३/४ चौथाई सदस्य ले गए। हां‚ मैं उतना ही शांत हूं जैसे एक छोटा शिशु अपनी मां की गोद में रहता है। तो इसका अर्थ यह है कि मैं डरता हूं? ईमानदारी से कहता हूं, मुझे जरा भय नहीं लगता! मेरी नानी मां कहा करती थी, ‘‘तुमको किसी चीज से डरने की आवश्यकता नहीं है, केवल डर के भाव को जीतने की जरूरत है,’’ यह उद्वरण उन्होंने फ्रेंकलिन रूजवेल्ट से महामंदी के दौर पर कहते हुए सुना था और मैंने पाया कि मेरी बूढ़ी नानी मां कितनी सही थी!
मैंने यह भी हमेशा पाया है कि ‘‘आप परमेश्वर की उपस्थिति से भाग नहीं सकते।’’ क्यों? क्योंकि जहां कहीं आप जाते हैं परमेश्वर आपके साथ होते हैं — बस यही कारण है! आप कहीं भी जा सकते हैं, जैसे योना तर्शीश चला गया था। परंतु परमेश्वर यहोवा की उपस्थिति वहां भी उतनी अधिक थी जितनी योना के घर में थी! और परमेश्वर किसी प्रचारक को कड़ा संघर्ष किए बिना अपनी सेवा नहीं करने देते।
मैं एक शराबी व्यक्ति को जानता हूं। मुझे बाद में पता चला कि वह अपने दिमाग को बंद रखने के लिए शराब पीता था क्यांकि उसे परमेश्वर की ओर से बुलाहट मिली थी। और वह परमेश्वर की उस बुलाहट का उत्तर देने से डर गया था। उसका नाम जॉन बिर्च था‚ (सच में मैं मजाक नहीं कर रहा हूं!) वह मेरे साथ सेमनरी कर रहा था। वह डार्मेटी में अक्सर अंदर बाहर आता जाता रहता था क्योंकि वह शराब पीता था!
मैं एक और ऐलन नाम के आदमी को जानता हूं। मैं उसे मसीह के पास लेकर आया लेकिन उसके साथ मुझे इस कार्य को करने में बहुत कठिनाई आयी। क्यों? क्योंकि ऐलन को भय था कि अगर उसने पापों से उद्धार पा लिया तो मरने के बाद वह निश्चय स्वर्ग जाएगा! ऐलन को स्वर्ग जाने से क्यों डर लगता था? उसने मुझे एक दिन बताया‚ ‘‘वहां मुझे फिर से मेरे पिता मिलेंगे‚ जो मुझसे बहुत गुस्सा हैं कि मैं उनके समान सेमनरी क्यों नहीं गया और उनके समान एक प्रेसबिटेरियन प्रचारक क्यों नहीं बना?’’ ऐलन साठ वर्ष से ऊपर का हो चुका था। वह रविवार के दिन एक प्रेसबिटेरियन चर्च में बैठा हुआ था‚ उद्धार पाने से डरता था क्योंकि उसके मरे हुए पिता स्वर्ग में उस पर क्रोधित होंगे! सोचिए‚ वह चालीस वर्षो तक इस विचार से प्रताड़ित होता आया। किंतु मैं उसे यह बात समझाने में सफल हो गया कि उसके पिता (रेव्ह मि. ब्लैक) फिर से मुस्कुरा कर उसे गले लगा लेंगे जैसे ऊड़ाऊ पुत्र के पिता ने उसके घर वापस आने पर गले लगा लिया था। ऐलन पहला व्यक्ति था जिसको मैं मसीह के पास लेकर आया था!
