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कैसे प्रार्थना करें और प्रार्थना सभा का संचालन करें(डॉ तिमोथी लिन की शिक्षायें‚ १९११−२००९) डॉ आर एल हिमर्स द्वारा लिखा गया व ‘‘तौभी मनुष्य का पुत्र जब आएगा‚ तो क्या वह पृथ्वी पर विश्वास पाएगा?" (लूका १८:८) |
डॉ हिमर्स के लंबे समय तक पास्टर रहे डॉ तिमोथी लिन (१९११−२००९) को बाईबल की बहुत समझ थी। वे इब्रानी भाषा और सजाति भाषा में पी एच डी थे। सन १९५० में बॉब जोंस यूनिवर्सिटी में स्नातक स्तर पर वे क्रमानुसार धर्मविज्ञान‚ बाइबल धर्मविज्ञान, इब्रानी पुराना नियम‚ अरामी बाइबल‚ प्राचीन अरबी और पेशिता सिरियक पढ़ाया करते थे।
तत्पश्चात डॉ जेम्स हडसन टेलर तृतीय के बाद वे चीनी इवेंजलीकल सोसायटी के अध्यक्ष बने। वे न्यू अमेरिकन स्टेडर्ड बाइबल एनएएसबी के पुराने नियम के अनुवादकों में से एक थे। वह डॉ आर एल हिमर्स के चौबीस सालों तक पास्टर थे। डॉ आर एल हिमर्स का कथन है कि इसमें कोई शक नहीं कि उन्होंने अभी तक डॉ लिन को सबसे प्रभावशाली पास्टर पाया। जब डॉ हिमर्स चर्च के एक सदस्य थे तब उन्होंने देखा कि परमेश्वर ने आत्मिक जाग्रति की आशीष प्रदान की और सैकड़ों सदस्यों ने पुर्नज्जीवन पाया।
‘‘तौभी मनुष्य का पुत्र जब आएगा‚ तो क्या वह पृथ्वी पर विश्वास पाएगा?" (लूका १८:८)
अधिकतर समीक्षायें इस पद की ठीक ढंग से व्याख्या नहीं करती हैं। उदाहरण के लिये‚ एक प्रसिद्व समीक्षा कहती है‚ ‘‘पृथ्वी पर साधारण दशा अविश्वास की पायी जायेगी।" परंतु यीशु इस विषय में बात नहीं कर रहे हैं। अधिकतर समीक्षायें इस पद की ठीक ढंग से व्याख्या नहीं करती हैं। वह अंत के दिनों के स्वधर्मत्याग की बात नहीं कर रहे हैं‚ न ही वे यह प्रश्न उठा रहे हैं कि जब उनका पुनरागमन होगा तो क्या सच्चे मसीही पाये जायेंगे। वास्तव में‚ यीशु पतरस से ठीक इसके विपरीत बोले‚
‘‘और मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊंगा और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे" (मत्ती १६:१८)
मत्ती १६:१८ प्रगट करता है कि कितने ही भयानक और बड़े रूप में स्वधर्म त्याग क्यों न पाया जाये परंतु जब मसीह लौटेंगे तब कई मसीही जन अपने उद्धार प्राप्त विश्वास के साथ पाये जायेंगे। कई सच्चे मसीही जन विशेषकर चीन में और तीसरे विश्व में, जहां आज भी सच्ची आत्मिक जाग्रति व्याप्त है, वहां के लोग बादलों में उठा लिये जायेंगे।
‘‘क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा और परमेश्वर की तुरही फूंकी जाएगी और जो मसीह में मरे हैं वे पहिले जी उठेंगे। तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे उन के साथ बादलों पर उठा लिए जाएंगे कि हवा में प्रभु से मिलें और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे।" (थिस्सलुनीकियों ४:१६−१७)
