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एक धीमी और उग्र उदासी

A SOFT AND VIOLENT SADNESS
(Hindi)

द्वारा जॉन सैम्यूएल कैगन
by Mr. John Samuel Cagan

रविवार की सुबह, ३० अप्रैल, २०१७ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल
में दिया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Morning, April 30, 2017

‘‘और एक स्त्री ने जिस को बारह वर्ष से लोहू बहने का रोग था, और जो अपनी सारी जिविका वैद्यों के पीछे व्यय कर चुकी थी और तौभी किसी के हाथ से चंगी न हो सकी थी। पीछे से आकर उसके वस्त्र के आंचल को छूआ, और तुरन्त उसका लोहू (बहना थम) गया’’ (लूका ८:४३–४४)


एक महिला बहुत भयानक रीति से बीमार थी। उसने बीमारी से बचने के लिये जो कुछ कर सकती थी, सब किया। वह डॉक्टर्स के पास गयी, परंतु वे उसे बचा न पाये। जितनी भी पूंजी उसके पास थी, उसने इस बीमारी से बचने में लगा दी। अपने समय के वैधों की देख रेख में, जितने भी उपचार उन्होंने सुझाये, उसने प्रत्येक उपचार पर अमल किया। अपने समय के यहूदी लोगों द्वारा वह अशुद्व ठहरा दी गयी। वह धार्मिक और सामाजिक अलगाव में रहने लगी। वह अकेली रह गयी और कोई उससे बात नहीं करता था।

उसके पास विकल्प खत्म हो गये थे। उसके पास आशा खत्म हो गयी थी। यीशु को देखने से पहले तक, उसके पास किसी प्रकार की कोई आशा शेष नहीं रही। उसने यीशु को भीड़ में देखा। वह जानती थी, यीशु उसे अच्छा कर सकते हैं। उसे यीशु तक पहुंचना आवश्यक था। वह नहीं जानती थी कि वह यीशु तक पहुंच भी पायेगी। वह उसे इतने दूर प्रतीत हुए कि उसे असंभव लगा कि वह कभी चंगा हो पायेगी। परंतु उसने हरसंभव प्रयास किया क्योंकि वह जानती थी कि एकमात्र जन जो मदद कर सकते हैं, वह यीशु हैं।

उसने भीड़ से संघर्ष किया और यीशु के पास पहुंच गयी। वह ठीक से यीशु के पास नहीं पहुंच सकी, परंतु उसके वस्त्र की कोर को छू लिया। जिस क्षण उसने यीशु के वस्त्र को स्पर्श किया, उसकी बीमारी अच्छी हो गयी और यीशु ने उसे संपूर्ण चंगाई दे दी। यह कहानी सीधे आप से संबंधित है। उसने भीड़ से संघर्ष किया और यीशु के पास पहुंची। यद्यपि तौभी वह यीशु के बिल्कुल नजदीक नहीं पहुंच सकी। परंतु हां, उसके वस्त्रों को कोर को छूने में वह सफल हो गयी। जिस क्षण उसने यीशु के वस्त्र का ही स्पर्श कर लिया, उसकी बीमारी अच्छी हो गयी। यीशु ने उसे पूर्ण चंगाई दे दी। यह कहानी सीधे आप की दशा को बयां करती है।

१॰ पहली बात, आप बीमार हैं।

पूरा मनुष्य जगत बीमार है। मनुष्यता ऐसी बीमारी से ग्रसित है जो पूरी मनुष्य जाति को लील रही है।इसी बीमारी के कारण् ही तो लोग एक दूसरे को चोट पहुंचाते हैं, एक दूसरे का फायदा उठाते हैं, और अंततः स्वयं को नष्ट कर लेते हैं। यह बीमारी रहस्य नहीं है।

विज्ञान और इतिहास ने भी इस बीमारी का सामना किया है, यद्यपि, वे इसे अलग अलग नामों से पुकारते हैं। इस बीमारी को परमेश्वर ने पाप का नाम दिया है। पाप ने मनुष्यता को बीमार बना दिया है। पाप ने आप को बीमार बना दिया है। बाइबल कहती है,

‘‘इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं’’ (रोमियों ३:२३)

