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कोड़े मारे जाना, शर्म व थूका जानाTHE SCOURGING, SHAME AND SPITTING डॉ आर एल हिमर्स रविवार की संध्या, २६ मार्च, २०१७ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल ‘‘मैं ने मारने वालों को अपनी पीठ और गलमोछ नोचने वालों की ओर अपने गाल किए; अपमानित होने और थूकने से मैं ने मुंह न छिपाया’’ (यशायाह ५०:६) |
उस यूरोपियन अधिकारी के समान हम भी पूछ सकते हैं ‘‘भविष्यवक्ता यहां किसके बारे में कहता है। स्वयं के लिये या किसी ओर व्यक्ति के लिये?'' (प्रेरितों के कार्य ८:३४) जैसे ५३ अध्याय के लिये हमें कोई संशय नहीं है कि यशायाह यहां प्रभु यीशु मसीह के लिये कहते हैं। निश्चित ही यह वह भविष्यवाणी है जिसका उल्लेख यीशु यरूशलेम जाते हुए चेलों से करते हैं,
‘‘फिर उस ने बारहों को साथ लेकर उन से कहा; देखो, हम यरूशलेम को जाते हैं, और जितनी बातें मनुष्य के पुत्र के लिये भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा लिखी गई हैं वे सब पूरी होंगी। क्योंकि वह अन्यजातियों के हाथ में सौंपा जाएगा, और वे उसे ठट्ठों में उड़ाएंगे; और उसका अपमान करेंगे, और उस पर थूकेंगे। और उसे कोड़े मारेंगे, और घात करेंगे, और वह तीसरे दिन जी उठेगा’’ (लूका १८:३१–३३)
यीशु ने उनसे कहा कि अन्यजाति उनका मखौल उड़ायेंगे, अपमान करेंगे, कोड़े लगायेंगे और मार डालेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि ये सब बातें ‘‘भविष्यवक्ता द्वारा’’ पहले ही कह दी गयी थी। आज हम जिस पद पर चर्चा करेंगे वह भी एक भविष्यवाणी है, जिसकी तरफ उन्होंने संकेत दिया,
‘‘मैं ने मारने वालों को अपनी पीठ और गलमोछ नोचने वालों की ओर अपने गाल किए; अपमानित होने और थूकने से मैं ने मुंह न छिपाया’’ (यशायाह ५०:६)
तो देखिये कि कैसे यशाशब्द भविष्यवाणी पूरी हुई। पोंतियुस पीलातुस, रोमन गर्वनर ने उन्हें कोड़े लगवाये।
‘‘.........और उन्होंने उसे बैंजनी वस्त्र पहिनाया और कांटों का मुकुट गूंथकर उसके सिर पर रखा। और यह कहकर उसे नमस्कार करने लगे, कि हे यहूदियों के राजा! नमस्कार और वे उसके सिर पर सरकण्डे मारते, और उस पर थूकते.......’’ (मरकुस १५:१७–१९)
इसलिये मैं सहमत हूं कि ये हमारे नाजरथ के यीशु थे, हमारे उद्वारकर्ता जिन्होंने शब्दशः इस भविष्यवाणी को पूरा किया,
‘‘मैं ने मारने वालों को अपनी पीठ और गलमोछ नोचने वालों की ओर अपने गाल किए; अपमानित होने और थूकने से मैं ने मुंह न छिपाया’’ (यशायाह ५०:६)
देखिये जोसेफ हार्ट इस दश्य का वर्णन किस प्रकार करते हैं,
कितने धैर्य से यीशु खड़े हैं,
अपमानित इस डरावने स्थान पर!
