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यह बात उन से छिपी रहीTHIS SAYING WAS HID FROM THEM (Hindi) डॉ आर एल हायमर्स‚ जूनि लॉस ऐंजीलिस बैपटिस्ट टैबरनेकल में‚ रविवार संध्या ११ मार्च‚ २०१८ ‘‘और उन्होंने इन बातों में से कोई बात न समझी और यह बात उन में छिपी रही और जो कहा गया था वह उन की समझ में न आया"
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लूका की पुस्तक में तीसरी बार यह वर्णन आया है कि यीशु अपने शिष्यों से बोले कि वे मरने जा रहे हैं (लूका ९:२२; ९:४४)। लूका १८:३१—३३ में तो उन्होंने इस बात को बहुत सीधे शब्दों में कहा‚
‘‘फिर उस ने बारहों को साथ लेकर उन से कहा; देखो‚ हम यरूशलेम को जाते हैं और जितनी बातें मनुष्य के पुत्र के लिये भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा लिखी गई हैं वे सब पूरी होंगी। क्योंकि वह अन्यजातियों के हाथ में सौंपा जाएगा और वे उसे ठट्ठों में उड़ाएंगे; और उसका अपमान करेंगे और उस पर थूकेंगे। और उसे कोड़े मारेंगे और घात करेंगे और वह तीसरे दिन जी उठेगा" (लूका १८:३१—३३)
इससे बढ़कर और स्पष्ट बात क्या हो सकती है? तौभी‚ ‘‘उन्होंने इन बातों में से कोई बात न समझी और यह बात उन में छिपी रही और जो कहा गया था वह उन की समझ में न आया" (लूका १८:३४) मरकुस ९:३२ में लिखा है‚ ‘‘पर यह बात उन की समझ में नहीं आई" डॉ ए टी राबिनसन ने मरकुस ९:३२ पर अपनी व्याख्या प्रस्तुत की है‚ उनके अनुसार ‘‘उन्होंने न समझना जारी रखा। वे संशयवादी थे। (मसीह के मरण) और पुर्नरूत्थान को लेकर वे (अविश्वासी) थे" (ए टी राबिनसन‚ डी लिट‚ वर्ड पिक्चर्स इन दि न्यू टेस्टामेंट‚ ब्रॉडमैन प्रेस‚ १९३०‚ वॉल्यूम १‚ पेज ३४४; मरकुस ९:३२ पर व्याख्या) ।
शिष्य पौलुस द्वारा मसीह का शुभ संदेश संक्षिप्त और सरल रूप में समझाया गया‚
‘‘पवित्र शास्त्र के वचन के अनुसार यीशु मसीह हमारे पापों के लिये मर गये ओर गाड़े गये और पवित्र शास्त्र के अनुसार तीसरे दिन जी भी उठे" (१ कुरूं १५:३—४)
तौभी‚ इस समय तक बारह शिष्य उनकी बातें नहीं समझे थे और न ही मसीह के शुभ संदेश पर विश्वास किया।
‘‘उन्होंने इन बातों में से कोई बात न समझी और यह बात उन में छिपी रही और जो कहा गया था वह उन की समझ में न आया" (लूका १८:३४)
डॉ ए टी राबिनसन के अनुसार‚ ‘‘वे मसीह के (मरण) और पुर्नरूत्थान को लेकर (अविश्वासी बने हुए) थे" (उक्त संदर्भित) । बारह शिष्यों ने मसीह के शुभ संदेश पर विश्वास नहीं किया! मरकुस ९:३०—३२ की व्याख्या करते हुए डॉ जे. वर्नान मैगी ने कहा था, ‘‘मसीह ने यह पहिली बार अपने मरण और पुनरूत्थान के विषय में नहीं कहा था, तौभी शिष्यों को अभी तक समझ नहीं आया था" (जे. वर्नान मैगी‚ टी एच डी‚ थ्रू दि बाइबल, थॉमस नेल्सन पब्लिशर्स, १९८३‚ वॉल्यूम ४, पेज २०१; मरकुस ९:३०—३२ पर व्याख्या)
‘‘उन्होंने इन बातों में से कोई बात न समझी: और यह बात उन में छिपी रही और जो कहा गया था वह उन की समझ में न आया" (लूका १८:३४)