प्रत्येक जन पाप की बीमारी से ग्रसित है। यद्यपि पाप जीवन भर ही लोग करते है और यह जड़ पकड़ता जाता है। पाप करना सीखने की आवश्यकता नहीं होती है।पाप स्वतः पैदा होता हैं और आप के भीतर घाव के समान पकता जाता है। जो कुछ आप करते हैं, पाप उसको प्रभावित कर देता है। जब आप बेईमान होते हैं यह पाप की बीमारी का प्रमाण है। जब आप पोर्नोग्राफी देखते हैं, तो इसलिये क्योंकि पाप आप के भीतर छिपा हुआ है। जो चीजें गलत हैं, उनकों करने से आप पापी नहीं बनते। बल्कि आप पापी हैं, इसलिये वे चीजें करते हैं जो गलत हैं। पाप आप ने उत्तराधिकार में प्राप्त किया है। आप जन्मजात पापी थे। पाप की बीमारी वंशानुगत है। आप पापी हैं, चूंकि आप पापी हैं तो वही कार्य करने के लिये ललायत रहते हैं, जो गलत है। पाप ने आप के मन को बीमार बना रखा है। अपने मौन विचारों में आप वे चीजें करना चाहते हैं जो आप आम तौर पर नहीं करते हैं। अगर आप वे चीजें कर लें तो आप बहुत ही बुरे बन सकते हैं। जितनी तेजी से आप के फेफड़ें श्वास लेते हैं, आप झूठ गढ़ लेते हैं। आप प्रकट में तो भले व्यक्ति का छदम रूप धरे रहते हैं परंतु साथ ही साथ गुप्त में आप का हृदय भयानक चीजें रच रहा होता है। आप पाप से ग्रसित है और पाप ही मनुष्य को स्वार्थी, धोखेबाज और बदसूरत बनाता है। बाइबल कहती है,

‘‘हम तो सब के सब अशुद्ध मनुष्य के से हैं, और हमारे धर्म के काम सब के सब मैले चिथड़ों के समान हैं। हम सब के सब पत्ते की नाईं मुर्झा जाते हैं, और हमारे अधर्म के कामों ने हमें वायु की नाईं उड़ा दिया है’’ (यशायाह ६४:६)

पाप एक बीमारी है। पाप के लक्षण भी है और प्रभाव भी है। पाप के परिणाम स्वरूप लोग अपने स्वयं के जीवन में गहराई तक नाखुश रहते हैं। पाप के कारण वे शर्मिदा, हताश और दर्द में रहते हैं। चिंतन के क्षणों में, आप को अपने भीतर कुछ अंधकार का अहसास हो सकता है। समय समय पर आप को अपने भीतर दुख का अहसास हो सकता है, जिसका संबंध निर्दोषता से नहीं है। आप का जीवन ऐसी रिक्त भावना से भर गया है, जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता। आप ने पाप के लक्षणों को महसूस किया होगा। कभी कभी तो आप ने अपने भीतर अपनी बुरी दशा को पहचाना होगा और यह कितनी भावुक और तीव्र उदासी के साथ आप को खींचती है। आप ने ऐसे क्षणों को बहुत मुश्किल से सहा होगा और यह ख्याल आया होगा कि ऐसी अवस्था में कब तक रहा जा सकता है। अगर आप जीने के लिये वृत्ति रखते हैं तो आप इस बीमारी का उपचार खोजने में लग जाते हैं। और जैसे शेष संसार ऐसा करता है, आप भी इस संसार के उपायों पर ध्यान देने लग जाते हैं।

‘‘और एक स्त्री ने जिस को बारह वर्ष से लोहू बहने का रोग था, और जो अपनी सारी जिविका वैद्यों के पीछे व्यय कर चुकी थी और तौभी किसी के हाथ से चंगी न हो सकी थी’’ (लूका ८:४३)

