इस वेबसाईट का उद्देश्य संपूर्ण विश्व भर के पास्टर्स व प्रचारकों को, विशेषकर तीसरी दुनिया के पास्टर्स व प्रचारकों को नि:शुल्क हस्तलिखित संदेश और संदेश के विडियोज उपलब्ध करवाना है, जहां बहुत कम धर्मविज्ञान कॉलेज और बाइबल स्कूल्स हैं।
इन संदेशों की पांडुलिपियां प्रति माह २२१ देशों के १,५००,००० कंम्प्यूटर्स पर इस वेबसाइट पते पर www.sermonsfortheworld.com जाती हैं। सैकड़ों लोग इन्हें यू टयूब विडियो पर देखते हैं। किंतु वे जल्द ही यू टयूब छोड़ देते हैं क्योंकि विडियों संदेश हमारी वेबसाईट पर पहुंचाता है। यू टयूब लोगों को हमारी वेबसाईट पर पहुंचाता है। प्रति माह ये संदेश ४२ भाषाओं में अनुवादित होकर १२०,००० प्रति माह हजारों लोगों के कंप्यूटर्स पर पहुंचते हैं। उपलब्ध रहते हैं। पांडुलिपि संदेशों का कॉपीराईट नहीं है। आप उन्हें बिना अनुमति के भी उपयोग में ला सकते हैं। आप यहां क्लिक करके अपना मासिक दान हमें दे सकते हैं ताकि संपूर्ण विश्व में सुसमाचार प्रचार के इस महान कार्य में सहायता मिल सके।
जब कभी आप डॉ हायमर्स को लिखें तो अवश्य बतायें कि आप किस देश में रहते हैं। अन्यथा वह आप को उत्तर नहीं दे पायेंगे। डॉ हायमर्स का ईमेल है rlhymersjr@sbcglobal.net.
.
आत्मिक जागरण में प्रार्थना की लड़ाई!THE BATTLE OF PRAYER IN REVIVAL! डॉ आर एल हिमर्स लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल चर्च में‚ ९ जुलाई‚ २०१७ |
जब मैंने अपने भक्ति गीतों की पुस्तक में मसीही जीवन के आत्मिक युद्ध पर गीत ढूंढे‚ तो − मुझे एक ही गीत मिला। चर्च के आत्मिक युद्ध से संबंधित एक ही गीत मिला और उसमें एक ही पद मिला! पंद्रह गीत ‘‘सुरक्षा" पर हैं। बत्तीस गीत ‘‘महिमा" पर हैं। बीस गाने ‘‘बच्चों के" लिये हैं। इक्कीस गाने ‘‘आराधना" पर हैं। एक ही गाना चर्च के लिये ‘‘आत्मा में संघर्षरत" रहने का है − चर्च आत्मा में युद्धरत है! उस भक्ति गीत में एक ही अंतरा है जो इस ओर संकेत देता है − और वह भी यह नहीं प्रकट करता कि आत्मा में संघर्ष कैसे किया जा सकता है! यहां वह अंतरा इस प्रकार है जो बताता है कि शैतान और दुष्टात्मा के साथ हम युद्ध रत हैं! मि ग्रिफिथ ने अभी अभी उस गीत को गाया है‚
जयवंत का चिंन्ह देखकर शैतान भाग निकलेगा;
तब मसीही सैनिकों‚ जीत को हासिल करो!
महिमा के स्वर सुनकर नर्क की नींव कांप उठती है;
भाइयों स्वर उंचे उठाओं‚ अपने गीतों के स्वर बढ़ाओं!
