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स्थानीय चर्च के कपटी लोग और बाइबलTHE BIBLE AND TRAITORS TO A LOCAL CHURCH डॉ आर एल हायमर्स जूनि. द्वारा लिखित संदेश ‘‘वे निकले तो हम ही में से‚ पर हम में के थे नहीं; क्योंकि यदि हम में के होते‚ तो हमारे साथ रहते‚ पर निकल इसलिये गए कि यह प्रगट हो कि वे सब हम में के नहीं हैं" (१ यूहन्ना २:१९) |
अस्तित्ववाद को प्रचलित करने वाले दो दर्शनशास्त्री अलबर्ट कैमुस और जीन पॉल सात्रे थे। आज अधिकतम लोगों की सोच के पीछे उनका ही दर्शन काम करता है‚ यद्यपि‚ लोग शायद इस बात को महसूस नहीं करते हैं। डॉ आर सी स्प्राउल ने कहा था‚ ‘‘अस्तित्ववाद के प्रभाव का सामना‚ हम हमारे प्रतिदिन के जीवन में और हमारी सभ्यता में अप्रत्यक्ष रूप से करते हैं......हम प्रतिदिन इसके प्रभाव तले अपने जीवन को व्यतीत कर रहे हैं (डॉ आर सी स्प्राउल‚ लाईफव्यूज‚ फ्लेमिंग‚एच रेवेल‚ १९८६‚ पेज ४९)
कैमुस और सात्रे के अस्तित्ववाद का मूल विषय ईश्वरविहीन संसार में ‘‘मनुष्य के बुनियादी एकाकीपन के उपर बल देता है" (डॉ जॉन ब्लैंकर्ड‚ डज गॉड बिलीव इन एथिस्ट?‚ इवेंजलीकल प्रेस‚ २०००‚ पेज १३८)
क्या आर॰ सी॰ स्प्राउल सही हैं जब वे कहते हैं कि हम ‘‘प्रतिदिन" इस दर्शन के ‘‘प्रभाव में" रहते हैं? हां‚ मैं सोचता हूं वह सही हैं। तभी तो एकाकीपन का विषय युवा लोगों को अपनी तरफ इतने गहरे रूप में आकर्षित करता है। बिना यह जाने कि यह दर्शन कहां से आया और किसने इसे बताया‚ आप इसे फिर भी महसूस करते हैं — ‘‘ईश्वरविहीन संसार में मनुष्य का बुनियादी एकाकीपन।" यह वाक्यांश सच प्रतीत होता है। प्रत्येक युवा ने इसे महसूस किया है — ‘‘ईश्वरविहीन संसार में मनुष्य का बुनियादी एकाकीपन ।"
आप भरे कमरे में भी अकेलापन महसूस कर सकते हैं। आप रेव पार्टी में हों‚ भीड़ भरे मॉल में हों‚ वहां भी आप को अकेलापन लग सकता है। एक किशोर ने हमारे पास्टर डॉ हायमर्स से कहा‚ ‘‘मैं इतना अकेला हूं कि समझ में नहीं आता कि क्या करूं।" उसके कुछ सप्ताह पश्चात उसने आत्महत्या कर ली। अधिकतर युवा आज के युग में अकेलेपन की भावना की ताड़ना से पूरी तरह से पीड़ित हो चुके हैं। अस्तित्ववाद का यह परिणाम आज ‘‘हमारी सभ्यता के हरेक क्षेत्र में" व्याप्त हो चुका है।
एकाकीपन एक समस्या है परंतु इसका विषहर क्या है? इसका बचाव क्या है? बचाव है व्यक्तिगत स्तर पर प्रभु यीशु मसीह को जानना — और स्थानीय चर्च में परमेश्वर यहोवा के परिवार का हिस्सा होना। हम अस्तित्ववाद की भयावहता को उत्तर देते हैं जब हम कहते हैं‚ ‘‘अकेले क्यों रहना? घर आइए — चर्च आइए! क्यों भटका हुआ जीवन बिताना? घर आइए — प्रभु यीशु मसीह‚ परम प्रधान यहोवा के पुत्र के पास आइए!" ऐसा कहकर हम कैमुस‚ सात्रे और अस्तित्ववाद को प्रमुख रूप से जवाब दे रहे होते हैं! जब हम ऐसा कहते हैं तो हम संसार की पीड़ा‚ अकेलेपन‚ एकांतता को उत्तर दे रहे होते हैं! जोर से चिल्लाकर कहिए! फुसफुसा कर कहिए! दूर दूर तक इसे कहिए! क्यों एकाकी रहना? घर आइए — प्रभु यीशु मसीह‚ परम प्रधान यहोवा के पुत्र के पास आइए!
