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जब परमेश्वर पिता लोहू देखते हैं

WHEN GOD SEES THE BLOOD
(Hindi)

डॉ आर एल हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

दि बैपटिस्ट टैबरनेकल ल्योस ऐंजीलिस में रविवार
२७ अगस्त‚ २०१७ की संध्या को दिया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Evening, August 27, 2017

‘‘मैं उस लोहू को देखकर तुम को छोड़ जाऊंगा" (निर्गमन १२:१३)


इब्रानी लोग मिस्र में गये। पहली बार तो उनका सम्मान किया गया क्योंकि याकूब का पुत्र युसुफ मिस्र के सम्राट अधीन बड़ा अधिकारी था। वहां जाकर बसने के बाद इजरायलियों की संतानें बढ़ती गयी। फैल गयीं। परंतु अब समय बीतने के साथ एक नया सम्राट का राज्य आया जो युसुफ को नहीं जानता था। वह इजरायलियों की संख्या देखकर डर गया कि वे इस देश को अपने नियंत्रण में ले सकते हैं। इसलिये उसने उन्हें गुलाम बनाना आरंभ कर दिया। तब इजरायलियों की पुकार परमेश्वर पिता के कानों तक पहुंची और उन्होंने उन लोगों को छुड़ाने के लिये मूसा को भेजा। परंतु फिरौन बहुत कर्कश और निष्ठुर शासक था। उसने परमेश्वर के लोगों को जाने नहीं दिया। तब परमेश्वर ने उन पर नौ विपत्तियां भेजी। हर बार विपत्ति आने पर मूसा सम्राट के पास पहुंचते और कहते हैं कि‚ यहोवा तुझ से इस प्रकार कहता है‚ ‘‘मेरी प्रजा के लोगों को जाने दे।" फिरौन बेअसर बना रहता। परंतु फिरौन फिर कठोर हो जाता। अब समय आ गया कि परमेश्वर पिता उन पर दसवीं विपत्ति भेजते हैं।

‘‘फिर यहोवा ने मूसा से कहा‚ एक और विपत्ति मैं फिरौन और मिस्र देश पर डालता हूं‚ उसके पश्चात वह तुम लोगों को वहां से जाने देगा......." (निर्गमन ११:१)

मूसा पुनः फिरौन के दरबार में पहुंचते हैं‚ और चेतावनी देते हैं,

‘‘फिर मूसा ने कहा‚ यहोवा इस प्रकार कहता है‚ कि आधी रात के लगभग मैं मिस्र देश के बीच में हो कर चलूंगा। तब मिस्र में सब पहिलौठे मर जाएंगे....... क्योंकि उस रात को मैं मिस्र देश के बीच में से हो कर जाऊंगा सब के पहिलौठों को मारूंगा" (निर्गमन ११:४−५; १२:१२)

परंतु परमेश्वर पिता अपनी निजी प्रजा को दंड नहीं देना चाहते थे। इसलिये उन्होंने मूसा से कहा प्रत्येक परिवार एक मेम्ना मारे।

‘‘तब वे उसके लोहू में से कुछ ले कर उनके घर के द्वार के दोनों अलंगों और चौखट के सिरे पर लगाएं....." (निर्गमन १२:७)

निवेदन करता हूं अपने स्थानों पर खड़े हो जाएं और निर्ग १२:१२−१३ उंचे स्वर में पढ़ें

‘‘क्योंकि उस रात को मैं मिस्र देश के बीच में से हो कर जाऊंगा और मिस्र देश के क्या मनुष्य क्या पशु‚ सब के पहिलौठों को मारूंगा..... और मैं दण्ड दूंगा: मैं तो यहोवा हूं। और जिन घरों में तुम रहोगे उन पर वह लोहू तुम्हारे निमित्त चिन्ह ठहरेगा अर्थात मैं उस लोहू को देखकर तुम को छोड़ जाऊंगा‚ और जब मैं मिस्र देश के लोगों को मारूंगा‚ तब वह विपत्ति तुम पर न पड़ेगी और तुम नाश न होगे" (निर्गमन १२:१२−१३)

लगभग १५०० सौ वर्षो तक यहूदी स्मरणार्थ इस फसह के पर्व को मनाते रहे। मिस्र की गुलामी से छुटकारे की याद में वे फसह के पर्व को मनाते हुए‚ विशेष भोजन मेम्ने और अखमीरी रोटी को ग्रहण करते और इस पाठ को पढ़ते। ‘‘फसह" शब्द इस मूल पाठ से निकला है‚

‘‘मैं उस लोहू को देखकर तुम को छोड़ जाऊंगा" (निर्गमन १२:१३)