जब मैं सेमनरी में था‚ एक कॉलेज जाने वाली लड़की ने हमारी सभाओं में उद्धार पाया। वह एक शर्मीली किस्म की लड़की थी‚ किंतु मैंने ध्यान दिया कि वह परेशानी में थी। तो मैं उससे बात करने पहुंचा। उसने कहा‚ ‘‘मैं अपनी मां से यह बताने में डरती हूं कि मैंने मसीह पर विश्वास करके उद्धार पा लिया है।’’ मैंने कहा‚ ‘‘जाओं और अपनी मां को बता दो। वह तुम पर नाराज नहीं होगीं।’’ परंतु मैं गलत था। जब मां को उसने बताया‚ मां ने उसे घर से बाहर निकाल दिया। मैंने देखा कि लड़की रो रही है। मैंने कहा‚ ‘‘मैं तुम्हारी मां के पास जाकर बात करता हूं।’’ मैं अच्छे से तैयार हुआ‚ सूट और टाई पहने और मां से मिलने गया। जब उसको पता चला कि मैं कौन हूं तो वह चीखने लगी। जैसे तैसे मैं बैठक तक पहुंचा। मैं पूछने लगा, ‘‘क्या आप अपनी बेटी को घर में नहीं आने देंगी?’’ उसने कहा, ‘‘जब वह बाहर सैक्स में लिप्त थी, नशा करती थी, मैं बर्दाश्त कर लेती थी। परंतु अब चूंकि वह मसीही बन गयी है! इसलिए मैं उसे कभी वापस अपने घर में नहीं आने दूंगी!’’
बेचारी लड़की को चर्च के ही एक परिवार के घर में रहना पड़ा‚ उसे नौकरी मिली और उसने अपनी कॉलेज की पढ़ाई खत्म की। अंततः एक बहुत सौम्य मसीही लड़के से उसका विवाह हो गया। मुझे पता है कि उसकी मां विवाह में नहीं आयी थी। यह युवा जोड़ा यूरोप के देशों में मिशनरी बनकर गया और हम उनकी सहायता के लिए प्रति माह उनको राशि भेजते हैं।
फिर एक दिन मैंने सुना उस महिला के घर के दरवाजे पर अखबारों का ढेर लगा पाया गया। पुलिस ने घर में जाकर दरवाजा तोड़ा और मां को मरा हुआ पाया — वह फर्श पर मरी हुई पड़ी थी — हाथ में वोदका की आधी खाली बोतल पकड़े हुए!
सच में‚ इस युवा लड़की को मसीही तथा मिशनरी बनने के लिए कितने दर्द और पीड़ा से होकर गुजरना पड़ा! किंतु वह यीशु से इतना प्यार करती थी कि उसने अपने तमाम प्रकार के डर पर काबू पाया और अपने मिशन क्षेत्र में प्रभु के पीछे चलती रही! और वह इतनी आध्यात्मिक हो चुकी थी कि जो यीशु कहते थे‚ उसे सुनती और आज्ञा मानती थी।
आइए‚ अब अपने स्थानों पर खड़े होकर बाइबल में से मत्ती से अध्याय १०:३४—३९ पढ़ते हैं।
‘‘यह न समझो कि मैं पृथ्वी पर मिलाप कराने को आया हूं; मैं मिलाप कराने को नहीं‚ पर तलवार चलवाने आया हूं। मैं तो आया हूं‚ कि मनुष्य को उसके पिता से‚ और बेटी को उस की मां से और बहू को उस की सास से अलग कर दूं। मनुष्य के बैरी (शत्रु) उसके घर ही के लोग होंगे। जो माता या पिता को मुझ से अधिक प्रिय जानता है‚ वह मेरे योग्य नहीं और जो बेटा या बेटी को मुझ से अधिक प्रिय जानता है‚ वह मेरे योग्य नहीं। और जो अपना क्रूस लेकर मेरे पीछे न चले वह मेरे योग्य नहीं। जो अपने प्राण बचाता है‚ वह उसे खोएगा; और जो मेरे कारण अपना प्राण खोता है‚ वह उसे पाएगा।’’ (मत्ती १०:३४—३९)
अब आप बैठ सकते हैं।
मुझे पता है कि आप में से कुछ के माता पिता आपको चर्च आना छोड़ने के लिए बहुत प्रयास करेंगे। तब आप इस लड़की के साहस को याद रखिए और उसके उदाहरण से सीख लीजिए। अगर आप मसीही बनते हैं — तो वे आप पर बहुत क्रोधित होंगे — पर थोड़ी देर के लिए। किंतु जब वे आपका अच्छा जीवन देखेंगे तो अंततः भविष्य में जाकर — वे आपके साथ चर्च में आने लगेंगे। आपके लिए यह जरूरी है कि आप मसीह के पीछे चलते रहने का विश्वास बनाए रखें भले ही आपके माता पिता आपको कभी भी स्वीकार नहीं करें! योना के समान न बनें और परमेश्वर की उपस्थिति से भागने का प्रयास न करें!!!
