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उत्साहवर्धन और चेतावनी वर्तमान और भविष्य के दिनों — |
यीशु बोले‚ ‘‘इस संसार में तुम्हें क्लेश होगा।" ‘‘थ्लिपिस" शब्द के अनुवाद से अंग्रेजी का ‘‘ट्रिब्यूलेशन" शब्द निकला है। इसका अनुवाद ‘‘मानसिक दवाब" शब्द में किया जा सकता है।
हम सबके जीवनों में मानसिक दवाब आता है। मानसिक दवाब का अत्यधिक बुरा समय अभी आना शेष है। मसीह के जैतून पर्वत से इस संसार पर धार्मिकता के शासन करने के सात साल पूर्व का समय क्लेश व मानसिक दवाब का होगा। अंतिम साढ़े तीन साल इस क्लेश के सबसे भयावह दिन होंगे। मसीह के इस पृथ्वी पर लौटने के ठीक सात साल पूर्व मसीह विरोधी इस जगत पर राज्य करेगा। बाइबल बताती है कि हरेक जो इन सात सालों में मसीह पर विश्वास लाता है‚ शहीद हो जायेगा।
प्रेरित यूहन्ना ने ऐसे शहीद मसीहियों के स्वर्ग में होने का एक दर्शन देखा था। उन्होंने लिखा‚
‘‘और जब उस ने पांचवी मुहर खोली तो मैं ने वेदी के नीचे उन के प्राणों को देखा‚ जो परमेश्वर के वचन के कारण और उस गवाही के कारण जो उन्होंने दी थी‚ वध किए गए थे" (प्रकाशितवाक्य ६:९)
फिर उन्होंने लिखा‚
‘‘मैं ने उस से कहा: हे स्वामी‚ तू ही जानता है‚ उस ने मुझ से कहा‚ ये वे हैं‚ जो उस बड़े क्लेश में से निकल कर आए हैं; इन्होंने अपने अपने वस्त्र मेम्ने के लोहू में धो कर श्वेत किए हैं" (प्रकाशितवाक्य ७:१४)
ये सात वर्ष इतिहास के अन्य कालखंडों की तुलना में अत्यंत कष्टदायक होंगे। इस बाबद यीशु का ऐसा कथन था‚
‘‘क्योंकि उस समय ऐसा भारी क्लेश होगा‚ जैसा जगत के आरम्भ से न अब तक हुआ और न कभी होगा" (मत्ती २४:२१)
हां‚ मनुष्यों के बादलों में उठा लिये जाने वाली घटना होगी। बाइबल कहती है,
‘‘क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेंगे; उस समय ललकार और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा और परमेश्वर की तुरही फूंकी जाएगी और जो मसीह में मरे हैं‚ वे पहिले जी उठेंगे। तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे‚ उन के साथ बादलों पर उठा लिए जाएंगे कि हवा में प्रभु से मिलें और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे" (१ थिस्सलुनीकियों ४:१६—१७)
तौभी आप को यह नहीं सोचना है कि उस बड़े क्लेश के प्रकट होने के पूर्व यह प्रतिज्ञा आप को वर्तमान के क्लेश से छुटकारा दिलायेगी। इस पद में कहा गया है कि मसीहियों को पूरे युग में क्लेश उठाना होगा।
‘‘मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं कि तुम्हें मुझ में शान्ति मिले; संसार में तुम्हें क्लेश होता है‚ परन्तु ढाढ़स बांधो मैं ने संसार को जीन लिया है" (यूहन्ना १६:३३)
