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आत्मिक जागरण कोई विकल्प नहीं है!REVIVAL IS NO OPTION! डॉ आर एल हिमर्स दि बैपटिस्ट टैबरनेकल ल्योस ऐंजीलिस में रविवार ‘‘पर मुझे तेरे विरूद्ध यह कहना है कि तू ने अपना पहिला सा प्रेम छोड़ दिया है। सो चेत कर‚ कि तू कहां से गिरा है‚ और मन फिरा और पहिले के समान काम कर‚ और यदि तू मन न फिराएगा‚ तो मै तेरे पास आकर तेरी दीवट को उस स्थान से हटा दूंगा" (प्रकाशित २:४‚५) |
इफिसुस शहर का चर्च एक बहुत महान चर्च था। यह एक अच्छा चर्च था। यह एक ऐसा आधारभूत चर्च था‚ जो झूठी शिक्षा से घृणा करता था। परंतु इसमें एक दोष था। यह चर्च उदासीन हो गया था। इसके सदस्य समृद्ध हो चले थे। विपुल धन राशि सबसे पास आ गयी थी। किसी बात की कमी नहीं थी। तौभी मसीह ने एक महत्वपूर्ण कमी उनमें निकाली। वह यह कि उन्होंने पहिला सा प्रेम छोड़ दिया था। अतः यीशु मसीह ने उन्हें पश्चाताप करने के लिये कहा। उन्होंने उन लोगों से कहा कि वे अपने पहिले से प्रेम और लगन को खोजें। जैसा प्रेम वे बरसों पहले रखते थे। अगर वे ऐसा कर पाने में असमर्थ रहे, तो उन्हें आने वाले न्याय के लिये तैयार रहना पड़ेगा। वह चर्च एक दीपदान के समान था। अंधकार भरे जगत को आलोकित करने का कार्य कर रहा था। परंतु‚ अगर चर्च ने पश्चाताप नहीं किया तो मसीह ने उन्हें यह कहकर सचेत किया‚ ‘‘यदि तू मन न फिराएगा‚ तो मै तेरे पास आकर तेरी दीवट को उस स्थान से हटा दूंगा" साथ ही साथ उनसे यह भी कहा, ‘‘जिस के कान हो, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है" (प्रकाशित २:७) । परंतु चर्च ने पश्चाताप नहीं किया और स्वयं को बचाने के लिये अति आवश्यक आत्मिक जाग्रति को पाने का अनुभव भी नहीं किया। पहली सदी के अंत में रोमन सम्राट डोमिशियन के राज्य में रोमन सेनाओं द्वारा यह चर्च नष्ट कर दिया गया। चर्च की दूसरी इमारत निर्मित की गयी, परंतु संपूर्ण शहर अंततः मुस्लिमों द्वारा नष्ट कर दिया गया।
क्या इस उदाहरण को हमारे चर्च पर लागू करने की आवश्यकता है? अपने प्रारंभिक दिनों में इफिसुस का चर्च जीवंत और प्रेम से भरपूर था। यह पुर्नज्जीवित और मसीही प्रेम से ओत प्रोत चर्च था। इसकी पहचान आत्मिक जाग्रति प्राप्त और प्रेम से भरपूर चर्च की थी। एक समय हमारा चर्च भी ऐसी ही पहचान रखता था। परंतु हमारे चर्च में विभाजन हुआ। हमारे चर्च में विभाजन हुआ करते थे। परंतु समर्पण और प्रतिबद्वता को लेकर विभाजन होते थे। जिन्होंने चर्च छोड़ा वे हमेशा के लिये चले गये क्योंकि वे गंभीर होना ही नहीं चाहते थे।