इस पद में जो शब्द हैं वे शुभ संदेश में उनके अविश्वास को प्रगट करते हैं।
१॰ पहिली बात‚ वे शुभ संदेश को नहीं समझे थे।
‘‘वे इन बातों में से कुछ भी नहीं समझे थे।" यूनानी भाषा से किये गये अनुवाद में ‘‘समझे" शब्द का अर्थ है मजबूती से ‘‘दिमागी तौर पर (समझना)" (स्ट्रोन्ग)। यद्यपि‚ मसीह सरल रूप में और यथाशब्द बोले थे किंतु जो उन्होंने कहा‚ शिष्य उनकी बातों का अर्थ नहीं समझ पाये। धर्मशास्त्र का पद कहता है कि‚ ‘‘वे इन बातों में से कुछ भी नहीं समझ पाये।" मैथ्यू पूल ने कहा था‚ ‘‘शब्द तो समझ पाने के हिसाब से सरल थे।" (ए कमेंटरी ऑन दि व्होल बाइबल‚ दि बैनर ऑफ ट्रूथ ट्रस्ट‚ पुर्नप्रकाशन १९९०‚ वाल्यूम ३‚ पेज २५८; लूका १८:३४ पर व्याख्या) ‘‘तौभी वे इन बातों में से कुछ भी नहीं समझे थे!" शिष्य नहीं समझ पाये थे कि मसीह ‘‘अन्यजातियों के हाथों में सौंपे जायेंगे। उनका मखौल उड़ाया जायेगा और दुर्भावनावश उनके साथ व्यवहार किया जायेगा और उन पर थूका जायेगा।" वे नहीं समझे थे कि उनकी पीठ पर ‘‘कोड़े मारे" जायेंगे। वे नहीं समझ पाये थे कि उनको क्रूस पर लटका कर ‘‘मारा जायेगा"। वे नहीं समझ पाये थे कि ‘‘तीसरे दिन" वे मरकर जीवित हो उठेंगे। जैसा हमें मरकुस के शुभ संदेश में पढ़ने को मिलता है‚
‘‘क्योंकि वह अपने चेलों को उपदेश देते और उन से कहते थे कि मनुष्य का पुत्र मनुष्यों के हाथ में पकड़वाया जाएगा और वे उसे मार डालेंगे और वह मरने के तीन दिन बाद जी उठेगा। पर यह बात उन की समझ में नहीं आई और वे उस से पूछने से डरते थे" (मरकुस ९:३१—३२)
उनकी अज्ञानता के प्रति मानवीय उत्तर विलियम मैकडोनेल्ड ने समझाया है‚
उनके दिमाग इन विचारों से भरे हुए थे कि कोई राजनीतिक विमोचक आयेगा और उन्हें रोम की सत्ता से छुड़ायेगा और तुरंत अपना राज्य कायम करेगा इसलिये उन्होंने दूसरी किसी योजना को स्वीकारने से ही इंकार कर दिया (विलियम मैकडॉनेल्ड‚ बिलिवर्स बाइबल कमेंटरी‚ थॉमस नेल्सन पब्लिशर्स‚ १९८९ संस्करण‚ पेज १४४०; लूका १८:३४ पर व्याख्या)
इजरायल के महान रब्बियों में से एक रब्बी यित्झक कादुरी ने २८ जनवरी २००६ को अपने मरने के बाद एक चिटठी छोड़ी। जैसा कि मध्य युग के रब्बियों का विश्वास था कि इजरायल में दो मसीहा थे — मसीहा बेन युसुफ‚ जो उनके पापों के बदले दुख उठाने आयेंगे जैसे युसुफ ने अपने भाइयों के लिये दुख उठाया और उन्हें मिस्र से छुटकारा मिला और दूसरे मसीहा बेन डेविड — जो राजा दाउद के समान शत्रुओं के उपर विजय प्राप्त करने आयेंगे। वे उनके उपर राजा के समान शासन करेंगे । परंतु जब रब्बी कादुरी की चिटठी उनके मरने के उपरांत खोली गयी‚ उसमें लिखा हुआ था कि वे केवल एक मसीहा में विश्वास करते थे। मसीहा के लिये इब्रानी में प्रयुक्त प्रथम अक्षर ने उस नाम को प्रकाशित किया — येशुआ। अंग्रेजी में उनका नाम है — जीसस! इजरायल के धर्मविज्ञानियों को इससे तकलीफ हुई। दुख उठाने वाला और राज्य करने वाला मसीहा एक ही है! ‘‘दो मसीहा" अर्थात मसीह का प्रथम और द्वितीय आगमन को कहा गया है न कि दो मसीहाओं को!