आगे बढ़ों‚ मसीही सैनिकों‚ युद्ध के लिये आगे बढ़ों‚
यीशु का क्रूस हमारे आगे चलता है।
(आगे बढ़ों‚ मसीही सैनिकों‚ सैबिन बैरिंग गोल्ड‚ १८३४−१९२४)
केवल यही एक अंतरा है जो कहता है कि शैतान और उसकी सेना से हमारा युद्ध जारी है! और यही एक अंतरा सब आधुनिक भक्ति गीतों की पुस्तिका से अलग कर दिया गया है! यह अंतरा १९५७ में अलग किया गया था। इससे बढ़कर बुरी बात कि यह गीत सब आधुनिक भक्ति गीतों की पुस्तकों में से ही निकाल दिया गया था! पश्चिमी जगत के मसीही लोग तो जानते ही नहीं कि कोई ऐसा आत्मिक संघर्ष भी चल रहा है। हम सोये हुए हैं। दक्षिणी बैपटिस्ट एक मिलियन के चौथे हिस्से को हर साल उनके चर्चेस में से खो देते हैं! उनके एक हजार चर्च हर साल अपने दरवाजें बंद कर लेते हैं! इसमें हमारे बीबीएफआय के चर्चेस भी सम्मिलित हैं। प्रार्थना सभायें तो लगभग खत्म हो चली हैं या फिर उनका स्थान बाइबल अध्ययन ने ले लिया है। पश्चिमी संसार में तो रविवार रात्रि की आराधना तो लगभग हर जगह पर बंद हो गयी हैं। बीबीएफआय के चर्चेस में भी आराधन नहीं होती है। ‘‘प्रचार" का स्थान बाइबल की भारी भरकम व्याख्या ने लेकर अरूचि को पैदा कर दिया है। सच्चा सुसमाचारिय प्रचार तो निष्क्रिय हो चला है। मुझे कोई ऐसा पास्टर नहीं दिखता जो सुसमाचारिय संदेश की तैयारी कैसे करे जानता हो - या उस संदेश को कैसे प्रचार करे! हमारे आज के चर्चेस में सुसमाचार आधारित संदेश सुनाई ही नहीं देता है। डॉ मार्टिन ल्योंड जोंस बींसवीं सदी के सबसे बड़ें प्रचारक थे। उन्होंने कहा था‚
परमेश्वर जानते हैं कि मसीही चर्च एक बहुत लंबे समय तक निर्जन अवस्था में रहा। अगर आप १८४० के पहले चर्च का इतिहास पढेंगे तो पायेगें कि कई देशों में आत्मिक जाग्रति होती रही थी ........लगभग हर दस सालों में। अब ऐसा नहीं होता। सन १८५९ के बाद से एक भी विशाल आत्मिक जाग्रति देखने को नहीं मिली........हम चर्च इतिहास का एक लंबा काल (निष्क्रिय) या अनउपजाउ बिता चुके हैं........ यह अभी भी चल रहा है...... (किसी) पर विश्वास मत कीजिये जो कहता है कि हम इससे बाहर आ गये हैं। हम इस फलहीन दशा से बाहर नहीं निकल पाये हैं चर्च निर्जन दशा में ही चल रहा है। (मार्टिन ल्योंड जोंस, रिवाईवल, क्रासवे बुक्स‚ १९९२‚ पेज १२९)
क्यों हमारे चर्चेस में जान नहीं है? हमने चालीस मिनिट तक कोरस गा गाकर इसमें जीवन फूंकने की कोशिश की हमने लोगों के मनोभावों को वाध यंत्रों की डराने वाली आवाज से विचलित करने का प्रयास किया। परंतु सब निष्फल! मैं फिर कह रहा हूं − बैपटिस्ट या करिश्माई चर्चेस में या किसी अन्य चर्च में परमेश्वर द्वारा भेजी गयी आत्मिक जाग्रति अनुभव की ही नहीं गई। चर्च में ऐसा कुछ नहीं होता है − जिससे लोगों को आत्मिक जागरण का बोध हो!