हर बार मैने अथक प्रयास किया कि अलग होने वाले इन समूहों को मसीह के प्रेम की दुहाई देकर पुनः अपने में मिला लूं। चर्च छोड़कर जाने का उनका यह कारण नहीं था कि मैं कोई गलत शिक्षा दे रहा था। लोग हमेशा इसलिये चर्च से जाते रहे क्योंकि वे आत्मिक जाग्रति नहीं चाहते थे। रिचर्ड ओलिवास नामक व्यक्ति सबसे बुरे विभाजन का दोषी था। उसका मानना था कि सुसमाचार प्रचार की महान आज्ञा केवल यीशु के समय के चेलों के लिये ही दी गयी थी। उसके बाद आत्मा जीतने का कार्य करने का उत्तरदायित्व किसी को नहीं सौंपा गया। हमारे चर्च के प्रति उसकी पहली शिकायत यही थी। वह बिल्कुल यीशु के इन कथनों को नापसंद करता था‚ ‘‘इसलिये पहिले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी" (मत्ती ६:३३) वह व्यक्ति लोगों को सफलता और दौलत का पीछा करने के लिये कहता था। मैं लोगों को यही प्रचार करता रहा कि आत्माओं में जाग्रति फैलाने के कार्य में लगे रहो। तीन सौ लोग इसके पीछे हो लिये! केवल १५ बचे। हमारे इन लोगों ने मसीह को केंद्र बनाया और उसके लोगों की तुलना में हम सफल रहे! कहीं अधिक! हमारे लगभग सभी युवा कॉलज से स्नातक हो गए। हमारे चर्च के इन शेष बचे लोगों के पास अपने घर हैं या घर का सहस्वामित्व है। उस व्यक्ति के पीछे जाने वाले लोग हवा में चारों दिशाओं में बिखर गये। हमारे यहां बहुत कम तलाक हुए। उनके यहां लोग तलाक देने के लिये आतुर बैठे थे! दोनों पक्षों में कौन सफल रहा? निश्चित हमने इस इमारत का पैसा चुकाने के लिये दुख उठाया। परंतु इसके कारण हम यीशु के मजबूत चेले ठहरे। उसका छोटा समूह नये प्रचारको का कमजोर समूह बनकर रह गया। हमने यीशु के लिये थोड़ा दुख उठाया और आशीषित ठहरे। वे पैसे और संसारीपन के पीछे भागे और शैतान द्वारा बर्बाद किये गये! प्रभु यीशु का कथन है कि ‘‘कोई मनुष्य दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता" (मत्ती ६:२४) प्रभु सही थे और ये लोग गलत! आइये इस आशय का एक गीत खड़े होकर गाते हैं ‘‘यीशु के पीछे मैं चलने लगा!"
यीशु के पीछे मैं चलने लगा;
यीशु के पीछे मैं चलने लगा;
यीशु के पीछे मैं चलने लगा;
न लौटूंगा न लौटूंगा;
संसार को छोड़कर सलीब को लेकर
संसार को छोड़कर सलीब को लेकर
संसार को छोड़कर सलीब को लेकर
न लौटूंगा न लौटूंगा;
(यीशु के पीछे मैं चलने लगा न लौटूंगा‚ हिंदु जन को गीत का श्रेय‚ १९ सदी)
आमीन! आप अपना स्थान ग्रहण कर सकते हैं।
इफिसुस के चर्च के साथ कुछ अचंभे वाली बात घटी। जब यीशु ने उन्हें सजग किया‚
‘‘पर मुझे तेरे विरूद्ध यह कहना है कि तू ने अपना पहिला सा प्रेम छोड़ दिया है" (प्रकाशितवाक्य २:४)
यीशु ने यह नहीं कहा कि वे प्रेम में ‘‘असफल" रहे परंतु उन्होंने कहा उस चर्च की मंडली ने पहले सा प्रेम करना ‘‘छोड़" दिया था।
‘‘पर मुझे तेरे विरूद्ध यह कहना है कि तू ने अपना पहिला सा प्रेम छोड़ दिया है" (प्रकाशितवाक्य २:४)
डॉ जॉन एफ एल वर्लवुड ने इसका यह कारण बताया। उनके अनुसार‚
‘‘इफिसुस का चर्च अब मसीहियों की दूसरी पीढ़ी में प्रवेश कर चुका था"
क्या मुझे अब कुछ और कहने की आवश्यकता है? ‘‘इफिसुस का चर्च अब मसीहियों की दूसरी पीढ़ी में प्रवेश कर चुका था।" यही अपने आप में पर्याप्त संकेत है! तब डॉ वर्लवुड ने कहा‚ ‘‘परम पिता परमेश्वर के प्रति जो पहले जैसा प्रेम पहली पीढ़ी में पाया जाता था‚ दूसरी पीढ़ी में अब उसका अभाव है" (जॉन एफ वर्लवुड‚ टी एच डी‚ दि रिविलेशन ऑफ जीजस क्राईस्ट‚ मूडी प्रेस‚ १९७३‚ पेज ५६)
