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नर्क के द्वारों पर अधिकार कर लीजिए!STORMING THE GATES OF HELL! डॉ आर एल हायमर्स जूनि. रविवार की सुबह लॉस ऐंजीलिस के बैपटिस्ट टैबरनेकल में |
बाइबल में से मत्ती की पुस्तक के अध्याय को निकाल लीजिए‚ पद के दूसरे भाग को। यह स्कोफील्ड बाइबल की पेज संख्या १०२१ पर मिलता है। यीशु ऐसा बोले थे‚
‘‘मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊंगा और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे" (मत्ती १६:१८ब)
व्याख्याकार आर एच लैंस्की के अनुसार‚ ‘‘अनुमान यह लगाया जाता है कि नर्क के द्वार मसीह की जीवंत कलीसिया पर अपनी (दुष्टात्मों को) उड़ेल देंगे, पर तौभी कलीसिया को परास्त नहीं किया जा सकेगा" (लैंस्की‚ मत्ती पर व्याख्या १६:१८ब) बेशक जिस चर्च कलीसिया के लिये कहा गया है वे मसीह के जीवंत चर्च होंगे न कि आज कल के प्रचलित विधर्मी चर्च। बाइबल ने चर्चेस की इस दशा के लिये भविष्यवाणी कर दी थी‚
‘‘परन्तु आत्मा स्पष्टता से कहता है कि आने वाले समयों में कितने लोग भरमाने वाली आत्माओं और दुष्टात्माओं की शिक्षाओं पर मन लगाकर विश्वास से बहक जाएंगे" (१ तिमोथियुस ४:१)
शैतान और उसके साथी दुष्टात्माओं की सारी गतिविधियां‚ झूठे चर्च में लोगों को‚ यहोवा परमेश्वर के बाइबल में कहे गये शब्दों पर रखे गये ‘‘विश्वास से डिगाने के लिये होती हैं।"
इस प्रकार से ‘‘अंतिम समय" के झूठे चर्च का उदय होता है‚ जैसा २ तिमोथियुस ३:१—८ में कहा गया है‚ जहां अधिकतर चर्च सदस्य
‘‘परमेश्वर के नहीं वरन सुखविलास ही के चाहने वाले होंगे। वे भक्ति का भेष (बाहरी तौर पर) तो धरेंगे‚ पर उस की शक्ति को न मानेंगे‚ ऐसों से परे रहना" (२ तिमोथियुस ३:४‚५)
इस तरह बाइबल में हम देखते हैं कि वर्तमान में दो प्रकार के चर्च पाये जाते हैं — झूठा चर्च और सच्चा चर्च। केवल सच्चे चर्च से यहोवा परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की है‚
‘‘मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊंगा और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे " (मत्ती १६:१८ब)
आज अमेरिका में तो हम बहुत सारे झूठे चर्चेस से घिरे हुए हैं। ये झूठे चर्च लौदिकिया की कलीसिया के समान हैं‚ जिसके विषय में स्कोफील्ड व्याख्या कहती है कि वे ‘‘मसीह पर अविश्वास की अंतिम अवस्था" को प्रगट करते हैं। मसीह ने लौदिकिया के चर्च का जो वर्णन किया था‚ वह आज के झूठे चर्चेस पर कितना सटीक लागू होता हैः
‘‘तू जो कहता है कि मैं धनी हूं और धनवान हो गया हूं और मुझे किसी वस्तु की घटी नहीं और यह नहीं जानता कि तू अभागा और तुच्छ और कंगाल और अन्धा और नंगा है" (प्रकाशितवाक्य ३:१७)
‘‘सो इसलिये कि तू गुनगुना है और न ठंडा है और न गर्म‚ मैं तुझे अपने मुंह में से उगलने पर हूं" (प्रकाशितवाक्य ३:१६)
दुष्टात्माओं की शिक्षाओं पर मन लगाकर (१ तिमोथी ४:१) और क्रिश्चियनिटी का केवल बाहरी मुखौटा पहनकर (२ तिमोथी ३:४‚५) आज हालत यह हो गयी है कि अंतिम युग के ये इवेंजलीकल कहलाये जाने वाले चर्च पूरी तरीके से मसीह पर अविश्वास रखने के कारण विधर्मी हो गये हैं।
