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धोखा दिया जाना और मसीह का बंदी बनाया जानाTHE BETRAYAL AND ARREST OF CHRIST डॉ आर एल हिमर्स जूनि. लॉस ऐंजीलिस बैपटिस्ट टैबरनेकल में‚ रविवार संध्या २५ फरवरी‚ २०१८ ‘‘क्या तुम नहीं समझते कि मैं अपने पिता से बिनती कर सकता हूं और वह स्वर्गदूतों की बारह पलटन से अधिक मेरे पास अभी उपस्थित कर देंगे?" (मत्ती २६:५३) |
जब प्रभु यीशु ने गैतसेमनी में तीसरी बार प्रार्थना की उसके पश्चात वे सोते हुए शिष्यों के पास आए‚
‘‘उठो, चलें; देखो, मेरा पकड़वाने वाला निकट आ पहुंचा है" (मत्ती २६:४६)
तब उस अंधकार में ३०० से अधिक सैनिकों की भीड़ आ पहुंची‚
‘‘........पलटन को और महायाजकों और फरीसियों की ओर से प्यादों को लेकर दीपकों और मशालों और हथियारों को लिए हुए वहां (आया)" (यूहन्ना १८:३)
यहूदा उन्हें वहां लेकर आया था क्योंकि वह
‘‘जगह जानता था‚ क्योंकि यीशु अपने चेलों के साथ वहां जाया करता था" (यूहन्ना १८:२)
यहूदा यीशु के पास आया और उन्हें चूमा‚ इस तरह से उसने सैनिकों को संकेत दिया कि यीशु कौन हैं। उसने चूमकर धोखा दिया।
यीशु ने सैनिकों से कहा‚ ‘‘तुम किसको ढूंढते हो?" उन्होंने कहा‚ ‘‘नाजरथ के यीशु को। यीशु ने उन से कहा‚ ‘‘मैं ही हूं।" जब उन्होंने ऐसा कहा‚ वे लोग पीछे हटकर ‘‘भूमि पर गिर पड़े।" इस घटना ने परमेश्वर यहोवा के पुत्र के रूप में उनकी सामर्थ को प्रकट कर दिया। तब यीशु उनसे बोले, ‘‘मैं तो तुम से कह चुका हूं कि मैं ही हूं‚ यदि मुझे ढूंढ़ते हो तो इन्हें जाने दो" (यूहन्ना १८:८)
उस घड़ी पतरस चौंकन्ना हुआ और तब उसने अपनी तलवार खींची और सक्रियता दिखाई। अंधेरें में तलवार लहराते हुए उसने महायाजक के सेवक का कान उड़ा दिया। यीशु ने ‘‘उस कान को छुआ और ठीक कर दिया" (लूका २२:५१)। तब यीशु पतरस से बोले।
‘‘अपनी तलवार काठी में रख ले क्योंकि जो तलवार चलाते हैं‚ वे सब तलवार से नाश किए जाएंगे। क्या तू नहीं समझता‚ कि मैं अपने पिता से बिनती कर सकता हूं और वह स्वर्गदूतों की बारह पलटन से अधिक मेरे पास अभी उपस्थित कर देगा?" (मत्ती २६:५२—५३)
इस पद से दो सबक मुझे सीखने को मिलते हैं।
१॰ पहिला बिंदु‚ मसीह चाहते तो हजारों स्वर्गदूतों को उन्हें बचाने के लिये बुलवा सकते थे।
रोमन सेना की एक टुकड़ी में ६००० सैनिक हुआ करते थे। यीशु ने कहा कि वे अपने पिता परमेश्वर को कहते और वे बारह हजार स्वर्गदूतों की टुकड़ियां उसी समय भेज सकते थे। अगर वे स्वयं को इन सैनिकों के हाथों से बचाना चाहते तो वे परमेश्वर पिता की दुहाई देते और ७२००० स्वर्गदूत उपलब्ध होते। डॉ जॉन गिल ने संदर्भ दिया कि ‘‘एक अकेले स्वर्गदूत ने‚ यहोवा के दूत ने निकल कर अश्शूरियों की छावनी में एक लाख पचासी हजार पुरुषों को मारा‚ २ राजा १९:३५ । अगर मसीह को अपने बचाये जाने के प्रति जरा सा भी झुकाव होता तो उन्हें पतरस तक की तलवार की आवश्यकता नहीं पड़ती।" (डॉ जॉन गिल‚ एन एक्सपोजिशन ऑफ दि न्यू टेस्टामेंट‚ दि बैपटिस्ट स्टैंडर्ड बियरअर‚ १९८९‚ पुर्नमुद्रण‚ वॉल्यूम १‚ पेज ३४०)