मैं चाहता हूं कि आप इस पाठ पर तीन तरीके से विचार करें। पहिला‚ लोहू से क्या अर्थ है। दूसरा‚ लोहू का प्रभावशाली होना और तीसरा‚ लोहू का लगाया जाना।

१॰ पहिला‚ लोहू से क्या तात्पर्य है।

‘‘मैं उस लोहू को देखकर तुम को छोड़ जाऊंगा" (निर्गमन १२:१३)

क्या इस पद में हमारे लिये कुछ संदेश है? निश्चित ही हमारे लिये यह संदेश है कि जो लोहू फसह के पर्व पर मेम्ने का बहाया गया था, यीशु ने हजारों साल पश्चात फसह के पर्व पर क्रूस पर स्वयं का लोहू बहाया − सचमुच, वह फसह के पर्व का समय था, जब यीशु ने अपना लोहू बहाया।

‘‘उसके चेलों ने उस से पूछा‚ तू कहां चाहता है‚ कि हम जाकर तेरे लिये फसह खाने की तैयारी करें?" (मरकुस १४:१२)

वे उपर बने उस कमरे में गये और निर्गमन १२:१३ को पढ़ा‚

‘‘मैं उस लोहू को देखकर तुम को छोड़ जाऊंगा" (निर्गमन १२:१३)

पहिले प्रभु यीशु ने उन्हें अखमीरी रोटी बांटी।

‘‘फिर उस ने कटोरा लेकर धन्यवाद किया‚ और उन्हें दिया..... और और उस ने उन से कहा यह वाचा का मेरा वह लोहू है‚ जो बहुतों के लिये बहाया जाता है" (मरकुस १४:२३−२४)

मसीह उन्हें सिखा रहे थे कि निर्गमन के इस पाठ १२:१३ में दरवाजों पर प्रतीक स्वरूप लगाये गये लोहू की छाप‚ नयी वाचा के बांधे जाने वाले उस लोहू को प्रगट करती है‚ जिसे वे अगले दिन क्रूस पर बहाने जा रहे हैं।

‘‘मैं उस लोहू को देखकर तुम को छोड़ जाऊंगा" (निर्गमन १२:१३)

यह बात साधारण लोहू के लिये नहीं कही गयी थी। यह उस लोहू के लिये कही गयी थी जो

‘‘परमेश्वर का मेम्ना है‚ जो जगत के पाप उठा ले जाता है" (यूहन्ना १:२९)

जो लोहू घर की चौखटों पर लगाया गया था‚ उसने आगे आने वाले समय का चित्रण प्रस्तुत किया जिसमें मसीह के लोहू की छाप अपने हदय पर लेने वाले अनेक पापियों के पापों के छुटकारे का मूल्य चुकाया जायेगा‚ जिससे वे

‘‘परमेश्वर की कलीसिया में सम्मिलित हो सकेंगे जिसे उस ने अपने लोहू से मोल लिया है" (प्रेरितों के कार्य २०:२८)

आप पूछ सकते हैं कि इस लोहू में क्यों ऐसी शक्ति है? इसका उत्तर स्पर्जन देते हैं‚

अगर मसीह मात्र एक मनुष्य होते..... तो उनके लोहू में लोगों को पापों से शुद्ध करने की प्रभावोत्पादकता नहीं होती; परंतु मसीह परमप्रधान परमेश्वर थे, जो लोहू यीशु ने बहाया, वह परमेश्वर का लोहू था। क्योंकि वह हमारे समान ही मनुष्य रूप लिये हुये थे, इसलिये दिखने में वह लोहू मनुष्य के ही समान था। परंतु उनके मनुष्यत्व में परमेश्वरत्व का इतना सम्मिश्रण था कि उस लोहू की गुणकारिता बढ़ गयी....... यह शाश्वत काल का अनवरत आश्चयकर्म ही तो था कि परमेश्वर ने मनुष्य के लिये अपने प्राण दिये। सचमुच! विचार करें कि मसीह जो संसार के रचयिता थे, जो जीवन के प्रदायकर्ता हैं, तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि उनकी मृत्यु मनुष्य को पाप से छुड़ाने में सामर्थशाली है। उनका लोहू मनुष्यों के पापों को शुद्ध करने योग्य है.... क्योंकि वह दिव्य प्राणी हैं, ‘‘वह निम्नतम पतित मनुष्य को भी बचाने में समर्थ हैं," जो उन पर विश्वास रखने के द्वारा परमेश्वर पिता के पास आता है। उनका लोहू ही वह लोहू है जिससे शुद्ध होकर परमेश्वर के क्रोध से बचा जा सकता है (सी. एच. स्पर्जन‚ ‘‘दि ब्लड" दि न्यू पार्क स्ट्रीट पुल्पिट पिलग्रिम पब्लिकेशंस पुर्नमुद्रण १९८१‚ वाल्यूम ५‚ पेज २७−२८)