पापियों ने उनके हाथ बांध दिये,
और उनके मुंह पर थूका।
कांटो से उनका सिर लहूलुहान घाव से भरा,
लहू की धारा हर भाग से बह रही थी;
पीठ पर भारी कोड़ों के निशान,
उससे भी तीखा दर्द हृदय को भेदता।
(‘‘हिज पैशन’’ जोसेफ हार्ट, १७१२–१७६८; पास्टर द्वारा बदला गया)
‘‘मैं ने मारने वालों को अपनी पीठ और गलमोछ नोचने वालों की ओर अपने गाल किए; अपमानित होने और थूकने से मैं ने मुंह न छिपाया’’ (यशायाह ५०:६)
आज की रात मै मसीहा के कष्ट भोगने को आप के सामने लाना चाहता हूं। मैं भी पीलातुस के समान कहता हूं, ‘‘इस मनुष्य को देखो।’’ अपना हृदय उसकी ओर फेरो और उतने ही तरस से भरकर उसकी ओर देखो। उसकी उसे देखो कौन है वह, कैसा उदाहरण उसने हमारे लिये छोड़ा और पापियों को अनंत आग से बचाने के लिये क्या किया।
१॰ पहले स्थान पर, उसे देहधारण करने वाले परमेश्वर के रूप में देखें ।
परमेश्वर मनुष्य शरीर धारण करके इस धरती पर मनुष्यों के साथ रहने को आये। यशायाह ५०:२ में वे कहते हैं “मैं आया।" परमेश्वर पुत्र स्वर्ग से “आये" और हमारे मध्य में बसेरा किया।
“आदि में वचन था .......और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और (हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते) की महिमा" (यूहन्ना १:१,१४)
“परमेश्वर देह में प्रगट हुए" (१ तिमोथियुस ३:१६)
आरंभिक मसीही जन यीशु को यह कहकर बुलाने में बिल्कुल सही थे, “ईश्वरों के ईश्वर, ज्योंतियों की ज्योति, सच्चों में सच्चा परमेश्वर, जो रचा नहीं परंतु भेजा गया।"
इसके उपर विचार कीजिये और आप पायेंगें कि मनुष्य के दिमाग में आने वाला यह सबसे विशिष्ट सिद्वांत है। स्पर्जन ने कहा था,
क्या यह अभिप्रमाणित नहीं है कि परमेश्वर जो सर्वोच्च हैं, अनंत हैं, सर्वत्र उपस्थित हैं, उन्होंने अपनी सर्वश्रेष्ठता को परे कर दिया, अपनी सार्वभौमिकता को दूर कर दिया और एक न्यूनतम स्वरूप धारण किया और धरती पर उतर आये। उन्हीं ने सब चीजें रची और वे स्वयं ही देह धारण करके साथ ही ईश्वरीय अंश लिये हमारे मध्य रहने के लिये आ गये....... हमारे प्रभु मनुष्य थे न कि कोई प्रेतात्मा.....सिर्फ मानवीय आकार ही धारण नहीं किया था: परंतु सब संशय से अलग हटकर वचन देहधारी हुआ और हमारे बीच में बसेरा किया। ‘‘मुझे स्पर्श करो और देखो’’ ‘‘आत्मा के मांस और हडडी नहीं होती, जैसा मुझे देखते हो" (सी एच स्पर्जन, ‘‘दि ग्रेट मिस्टगी ऑफ गॉडलीनेस," मेट्रोपॉलीटन टेबरनेकल पुल्पिट, पिलग्रिम पब्लिकेशंस, १९७९ पुर्नसंस्करण, वाल्यूम २८, पेज ६९८)
यीशु परमेश्वर होते हुए मनुष्य थे, उनके भीतर त्रिएकत्व संयुक्तता निवास करती थी। वह देहधारित परमेश्वर हैं, त्रिएकत्व के दूसरे व्यक्तित्व, शब्द जो होकर देहधारी हो गया!