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जो यीशु ने कहा‚ चलिये यहां इसे सावधानीपूर्वक समझते हैं। मैं पद के दूसरे भाग, फिर पहिले भाग और अंत में आखिरी भाग पर पहिले चर्चा करूंगा।
१॰ पहिली बात‚ ‘‘संसार में तुमको क्लेश होगा"।
यीशु ने यह बात शिष्यों से कही थी और आज ये बात सभी सच्चे अनुयायियों पर लागू होती है। मसीहियों को शारीरिक कष्ट झेलने होंगे। शिष्य पौलुस ने लिखा था‚
‘‘और इसलिये कि मैं प्रकाशों की बहुतायत से फूल न जाऊं‚ मेरे शरीर में एक कांटा चुभाया गया अर्थात शैतान का एक दूत कि मुझे घूँसे मारे ताकि मैं फूल न जाऊं........." (२ कुरूंथियों १२:७)
इससे ऐसा प्रतीत होता है कि पौलुस को अपनी दृष्टि के साथ कुछ समस्या थी। यह इस बात का सूचक है कि मसीही भी शारीरिक रोग, दर्द और शारीरिक अंत के क्लेश वाले समय से होकर निकलेंगे। हम मसीही अनुयायी होने के उपरांत भी शारीरिक रोग और दर्द से छुटकारा नहीं पा सकते हैं।
हमारे इस पतित पापमयी संसार में मसीही अनुयायियों को नाना प्रकार की परेशानी और क्लेश से होकर भी गुजरना होगा। प्रेरित पौलुस ने मसीहियों के इस क्लेश के अनुभव के विषय में कहा था
‘‘.........कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा ? क्या क्लेश या संकट या उपद्रव या अकाल या नंगाई या जोखिम या तलवार ? जैसा लिखा है कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाईं गिने गए हैं" (रोमियों ८:३५—३६)
‘‘किंतु पौलुस का कहना यह भी था कि ये क्लेश हमें मसीह के प्रेम से अलग नहीं कर सकेंगे" (रोमियों ८:३५ अ) ।
‘‘संसार में तुम्हें क्लेश होता है" (यूहन्ना १६:३३)
मसीह में विश्वास रखने के कारण सब शिष्यों को मौत के घाट उतार दिया गया केवल यूहन्ना को छोड़कर जिसे उबलते तेल में डूबोया गया और जीवन भर वह उन दागों को अपने शरीर में लिये जीया। अपने विश्वास के कारण मसीहियों ने युगों युगों तक दुख झेले हैं। फौक्स बुक ऑफ माटियर्स ऐसी उत्तम पुस्तक है जो इतिहास में मसीही शहीदों के कष्ट सहे जाने का वर्णन करती है। डॉ पॉल मार्शल का कथन था‚
मध्यवर्ती अमेरिका के जंगलों में........चीनी श्रमिक कैंपों में‚ पाकिस्तानी जेलों में‚ भारतीय दंगों मे‚ सूडान के गांवों में असंख्य विश्वासी अपने विश्वास की कीमत चुका चुके थे (उक्त संदर्भित‚ पेज १६०)
सूडान में क्रिश्चियंस को गुलाम बना लिया गया। ईरान में उनकी हत्या कर दी गयी। क्यूबा में उनको जेल में डाल दिया गया। चीन में उनको दम तोड़ने की हद तक पीटा गया। दुनिया के साठ से अधिक देशों में मसीहियों को प्रताड़ित‚ अपमानित किया गया‚ यातना दी गयी‚ फांसी पर लटकाया गया केवल यीशु पर विश्वास रखने के कारण। पूरे संसार भर में मसीही प्रतिदिन गुप्त रहकर पुलिस‚ सर्तकता विभाग‚ राज्य के दमन और भेदभाव किये जाने के प्रतिदिन के भय में जीते हैं......लाखों लाख मसीही लोग सिर्फ अपने विश्वास के कारण दुख झेल रहे हैं (पौल मार्शल‚ पीएचडी‚ देअर ब्लड क्राइज आउट‚ वर्ड‚ १९९७‚ बेक जैकेट)