चायनीज चर्च में मेरे दो निकट के मित्र थे — बेन और जैक। बेन डॉ. लिन का विरोधी था। आखिर में वह अपनी गर्लफ्रैंड के साथ भाग गया। मैंने दुबारा उसे कभी नहीं देखा। किंतु जैक एक फार्मासिस्ट बन गया। यधपि‚ उसे यह कार्य पसंद नहीं था इसलिए वह बाद में तलबोट सेमनरी गया और एक प्रचारक बन गया। वह मेरा बहुत ही नजदीकी मित्र था। उसके विवाह में‚ मैं उसका बेस्टमेन बना था। हमारी जो सभाएं होती थीं‚ उसमें उसने यीशु पर विश्वास करके उद्धार पाया। बाद में उसने लिखा‚ ‘‘बरसों बाद मेरे उद्धार के फल मेरे अपने पिता और माता के जीवन में भी लगे……. मैंने देखा कि मेरे पिता संडे स्कूल में बच्चों को प्रशिक्षित करते थे‚ सेवा कार्य में लगे रहते थे। उनके जीवन ने उनके विधार्थियों के जीवन को प्रभावित किया और चर्च की वृद्धि में सहयोग किया।’’
२. दूसरा, योना की मनोव्यथा
‘‘परन्तु योना यहोवा के सम्मुख से तर्शीश को भाग जाने के लिये उठा और यापो नगर को जा कर तर्शीश जाने वाला एक जहाज पाया; और भाड़ा देकर उस पर चढ़ गया कि उनके साथ हो कर यहोवा के सम्मुख से तर्शीश को चला जाए तब यहोवा ने समुद्र में एक प्रचण्ड आंधी चलाई और समुद्र में बड़ी आंधी उठी‚ यहां तक कि जहाज टूटने पर था।’’ (योना १:३—४)
देखिए‚ योना जानता था कि यह तूफान परमेश्वर की ओर से था।
‘‘उसने उन से कहा‚ मुझे उठा कर समुद्र में फेंक दो; तब समुद्र शान्त पड़ जाएगा; क्योंकि मैं जानता हूं‚ कि यह भारी आंधी तुम्हारे ऊपर मेरे ही कारण आई है।’’ (योना १:१२)
अंत में, तब उन्होंने योना को उठा कर समुद्र में फेंक दिया; और समुद्र की भयानक लहरें थम गईं।
‘‘यहोवा ने एक बड़ा सा मगरमच्छ ठहराया था कि योना को निगल ले; और योना उस मगरमच्छ के पेट में तीन दिन और तीन रात पड़ा रहा तब योना ने उसके पेट में से अपने परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना कर के कहा’’ (योना १:१७—२:१)
मुझे पहले तो इस घटना पर विश्वास ही नहीं होता था। लेकिन बाद में मैंने देखा कि यह यीशु के समान उदाहरण ही था‚ जो क्रूस पर मारे गए‚ गाड़े गए और तब मृतकों में से जीवित किए गए।
बाद में मैंने पढ़ा कि डॉ. एम. आर. देहान ने योना और उस बड़े मगरमच्छ के बारे में व्याख्या दी है। डॉ. देहान ने कहा था कि योना उस मगरमच्छ के पेट में मर गया था। डॉ. जे. वर्नान मैगी ने कहा था‚
इस पुस्तक में वास्तव में पुर्नजीवित होने को लेकर भविष्यवाणी की गयी है। प्रभु यीशु ने स्वयं कहा था‚ जैसे योना नीनवे के लोगों के लिए चिंन्ह ठहरा‚ वह अपनी पीढ़ी के लिए मृतकों में से जीवित होकर एक चिंन्ह ठहरेंगे.....तो यह छोटी सी पुस्तक प्रभु यीशु के पुर्नजीवित होने की शिक्षा देती है (थ्रू दि बाइबल‚ मृतकों में से योना के पुर्नरूत्थान पर व्याख्या‚ वॉल्यूम ३, पेज ७३९)
आइए‚ योना १:१७ को पढ़े।
‘‘यहोवा ने एक बड़ा सा मगरमच्छ ठहराया था कि योना को निगल ले; और योना उस मगरमच्छ के पेट में तीन दिन और तीन रात पड़ा रहा’’ (योना १:१७)