यह पद हमारी मानवीय बुद्वि से परे है! यहां स्वयं परमेश्वर मानवीय रूप में, दीन अवस्था में लाकर, प्रताड़ित करने के लिये सौंप रहे है! मानवीय बुद्वि से परे बात है ये, जो देहधारित परमेश्वर कहते है,
“मैं ने मारने वालों को अपनी पीठ और गलमोछ नोचने वालों की ओर अपने गाल किए; अपमानित होने और थूकने से मैं ने मुंह न छिपाया" (यशायाह ५०:६)
यहां ब्रहांड का रचयिता, अपने सर्वस्व समेत, पापी मनुष्यों को यह अनुमति दे रहा है कि वे उसकी पीठ पर कोड़े मारे और उसकी दाढ़ी को नोंचे। यहां मेरा परमेश्वर अपने पवित्र चेहरे पर अधम पापियों को थूकने की भी अनुमति दे देता है! वे परमेश्वर के चेहरे पर थूकते हैं!
कितने धैर्य से यीशु खड़े हैं,
अपमानित इस डरावने स्थान पर!
पापियों ने उनके सर्वशक्तिशाली हाथ बांध दिये,
और उनके मुंह पर थूका।
(‘‘हिज पैशन’’ जोसेफ हार्ट)
२॰ दूसरा, उन्हें उदाहरण के रूप में देखो ।
“मैं ने मारने वालों को अपनी पीठ और गलमोछ नोचने वालों की ओर अपने गाल किए; अपमानित होने और थूकने से मैं ने मुंह न छिपाया" (यशायाह ५०:६)
परमेश्वर के सेवक के रूप में यीशु ने स्वयं को पापियों को उनकी पीठ पर कोड़े मारने, उनकी दाढ़ी नोचने और चेहरे पर थूकने की अनुमति दे दी। यीशु चाहते तो इतना अपमान सहने करने के बजाय धरती को अपना मुंह खोल लेने देते कि वे सब उसमें कोरह के समान समा जाते, या जैसे ऐलियाह ने किया था, वे सब आग में भस्म हो जाते। परंतु यीशु तो इस तरह प्रस्तुत हुए ‘‘जैसे भेड़ वध होने के समय वा भेड़ी ऊन कतरने के समय चुपचाप शान्त रहती है" (यशायाह ५३:७) । प्रेरित पतरस कहते हैं,
‘‘और तुम इसी के लिये बुलाए भी गए हो क्योंकि मसीह भी तुम्हारे लिये दुख उठा कर, तुम्हें एक आदर्श दे गया है, कि तुम भी उसके चिन्ह पर चलो। न तो उस ने पाप किया, और न उसके मुंह से छल की कोई बात निकली। वह गाली सुन कर गाली नहीं देता था, और दुख उठा कर किसी को भी धमकी नहीं देता था, पर अपने आप को सच्चे न्यायी के हाथ में सौपता था" (१ पतरस २:२१–२३)
हम परमेश्वर को अपना जीवन और पैसा देने के लिये इच्छुक हो सकते हैं परंतु जब हम अपमानित किये जाते हैं या हमारी झूठी निंदा की जाती है तो हम अपने आप को पीछे खींच लेते हैं।
परंतु यीशु तो इच्छुक थे कि उनकी जगहंसाई हों और बुरे से बुरा दुष्ट व्यक्ति भी उन्हें कपटी, छली कहे। उन्होंने अपने को बचाने की कोई चेष्टा नहीं की। हम क्या कहे जब हमारे रिश्तेदार और मित्र हमें मसीही होने के कारण पाखंडी या छली कहे। हमें याद रखना चाहिये यीशु ‘‘चुप रहे थे," जब क्रूस पर चढ़ाये जाने के पहले की रात को उनके उपर झूठे लांछन लगाये जा रहे थे, गवाही पेश की जा रही थी (मत्ती २७:६३) । जब पीलातुस ने यीशु से कहा, "क्या तू नहीं सुनता, कि ये तेरे विरोध में कितनी गवाहियां दे रहे हैं" यीशु ने "उस को एक बात का भी उत्तर नहीं दिया, यहां तक कि हाकिम को बड़ा आश्चर्य हुआ" (मत्ती २७:१३–१४) ।