मसीह के शब्द और जो कदम उन्होंने उठाये‚ वे बताते हैं कि परिस्थितियां पूरी तरह से उनके नियंत्रण में थीं। जब उन्होंने कहा कि‚ ‘‘मैं ही वह हूं।" तब परमेश्वर की सामर्थ के प्रभाव में सैनिक गिर पड़े। जब पतरस से मलखुस का कान काट डाला, मसीह ने बड़ी उदारता से उस घाव को अच्छा कर दिया और कान अच्छा हो गया। मसीह बड़ी शांति से पतरस को कहते हैं कि अगर उन्होंने ताकत के बल पर छुटकारा चाहा होता, तो वे पहिले ही परमेश्वर पिता से प्रार्थना कर चुके होते और पिता सामर्थशाली स्वर्गदूतों की सेना भेज देते। परंतु उन्होंने स्वयं के बचाये जाने के लिये प्रार्थना ही नहीं की।
जिस बगीचें में यीशु प्रार्थनारत थे‚ उन्होंने यीशु के हाथ बांध दिये‚
वे उन्हें शर्मिंदा करने के लिये गलियों में से ले गये।
उस पाप से अनजान और पवित्र मसीहा के उपर उन्होंने थूका‚
उन्होंने कहा ‘‘उन्हें क्रूस पर चढ़ाओं‚ यीशु दोषी है।"
वे तो स्वर्गदूतों की सेना बुलवा सकते थे
इस संसार को नष्ट करने और स्वयं को कैद से मुक्त करने के लिये‚
वे तो स्वर्गदूतों की सेना बुलवा सकते थे
किंतु वे अकेले मरे‚ आप के और मेरे लिये
(‘‘टैन थाउंजेड ऐंजल्स" रे ओवरहॉल्ट द्वारा रचित‚ १९५९)
२॰ दूसरा बिंदु, प्रभु यीशु ने स्वेच्छा से क्रूस पर चढ़ना स्वीकार किया।
हमें यह विचार कभी नहीं करना चाहिये कि मसीह गैतसेमनी के बगीचे में अचानक से बंदी बनाये गये। उस रात्रि बंदी बना लिये जाने के बहुत पहिले से वे जानते थे कि आगे उनके साथ क्या होने वाला है।
बहुत दिनों पहिले जब वे चेलों को यरूशलेम ले गये थे‚ उन्होंने उन्हें बता दिया कि क्या होने वाला है। लूका‚ उनकी कही गयी बातों को दर्ज करता है‚ जो उन्होंने अपने बंदी बनाये जाने से पहले कही थी।
‘‘फिर उस ने बारहों को साथ लेकर उन से कहा; देखो‚ हम यरूशलेम को जाते हैं‚ और जितनी बातें मनुष्य के पुत्र के लिये भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा लिखी गई हैं वे सब पूरी होंगी। क्योंकि वह अन्यजातियों के हाथ में सौंपा जाएगा और वे उसे ठट्ठों में उड़ाएंगे; और उसका अपमान करेंगे और उस पर थूकेंगे। और उसे कोड़े मारेंगे और घात करेंगे और वह तीसरे दिन जी उठेगा।" (लूका १८:३१—३३)
उनके द्वारा कही गयी ये बातें सिद्ध करती हैं कि वे वे बिल्कुल सही घटनाक्रम जानते थे कि यरूशलेम में उनके साथ क्या होने वाला है। फिर भी वे समय पूर्ण होने पर यरूशलेम पहुंचे। वे स्वयं दुख उठाने और क्रूस पर चढ़ने के लिये स्वेच्छा से किसी अभिप्राय के कारण गये थे।
दो बार यीशु ने प्रकट किया कि वे इसी घड़ी के लिये‚ एक उददेश्य पूर्ति के लिये इस धरती पर आये थे। उन्होंने शिष्यों से कहा‚