हे युवाओं‚ आप हमारे चर्च की दूसरी पीढ़ी हो! आप एक समय हमारे चर्च में शेष रहे ‘‘३९ जन" में से नहीं हो जिन्होंने यह इमारत बचायी थी। वे पहली पीढ़ी थे, आप नहीं! डॉ चान ने बताया था कि वे ‘‘३९ जन" जो हमारे चर्च की पहली पीढ़ी थी मसीह से प्रेम रखती थी और उनकी सेवा किया करती थी। डॉ चान अपनी युवावस्था से हमारे साथ थे।वे कहा करते थे,
जब मैंने मसीह पर विश्वास किया‚ तो मेरा जीवन सदा के लिये बदल गया‚ मेरे पाप उनके रक्त से शुद्ध हो गये। यह चर्च अब मेरा दूसरा घर हो गया! मैंने बिना देर किये मेरा जीवन प्रभु के लिये के लिये कार्य करने के लिये अर्पित कर दिया। डॉ हिमर्स निरंतर मसीह के चेले बनने के लिये आप के बीच में प्रचार करते रहे, (मसीह) और चर्च को पहले स्थान पर रखना, स्वयं का इंकार करना, और लोगों की आत्माओं को जीतना। उन्होनें ऐंटीमोनियज्म के विरूद्ध प्रचार किया - एक अराजक मसीही होने के विरूद्ध। मैं जानता था कि जो उन्होंने प्रचार किया वह सही था। वह मेरे लिये ही था!.....हम ने साथ साथ गीत गाये और प्रार्थना की। उस समय की बहुत यादें हैं। हम एक सप्ताह में कई बार प्रचार के लिये जाते थे। हम पूरा सभाघर भर देते थे। मैं जूडी कैगन, मैलिसा सैंडर्स, और विनी योंग जो मेरी पत्नी बनी, इन लोगों को प्रभु के पास लेकर आया। परमेश्वर ने यूसीएलए कैंपस में मेरी सहायता की और मैं इन लोगों को वहां प्रचार के माध्यम से प्रभु के बारे में बता पाया....मिसिस हिमर्स (जब एक किशोरी थी), तब से चर्च की सेवकाई के लिये स्वयं को अर्पित कर दिया और कुछ न रख छोड़ा। मैं उन्हें तब से जानता हूं जब वे पहली बार चर्च आयीं, हम दोनो ही तब युवावस्था में थे। तब से उनके मन में मसीह के प्रति बड़ा प्रेम निरंतर बना रहा और आत्मा को जीतने की धुन बनी रही....... चर्च में वह दो लोगों के कार्य को संभाल रहीं थी, तब वह हाई स्कूल से स्नातक भी नहीं हुई थी....... अब वह विशेष रूप से चीनी युवा और अन्य एशियाई लड़कियों के लिये कार्य कर रही हैं....... मेरे अभी तक के अनुभव में हमारे चर्च में अन्य संस्कृति के लिये कार्य करने वाली वह सबसे प्रभावशाली महिला है (अगेंस्ट ऑल आडस) ।
इलियाना बाद में बीमार भी रही परंतु उसने कभी भी प्रार्थना सभा में आना नहीं छोड़ा या बुधवार और गुरूवार को फोन पर शुभ संदेश प्रचार करने की − अपनी जिम्मेदारी को नहीं छोड़ा। एक और महान महिला हैं मिसिस सालाजार। वह जैसे विशेष ऊर्जा से भरी हुई मदर टेरेसा हैं! वह एक बैपटिस्ट संत हैं!
हे युवा लोगों‚ हमारे चर्च को ऐसा मत बनने देना जैसे इफिसुस के चर्च में दूसरी पीढ़ी ने किया था! आप लोग हमारे चर्च का भविष्य हैं! कृपया − यीशु के लिये अपना पहला प्रेम मत छोड़िये!
