इस वेबसाईट का उद्देश्य संपूर्ण विश्व भर के पास्टर्स व प्रचारकों को, विशेषकर तीसरी दुनिया के पास्टर्स व प्रचारकों को नि:शुल्क हस्तलिखित संदेश और संदेश के विडियोज उपलब्ध करवाना है, जहां बहुत कम धर्मविज्ञान कॉलेज और बाइबल स्कूल्स हैं।
इन संदेशों की पांडुलिपियां प्रति माह २२१ देशों के १,५००,००० कंम्प्यूटर्स पर इस वेबसाइट पते पर www.sermonsfortheworld.com जाती हैं। सैकड़ों लोग इन्हें यू टयूब विडियो पर देखते हैं। किंतु वे जल्द ही यू टयूब छोड़ देते हैं क्योंकि विडियों संदेश हमारी वेबसाईट पर पहुंचाता है। यू टयूब लोगों को हमारी वेबसाईट पर पहुंचाता है। प्रति माह ये संदेश ४२ भाषाओं में अनुवादित होकर १२०,००० प्रति माह हजारों लोगों के कंप्यूटर्स पर पहुंचते हैं। उपलब्ध रहते हैं। पांडुलिपि संदेशों का कॉपीराईट नहीं है। आप उन्हें बिना अनुमति के भी उपयोग में ला सकते हैं। आप यहां क्लिक करके अपना मासिक दान हमें दे सकते हैं ताकि संपूर्ण विश्व में सुसमाचार प्रचार के इस महान कार्य में सहायता मिल सके।
जब कभी आप डॉ हायमर्स को लिखें तो अवश्य बतायें कि आप किस देश में रहते हैं। अन्यथा वह आप को उत्तर नहीं दे पायेंगे। डॉ हायमर्स का ईमेल है rlhymersjr@sbcglobal.net.
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शुभ संदेश सुनाने के लिए — हम जो करते हैं वो क्यों करते हैंWHY WE DO WHAT WE DO – IN EVANGELISM रविवार सुबह ल्योस ऐंजीलिस के बैपटिस्ट ‘‘सड़कों पर और बाड़ों की ओर जाकर लोगों को बरबस ले ही आ ताकि मेरा घर भर जाए" (लूका १४:२३) |
हम शुभ संदेश का प्रचार कार्य करते हैं जिसके कारण हमारे आराधनालय में लोग उस सुसमाचार को सुनने आते हैं। दूसरे आराधनालयों के सदस्य सड़क पर किसी के साथ ‘‘पापियों के लिए" दोहरायी जाने वाली प्रार्थना करते हैं और जब वे व्यक्ति उस प्रण को लेते हैं तो उन्हें आराधनालय आने के लिए आमंत्रित किया जाता है। पहिला कार्य जो हम करते हैं कि लोगों को आराधनालय में सुनने आने के लिए आमंत्रित करते हैं। फिर हम उन्हें आराधनालय लेकर आते हैं। जब वे आते हैं तो यहां अपने मित्र बना लेते हैं। वे प्रचार किया हुआ शुभ संदेश सुनते हैं। कुछ यहीं ठहर जाते हैं और मसीह पर विश्वास करते हैं। वे बड़े अदभुत मसीही जन बन जाते हैं। यह नयी पद्धति हमारे पास्टर डॉ हायमर्स ने विकसित की है। उन्होंने इस उपाय को खोजा क्योंकि उन्होंने देखा भटके हुए लोगों को आराधनालय लाने के लिए दूसरी सारी युक्तियां विफल हो गयी हैं।