जैसा डॉ जॉन मैकआर्थर ने सही कहा था कि चर्च के इन सदस्यों में उत्साह की कमी है और वे ‘‘उदासीन‚ पाखंडी‚ यह कहने वाले कि वे मसीह को जानते हैं परन्तु वे वास्तव में मसीह के हैं नहीं.......... ये स्वयं को धोखा देने वाले नामधारी क्रिश्चियन‚ मसीह को दुखी करते हैं (चिढ़ पैदा करते) हैं।‘‘ यद्यपि डॉ मैकआर्थर मसीह के लहू के विषय में उनके विचारों को लेकर गलत हैं‚ परन्तु वे ‘‘स्वयं को धोखा देने वाले ढोंगी मसीहियों" की ओर संकेत देने में बिल्कुल सही हैं।
और हकीकत में‚ ये दिखावटी चर्चेस अपने युवाओं को यीशु मसीह के सच्चे अनुयायी बनाने में असफल हैं। जोनाथन एस डिकरसन ने एक पुस्तक लिखी है‚ दि ग्रेट इवेंजलीकल रिसेशन (बेकर बुक्स)। इसमें उन्होंने सही आंकड़े पेश किये। आज केवल ७ प्रतिशत युवा असल में क्रिश्चयंस होने का दावा करते हैं। ये असल युवा मसीहियों का ‘‘आंकड़ा भी ४ प्रतिशत तक गिर जायेगा — अगर नये शिष्य नहीं उत्पन्न होते हैं तो" (डिकरसन‚ पेज १४४)
क्यों आजकल चर्च में युवाओं की बड़ी संख्या में गिरावट आयी हुयी है? उत्तर जॉन मैकआर्थर देते हैं क्योंकि वे चर्च में एक बड़ी ढोंगी भीड़ को देखते हैं‚ जो स्वयं को ही धोखा देने वालों की भीड़ है। जवान लोग अपने से बड़ी उम्र के पिलपिले कमजोर और सामर्थहीन लोगों को देखते हैं जो अपने आसपास के पापमयी संसार का सामना कर पाने में असमर्थ सिद्ध होते हैं‚ इसलिये युवाओं ने चर्च को त्याग दिया है! डॉ डेविड एफ वेल्स ने भी इस स्थिति को देखा। इसीलिए तो उन्होंने एक पुस्तक लिखी‚ नो प्लेस फॉर ट्रूथ: ऑर व्हाटऐवर हैप्पंड टू इवेंजलीकल थियोलॉजी? (इयर्डमंस‚ १९९३)। प्रसिद्ध धर्मविज्ञानी डॉ कार्ल एफ एच हैनरी ने भी इस बात पर गौर किया। और उनका भी कथन था‚
‘‘यह पूरी पीढ़ी ऐसे बड़ी हो रही है‚ जिनके भीतर (नये जन्म) के लिये आत्मा के पुर्नज्जीवन पाने के लिये कोई उत्सुकता वाला भाव ही नहीं है। पतनशील मानवता की गर्त में गंवार लोग उभर कर आ रहे हैं और पंगु चर्च की छाया में पहिले से ही लुक छिप रहे हैं" (टवीलाईट ऑफ ऐ ग्रेट सिविलाइजेशन‚ क्रासवे बुक्स‚ पेज १५—१७)
‘‘एक पंगु चर्च।’’ हां, डॉ कार्ल एफ एच हैनरी इवेंजलीकल चर्च को एक पंगु चर्च’ कहकर बुलाते हैं! ‘‘एक पंगु चर्च।’’ महान प्रचारक डॉ मार्टिन ल्योड जोंस ने ‘‘उस भयानक विधर्म अर्थात मसीह पर लोगों के अविश्वास के बारे में कहा था‚ जिसका बढ़ता हुआ रूप पिछले सैकड़ों सालों से चर्चेस की पहचान बना हुआ है।" (रिवाईवल, क्रास वे बुक्स, पेज ५७)।
हम असल में हमारे सारे युवाओं को चर्च में खोते जा रहे हैं। कुल मिलाकर ‘‘नये शिष्य उत्पन्न करने में’’ हम असफल हो गये हैं। डॉ वेल्स कहते हैं कि‚ ‘‘इवेंजलीकल (चर्चेस) ने अपनी मसीहत की उष्मा को खो दिया है। इवेंजलीकल चर्च लिजलिजे से‚ दुर्बल‚ अंर्तमुखी और स्वार्थी हो गये हैं — वे उग्र प्रकार की मसीही शिष्यता की बुलाहट देने में नाकाम रहे हैं। इसलिये कतई आश्चर्य नहीं कि युवा लोग चर्चे में रूचि खोते जा रहे हैं!