‘‘मैं उस लोहू को देखकर तुम को छोड़ जाऊंगा" (निर्गमन १२:१३)

चौखट पर लोहू परमेश्वर के मानवीय रूप अर्थात मसीह यीशु के लोहू का चित्रण है।

‘‘क्योंकि हमारा भी फसह जो मसीह है‚ बलिदान हुआ है" (१ कुरूंथियों ५:७)

यही लोहू का अर्थ है!

२॰ दूसरा‚ लोहू का प्रभावशाली होना।

‘‘मैं उस लोहू को देखकर तुम को छोड़ जाऊंगा" (निर्गमन १२:१३)

‘‘मैं तुम को छोड़ जाऊंगा।" तुम पर कोई न्याय नहीं आ पड़ेगा। अगर तुम्हारे उपर मसीह के लोहू की छाप है − तो तुम पर कोई श्राप नहीं लगेगा।

‘‘क्योंकि यहोवा देश के बीच हो कर मिस्रियों को मारता जाएगा इसलिये जहां जहां वह चौखट के सिरे और दोनों अलंगों पर‚ उस लोहू को देखेगा‚ वहां वहां वह उस द्वार को छोड़ जाएगा और नाश करने वाले को तुम्हारे घरों में मारने के लिये न जाने देगा" (निर्गमन १२:२३)

कोई भी स्त्री पुरूष जिस पर यीशु के लोहू की छाप है‚ वह परमेश्वर के दंड से बच जायेगा।

‘‘और उसका लोहू जो तसले में होगा उस में जूफा का एक गुच्छा डुबाकर उसी तसले में के लोहू से द्वार के चौखट के सिरे और दोनों अलंगों पर कुछ लगाना और भोर तक तुम में से कोई घर से बाहर न निकले......" (निर्गमन १२:२२)

लोहू चौखट पर − सबसे उपर के भाग में। चौखट के दोनों सिरों पर दोनों अलंगों पर लोहू लगाया गया। सबसे उपर सबसे नीचे । इस घटना ने मसीह के क्रूस का संकेत दिया!

देख उसके हाथ और पैरों व माथे को‚
   प्रेम और दुख मिल गये हैं;
क्या ऐसे दुख और प्यार कभी ऐसे मिलते हैं‚
   क्या कांटे ऐसा धनी ताज बनाते हैं?
(‘‘व्हेन आय सर्वे दि वंडरस क्रॉस" आयजक वाट‚१६७४−१७४८)

‘‘क्योंकि तुम जानते हो, कि तुम्हारा निकम्मा चाल-चलन जो बाप दादों से चला आता है उस से तुम्हारा छुटकारा चान्दी सोने अर्थात नाशमान वस्तुओं के द्वारा नहीं हुआ। पर निर्दोष और निष्कलंक मेम्ने अर्थात मसीह के बहुमूल्य लोहू के द्वारा हुआ" (१ पीटर १:१८−१९)

मार्टिन लूथर पूछते हैं‚

वह कौनसा खजाना था जिससे हम को छुड़ाया गया? नष्ट होने वाले सोने चांदी से हमें नहीं छुड़ाया गया‚ परंतु मसीह जो परमेश्वर के पुत्र हैं उनके कीमती लोहू का मूल्य चुकाकर हमें छुड़ाया गया। यह खजाना इतना मूल्यवान और कीमती है कि मानवीय समझ और बुद्धि से परे है कि इस लोहू की एक बूंद समस्त संसार के पाप शुद्ध करने के लिये पर्याप्त है। तौभी परम पिता परमेश्वर हम पर अपने अनुग्रह को उदारता से उड़ेलना चाहते थे‚ उन्होंने अपने पुत्र मसीह को देह का संपूर्ण लोहू बहा देने की अनुमति दी और इस तरह अपना संपूर्ण खजाना हमारा पर अर्पित कर दिया (लूथर‚ एक्सपोजिशन ऑफ १ पीटर १:१८−१९)

मसीह का लोहू गैतसेमनी बगीचे में पसीने की बूंदों की तरह जमीन पर गिरा। पीलातुस के बड़े कक्ष में कोड़े की कर्कश मार पर उदारता से बह निकला। कांटों के मुकुट ने माथा भेद दिया और आंखों पर लोहू परत बन जमने लगा। अंत में, सैनिकों ने पसली में भाला मारा‚