आइए‚ देखें योना की पुस्तक में इन सबसे अधिक महत्वपूर्ण शब्दों को देखिए। योना २:९ में अंतिम शब्द को पढ़िए
‘‘उद्धार प्रभु की ओर से है’’ (योना २:९ब)
मैं यहां पर थोड़ा थम जाता हूं और मगरमच्छ के पेट में योना के कष्ट के ऊपर अपने विचार आपको बताता हूं।
एक रात जब मैं योना की पुस्तक पढ़ रहा था‚ मेरे दिमाग में ऐसी बात कौंधी‚ जो मैंने पहले कभी नहीं सोची थी। ज्यादातर लोग यही सोचते हैं कि पुर्नजागरण बाहरी परिस्थितियों की ‘‘चिंगारी’’ फूटने से होता है। कई जाने माने प्रचारक कह रहे हैं कि कोरोनावायरस के कारण पुर्नजागरण की ‘‘चिंगारी’’ फूटेगी। मैं इस बात पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं करता हूं ! ! ! ये फिने के विचार हैं और ये कतई सत्य नहीं हैं।
किंतु पुर्नजागरण की सच्चाई यह है कि — इसकी ‘‘चिंगारी’’ फूटती है (मुझे आजकल के नये इवेंजलीकल्स के प्रयोग किए गए शब्द पसंद नहीं आते हैं) — परंतु पुर्नजागरण की ‘‘चिंगारी’’ परमेश्वर यहोवा के द्वारा फूटती है‚ ‘‘उद्धार यहोवा की ओर से मिलता है’’ (योना २:९ ब)
एक और रात को मैंने और अधिक स्पष्ट बात पर ध्यान दिया — जब पुर्नजागरण के महान इतिहास को पढ़ते हुए हमने पाया कि सारे बड़े — बड़े आत्मिक पुर्नजागरण तब हुए जब उनके अगुवों को अथाह कष्ट से होकर गुजरना पड़ा। मेरे दिमाग में जो नाम आ रहे हैं उनमें से कुछ का वर्णन मैं यहां करूंगा।
जॉन वेस्ली — जो पहला बड़ा क्लेश काल आया उसके भी पहले जो बड़े दुख उन्होंने उठाए उनमें से कुछ का वर्णन मैं कर रहा हूं। यह व्यक्ति जार्जिया में एक मिशनरी बनकर विफल हो चुका था। दुष्टात्माओं के साथ उसका टकराव चलता रहता था। उसका पुतला जलाया गया। वह लगभग मरते — मरते बचा। उसके मित्र जार्ज व्हाईटफील्ड ने उसके साथ दोस्ती तोड़ ली। उसके अपने डिनोमीनेशन ने उसके ऊपर लांछन लगाए। उसके पिता के चर्च में उसकी बदनामी की गयी और पास्टर ने उसे प्रभु भोज देने से मना कर दिया। उसका विवाह एक महिला से हुआ, जिसने उनके बाल खींचे और फिर छोड़ दिया। उसके पश्चात ऐसा समय आया जब वेस्ली को अपने स्वयं के पेंतुकुस्त का अनुभव हुआ। इतने कष्टों से होकर गुजरने के पश्चात अंततः वह अपने खुद के पेंतुकुस्त का अनुभव कर पाए! फिर तो ऐसा समय आया कि हजारों लोग बेहद जमा देने वाले मौसम में भी उनका प्रचार सुनने को खड़े रहते थे। यहां तक कि राजा के प्रतिनिधि का भी बयान आयाः ‘‘आज तक किसी व्यक्ति ने वेस्ली के समान इतने सारे लोगों के दिमाग को प्रभावित नहीं किया। उनके जैसे किसी व्यक्ति के प्रचार ने आज तक लोगों के हृदय को नहीं छुआ। इंग्लैंड में उनके जैसे किसी व्यक्ति ने जीवन के लिए इतना उपयोगी कार्य किया।’’ अभी हाल में एक पब्लिशिंग हाउस ने कहा जॉन वेस्ली ‘‘प्रेरिताई युग के समय से लेकर आज तक के सबसे सामर्थशाली प्रचारक रहे हैं।’’