प्रकाशितवाक्य २:३ को पढ़िये। यह स्कोफील्ड बाइबल के पेज १३३२ पर है।
‘‘और तू धीरज धरता है‚ और मेरे नाम के लिये दुख उठाते उठाते थका नहीं" (प्रकाशितवाक्य २:३)
एक आधुनिक अनुवाद इसको इस तरह लिखता है‚ ‘‘तुझ में धैर्य है और तू मेरे नाम के कारण दुख उठाते उठाते थका नहीं" (एन आयवी) । ध्यान दीजिये कि इससे यह समझा जा सकता है कि वे लोग बीते समय में कैसे रहे होंगे - कैसा दुख उन्होंने उठाया होगा। आपने तकलीफ झेली होगी और आप थके नहीं होंगे। यह वह वर्णन है जो बताता है कि वे बीते समय में कैसे रहे होंगे।
डॉ वर्लवुड समझाते हैं‚ ‘‘कि अब चर्च में मसीही जनों की दूसरी पीढ़ी आराधना हेतु आती थी। का प्रेम अब ठंडा पड़ गया...जो एक खतरनाक स्थिति है जो आगे आने वाले समय में आत्मा में स्वधर्म के प्रति अरूचि को दर्शाता है (उत्साह के अभाव) को बताता है जो भविष्य में उस महत्वपूर्ण (चर्च) की समस्त गवाहियों को मिटा कर रख देगा। तो चर्चेस के इतिहास में यह सदा काल से चला आ रहा हैः पहले, आत्मिक प्रेम का ठंडा हो जाना, उसके पश्चात परमेश्वर के प्रेम का स्थान भौतिक वस्तुएं ले लेती हैं....यह विश्वास त्याग कर देने के समान है और प्रभावशाली गवाही को खो देने के समान है" (वर्लवुड, उक्त संदर्भित) ।
मैं इस बात से सहमत हूं कि यह हमारे चर्च में हो रहा था। हमारे चर्च की दूसरी पीढ़ी कहीं अधिक ठंडी है और उत्साह का अभाव है। ये सब लोग डॉ चान‚ मि ग्रिफिथ‚ डॉ जूडी कैगन‚ मिसिस हिमर्स - ये मूल लोग हमारे चर्च में १९७० में आये थे − वे जीवंत‚ धुन के पक्के‚ प्रेम से भरपूर‚ गहन संगति वाले - मसीह के प्रति सशक्त समर्पण रखने वाले लोग थे। दूसरे शब्दों में कहें तो वे बहुत कुछ इफिसुस की पहली पीढ़ी के मसीही लोगों के समान थे।
परंतु यह गर्मजोशी और धुन अगली पीढ़ी के अधिकतर बच्चों तक नहीं पहुंच पायी वे जो दूसरी पीढ़ी में बढ़े हो रहे थे। दूसरी पीढ़ी ने पूरा जीवन यहां बिताया। वे सब प्रकार की गतिविधियों में भाग लेते थे। वे सारी प्रार्थना सभाओं में आते थे‚ परंतु जब वे स्वयं प्रार्थना करते तो बिल्कुल नीरस प्रार्थना होती। ‘‘पहली पीढ़ी में परमेश्वर का प्रेम जो लोगों के व्यक्तित्व से प्रगट होता था, वह वर्तमान पीढ़ी में अधिकतर के जीवन में दिखाई नहीं पड़ता था।" केवल जॉन कैगन उठ खड़े हुए और पहली पीढ़ी के समान दिखाई दिये। वजह, उन्हें जीवन को बदल देने वाला, उद्धार प्राप्त करने का अनुभव मिला जिसके कारण उनके भीतर, पहली पीढ़ी के समान प्रेम और वह धुन दिखाई दी। अगर वे एक ऐथलीट और स्वाभाविक अगुवे नहीं होते तो वे भी चर्च के अन्य दूसरे बच्चों के समान उदासीन बने रहते। उनकी उम्र के कुछ बच्चों ने तो चर्च छोड़ दिया। कुछ तो उदासीन और स्वार्थी हो गये। उनमें से कुछ तो अभी तक ऐसे ही हैं। जॉन स्वयं उलझन में रहता था कि क्यों चर्च के युवा इतने उदासीन और संसारी हैं।