मैंने इस सबक को बड़ी मुश्किल से सीखा है जब हम ईशनिंदा वाली फिल्म "दि लास्ट टैंपटेशन ऑफ क्राईस्ट" के विरूद्व प्रदर्शन कर रहे थे। लोग झूठी गवाही देने लगे कि मैं यहूदियों के विरूद्व हूं और धोखा कर रहा हूं। यह बात पूर्णतः गलत थी। मैं यहूदी लोगों को प्यार करता हूं और मेरे संपूर्ण दिल और आत्मा से इजरायल से प्रेम रखता हूं। पंरतु मैंने मेरे विरूद्व कहे उन अपशब्दों को खामोशी में सहना सीखा है। मेरे जीवन भर के मित्र भी यीशु के कारण मेरा साथ छोड़ गये। बीस सालों से मैंने अपने बचाव में बहुत थोड़ा कहा। केवल अभी अभी मैंने अपने चर्च की गवाही को बचाने के लिये झूठी गवाही देने वालों के लिये मुंह खोला। यीशु कहते थे,
"धन्य हो तुम, जब मनुष्य के पुत्र के कारण लोग तुम से बैर करेंगे, और तुम्हें निकाल देंगे, और तुम्हारी निन्दा करेंगे, और तुम्हारा नाम बुरा जानकर काट देंगे। उस दिन आनन्दित होकर उछलना, क्योंकि देखो, तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा प्रतिफल है: उन के बाप–दादे भविष्यद्वक्ताओं के साथ भी वैसा ही किया करते थे" (लूका ६:२२–२३) ।
मेरी परीक्षा की घड़ी में मसीह के ये शब्द मुझे शांति प्रदान करते हैं। मैं सोचता हूं कि जब यह संसार हम पर लांछन लगाये तो हमें अपने को बचाने के लिये इतनी जल्दी प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिये। के समय प्रदर्शन करते समय एक व्यक्ति ने मेरे उपर थूक ही दिया था। मैं वहां बीसियों नये कैमरों के आगे मेरे चेहरे पर बहते थूक को लेकर खड़ा रहा। मैंने यीशु से सीखा है, पलट कर चोट नहीं करना, उसने अपने मुंह को थूके जाने और शर्म से नहीं छिपाया था। मैंने बाद में उस व्यक्ति के साथ करूणामय बने रहने की कोशिश की। बेचारा बंधु! बाद में उसकी हत्या हो गयी थी। परमेश्वर जानते थे कि मुझे उसके लिये कितना दुख था और मैं उसके और उसके परिवार के लिये कितना रोया था।
हमारे इस पद पर संदेश देते हुए स्पर्जन ने कहा था, "आप को अत्यधिक लघु होते जाना है भले ही कितना ही तिरस्कृत और लोगों के द्वारा आप ठुकराये गयें हो। क्योंकि यही अनंत महिमा पाने का मार्ग है। ("दि शेम ऐंड स्पिटिंग" मेट्रोपॉलीटन टेबरनेकल पुल्पिट, पिलग्रिम पब्लिकेशंस, १९७२ पुर्नसंस्करण, वाल्यूम २५, पेज ४३१)
तो आइये हममें से प्रत्येक यीशु के उदाहरण को स्मरण करें जब यीशु के अनुयायी होने के कारण इन बुरे दिनों में लोग हमारी हंसी उड़ाये या हमारे विरूद्व बोलें। स्पर्जन ने कहा था,
क्या आप कष्ट या दर्द से भरे हुए हैं .......? यीशु आप के सारे कष्टों से अवगत हैं क्योंकि उन्होंने "अपनी पीठ सताने वालों की ओर कर दी थी।" क्या आप बदनामी को ....... झेल रहे हैं? "यीशु ने अपना चेहरा शर्म और थूके जाने से नहीं छिपाया।" क्या कपटियों और छली लोगों ने आप का मजाक उड़ाया है.......? यीशु को आप से सहानूभूति है, क्योंकि आप जानते हैं कि उन्होनें यीशु का भी कितना भददा उपहास उड़ाया था। हर कठोर पीड़ा जो आप के दिल में नश्तर चुभोती है, यीशु ने ऐसे दुख को सहन किया है..... (स्पर्जन उक्त संदर्भित)
कितने धैर्य से यीशु खड़े हैं,
अपमानित इस डरावने स्थान पर!