डॉ हायमर्स की पद्धति क्या है? आखिर शुभ संदेश सुनने के लिए उन्हें बुलाने के लिए हम करते क्या हैं? बुधवार, गुरूवार और अन्य समयों में हम दो — दो व्यक्ति ल्योस ऐंजीलिस के शापिंग माल्स और अन्य सार्वजनिक स्थानों में जाते हैं। हममें से अधिकतर अपने आप ही यह सब करते हैं। इन स्थानों पर‚ हम लोगों के पास पहुंचते हैं और उनसे बात करते हैं। हम उसी समय उनसे मसीह पर विश्वास करने के लिए कहने का प्रयास नहीं करते हैं। हम उनके साथ ‘‘पापियों के" लिए दोहरायी जानी वाली प्रार्थना भी नहीं करते हैं। इसके बदले हम उन्हें बताते हैं कि हमारे आराधनालय में कैसा माहौल होता है। हमारे आराधनालय में कई युवा लड़के लड़कियां हैं जो उनके अच्छे मित्र बन सकते हैं। वे लोग चर्च आने पर संदेश सुन सकते हैं। (अगर वे सुबह आते हैं) तो दोपहर के भोजन की व्यवस्था है और अगर (संध्या समय) आते हैं तो रात्रि भोज की व्यवस्था है। वे पार्टी में सम्मिलित हो सकते हैं — हम हमारे आराधनालय के हर सदस्य का जन्मदिन मनाते हैं। उनको हमारे यहां आकर बहुत अच्छा लगेगा। तो उनमें से कई लोग आना चाहते हैं!
फिर हम उनसे कहते हैं कि वे अपने नाम और टेलीफोन नंबर दे देवें। उसके पश्चात हम ये नाम और टेलीफोन नंबर हमारे डीकंस और अनुभवी क्रिश्चियन सहायकों को दे देते हैं। ये सहायक उन लोगों को फोन करते हैं और उन्हें हमारे चर्च के बारे में बताते हैं‚ उन्हें आमंत्रण देते हैं। उनके लाने ले जाने के लिए वाहन उपलब्ध करवाते हैं एवं हमारे यहां का एक व्यक्ति उन्हें लाने व छोड़ने की जिम्मेदारी निभाता है। रविवार के दिन हम उन्हें उनके घर से लेते हैं‚ चर्च लेकर आते हैं और फिर उन्हें घर छोड़ देते हैं। कई लोग फोन करने के बाद आने वाले पहिले रविवार को चर्च आते हैं। कुछ दूसरे लोग उस रविवार व्यस्त होते हैं तो अगले रविवार आते हैं। जब वे चर्च आते हैं‚ वे गॉस्पल सुनते हैं और उसके पश्चात भोज में सम्मिलित होते हैं‚ इस दौरान उनके मित्र बन जाते हैं‚ वे जन्मदिन पार्टी में भी सम्मिलित होते हैं — और उनमें से कई पलटकर आते हैं!
यह तरीका कार्य करता है! पिछले पांच सप्ताह में सौ से अधिक लोग हमारे चर्च में पहिली‚ दूसरी या तीसरी बार आए हैं। कुछ चर्च में ही ठहर जाते हैं और मसीह पर विश्वास करते हैं। इस पद्वति से वास्तव में लोग चर्च में आते हैं। यह तरीका काम करता है!
लूका १४:२३ में मसीह ने जो कहा उसका अनुकरण करते हुए शुभ संदेश फैलाने के लिए डॉ हायमर्स ने पद्धति को खोजा‚ ‘‘सड़कों पर और बाड़ों की ओर जाकर लोगों को बरबस ले ही आ ताकि मेरा घर भर जाए।" पहिले हम भटके हुए लोगों को चर्च में लेकर आते हैं। उसके पश्चात वे गॉस्पल सुनते हैं और मसीह पर विश्वास करते हैं। लेकिन आधुनिक अमेरिकन चर्चेस इसके विपरीत पद्वति अपनाते हैं। वे जैसे ही लोगों को गली या सड़क पर मिलते हैं उनसे ‘‘निर्णय लेने वाली" छोटी सी प्रार्थना करवा लेते हैं। परंतु लगभग उनमें से कोई भी पलटकर नहीं आता। उनकी पद्वति के इस्तेमाल से निर्णय लिये जाते हैं न कि सही मायने में मन फिराया जाता है। आज मैं समझाना चाहता हूं कि हम दूसरों की तुलना में शुभ संदेश का प्रचार अलग तरीके से क्यों करते हैं।
हम क्यों बाहर जाकर नाम लाते हैं और लोगों को चर्च आने का आमंत्रण देते हैं और पहिली बार उनसे बात करते समय उन्हें उद्धार मिले ऐसी चेष्टा नहीं करते हैं?