यहां पश्चिम में भी दिनों दिन बढ़ती जा रही सेक्यूलर सोसायटी द्वारा एक अकेले विश्वासी को चुन कर निशाना साधा जाता है, उसे कमतर आंका जाता है‚ प्रताड़ि़त किया जाता हैं। कालेज की कक्षाओं में क्रिश्चयनिटी और बाइबल का मखौल उड़ाया जाता है। कई क्रिश्चियंस को अपनी उन्नति को त्यागना पड़ता है और कईयों को उनकी नौकरियों से हाथ धोना पड़ता है क्योंकि वे रविवार के दिन वे अपने परमेश्वर यहोवा की आराधना करना चाहते हैं। यहां तक कि परिवार में गैर मसीही सदस्य‚ या कुछ नये नर्म इवेंजलीकल्स‚ समर्पित मसीही जनों को तिरस्कार की दृष्टि से देखते हैं। यीशु ने कहा ही था‚
‘‘संसार में तुमको क्लेश होगा" (यूहन्ना १६:३३)
२॰ दूसरी बात‚ ‘‘मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं कि तुम्हें मुझ में शान्ति मिले।"
ये उन लोगों के लिये वादा है‚ जो ‘‘मसीह में" बने हुए हैं। ‘‘मुझमें"। वह आंतरिक शांति के स्त्रोत हैं। यीशु का कथन था‚
‘‘मैं तुम्हें शान्ति दिए जाता हूं‚ अपनी शान्ति तुम्हें देता हूं‚ जैसे संसार देता है‚ मैं तुम्हें नहीं देता........ " (यूहन्ना १४:२७)
जब एक व्यक्ति मसीह ‘‘में" बने रहने लगता है तो उसके भीतर ठहराव वाली शांति का उदगम होता है जो दुनिया में औरों के पास नहीं होती है।
जब एक व्यक्ति जो मसीह में बना रहता है और अपनी समस्याओं को यहोवा को सौंप देता हैं‚ तो उसे एक खास किस्म की शांति की अनुभूति होती है जिसे बाइबल कहती है ‘‘परमेश्वर की शान्ति‚ जो समझ से बिलकुल परे है" (फिलिप्पयों ४:७) लोग सच में ये समझ पाने में असमर्थ है कि दुनिया भर में फैले क्रिश्चियंस को क्यों बंदी बना लिया जाता है, प्रताड़ित किया जाता है — कैद में डाल दिया जाता है और प्राण दंड दिया जाता है।
शांति का यह अर्थ नहीं है कि मसीही जन को अंर्तद्धंद का सामना नहीं करना पड़ेगा‚ कोई भावनात्मक समस्या नहीं होगी या शारीरिक बीमारी नहीं होगी। अमेरिका में कई इवेंजलिस्ट सफलता‚ दौलत‚ शांतचित्तता‚ प्रसन्नता व आत्मोन्नति का प्रचार करते मिलते हैं। एक चीनी विश्वासी जिसे मसीह में विश्वास रखने के कारण उल्टा टांग दिया गया या एक क्यूबा का मसीही जन जिसे पांच साल जेल में पटक दिया गया या ईरान में एक मसीही जन यीशु पर विश्वास रखने के कारण मौत का सामना करने की स्थिति में है‚ इन सब के सामने प्रचार की गयी बातों का कोई अर्थ नहीं है।