शिष्य‚ बेन डेविड का इंतजार कर रहे थे‚ न कि बेन जोसेफ का! उनके दिमाग पूर्वाग्रह से भरे हुए थे इसलिये कष्ट भोगता हुआ (मसीहा बेन जोसेफ) उन्हें स्वीकार्य नहीं था क्योंकि यहूदियों का बहुमत ऐसे मसीहा की बाट जोह रहा था‚ जो उन्हें रोम के शासन से मुक्त करवा देवे जो मसीहा बेन डेविड हो। उन्होंने कभी यह महसूस ही नहीं किया कि वे दो मसीहा एक ही मसीहा के दो रूप हैं। मेरे इस संदेश को देखिये ‘‘चेलों का भय — इसे पढ़ने के लिये यहां क्लिक कीजिये।" परंतु शुभ संदेश के प्रति अनजान बने रहने का एक कारण और था।
हमारे यहां के एक युवा ने कहा‚ ‘‘यीशु मसीह के शुभ संदेश को अनेकों बार मैंने सुना‚ हर रविवार इसे बार बार सुनकर मेरा हृदय और कड़ा हो गया। शुभ संदेश की सरलता ने मुझे हताश कर दिया...........मैं विचार करता रहा कि कुछ भी होने वाला नहीं है...........मैं अपनी भावनाओं और स्वयं पर भरोसा रख रख कर थक गया था। (यह युवा मानो मसीहा बेन डेविड चाहता था‚ जो एक मनोचिकित्सक बनकर उसकी भावनाओं को ठीक कर दे।) डॉ हायमर्स मुझे बार बार बताते थे कि यीशु मुझसे प्रेम करते हैं। आखिरकार मैं कुछ भी करने के लिये तैयार हो गया। मैंने वही किया जो डॉ हायमर्स ने बताया। मैंने प्रभु यीशु पर विश्वास किया। क्योंकि वह यीशु ही थे जो क्रूस पर कीलों से ठोके गये, न कि मेरी भावनायें। (यह युवा अपने मानसिक स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिये किसी मसीहा बेन डेविड की कल्पना कर रहा था।) और यीशु ने अपने लहू से मेरे पापों को धो दिया। यह युवा बिल्कुल यीशु के चेलों के समान था। वह चर्च में सुनता रहा कि यीशु उसके पापों के लिये मरे, किंतु उसने विश्वास नहीं किया। वह अपना अच्छा मानसिक स्वास्थ्य चाहता था, किंतु पापों की क्षमा नहीं चाहता था। आज की रात आप में से कई लोग बिल्कुल ऐसे ही तो हैं।
२॰ दूसरा बिंदु‚ मसीह का शुभ संदेश उनसे छिपा रहा।
‘‘और यह बात उन में छिपी रही‚ और जो कहा गया था वह उन की समझ में न आया......."
(लूका १८:३४)
यह बात ‘‘छिपी रही" शब्द का अनुवाद जिस यूनानी शब्द से किया गया है‚ उसका अर्थ है अप्रकट‚ छुपा हुआ" (स्ट्रॉंग) । यही समान यूनानी शब्द यूहन्ना की पुस्तक ८:५९ में मिलता है जहां लिखा है, ‘‘यीशु छिपकर मन्दिर से निकल गये।" हमारे पद में यही शब्द प्रयुक्त हुआ है‚ ‘‘यह बात उनसे छिपी रहीं।" जब यीशु को मारने के लिये मंदिर में उन्होंने पत्थर उठा लिये‚ तब किसी अलौकिक तत्व की उपस्थिति ने उन्हें छुप कर निकल जाने की मंत्रणा दी (यूहन्ना ८:५९) । ‘‘यह बात उनसे छिपी रहीं" हमारे इस पद में भी अलौकिक तत्व मौजूद है। लूका १८:३४ के इन शब्दों पर डॉ फ्रैंक गैबेलियन ने अपनी व्याख्या दी है‚ ‘‘लेखक लूका, शिष्यों द्वारा क्रूस की बातें नहीं समझ पाने के लिये अलौकिक तत्व को उत्तरदायी ठहराता है" (फ्रैंक ई. गैबेलियन‚ डी.डी. सामान्य संपादक‚ दि एक्सपोजिटर्स बाइबल कमेंटरी, जोंदरवेन पब्लिशिंग हाउस, १९८४ संस्करण, वाल्यूम ८, पेज १००५‚ लूका १८:३४ पर व्याख्या) । मैं भी इस पद का बिल्कुल यही अर्थ सोचता हूं। उनकी समझ को अलौकिक सामर्थ ने रोक रखा था। ‘‘यह बात अर्थात (मसीह का शुभ संदेश) उनसे छिपा रहा।"
शैतान आप को अंधा बना देता है। बाइबल कहती है‚ ‘‘परन्तु यदि हमारे सुसमाचार पर परदा पड़ा है‚ तो यह नाश होने वालों ही के लिये पड़ा है। और उन अविश्वासियों के लिये‚ जिन की बुद्धि को इस संसार के ईश्वर (शैतान) ने अन्धी कर दी है" (२ कुरूं ४:३—४) इसलिये आप सीधे प्रभु यीशु पर विश्वास लाने के स्थान पर किसी भावना को ढूंढते हैं!