२॰ दूसरा, आप ने बीमारी के उपचार को तलाशा होगा।

पाप के लक्षणों के लिये अनेक उपचार प्रदान किये जाते हैं। लोगों ने आनंद उठाने के कारण पाप के लक्षणों को भुला देना उचित समझा। पाप के लक्षणों को नजरअंदाज करने के लिये लोग नशीली दवाई का सहारा लेते हैं। कभी कभी जीवित रहना इतना असंतुष्ट कर देता है कि वे नशे की गोली, इंजेक्शन या बोतल का सहारा लेने लगते हैं। सोचते हैं कि थोड़ी देर तो सहारा मिलेगा। पाप के लक्षणों को टालने के लिये आप अपने को आनंद में डूबों सकते हैं। हो सकता है कि आप ने अल्कोहल या नशे का प्रयोग नहीं किया हो, परंतु जो भी करते हैं, वह एक उपचार होता है। यह व्यसन होता है।

आनंद के भेष में अनेक उपचार मौजूद हैं। लोग आजकल आभासी दुनिया के आदी हो गये हैं। बिजनेस इनसाइडर में अभी अभी एक अध्ययन में कहा गया है कि हर दिन एक सामान्य आदमी अपने फोन को दिन में २००० से ५००० बार छूता है। लोग सूचना लेने के लिये हड़बडाहट मचाते हैं, संसार को जानने के लिये और संपर्क बनाये रखने के लिये, और टेक्नोलॉजी जितना भुलावे में रखती है, वे बने रहना चाहते हैं। वे पूरे समय डाटा का संग्रह करने में लगे रहते हैं – ताकि उन्हें कभी उन्हें पाप के लक्षण याद न आयें।

आप की जेब में भी स्मार्ट फोन होगा। आप भी रह रह कर उसे देखते हैं। एक अधीरता सी हावी हो जाती है। काम के क्षणों में भी आदत से मजबूर आप की निगाहें स्क्रीन पर दौड़ती है। यह उपचार है। यह व्यसन है। पाप के लक्षण अगर आप ने पहचान भी लिये होंगे, तो आप उससे बच भी नहीं पाये होंगे।

‘‘और एक स्त्री ने जिस को बारह वर्ष से लोहू बहने का रोग था, और जो अपनी सारी जिविका वैद्यों के पीछे व्यय कर चुकी थी और तौभी किसी के हाथ से चंगी न हो सकी थी’’ (लूका ८:४३)

टेक्नोलोजी आप को दूसरी दुनिया में ले जाती है। टेक्नोलोजी आप को उस भुलावे के संसार में ले जाकर सुख का भ्रम देती है, क्योंकि जिस दुनिया में आप पैदा हुये हैं, उसकी सच्चाईयां झेल पाना कठिन है। लोग घंटों घंटो सोशल मीडिया पर बिताते हैं। स्वयं की दस से पंद्रह फोटों खींचतें है जब तक कि उनका आभासी चेहरा ठीक न दिखने लगे। वे स्वयं को ऐसा दिखाना चाहते हैं, जैसा स्वयं के लिये उनका विश्वास न हो कि वे ऐसे दिख सकते हैं। बड़ी सावधानी से वे तस्वीर को बनाते हैं और पोस्ट को लिखते हैं। ताकि लोग उनका कुछ अच्छा संस्करण देख सकें कि वे क्या हैं।

आप के पास फेसबुक अकाउंट है। आप के पास इंस्टाग्राम है। आप अपनी तस्वीरों के सबसे अच्छे कोण चुनने में समय व्यतीत कर रहे है। ताकि लोग उसे न देखे, जो आप वास्तव में हैं। जब आप इसे बेहतरीन ढंग से कर पाते हैं, तो लोग कहते हैं कि आप सुंदर हैं। आप अच्छे इंसान दिख रहे हैं। पाप का लेश मात्र आप के भीतर नहीं हो सकता। पाप के लक्षणों को आप ने छिपा लिया। परंतु वह तो भीतर पक रहा घाव है। उसके उपचार से आप बच रहे हैं।

‘‘और एक स्त्री ने जिस को बारह वर्ष से लोहू बहने का रोग था, और जो अपनी सारी जिविका वैद्यों के पीछे व्यय कर चुकी थी और तौभी किसी के हाथ से चंगी न हो सकी थी’’(लूका ८:४३)

