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उसने मनुष्यों को पेड़ों की तरह चलते हुए देखा!

HE SAW MEN AS TREES WALKING!
(Hindi)

डॉ आर एल हायमर्स‚ जूनि
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

ल्यॉस ऐंजीलिस के बैपटिस्ट टैबरनैकल में रविवार संध्या २६ अगस्त‚ २०१८
को प्रचार किया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Evening, August 26, 2018

‘‘और वे बैतसैदा में आए; और लोग एक अन्धे को उसके पास ले आए और उस से बिनती की कि उस को छूए। वह उस अन्धे का हाथ पकड़कर उसे गांव के बाहर ले गया और उस की आंखों में थूककर उस पर हाथ रखे और उस से पूछा; क्या तू कुछ देखता है? उस ने आंख उठा कर कहा; मैं मनुष्यों को देखता हूं क्योंकि वे मुझे चलते हुए दिखाई देते हैं‚ जैसे पेड़। तब उस ने फिर दोबारा उस की आंखों पर हाथ रखे और उस ने ध्यान से देखा और चंगा हो गया और सब कुछ साफ साफ देखने लगा’’ (मरकुस की पुस्तक ८:२२—२५)


मसीह बैतसैदा में आये परंतु उन्होंने प्रचार नहीं किया। उनके शिष्य बैतसैदा में एक अंधे युवक को उनके पास लेकर आये। मसीह ने किंतु उसको उस नगर में अच्छा नहीं किया। बैतसैदा वह स्थान था जहां यीशु ने पांच रोटी और दो मछली को आशीषित कर ५००० लोगों को खिलाने योग्य भोजन में बदल दिया और ५००० लोगों को भोजन करवाया (मरकुस की पुस्तक ६:३८—४४)। यीशु वहां समुद्र के जल पर चले और अनेक आश्चर्यकर्म उस नगर में किये गये। तौभी बैतसैदा के लोगों ने अपने पापों से मन नहीं फिराया और यीशु पर विश्वास नहीं किया। इसलिए यीशु ने उस नगर को श्राप दिया। मसीह ने कहा ‘‘न्याय दिवस’’ पर इस नगर का कड़ा न्याय किया जायेगा।

अब मसीह और उनके शिष्य पुनः उस श्रापित नगर में आए हुए हैं।

‘‘और वे बैतसैदा में आए; और लोग एक अन्धे को उसके पास ले आए और उस से बिनती की कि उस को छूए’’
(मरकुस की पुस्तक ८:२२)

निम्नलिखित बिंदुओं में यह एक तस्वीर है कि कैसे एक युवा पापग्रस्त शहर लॉस ऐंजीलिस में मन फिराता है।

१॰ वह नगर श्रापित ठहराया गया‚ किंतु चुना हुए अंधा मनुष्य श्रापित नहीं था!

‘‘चुने गये’’ वे लोग होते हैं जो इस जगत की उत्पत्ति के पहिले से परमेश्वर यहोवा द्वारा उद्धार दिये जाने के लिये ठहराये जाते हैं‚ जैसा बाइबल में लिखा हुआ है कि ‘‘उद्धार‚ चुने हुओं को मिला और शेष लोग कठोर किए गए हैं’’ (रोमियों ११:७)। पूरा नगर ही मन की आंखों से देख पाने के लिये अंधा बना दिया गया‚ यहोवा परमेश्वर द्वारा त्याग दिया गया क्योंकि उन्होंने यीशु को मानने से इंकार किया था — तौभी‚ उस संपूर्ण नगर के श्रापित होने के उपरांत भी एक मनुष्य था जो उद्धार पाने के लिये ठहराया हुआ था। शिष्य उस मनुष्य को यीशु के पास लेकर आये!

‘‘चुने गये’’ अर्थात चुनना या पसंद कर लेना। सृष्टि के निर्माण के पूर्व यहोवा परमेश्वर ने मनुष्य जाति में से पसंद कर लिया था कि किनको उद्धार मिलेगा

वह अंधा आदमी उन चुने हुओं में से एक था। इसलिये शिष्य इस एक मनुष्य के पास भेजे गये कि उसे यीशु के पास लेकर आयें!

