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जब कभी आप डॉ हायमर्स को लिखें तो अवश्य बतायें कि आप किस देश में रहते हैं। अन्यथा वह आप को उत्तर नहीं दे पायेंगे। डॉ हायमर्स का ईमेल है rlhymersjr@sbcglobal.net. .




मसीहत के लिये जीने के लिये किया गया संघर्ष

डॉ आर.एल.हिमर्स का परिचय
THE FIGHT FOR LIVING CHRISTIANITY!
AN INTRODUCTION OF DR. R. L. HYMERS, JR.
(Hindi)

मि जोन सैम्यूएल कैगन द्वारा
by Mr. John Samuel Cagan


मुश्किलों की घड़ी में इतिहास उन के द्वारा रचा जाता है जो अपने से किसी बड़ी बात में विश्वास करते हैं। सामान्य आदमी इतिहास नहीं रचा करते। कुछ लोग सामान्य कोटि की सुरक्षा और स्थायित्व की इच्छा रखते हैं। कुछ हैं जो असफलता से इतने डर जाते हैं कि दुबारा प्रयास ही नहीं करते हैं। ऐसे भी लोग हैं जो महान लक्ष्य इसलिये नहीं हासिल कर पाते क्योंकि उन्होंने हानियों को सहन करने की कीमत नहीं चुकाई है। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो कुछ भी नहीं बदलेंगे, इस संसार पर कुछ प्रभाव छोडे बिना ही मर जायेंगे मानो जीवन में कभी आये ही नहीं थे। ऐसे मनुष्यों के बीच में परमेश्वर ने डॉ हिमर्स को खड़ा किया है।

जो लोग सेवकाई में जाने का निर्णय लेते हैं उन्हें हर संभव सहायता की जाती है। तौभी डॉ हिमर्स ने अपने कालेज की शिक्षा का खर्च स्वयं वहन किया। वे दिन में कार्य करते थे और रात्रिकालीन कक्षाओं से पढ़ाई करते थे। यद्यपि परिवार व मित्रों ने उन्हें सेवकाई के लिये हतोत्साहित किया, चाहे कितनी भी मुश्किलें आयीं, उन्होनें परमेश्वर के सेवक बनने के अपने लक्ष्य पर से ध्यान भटकने नहीं दिया। उनके प्रचारक बनने के रास्ते में शैतान ने बहुत रोड़े अटकाये और उनके अपनों ने भी उन्हें बहुत दर्द पहुंचाया, तौभी वे सहते रहे। डॉ हिमर्स ने परमेश्वर के सत्य को बताने के लिये बहुत परीक्षाओं और तकलीफों का सामना किया। चूंकि उन्होंने जीवन की ज्वालाओं का सामना किया, डॉ हिमर्स सत्य का प्रचार करने के लिये प्रज्जवलित बने रहे।

डॉ हिमर्स परमेश्वर के वचन पर इतना विश्वास करते हैं कि वह इसके लिये संघर्ष करने को भी तैयार रहते हैं। वह ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जो किसी आरामदायक झूठ पर विश्वास कर लें। उन्होंने संपूर्ण जीवन ऐसे ही जिया। बाइबल का इंकार करने वाली सेमनरी में जब बाइबल का अपयश किया जा रहा था, तो वे बिल्कुल चुप नहीं बैठे। अपने नामांकन और स्नातक डिग्री के खतरे में पड़ने के उपरांत भी वे बाइबल के उपर उदारवादी प्रहारों को लेकर संघर्ष करते रहे। उन्होंने कक्षायें बंद कर दीं, लेख लिखे और होस्टल के कमरों में प्रार्थना सभायें आयोजित कीं। बाइबल के सत्य को बचाने के लिये उन्होनें उस पर प्रहार करने वाले हरेक झूठ का सामना अपनी क्षमता और उपलब्ध संसाधन से किया। जब उन्हें सेमनरी के अध्यक्ष के सामने अपने विरोध को बंद करने के लिये बुलवाया, तौभी उन्होंने समर्पण नहीं किया। इसके बदले, उन्होनें सेमनरी में फैले उदारवाद के उपर एक पुस्तक लिखी। बाइबल के लिये अपने संघर्ष में वे अटल खड़े रहे।