पहिली बात‚ हमारे तरीके बाइबल पर आधारित हैं। ये सारी पद्वतियां नये नियम से प्रेरित हैं। अंद्रियास भी बारह शिष्यों में से एक था। बाइबल कहती है‚
‘‘उन दोनों में से जो यूहन्ना (बपतिस्मादाता) की बात सुनकर यीशु के पीछे हो लिए थे‚ एक तो शमौन पतरस का भाई अन्द्रियास था। उस ने पहिले अपने सगे भाई शमौन से मिलकर उस से कहा‚ कि हम को ख्रिस्तुस अर्थात मसीह मिल गया। वह उसे यीशु के पास लाया: यीशु ने उस पर दृष्टि करके कहा कि तू यूहन्ना का पुत्र शमौन है‚ तू केफा‚ अर्थात पतरस कहलाएगा" (यूहन्ना १:४०—४२)
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हमारे उपदेश अब आप के सेल फोन पर उपलब्ध हैं
WWW.SERMONSFORTHEWORLD.COM पर जाइए
हरे रंग के बटन जिस पर ‘‘एप" शब्द लिखा हुआ है उस पर क्लिक कीजिए।
जो निर्देश आते हैं उनके अनुसार चलिए।
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अंद्रियास तो कुछ भी नहीं जानता था। परंतु वह यह जानता था कि यीशु ही मसीहा थे। अंद्रियास ने लोगों के साथ किसी प्रकार की पापियों के लिए दोहरायी जाने वाली प्रार्थना नहीं की। किंतु वह अपने भाई शमौन पतरस को यीशु के पास लेकर आया। पतरस स्वयं एक शिष्य बन गया था। बाद में जब पतरस ने उद्वार प्राप्त किया और पेंतुकुस्त के दिन प्रचार किया तब तीन हजार लोगों ने मसीह पर विश्वास किया। परंतु इन सब का आरंभ तब हुआ था जब वह मसीह के साथ होकर मसीह से मिला था।
शिष्य फिलिप्पुस ने यही बात नथानियल से कही। उसने नथानियल से कहा‚ ‘‘चलकर देख ले" (यूहन्ना १:४६) शिष्य फिलिप्पुस ज्यादा कुछ नहीं जानता था। परंतु वह यीशु को दिखाने‚ नथानियल को लेकर आया और इस बात ने ही शेष काम किया।
एक दिन यीशु सामरिया नामक स्थान से निकल रहे थे, उन्होंने एक महिला को उद्धार पाने तक उसकी अगुवाई की। वह तो बाइबल नहीं जानती थी। वह यहूदी भी नहीं थी। किंतु उसने यीशु पर विश्वास किया। उसने अपने नगर में जाकर लोगों से पापियों के लिये दोहराई जाने वाली प्रार्थना करने के लिये नहीं कहा। इसके बदले उसने उन्हें आमंत्रण दिया कि आओ देखो, यीशु कैसे हैं। बाइबल में इस पद का उल्लेख है,
‘‘तब (सामरी स्त्री) अपना घड़ा छोड़कर नगर में चली गई‚ और लोगों से कहने लगी। आओ‚ एक मनुष्य को देखो‚ जिस ने सब कुछ जो मैं ने किया मुझे बता दिया: कहीं यह तो मसीह नहीं है?" (यूहन्ना ४:२८‚ २९)
हरेक जन यह कर सकता है — भले ही आप ने उद्वार नहीं पाया हुआ हो। आप को किसी कक्षा में जाकर बाइबल के सिद्धांत सीखने की आवश्यकता नहीं है। आप लोगों के प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास नहीं कर रहे हैं। आप सड़क पर उनसे मिलकर वहीं उन्हें उद्धार पाने का अनुभव नहीं होने दे रहे हैं। आप तो उन्हें सिर्फ आराधनालय आने‚ मित्र बनाने और अच्छा समय बिताने का आमंत्रण दे रहे हैं। हर कोई ऐसा कर सकता है — और हम यही करते हैं।