हम यहां इसलिए नहीं हैं कि आप को एक दुर्बल‚ स्वार्थी मसीही व्यक्ति बनायें। हम तो यहां इसलिए है कि आप यीशु मसीह के एक उष्ण प्रकार के मसीही शिष्य बनें! हमारे चर्च का यही लक्ष्य है। हमारा लक्ष्य है कि हम प्रेरित करें कि युवा लोग मसीह को जानने की उन की सामर्थ की उंचाइयों तक पहुंचे। हम यहां इसलिए हैं कि आप को प्रेरित करें कि आप यीशु मसीह और उनके राज्य के लिए स्वर्ण मेडल लेकर आने वाले बनें! युवा लोग जो चुने हुए हैं‚ वे उष्ण प्रकार की प्रोटेस्टैंट क्रिश्चियनिटी की चुनौती को स्वीकार करने के लिए तैयार रहें। जो सामर्थशाली कैल्विनिस्टिक क्रिश्चियनिटी की चुनौती लेने के लिए तैयार नहीं हैं‚ वे स्वयं ही उखड़ जाऐंगे! स्मरण रखिए कि यीशु बोले थे‚ ‘‘बुलाए गए कई हैं‚ परन्तु चुने हुए थोड़े हैं।’’
यह सुसमाचार प्रचार के लिए मंद पड़ने का समय नहीं है। पिछली रात हमने भोजन किया और उसके पश्चात यहां चर्च में ‘‘पौलुस‚ मसीह का प्रेरित’’ पिक्चर देखी। ‘‘पौलुस‚ मसीह का प्रेरित’’ यह पिक्चर मसीह के सच्चे शिष्य बनने के रास्ते में‚ पहली शताब्दी के मसीहियों की तकलीफें और कठिनाइयों का वर्णन करती है‚ जिससे होकर वे गुजरे थे। हम आज दोपहर जायेंगे कि अन्य युवाओं को जाकर सुसमाचार बतायें कि वे भी समय आने पर मसीह के असली शिष्य बन सकें। कितना महान समय होगा जब हम जाने के द्वारा‚ मसीह की आज्ञाकारिता में समय व्यतीत करेंगे। मसीह कहते थे‚ ‘‘सड़कों पर और बाड़ों की ओर जाकर लोगों को बरबस ले ही आ।’’ यीशु उस रक्त रंजित क्रूस पर मरे कि हम उन पर विश्वास लाकर उद्धार प्राप्त करें। यीशु मसीह सशरीर, मांस और हडडी समेत, मरे हुओं में से जीवित हुए ताकि हमें नया जीवन प्रदान करें!