यहां तक कि बड़े क्लेश के समय में भी बहुत अधिक संख्या में लोग बचाये जायेंगे।
‘‘और हर राष्ट्र की ऐसी बड़ी भीड़ जिसे कोई गिन नहीं सकता" (प्रकाशितवाक्य ७:९)
‘‘ये वे हैं‚ जो उस बड़े क्लेश में से निकल कर आए हैं‚ इन्होंने अपने अपने वस्त्र मेम्ने के लोहू में धो कर श्वेत किए हैं" (प्रकाशितवाक्य ७:९)
इसलिये‚ जब यीशु ने ऐसा कहा तब वे उनके आगमन के समय उद्धार पाने वाले विश्वास के अभाव की बात नहीं कर रहे हैं‚
‘‘तौभी मनुष्य का पुत्र जब आएगा तो क्या वह पृथ्वी पर विश्वास पाएगा?" (लूका १८:८)
१॰ पहला‚ हठी प्रार्थना का महत्व।
अधिकतर समीक्षायें गलत हैं‚ किंतु हमारे इस पद के संदर्भ में डॉ लिन ने सही विवेचना की है। डॉ लिन ने कहा था,
बाइबल में ‘‘विश्वास" शब्द का व्यापक प्रयोग किया गया है। इसका उचित अर्थ इसके संदर्भ के सावधानीपूर्ण परीक्षण से परिभाषित किया जा सकता है। इस पद के पहले जो दृष्टान्त है वह प्रकट करता है कि हमें हर समय प्रार्थना करते रहना चाहिये और निराश नहीं होना चाहिये (लूका १८:१−८ अ) जबकि (लूका १८:९−१४) के बाद जो गद्यांश आता है वह टैक्स वसूलने वाले और फरीसी जन की प्रार्थना है। अतः (लूका १८:८) के पद का संदर्भ स्पष्ट प्रकट करता है कि ‘‘विश्वास" शब्द यहां पर प्रार्थना में विश्वास को प्रकट करता है। हमारे प्रभु का कथन यहां विलाप का कथन है कि उनके द्वितीय आगमन पर उनकी कलीसिया प्रार्थना के विश्वास को खो देगी। (तिमोथी लिन‚ पी एच डी‚ दि सीक्रेट ऑफ चर्च ग्रोथ‚ फर्स्ट चायनीज बैपटिस्ट चर्च ऑफ ल्योस ऐंजीलिस‚ १९९२‚ पेज ९४−९५)
डॉ लिन के अनुसार लूका १८:१−८ के दृष्टान्त में यह बात निहित है कि मसीहियों को प्रार्थना करते रहना चाहिये और हताश नहीं होना चाहिये। पद आठ यह प्रकट करता है कि अंतिम दिनों का यह समय जिसमें हम रह रहे हैं, मसीहियों के अंदर प्रार्थना मे हठी विश्वास का अभाव पाया जायेगा। इसलिये हम इस पद पर व्याख्या करते हुए यह कह सकते हैं‚
‘‘तौभी मनुष्य का पुत्र जब आएगा‚ तो क्या वह पृथ्वी पर (हठी प्रार्थना) वाला विश्वास पाएगा?" (लूका १८:८)
डॉ लिन आगे कहते हैं,
वर्तमान में कई चर्चेस में प्रार्थना सभाएं लगभग त्याग दी गयी हैं। या उनको (मध्य सप्ताह के बाइबल अध्ययन में बदल दिया गया है जिसमें एक या दो बार नाममात्र की प्रार्थना की जाती हैं) अपनी स्वयं संतुष्टि में लीन रहते हुए (अक्सर) चर्चेस ये प्रार्थना सभाएं भी रद्ध कर देते हैं। ये सचमुच (एक) चिंन्ह है कि प्रभु का द्वितीय आगमन नजदीक है! आजकल अनेक (चर्च सदस्य) प्रभु के स्थान पर टीवी की आराधना करते हैं.........सचमुच यह बहुत निराशाजनक बात है! ..... अंत समय के चर्चेस में.....प्रार्थना सभा के प्रति अत्यधिक स्वधर्मत्याग (रूचि का अभाव) पाया जाता है (तिमोथी लिन‚ पी एच डी‚ उक्त संदर्भित‚ पेज ९५) ।