इसका उत्तर क्या है? हम नहीं जानते कि हम किससे लड़ रहे हैं! हम तो यह भी नहीं जानते कि हमें संघर्षरत रहना हैं! स्कोफील्ड स्टडी बाइबल पेज संख्या १२५५ को खोलिये। यह इफिसियों ६:११ १२ पद हैं। निवेदन है जब तक मै ११ वा और १२ पद पढ़ता हूं‚ पढते समय श्रद्धा के साथ खड़े हो जाइये।
‘‘परमेश्वर के सारे हथियार बान्ध लो; कि तुम शैतान की युक्तियों के साम्हने खड़े रह सको। क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध‚ लोहू और मांस से नहीं‚ परन्तु प्रधानों से और अधिकारियों से‚ और इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से‚ और उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं" (इफिसियों ६:११‚ १२)
अब आप बैठ सकते हैं। आधुनिक न्यू अमेरिकन स्टैंडर्ड बाइबल इस पद का अनुवाद इस तरह से करती है‚
‘‘क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध‚ लोहू और मांस (शत्रु मनुष्य) से नहीं‚ परन्तु प्रधानों से और अधिकारियों से‚ और इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से‚ और उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं" (इफिसियों ६: १२ एनएएसबी)
डॉ चार्ल्स रायरी ने कहा था ‘‘शैतान की सेना विश्वासी के बैरी होते हैं जो सदैव नैतिक संघर्ष के लिये उसके विरूद्ध एकत्रित होते हैं" (इफिसियों ६: १२ पर व्याख्या) यह अप्रकट युद्ध है − शैतान के साथ आत्मिक युद्ध है। शैतान और उसकी सेना से लड़ने के लिये हमारे भीतर कोई ताकत और उमंग नहीं है। हम तो यह भी नहीं जानते कि हमें उनसे लड़ना है! शैतान ने हमें नींद में डाल दिया है! यहां तक कि ‘‘आगे बढ़ों‚ मसीही सैनिकों‚" का अंतरा भी गलत है। यह कहता है कि‚ ‘‘नर्क की नींवें महिमा प्रशंसा के उंचे स्वर सुनकर कांप उठती हैं!" नहीं − वे नहीं कांप उठती हैं! शैतान ‘‘प्रशंसा के उंचे स्वरों" के गीत सुनकर नहीं डरता! बल्कि वह ‘‘महिमा के उंचे स्वरों पर" हंसता है! जब बैपटिस्ट चर्च में लोग कोरस गा रहे होते हैं, वह और उसकी सेना हंसते हैं! बड़े वाद्य यंत्रों की आवाज पर! इलेक्ट्रिक गिटार की आवाज पर! करिश्माई लोगों की ध्वनियों पर हंसता है शैतान! हम जोर जोर से ड्रम बजाकर महिमा करने का विचार करते हैं, उस तेज शोर का शैतान मखौल उड़ाता है।
हमें बिल्कुल यह नहीं सोचना चाहिये कि हमारे पास आसान कार्य है। शैतान का एक हथियार हमें यह विचार करने में लगा देना है कि आत्मिक जागरण में परमेश्वर की उपस्थिति आसानी से उपलब्ध हो जाती है‚ ‘‘क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध‚ लोहू और मांस से नहीं है।" हम अंधकार की ताकतों से‚ दुष्टता की सेनाओं से युद्ध रत रहने के लिये बुलाये गये हैं।
हमें यह नहीं सोचना है कि इन ताकतों से संघर्ष या मुकाबला करना बहुत आसान होगा! पहली बात‚ हम जिस सभ्यता में रह रहे हैं‚ वह इन्हीं के द्वारा नियंत्रित है। मैंने देखा है कि आत्मिक जाग्रति अक्सर मूर्तिपूजक स्थानों से अधिक आती है बजाय पश्चिमी जगत के। क्योंकि अमेरिका और पश्चिम में हम ऐसे बलशाली शैतान के नियंत्रण में रहते हैं जो हम पर पूरा नियंत्रण रखे हुए है। हमें संसार में अंधकार के इन शासकों के साथ कड़ा संघर्ष करना है। जैसे डॉ अंगर ने कहा था, ‘‘इस संसार के शासकों के विरूद्ध।’’ डॉ रायरी ने कहा था, ‘‘दुष्ट देवदूत राष्ट्र के काम काज पर अधिकार जताना चाहते हैं......बुरे और अच्छे देवदूतों का राष्ट्र पर नियंत्रण जारी रहता है (रायरी स्टडी बाइबल, दानियल १०:१३ पर व्याख्या) डॉ अंगर उन्हें, ‘‘इस अंधकार के संसार के शासक’’ कहकर बुलाते हैं (बिब्लीकल डेमोनोलॉजी‚ क्रीजेल‚ १९९४‚ पेज १९६) दानियेल १०:१३ में राज्य करने वाले शैतान को‚ ‘‘दि प्रिंस ऑफ दि किंगडम ऑफ पर्शिया’’ कहा गया है। वर्तमान मे ‘‘पश्चिम के प्रिंस’’ अमेरिका और उसके मित्र राष्ट्रों को नियंत्रित करते हैं। शासन करने वाले शैतान को उसकी ताकत के बल पर लोगों को भौतिकतावाद का गुलाम बनाने का अनुमति दी गयी है। भौतिकतावाद का शैतान अमेरिका और उसके सहयोगी मित्र राष्ट्र को नियंत्रित करता है। भौतिकतावाद का शैतान हमारी प्रार्थनाओं को बाधित करता है, हमारे लोगों को गुलाम बनाता है, और आत्मिक जाग्रति होने से रोकता है। डॉ मार्टिन ल्योंड जोंस उन महान प्रचारकों में से एक थे‚ जो यह बात समझते थे। उन्होंने कहा कि इस शैतान ने गैर मसीही लोगों के दिमागों को अंधा कर दिया है और चर्चेस को तबाह कर डाला है। उन्होंने कहा कि‚ ‘‘चर्च की तो पूरी धारणा ही यथार्थ रूप में चली गयी.......... परमेश्वर के उपर विश्वास, धर्म और उद्धार को अस्वीकार कर दिया गया और भुला दिया गया’’ (रिवाईवल‚ उक्त संदर्भित‚ पेज १३) यह सब भौतिकतावाद के उस बड़े शैतान के कारण हुआ है जिसे मैं ‘‘पश्चिम के राजकुमार’’ कहता हूं।
तीसरी दुनिया के कुछ राष्ट्र है जहां भौतिकतावाद के राजकुमार का जोर हमारे यहां जितना प्रबल नहीं है। तीसरी दुनिया के कुछ राष्ट्र है जहां भौतिकतावाद के राजकुमार का जोर हमारे यहां जितना प्रबल नहीं है। चीन के लाखों युवा‚ अफ्रीका और यहां तक कि इंडोचायना में और मुस्लिम राष्ट्र में − लाखों युवा लोग मसीही बन रहे हैं।
परंतु अमेरिका और मित्र राष्ट्र में लाखों चर्च छोड़ रहे हैं। पोलस्टर जार्ज बारना के अनुसार २५ वर्ष की उम्र आते आते ८८‰ लोग जो चर्च द्वारा बड़े किये गये थे, उन्होंने चर्च छोड़ दिया कि कभी भी चर्च में ‘‘दुबारा नहीं लौटें।’’
भौतिकतावाद का शैतान उन्हें किस तरह से नियंत्रण किये रखता हैॽ वे पोर्नोग्राफी से नियंत्रित होते हैं जिसे वे घंटों इंटरनेट पर देखते रहते हैं। वे प्रार्थना पर हंसते हैं परंतु घंटों सोशल मीडिया से चिपके रहते हैं। सुबह होते ही जागने पर अपने स्मार्ट फोन को हाथ में ले लेते हैं। अभी अभी एक ताजी रिपोर्ट के अनुसार, एक दिन में १५० बार अपने स्मार्ट फोन को जांचते हैं। वे मेरीजुएना के धुंधले नशे में तंद्रा खोकर आलसी पड़े रहते हैं।
सच में वे सुबह से लेकर रात तक टेक्नोलोजी नामक इस बाहरी संसार के शैतान से इस कदर जुड़े हैं कि जैसे उन्हें नशा छाया हुआ हो। हर खाली क्षण में वे अपने स्मार्टफोन को निहारते हैं। वे उसे ऐसे घूरते हैं मानों प्राचीन इजरायली होशे नबी के समय में अपनी मूर्तियों को घूरते थे। मैं कहता हूं कि सोशल मीडिया‚ शैतान द्वारा प्रयुक्त होने वाली ऐसी प्रतिमा है जिसने आज विशेष कर युवा लोगों के दिलों और दिमागों को नियंत्रण में कर रखा है!