तीसरी दुनिया के ये सताए गए मसीही जन इस बात को समझ चुके हैं कि ऐसा कथन कहने से यीशु का क्या अर्थ रहा होगा‚ ‘‘परन्तु ढाढ़स बांधो मैं ने संसार को जीत लिया है" (यूहन्ना १६:३३) मैं सोचता हूं कि वे समझ चुके होंगे कि ये शांति अर्थात अंर्तमन बिल्कुल शांत है जिसकी वजह पापों की माफी है और उनका यह विश्वास है कि यहोवा उनकी देखभाल करते हैं।
मैं २ कुरूंथियों ११:२४—२८ पढ़ने जा रहा हूं । सुनिये जो मैं बताना चाहता हूं कि प्रेरित पौलुस के साथ क्या क्या हुआ। उन्होंने बताया‚
‘‘पांच बार मैं ने यहूदियों के हाथ से उन्तालीस उन्तालीस कोड़े खाए। तीन बार मैं ने बेंतें खाई‚ एक बार पत्थरवाह किया गया; तीन बार जहाज जिन पर मैं चढ़ा था‚ टूट गए; एक रात दिन मैं ने समुद्र में काटा। मैं बार बार यात्राओं में; नदियों के जोखिमों में; डाकुओं के जोखिमों में; अपने जाति वालों से जोखिमों में; अन्यजातियों से जोखिमों में; नगरों में के जाखिमों में; जंगल के जोखिमों में; समुद्र के जाखिमों में; झूठे भाइयों के बीच जोखिमों में; परिश्रम और कष्ट में; बार बार जागते रहने में; भूख—पियास में; बार बार उपवास करने में; जाड़े में; उघाड़े रहने में। और और बातों को छोड़कर जिन का वर्णन मैं नहीं करता सब कलीसियाओं की चिन्ता प्रति दिन मुझे दबाती है।" (२ कुरूंथियों ११:२४—२८)
इन परिस्थितियों में भी पौलुस शांति की बात कैसे कह पाए? तौभी की। फिलिप्पयों ४:६‚७ में पौलुस इसका उत्तर देते हैं।
‘‘किसी भी बात की चिन्ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन‚ प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। तब परमेश्वर की शान्ति‚ जो समझ से बिलकुल परे है‚ तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी" (फिलिप्पयों ४:६‚७)
पौलुस ने अधिकतम यंत्रणाएं व क्लेश झेले तौभी वे यहां उस शांति की बात कहते हैं अर्थात ‘‘परमेश्वर की शान्ति‚ जो समझ से बिलकुल परे है।"
३॰ तीसरी बात‚ ‘‘परन्तु ढाढ़स बांधो मैं ने संसार को जीत लिया है।"
इसमें अचरज हो सकता है कि इतने कष्टों के पश्चात भी आप खड़े रह पाते हैं। युवाओं को सैक्यूलर कॉलेजों में एक के बाद एक उन कक्षाओं में बैठना होता है‚ जहां क्रिश्चियनिटी और बाइबल पर कठोरतापूर्वक प्रहार किया जाता है‚ उन्हें कम आंका जाता है और उपहास उड़ाया जाता है। ‘‘क्या ये सहन करते हुए‚ मैं मसीही अनुयायी बना रह सकता हूं?" कॉलेज के विद्यार्थी ऐसा सोचता है। ‘‘क्या मैं वर्तमान परीक्षा के इस दौर से होकर गुजर सकता हूं? क्या जब लोग मेरे विरूद्ध खड़े हों तो क्या मैं सह सकूंगा? क्या जब मैं भयभीत हूं तो उम्मीद बनाये रख सकता हूं —जब मेरे पास विश्वास की भी कमी हो?"