ध्यान कीजिये, जीवन कितना व्यस्ततम हो गया है आप का। सही दशा पता करने में समय लगता है। सच्ची दशा का सामना करने से बचने के लिये आप समय को पूरी रीति से इधर उधर बिता कर नष्ट कर देते हैं। आप का खाली समय भी खाली नहीं है। आप का विवेक पूरे समय भटकावों से भरा हुआ है। आप विडियों गेम खेलते हुए समय बिताते हैं। आभासी संसार ने सच्चे संसार को पीछे धकेल दिया है। चाहे युवा कक्षा में बैठे हुए हो, ट्रेफिक में हों, या चर्च में संदेश सुन रहे हों, उनका मन भटकता है, कि जल्द घर पहुंचे और गेम्स खेलने लगें। आप के जीवन में व्याप्त उस धीमी और उग्र उदासी को महसूस करने का वक्त आप के पास नहीं है।

अपनी स्वयं की दशा का सच्चा ब्यौरा समझने में आप बहुत अधिक व्यस्त हैं।आप ने कंप्यूटर स्क्रीन पर पूरा दिन बिताया है। परंतु आप सिर्फ अपने मन और दिमाग के साथ दिन नहीं बिताना चाहते। इसलिये इंटरनेट पर खोये रहना चाहते हैं। आप संगीत से जुड़े हैं, विडियों गेम्स में मशगूल हैं, इंटरनेट पर हैं, पोर्न साइटस से तात्कालिक सुख ले रहे हैं, हर प्रकार के आनंद में अपने को डूबोये हुए हैं, सिर्फ जीवन की सत्यता का सामना नहीं कर रहे हैं। आप स्वयं से बात करते हैं कि पाप के लक्षणों से आप डरते नहीं हैं। आप सारी चीजें करते हैं, परंतु बोर होने के कारण। ये सारी चीजें मजा देती है, इसलिये आप उनमें लिप्त रहते हैं। कभी ठहर कर देखें कि मजे का पीछा करने के लिये आप कितनी मेहनत कर रहे हैं, तो पायेंगे कि जिंदगी से हाथ से फिसली जा रही है। चिंता या देखभाल करने के लिये ही समय नहीं हैं। आप ने अपने जीवन को इतना व्यस्त बना लिया है। बाइबल कहती है,

‘‘चैन के साथ एक मुट्ठी उन दो मुट्ठियों से अच्छा है, जिनके साथ परिश्रम और मन का कुढ़ना हो’’ (सभोपदेशक ४:६)

आप स्वयं से कहते हैं कि क्या करूं मेरे पास समय ही नहीं बचता है। आप स्वयं से कहते हैं कि क्या करूं मेरे पास समय ही नहीं बचता है। आप के मिड टर्म हैं, प्रोजेक्ट है फिर नौकरी पर जाना है। ये किसी भी दिन नहीं बदलेगा। आप तो सदा व्यस्त रहेंगे। आप अपने दिन की दिनचर्या बदलना ही नहीं चाहते हैं। आप मानने लगते हैं कि भविष्य में आप की दशा कुछ सुधरने लगेगी। आप मानते हैं कि आप स्नातक हो जायेंगे। आप पैसा कमाने लगेंगे। कुछ ऐसे हो जायेंगे कि जिस होने पर आप को घमंड हो जायेगा। आप कहीं से भी स्नातक हों, कितना ही पैसा बना लें, आप संतुष्ट नहीं हो पायेंगे। न ये पैसा पूरा पर्याप्त हो पायेगा। बाइबल कहती है,

‘‘जैसा वह मां के पेट से निकला वैसा ही लौट जाएगा नंगा ही, जैसा आया था, और अपने परिश्रम के बदले कुछ भी न पाएगा जिसे वह अपने हाथ में ले जा सके’’ (सभोपदेशक ५:१५)

आप की आशायें एक दिन निराशा में बदल जायेगी। न पैसा, न कोई सिद्व नौकरी आप की उस भूख को मिटा सकती है। जिसके लिये आप की आत्मा अधीर है, प्यासी है। भौतिक जीवन कभी संतुष्टि नहीं देगा। आत्मा की प्यास को बुझाइये, वहीं से आनंद का सोता बह निकलेगा। आप प्रसन्नचित्त नहीं रहते हैं। आप पाप के लक्षणों से आंख नहीं मिलाना चाहते। आप उनका उपचार करना भी चाहते हैं। लेकिन कोई बचाव आप को नहीं मिलेगा।