मैं जानता हूं कि यीशु मरके जीवित हुए। मैं यह हर दिन जानता हूं न कि सिर्फ ईस्टर के समय। जब मैं रात में सोता हूं तब इस सत्य को जानता हूं। मैं इसे सुबह जानता हूं और पूरे दिन इस सत्य को पहचानता हूं। ‘‘वह यहां नहीं हैं — वे मरके जीवित हुए हैं!’’ मैं जानता हूं कि मसीह मरकर जीवित हुए क्योंकि परमेश्वर यहोवा का वचन ऐसा कहता है! वह आज सुबह‚ आप तक इस बूढ़ें व्यक्ति के होठों द्वारा पहुंचे हैं। वह आप तक आये हैं। वह आप से कहते हैं — ‘‘मैं सदा काल के लिए जीवता हूं।’’ और चूंकि मसीह जीवित हैं, मैं जानता हूं कि वे क्या कर सकते हैं। क्योंकि वे जीवित हैं इसलिए आप भी आत्मिक तौर पर जीवित रह सकते हैं। क्योंकि वे सदा काल के लिए जीवित हैं, आप भी उनके अनुग्रह से सदा काल के लिए जीवित रह सकते हैं। मसीह के सच्चे शिष्य का कभी अंत नहीं होता। हमारे साथ आइये और अनंत जीवन के सुनहरे कल में हमारे साथ प्रवेश कीजिए। वह कभी आप को निराश नहीं करेंगे! आइये हमारी सहायता कीजिए कि हम मिलकर इस चर्च को‚ आत्मिक स्तर पर मसीह की एक सामर्थशाली सेना बना देवें। मसीह और उनके राज्य के लिए एक शक्तिशाली सेना में बदल देवें!
रेव्ह जॉन कैगन २४ वर्ष के हैं। वे यीशु के शिष्य हैं। वे क्रूस के सैनिक हैं। वे मसीह के राज्य में स्वर्ण मेडल लाने वाले शिष्य हैं। जो संदेश वे आज रात ६:१५ पर देने वाले हैं‚ मैंने उसे आप के सामने पढ़ा है! अभी तक के संदेश जो मैंने पढ़े‚ उसमें यह संदेश बहुत प्रेरणा से भरने वाला संदेश है। आइये और पास्टर जॉन को आप को प्रेरित करने दीजिए और इस चर्च को यहोवा परमेश्वर के लिए एक दीपघर बनाने दीजिए। एक आत्मिक शक्तिशाली सेना बनाने दीजिए जो शैतान का सामना प्रबलता से कर सकें!
परमेश्वर यहोवा के लोगों‚ उठ खड़े हो! तुच्छ बातें जाती रही हैं
मन आत्मा प्राण सामर्थ को‚ राजाओं के राजा की सेवा के लिये दे दो!
परमेश्वर यहोवा के लोगों‚ उठ खड़े हो! कलीसिया राह तकती है‚
काम के आगे उसकी ताकत बराबर नहीं है‚ उठ खड़ें हों और उसे महान बना दो!
(‘‘राइज अप‚ ओ मेन ऑफ गॉड)’’ विलियम पीं मैरिल‚ १८६७—१९५४
पास्टर द्धारा पंक्तियों को बदला गया
आप के गीत की पुस्तिका पर यह गीत पेज संख्या १ पर मिलता है। आइये खड़े होकर इस गीत को गाते हैं!
परमेश्वर यहोवा के लोगों‚ उठ खड़े हो! तुच्छ बातें जाती रही हैं
मन आत्मा प्राण सामर्थ को‚ राजाओं के राजा की सेवा के लिये दे दो!
परमेश्वर यहोवा के लोगों‚ उठ खड़े हो! कलीसिया राह तकती है‚
काम के आगे उसकी ताकत बराबर नहीं है‚ उठ खड़ें हों और उसे महान बना दो!