परंतु कुछ लोग हैं जो एक चीज चाहते हैं किंतु दूसरी चीज की उपेक्षा करके। वे स्थानीय चर्च की संगति तो चाहते हैं परंतु यीशु मसीह को मन में अंगीकार नहीं करना चाहते। अंत में इसका कोई परिणाम नहीं निकलता। दोनों बातें एक साथ होनी चाहिए। मसीहत में यही तरीका काम करता है‚ दोनों कार्य साथ साथ कीजिए — चर्च में मित्रता भी रखिए और मन में यीशु मसीह को भी धारण कीजिए। आप एक की अनुपस्थिति में दूसरा कार्य नहीं कर सकते हैं!
अगर आप बिना मन फिराएं‚ चर्च में संगति बनाए रखना चाहेंगे तो उसका परिणाम ऐसा होगा। अंततः संगति टूट जाएगी। कभी न कभी यह संगति फलदायी सिद्ध नहीं होगी। आज का हमारा यह पद यही तो कह रहा है।
‘‘वे निकले तो हम ही में से‚ पर हम में के थे नहीं; क्योंकि यदि हम में के होते‚ तो हमारे साथ रहते‚ पर निकल इसलिये गए कि यह प्रगट हो कि वे सब हम में के नहीं हैं" (१ यूहन्ना २:१९)
डॉ डब्ल्यू ए क्रिसवेल ने कहा था‚ ‘‘कुछ लोग चर्चेस से जा चुके थे......उनका जाना वास्तव में इस बात का सूचक था कि उन्होंने उद्धार नहीं पाया था और इसलिए सच्ची संगति अनुपस्थित रही" (दि क्रिसवेल स्टडी बाइबल‚ १ यूहन्ना २:१९ पर व्याख्या)। १ यूहन्ना २:१९ का आधुनिक अनुवाद इस प्रकार है‚
‘‘वे निकले तो हम ही में से‚ परन्तु वास्तव में हम में से नहीं थे; क्योंकि यदि वे हम में से होते तो हमारे साथ रहते; परन्तु वे निकल इसलिए गए कि यह प्रकट हो जाए कि वे सब हम में से नहीं हैं" (१ यूहन्ना २:१९ एनआयवी)
चलिए‚ इस पद के विषय में और गहराई से विचार कीजिए।
१॰ पहिली बात‚ उन्होंने क्या किया।
डॉ डब्ल्यू ए क्रिसवेल ने कहा था‚ ‘‘कुछ लोग चर्चेस से जा चुके थे। इसमें कोई संदेह नहीं कि वे चर्च इसलिए आते रहे क्योंकि वे संगति का आनंद लेना चाहते थे। रोमी साम्राज्य के शुष्कपन और हदयहीनता के काल में प्रारंभिक चर्च गहरी मित्रता के स्थान हुआ करते थे। लोगों को जिस उष्मा और मित्रता की दरकार थी, वह उन्हें चर्च में प्राप्त हुआ करती थी‚ लिखा है कि वे लोग‚
‘‘परमेश्वर की स्तुति करते थे‚ और सब लोग उन से प्रसन्न थे" (प्रेरितों के कार्य २:४७)
परंतु जल्द ही उन्हें यह पता चल गया कि मसीही जीवन जीना आसान भी नहीं है। कुछ लोगों को इसका अहसास होने पर वे चर्च छोड़कर चले गये। प्रेरित ने इस प्रकार लिखा है‚
‘‘क्योंकि देमास ने इस संसार को प्रिय जान कर मुझे छोड़ दिया है‚ और थिस्सलुनीके को चला गया है‚ और क्रेसकेंस गलतिया को और तीतुस दलमतिया को चला गया है। केवल लूका मेरे साथ है: मरकुस को लेकर चला आ; क्योंकि सेवा के लिये वह मेरे बहुत काम का है" (२ तिमोथियुस ४:१०—११)
देमास‚ क्रेसकेंस और तीतुस परेशानी आने पर छोड़ चले गए।
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जो निर्देश आते हैं उनके अनुसार चलिए।