इस बिंदु पर पहुंचकर लगता है कि हमें आत्मिक जागरण का अनुभव पाना बहुत आवश्यक है। दूसरी पीढ़ी चर्च को तब तक जीवंत और प्रेम से ओत प्रोत व सामर्थशाली नहीं रख सकती जब तक जीवन को बदल देने वाला‚ मसीह से उद्धार पाने का अनुभव उनको नहीं मिले। परंतु दूसरी पीढ़ी में से अधिकतर लोगों ने विद्रोह किया और चर्च छोड़ कर चले गये और संसारीपन में विलीन हो गये। उनमें से कुछ ने मसीह को अपने जीवन में अस्वीकार कर दिया। यद्यपि, उनमें से कुछ चर्च में बने रहे, परंतु उन्होंने मन बदलने से इंकार कर दिया। कुछ तो यह सोचने लगे कि मन परिवर्तन जैसी कोई चीज होती ही नहीं है। कुछ ने तो यह मांग तक कर डाली कि अगर मसीह वास्तव में हैं तो इसे सिद्ध करने के लिये कुछ आंतरिक परिवर्तन दिखाना चाहिये।
हम ऐसे युवाओं का एक के बाद एक सामना करते गये‚ उस स्तर तक कि या तो उन्होंने उद्धार प्राप्त किया या फिर वे चर्च छोड़ कर चले गये। अंततः ऐसे युवाओं की बड़ी संख्या ने उद्धार प्राप्त किया − लेकिन पहली पीढ़ी के समान उनके भीतर वैसा प्रेम, मसीह के प्रति वैसी धुन उपजाने के लिये बहुत कड़ा संघर्ष करना पड़ा। ऐसे गुण उपजाने के लिये, उन्हें यह याद करना पड़ा कि वे कहां से गिरे थे।" उन्हें इस बात को मानना पड़ा‚ जैसे जॉन कैगन ने माना कि चर्च के ‘‘उनचालीस" मूल लोग जिसमें उनके माता पिता और पुरानी पीढ़ी शामिल थी − की तुलना में इस दूसरी पीढ़ी के लोगों का विश्वास मरा हुआ था। दूसरा‚ उन्हें ‘‘पश्चाताप करना था और पहिले के समान कार्य करने थे।" उन्हें विचारों और मन दोनो में बदलाव की आवश्यकता थी। उन्हें पुनः लौट कर सच्चे परिवर्तन (पहिले जैसे कार्य) को प्राप्त करना था। परमेश्वर का धन्यवाद हो, उनमें से कुछ युवाओं ने किया भी जैसे - एमी और आयको, फिलिप और तिमोथी जैसे वेस्ली और नूह - और कुछ अन्य लोग भी।
तब परमेश्वर ने हमारे बीच में आत्मिक जाग्रति भेजना आरंभ की। परमेश्वर का धन्यवाद हो, कि वे हम पर भरोसा कर पाये कि हमारे मध्य अपना आत्मा भेजा। पिछले कुछ महिनों में लगभग २० नये लोग आये और उन्होंने उद्धार प्राप्त किया। ये सभायें निरंतर जारी रही ताकि नये लोग विश्वास में पक्के हो जायें!
इस समय जॉन कैगन ने कहा था कि ‘‘आत्मिक जागरण का मिलना किसी पहेली का अगला हिस्सा है।" ऐसे ही प्रेम और धुन के पक्के लोगों की जरूरत इफिसुस के चर्च में थी − और आज हमारे चर्च में भी है। ‘‘जीवित रहने के लिये आत्मिक जाग्रति मिलना चाहिये मैं ऐसा मानता हूं!"
भाइयों और बहिनों‚ हमें बार बार अपने पापों को स्वीकार करना चाहिये और अधिकाधिक परमेश्वर की आत्मा के हमारे मध्य उपस्थित होने के लिये प्रार्थना करते जाना चाहिये।अभी प्रार्थना कीजिये! अभी प्रार्थना कीजिये! अभी प्रार्थना कीजिये! आइये अपने स्थानों पर खड़े होकर गीत संख्या १५ गायें‚ ‘‘मैं उनके लिये जीउंगा।"
मेरा जीवन‚ मेरा प्रेम मैं आप को देता हूं‚ आप परमेश्वर के मेम्ने जो मेरे लिये मरे;
मेरे मसीहा और मेरे परमेश्वर‚ मैं सदा विश्वसनीय रह सकूं!
जिसने मेरे लिये प्राण दिये‚ मैं उनके लिये जीउंगा‚ तब मेरा जीवन कितना संतुष्ट होगा!
जिसने मेरे लिये प्राण दिये मैं उनके लिये जीउंगा‚ मेरे मसीहा और मेरे परमेश्वर!
मैं अब विश्वास करता हूं कि आप ग्रहण करते हैं‚ मैं जी सकूं इसलिये आप मरे;
और इसीलिये मैं आप में विश्वास रखता हूं‚ मेरे मसीहा और मेरे परमेश्वर!
जिसने मेरे लिये प्राण दिये‚ मैं उनके लिये जीउंगा‚ तब मेरा जीवन कितना संतुष्ट होगा!