आज गंभीर मसीहियों की हंसी उड़ायी जाती है। लोग कहते हैं कि आप जरूरत से अधिक यीशु की बातें कर रहे हैं। वे आप को एक आसान धर्म का प्रस्ताव देते हैं‚ रविवार को एक घंटे का चर्च या बिल्कुल ही चर्च नहीं जाना। वे कहेंगे केवल मसीह के पीछे चलना बंद कर देने से आप प्रसन्न रह सकते हैं। वे मशवरा देते हैं ‘‘सूली को सहन करने की कोई आवश्यकता नहीं है। दर्द सहन करने की कोई आवश्यकता नहीं है।" ‘‘सब भूल जाइये। सब जाने दीजिये और हमारे जैसे बन जाइए।" वे आप पर मनोवैज्ञानिक दवाब बनाएंगे। जैसे स्वयं यीशु कहते थे‚ ‘‘संसार में तुम्हें क्लेश होगा।"
परंतु मसीह कहते हैं‚ ‘‘ढाढ़स बांधो मैं ने संसार को जीत लिया है।" जब मैं रोमियों ८:३५—३९ पढ़ता हूं, इसे ध्यान से सुनिये।
‘‘कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश‚ या संकट‚ या उपद्रव‚ या अकाल‚ या नंगाई या जोखिम‚ या तलवार? जैसा लिखा है कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाईं गिने गए हैं। परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है‚ जयवन्त से भी बढ़कर हैं। क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं कि न मृत्यु‚ न जीवन‚ न स्वर्गदूत‚ न प्रधानताएं‚ न वर्तमान‚ न भविष्य‚ न सामर्थ‚ न ऊंचाई‚ न गहिराई और न कोई और सृष्टि‚ हमें परमेश्वर के प्रेम से‚ जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है‚ अलग कर सकेगी" (रोमियों ८:३५—३९)
जब आप मसीह के पास आते हैं‚ वे आप को संभाल लेते हैं। वह आप को थामे रखते हैं और हताश नहीं होने देते हैं। जब आप मसीह के पास आ जाते हैं तो आप को उन्हें नहीं थामे रखना है परंतु वे आप को थामे रखते हैं! जिस क्षण आप का अंर्तमन बदल जाता है आप मसीह में शाश्वत रूप से सुरक्षित हो जाते हैं। तीसरी दुनिया के २०० मिलियन लोग मसीही विश्वास के कारण सताए जाते हैं यह सिद्ध करता है कि मसीह अपने शिष्यों को थामे रखते हैं और शाश्वत जीवन की आशा के साथ वे उनकी आत्मा को नष्ट नहीं होने देंगे। मसीह के पास आ जाना है‚ वे समस्त उद्धार देते हैं और सब रूप में थामे रखते हैं! जैसे संदेश के पूर्व मि॰ नैन ने यह गीत गाया‚
जिस आत्मा की ओर यीशु मुड़े‚
मैं शत्रुओं के सामने उस आत्मा को कभी नहीं त्यागूंगा।
भले सारा नर्क अपना प्रयास कर ले‚ मैं
कभी कभी नहीं उस पवित्र आत्मा को त्यागूंगा
(‘‘हाउ फर्म ए फाउंडेशन" ‘के’ इन रिपन ‘सिलेक्शन ऑफ हिम्स’‚ १७८७)
इस संदेश का शीर्षक ‘‘उत्साहवर्धन और चेतावनी वर्तमान और भविष्य के दिनों— के क्लेश के लिये" है‚ मैंने आज रात आप का उत्साहवर्धन किया है। किंतु साथ ही एक चेतावनी देना भी आवश्यक है। आज जो भी परेशानी हम झेल रहे हैं वे उनकी तुलना में कम हैं जो दूसरे स्थानों पर लोग उठा रहे हैं। तीसरी दुनिया में यीशु के उपर विश्वास रखने के कारण लोगों को पीटा जाता है‚ जेल में डाला जाता है‚ यातना दी जाती है और मार डाला जाता है। अमेरिका में हमारा जीवन तो एक विश्राम काल है‚ उसकी तुलना में जो दूसरे स्थानों पर लोग झेल रहे हैं। आगामी सालों में यहां भी मसीही शिष्य बने रहना मुश्किल हो जाएगा। यह मनोवैज्ञानिक दवाब