‘‘जब मेरा जी व्याकुल हो रहा है। इसलिये अब मैं क्या कहूं? हे पिता, मुझे इस घड़ी से बचा? परन्तु मैं इसी कारण इस घड़ी को पहुंचा हूं।" (यूहन्ना १२:२७)
फिर से वे जब रोमन गर्वनर पोंतियुस पीलातुस के सामने खड़े हुए‚ उन्होंने कहा‚ ‘‘मैं ने इसलिये जन्म लिया और इसलिये जगत में आया हूं" (यूहन्ना १८:३७)
मसीह स्वेच्छा से सैनिकों के साथ क्रूस पर चढ़ाये जाने के लिये चले गये क्योंकि वे जानते थे कि इसी अभिप्राय को पूर्ण करने के लिये उनका जन्म हुआ था — मनुष्यों के पापों का मूल्य चुकाने के लिये क्रूस पर मरने के लिये। इसलिये उनका बंदी बनाया जाना अचानक या अप्रत्याशित नहीं था। उन्हें बहुत समय पहिले से बोध था कि क्रूस उनके लिये तैयार है। ‘‘मैं इसी कारण इस घड़ी को पहुंचा हूं।" (यूहन्ना १२:२७) ‘‘मैं ने इसलिये जन्म लिया " (यूहन्ना १८:३७)
उनके जीवन में परमेश्वर यहोवा की योजना के कारण वे आज्ञाकारिता रखते हुए‚ सैनिकों के साथ कोड़े खाने व क्रूस पर चढ़ने के लिये स्वेच्छा से चले गये। मसीह ने
‘‘वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया और दास का स्वरूप धारण किया और मनुष्य की समानता में हो गया। और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया और यहां तक आज्ञाकारी रहा‚ कि मृत्यु‚ हां‚ क्रूस की मृत्यु भी सह ली।" (फिलिप्पयों २:७—८)
‘‘और पुत्र होने पर भी‚ उस ने दुख उठा उठा कर आज्ञा माननी सीखी। और सिद्ध बन कर‚ अपने सब आज्ञा मानने वालों के लिये सदा काल के उद्धार का कारण हो गया" (इब्रानियों ५:८—९)
जब सैनिकों ने उन्हें बंदी बनाया तो वे खामोशी से बिना कोई विरोध किये, उनके साथ चल दिये, यह उनकी अपने पिता परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी होने का परिचायक था।
‘‘वह सताया गया, तौभी वह सहता रहा और अपना मुंह न खोला; जिस प्रकार भेड़ वध होने के समय वा भेड़ी ऊन कतरने के समय चुपचाप शान्त रहती है, वैसे ही उसने भी अपना मुंह न खोला" (यशायाह ५३:७)
उनके कीमती शीश पर उन्होंने कांटों का ताज रखा
वे हंसे और बोले‚ ‘‘देखो जरा इस राजा को"
वे लगे मारने और कोसने उन्हें‚
उड़ाया मखौल पवित्र नाम का।
किंतु यीशु अकेले ही सब कुछ सहते रहे
वे तो स्वर्गदूतों की सेना बुलवा सकते थे
इस संसार को नष्ट करने और उन्हें मुक्त करने के लिये‚
वे तो स्वर्गदूतों की सेना बुलवा सकते थे
किंतु वे अकेले मरे‚ आप के और मेरे लिये।
मसीह क्रूस की इस घनघोर पीड़ा को स्वेच्छा से वरण करते गये सिर्फ इसलिये कि वे परमेश्वर यहोवा के प्रति आज्ञाकारी थे। ‘‘वे वध किये जाने वाली भेड़ के समान लाये गये थे" (यशायाह ५३:७)
विचार कीजिये कि हमारा क्या हुआ होता अगर मसीह उस रात सैनिकों के साथ वध किये जाने वाली भेड़ के समान नहीं गये होते। अगर उन्होंने स्वर्गदूतों की गुप्त सेना बुलवा ली होती और क्रूस से बच गये होते? आप का और मेरा क्या हुआ होता?