अब हमें ज्ञात होता है उस समय चेले इतने महान संत समान लोग नहीं थे। वे केवल मनुष्य मात्र थे। हमारे ही समान मनुष्य थे‚ आदम के वंशज। अब हमें ज्ञात होता है उस समय चेले इतने महान संत नहीं थे। वे केवल मनुष्य मात्र थे। वे उसी प्रकार ‘‘अपने पापों में मरे हुए थे‚" जैसे मैं एक चर्च में उद्धार पाने के पूर्व सात साल तक पाप की अवस्था में मरा हुआ इंसान ही था, और जैसे आप में से कुछ अभी तक पापों में मरे हुए हैं (इफिसियों २:१‚५) । आदम के वंशज होने के कारण उनकी ‘‘सांसारिक प्रवृत्ति" परमेश्वर पिता के प्रति विद्रोही बनी रहती है (रोमियों ८:७)। आदम के वंशज होने के कारण वे केवल सांसारिक मनुष्य ही थे और ‘‘शारीरिक मनुष्य परमेश्वर की आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता" (१ कुरूं २:१४) । आदम के वंशज होने के कारण‚ ‘‘क्रूस की कथा (मूर्खता थी) नाश होने वालों के निकट मूर्खता (है)" (१ कुरूं १:१८) । मसीह ने नीकुदेमस से सच्चाई कह दी‚ ‘‘तुम्हें नये सिरे से जन्म लेना अवश्य है (यूहन्ना ३:७)‚ इसलिये ‘‘चेलों को नया जन्म" लेना आवश्यक था। वे अपना व्यवसाय छोड़कर आये और मसीह के पीछे हो लिये, उससे उद्धार मिलने वाला नहीं था। वह तो कमाया हुआ उद्धार कहलाता! रोमन कैथोलिक्स कर्मो से उद्धार पाने की व्याख्या करते हैं! परंतु बाइबल सिखाती है कि उद्धार अनुग्रह से मिलता है। इसलिये मसीह के पीछे हो लेने से उनकों नया जीवन नहीं मिलना वाला था!
‘‘क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है और यह तुम्हारी ओर से नहीं वरन परमेश्वर का दान है। और न कर्मों के कारण ऐसा न हो कि कोई घमण्ड करे" (इफिसियों २:८—९)
यहूदा इस्किरियोति उन बारह शिष्यों में से एक था। क्या उसका नया जन्म हुआ था? मसीह ने उसे ‘‘भटका हुआ जन" कहा‚ ‘‘विनाश का पुत्र" (यूहन्ना १७:१२) कहकर पुकारा। क्या थॉमस का नया जन्म हुआ था? प्रभु यीशु के पुर्नरूत्थान के बाद उसने दृढ़तापूर्वक कहा था कि‚ ‘‘मैं विश्वास नहीं करूंगा" (यूहन्ना २०:२५) । मैं जानता हूं कि शिष्य पतरस को अवश्य कुछ प्रकाशन परमेश्वर यहोवा की ओर से मिला था (मत्ती १६:१७) किंतु कुछ समय ही वह यीशु को इस बात के लिये झिड़कने लगे कि यीशु उन्हें क्यों कहते रहते हैं कि वे ‘‘मार डाले जायेंगे तीसरे दिन जीवित हो उठेंगे" (मत्ती १६:२१—२२) अंततः यीशु ‘‘शिष्य पतरस से बोल उठे‚ हे शैतान‚ मेरे साम्हने से दूर हो: तू मेरे लिये ठोकर का कारण है: क्योंकि तू परमेश्वर की बातों पर (विचार) नहीं‚ पर मनुष्यों की बातों पर मन लगाता है" (मत्ती १६:२३)। स्पष्ट है कि पतरस ने शुभ संदेश का इंकार किया और वे शैतान के प्रभाव में होकर परमेश्वर की इस योजना का विरोध कर रहे थे कि मसीह क्रूस पर चढ़ाये जावें और पुर्नजीवित हो उठें। आप भी आज रात पतरस के ही समान हैं। आप मसीहा बेन डेविड की राह तक रहे हैं (कि आप की भावनाओं को अच्छा लगे, आप को अच्छा जीवन मिले, आप को भौतिक विलासिता की चीजें मिलें), आप मसीहा बेन जोसेफ (जो क्रूस पर आप के पापों के लिये दुख उठाते हैं) उनकी राह नहीं देख रहे हैं।
‘‘और यह बात उन में छिपी रही‚ और जो कहा गया था (शुभ संदेश के विषय में) वह उन की समझ में न आया......." (लूका १८:३४)
शिष्य पौलुस का कथन था‚