दूसरी बात‚ हमारा तरीका उपयोगी व कार्य करता है। अनेक चर्चेस बिल्कुल भी सुसमाचार प्रचार के लिये कार्य नहीं करते हैं। अगर वे करते भी हैं तो वे सड़कों पर खड़े होकर कहने लगते हैं या फिर लोगों के घरों के सामने बताना आरंभ कर देते हैं। वे अतिशीघ्र लोगों को ‘‘उद्धार पाने की प्रक्रिया" समझा देते हैं और वहीं के वहीं लोगों से "पापियों द्वारा" दोहरायी जाने वाली प्रार्थना करवा लेते हैं। यह ‘‘निर्णयवाद" कहलाता है। जो व्यक्ति यह प्रार्थना बोलकर "निर्णय" लेता है‚ तो उसे मन फिराया हुआ जन समझा जाने लगता है। वे उसे उद्धार पाया हुआ व्यक्ति मानने लगते हैं। उसके पश्चात चर्च ऐसे व्यक्तियों के और "समीप होना" चाहता है — परंतु उनमें से लगभग कोई भी पलटकर चर्च नहीं आता है। मेरे पिता डॉ कैगन एक बुनियादी बैपटिस्ट चर्च में गये जहां उन्होंने एक सप्ताह में लगभग ९०० लोगों के साथ प्रार्थना की — परंतु चर्च में केवल १२५ लोग ही बने रहे। ९०० लोगों ने निर्णय लिया परंतु वे कभी चर्च नहीं आए। लोगों ने प्रार्थना अवश्य की‚ परंतु उन्होंने मसीह पर विश्वास नहीं किया।
दूसरे चर्चेस जो करते हैं हम ऐसा क्यों नहीं करते हैं? क्योंकि उनकी पद्धति परिणाम नहीं देती है। चर्च के सदस्य सैकड़ों लोगों से पापियों द्वारा दोहरायी जाने वाली प्रार्थना बुलवाते हैं। परंतु उनमें से लगभग कोई भी चर्च नहीं आया। वे मसीही नहीं बने। उन्होंने "निर्णय" तो लिया किंतु उन्होंने मन नहीं फिराया।
जिस स्थान पर हमारी लोगों से मुलाकात होती है‚ हम उसी स्थान पर उन्हें मसीही बनाने का प्रयास क्यों नहीं करते हैं? क्योंकि वे वास्तविक रूप में मसीही नहीं बनते हैं! इसके बजाय हम पहिले उनसे मुलाकात करते हैं और उन्हें अपने चर्च में आमंत्रित करते हैं। हम उनका पहिला नाम और फोन नं पूछ लेते हैं। हमारे डीकंस और अगुवे उनसे टेलीफोन पर बात करते हैं और चर्च आने के लिए आवागमन का साधन उपलब्ध करवाते हैं। हम हमारी स्वयं की कार में उन्हें उनके घर से ले लेते हैं और उन्हें चर्च लेकर आते हैं। हम उनके मित्र बन जाते हैं। रविवार की सुबह व संध्या की आराधना के पश्चात हमेशा हमारे यहां भोजन की व्यवस्था रहती है। हम चर्च में उन्हें प्रसन्नचित्त रखते हैं। फिर हमारे डीकंस और कार्यकर्ता पुनः उन्हें फोन करते हैं और वापस आने का आमंत्रण देते हैं।
हम जो करते हैं तो ऐसा क्यों करते है? क्योंकि यह पद्वति परिणाम देती है। हमारी यह पद्वति लोगों को चर्च लेकर आती है और चर्च से जोड़ती है। चर्च में वे गॉस्पल सुनते हैं। कुछ लोग मसीह पर उसी समय विश्वास कर लेते हैं। परंतु अधिकतर को मन फिराने के पहिले‚ सप्ताह सप्ताह या महिनों तक भी गॉस्पल प्रचार सुनने की आवश्यकता होती है। तब वे उनके शेष जीवन भर मसीही बनकर चर्च में ही बने रहते हैं। अन्य चर्च द्वारा काम में लायी जाने वाली दूसरी पद्वति पाखंड से भरी होती है जो किसी की आत्मा को जीतने का कार्य नहीं करती है!