‘‘और उस में से तुरन्त लोहू और पानी निकला" (यूहन्ना १९:३४)

‘‘(परमेश्वर पिता) ने अपने पुत्र मसीह को देह का संपूर्ण लोहू बहा देने की अनुमति दी और इस तरह अपना संपूर्ण खजाना हमारा पर अर्पित कर दिया" (लूथर‚ उक्त संदर्भित)

और

‘और उसके पुत्र यीशु का लोहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है" (१ यूहन्ना १:७)

सारे पाप मसीह यीशु के लोहू में शुद्ध कर दिये गये! सारे पाप! संसार का कोई पाप इतना बड़ा नही कि उनका लोहू उसे शुद्ध नहीं कर सकता! कोई ऐसा पाप नहीं जो लोहू में धुल न सके। यह लोहू मरियम मगदलीनी की सात दुष्टात्मायें निकाल सकता है। यह दुष्टात्माओं की विकरालता को मिटा सकता है। यह कोढ़ के अव्यक्त घावों को ठीक कर सकता है। ऐसी कोई आत्मिक बीमारी नहीं जिसे मसीह का लोहू अच्छा नही कर सके। कितनी भी घृणास्पद या भ्रष्ट स्थिति हो, इसके आगे कुछ नहीं, क्योंकि यह मसीह का संपूर्ण रूप में पर्याप्त लोहू है।

‘‘मैं उस लोहू को देखकर तुम को छोड़ जाऊंगा" (निर्गमन १२:१३)

और यह लोहू के प्रभाव को प्रगट करता है!

३॰ तीसरा, लोहू का लगाया जाना।

अगर मेम्ने का गला घोटा जाता या उसे जहर दिया जाता तो नष्ट करने वाला प्रत्येक घराने के पहिलौठे का न्याय करने में रूक जाता। अगर मेम्ने को मारा जाता और उसे ही चौखट पर लटका दिया जाता, तब भी नष्ट करने वाले का न्याय पूरा नहीं कर पाता। जो कहते हैं कि लोहू कोई अर्थ नहीं रखता, वे इसे जान लें। अकेले मेम्ने की मृत्यु नहीं परंतु उसका लोहू भी प्रभावोत्पादक है। सच में, मेम्ने का मारा जाना आवश्यक था। और इसलिये लोहू को प्रतीक चिंन्ह ठहराकर, परमेश्वर ने उस रात के लिये वायदा किया,

‘‘मैं उस लोहू को देखकर तुम को छोड़ जाऊंगा" (निर्गमन १२:१३)

परंतु वह लोहू केवल पात्र में ही नहीं रहने पाये। उसका लगाया जाना आवश्यक है। उस जूफे को लीजिये

‘‘लोहू से......द्वार के चौखट के सिरे और दोनों अलंगों पर कुछ लगाना" (निर्गमन १२:२२)

लोहू का लगाया जाना आवश्यक है अन्यथा यह प्रभाव नहीं छोड़ेगा। हे पापी जन, मसीह के लोहू को ले! मसीह के लोहू से अपने पापों को धोकर शुद्ध हो जा!

‘‘मसीह यीशु: परमेश्वर ने उसके लोहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित्त ठहराया, जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है" (रोमियों ३:२४−२५)

अजीब बात है कि एनएएसवी इसका अनुवाद गलत करती है, जिसे यथाशब्द अनुवाद कहा जा सकता है! एनआयवी तौभी सही अनुवाद करती है, ‘‘उसके लोहू में विश्वास रखने के द्वारा।" मुझे ज्यादा अनुवादों को पलटना नापसंद है। मैं पुराने विश्वसनीय केजेवी अनुवाद से ही संदर्भ लेता हूं, जो सही अनुवाद और विश्वसनीय है।

‘‘उसके लोहू में विश्वास रखने के द्वारा"

मसीह यीशु का लहू विश्वास रखने की विषय वस्तु है। इस तरह आप उनके साथ जुड़ते हैं। इस तरह लोहू आपके उपर लगाया जाता है − ‘‘उसके लोहू में विश्वास रखने के द्वारा।"

‘‘ऐसा नहीं होता है" कुछ नये सुसमाचार प्रचारक ऐसा कह सकते है, ‘‘आप उनके लोहू में विश्वास रखने से उद्धार प्राप्त नहीं कर सकते!" मैं चाहूंगा कि आप जाने कि इसके बिना आप कैसे बचाये जायेंगे! ‘‘उनका कथन है अगर मनुष्य लोहू पर विश्वास रखे, तो वह नष्ट हो जायेगा!" नहीं मित्रों! ऐसा बिल्कुल नहीं है! क्योंकि परमेश्वर पिता स्वयं के प्रति असत्य ठहरेंगे, अगर वह मसीह यीशु के लोहू पर आप के विश्वास रखने के उपरांत भी आप की आत्मा को नाश कर दें!