‘‘परन्तु यदि हमारे सुसमाचार पर परदा पड़ा है‚ तो यह नाश होने वालों ही के लिये पड़ा है। और उन अविश्वासियों के लिये‚ जिन की बुद्धि को इस संसार के ईश्वर (शैतान) ने अन्धी कर दी है......." (२ कुरूं ४:३—४)
शैतान आप को अंधा बना देता है तब आप को केवल भौतिक सुख सुविधा ही दिखाई पड़ती हैं‚ पापों की क्षमा मिलना आप को आवश्यक नहीं लगता है।
हां, कुछ ‘‘अदृश्य शक्ति" ने‚ शैतान द्वारा प्रदत्त शक्ति ने शिष्यों की‚ आदम से प्राप्त सांसारिक बुद्धि पर आवरण डाल रखा था कि वे शुभ संदेश को न समझ सकें। शैतान आप को अंधा बना देता है तब आप को केवल भौतिक सुख सुविधा ही दिखाई पड़ती हैं‚ न कि आप के पापों की क्षमा मिलना आप को आवश्यक लगता है। यीशु ने उनसे कहा‚ ‘‘यदि तुम न फिरो और बालकों के समान न बनो, तो स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने नहीं पाओगे" (मत्ती १८:३) यीशु किन्हें संबोधित कर रहे थे? वे उनके ‘‘शिष्यों से" कह रहे थे (मत्ती १८:१) । मत्ती १८:१—३ को ध्यान से सुनिये,
‘‘उसी घड़ी चेले यीशु के पास आकर पूछने लगे कि स्वर्ग के राज्य में बड़ा कौन है? इस पर उस ने एक बालक को पास बुलाकर उन के बीच में खड़ा किया। और कहा‚ मैं तुम से सच कहता हूं‚ यदि तुम न फिरो और बालकों के समान न बनो .......तो स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने नहीं पाओगे " (मत्ती १८:१—३)
शिष्य यह जानना चाहते थे कि स्वर्ग के राज्य में उन में से बड़ा कौन होगा (मत्ती १८:१) । यीशु की शिष्यों को यही समझाईश थी कि‚ यदि तुम न फिरो तो.......स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने नहीं पाओगे" (मत्ती १८:३)
‘‘और यह बात उन में छिपी रही‚ और जो कहा गया था (शुभ संदेश के विषय में) वह उन की समझ में न आया......." (लूका १८:३४)
३॰ तीसरी बात‚ वे अनुभव से भी शुभ संदेश को नहीं जानते थे।
हमारे पद के अंत में कहा गया है कि‚ ‘‘जो कहा गया‚ वह उन को समझ में भी नहीं आया" (लूका १८:३४) । ‘‘समझने" को लेकर जिस यूनानी शब्द का अनुवाद किया गया है, उसका अर्थ है ‘‘अवगत होना, निश्चयी होना, अनुभव से उस बात के प्रति सचेत होना" (जार्ज रिकर बैरी, ए ग्रीक इंग्लिश लैक्सिकन ऑफ न्यू टेस्टामेंट सिनोनिंम्स‚ स्ट्रॉंग में कूटबद्ध किया हुआ, संख्या १०९७) । यही शब्द फिलिप्पयों ३:१० में प्रयुक्त किया गया है‚ ‘‘और मैं उस को और उसके मृत्युंजय की सामर्थ को और उसके साथ दुखों में सहभागी हाने के मर्म को जानूँ ......." शिष्य अपने अनुभव से भी शुभ संदेश को नहीं जान पाये। उन्होंने शब्दों को तो सुना‚ किंतु शुभ संदेश की वास्तविकता से अनभिज्ञ बने रहे। वे राज्य में पारितोषिक की चाह रख रहे थे किंतु उनके पापों की क्षमा उन्हें मिले, इस बात को जानना भी नहीं चाहा। अब इस गधांश को पूरा सुनिये। यह लूका की पुस्तक १८:३१—३४ में से पढ़ा जा रहा है।
‘‘फिर उस ने बारहों को साथ लेकर उन से कहा: देखो‚ हम यरूशलेम को जाते हैं‚ और जितनी बातें मनुष्य के पुत्र के लिये भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा लिखी गई हैं वे सब पूरी होंगी। क्योंकि वह अन्यजातियों के हाथ में सौंपा जाएगा और वे उसे ठट्ठों में उड़ाएंगे; और उसका अपमान करेंगे और उस पर थूकेंगे। और उसे कोड़े मारेंगे और घात करेंगे और वह तीसरे दिन जी उठेगा। और उन्होंने इन बातों में से कोई बात न समझी: और यह बात उन में छिपी रही और जो कहा गया था वह उन की समझ में न आया"