किसी ने आलोचना की, तो किसी ने शिकायत की, और किसी ने तो हार ही मान ली परंतु डॉ हिमर्स तो संघर्षरत इंसान थे। बाइबल के सत्यों को बचाने के लिये उन्होनें अपने जीवन को प्रिय नहीं जाना और वे बंदी हो जाना भी पसंद करते। जब लोग अपनी शांति कायम रखने के लिये झूठ के विरूद्व आवाज उठाना पसंद नहीं करते थे वह संघर्षरत रहना पसंद करते थे।

जब हालीवुड ने मसीह के चेहरे पर थूका था, डॉ हिमर्स मसीहा का चेहरा साफ करने के लिये उठे थे। इसके कारण उन पर हमला भी हुआ। जब अखबारों में उनके विरूद्व लेख लिखे गये, तब भी मसीह के पक्ष में उन्होंने अपना समर्थन बनाये रखा! इस लड़ाई में उनके मित्र खो गये। मित्रों ने उनका साथ छोड़ दिया। परंतु उन्होंने गलत को दृढ़तापूर्वक नहीं कहा। जो सही था, उसके लिये लड़ने और संघर्ष करते रहने के लिये वे विवश हुए।

जब समस्त समाज एक महिला के गर्भपात करवाने के अधिकार के पक्ष में था, डॉ हिमर्स ने एक संघर्षहीन बालक के मारे जाने का विरोध किया। एस सामान्य आदमी तो ऐसी महिला के पक्ष में बनायी गयी चैरीटी को दान देता और उससे सहानूभूति करता। परंतु डॉ हिमर्स सामान्य आदमी से उपर उठकर थे। वह और मेरे पिता एक गर्भपात क्लिनिक के सामने धरने पर बैठ गये। जब बैजधारी घुड़सवार पुलिसवाले लाठी लेकर प्रकट हुए, तो उनकी धमकियों से डरकर दूसरे तो साथ छोड़कर भाग गये। परंतु डॉ हिमर्स अपने विश्वासों के प्रति अडिग रहे। उन्होंने अपने मूल्यों से समझौता नहीं किया क्योंकि वे जानते थे कि एक बच्चे का जीवन और मां के अधिकार के बीच में क्या फासला होता है। अपने सतत प्रयासों से चर्च का नेतृत्व करते हुए उन्होंने दो गर्भपात किलनिक को बंद करवाने में सफलता हासिल की। गर्भपात के विरूद्व छेड़ी जंग में वे निर्भीक बने रहे।

एक संघर्ष हमारे चर्च में भी आरंभ हो गया था। हमारे चर्च के एक पूर्व अगुवे चर्च छोड़कर चले गये। उनके प्रभाव में ४०० सदस्यों ने भी चर्च छोड़ दिया। चर्च की यह इमारत लगभग हाथ से चली जाती। चर्च लगभग दीवालिया हो जाता। एक प्रसिद्व प्रचारक ने डॉ हिमर्स को यहां से बच निकलने के लिये एक प्रस्ताव दिया कि वे एक बड़े उपनगरीय चर्च के पास्टर बन जायें। उन्होंने डॉ हिमर्स को डूबते हुए जहाज में से कूदने का एक मौका दिया! उनका कहना था, ‘‘यहां से बच निकलने का यह अंतिम मौका है।'' कई पास्टर छोड़कर जा चुके थे। सदस्य छोड़कर जा चुके थे, आर्थिक दशा खतरे में थीं − परंतु डॉ हिमर्स ठहरे रहे! डॉ हिमर्स इस स्थानीय चर्च के लिये संघर्ष करने की इच्छा रखते थे। उनके आत्मिक साहस और विश्वसनीय सदस्यों के कारण जिन्होंने अपना समय और पैसा दिया, लोस ऐंजीलिस के सिविक सेंटर में यह चर्च आज भी खड़ा है! उन्होंने इस असंभव चुनौती का सामना ठीक वैसे किया जैसे विंस्टन चर्चिल ने पश्चिमी सभ्यता को बचाने के लिये हिटलर के विरूद्व संकल्प और साहस के साथ युद्व में सामना किया था।

डॉ हिमर्स स्थानीय चर्च के महत्व से परिचित हैं । डॉ हिमर्स ने अक्सर कहा है कि इस चर्च की सफलता ही उनका संपूर्ण जीवन है। उनके मन में न केवल यह चर्च, बल्कि संसार के हर चर्च के प्रति गहरा प्रेम है। चर्च को सामर्थ से भरपूर होना चाहिये, यह उनकी उत्कट इच्छा है। उनकी स्वयं की पहचान चर्च से जुड़ी हुई थी। मसीह के लिये वे एकनिष्ठ बने रहे हैं, सारी राजनीतिक शक्तियों सुपरस्टार, एथलीटस और विजेताओं के होते हुए वे केवल मसीह के समर्पित हैं। वह जानते हैं कि चर्च मसीह की दुल्हन है इसलिये वे इसकि लिये प्रार्थना करते, संघर्ष करते और चर्च के भले के लिये प्रचार करते हैं।