अब उस संपूर्ण नगर पर धिक्कार थी‚ यीशु का इंकार किये जाने के कारण वे न्याय के वश में हुए। हम लोगों को बाहर जाकर चर्च में आने के लिए आमंत्रण देते हैं। हम अवगत हैं कि उनमें से अधिकतम नहीं आयेंगे। हम अवगत हैं उनकी विचारधारा से जो कहती है उन्हें उद्धार की क्या आवश्यकता‚ उनके लिये तो नाना प्रकार से पहिले ही उद्धार उपलब्ध है। हम अवगत हैं इस बात से कि लॉस ऐंजीलिस के अधिकतर लोग शैतान के नियंत्रण में हैं। उन्हें नापसंद हैं कि वे चर्च आयें और यीशु के बारे में सुनें! तौभी हम बाहर जाकर लोगों को चर्च चलने के लिए आमंत्रित करते हैं‚ यह जानते हुए भी कि उनमें से बहुतों को कभी‚ कभी उद्धार नहीं मिलेगा क्योंकि परमेश्वर यहोवा उन्हें पहिले ही अस्वीकार कर चुके हैं। बाइबल कहती है‚ ‘‘इसलिये परमेश्वर ने उन्हें..........नीच कामनाओं के वश में छोड़ दिया.......... वे (ऐसे मनुष्य हैं) यहोवा परमेश्वर से घृणा करने वाले हैं, अहंकारी, डींगे हांकने वाले, माता पिता की आज्ञा नहीं मानने वाले........जो भले हैं‚ उन्हें तुच्छ जानने वाले..........परमेश्वर के नहीं वरन सुखविलास ही के चाहने वाले’’ (रोमियों १:२६—३० ; २ तिमोथियुस ३:३—४)

हां, हम जानते हैं कि हमारा नगर पाखंडियों, मेरीजुएना के आदी, सैक्स के व्यसनी, निकम्मे लोग, विकृत‚ और यीशु मसीह से नफरत करने वालों लोगों से भरा हुआ है। मैंने इस यहोवा परमेश्वर विहीन शहर में प्रचार करते हुए साठ साल गुजारे हैं!

परंतु तौभी मैं जानता हूं कि इस शहर की हजारों हजार पथभ्रष्ट लोगों की भीड़ में कहीं किसी इमारत में‚ कहीं किसी टेढ़ी मेढ़ी गली में‚ किसी विधालय में‚ कोई एक युवक या युवती तो होंगे‚ जिन्हें यीशु मसीह द्धारा उद्धार पाये जाने के लिये चुना गया होगा‚ वह मसीह जो परमेश्वर यहोवा के एकमात्र पुत्र हैं!!! मैं मानता हूं कि आप ही वहीं चुने हुए जन हैं!

वह युवक या युवती इस आराधना भवन में आयेंगे, यहोवा की आत्मा द्वारा प्रज्जवलित किये जायेंगे, शैतान के चंगुल से मुक्त होंगे और क्रूस पर बहाये यीशु के अनमोल लहू से धुलकर अपने पापों से शुद्ध होगे!!!

उन क्रूसित यीशु के लहू से उद्धार पाये हुए!
   पापों से मुक्ति पाकर एक नया कार्य आरंभ हुआ उनके भीतर‚
गाओं यहोवा की प्रशंसा और पुत्र की महिमा‚
   क्रूसित यीशु के लहू से उद्धार पा लिया है!
उद्धार पाया! उद्धार पाया! मेरे पाप सब क्षमा हुए मेरा दोष सब गया!
उद्धार पाया! उद्धार पाया! मैंने क्रूसित यीशु के लहू से उद्धार पाया है!
(‘‘यीशु के लहू से उद्धार पाये हुए’’ एस जे हैंडरसन‚ १९०२)

आमीन! यहोवा की तारीफ! हैल्लेलुयाह! मैंने क्रूसित यीशु के लहू से उद्धार पाया है!