मूरी मॉनसेन — इस महिला ने चीन में पुर्नजागरण आने के लिए उपवास और प्रार्थना करना आरंभ किया। शैतान ने उसको जमीन पर पटका और उसके शरीर को बड़े सर्प के भांति कुंडलियों में लपेट दिया। यह महिला बिना किसी सहायता या सहयोग के एक अकेली मिशनरी महिला के रूप में बड़े पुर्नजागरण के लिए प्रार्थना करती रही उसके कारण आज भी घरों में आराधना हो रही है और कार्य जारी है।
जोनाथन गोफोर्थ — वह और उनकी पत्नी चीन गए जहां उन्होंने बहुत दुख झेले। उनके चार बच्चे मर गए। मि. गोफोर्थ दो बार मरते — मरते बचे। उन्हें अपने मरे बच्चों के शव १२ घंटे तक लकड़ी की गाड़ी में चलाकर ले जाना पड़ता था कि उन्हें मसीही संस्कार से दफन कर सकें। मेरी इच्छा है कि मेरे पास समय होता तो मैं आपको मिसिस गोफोर्थ और उनके बच्चों ने कैसे तकलीफें उठाईं‚ इस बारे में बताता। जब उनकी छोटी बेटी कांस्टेंस का देहांत हुआ उन्होंने लिखा‚ ‘‘हमारी छोटी कांस्टेंस को अपनी बहिन के कब्र के पास में लिटाया गया‚ उसके जन्मदिन १३ अक्टोबर, १९०२ के दिन।’’
इसके बाद से ही परमेश्वर यहोवा की तरफ से पुर्नजागरण की आग गोफोर्थ की सभाओं में उतरी। प्रार्थना के लिए जब मौका दिया गया। मिसिस गोफोर्थ ने कहा‚ ‘‘पुर्नजागरण तूफान के समान अचानक और तीव्रता के साथ आया......तो यहां पर प्रार्थनाएं भी तूफानी रूप में की जा रही थी। किसी पर कोई रोक नहीं थी और ऐसा करने का कोई प्रयास भी नहीं किया जा रहा था......पुरूष और महिलाएं परमेश्वर यहोवा की सामर्थ के तले आते जा रहे थे......कुछ लोग परमेश्वर के मार्ग से भटककर दूर चले गए थे वे भी सार्वजनिक रूप से अपने पापों के लिए परमेश्वर से माफी मांग रहे थे....कोई भ्रम की स्थिति न रही। पूरी कलीसिया प्रार्थना करने में एक हो चली थी.....हम सब घुटनों पर प्रार्थना करते रहते और उठकर सीधे सभाओं में चले जाते। सचमुच कितना आनंददायक और महिमा देने वाले क्षण होते थे!..... हम केवल अपने सिर झुकाकर प्रार्थना करते और परमेश्वर की आवाज सुनते जो हमसे कहती‚ ‘स्थिर रहो और जान लो कि मैं परमेश्वर यहोवा हूं।’ अब हमने सीख लिया था कि ‘न तो बल से न शक्ति से पर मेरी आत्मा के द्वारा‚ सेनाओं के यहोवा परमेश्वर का यह कथन है।’
लगभग ७०० से ऊपर लोगों की बड़ी भीड़ सामने लगी हुई थी जो अपने पापों को मानना चाहते थे.....सभाओं को खत्म करना मुश्किल हो रहा था। प्रत्येक सभा लगभग तीन घंटे चली। देखा जाए तो‚ सभा पूरे दिन चलती.......गोफोर्थ एक छोटा सा संदेश देते जो हरेक के जीवन में कुछ अच्छी बात का अनुभव देता। ये लोग प्रेसबिटेरियंस थे‚ साधारण लोग थे‚ दिखावा रहित थे‚ परमेश्वर से करूणा दिखाने के लिए पुकार रहे थे....... उनका एक मजबूत प्रेसबिटेरियन प्रचारक बाद में अकेले कमरे में‚ अपनी आत्मा की गहन पीड़ा के साथ परमेश्वर से आत्मिक जागरण के लिए दुआ कर रहा था।’’ मिसिस गोफोर्थ ने कहा, ‘‘ऐसी निष्कपटता‚ सादगी और भरोसे — के साथ प्रार्थना की जा रही थी! ऐसे वातावरण में होना बहुत उत्साहवर्धक था!’’