‘‘और एक स्त्री ने जिस को बारह वर्ष से लोहू बहने का रोग था, और जो अपनी सारी जिविका वैद्यों के पीछे व्यय कर चुकी थी और तौभी किसी के हाथ से चंगी न हो सकी थी’’ (लूका ८:४३)

कोई भी उपचार बचाव की सुरक्षा को सुनिश्चित नहीं करता है। संसार के समस्त आनंद मिलकर आप के पाप की बीमारी को ठीक नहीं कर सकते हैं। सारे पैसा मिला लीजिये, तौभी पाप का बचाव खरीद नहीं पायेंगे। जैसे एक प्राचीन भक्ति गीत के बोल हैं,

हीरे के एकड़ हो, या सोने के पर्वत, नदियां हो चांदी की, गहने बेशुमार,
ये सब मिलकर भी आप को या मुझे दे न सकेंगे
निद्रा समय की शांति या अंतकरण अबाध।
(‘‘हीरे के एकड़ हो’’, आर्थर स्मिथ, १९५९)

आप को पाप से बचाव के लिये बहुत अधिक उपचार की आवश्यकता नहीं होगी। एक के बाद एक जो उपचार लेते हैं, वे केवल आप के लक्षणों का देखभाव करते हैं। उपचार लक्षणों की देखभाल करते हैं, परंतु बीमारी को संबोधित नही करते हैं। सारी जिंदगी उपचार कराते रहिये, पूरी तरह से थक जाइये, परंतु तौभी पूर्ण बचाव तक नहीं पहुंच पायेंगे। किसी दिन, अचानक, बहुत देर हो चुकी होगी। पाप की बीमारी बहुत खराब अवस्था में पहुंच चुकी होगी। वह रूग्णावस्था बदतर होती जायेगी। आप की बीमारी दीर्धकालिक है, घातक है, आखिरी गंतव्य पर है। पाप की बीमारी आप को नष्ट कर डालेगी। बाइबल कहती है,

‘‘क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है’’ (रोमियों ६:२३)

आप को पाप की रूग्णावस्था से बचाव चाहिये। और वह बचाव यीशु मसीह हैं।

३॰ तीसरा, आप की पाप की रूग्णावस्था से बचाव यीशु मसीह हैं।

पाप के उपचार की प्रक्रिया उपरी साधनों से ठीक नहीं होगी। गहरे में जाना होगा। जैसे बाइबल के इन पदों में वह महिला तमाम इलाज से थक गयी थी। अब उसे यीशु चाहिये थे,

‘‘और एक स्त्री ने जिस को बारह वर्ष से लोहू बहने का रोग था, और जो अपनी सारी जिविका वैद्यों के पीछे व्यय कर चुकी थी और तौभी किसी के हाथ से चंगी न हो सकी थी। पीछे से आकर उसके वस्त्र के आंचल को छूआ, और तुरन्त उसका लोहू (बहना थम) गया’’ (लूका ८:४३–४४)

इस महिला ने बारह सालों में क्या क्या इलाज न करवा लिये होंगे, बीमारी वहीं की वहीं रही, तब वह यीशु की ओर मुड़ी। कितनों ने उसका उपचार किया, कोई उस बीमारी से बचा नहीं पाया। हताश होकर अंत में यीशु उसकी अंतिम आशा बने, उन्होंने उसे तुरंत बचा लिया। इतना भटकाव अंत में एक पल में बचाव। शारीरिक रोग ही नहीं परंतु पाप के रोग को भी जड़ से मिटा देते हैं यीशु मसीह। इस सत्य को मन में धारित करने वाला, पाप से मुक्ति पा जाता है। कहीं किसी संसारी कर्मकांड की आवश्यकता नहीं है। यीशु ने निर्दोष बलिदान का मेम्ना बनकर, समस्त काल के लोगों के पाप एक ही बार अपने उपर लेकर क्रूस पर अपने बलिदान से, अपने पवित्र लहू से धो दिये। यीशु का लहू पाप को जड़ से खत्म करने की औषधि है। बाइबल कहती है,