आज के अधिकतम प्रचारक इसे बहुत अच्छा और आधुनिक समझते हैं! जैसा डॉ ल्योंड जोंस ने कहा था, वे यह महसूस नहीं करते कि वे शैतानी ताकत से जूझ रहे हैं! इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि हमारे चर्चेस इतने कमजोर और सांसारिक हो गये हैं! होशे नबी के समय में इतनी खराब स्थिति थी कि परमेश्वर ने उससे कहा कि ‘‘(इजरायल) मूरतों का संगी हो गया है‚ इसलिए उसे रहने दो‘‘ (होशे ५:६) परमेश्वर ने उस देश को त्याग दिया है। उनको अकेले त्याग दिया गया, शैतान और दुष्टात्मों के अधीन होने के लिये छोड़ दिया गया − शैतानी ताकतों के अधीन! हम उन्हें चर्च में लेकर आते हैं परंतु परमेश्वर यहां नहीं हैं। वे यह महसूस कर सकते हैं कि परमेश्वर यहां नहीं हैं। होशे नबी ने कहा था कि, ‘‘वे अपनी भेड़−बकरियां और गाय−बैल लेकर यहोवा को ढूंढने चलेंगे परन्तु वह उनको ना मिलेगा क्योंकि वह उनसे दूर हो गया है’’ (होशे ५:६) परमेश्वर जा चुके हैं! उन्होंने हमारे चर्चेस को छोड़ दिया है। अब कई सप्ताहों तक के लिये उन्होंने हमारे चर्च को छोड़ दिया है। वह नहीं गये हैं क्यों कि वह वहां है ही नहीं! अरे नहीं! वह चले गये हैं क्योंकि वह उपस्थित हुआ करते थे! इसीलिये उन्होंने हमको अकेला छोड़ दिया है! वह पूर्णरूपेण पवित्र हैं।वह पूर्ण रूप से हम से नाराज हैं। इसलिये उन्होंने हमें अकेला छोड़ दिया है। इसलिये उनकी उपस्थिति हम अपने बीच में नहीं पाते हैं। इसलिये पवित्र आत्मा चला गया है। इसलिये आत्मिक जाग्रति नहीं हो रही है! हम मसीहत में रूचि रखने वाले लोगों को चर्च में लेकर आते हैं। हम उन्हें बर्थडे पार्टी देते हैं और अच्छा भोजन देते हैं। हम उन्हें कार्टून दिखाते हैं। परंतु हमारे पास उनके लिये क्या यही सब है! हम उस हठी मित्र के समान हो जाते हैं जो कहता है कि‚ ‘‘उसके आगे रखने के लिये मेरे पास कुछ नहीं है‘‘ (लूका ११:६) उसका मित्र आया परंतु उसके पास उसके आगे रखने को कुछ नहीं है! कुछ नहीं केवल थोड़ा सा भोजन और एक पुराना डिब्बा।
परमेश्वर के बारे में सामने रखने को कुछ नहीं है! और कहानी इस तरह समाप्त होती है‚ ‘‘सो जब तुम बुरे होकर अपने लड़के−बालों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो‚ तो स्वर्गीय पिता अपने मांगने वालों को पवित्र आत्मा क्यों न देगाॽ (लूका ११:१३)
परंतु हम वापस नहीं लौटना चाहते‚ जो हमने पिछले वर्ष किया था‚ वह नहीं करना चाहते। हमारी आलसी तंद्रा और सुस्ती ऐसे चर्च को जन्म देती है जो पवित्र आत्मा का अभाव पाया जाता है। जाइये, अपनी दिनचर्या में लौट जाइये। क्यों कोई हलचल हो? क्यों हमें परेशानी में डालें? आइये हम तो सुस्ती में खो जायें। हम परमेश्वर की उपस्थिति के लिये कठिन श्रम करने में जैसे उपवास रखने और प्रार्थना करने में क्यों समय बितायें।