कुछ महिने पहिले मैं अपने पिता डॉ कैगन और नोहा सोंग के साथ अफ्रीका गया था। हमने यूगांडा‚ केन्या और रवांडा के चर्चेस में प्रचार किया। केन्या में हम पास्टर्स की सभा में बोले। दोपहर देर तक सभा समाप्त हो गयी। डॉ कैगन ने पास्टर्स से कहा‚ चलिये बाहर निकलते हैं और नाम लेकर आते हैं। हम नैरोबी‚ केन्या की गलियों में घूमे जहां पास्टर्स सिंहलीं भाषा में अनुवाद करते जा रहे थे। हमने लोगों से बातें कीं और उनके फोन नंबर्स लिए। हमने उन्हें चर्च आने के लिए आमंत्रण दिया। पास्टर्स ने उनसे फोन पर बात कर उनके आने की व्यवस्था बताई। अगले दिन पांच आगंतुक आए! जब हमने रवांडा के लिए उड़ान भरी‚ पास्टर्स ने फिर इस पद्वति को दोहराया और उनके यहां रविवार को पांच आगंतुक और आए!
प्रचारक बहुत भावविभोर हुए। उनको ऐसी पद्वति मिल गयी थी जो परिणाम देती थी! उन्होंने बताया कि उन्होंने अथक प्रयास किए और सभा के आयोजन में बहुत पैसा बहाया ताकि लोग निर्णय ले सकें। लेकिन उन लोगों में से कोई भी चर्च नहीं आया। पास्टर्स ने सोचा था कि गॉस्पल प्रचार का यही एक तरीका था। लेकिन‚ वे हमारा तरीका सीख कर प्रसन्न थे‚ जिससे वास्तव में लोग चर्च में आते थे।
तीसरी बात‚ हमारी पद्वति न केवल जिनको आमंत्रित किया उनके लिए बल्कि आप के लिए भी अच्छी है। अगर आप नियमित शुभ संदेश प्रचार करने के लिए परिश्रम करते हैं तो यह मेहनत आप को मजबूत मसीही जन बनायेगी। जब आप लोगों को चर्च आते देखेंगे, चर्च से जुड़े देखेंगे और मसीह पर विश्वास करता हुआ देखेंगे, तो आप का विश्वास और अधिक मजबूत होगा। जब आप किसी को आमंत्रित करते हैं तो उनको चर्च आता देख आप को बहुत प्रसन्नता होगी। उनको उद्वार पाया हुआ देख आप को और अधिक प्रसन्नता होगी। मैं चाहता हूं आप को वह आनंद मिले!