बुरा होगा। एक गंभीर क्रिश्चियन होने के कारण आप को अपनी नौकरी‚ अपना घर‚ अपने पैसे से हाथ धोना पड़ सकता है। अभी ऐसा दूसरे देशों में भी हो रहा है। आप के मित्र और संबंधी आपके विरूद्ध हो सकते हैं। क्लेश काल के संबंध में यीशु का कथन था‚ ‘‘और भाई को भाई और पिता को पुत्र घात के लिये सौंपेंगे और लड़केबाले माता—पिता के विरोध में उठकर उन्हें मरवा डालेंगे। और मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे; पर जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा‚ उसी का उद्धार होगा" (मरकुस १३: १२‚ १३) आश्चर्य मत कीजिए अगर ये सात साल प्रारंभ होने के पूर्व ही लोग आप को अस्वीकार कर दें।
भविष्यवक्ता यिर्मयाह ने कहा था‚ ‘‘तू जो प्यादों ही के संग दौड़कर थक गया है तो घोड़ों के संग क्योंकर बराबरी कर सकेगा? और यद्यपि तू शान्ति के इस देश में निडर है‚ परन्तु यरदन के आसपास के घने जंगल में तू क्या करेगा?" (यिर्मयाह १२:५) हां, आप अभी किसी क्लेश मे से होकर गुजर रहे होंगे। परंतु यदि आप आज के दवाबों के साथ डटकर मुकाबला नहीं कर पाए, तो जब हालात बदतर होंगे, तब क्या करेंगे? आज जब विश्राम काल में आप मसीही जीवन नहीं जी पाए तो जब तूफान आएंगे तो क्या होगा? मैं आप को एक मजबूत मसीही बनने के लिए आहवान करता हूं। अगर आज मजबूत बने रहेंगे तो आगे आने वाले समय में भी मजबूत बने रहेंगे। जब मैंने पास्टर रिचर्डवर्मब्रैंड की पुस्तक‚ टार्चर्ड फॉर क्राईस्ट पढ़ी, मैं उस समय एक नया विश्वासी था और मैंने उसी ढंग से सोचा। यह केवल पढ़े जाने वाली पुस्तक ही नहीं थी। परंतु इसने मेरा जीवन बदल कर रख दिया। मसीही होने का तात्पर्य हर समय विश्राम काल की अवस्था में होना नहीं होता है। यह कठिन हो सकता है। यह कठिन जीवन है। हां‚ ‘‘ढाढ़स बांधो" (यूहन्ना १६:३३) इसका मोल भी चुकाना होगा (लूका १४:२८) यह एक मूल्यवान जीवन होगा, क्योंकि हम मसीह के साथ शाश्वत जीवन व्यतीत करेंगे।
अब मैं आज रात उन लोगों से कहना चाहूंगा जो दिशाहीन हैं। यीशु आप से प्यार करते हैं। आप के पापों का मूल्य चुकाने के लिए वे क्रूस पर मरे। आप के पापों को धोने के लिए उन्होंने अपना लहू बहाया। वे कब्र से जीवित हुए ताकि आप को भी जीवन मिले। अगर आप उन पर विश्वास करते हैं‚ तो आप को सदाकाल के लिए उद्धार मिलेगा। यीशु पर विश्वास करना केवल कुछ शब्द मात्र नहीं हैं। यीशु पर विश्वास करना यीशु पर विश्वास करना है। हां‚ मुश्किल समय आएगा। हां‚ आप को क्लेश उठाना पड़ेगा। परंतु ये सब बहुमूल्य ठहरेगा। आप यीशु को जान जाएंगे। अगर आप यीशु पर विश्वास करते हैं‚ तो आप सदैव यीशु के साथ निवास करेंगे। अगर आप यीशु पर विश्वास लाने के संबंध में मुझसे कुछ जानना चाहते हैं तो आइए‚ आगे की दो सीट पर आकर बैठिए। आमीन।
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(संदेश का अंत)
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संदेश पूर्व मि जैक नैन के द्वारा एकल गान की प्रस्तुतिः
‘‘हाउ फर्म ए फाउंडेशन" (‘के’ इन रिपन ‘सिलेक्शन ऑफ हिम्स’‚ १७८७)
रूपरेखा उत्साहवर्धन और चेतावनी वर्तमान और भविष्य के दिनों — |