इस तरह लूका १८:८ मसीह के द्वितीय आगमन के पूर्व चर्चेस में प्रार्थनाविहीनता का संकेत देता है जिस युग में हम रह रहे हैं उस का संकेत, प्रार्थनाविहीनता का संकेत परंतु साथ ही उद्धार दिलाने वाले विश्वास का पूरा अभाव नहीं का भी संकेत देता है। चर्चेस में प्रार्थनाविहीनता उन चिंन्हों में से एक चिंन्ह है जो प्रकट करता है कि हमारे प्रभु के द्वितीय आगमन के पूर्व के अंतिम दिनों में हम रह रहे हैं।
‘‘तौभी मनुष्य का पुत्र जब आएगा तो क्या वह पृथ्वी पर (हठी प्रार्थना) वाला विश्वास पाएगा?" (लूका १८:८)
२॰ दूसरी बात‚ प्रार्थना सभाओं का महत्व।
डॉ लिन ने भी बताया कि मात्र एक अकेले जन द्वारा की गयी प्रार्थना में वह सामर्थ और अधिकार नहीं पाया जाता जो सामूहिक प्रार्थना सभाओं में मिलता है। उन्होंने बताया‚
लोग अक्सर कहते हैं कि इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि आप एक अकेले जन के रूप में प्रार्थना करते हैं या समूह के साथ‚ न इसका कोई अर्थ है कि आप चाहे घर पर अकेले प्रार्थना करते हैं या चर्च में भाई बहिनों के साथ। यह प्रार्थना की सामर्थ से अनभिज्ञ रहने वाले प्राणी के‚ मात्र स्वयं को सांत्वना देने वाले‚ आलस से भरे और सुखद प्रतीत होने वाले कथन हैं! देखिये हमारे प्रभु प्रार्थना के इस पहलू के विषय में क्या कहते हैं:
‘‘फिर मैं तुम से कहता हूं यदि तुम में से दो जन पृथ्वी पर किसी बात के लिये जिसे वे मांगें एक मन के हों तो वह मेरे पिता की ओर से स्वर्ग में है उन के लिये हो जाएगी। क्योंकि जहां दो या तीन मेरे नाम पर इकट्ठे होते हैं वहां मैं उन के बीच में होता हूं" (लूका १८:१९−२०)
हमारे प्रभु ने बल देते हुए स्मरण दिलाया है कि ईश्वरीय प्रधानता की उपयोगिता को एक वैयक्तिक जन के प्रयास से कभी भी प्राप्त नहीं किया जा सकता‚ परंतु केवल संपूर्ण चर्च के सामूहिक प्रयास (से) प्रभाव में लाया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, केवल जब......... पूरा चर्च एक लौ से (प्रार्थना) से करता है.......तभी चर्च को ऐसी ईश्वरीय प्रधानता मिल सकती (है)।
अंतिम समय के चर्च यद्यपि इस सत्य की वास्तविकता को नहीं देख सकते और न ही परमेश्वर की सामर्थ को (प्राप्त करने) की उचित प्रक्रिया उन्हें स्मरण रख सकते हैं। कितनी बड़ी हानि है ये! (चर्च को) स्वर्ग से ईश्वरीय अधिकार दिया गया है परंतु इसके प्रशासन का ज्ञान नही दिया गया‚ यह तो शैतान के कार्य को बांधना चाहता है कि कुचले हुओं को बंधनमुक्त करे और परमेश्वर की उपस्थिति की सच्चाई के अनुभव को आगे बढ़ावें। कितने दुख की बात है कि यह कार्य भी नहीं किया जा सका! (तिमोथी लिन‚ पी एच डी‚ उक्त संदर्भित‚ पेज ९२−९३) ।