अब आप इस बात को समझे? ‘‘उन्होंने इन बातों में से कोई बात न समझी: और यह बात उन में छिपी रही और जो कहा गया था वह (अनुभव से भी) उन की समझ में न आया"
सी.एच.स्पर्जन की साक्षी को सुनिये। वे एक शुभ संदेश प्रचारक के घर में ही जन्मे थे — उनके अपने पिता। वे अपनी गर्मियां अपने दादा के घर पर बिताया करते थे, जो स्वयं भी एक शुभसंदेश प्रचारक थे। पूरे जीवन भर वे रविवार के दिन, शुभ संदेश सुनते आये। तथापि, उन्होंने मन नहीं फिराया था और यीशु के शिष्यों के समान ही उनकी अवस्था थी, जैसे शिष्य भी पुर्नरूत्थान के पहिले तक उद्धार पाये हुए नहीं थे। स्पर्जन ने इस प्रकार कहा,
मैं अपने लड़कपन से यीशु के प्राण बलिदान देने के द्वारा उद्धार मिलता है‚ यह सुनते आया हूं। मेरी अंर्तात्मा में कोई हलचल नहीं हुई मानों मैं किसी अन्य जाति (मूर्तिपूजकों के) घर में पैदा हुआ हों। फिर जब मैंने धर्मशास्त्र पढ़ा‚ तब मुझे नया और ताजगी भरा प्रकाशन मिला....... (तब) मै समझा और विश्वास से देखा कि वे जो परमेश्वर यहोवा के पुत्र हैं‚ उन्होंने अपने आशीषित अस्तित्व में‚ मनुष्य स्वरूप धारण किया और लकड़ी के (क्रूस पर) सलीब पर मेरे पाप अपने उपर लेकर स्वयं के प्राण बलिदान कर दिये.......क्या आप को कभी ऐसा अंर्तबोध हुआ है? (सी.एच.स्पर्जन‚ हाउ कैन ए जस्ट गॉड जस्टिफाय गिल्टी मैन? चैपल लायब्रेरी, पैंसाकोला फ्लोरिडा)
स्पर्जन मसीह के बारें में पूर्ण रूप से अवगत थे। उन्होंने उद्धार की योजना सुन रखी थी। परंतु ‘‘यह बात (उन से) छिपी रही‚ और जो कहा गया था (शुभ संदेश) के विषय में वह उन की समझ (अनुभव से भी) में न आया।" अचानक ही शुभ संदेश ने इतनी प्रबलता के साथ उनके भीतर कार्य किया कि वे बयां करते हैं कि‚ ‘‘इतना नया प्रकाशन और इतने निर्मल अहसास के साथ जैसे मैंने कभी धर्मशास्त्र को पढ़ा ही न हो।" क्या था यह नया प्रकाशन? कि मसीह पाप को क्षमा करते हैं! उसके बाद संपूर्ण जीवन भर वे पाप से उद्धार मिलने के विषय पर ही प्रचार करते रहे।
इसे कहते हैं वास्तविक परिर्वन — जब आप की आत्मा को आप के पापों के बोझ का अहसास हो — और आप जीवित मसीह की ओर खिंचे चले जायें।
किसी ने मुझसे कहा कि‚ ‘‘बाइबल ऐसा कहां सिखाती है कि पुर्नरूत्थित मसीह से सामना होने के पश्चात शिष्य परिवर्तित हो गये?" उत्तर सरल है और मिलता है — चारों सुसमाचार पुस्तकों के अंत में — मत्ती २८; मरकुस १६; लूका २४ (विशेषकर पद ३६—४५ में स्पष्ट है) और यूहन्ना २०:१९—२२ में स्पष्ट है। डॉ जे वर्नान मैगी जो अमेरिका के जाने माने प्रचारक थे‚ उन्होंने यूहन्ना २०:२२ के उपर कहा है‚ ‘‘मैं व्यक्तिगत तौर पर विश्वास करता हूं कि जब हमारे प्रभु ने उन शिष्यों पर अपनी श्वॉस फूंक कर कहा‚ ‘पवित्र आत्मा लो।’ इन व्यक्तियों का (नया जन्म) हुआ उन्हें पुर्नज्जीवन मिला। इसके पूर्व उनका (नया जन्म) नहीं हुआ था।" उनका नया जन्म तभी हुआ जब उन्होंने अपने लिये भौतिक और शारीरिक लाभ की ओर तकना बंद कर दिया‚ जब वे मसीह को छोड़कर भाग गये और उन्हें अपने पाप का बोध हुआ कि वे पापी हैं। आप तब तक नया जन्म नहीं पा सकते‚ जब तक आप के पाप आप को परेशान न कर दें। केवल तभी मसीह आप को बचायेंगे‚ उद्धार प्रदान करेंगे (पढ़िये जे वर्नान मैगी‚ टीएचडी‚ थ्रू दि बाइबल‚ थॉमस नेल्सन पब्लिशर्स‚ वॉल्यूम ४‚ पेज ४९८‚ यूहन्ना २०:२१ पर व्याख्या) आप डॉ मैगी को www.thruthebible.org इंटरनेट पर सुन सकते हैं।