चालीस सालों तक हमारे चर्च में एक भी आत्मिक जाग्रति नहीं हुई। क्यों नहीं हुई? मैंने तो अनेक बार आत्मिक जागरण पर प्रचार किया। जब भी मैं आत्मिक जागरण की बात करता, भयानक प्रतिघात होता। लोग नाराज हो जाते। लोग चर्च छोड़ कर चले जाते। हम तो वास्तव में आत्मिक जाग्रति पर जोर देने से डरने लगे। आशीष के बजाय यह श्राप लगने लगा!
बड़े स्तर पर ऐसा होता था क्योंकि हमारे चर्च में अधिकतर मन नहीं फिराए लोगों का बहुमत था। किंतु जो आत्मिक जागरण चाहते थे‚ वे तो थोड़े ही लोग थे। हम तो पूर्णत: उन से अपराजित थे जो मन नहीं फिराए हुए लोग थे। परंतु धीरे धीरे वे चले गये। हमारे यहां अधिकतर नया जन्म पाये लोग बचे रहे। मैंने महसूस किया कि फिर से आत्मिक जाग्रति का समय है। अब हमारे यहां इतने पर्याप्त सच्चे मसीही जन हो गये कि उनकी संख्या ने झूठे मन परिवर्तन पर विश्वास करने वालों को पीछे छोड़ दिया है।
इसलिये हमने लोगों में जाग्रति आये‚ इसके लिये प्रार्थना करना आरंभ की। हमारे पास पर्याप्त लोग थे जो यह विश्वास करते थे कि परमेश्वर उत्तर देंगे। डैनी कार्लोस ने उद्धार प्राप्त किया। अयाको जबालगा ने उद्धार पाया। तिमोथी चान ने मन फिराया। जोसेफ गोंग ने उद्धार पाया। जूली सिल्वे बचायी गयी। अयाको जबालगा ने उद्धार पाया। बैयेंग जैंग बचाये गये। एंडयू मतसुसाका ने उद्धार पाया। एलिशिया जाकामिटीजीन ने मन फिराया। थॉमस लुआंग ने उद्धार पाया। टॉम जिया ने उद्धार पाया। इर्विन लू ने मन फिराया। जैसिका यिंग ने मन फिराया। राबर्ट वैंग ने मन फिराया। सूसन चू ने उद्धार पाया। वर्जिन निकैल ने उद्धार पाया। १७ लोगों ने नया जन्म पाया। डॉ चान ने पुर्नरूद्धार पाया। जॉन सैम्यूएल कैगन ने सुसमाचार प्रचार के लिये अपने आप को समर्पित किया। ऐरोन यांसी और जैक नैन डीकंस बनाये गये। क्रिस्टीन यूयेन और मिसिस ली प्रार्थना योद्धा बन गये।
परंतु प्रत्येक रात्रि हमको शैतान और उसकी दुष्टात्मों से संघर्ष करना पड़ता डॉ कैगन ने अपने आत्मिक जाग्रति के लेख में इसका विवरण लिखा है। ‘‘डॉ हिमर्स ने कहा कि जब उन्होंने यह डायरी पढ़ी तो उन्होंने दो बातों पर ध्यान दिया। पहली बात, जब परमेश्वर पवित्र आत्मा उपस्थित था, तो बड़े और महान कार्य हुए थे। जब परमेश्वर वहां उपस्थित नहीं थे, तो कुछ नहीं हुआ था।‘‘ आत्मिक जागरण के समय एक व्यक्ति ने मुझ पर आक्रमण किया और अपने परिवार को लेकर चर्च छोड़ दिया!