अब आप बैठ सकते हैं।
हम उस समय में रह रहे हैं जब इवेंजलीकल चर्चेस दुर्बल‚ सामर्थहीन और लौदिकिया की कलीसिया के समान विधर्मी हो गये हैं। हां‚ हकीकत में वे चर्चेस अपने युवा लोगों को खोते जा रहे हैं। हां‚ दूसरे युवाओं को प्रेरित करने के लिये उनके पास कुछ नहीं है वे अन्य जवान उनकी आत्मिक सेना में सम्मिलित होवें। ये चर्चेस बहुत ढीले‚ पिलपिले और अनाकर्षक हैं। हां‚ मुझे याद है जब मैं युवा था‚ इन चर्चेस ने किस प्रकार मुझमें उब पैदा कर दी थी। मैंने उनके विरूद्ध विद्रोह कर दिया। एक पवित्र विद्रोह‚ मार्टिन लूथर के समान विद्रोह। दूसरे लोग तो धर्मसुधार भूल गये हैं। उन्हें सोने ही दीजिए। पर आप आइये‚ हमारे साथ जुड़ जाइये कि हम एक नया धर्मसुधार अपने इस चर्च में ही आरंभ कर सकें! हां‚ अब धर्मसुधार प्रारंभ होता है! धर्मसुधार कल भी होगा! धर्मसुधार निरंतर होता रहेगा!
क्या जब लौदिकिया जैसा धर्म त्याग और मसीह पर अविश्वास व्याप्त है‚ तो क्या ऐसे में हम फिलाडेल्फिया जैसी कलीसिया स्थापित कर सकेंगे? फिलाडेल्फिया की कलीसिया को मसीह ने क्या कहा था‚
‘‘मैं तेरे कामों को जानता हूं‚ देख‚ मैं ने तेरे साम्हने एक द्वार खोल रखा है‚ जिसे कोई बन्द नहीं कर सकता कि तेरी सामर्थ थोड़ी सी है‚ और तू ने मेरे वचन का पालन किया है और मेरे नाम का इन्कार नहीं किया’’ ( प्रकाशितवाक्य ३:८)
क्या हम मसीह के असल युवा शिष्यों से चर्च को भर सकेंगे? आप कहेंगे कि यह तो बहुत बड़ा ध्येय है। यह तो असंभव है। मुझे राष्ट्रपति के भाषण लेखक पेट्रिक जे बुकानेन का कथन पसंद है‚ कथन कहता है‚ ‘‘खोये हुए ध्येय के लिये ही संघर्ष करना महत्व रखता है।’’ आज संध्या ६:१५ पर आइये और हमारे साथ ही रात्रि भोजन कीजिए। आज रात वापस आइये और पास्टर जॉन कैगन द्वारा आप को आत्मिक सेना में शामिल होने के लिये प्रेरित करने दीजिए — क्योंकि यह आत्मिक सेना का निर्माण एक लुप्त हो चुका ध्येय नहीं है। लगता जरूर है कि ध्येय खो गया है‚ परन्तु तौभी जीत तय है। मसीह ने कहा था‚ ‘‘मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊंगा और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे ।" ‘‘अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे।" नर्क के द्वारा विनाश के द्वार हैं। नर्क के द्वार हमें रोक नहीं सकते हैं क्योंकि हमारे मसीह मरकर जीवित हुए हैं! क्योंकि वे जीवित हैं इसलिए ‘‘नर्क के द्वार हम पर प्रबल नहीं" हो सकते हैं! आमीन। आइये‚ संध्या को ६:१५ बजे। नर्क के दरवाजे हम पर विजयी नहीं हो सकते हैं!