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क्या ये पद आज भी प्रासंगिक है? हां‚ आज भी ऐसा होता है। लोग कुछ समय के लिए चर्च आते हैं। चर्च में बनायी मित्रता का आनंद लेते हैं। सब कुछ मजेदार लगता है। परंतु फिर ध्यान कहीं और भी भटक जाता है। मैंने सुना था कि एक व्यक्ति रविवार की सुबह लॉस वैगास गया। वह व्यक्ति चर्च आना पसंद करता था। परंतु लॉस वैगास में उसको अधिक आनंद आने लगा! अन्य लोगों को क्रिसमस और न्यू इयर पर पार्टियां आकर्षित करती हैं। वे दुनिया में चलने वाली पार्टियों और उत्सवों के प्रलोभन में आ जाते हैं — और इसलिए चर्च छोड़कर चले जाते हैं। ‘‘परन्तु वे निकल इसलिए गए कि यह प्रकट हो जाए कि वे सब हम में से नहीं है" (१ यूहन्ना २:१९ एनआयवी)
२॰ दूसरा‚ उन्होंने ऐसा क्यों किया।
हमारा पद कहता है‚ ‘‘वे सब हम में से नहीं है‚ क्योंकि यदि वे हम में से होते तो हमारे साथ रहते" (१ यूहन्ना २:१९) । डॉ जे वर्नान मैगी ने १ यूहन्ना २:१९ की व्याख्या करते हुए कहा था‚
अगर एक व्यक्ति परमेश्वर यहोवा की संतान नहीं है तो वह अपना असली रंग प्रकट कर देगा अगर वह सच्चे मसीहियों की जीवित कलीसिया को छोड़कर जाता है तो। वह सच्चे विश्वासियों की सभा से दूर चला जाएगा‚ वह पुन: लौट जाएगा........संसार में........बहुत से हैं जो मसीही होने का दावा करते हैं‚ परंतु वास्तव में वे असल मसीही जन नहीं हैं (जे वर्नान मैगी‚ टी एच डी‚ थ्रू दि बाइबल‚ थॉमस नेल्सन पब्लिशर्स‚ १९८३‚ वॉल्यूम ५‚ पेज ७७७)
मैं अल्बर्ट बार्नेस द्वारा बाइबल पर की गयी उनकी उत्कृष्ट व्याख्या को बिना टिप्पणी किए बता रहा हूं‚
यदि वे हम में से होते । अगर वे गंभीर और सच्चे मसीही जन होते। तो हमारे साथ रहते.......अगर वे सच्चे मसीही जन होते तो वे कभी चर्च छोड़कर नहीं जाते। मैगी ने यह कथन इतनी प्रमुखता से किया है कि इसे सार्वभौमिक सत्य माना जा सकता है। कि अगर कोई सचमुच हममें से एक है अर्थात वे सचमुच सच्चे मसीही जन होते तो वे चर्च में निरंतर बने रहते या कभी दुर्बल नहीं पड़ते। यह कथन हमें यह सिखाने के लिए भी दिया गया है कि अगर कोई चर्च की सहभागिता से दूर जाता है‚ तो यह तथ्य पूर्ण प्रमाण है कि उनका कभी कोई धर्म ही नहीं था‚ क्योंकि अगर कोई धर्म होता‚ तो वे चर्च में निरंतर बने रहते (अल्बर्ट बर्नेस‚ नये नियम पर व्याख्या‚ बेकर बुक हाउस‚ १८८४—८५ के संस्करण का पुनर्मुद्रण १९८३‚ १यूहन्ना २:१९ पर व्याख्या)
यीशु के कथन थे‚
‘‘चट्टान पर के वे हैं‚ कि जब सुनते हैं‚ तो आनन्द से वचन को ग्रहण तो करते हैं‚ परन्तु जड़ न पकड़ने से वे थोड़ी देर तक विश्वास रखते हैं‚ और परीक्षा के समय बहक जाते हैं" (लूका ८:१३)
३॰ तीसरा, कैसे इसे सुधारा जाए।