हम क्यों छोटे मुद्रित पन्ने नहीं बांटते हैं? कुछ लोग बांटते हैं। शायद आप नहीं जानते हो कि छोटे मुद्रित पन्ने क्या होते हैं। एक छोटा मुद्रित पन्ना‚ प्राय: घड़ी किया हुआ होता है एवं बड़ी संख्या में इसे रूचि रखने वालो के मध्य वितरित किया जाता है। एक छोटे पन्ना कहानी कहता है और उसमें उद्धार की योजना दी रखी होती है। अंत में यह व्यक्ति से कहता है कि प्रार्थना करके मसीह पर विश्वास करे और अपना नाम उस पन्ने पर लिखे।
अनेक चर्चेस में उनके लोग होते हैं जो पन्ने वितरित करते हैं। वे सोचते हैं कि वे लोगों को मसीह के पास ला रहे हैं। परंतु ये पन्ने लोगों को मसीह के पास नहीं लाते हैं। वे उनको चर्च नहीं लेकर आते हैं। वे लोग आखिर कहां हैं? छोटे पन्ने बांटना समय और पैसे का अपव्यय है। इसलिए हम उनका प्रयोग नहीं करते हैं।
हम यह बात कैसे जानते हैं? क्योंकि हमने इसका प्रयास करके देखा। हमने लाखों पन्ने बांटे थे। लोगों ने उनको पढ़ा भी। परंतु पढ़कर उनमें से कोई भी चर्च नहीं आया! उन्होंने जब वह पन्ना पढ़ा तो वे मसीही भी नहीं बने। यह पद्वति बाइबल आधारित नहीं है। बाइबल कभी मसीही लोगों को ऐसे पन्ने वितरित के लिए नहीं कहती है। परंतु बाइबल कहती है कि बाहर निकल कर भटके हुए जनों को बाध्य करें कि — वे स्थानीय आराधनालय में आएं! और हम यही करते हैं।
हम क्यों दो दो लोग जाते हैं? क्योंकि यीशु ने अपने शिष्यों को इसी रीति से भेजा था। बाइबल में कहा है कि मसीह ‘‘बारहों को अपने पास बुलाकर उन्हें दो दो करके भेजने लगा" (मरकुस ६:७) फिर से बाइबल कहती है ‘‘प्रभु ने सत्तर और मनुष्य (नियुक्त किए) और जिस जिस नगर और जगह को वह आप जाने पर था‚ वहां उन्हें दो दो करके अपने आगे भेजा" (लूका १०:१)
बेशक‚ आप अपने आप भी शुभ संदेश प्रचार करने निकल सकते हैं। बाइबल कभी इसके लिए मना नहीं करती है। इसमें कुछ गलत भी नहीं है। परंतु दो दो करके जाना बाइबल की पद्वति हैं और यह उपयोगी है!
दो दो करके जाना और अधिक लोगों को चर्च में लेकर आता है। ल्यॉस ऐंजीलिस और दूसरे बड़े शहरों में लोग रहस्यमय होते है। जिसको वे नहीं जानते हैं‚ उससे बात नहीं करना चाहते है। युवा लोग बूढ़े लोगों के प्रति शंकित होते हैं। लड़कियां लड़कों के प्रति शंकालू रहती है। दो लोगों का साथ जाना‚ लोगों का भय दूर करने में सहायक होगा और इससे और नाम मिल सकेंगे।
दो लोगों का साथ जाना आप के लिए भी अच्छा है। अधिक अनुभवी मसीही जन के साथ जाने से आप सीखते हैं कि कैसे लोगों को चर्च में आमंत्रित करते हैं और ऐसा करने में फिर परेशानी भी नहीं आती है। शुरूआत में आप को डर लग सकता है। आप को समझ नहीं आता है कि क्या किया जाए। परंतु किसी को साथ लेकर जाने से आप सीखते हैं कि आमंत्रण कैसे दिया जाए। जल्द ही आप स्वयं नाम लेकर आने लगेंगे!