कईयों के द्वारा संदेह किये जाने और उन्हें नापसंद करने पर भी, कुछ प्रोस्टैट अगुवे जो परमेश्वर के प्रति अभी तक विश्वसनीय बने हुए हैं, उन्होनें डॉ हिमर्स को पसंद किया और उन्हें सहयोग दिया है। उनमें से एक लोकप्रिय इवेजलिस्ट जो ‘‘दि बिब्लीकल इवेंजलिस्ट'' के लंबे समय से संपादक, डॉ एल राबर्ट समनर हैं। २० वीं सदी की अग्रणी मसीही हस्तियों से घिरे, राबर्ट समनर डॉ हिमर्स के बारे में जो सच्चाई है, उसे जानते हैं। राबर्ट समनर ने उनके बारे में लिखा है,

‘‘डॉ हिमर्स ने लोस ऐंजीलिस के इस बुरे माने जाने वाले इलाके में जानबूझकर अभिप्राय पूर्वक गास्पल प्रचार करने वाला व सीधे बाइबल से शिक्षा देने वाला चर्च स्थापित किया है।'' मैं उनके इस कार्य के लिये उनकी सराहना करता हूं कि उन्होंने उपनगरीय क्षेत्रों में जाकर किसी और सेवकाई में भाग नहीं लिया। मैं एक ऐसे व्यक्ति को पसंद करता और उसकी प्रशंसा करता हूं कि उन्होनें सच्चाई के लिये अपनी बनाई धारणा के अनुसार कदम उठाया और उससे चिपके रहे, जब सारी विषम परिस्थितियां उनके विरूद्व थी। राबर्ट लैसली हिमर्स इस प्रकार के मसीही सेवक हैं! इसके अतिरिक्त अमेरिका के बुरे शहरों में से एक माने जाने वाले शहर में स्थानीय चर्च चलाते हुए उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सेवकाई भी कायम की है − यहां तक कि स्थानीय स्तर पर उनकी आराधना का चीनी व स्पेनिश भाषा में भी ‘‘सीधा'' प्रचार किया जाता है।

कई दशकों तक इवेंजलिस्ट रहे राबर्ट समनर ने डॉ हिमर्स के जीवन और सेवकाई में सामर्थ के महान लक्षणों को पहचाना!

डॉ हिमर्स एक दूरदर्शी व्यक्ति हैं। वह ऐसा मानते हैं कि मुश्किलों में जब समस्त आशा जाती रहती है तब परमेश्वर महान कार्य करते हैं। कई दशकों तक इवेंजलिस्ट रहे राबर्ट समनर ने डॉ हिमर्स के जीवन और सेवकाई में सामर्थ के महान लक्षणों को पहचाना! उन्होंनें एक ऐसी वेबसाईट का सपना देखा था जिसमें संपूर्ण संसार के लिये लिखित संदेश और उनसे संबंधित सामग्री होगी, जिससे दुनिया भर के पास्टर्स और इवेंजलिस्टों को संदेश तैयार करने में सहायता मिलेगी। यह अनूठा प्रयास है, ऐसा प्रयास पहले किसी ने कभी नहीं किया और न सुना। यद्यपि, दूसरे देशों में प्रचार करने के इस महान कार्य के लिये उन्होंने अपने संदेश देने की शैली को भी बदला।

उनकी संदेशों का लाभ बहुतों को मिल सके इसके लिये उन्होंने रूपरेखा से प्रचार करना आरंभ किया। वे ऐसे देशों में भी उनके संदेशों की उपलब्धता चाहते हैं, जहां बाइबल या उससे संबंधित कोई संदेश सामग्री नहीं हो। इसलिये उन्होंने अपने संदेश के एक एक शब्द को लिखना आरंभ किया और उसी हस्तलिपि से प्रचार करते हैं। कई प्रचारक जो बहुत लंबे समय से सेवकाई में हैं, वे अपनी शैली बदलना पसंद नहीं करते हैं, परंतु डॉ हिमर्स एक दूरदर्शी व्यक्ति हैं। वर्षो बाद, उनके संदेश संसार के लगभग हर देश में पढ़े जाते हैं और उनकी वेबसाईट पर डेढ़ मिलियन से भी अधिक लोगों ने आकर उनके संदेशों से लाभ उठाया है।