‘‘वे निकले तो हम ही में से‚ परन्तु वास्तव में हम में से नहीं थे; क्योंकि यदि वे हम में से होते तो हमारे साथ रहते; परन्तु वे निकल इसलिए गए कि यह प्रकट हो जाए कि वे सब हम में से नहीं है" (१ यूहन्ना २:१९ एनआयवी)
मैथ्यू हैनरी ने कहा था‚
वे भीतर से ऐसे नहीं थे जैसे हम हैं‚ वे हम में से नहीं थे‚ जो ठोस शिक्षा उनको प्रदान की गयी‚ उसको उन्होंने हृदय से नहीं माना। मसीह जो कलीसिया के सिर हैं‚ उनके साथ हमारे मिलाप में ये लोग सम्मिलित नहीं हुएं (मैथ्यू हैनरी कमेंटरी ऑन दि व्होल बाइबल‚ हैंडरीकसन‚ १९९६ पुर्नमुद्रण‚ वॉल्यूम ६‚ पेज ८६३)
मसीह से उनका मिलाप नहीं हुआ था। वे ‘‘हममें से" नहीं थे। डॉ मैगी ने इस पद के विषय में कहा था‚
उनका मिलन मसीह से नहीं हुआ था। वे हममें से नहीं थे। यूहन्ना यहां पर बहुत ही गंभीर और प्रभावशाली कथन कहते हैं। उनका यह कथन आज भी हमारे लिए सार्थक है। प्रभु यीशु ने एक बहुत ही धार्मिक व्यक्ति नीकुदेमस से कहा था कि उसे नया जन्म लेना आवश्यक है। यीशु उससे कहते हैं.......‘‘यदि कोई नये सिरे से न जन्मे तो परमेश्वर का राज्य देख नहीं सकता" (यूहन्ना ३:३) यूहन्ना यहां कहते हैं कि‚ ‘‘वे हममें से होकर निकले परंतु हम में से नहीं हैं।" वे यहोवा प्रभु की सच्ची संतान के जैसे दिखाई देते थे‚ परंतु वास्तव में वे सच्ची संतान नहीं थे (जे वर्नान मैगी‚ उक्त संदर्भित)
जैसे डॉ मैगी दर्शाते हैं कि आप को ‘‘हममें से" होने के लिए नया जन्म लेना आवश्यक है। आप का मिलन यीशु से होना आवश्यक है। ये तब होता है जब आप सच्चे रूप में नया जन्म लेते हैं। यीशु के कथन थे‚
‘‘तुम्हें नये सिरे से जन्म लेना अवश्य है" (यूहन्ना ३:७)
स्वधर्म त्याग की समस्या का हल नये जन्म लेने में है! यह तब होता है जब आप अपने पापों का अंगीकार करते हैं और मसीह के पास आ जाते हैं। जब आप उनके पास आते हैं वे आप को ग्रहण करेंगे और अपने लहू से आप के पापों को धोकर शुद्ध कर देंगे। आप इस बात पर भरोसा रख सकते हैं क्योंकि यह यीशु का किया हुआ वायदा था‚
‘‘जो कुछ पिता मुझे देता है वह सब मेरे पास आएगा‚ उसे मैं कभी न निकालूंगा" (यूहन्ना ६:३७)
जब आप मसीह के पास आते हैं और उनसे एकाकार हो जाते हैं‚ आप को नया जन्म प्राप्त होता है। आप के पाप निरस्त कर दिए जाते हैं और आप यहोवा प्रभु की संतान बन जाते हैं। जब आप मसीह के पास आते व नया जन्म लेते हैं‚ अस्तित्ववाद खत्म हो जाता है। ‘‘ईश्वरविहीन संसार में मनुष्य के बुनियादी एकाकीपन" का उपचार मिल जाता है और जीवित मसीह से जब आप का सामना होता है‚ पाप से आप का बचाव सुनिश्चित हो जाता है। इसके परिणाम स्वरूप आप स्थानीय चर्च के जीवित हिस्से बन जाते हैं। यीशु ने कहा था‚
‘‘जो कुछ पिता मुझे देता है वह सब मेरे पास आएगा‚ उसे मैं कभी न निकालूंगा" (यूहन्ना ६:३७)
क्यों पाप में भटके हुए रहना? घर आइए — यीशु मसीह‚ यहोवा के पुत्र के पास आइए!