एक युवा लड़की चर्च छोड़कर चली गयी। इन लोगों ने पहले के समान इस चर्च में पाये जाने वाले ‘‘अपरिवर्तित लोगों‘‘ के समान व्यवहार किया। इन घटनाओं ने प्रकट किया कि शैतान आत्मिक जाग्रति का विरोध कर रहा है। जैक नैन ने प्रार्थना में शैतान के साथ संघर्ष को लिखा है। जैक ऐरोन यांसी के साथ प्रार्थना कर रहा था। उसने कहा, ‘‘कि हमने परमेश्वर की उपस्थिति के लिये प्रार्थना आरंभ की।‘‘ जब मैंने अपनी दूसरी प्रार्थना की। मेरा सिर घूमने लगा और मैं मूर्च्छित होने वाला था। प्रार्थना में वाक्य बनाने में दिक्कत आने लगी और मैंने ऐरोन से कहा कि मैं प्रार्थना करने में असमर्थ महसूस कर रहा हूं। तब ऐरोन ने प्रार्थना करना आरंभ की तो उसको भी समान दिक्कत, प्रार्थना को जमा कर बोलने में आने लगी। हमने समझ लिया कि एक बड़ी शैतानी बाधा है और फिर हमने घुटनों के बल पर प्रार्थना करना आरंभ की कि उस बाधा की उपस्थिति उठा ली जाये और मसीह के लहू का छिड़काव हमने मांगा। मैं दंडवत करते हुए गिरा। हमने इसी अवस्था में तीसरी बार प्रार्थना की और महसूस किया कि परमेश्वर ने उस अंधकार को तोड़ दिया और उस उपस्थिति को हटा दिया गया। हम जानते थे कि वह सभा बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाली थी। यह ४ बजे अपरान्ह में हुआ।
दो घंटे बाद‚ उस रात शाम की सभा में मैंने प्रचार किया कि क्यों अमेरिका और पश्चिम में आत्मिक जाग्रति नहीं आती। उस संदेश में पूर्णतः जॉन कैगन की गवाही दी हुई थी। डॉ कैगन ने उन्हें मंत्रणा दी, और उन्होंने यीशु पर विश्वास किया और उद्धार पाया। अब हम जानते हैं कि क्यों जैक और ऐरोन को प्रार्थना में शैतान के साथ संघर्ष करना पड़ा!