इसलिये डॉ लिन ने प्रार्थना में विश्वास का बिल्कुल उचित महत्व सिखाया है और उसी प्रकार चर्च की प्रार्थना सभाओं का उचित महत्व सिखाया है।
३॰ तीसरा‚ ‘‘एक चित्त" होकर प्रार्थना करने का महत्व।
कृपया‚ प्रेरितों के कार्य १:१४ निकाल लीजिये और जोर के स्वर में पढ़िये।
‘‘ये सब कई स्त्रियों और यीशु की माता मरियम और उसके भाइयों के साथ एक चित्त होकर प्रार्थना में लगे रहे " (प्रेरितों के कार्य १:१४)
‘‘ये सब एक चित्त होकर प्रार्थना में लगे रहे......." डॉ लिन ने कहा,
चीनी बाइबल ‘‘एक चित्त का" अनुवाद ‘‘एक मन और एक विचार के साथ" करती है। इसलिये एक प्रार्थना सभा में परमेश्वर की उपस्थिति मांगने के लिये‚ सभी प्रतिभागियों को न केवल प्रार्थना की सच्चाई के महत्व को समझना चाहिये परंतु उन्हें (प्रार्थना सभा में) ईमानदार इच्छा रखते हुए आना चाहिये कि .....वे अपनी विनती सामने रखेंगे‚ प्रार्थना करेंगे‚ मध्यस्थता और परमेश्वर को धन्यवाद देने की प्रार्थना एक चित्त होकर करेंगे। तब प्रार्थना सभा सफल होंगी और तब दूसरी सेवकाईयां भी सफल होंगी (तिमोथी लिन‚ पी एच डी‚ उक्त संदर्भित‚ पेज ९३−९४) ।
जब एक भाई प्रार्थना में अगुवाई करता है तो ‘‘एक चित्त" में होकर प्रार्थना करते समय हम सभी को ‘‘आमीन" कहना आवश्यक है। जब हम सब ‘‘आमीन" कहते हैं तो उसे ‘‘एक चित्त" होकर प्रार्थना करना कहते हैं।
आप प्रार्थना में विश्वास के महत्व‚ चर्च की प्रार्थना सभाओं का महत्व और ‘‘एक चित्त होकर प्रार्थना करने में" एकता के महत्व पर डॉ लिन की शिक्षायें सुन चुके हैं। तौभी आज रात आप में से कुछ जो यहां उपस्थित हैं हमारी किसी भी प्रार्थना सभाओं में नहीं आ रहे हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि आप का आत्मिक जीवन कितना नीरस है! आज रात यहां कोई ऐसा है जो कहेगा‚ ‘‘पास्टर‚ अब से मैं कम से कम एक प्रार्थना सभा में तो उपस्थित रहा करूंगा?" कृपया अपनी आंखे बंद कीजिए। अगर आप ऐसा करेंगे‚ तो कृपया अपना हाथ उपर उठाइये। प्रत्येक जन प्रार्थना करे कि परमेश्वर इन लोगों को अपना वायदा पूरा करने में सहायता करे! (सब प्रार्थना करते हैं)।
अगर आप ने अभी तक उद्धार प्राप्त नहीं किया है तो प्रबलता के साथ मैं विनती करता हूं कि कम से कम शनिवार संध्या के बाइबल अध्ययन में आइये। अपनी आंखे बंद कीजिए। कौन कहेगा‚ ‘‘जी हां पास्टर‚ मैं शनिवार संध्या की प्रार्थना सभा में आना प्रारंभ करूंगा?" कृपया अपना हाथ उठायें। प्रत्येक जन इन लोगों के वायदे को पूरा होने के लिये प्रार्थना करें! (सब प्रार्थना करते हैं)।