यह युवक यहोवा परमेश्वर का चुना हुआ था। शिष्य उसके पास पहुंचते हैं कि उसे पापमयी‚ नारकीय नगर से बाहर निकाल लायें — ठीक वैसे ही‚ जैसे हम बाहर गये और आप को पाया! और वे इस अंधे लड़के को यीशु के पास लेकर आये! आमीन! नगर श्रापित‚ दंड पाने योग्य था‚ किंतु चुना हुए अंधा युवक श्रापित नहीं था! वे उसे यीशु के पास लेकर आये!

२॰ दूसरा‚ वह जवान लड़का नेत्रहीन था।

वह पूर्ण रूप से नेत्रहीन था — बिल्कुल ही देख नहीं पाता था! इतना नेत्रहीन की कहीं कोई आकृति भी नहीं दिखती थी!!! आप समझ सकते है नितांत अंधेरा उसकी आंखों के सामने था! हां, वह जवान पुरूष अंधा था - पूर्ण रूप से अंधा!

अब यहां इसका कुछ अर्थ निकल कर आता है! यह तो तय था कि वह बिल्कुल अंधा था! परंतु बाइबल के नये नियम में इसका अर्थ और बढ़कर प्रस्तुत है! अर्थात जैसे‚ मैथ्यू हैनरी की व्याख्या कहती है कि उसे ‘‘आत्मिक अंधापन’’ भी था! लूका का सुसमाचार प्रकट करता है कि यीशु ने यशायाह की पुस्तक में की गयी भविष्यवाणी को पूर्ण किया‚ जिसमें ‘‘अंधों के दृष्टि पाने’’ का वर्णन है (लूका ४:१८ )।

यीशु उस अंधे युवा का हाथ थामते हैं‚ ‘‘और उसे बाहर ले आते हैं’’ (मरकुस की पुस्तक ८:२३) । इसका अर्थ है कि जिसको यीशु द्वारा अपने आत्मिक अंधत्व से छुटकारा पाना होता है‚ उसे शेष आत्मिक अंधों की भीड़ से दूर होने की आवश्यकता है। बाइबल का कथन‚

‘‘अविश्वासियों के साथ असमान जूए में न जुतो........उन के बीच में से निकलो और अलग रहो‚ प्रभु कहते हैं........और मैं तुम्हारा पिता हूंगा‚ और तुम मेरे बेटे और बेटियां होगे यह सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर का वचन है’’ (२ कुरूंथियों ६:१४‚१७—१८)

कई बार युवा बच्चे उद्धार पाना चाहते हैं। यहोवा परमेश्वर को जानना चाहते हैं। किंतु अपने पाप ग्रस्त मित्रों द्वारा रोक दिये जाते हैं — यीशु के लिये उन मित्रों का साथ नहीं छोड़ पाते हैं। इसके पहिले कि वह युवा आंखों की रोशनी प्राप्त करे यह अच्छा हुआ कि यीशु उस लड़के को ‘‘हाथ थाम नगर से बाहर’’ लेकर गये। उसे उस नगर की नारकीय संगति से बचाना आवश्यक था। आप भी बाहर आइये! बाहर निकल आइये! उसे उन पथभ्रष्ट मित्रों से दूर रखना था‚ जो उसे अंधा ही बनाये रखना चाहते थे! मैं नहीं मानता कि अगर वह लड़का वहां के अपने मित्रों के साथ बैतसैदा में ही बना रहता तो कभी अंधेपन से छुटकारा पा सकता था!

३॰ तीसरी बात‚ उसकी ज्योति क्रमिक रूप से वापस आ गयी।

‘‘उस की आंखों में थूककर (शब्दशः ‘‘आंखों में अंदर थूककर’’) यीशु ने उस पर हाथ रखे और उस से पूछा; क्या तू (कुछ) देखता है? उस ने आंख उठा कर कहा; मैं मनुष्यों को देखता हूं; क्योंकि वे मुझे चलते हुए दिखाई देते हैं‚ जैसे पेड़। तब उस ने फिर दोबारा उस की आंखों पर हाथ रखे‚ और उस ने ध्यान से देखा और चंगा हो गया‚ और सब कुछ साफ साफ देखने लगा’’ (मरकुस ८:२३—२५)। नीतिवचन की पुस्तक इस पर अच्छी व्याख्या देती है‚