पहिली बात‚ हमारे पापों के लिये हमारे बदले क्रूस पर मरने वाला कोई नहीं होता। हमारा कोई स्थानापन्न नहीं होता जो हमारे पापों का दंड भर देता। इससे हमारी दशा और अधिक भयानक हो जाती। अनंत काल तक नर्क के गहरे अंधेरों में हम अपने पापों का दंड स्वयं ही भरते रहते।
दूसरी बात, अगर मसीह उस रात सैनिकों के साथ वध किये जाने वाली भेड़ के समान नहीं गये होते तो हमारे और पवित्र, न्यायी परमेश्वर यहोवा के बीच कोई मध्यस्थता करने वाला ही नहीं होता। अंत में न्याय के समय हमें ही परमेश्वर का सामना करना होता और हमारे लिये उनके समक्ष कोई अपील करने वाला भी नहीं होता।
‘‘क्योंकि परमेश्वर एक ही है और परमेश्वर और मनुष्यों के बीच में भी एक ही बिचवई है अर्थात मसीह यीशु जो मनुष्य है" (१ तिमोथी २:५)
अगर सैनिकों के साथ बंदी बनाये जाने पर मसीह नहीं गये होते तो परमेश्वर और हमारे मध्य कोई बिचवई नहीं होता। इसका संकेत इस ओर है कि दो पक्षों के मध्य समाधान करने वाला मध्यस्थ नहीं होता। परमेश्वर यहोवा और पापियों के मध्य समझौता करवाने के लिये यीशु मसीह ही एकमात्र मध्यस्थ हैं। केवल परमेश्वर पुत्र ही परमेश्वर पिता और पापियों को एक साथ ला सकते थे। अगर शांतिपूर्ण ढंग से यीशु सैनिकों के साथ क्रूस पर चढ़ाये जाने के लिये नहीं गये होते तो स्वर्गिय पिता के साथ हमारा मेल करवाने वाला कोई नहीं होता।
तीसरा बिंदु‚ अगर मसीह उस रात सैनिकों के साथ ‘‘वध किये जाने वाली भेड़ के समान नहीं" गये होते तो हम अनंत जीवन में प्रवेश करने के लिये समर्थ नहीं हो पाते। बाइबल का सर्वाधिक लोकप्रिय पद इसे प्रकट करता है‚
‘‘क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया‚ ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे‚ वह नाश न हो‚ परन्तु अनन्त जीवन पाए" यूहन्ना ३:१६
अगर मसीह सैनिकों के साथ अपने बंदी बनाने पर नहीं जाते तो यूहन्ना ३:१६ सच नहीं ठहरता और आप के पास सनातन अनंत काल का जीवन पाने की कोई आशा नहीं होती।
चौथा बिंदु‚ अगर मसीह उस रात सैनिकों के साथ ‘‘वध किये जाने वाली भेड़ के समान नहीं" गये होते तो अगले दिन उन्होंने क्रूस पर जो लहू बहाया — आप के पापों को शुद्ध करने के लिये उपलब्ध नहीं होता। अगर उन्होंने परमेश्वर यहोवा के आदेश की अवज्ञा की होती और सूली पर चढ़ने से बच निकलते‚ तो कदापि आप के पापों को मिटा देने के लिये क्रूस पर बहाया गया लहू उपलब्ध नहीं होता। उस रात मसीह दृढ़ता के साथ उनके साथ गये कि आप को पापों से हमेशा के लिये छुटकारा प्रदान करने के लिये वे क्रूस पर चढ़ाये जाकर बलिदान देवें। अब उनके शिष्य प्रेरित पौलुस निर्भिकता के साथ कह सकते हैं‚
‘‘मसीह यीशु में परमेश्वर ने उसके लोहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित्त ठहराया जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है" (रोमियों ३:२४—२५)
इम्मानुएल के लहू से एक
सोता बहता है;
और उसमें डूबते पापी लोग
रंग पाप का छूटता है
(‘‘देअर इज एक फाउंटेन" बॉय विलियम कूपर‚ १७३१—१८००)
क्या आप मसीह के पास आयेंगे और उन पर विश्वास करेंगे? वह आप के पापों का दंड चुकायेंगे। वह आप के मध्यस्थ बन जायेंगे कि आप का मेल परमेश्वर यहोवा के साथ करवा देवें। तब अनंत जीवन आप का होगा। आप के पापों का ब्यौरा मसीह के लहू में शुद्ध हो जाने के बाद स्वर्गिक पिता के रिकार्ड से मिट जायेगा।
मैं अत्यधिक प्रसन्न हूं कि यीशु ने परमेश्वर पिता की आज्ञा मानी और बगीचे में उस रात सैनिकों के द्वारा बंदी बनाये जाने पर उनके साथ चल दिये। अगर वह शर्म झेलने‚ दुख उठाने और अंततः क्रूस पर चढ़ने के लिये नहीं जाते तो आज मैं आप के समक्ष इतनी अनमोल बातें नहीं बता रहा होता।
भीड़ के सामने स्वयं को अर्पित किया‚ नहीं मांगा दया का दान‚
शर्म का वह क्रूस अकेले ग्रहण किया।
फिर पुकारकर कहा‚ ‘‘कार्य पूरा हुआ"
और स्वयं को मरने के लिये दिया;
उद्धार देने की अदभुत योजना पूर्ण हुई।
वे तो स्वर्गदूतों की सेना बुलवा सकते थे
इस संसार को नष्ट करने और उन्हें मुक्त करने के लिये।
वे तो स्वर्गदूतों की सेना बुलवा सकते थे‚
किंतु वे अकेले मरे‚ आप के और मेरे लिये।
और अब मैं आप से पूछता हूं कि क्या आप परमेश्वर यहोवा के मेम्ने पर विश्वास लायेंगे कि वे उसने अपने उपर संसार के पापों को उठा लिया?