‘‘ये गोरे मिशनरी दंपति अपने चीनी भाइयों और बहिनों के साथ उनकी गलतियों‚ पापों और दोषों को स्वीकारने में सहभागी हुए। यह वह समय था‚ सब एकजुट होकर खड़े हुए — एक एक चीनी भाई‚ मिशनरी से लेकर चीनी जन तक क्योंकि सब मसीह में एक साथ संयुक्त हुए थे। और मसीह हम सब से कह रहे थे‚ ‘वे वैसे ही एक हों जैसे की हम एक हैं.......मैं उनमें रहूं और पिता मुझ में ताकि वे सब एक में सिद्ध किए जाएं।’’’
हमारे पूर्व चर्च में हमने ऐसी ही कुछ सभाएं की थीं जो बाहरी तौर से गोफोर्थ की चीन में की गयी सभाओं के समान थी। मैंने जानबूझकर ‘‘बाहरी तौर’’ पर कहा है। किंतु हमारे चर्च के अधिकतर ‘‘अगुवों’’ ने परमेश्वर के सामने अपने पापों को स्वीकारते हुए झूठ बोला। जैसा कि डॉ. टोजर कहते हैं कि वे दो पाप करते हैं — एक पाप तो झूठ बोलने का और दूसरा पाप परमेश्वर यहोवा के नाम में झूठ बोलने का! क्रेटन ने डॉ. कैगन से झूठ कहा जब उसने यह बताया कि उसे अपनी ‘‘संतुष्टि’’ के लिए ‘‘प्रचार’’ करने की कोई इच्छा नहीं हैं। तो यह उदासी ठिगना आदमी‚ बहुत कुछ यहूदा के समान हो गया‚ जिसने मसीह के साथ धोखा किया बजाय पतरस के समान होने के जिसने ईमानदारी से पश्चाताप किया था।
जोनाथन गोफोर्थ के समय का सचमुच का आत्मिक पुर्नजागरण बहुत कुछ मेरे खुद के द्वारा देखे गए डॉ. तिमोथी लिन के अधीन फर्स्ट बैपटिस्ट चर्च १९६० के उत्तरार्द्ध के पुर्नजागरण के समान था‚ जब ‘‘आत्मा के वरदानों’’ पर कोई बल नहीं दिया जाता था — बस ईमानदारी से किए गए पश्चाताप और प्रार्थना ही सब कुछ होते थे। दुख की बात है‚ मुझे ऐसा लगता है कि ‘‘पाप का अहसास होना और पश्चाताप करना’’ केवल भावुक चीजें थीं — इन लोगों में ईमानदारी नहीं थीं। यह मुझे आज भी अचरज में डाल देता है कि क्रेटन और ग्रिफिथ जैसे लोगों ने ऐसा लगता है कि ऐसा सोचा कि वे परमेश्वर को मूर्ख बना सकते हैं!!! सच में कैसी अज्ञानता है!!!
जब मैं यह संदेश कुछ रात पहले हमारे बाथरूम में बाथटब के सिरे पर बैठकर लिख रहा हूं। एक समय ऐसा आया कि मैं बाथटब में गिर गया और मेरा सिर बाथटब के तल से जा टकराया। मेरे पैरों की अवस्था बिल्कुल ऊपर की ओर हो गयी थी। मैंने हिलने — डुलने की कोशिश की पर नहीं हिल पा रहा था। टब में फंसे हुए मुझे महसूस हुआ कि मेरी गरदन टूट गयी है। पर चूंकि मेरे पंजों में हरकत महसूस हो रही थी‚ इसलिए यह तो समझ में आ रहा था कि मेरी रीढ़ की हड्डी नहीं टूटी थी।
जब मैं वहां ऐसी भयानक स्थिति में पड़ा हुआ था‚ शैतान मुझसे बोला कि तुम कभी भी एक सच्चे आत्मिक पुर्नजागरण को लाने में कामयाब नहीं होंगे। इसी समय परमेश्वर ने मुझे दिखाया कि इतिहास में हुए बड़े आत्मिक पुर्नजागरण जो वेस्ली‚ मूरी मॉनसेन‚ जोनाथन गोफोर्थ और दूसरे भी लोग जैसे जॉन संग की बड़ी कड़ी परीक्षा में से होकर जाने के बाद संभव हो पाए। जैसे योना मगरमच्छ के पेट में पड़ा रहा‚ इन परीक्षाओं से होकर गुजरने के बाद ही परमेश्वर यहोवा ने उन पर भरोसा किया कि वे आत्मिक पुर्नजागरण लाने योग्य होंगे। तो क्या अब भी सच्चा आत्मिक पुर्नजागरण आ सकता है? संभव है। परंतु हमें बहुत ईमानदार और विश्वसनीय होना पड़ेगा अन्यथा परमेश्वर सच्चा पुर्नजागरण नहीं भेजेंगे जिसके लिए हमसे से कुछ कई वर्षो से प्रार्थना कर रहे हैं!