अब हमारी प्रार्थना है कि पवित्र आत्मा आप के हृदय में क्रियाशील होवे और आप के पाप आप को कचोटे। यहोवा परमेश्वर का आत्मा आप के हृदय को खोल देवे और आप प्रभु यीशु की ओर खींचे जावें‚ ताकि आप मसीह यीशु के बहुमूल्य लहू में धुलकर शुद्ध हो सकें।
हमारे चर्च की एक युवा लड़की का मानना था कि‚ ‘‘मैं स्वार्थी‚ जलन से भरी और दूसरों के प्रति क्रोध से भरे रहती थी। मेरे भीतर जो द्वंद चलता रहता था मैं उसे संभाल नहीं पाती थी। मेरे भीतर का पापपूर्ण स्वभाव यीशु का इंकार कर रहा था। मेरा परिवर्तन झूठा परिवर्तन था क्योंकि मैं अपने विचारों पर भरोसा रखकर चल रही थी‚ न कि प्रभु यीशु एकमात्र पर। (वह अपरिवर्तित शिष्यों के समान थी जो केवल भौतिक बातों का फायदा देख रहे थे‚ लेकिन अंततः उन्होंने मसीह द्वारा उनके पापों के लिये उठाये गये दुख के महत्व को जाना)। मैं स्वयं को अपने प्रयासों के बूते पर उद्धार दिलवाना चाहती थी। जितना प्रयास करती उतना भटकती जाती। तब मुझे अंर्तबोध हुआ कि मसीह ने क्रूस पर मेरे बदले नारकीय पीड़ा भोगी। मैं उनके प्रेम का इंकार कैसे कर दूं? अब मेरे पास यीशु हैं जो सबसे बढ़कर मुझसे प्रेम रखते हैं.......मैं जीवन पर्यंत उन पर विश्वास रखे रहूंगी।"
डॉ मैगी के हर कार्यक्रम का अंत इस भक्ति गीत से होता है‚ ‘‘यीशु ने पूरा दाम चुका दिया।"
मैं मसीहा को यह कहते हुए सुनता हूं‚ ‘‘तुम्हारा बल सच में कम है‚"
निर्बल संतान, ऐसी प्रार्थना कर मुझमें अपना सर्वस्व ढूंढ"
यीशु ने पूरा दाम चुका दिया‚ मेरा सब कुछ उनका है;
पाप ने रक्तिम कलंक छोड़ा था‚ उन्होंने बर्फ जैसा श्वेत कर दिया।
सच में प्रभु‚ मुझे आपकी सामर्थ मिलती है आप ही में केवल‚
आप एक कोढ़ी के दाग मिटा सकते हैं‚ पत्थर को पिघला सकते हैं।
यीशु ने पूरा दाम चुका दिया‚ मेरा सब कुछ उनका है;
पाप ने रक्तिम कलंक छोड़ा‚ उन्होंने बर्फ जैसा श्वेत कर दिया।
मेरे में कुछ अच्छाई नहीं जो आप का अनुगह मैं मांगू —
मैं कलवरी के रक्त में अपने वस्त्रों को शुद्ध कर श्वेत कर लूंगा
यीशु ने पूरा दाम चुका दिया‚ मेरा सब कुछ उनका है;
पाप ने रक्तिम कलंक छोड़ा‚ उन्होंने बर्फ जैसा श्वेत कर दिया।
जब यहोवा के सामने मैं संपूर्ण रूप में खड़ा होता हूं
मेरे होंठ तौभी बार बार दोहरायेंगे‚ ‘‘यीशु मेरी आत्मा को बचाने के लिये मरे"
यीशु ने पूरा दाम चुका दिया‚ मेरा सब कुछ उनका है;
पाप ने रक्तिम कलंक छोड़ा‚ उन्होंने बर्फ जैसा श्वेत कर दिया।
(‘‘यीशु ने पूरा दाम चुका दिया" एल्विना एम हॉल द्वारा रचित‚ १८२०—१८८९)
इस संदेश के पूर्व मि ग्रिफिथ ने ‘‘केवल मसीह में" एक सुंदर गीत गाया। प्रेसबिटेरियन चर्च (अमेरिका) ने अपने भक्ति गीत की पुस्तक में से इस गीत को हटा दिया क्योंकि इसके लेखकों ने दूसरे अंतरे के शब्द ‘‘परमेश्वर का क्रोध संतुष्ट हुआ" को बदलने से इंकार कर दिया था। गीत के शब्द पूर्णतः सही थे। जब मि ग्रिफिथ इसे गाने आते हैं‚ ध्यान से आप गीत को सुनिये!