आप ने लंबे समय तक यीशु को मानने से इंकार किया है। आप ने मसीहा के विरूद्व अनेकों बार अपने मन को कड़ा किया है। क्या आज रात‚ आप उनके सामने समर्पण करेंगे?
ओह‚ क्रूस पर चढ़ाने वाले‚ उन उपहास करने वाले क्रूर सैनिकों के समान मत बनिये। उन घमंडी व कठोर दिल वाले महापुरोहित के समान मत बनिये‚ जिसने उनका इंकार कर दिया। भीड़ के उन दगाबाज लोगों के समान मत बनिये जो लाभ लेने के बाद छोड़कर चल दिये। उन फरीसियों के समान मत बनिये‚ जिन्होंने उनके मुंह पर थूका और अपनाने से इंकार कर दिया! मेरी याचना है‚ इनमें से किसी के समान मत बनिये बहुत लंबे समय तक तो आप ऐसे ही बने रहे हैं‚ हां‚ बहुत लंबे समय तक! अब सरल से विश्वास के साथ अपना दिल मसीह को दे दीजिये। क्या आप यीशु पर विश्वास करते हैं‚ कि ‘‘वे परमेश्वर के मेम्ने के समान जगत के पापों को अपने उपर उठाकर ले गये?" (यूहन्ना १:२९)
अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स आप से सुनना चाहेंगे। जब आप डॉ हिमर्स को पत्र लिखें तो आप को यह बताना आवश्यक होगा कि आप किस देश से हैं अन्यथा वह आप की ई मेल का उत्तर नहीं दे पायेंगे। अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स को इस पते पर ई मेल भेजिये उन्हे आप किस देश से हैं लिखना न भूलें।। डॉ हिमर्स को इस पते पर rlhymersjr@sbcglobal.net (यहां क्लिक कीजिये) ई मेल भेज सकते हैं। आप डॉ हिमर्स को किसी भी भाषा में ई मेल भेज सकते हैं पर अंगेजी भाषा में भेजना उत्तम होगा। अगर डॉ हिमर्स को डाक द्वारा पत्र भेजना चाहते हैं तो उनका पता इस प्रकार है पी ओ बाक्स १५३०८‚ लॉस ऐंजील्स‚ केलीफोर्निया ९००१५। आप उन्हें इस नंबर पर टेलीफोन भी कर सकते हैं (८१८) ३५२ − ०४५२।
(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व बैंजामिन किंकेड ग्रिफिथ का एकल गान:
‘‘टैन थाउंजेड ऐंजल्स" (रे ओवरहॉल्ट द्वारा रचित‚ १९५९)
रूपरेखा धोखा दिया जाना और मसीह का बंदी बनाया जाना THE BETRAYAL AND ARREST OF CHRIST डॉ आर एल हिमर्स जूनि. ‘‘क्या तुम नहीं समझते कि मैं अपने पिता से बिनती कर सकता हूं और वह स्वर्गदूतों की बारह पलटन से अधिक मेरे पास अभी उपस्थित कर देंगे?" (मत्ती २६:५३) (मत्ती २६:४६; यूहन्ना १८:३‚ २‚ ८; लूका २२:५१) १॰ पहिला बिंदु‚ मसीह चाहते तो हजारों स्वर्गदूतों को उन्हें बचाने के लिये बुलवा सकते थे‚ २ राजा १९:३५ २॰ दूसरा बिंदु, प्रभु यीशु ने स्वेच्छा से क्रूस पर चढ़ना स्वीकार किया‚ |