योना के समान पास्टर रिचर्ड वर्मब्रैंड भी १४ वर्ष मगरमच्छ के पेट में पड़े रहने के ही समान कम्यूनिस्ट जेल में पड़े रहे। उन १४ वर्षो में से तीन वर्ष उन्होंने अकेले एक कोठरी में बिताएं जहां दूसरा कोई नहीं होता था, सिवाय उनके कम्यूनिस्ट उत्पीड़कों के अलावा। क्यों परमेश्वर पिता ने वर्मब्रैंड को इतनी यातनाओं से होकर जाने दिया? अगर आप उनकी पुस्तक पढ़ेंगे तो पाएंगे कि परमेश्वर यहोवा ने जेल कोठरी को उपयोग में लिया ताकि उन्हें पूरी रीति से प्रेमपूर्ण और गंभीर प्राणी बना देवें। रिचर्ड वर्मब्रैंड से बढ़कर किसी दूसरे इतने गंभीर और ईमानदार व्यक्ति से आज तक मेरी मुलाकात नहीं हुई। उन्होंने जेल की उस एकल कोठरी में यह सबक सीख लिया था और छूटने के पश्चात पूरी दुनिया से कैसे गंभीरता से बात की जाएं‚ यह बात वह जान चुके थे। छोटे लोग जैसे क्रेटन और ग्रिफिथ कभी गंभीर मनुष्य थे ही नहीं। वे तो परमेश्वर से भी झूठ बोले थे। उन्होंने अपने पाप ‘‘स्वीकार किए’’ जिसका उन्हें कभी अहसास ही नहीं हुआ होगा।
यह आसानी से देखा जा सकता है कि जॉन वेस्ली‚ मूरी मॉनसेन‚ जोनाथन गोफोर्थ गंभीर किस्म के लोग थे‚ हल्के नहीं। ऐसे ही योना भी था!
डॉ. ए. डब्ल्यू. टोजर ने कहा था‚ ‘‘अगर हम ऐसी ही मूर्खता करते रहेंगे‚ तो पूरे वर्ष परमेश्वर से आत्मिक पुर्नजागरण भेजने की प्रार्थना करना व्यर्थ ही होगा जबकि हम अज्ञानतावश उनकी आवश्यकताओं को नजरअंदाज करते जा रहे हैं और आज्ञाओं को तोड़ते जा रहे हैं। या अब हम उनकी आज्ञा मानना और आज्ञाकारिता की आशीषों को पाना सीख सकते हैं। परमेश्वर यहोवा का वचन हमारे सामने है। हमें केवल उसे पढ़ना है और जैसा वहां लिखा है उसका पालन करना है .....आत्मिक पुर्नजागरण स्वाभाविक रूप से आएगा जैसे बीज बोने के बाद पौधे और फसल का तैयार होना स्वाभाविक रूप से होता है।’’ (‘‘व्हॉट अबाउट रिवाईवल? — पार्ट १’’) गंभीरता वह चीज है जिसे परमेश्वर यहोवा खोज रहे हैं!
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(संदेश का अंत)
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रूपरेखा योना — पुर्नजागरण का भविष्यवक्ता! JONAH – THE PROPHET OF REVIVAL! द्वारा डॉ. आर. एल. हायमर्स, जूनि. ‘‘यहोवा का यह वचन अमितै के पुत्र योना के पास पहुंचा‚ उठ कर उस बड़े नगर नीनवे को जा और उसके विरुद्ध प्रचार कर; क्योंकि उसकी बुराई मेरी दृष्टि में बढ़ गई है’’ (योना १:१‚२) (२ राजा १४:२५; मत्ती १२:३९—४१; लूका ११:२९—३०) १ पहिला, योना को पहिली बुलाहट, योना १:१‚२‚३; फिलिप्पयों ४:१३; मत्ती १०:३४—३९ २. दूसरा, योना की मनोव्यथा, योना १:३—४, १२; १:१७—२:१; १:१७; २:९ब |