वह इस प्रकार के पास्टर हैं जो हर वर्ग के लोगों के लिये चिंताशील बने रहते हैं और इसलिये उन्होंने अपने संदेशों के अनुवाद का कार्य दूसरी भाषाओं में आरंभ किया। पहले तो संदेश कुछ ही भाषा में अनुवादित होते थे परंतु धीरे धीरे डॉ हिमर्स अपने दर्शन को पूरा करते हुए, बिना किसी भाषा की रूकावट के अनेक देशों में पढ़े जाने लगे।

वर्तमान में उनके संदेश ३५ भाषाओं में अनुवादित किये जाते हैं। ये संदेश तीसरी दुनिया के मिशनरीज और पास्टर्स के लिये सहायक सिद्व होते हैं। इनके द्वारा यीशु के अनुग्रह में होकर लोगों की आत्माओं को उनके पापों के लिये जाग्रत किये जाने का कार्य किया जाता है। कुछ लोगों ने इन संदेशों को पढ़ने के बाद उद्वार पाया है। ३५ भाषाओं में संदेशों के अनुवाद का दर्शन समर्पण के साथ पूरा किया जा रहा है। लेकिन परमेश्वर द्वारा अब इन्हें प्रभावशाली रूप में प्रयुक्त किया जा रहा है।

डॉ हिमर्स के लिये संघर्ष चाहे जितना कड़ा रहा, वे सदैव परमेश्वर के जन बनकर जूझते रहे। जहां दूसरे लोग सुसमाचार प्रचार भूलते जा रहे हैं, उन्होंने मसीह के सुसमाचार प्रचार की पुरानी पद्वति को निरंतर जारी रखा है। वे जोशीला प्रचार करते हैं जबकि लोगों ने यह पद्वति त्याग दी है। वह यीशु मसीह के उपर विश्वास लाने के द्वारा अनुग्रह से उद्वार मिलने पर विश्वास करते हैं और किसी को भी बिना सुसमाचार सुने और नर्क में जाने से बचाने पर विश्वास करते हैं।

इस समय जब प्रार्थना करना औपचारिकता बनती जा रही है, वह परमेश्वर द्वारा प्रार्थना का उत्तर दिये जाने पर विश्वास रखते हैं। इस समय जबकि लोग दूसरे चर्च के सदस्यों को, अपने चर्च के लिये लुभाने का करते हैं, डॉ हिमर्स संसार के युवा लोगों को सुसमाचार सुनाना चाहते हैं। एक और जहां लोग आराधना के पश्चात संध्या की आराधना को बंद कर रहे हैं, डॉ हिमर्स चर्च के महत्व और उपयोगिता को कायम रखे हुए हैं। जहां एक और प्रचारक बेजान लोगों को, जो लंबे समय से अपना जीवन व सामर्थ पहले ही खो चुके हैं, वचन सुनानें में लगे हुए हैं वहां डॉ हिमर्स जीवित मसीहत के लिये संघर्ष करते दिखाई देते हैं कि सच्चा मन परिवर्तन हो।

कुछ ही क्षणों में डॉ हिमर्स प्रचार के लिये आयेंगे, लेकिन उससे पहले मि ग्रिफिथ एक गीत गायेंगे जो डॉ हिमर्स का पसंदीदा गीत है ‘‘आगे बढ़ो मसीही सैनिकों।''

रविवार रात्रि का संघर्ष

(संघर्ष के लिये पुकार पर प्रथम शृंखला)
THE BATTLE FOR SUNDAY NIGHT
(NUMBER ONE IN A SERIES OF BATTLE CRIES)
(Hindi)

डॉ आर एल हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की सुबह, १५ जनवरी, २०१७ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल
में दिया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord's Day Morning, January 15, 2017

‘‘हे प्रियो, जब मैं तुम्हें उस उद्धार के विषय में लिखने में अत्यन्त परिश्रम से प्रयत्न कर रहा था, जिस में हम सब सहभागी हैं तो मैं ने तुम्हें यह समझाना आवश्यक जाना कि उस विश्वास के लिये पूरा यत्न करो जो पवित्र लोगों को एक ही बार सौंपा गया था'' (यहूदा ३)