‘‘परन्तु धर्मियों की चाल उस चमकती हुई ज्योति के समान है‚ जिसका प्रकाश दोपहर तक अधिक अधिक बढ़ता रहता है’’ (नीतिवचन ४:१८)

सर्वप्रथम तो आप आत्मिक रूप से अंधे होते हैं। आप चर्च में आते हैं‚ प्रारंभ में तो जो कुछ आप सुनते हैं‚ समझ नहीं आता है। तब आप को महसूस होने लगता है कि यीशु आप की मदद कर सकते हैं। आप आशा रखना आरंभ करते हैं कि ये बातें समझने में वे आप की सहायता करें। किंतु न तो आप उन्हें देख सकते हैं‚ न महसूस कर सकते हैं। तब यह वचन आप के उपर लागू होता है ‘‘अब विश्वास आशा की हुई वस्तुओं का निश्चय और अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण है’’ (इब्रानियों की पुस्तक ११:१)

शिष्य थोमा ने कह दिया था‚ ‘‘मैं विश्वास नहीं करूंगा।’’ तब यीशु ने स्वयं को थोमा के सामने प्रकट किया‚ वह पुकार उठा‚ ‘‘प्रभु‚ मेरे प्रभु।’’ यीशु थोमा से बोले‚ ‘‘धन्य हैं वे जो बिना देखे विश्वास करते हैं।’’ दो हजार सालों की अवधि में यीशु उन हजारों लोगों को उद्धार दे चुके हैं ‘‘जिन्होंने यीशु को देखे बिना उन पर विश्वास किया।’’

जॉन कैगन की गवाही सुनिये। उसने कहा था‚ ‘‘मुझे बिल्कुल मन में शांति नहीं थी। लग रहा था कि मैं मर रहा हूं ......... (पर) तब यह स्पष्ट हो गया था कि जो मुझे करना है‚ वह है (यीशु) पर विश्वास करना। यह कोई भौतिक भावना पैदा नहीं हुई थी। मुझे किसी भावना की आवश्यकता ही नहीं पड़ी। क्योंकि अब मेरे पास मसीह थे! मैंने एकमात्र यीशु की ओर ही ताका! वह केवल मेरा विश्वास था कि मैं जान गया कि यीशु ने मेरे सारे पापों को धो दिया है। मैं स्वयं आश्चर्य में पड़ा था कि कैसे किसी ठोस प्रमाण को पाये बिना मैं उद्धार पा गया किंतु.......मुझे धीरे धीरे शांति मिलने लगी जब मैंने सावधानीपूर्वक विचार किया कि मेरा विश्वास यीशु पर टिका हुआ है। मेरे लिये केवल यीशु ही उत्तर हैं।’’

फिलिप चान की गवाही सुनिये। मुझे याद आता है कि‚ ‘‘मैं सोचता था कि मैं कभी भी यीशु की ओर मन नहीं लगाउंगा। मैंने संदेह करना भी आरंभ कर दिया कि मेरा मन फिराना सच्चा भी है कि नहीं.......(तभी) मैंने डॉ हायमर्स को यह कहते सुना जिनके पास मसीह नहीं होते हैं‚ कैसे शैतान उन को आत्मिक तौर पर अंधा बना देता है। जो एक कार्य शैतान अवश्य करता है कि भटके हुए मनुष्य की विचारधारा में कार्य करता है। व्यक्ति को लगने लगता है कि उद्धार पाने के किसी आश्वासन की आवश्यकता है। तब डॉ हायमर्स बोल उठे मुझे केवल और केवल यीशु पर विश्वास रखना है। और किसी पर नहीं‚ किसी पर नहीं। उसके पूर्व (मेरा दिमाग) संशय की लहरों के उतार चढ़ाव में था‚ मैं आत्म परीक्षण में डूबने लगा.......पर तब वहां यीशु उपस्थित थे। इस मनोदशा में यीशु मुझे स्वीकारने के लिये बांहे फैलायें इंतजार कर रहे थे! कैसे मैं अपने पापों को अपने में समाये रख‚ यीशु की ओर नहीं ताकता‚ वह यीशु जो मेरी आत्मा से बहुत प्यार करते हैं? मैं घुटनों के बल बैठ गया और यीशु पर ही विश्वास किया। मैंने अपने अंदर किसी भावना पैदा होने की राह नहीं तकी। मैंने शैतान के झूठ सुनने के लिये इंतजार नहीं किया। मुझे मेरे पापों से शुद्ध होने के लिये यीशु के पास जाने की आवश्यकता थी। अब इंतजार खत्म हुआ! किसी आश्वासन पाने की भावना पैदा ही नहीं हुई। मैंने (एकमात्र) यीशु ही पर विश्वास किया और वे ही मेरी आशा और भरोसा बन गये। मेरे पापों की भारी गठरी उन्होंने उतार दी। अपने स्वयं के लहू से मेरे पापों का दर्ज विवरण मिटा डाला। अब मुझे वह भक्ति गीत याद आता है ‘‘यीशु मेरी आत्मा के प्रेमी।’’ और याद आता है कि यीशु के रूप में मेरा एक मित्र है। परमेश्वर यहोवा को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने अपने एकमात्र पुत्र को भेजा ताकि वे अपने लहू से मेरे पापों को धोकर क्षमा कर देवें!’’