पापियों ने उनके सर्वशक्तिशाली हाथ बांध दिये,
और उनके मुंह पर थूका।
(‘‘हिज पैशन’’ जोसेफ हार्ट)
३॰ तीसरा, उन्हें पापियों के स्थान पर प्राण देने वाले के रूप में देखिये।
‘‘मैं ने मारने वालों को अपनी पीठ और गलमोछ नोचने वालों की ओर अपने गाल किए; अपमानित होने और थूकने से मैं ने मुंह न छिपाया’’ (यशायाह ५०:६)
यह याद रखिये कि यीशु ने अपने किसी पाप के कारण दुख नहीं उठाया। वह तो निष्पाप थे।
‘‘परन्तु वह हमारे ही अपराधो के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं’’ (यशायाह ५३:५)
यशायाह ५३ हमें बताता है कि उसका कोड़े खाना, घायल किया जाना, इसके साथ ही उसकी मृत्यु पापियों को बचाने के लिये आवश्यक थी। हमारे पाप उन्होंने अपने उपर ले लिये। बाइबल कहती है कि परमेश्वर ने, ‘‘जो पाप से अज्ञात था, उसी को उस ने हमारे लिये पाप ठहराया, कि हम उस में होकर परमेश्वर की धामिर्कता बन जाएं’’ (२ कुरूंथियों ५:२१) । जब यीशु दुख भोगते हैं तो वे हमारे पापों के लिये दुख भोगते हैं। दुख भोगना अर्थात पाप का दंड भरना। पाप कोड़े खाने योग्य होता है। पाप थूके जाने योग्य होता है। पाप के कारण क्रूस पर चढ़ना होता है। चूंकि मसीह ने हमारे पाप अपने उपर ले लिये, उन्हें कोड़े खाना आवश्यक हो गया। उन्हें थूक सहन करना आवश्यक हो गया। उन्हें शर्म उठाना जरूरी हो गयी। अगर आप सोचते हैं कि परमेश्वर पाप को किस रूप में देखते हैं तो उनके पुत्र की ओर देखिये, पीठ कोड़ों से उधड़ी हुई, उनके गालों पर से बाल नोचे गये, जब वह आप के और मेरे लिये बलि बनाये गये तो उनके चेहरे पर सैनिकों ने थूका। अगर आप को और मुझे, हमारे पापों के कारण कोड़े मारे जाते, हमारे बाल नोचे जाते, हमारे मुख पर थूका जाता, तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होता। परंतु उन्होंने तो परमेश्वर पुत्र होकर सीमा से बाहर मानवीय अपमान सहन किया। यीशु हमारे स्थान पर दंड भोगने खड़े हो गए और ‘‘यहोवा को यही भाया कि उसे कुचले; उसी ने उसको रोगी कर दिया; जब तू उसका प्राण दोषबलि करे’’ (यशायाह ५३:१०) । जब हमारे पाप उनके भीतर अभ्यारोपित किये गये मसीह को क्रूस पर चढ़ाये जाने के पूर्व और बाद तक अथाह गहरा कष्ट भोगना पड़ा, तिरस्कार झेलना पड़ा।