केवल मसीह में पायी है मैंने आशा;
वे मेरे प्रकाश‚ मेरी ताकत‚ मेरे गीत हैं;
वे सिरे के पत्थर‚ वे ठोस भूमि‚
खतरनाक भयानक तूफान में भी स्थिर
कितनी प्रेम की उंचाईयां व शांति की गहराईयां है‚
जहां भय खामोश हो जाते और संघर्ष क्षीण होता जाता है!
मेरे विश्रामदाता‚ मेरे सर्वस्व —
मसीह के प्रेम में होकर ही मैं स्थिर हो पाता हूं
केवल मसीह में‚ जो देहधारण कर आये‚
परमेश्वर की संपूर्णता में होकर भी‚ निरीह बालक बन आये!
प्रेम और धार्मिकता का यह उपहार‚
जिनको बचाने आये किया उन्होंने ही तिरस्कार।
जब तक प्राण गये न छूट क्रूस पर‚
क्रोध यहोवा का संतुष्ट हुआ;
हर पाप उनके उपर लादा गया —
मसीह के मरण में ही मैं जी जाता हूं
कब्र में देह उनकी रखी थी‚
जगत प्रकाश अंधेरे द्वारा बुझाया गया;
तब महान दिवस में फूट पड़ा प्रकाश‚
कब्र से बाहर वे जीवित हो उठे!
चूंकि वे विजयी हैं‚
पाप की पकड़ मुझ पर ढीली हो चली;
मैं उनका हूं वे मेरे —
मसीह के कीमती लहू से खरीदा हुआ
जीवन में न कोई कलंक रखा‚ न कोई भय —
ऐसी सामर्थ है मेरे भीतर मसीह की;
जीवन के पहिले रूदन से अंतिम श्वास तक;
यीशु मेरी नियति को आज्ञा देते हैं।
न नर्क की कोई योजना‚ न मनुष्य की कोई तरकीब‚
मुझे कभी उनके हाथों से छीन सकती है;
जब तक वे फिर न आयें या घर बुला लें —
मसीह की सामर्थ में ही मैं स्थिर खड़ा हूं।
(‘‘केवल मसीह में" कैथ गैटी व स्टूवर्ट टाउनैंड द्वारा रचित‚ २००१)
मि ग्रिफिथ को सुनिये‚ वे दूसरा अंतरा पुनश्च गा रहे हैं।
केवल मसीह में‚ जो देहधारण कर आये‚
परमेश्वर की संपूर्णता में होकर‚ निरीह बालक बन आये!
प्रेम और धार्मिकता का यह उपहार‚
जिनको बचाने आया किया उन्होंने ही तिरस्कार।
जब तक प्राण गये न छूट क्रूस पर‚
क्रोध यहोवा का संतुष्ट हुआ;
हर पाप उनके उपर लादा गया —
मसीह के मरण में ही मैं जी जाता हूं
आमीन।
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(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व बैंजामिन किंकेड ग्रिफिथ का एकल गान:
‘‘केवल मसीह में" (कैथ गैटी व स्टूवर्ट टाउनैंड‚ २००१)
रूपरेखा यह बात उन से छिपी रहीTHIS SAYING WAS HID FROM THEM डॉ आर एल हायमर्स‚ जूनि ‘‘और उन्होंने इन बातों में से कोई बात न समझी: और यह बात उन में छिपी रही और जो कहा गया था वह उन की समझ में न आया"
(लूका १८:३१—३३; मरकुस ९:३२; १ कुरूं १५:३—४) १॰ पहिली बात‚ वे शुभ संदेश को नहीं समझे थे‚ लूका १८:३४ अ; मरकुस ९:३१—३२ २॰ दूसरा बिंदु‚ मसीह का शुभ संदेश उनसे छिपा रहा‚ लूका१८:३४ ब;
यूहन्ना ८:५९; ३॰ तीसरी बात‚ वे अनुभव से भी शुभ संदेश को नहीं जानते थे‚ लूका१८:३४ स; फिलिप्पयों ३:१० |