आप को अच्छी मसीही संगति मिलेगी। यीशु के लिए कार्य करना आप को अन्य दूसरे सहकर्मी मसीही जन के और समीप ले आएगा। ‘‘साथ कार्य करने की सहभागिता" अपने आप में शानदार सहभागिता है।
हम कैसे जान लेते हैं कि दूसरा तरीका कार्य नहीं करता है? क्योंकि हमने बरसों तक वहतरीका आजमाया! हम हर घर के दरवाजे पर गये और बिली ग्राहम द्वारा दिया गया मुद्रित पन्ना जिस पर उद्धार पाने की योजना का वर्णन था‚ बांटा। हमने उनके दरवाजे पर या गलियों में पापियों के लिए दोहरायी जाने वाली प्रार्थना की। हमने लाखों पन्ने वितरित कर दिए। परंतु इन तरीकों से लोग नहीं आए। उन्होंने मन नहीं फिराया। तो यह तरीका काम नहीं आया।
परंतु हमारा तरीका निश्चय कार्य करता है! लॉस ऐंजीलिस के मध्य में हमारा चर्च है। लॉस ऐंजीलिस ईश्वरविहीन और दुष्टता से भरा शहर है। यहां सब प्रकार के पाप कर्म घटित होते हैं। लोगों की जीवन शैली में अति व्यस्तता है‚ अपनी नौकरी‚ स्कूल‚ परिवार व मित्रों में सब व्यस्त रहते हैं। कई भटकाने वाले साधन जैसे इंटरनेट‚ टेलीविजन‚ आयफोन और अन्य दूसरी बातें मौजूद हैं। बहुत कम लोग चर्च जाते हैं। बहुत कम सच्चे मसीही जन हैं। हमने गलियों में खड़े होकर लोगों के साथ प्रार्थना की‚ परंतु इससे भी लोग नहीं आए। इससे आराधना समूह नहीं बन पाता है। इससे हम लोगों को मसीह के लिए नहीं जीत पाते हैं।
हमने अनुभव से सीखा है। हम बाहर निकले और लोगों को चर्च के लिए आमंत्रित किया। फिर हम उन्हें चर्च लेकर आए‚ जहां उनको मित्र भी मिल जाते हैं और वे गॉस्पल भी सुनते हैं। हर रविवार हमारे चर्च में बाहर के लोग रहते हैं। वे दूसरे चर्च से आये हुए लोग नहीं होते हैं। वे मसीही परिवारों से आए हुए लोग नहीं होते हैं। वे संसार के लोग होते हैं‚ संसार की बुराईयों से भरे हुए। और उनमें से ही कुछ अदभुत मसीही जन बन जाते हैं। इसलिए हमारा चर्च आत्मिक और सजीव है। हमारा तरीका सच्चे मसीही जन उत्पन्न करता है और उनके लिए हम परमेश्वर यहोवा को धन्यवाद देते हैं! आमीन।
अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स आप से सुनना चाहेंगे। जब आप डॉ हिमर्स को पत्र लिखें तो आप को यह बताना आवश्यक होगा कि आप किस देश से हैं अन्यथा वह आप की ई मेल का उत्तर नहीं दे पायेंगे। अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स को इस पते पर ई मेल भेजिये उन्हे आप किस देश से हैं लिखना न भूलें।। डॉ हिमर्स को इस पते पर rlhymersjr@sbcglobal.net (यहां क्लिक कीजिये) ई मेल भेज सकते हैं। आप डॉ हिमर्स को किसी भी भाषा में ई मेल भेज सकते हैं पर अंगेजी भाषा में भेजना उत्तम होगा। अगर डॉ हिमर्स को डाक द्वारा पत्र भेजना चाहते हैं तो उनका पता इस प्रकार है पी ओ बाक्स १५३०८‚ लॉस ऐंजील्स‚ केलीफोर्निया ९००१५। आप उन्हें इस नंबर पर टेलीफोन भी कर सकते हैं (८१८) ३५२ − ०४५२।
(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व मि जैक नैन द्वारा एकल गान गाया गया:
‘‘ब्रिंग देम इन" (एलिक्सना थॉमस‚ १९ वीं सदी)