आज सुबह हम युद्वनाद की एक शृंखला आरंभ करेंगे। उन पर चर्चा करते समय ‘‘विश्वास के लिये पूरा यत्न'' करेंगे। हम चर्चेस में बहुत से झूठे सिद्वांत और पद्वतियों के के विरूद्व बात करेंगे।

१९६३ में राष्ट्रपति जोन एफ कैनेडी ने चर्चिल को अमेरिका का प्रथम माननीय सदस्य बनाया। राष्ट्रपति ने युद्व के इस महान नायक के विषय में कहा, ‘‘उन्होंने अंग्रेजी भाषा को गति दी और उसे युद्व स्थल में भेज दिया।'' द्वितीय विश्व युद्व के समय के एक भाषण में चर्चिल बोले, ‘‘जब पूरी दुनिया के सामने कोई बड़ी समस्या आ गयी हो, कोई डरावनी और अनिवार्य स्थिति सामने हो, जो सब मनुष्यों की आत्मा को झकझोर देवे, लोगों को उनके घर परिवार से निकल आने को विवश कर दें, उनकी दौलत और खुशी की तलाश फीकी पड़ जावे, तब हम जान जाते हैं कि हम जानवर नहीं हैं, परंतु इस में और इससे परे कुछ घट रहा है, चाहें हम इसे पसंद करें अथवा न करें, परंतु हम इस समस्या के लिये कर्त्तव्य से बंधे हैं।''

हम स्वयं अनेकों लड़ाईयों से होकर गुजरे हैं। हमने अमेरिका के प्रत्येक सदर्न बैपटिस्ट चर्च में झूठी शिक्षाओं के विषय में लेखों को वितरीत किया है, सेमनरीज में प्रशिक्षण लेने आये विधार्थी प्रचारकों को दी जाने वाली झूठी शिक्षा का खुलासा किया है। मेरी जवान हिस्पैनिक पत्नी उस समय छः माह से गर्भवती थी, जब उन्होनें सदर्न बैपटिस्ट कंवेंशंस, पिटसबर्ग पैनसिल्वैनिया में साहित्य वितरित किया था। यधपि वे देख रहे थे कि वह छोटी सी थी और उसका पेट भी भारी था, उन्होंने लगभग धक्का मुक्की से साहित्य लेकर तोड़ मरोड़ दिया और उसका तिरस्कार किया। जब हम कमरे पर वापस आये, मेरी निरीह पत्नी ने एक प्रश्न पूछा मैं जिसका उत्तर नहीं दे सका। उसने पूछा कि राबर्ट कैसे ये लोग वास्तविक मसीही जन कहला सकते हैं? कुछ लोग सदर्न बैपटिस्ट कम बल्कि नर्क से छूटे शैतान ज्यादा लग रहे थे। वे पत्नी से इस लिये खफा थे क्योंकि वह सेमनरीज में प्राध्यापकों द्वारा कहे गये उद्वरणों को बांट रही थीं। इन उद्वरणों में लिखा हुआ था कि यीशु मरके जीवित नहीं हुए - बल्कि उनका शव कुत्तों ने खा लिया था, मूसा जैसा कोई व्यक्ति हुआ ही नहीं, पौलुस की पत्रियां फर्जी थीं, उन्हें पौलुस ने नहीं लिखा था। हम इस साहित्य के मूल्य का भुगतान करते रहे और साल दर साल इन्हें पोस्ट से भेज अपना विरोध इन प्राध्यापकों के लिये प्रगट करते रहे। जब तक ऐसी मानसिक शैतानी जकड़न वाले सदर्न अमेरिका के धर्मविज्ञान कॉलेजों के ऐसे प्राध्यापकों की नौकरियां नहीं छीन ली गयी। परमेश्वर की सहायता से हमने यह युद्व जीता!

एक और अवसर था जब हम मजबूती से खड़े रहे जब कि अन्य समूह गर्भपात के संहार को रोकने के लिये चंदा एकत्रित कर रहे थे (जो उनकी जेब में गया) - पैसा वे अपने स्वयं के लिये एकत्रित कर रहे थे। हमने हमारे लोगों को वहां भेजा और रक्त रंजित ऐसे दो क्लिनिक को बंद करवा दिया! एक मौका ऐसा आया कि मैं और डॉ कैगन ऐसे क्लिनिक के आगे बने चबूतरे पर बैठ गये − हम वहीं धरना दिये रहें, घुड़सवार पुलिस सैनिकों ने हमें हथकड़ियां पहनाने और बंद करने की धमकी दी। जब उन्होंने देखा कि हम वहां से नहीं हिले, वे अपने घोड़े मोड़ कर चले गये। एक बार पुनः परमेश्वर की सहायता से हमने यह लड़ाई जीत ली!