अब उस लड़की के शब्द सुनिये जो अनेक सालों से यीशु को मानने से इंकार करती आयी। कहती है कि‚ ‘‘मुझे मेरे पापों का गहरा बोध होता था परंतु बिल्कुल असहाय महसूस करती थी। लगभग हर दिन प्रार्थना करती थी। इन संदेशों की हस्तलिपियों को पढ़ा करती थी। इन्होंने भी मेरी सहायता नहीं की क्योंकि मैं तो और विश्वास रखना चाह रही थी। मैंने डॉ कैगन से कहा कि मेरा दिमाग बहुत उलझन में लगता है और मैं यीशु के पास नहीं आ सकती हूं। तब डॉ कैगन का जवाब था‚ ‘उलझे हुए दिमाग के साथ ही यीशु के पास आ जाइये!’ मेरे मन फिराने के थोड़ी देर पहिले मि ग्रिफिथ ने एक गीत गाया ‘अगर राह तकोगे कि और अच्छा बनूंगा तो आउंगा यीशु के पास‚ तो फिर कभी नहीं आ सकोगे यीशु के पास’ (मैं जानती थी) कि मेरी (भावनायें) और मेरी मनोदशा कभी विश्वसनीय नहीं हैं‚ इसलिए उन पर विश्वास नहीं रखा जा सकता है। जब मैंने यीशु पर विश्वास किया उन्होंने मेरे पापों को क्षमा कर दिया और मुझे मेरे सारे पापों से शुद्ध कर दिया। उन्होंने मेरे सारे पापों को अपने कीमती लहू से धोकर शुद्ध कर दिया। यीशु ने मुझे शैतान और उसकी पकड़ से आजाद कर दिया! मैं तो यीशु की गुलाम बनना पसंद करूंगी जो मेरी आत्मा को प्रिय जानते हैं‚ मेरी देखभाल करते हैं‚ बजाय उस शैतान के जो बंधन में जकड़े रख‚ मुझे बर्बाद कर चुका होता और अंत में नर्क भेजता।’’ आइये गीत की पुस्तिका में से गीत संख्या २ को गाते हैं। अपने स्थानों पर कृपया खड़े हो जाइये!

यीशु मेरी आत्मा के प्रेमी‚
   मुझे अपने हृदय तक उड़कर आने दीजिये‚
जब जल राशि उछालें ले रही हो‚
   तूफान अभी भी उंचा उठा हो:
मुझे अपने अंक में छिपा लीजिये‚ मेरे मसीहा‚
   छिपा लीजिये जब तक जिंदगी का तूफान गुजर न जाये;
अपने मार्गदर्शन में सुरक्षित रख लीजिये;
   मेरी आत्मा को अंततः ग्रहण कर लीजिये!
(‘‘यीशु मेरी आत्मा के प्रेमी’’ चार्ल्स वैस्ली‚ १७०७—१७८८)