मैं डॉ फ्रांसिस ए शेफर्स के चुनौतीपूर्ण शब्दों से इस संदेश का समापन करता हूं। डॉ फ्रांसिस ए शेफर्स एक महान धर्मशास्त्री और हमारे समय के सच्चे भविष्यवक्ता थे। उनका कहना था‚ ‘‘इवेंजलीकल चर्च संसारी होता है और जीवित मसीह के प्रति विश्वसनीय नहीं रहता है..... यह मेरी आप को चुनौती है। मैं आत्मिक रूप से उग्र शिष्यों को आहवान देता हूं। विशेषकर असली युवा मसीही शिष्यों को बुलाता हूं कि वे प्रेमपूर्ण ढंग से मुकाबला करें‚ उन बातों का‚ जो चर्च समाज और राज्य में गलत होती हैं और नष्ट करने वाली होती हैं" (दि ग्रेट इवेंजलीकल डिजास्टर‚ पेज ३८‚ १२१)
आइये‚ खड़े होकर गीत संख्या २ गाते हैं। यह मार्टिन लूथर का धर्मसुधारवाद का गीत है! जितने उंचे स्वरों में संभव है‚ इस गीत को गाइये!
परमेश्वर यहोवा हमारे महान गढ़ हैं‚ एक चार दीवारी जो कभी ढह नहीं सकती‚
उभरती सांसारिक बुराइयों के बीच में हमारे सहायक हैं।
अभी भी हमारा पुराना शत्रु हमारे विरूद्ध ताक लगाये बैठा है;
उसकी युक्ति और ताकत बड़ी है‚ निष्ठुर घृणा से लैस है‚
इस पृथ्वी पर कोई उसके बराबर नहीं ।
चूंकि यह संसार भरा शैतानों से‚ जो हमें नाश करने के लिये धमकाते हैं
हम नहीं डरेंगे क्योंकि यहोवा ने चाहा है कि यहोवा का सत्य। हममें से होकर जय पाये‚ अंधकार का राजकुमार निष्ठुर है — पर हम
उससे कंपाते नहीं‚ उसका क्रोध हम सह सकते हैं‚ क्योंकि देखो‚ उसका खत्म होना तय है‚ एक छोटा वचन भी उसके मार गिराये।
उनका वचन सब संसारी ताकतों से उपर है — उनका कोई शुक्रिया‚
नहीं — जो बसते हैं यहां‚ आत्मा वरदान यहोवा में से होकर। हमारे हैं‚ हमारी ओर हैं‚ भलाई और भाईचारा बना रहे यह नश्वर‚
जीवन भी बना रहेगा‚ देह को वे मार सकते हैं‚ तौभी यहोवा
का वचन तो बना रहता है उनका राज्य सदा काल तक स्थिर है।
(‘‘बलशाली गढ़ हमारे परमेश्वर यहोवा‚" मार्टिन लूथर‚१४८३—१५४६)
पास्टर जॉन प्रार्थना करने में हमारी अगुवाई करेंगे और भोजन के लिए धन्यवाद देंगे।
अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स आप से सुनना चाहेंगे। जब आप डॉ हिमर्स को पत्र लिखें तो आप को यह बताना आवश्यक होगा कि आप किस देश से हैं अन्यथा वह आप की ई मेल का उत्तर नहीं दे पायेंगे। अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स को इस पते पर ई मेल भेजिये उन्हे आप किस देश से हैं लिखना न भूलें।। डॉ हिमर्स को इस पते पर rlhymersjr@sbcglobal.net (यहां क्लिक कीजिये) ई मेल भेज सकते हैं। आप डॉ हिमर्स को किसी भी भाषा में ई मेल भेज सकते हैं पर अंगेजी भाषा में भेजना उत्तम होगा। अगर डॉ हिमर्स को डाक द्वारा पत्र भेजना चाहते हैं तो उनका पता इस प्रकार है पी ओ बाक्स १५३०८‚ लॉस ऐंजील्स‚ केलीफोर्निया ९००१५। आप उन्हें इस नंबर पर टेलीफोन भी कर सकते हैं (८१८) ३५२ − ०४५२।
(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व मि बैंजामिन किकेंड ग्रिफिथ द्वारा एकल गान:
‘‘बलशाली गढ़ हमारे परमेश्वर यहोवा," (मार्टिन लूथर‚१४८३—१५४६)