ध्यान दीजिये कि यह पद क्या कहता है, ‘‘मैं ने मारने वालों की ओर अपनी पीठ कर दी।’’ यीशु ने अपनी इच्छा से अपने को मारने वालों के हाथों में सौंप दिया। जिन्होनें उनकी दाढ़ी उखाड़ डाली, मुंह पर थूका। उन्होंने स्वयं को क्रूस पर मरने के लिये दे दिया। किसी ने उन्हें हमारे पाप को भोगने के लिये प्रेरित नहीं किया। उन्होंने स्वेच्छा से पापों के सारे दंड को भोगने का चयन किया। हमारे एवज में वह श्राप कहलाये ताकि मनुष्यों के पाप के बदले अपनी बलि दे देवें – ताकि इस बलिदान के पश्चात परमेश्वर पिता हमें क्षमा कर देंवे और हम उनकी दृष्टि में निष्पाप ठहरे।
क्या आप यह सब सुनते हैं तो आप को आश्चर्य नहीं होता? क्या आप याद रख सकते हैं कि परमेश्वर के बेटे को पीटा गया, उनके बाल नोचे गये, थूका गया और यह सुनकर आप आश्चर्य, आदर और श्रद्वा के भाव से नहीं भर जाते? वह जो आकाश को बादलों से ढंक देता है, उसने अपने मुख को शर्म और थूके जाने से नहीं बचाया।जिसने पहाड़ों के पार्श्व को रचा, अब वह अपनी पीठ को कोड़े खाने के लिये, चिथड़े होने देने के लिये उघाड़ रहा है। जो ब्रह्माण्ड को कटिबंध से बांधता है, वह अपने द्वारा रचे गये मनुष्यों के अधीन होकर, उनके द्वारा जंजीरों में जकड़ा खड़ा हुआ है। जब स्वर्ग में स्वर्गदूत उनकी प्रशंसा में गान प्रस्तुत करते हैं, तब क्या ऐसा सोचा गया था कि उन्हें क्रूस पर कीलों से जड़ दिया जायेगा? मेरा मानना है कि उनके हाथ और पैरों के घाव के निशान हमेशा रहेंगे ताकि जब हम स्वर्ग में उनसे मिलेंगे, हम यह न भूल पायें कि उन्होनें हमारे लिये क्या किया था। मैं कैसे उनके तेजस्वी चेहरे को देख पाउंगा बिना यह स्मरण किये कि उनके इसी मुख पर थप्पड़ मारे गये थे, उनके पवित्र चेहरे से बाल नोंचे गये थे, थूक उनके पवित्र गालों से बह रहा था!
कितने धैर्य से यीशु खड़े हैं,
अपमानित, इस डरावने स्थान पर!
पापियों ने सर्वशक्तिशाली के हाथ बांध दिये,
और रचयिता के मुंह पर थूका।
उनके चेहरे पर क्यों थूका! स्वर्गदूतों को इस अपमान सहने के लिये क्यों नहीं चुना? उनके सुंदर चेहरे को छोड़कर और कोई स्थान थूकने के लिये नहीं मिला? उनका चेहरा! हे परमेश्वर हमें क्षमा कीजिये! उनका चेहरा! वे यीशु के पवित्र चेहरे पर थूकते हैं! यीशु के इस तिरस्कार पर स्पर्जन का उद्वरण बहुत उपयुक्त है, ‘‘मैं सोचता हूं कि मनुष्य कभी बनाया ही नहीं जाता या ...... ऐसा अपराध करने के स्थान पर वह शून्य हो जाता’’ (उक्त संदर्भित, ४२८) परमेश्वर सचमुच हमारी सहायता कीजिये! वे मसीहा के चेहरे पर थूकते हैं!