जिसने मेरे लिये प्राण दिये मैं उनके लिये जीउंगा‚ मेरे मसीहा और मेरे परमेश्वर!
आप जो कलवरी क्रूस पर मरे, कि मेरी आत्मा बचे और मैं मुक्ति पाउं‚
मैं अपना जीवन आप के लिये पवित्र करूंगा‚ क्योंकि आप मेरे लिये मरे!
जिसने मेरे लिये प्राण दिये‚ मैं उनके लिये जीउंगा‚ तब मेरा जीवन कितना संतुष्ट होगा!
जिसने मेरे लिये प्राण दिये मैं उनके लिये जीउंगा‚ मेरे मसीहा और मेरे परमेश्वर!
(‘‘मैं उनके लिये जीउंगा" राल्फ इ हडसन‚ १८४३−१९०१; पास्टर द्वारा बदले गये शब्द)
अब गीत संख्या १९ ‘‘यह प्रेम है "गायेंगे।
यह प्रेम है‚ समुद्र जैसा विस्तारित‚ प्रेम और करूणा की बाढ़ हो जैसे‚
हमारे जीवन का राजकुमार‚ हमारा छुटकारा‚ अपना कीमती रक्त जिसने बहाया‚
कौन उनका प्रेम स्मरण नहीं रखेगा? कौन उनकी प्रशंसा करना बंद कर देगा?
उन्हें कभी नहीं भुलाया जा सकता‚ स्वर्गिक अनंत दिनों तक।
क्रूस की उस पहाड़ी पर गहरे चौड़े सोते रक्त के बह निकले;
परमेश्वर की करूणा के द्वार से अनुग्रह का तीव्र प्रवाह बह निकला।
अनुग्रह और प्रेम की अबाधित बड़ी नदियां उपर से उड़ेली गयी‚
स्वर्गिय शांति और उत्तम न्याय ने इस दोषी जगत को प्रेम से चूम लिया।
हो सके मैं आप के संपूर्ण प्रेम को स्वीकार कर सकूं‚ मेरे सारे दिनों में मैं आप से प्रेम रखूं;
मै आपके राज्य की खोज में रहूं सदा‚ मेरा जीवन आप की प्रशंसा करना होवे;
केवल आप मेरे द्वारा महिमा का कारण होवें और कुछ मुझे इस संसार में न दिख पड़ें।
आप ने मुझे शुद्ध और पवित्र किया है‚ आप ने स्वयं मुझे मुक्त किया है।
आप के सत्य‚ आप की आत्मा‚ आप के वचन से आप मुझे निर्देशित करते हैं;
आप के अनुग्रह से मेरी आवश्यकता होती है पूरी‚ जैसे मैं आप पर भरोसा रखता हूं मेरे प्रभु
आप की पूर्णता में से आप उस बड़े प्रेम और सामर्थ को मेरे उपर उड़ेलते हैं‚
अथाह‚ संपूर्ण और असीमित रूप में मेरा हृदयआप की ओर खिंचा रहे
(‘‘यह प्रेम है‚ समुद्र जैसा विस्तारित" विलियम रीस‚ १८०२−१८८३)
डॉ चान हमें प्रार्थना और अनुग्रह से आशीषित करें।
अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स आप से सुनना चाहेंगे। जब आप डॉ हिमर्स को पत्र लिखें तो आप को यह बताना आवश्यक होगा कि आप किस देश से हैं अन्यथा वह आप की ई मेल का उत्तर नहीं दे पायेंगे। अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स को इस पते पर ई मेल भेजिये उन्हे आप किस देश से हैं लिखना न भूलें।। डॉ हिमर्स को इस पते पर rlhymersjr@sbcglobal.net (यहां क्लिक कीजिये) ई मेल भेज सकते हैं। आप डॉ हिमर्स को किसी भी भाषा में ई मेल भेज सकते हैं पर अंगेजी भाषा में भेजना उत्तम होगा। अगर डॉ हिमर्स को डाक द्वारा पत्र भेजना चाहते हैं तो उनका पता इस प्रकार है पी ओ बाक्स १५३०८‚ लॉस ऐंजील्स‚ केलीफोर्निया ९००१५। आप उन्हें इस नंबर पर टेलीफोन भी कर सकते हैं (८१८) ३५२ − ०४५२।
(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व बैंजामिन किंकेड ग्रिफिथ का एकल गान:
‘‘यीशु वह मधुर नाम है मैं जानता हूं" (लेला लांग‚ १९२४)