‘‘क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लोहू है जो बहुतों के लिये पापों की क्षमा......के निमित्त बहाया जाता है" (मत्ती २६:२८)

ऐसे कई लोग हैं जिन्हें महसूस नहीं होता कि मसीह का लोहू उन पर लगा हुआ है। परंतु इससे फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि लिखा है कि आप को देखने की आवश्यकता नहीं है कि लोहू लगा है या नहीं। सचमुच नहीं! यहां यह लिखा हुआ है,

‘‘मैं उस लोहू को देखकर मैं तुम को छोड़ जाऊंगा" (निर्गमन १२:१३)

परमेश्वर पिता को इस लोहू की छाप देखने की आवश्यकता है। एकमात्र परम प्रधान परमेश्वर देखेंगे या महसूस करेंगे कि आप को समस्त पापों से शुद्ध करने वाले लहू की छाप लगी है या नहीं। बाइबल का पद यह नहीं कहता ‘‘जब आप लोहू को देखेंगे।" यह पद ऐसा नहीं कहता कि आप को मसीह के लहू से शुद्ध होने के बारे में सब समझने की आवश्यकता है। यहां लिखा हुआ है, ‘‘जब मैं लोहू को देखूंगा।" भले ही मसीह यीशु पर आपका विश्वास बहुत न हो। परंतु जब आप मसीह के पास आते हैं और उनके लोहू बहाये जाने पर विश्वास करते हैं, परम प्रधान इसे देखेंगे। एकमात्र परम प्रधान ही हैं जो अर्थ रखते हैं। और

‘‘मैं उस लोहू को देखकर मैं तुम को छोड़ जाऊंगा" (निर्गमन १२:१३)

इजरायली उस लोहू की छाप नहीं देख सके। वे अपने घरों के भीतर थे। वे नहीं देख पाये कि घरों की चौखटों पर अलंगों पर क्या था। परंतु परमेश्वर पिता ने वहां लोहू को देखा। केवल इसी एक शर्त पर पापी मनुष्य का उद्धार पाना निर्भर करता है − परमेश्वर देखेंगे आप को लोहू लगा हुआ है ना कि आप का देखना कोई अर्थ रखता है। तो परम प्रधान परमेश्वर के समीप प्रार्थना करते हुए आइये और कहिये, परमेश्वर पिता, मुझे मसीह के लोहू के कारण उद्धार दे दीजिये। मुझे जैसा देखना चाहिये, मैं नहीं देख पाता, परंतु आप लोहू की छाप देख पाते हैं, और आप ने कहा है,

‘‘मैं उस लोहू को देखकर मैं तुम को छोड़ जाऊंगा" (निर्गमन १२:१३)

‘‘परमेश्वर पिता आप लोहू को देखते हैं। आप देखते हैं कि मैंने लोहू की उद्धार देने वाली सामर्थ पर विश्वास किया है। मुझे क्षमा कीजिए शुद्ध कीजिए, केवल मसीह के लोहू के कारण।" इस प्रार्थना को हार्दिक इच्छा बना लीजिए और आप अति शीघ्र ही मसीह यीशु के लोहू से अपने पापों से शुद्ध हो सकेंगे!


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(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व धर्मशास्त्र पाठ का पठन: मरकुस १४:१२−२५
संदेश के पूर्व बैंजामिन किंकेड ग्रिफिथ का एकल गान:
‘‘व्हेन आय सी दि ब्लड’’ (जॉन फूटी‚ १९ वी सदी)


रूपरेखा

जब परमेश्वर पिता लोहू देखते हैं

WHEN GOD SEES THE BLOOD

डॉ आर एल हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

‘‘मैं उस लोहू को देखकर तुम को छोड़ जाऊंगा" (निर्गमन १२:१३)

(निर्गमन ११:१‚ ४−५; १२:१२‚ ७)

१॰ पहिला‚ लोहू से क्या तात्पर्य है‚ मरकुस १४:१२‚ २३−२४; यूहन्ना १:२९;
प्रेरितो के कार्य २०:२८; १ कुरूंथियों ५:७

२॰ दूसरा‚ लोहू का प्रभावशाली होना‚ निर्गमन १२:२३¸२२; १ पतरस १:१८−१९;
यूहन्ना १९:३४; १ यूहन्ना १:७

३॰ तीसरा, लोहू का लगाया जाना‚ रोमियों ३:२४−२५; मत्ती २६:२८