नये साल पर मैंने एक संदेश प्रचारित किया था जिसका शीर्षक था ‘‘नर्क का एक साल − आत्मिक जाग्रति का एक साल!‘‘ मैंने कहा था कि हमने नये नियम की सच्ची मसीहत का अनुभव किया है - जो कि आत्मिक संघर्ष है।
‘‘क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध‚ लोहू और मांस से नहीं‚ परन्तु प्रधानों से और अधिकारियों से‚ और इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से‚ और उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं‘‘ (इफिसियों ६:१२)
केवल प्रार्थना में वास्तविक संघर्ष से यह लड़ाई जीती जा सकती है।
मंगलवार को जॉन सैम्यूएल कैगन और डॉ कै्रगन भारत की यात्रा पर जायेंगे जहां जॉन तीन सुसमाचारिय क्रूसेड को संबोधित करेंगे। मैं चर्च में प्रत्येक जन से यह आग्रह करता हूं कि वे बुधवार संध्या को प्रार्थना सभा में आयें − कोई सुसमाचार प्रचार नहीं होगा। हम एक घंटे प्रार्थना में बितायेंगे कि जॉन कैगन की सभा में लोग मन फिराए और उद्धार पायें और हम हमारे चर्च में भी आत्मिक जाग्रति के लिये प्रार्थना करेंगे कि परमेश्वर नीचे उतर आयें।
मैं आप से विनती करता हूं कि आप बुधवार शाम की इस महत्वपूर्ण प्रार्थना सभा में संध्या ७ बजे अवश्य आयें। परंतु मैं प्रत्येक सभा में हर समय शुभ संदेश का प्रचार करता हूं।
यीशु आप के पापों के लिये क्रूस पर मरे। आप को सब पापों से शुद्ध करने के लिये उन्होंने अपना पवित्र लहू बहाया। परमेश्वर के दाहिने हाथ पर वह विराजित हैं और आप के लिये उनसे प्रार्थना करते हैं। केवल यीशु मसीह पर विश्वास कीजिए। वह आप को आप के पापों और परमेश्वर के न्याय से बचायेंगे। मेरी प्रार्थना है कि आप यीशु पर जल्द विश्वास करें।
डॉ कैगन और जॉन से मैं आग्रह करता हूं कि वे पुल्पिट के सामने आगे आकर इन दो कुर्सियों पर बैठे। वे मंगलवार को तीन सप्ताह के लिये भारत देश की यात्रा पर होंगे। जॉन वहां तीन अलग अलग शहरों में सुसमाचारिय प्रचार करेंगे। मंडली में से प्रत्येक जन आगे आकर इन दोनों के लिये प्रार्थना करे।
अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स आप से सुनना चाहेंगे। जब आप डॉ हिमर्स को पत्र लिखें तो आप को यह बताना आवश्यक होगा कि आप किस देश से हैं अन्यथा वह आप की ई मेल का उत्तर नहीं दे पायेंगे। अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स को इस पते पर ई मेल भेजिये उन्हे आप किस देश से हैं लिखना न भूलें।। डॉ हिमर्स को इस पते पर rlhymersjr@sbcglobal.net (यहां क्लिक कीजिये) ई मेल भेज सकते हैं। आप डॉ हिमर्स को किसी भी भाषा में ई मेल भेज सकते हैं पर अंगेजी भाषा में भेजना उत्तम होगा। अगर डॉ हिमर्स को डाक द्वारा पत्र भेजना चाहते हैं तो उनका पता इस प्रकार है पी ओ बाक्स १५३०८‚ लॉस ऐंजील्स‚ केलीफोर्निया ९००१५। आप उन्हें इस नंबर पर टेलीफोन भी कर सकते हैं (८१८) ३५२ − ०४५२।
(संदेश का अंत)
आप डॉ.हिमर्स के संदेश इंटरनेट पर प्रति सप्ताह पढ सकते हैं
www.sermonsfortheworld.com पर
''पांडुलिपि संदेशों'' पर क्लिक कीजिये।
पांडुलिपि संदेशों का कॉपीराईट नहीं है। आप उन्हें बिना डॉ.
हिमर्स की अनुमति के भी उपयोग में ला सकते हैं। यद्यपि डॉ.
हिमर्स के सारे विडियो संदेश का कॉपीराईट है और उन्हें
अनुमति से उपयोग में ला सकते हैं।
संदेश के पूर्व डॉ सी एल कैगन द्वारा धर्मशास्त्र पढ़ा गया: इफिसियों ६:१०−१२
संदेश के पूर्व बैंजमिन किंकेड ग्रिफिथ ने एकल गान गाया
(आगे बढ़ों‚ मसीही सैनिकों‚ सैबिन बैरिंग गोल्ड‚ १८३४−१९२४)