मसीह क्रूस पर आप के पापों का मोल चुकाने के लिये मरे। उन्होंने आप को पापों को शुद्ध करने के लिये अपना लहू बहाया। वे भयानक पीड़ा से होकर गुजरे‚ क्रूस पर कीलों से ठोंके गये कि आप के पापों का प्रायश्चित करें। वह तीसरे दिन मरकर जीवित हुए। अब वह परमेश्वर पिता के दाहिने हाथ विराजमान हैं। मसीह के पास आइये और आप अपने पापों से मुक्त कर दिये जायेंगे।
आज रात हममें से यहां कौन ऐसा है जिसने उद्धार नहीं पाया है और चाहता है कि हम उसके परिवर्तन के लिये प्रार्थना करे? फिर से अपनी आंखे बंद कीजिए। फिर से अपना हाथ खड़ा कीजिए कि हम आप के उद्धार पाने के लिये प्रार्थना कर सकें। प्रत्येक जन इन लोगों के लिये प्रार्थना करें कि वे अपने पापों से पश्चाताप करें और मसीह के रक्त में शुद्ध हो सके।
डॉ चान कृपया प्रार्थना में हमारी अगुवाई करे कि आज रात कोई जन उद्धार प्राप्त करे। अगर आप सच्चे मसीही जन होने के विषय में हमसे बात करना चाहते हैं तो इस सभागार के पिछले हिस्से में डॉ कैगन‚ जॉन कैगन और नोहा सोंग से परामर्श के लिये पहुंचे। वे आप को एक शांत स्थान पर ले जायेंगे जहां हम आप से बात करेंगे और आप के के बदलाव के लिये प्रार्थना करेंगे।
अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स आप से सुनना चाहेंगे। जब आप डॉ हिमर्स को पत्र लिखें तो आप को यह बताना आवश्यक होगा कि आप किस देश से हैं अन्यथा वह आप की ई मेल का उत्तर नहीं दे पायेंगे। अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स को इस पते पर ई मेल भेजिये उन्हे आप किस देश से हैं लिखना न भूलें।। डॉ हिमर्स को इस पते पर rlhymersjr@sbcglobal.net (यहां क्लिक कीजिये) ई मेल भेज सकते हैं। आप डॉ हिमर्स को किसी भी भाषा में ई मेल भेज सकते हैं पर अंगेजी भाषा में भेजना उत्तम होगा। अगर डॉ हिमर्स को डाक द्वारा पत्र भेजना चाहते हैं तो उनका पता इस प्रकार है पी ओ बाक्स १५३०८‚ लॉस ऐंजील्स‚ केलीफोर्निया ९००१५। आप उन्हें इस नंबर पर टेलीफोन भी कर सकते हैं (८१८) ३५२ − ०४५२।
(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व बैंजामिन किंकेड ग्रिफिथ का एकल गान:
‘‘इट इज दी ब्लेसेड ऑवर ऑफ प्रेयर" (फैनी जे क्रासबी‚ १८२०−१९१५)
रूपरेखा कैसे प्रार्थना करें और प्रार्थना सभा का संचालन करें(डॉ तिमोथी लिन की शिक्षायें‚ १९११−२००९) डॉ आर एल हिमर्स द्वारा लिखा गया श्री ‘‘तौभी मनुष्य का पुत्र जब आएगा‚ तो क्या वह पृथ्वी पर विश्वास पाएगा?" (लूका १८:८) (मत्ती १६: १८; १ थिस्स ४:१६−१७; प्रकाशित ७:९‚१४) १॰ पहला‚ हठी प्रार्थना का महत्व‚ लूका १८:८ २॰ दूसरी बात‚ प्रार्थना सभा का महत्व‚ मत्ती १८:१९−२० ३॰ तीसरा‚ ‘‘एक चित्त" होकर प्रार्थना करने का महत्व‚प्रेरितों के कार्य १:१४ |