‘‘निश्चय उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दुखों को उठा लिया; तौभी हम ने उसे परमेश्वर का मारा–कूटा और दुर्दशा में पड़ा हुआ समझा। परन्तु वह हमारे ही अपराधो के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं’’ (यशायाह ५३:४–५)

क्यों यीशु ने ऐसा संपूर्ण मानव जाति के लिये बलिदान दिया। यीशु मनुष्य से प्रेम करते थे और हैं। आप की पाप की बीमारी अच्छी हो जायें। आप भरपूरी का जीवन जियें। यह मकसद है उनका। आप ने स्वयं की आत्मा से पाप के बोझ को हटाने के लिये अनेक उपचार कर लिये होंगे। इलाज की कितनी ही खुराक आप ले चुके होगें। लगता होगा, आत्मा पर अभी भी बोझ है। जिस क्षण यीशु के उपर विश्वास हुआ, उसी क्षण से यीशु आप की आत्मा के बोझ को सदा सर्वदा के लिये मिटा डालते हैं। बचाव तो चाहिये। यीशु कहते हैं,

‘‘भले चंगों को वैद्य की आवश्यकता नहीं, परन्तु बीमारों को है: मैं धमिर्यों को नहीं, परन्तु पापियों को बुलाने आया हूं’’ (मरकुस २:१७)

आप को अपने पाप की बीमारी की सच्चाईयां देखना और महसूस करना चाहिये। एक बार महसूस हो गया कि पाप की दशा भयानक है। आत्मा पर बोझ है। उपचार मत कीजिये। सीधे बचाव पर आइये। एकमात्र यीशु आप को पापों से पूरी तरह हमेशा हमेशा के लिये मुक्ति दे सकते हैं। आप का उद्वार आप कमा नहीं सकते। वह महिला चंगा की गयी, पाप से मुक्त की गयी। अपने बचाव के लिये उसने यीशु को कोई चढ़ावा नहीं चढ़ाया। उसे तो यीशु तक पहुंचना असंभव लग रहा था। पर हियाव करके पहुंची। उनके वस्त्र की कोर ही छू ली और इसी विश्वास से बच गयी! आप भी यीशु तक नहीं पहुंच सकते, नितांत असंभव लगता है! कोई नहीं पहुंचायेगा, कोई माध्यम नहीं, तौभी अपने दिल की दशा जानकर, स्वयं को पापी मानकर, उसको पुकारिये! यीशु, मैं थक गया हूं, मैं आप तक नहीं पहुंच पा रहा हूं, बहुत थोड़ा सा ही विश्वास है मेरा आप पर, परंतु आप के पास आया हूं! इधर आप का विश्वास, और उसी क्षण आप को पापों से पूरा छुटकारा मिल जाता है! यीशु पर विश्वास कीजिये और अपने पाप की बीमारी से हमेशा के लिये आजाद हो जाइये। आमीन।


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(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व नोहा सोंग द्वारा संदेश पढ़ा गया: लूका ८:४३–४८
संदेश के पूर्व बैंजामिन किंकैड ग्रिफिथ ने एकल गान गाया गया:
‘‘टर्न योर आइज अपॉन जीजस'' (हेलेन एच लेमेल १८६३–१९६१)


रूपरेखा

एक धीमी और उग्र उदासी

A SOFT AND VIOLENT SADNESS

द्वारा जॉन सैम्यूएल कैगन
by Mr. John Samuel Cagan

‘‘और एक स्त्री ने जिस को बारह वर्ष से लोहू बहने का रोग था, और जो अपनी सारी जिविका वैद्यों के पीछे व्यय कर चुकी थी और तौभी किसी के हाथ से चंगी न हो सकी थी। पीछे से आकर उसके वस्त्र के आंचल को छूआ, और तुरन्त उसका लोहू (बहना थम) गया’’ (लूका ८:४३–४४)

१॰ पहली बात, आप बीमार हैं, रोमियों ३:२३; यशायाह ६४:६

२॰ दूसरा, आप ने बीमारी के उपचार को तलाशा होगा, सभोपदेशक ४:६; ५:१५
रोमियों ६:२३

३॰ तीसरा, आप की पाप की रूग्णावस्था से बचाव यीशु मसीह हैं,
यशायाह ५३:४–५; मरकुस २:१७