अगर आप भटके हुए हैं तो मैं आप से विनती करता हूं कि आप यीशु पर विश्वास कीजिये। जिस क्षण यीशु पर विश्वास करते हैं आप के पाप क्षमा हो जाते हैं क्योंकि उन्होंने आप के सारे अपराध और शर्म को क्रूस पर भोग लिया – यीशु ने अपने चेहरे गाल, पीठ, और हाथ पैरों में घायल होकर आप के बदले का दंड पूरा भर दिया। आप को किसी प्रकार का कर्म करके मुक्ति का प्रयास नहीं करना है। आप के उपर से दंड मिट चुका है। आप को मसीह के इस बलिदान पर विश्वास लाना है कि उसके उद्वार देने वाले प्रेम के कारण आप के पापों की सदा काल के लिये क्षमा मिल चुकी है! निवेदन करता हूं कि गीत संख्या छः, ‘‘ओह व्हॉट ए फाउंटेन गायेंगे! जो डॉ जॉन आर राईस द्वारा रचित है।
एक प्रेम की कहानी है जो सबसे सर्वश्रेष्ठ है,
हमें बताया गया है कैसे पापी को माफी मिलती है।
यीशु सह चुके दंड इसलिये हमें क्षमा प्राप्त है,
हमारे बदले प्रायश्चित किया क्रूस पर।
करूणा का सोता कलवरी पर से बहता,
मनुष्यों को बचाने वाले क्रूसित मसीहा के द्वारा।
बहुमूल्य लहू जो उसने बहाया हमें छुटकारा देने के लिये,
अनुग्रह और क्षमा हमारे सारे पापों के लिये उपलब्ध है।
(‘‘ओह व्हॉट ए फाउंटेन! डॉ जॉन आर राईस, १८९५–१९८०)
मैं प्रार्थना करता हूं कि आज रात आप यीशु पर विश्वास लायें। उनका लहू आप को सारे पाप से शुद्व कर देगा। उन पर विश्वास कीजिये और आप इस जीवन और मृत्यु के बाद के जीवन में भी पाप के दंड से मुक्त हो जायेंगे।
अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स आप से सुनना चाहेंगे। जब आप डॉ हिमर्स को पत्र लिखें तो आप को यह बताना आवश्यक होगा कि आप किस देश से हैं अन्यथा वह आप की ई मेल का उत्तर नहीं दे पायेंगे। अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स को इस पते पर ई मेल भेजिये उन्हे आप किस देश से हैं लिखना न भूलें।। डॉ हिमर्स को इस पते पर rlhymersjr@sbcglobal.net (यहां क्लिक कीजिये) ई मेल भेज सकते हैं। आप डॉ हिमर्स को किसी भी भाषा में ई मेल भेज सकते हैं पर अंगेजी भाषा में भेजना उत्तम होगा। अगर डॉ हिमर्स को डाक द्वारा पत्र भेजना चाहते हैं तो उनका पता इस प्रकार है पी ओ बाक्स १५३०८‚ लॉस ऐंजील्स‚ केलीफोर्निया ९००१५। आप उन्हें इस नंबर पर टेलीफोन भी कर सकते हैं (८१८) ३५२ − ०४५२।
(संदेश का अंत)
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पांडुलिपि संदेशों का कॉपीराईट नहीं है। आप उन्हें बिना डॉ.
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संदेश के पूर्व बाइबल पाठ का पठन डॉ क्रेटन एल चान द्वारा: लूका १८:३१–३३
संदेश के पूर्व बैंजामिन किंकैड ग्रिफिथ ने एकल गान गाया गया:
‘‘लीड मी टू कैलवरी’’ (जैनी इवलीन हुसै, १८७४–१९५८)
रूपरेखा कोड़े मारे जाना, शर्म व थूका जाना THE SCOURGING, SHAME AND SPITTING डॉ आर एल हिमर्स ‘‘मैं ने मारने वालों को अपनी पीठ और गलमोछ नोचने वालों की ओर अपने गाल किए; अपमानित होने और थूकने से मैं ने मुंह न छिपाया’’ (यशायाह ५०:६) (प्रेरितों के कार्य ८:३४; लूका १८:३१–३३; मरकुस १५:१७–१९) १॰ पहले स्थान पर, उसे देहधारण करने वाले परमेश्वर के रूप में देखें, २॰ दूसरा, उन्हें उदाहरण के रूप में देखें, यशायाह ५३:७; १ पतरस २:२१–२३; ३॰ तीसरा, उन्हें पापियों के स्थान पर प्राण देने वाले के रूप में देखिये, |