चार्ल्स स्पर्जन ने एक संदेश का शीर्षक दिया था‚ ‘‘प्रेम द्वारा सिद्ध जीवन।" यह संदेश यूहन्ना ३:१४ पर आधारित था‚
‘‘हम जानते हैं कि हम मृत्यु से पार होकर जीवन में पहुंचे हैं क्योंकि हम भाइयों से प्रेम रखते हैं" (१ यूहन्ना ३:१४)
चार्ल्स स्पर्जन का कहना था‚
जब तक तुम नया जन्म नहीं लोगे‚ तुम यहोवा प्रभु के अनुग्रह का अर्थ कभी नहीं समझोगे। आप को नया जीवन पाना आवश्यक है‚ पुराने मनुष्यत्व से मरकर नये जीवन में प्रवेश करना आवश्यक है अन्यथा आप ये चीजें समझ नहीं सकेंगे.......‘‘हम जानते हैं कि हम मृत्यु से पार होकर जीवन में पहुंचे हैं क्योंकि हम भाइयों से प्रेम रखते हैं।" इसलिए हे भाइयों‚ अगर हम यह कह सकते हैं कि हम यहोवा प्रभु के लोगों को यहोवा प्रभु के लोग जैसा मानकर प्रेम रखे‚ तो यह एक चिंन्ह होगा कि हम अपने पुराने जीवन से मरकर नये जीवन में पहुंचे हैं (सी॰ एच॰ स्पर्जन‚ ‘‘लाईफ प्रूव्ड बॉय लव" मेट्रोपॉलिटन टैबरनैकल पुल्पिट‚ पिलग्रिम पब्लिकेशंस‚ १९७६ पुर्नमुद्रण‚ वॉल्यूम ४४‚ पेज ८०—८१)
जब हम मन परिवर्तन करके, पुराने मनुष्यत्व से मरकर नये जीवन में प्रवेश करते हैं‚ हम स्थानीय चर्च के भाई बहिनों से भी प्रेम रखते हैं!
अगर चर्च में बनायी मित्रता की कीमत आप जानते हैं तो यह भी सुनिश्चित कीजिए कि आप उद्धार प्राप्त कर चुके हों। बहुत आवश्यक है कि आप उद्धार पाएं। मसीह ‘‘सरेस" के समान स्थानीय चर्च की मित्रता को जोड़े रखते हैं!
अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स आप से सुनना चाहेंगे। जब आप डॉ हिमर्स को पत्र लिखें तो आप को यह बताना आवश्यक होगा कि आप किस देश से हैं अन्यथा वह आप की ई मेल का उत्तर नहीं दे पायेंगे। अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स को इस पते पर ई मेल भेजिये उन्हे आप किस देश से हैं लिखना न भूलें।। डॉ हिमर्स को इस पते पर rlhymersjr@sbcglobal.net (यहां क्लिक कीजिये) ई मेल भेज सकते हैं। आप डॉ हिमर्स को किसी भी भाषा में ई मेल भेज सकते हैं पर अंगेजी भाषा में भेजना उत्तम होगा। अगर डॉ हिमर्स को डाक द्वारा पत्र भेजना चाहते हैं तो उनका पता इस प्रकार है पी ओ बाक्स १५३०८‚ लॉस ऐंजील्स‚ केलीफोर्निया ९००१५। आप उन्हें इस नंबर पर टेलीफोन भी कर सकते हैं (८१८) ३५२ − ०४५२।
(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व मि जैक नैन द्वारा एकल गान गाया गया:
‘‘ब्लेस्ट बी दि टाय दैट बाइंडस" (जॉन फॉसेट द्वारा रचित ‚ १७४०—१८१७)
रूपरेखा स्थानीय चर्च के कपटी लोग और बाइबल THE BIBLE AND TRAITORS TO A LOCAL CHURCH डॉ आर एल हायमर्स जूनि द्वारा लिखित ‘‘वे निकले तो हम ही में से‚ पर हम में के थे नहीं क्योंकि यदि हम में के होते‚ तो हमारे साथ रहते‚ पर निकल इसलिये गए कि यह प्रगट हो कि वे सब हम में के नहीं हैं" (१ यूहन्ना २:१९) १॰ पहिली बात‚ उन्होंने क्या किया‚ प्रेरितों २:४७; २ तीमु ४:१०—११ २॰ दूसरा‚ उन्होंने ऐसा क्यों किया‚ लूका ८:१३ ३॰ तीसरा, कैसे इसे सुधारा जाए‚ यूहन्ना ३:३‚ ७; ६:३७; १ यूहन्ना ३:१४ |