अब आप बैठ सकते हैं।

मैं जानता हूं कि आप चाहते हैं कि आप के पाप धुल के शुद्ध हो जायें! मैं जानता हूं कि आप चाहते हैं कि यीशु आप को उद्धार देवें! सिद्ध होने का प्रयास भी मत कीजिए। बस ऐसी अपेक्षा रखिये कि यीशु आपको आप के अपराध बोध और पाप से बचायेंगे। सिद्धता तो बाद में आयेगी। अब यीशु के शब्द सुनिये। सीधे उनके मुख से कहे गये इन वचन।

‘‘हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों‚ मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा’’ (मत्ती ११:२८)

‘‘हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों‚ मेरे पास आओ।’’ जब कभी आप रात्रि विश्राम के लिये जाते हैं तब अक्सर मन पाप से बहुत भारी भारी लगता है। दिशा भटकी हुई प्रतीत होती है। रात्रि में बिस्तर पर अपने किये गये पापों पर विचार करते होंगे। बिस्तर पर क्यों चिंतित होते हुए सोना? यीशु का आमंत्रण है‚

‘‘हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों‚ मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा’’

आप को किसी भावना आश्वासन की आवश्यकता नहीं है। आप को विश्राम चाहिये। आप की आत्मा के लिये विश्राम। गीत पुस्तिका में से गीत संख्या ३ को गायेंगे।

तेरी मधुर आवाज मैं सुनता हूं प्रभु‚
   बुलाती मुझे प्रभु‚ अपने पास
अपने अनमोल लहू से शुद्ध करने के लिये
   जो कलवरी पर बहता है।
आता हूं‚ प्रभु! आता अब तेरे पास!
   धो के शुद्ध कर मुझे उस लहू से
जो बहता क्रूस से ही।
(‘‘आय एम कमिंग लार्ड’’ लैविस हार्टसौ‚ १८२८—१९१९)

यीशु पर विश्वास रखने के संबंध में आप हमसे कोई बात साझा करना चाहते हैं तो कृपया आइये‚ आगे की दो पंक्तियों में आकर बैठ जाइये। आमीन।


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(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व मि बैंजामिन किकेंड ग्रिफिथ द्वारा एकल गान:
‘‘आय एम कमिंग लार्ड’’ (रचनाकार‚ लैविस हार्टसौ‚ १८२८—१९१९)


रूपरेखा

उसने मनुष्यों को पेड़ों की तरह चलते हुए देखा!

HE SAW MEN AS TREES WALKING!

डॉ आर एल हायमर्स‚ जूनि
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

‘‘और वे बैतसैदा में आए; और लोग एक अन्धे को उसके पास ले आए और उस से बिनती की‚ कि उस को छूए। वह उस अन्धे का हाथ पकड़कर उसे गांव के बाहर ले गया और उस की आंखों में थूककर उस पर हाथ रखे और उस से पूछा; क्या तू कुछ देखता है? उस ने आंख उठा कर कहा; मैं मनुष्यों को देखता हूं; क्योंकि वे मुझे चलते हुए दिखाई देते हैं‚ जैसे पेड़। तब उस ने फिर दोबारा उस की आंखों पर हाथ रखे और उस ने ध्यान से देखा और चंगा हो गया और सब कुछ साफ साफ देखने लगा’’ (मरकुस की पुस्तक ८:२२—२५)

१॰ पहिला‚ वह नगर श्रापित ठहराया गया‚ किंतु चुना हुए अंधा मनुष्य श्रापित नहीं था!
रोमियों ११:७; रोमियों १:२६—३०; २ तिमोथि. ३:३‚४

२॰ दूसरा‚ वह जवान लड़का नेत्रहीन था‚ लूका ४:१८; मरकुस ८:२३;
२ कुरूंथियों ६:१४‚१७—१८

३॰ तीसरा‚ उसकी ज्योति क्रमिक रूप से वापस आ गयी‚ मरकुस ८:२३—२५;
नीतिवचन ४:१८; इब्रानियों ११:१; मत्ती ११:२८