जब यूनिवर्सल पिक्चर्स के प्रमुख ल्यू वॉसनमैन ने कुत्सित पिक्चर बनाई, वह पिक्चर जिसमें मसीह मेरी मैगदलीनी सैक्स करते हुए फिल्मांकित किये गये थे, हम बैवरलीहिल्स पर स्थित के निवास पर विरोध करने गयें । हमारे विरोध की चर्चा अखबारों के प्रथम पेज पर इंग्लैंड, स्पेन, इजरायल, फ्रांस पूरे संसार भर में पहुंची और यूनान में तो इस फिल्म के विरोध में दंगे तक भड़क गये! दो सप्ताह तक हमारे विरोध प्रदर्शन को टी वी के सारे न्यूज प्रोग्राम्स पर दिखाया गया − प्रत्येक रात्रि। यूनिवर्सल पिक्चर्स हमारे विरोधों से इस कदर डर गया कि दुबारा मसीह का तिरस्कार करने वाली कोई फिल्म नहीं दिखाई! फिर से परमेश्वर की सहायता से हमने यह लड़ाई जीती।

जब एक शिक्षक पीटर एस रूकमैन ने किंग जेम्स बाइबल के शब्दों को अचूक बताया व यूनानी और इब्रानी भाषा जहां से वे अनुवादित किये गये थे, से उपर बताया, बल्कि उनमें संशोधन भी किया, तो उसकी इस झूठी शिक्षा के प्रभाव से सैकड़ों चर्चेस में विभाजन हो गया। मैंने एक पुस्तक ‘‘रूकमैन का खुलासा'' शीर्षक से लिखी − जो अधिकतर चर्चेस में पहुंची। इस पुस्तक में किये गये खुलासे के कारण आज यह एक निर्जीव मुददा बन चुका है, इस पुस्तक को आप हमारी वेबसाईट www.sermonsfortheworld.com पर भी पढ़ सकते हैं। रूकेमैनिज्म की इस शैतानी शिक्षा के विरूद्व हम परमेश्वर की सहायता से यह लड़ाई जीत गये!

फिर एक रिचर्ड आलिवस नामक व्यक्ति हमसे अलग हो गया और अपने साथ हमारे चर्च के ४०० लोग ले गया। मैंने हमारे लोगों को प्रोत्साहित किया और उनके दशमांश व दान से हम प्रतिमाह $१६००० की मासिक किस्त इस चर्च की इमारत के लिये भर पाये और इस तरह हमारे चर्च को बंद करने की आलिवस की योजना ध्वस्त हो गयी। पुनः एक बार हम परमेश्वर की सहायता से युद्व जीत गये!

परंतु आज हम इनसे भी बड़ी एक लड़ाई में भाग ले रहे हैं − एक घातक युद्व जो लगभग सभी चर्चेस को नष्ट कर सकता है। मसीह के सेवक होने के नाते यह मेरा कर्त्तव्य है कि मैं इसके विरूद्व सबको चेतावनी दूं। यह हमारे चर्चेस को नष्ट और बर्बाद कर रहा है। यह लौदीकियावाद की झूठी शिक्षा है। यह ऐसा विचार है जो कहता है कि हमारे चर्चेस को संध्या की आराधना बंद कर देना चाहिये। इस गलत और खतरनाक शिक्षा के विरूद्व हम ‘‘पूरे यत्न से'' (यहूदा ३) लड़ेगें। हम अपनी पूरी सामर्थ के साथ इससे संघर्ष करेंगे।

मत्ती २५:५ में यीशु ने हमारे चर्चेस की दशा का एक बहुत सिद्व वर्णन किया। लाखों इवेंजलिस्ट और रूढ़िवादी लोग निष्क्रिय हैं व सो रहे हैं। मसीह का द्वितीय आगमन बहुत समीप आ रहा है। परंतु हमारे चर्चेस सुप्तावस्था में हैं! हम देख रहे हैं, एक के बाद एक चर्च अपनी संध्या की आराधना बंद करते जा रहे हैं। मैं मानता हूं कि यह अंतकाल का चिंन्ह है − निष्क्रिय चर्च अपने दरवाजे बंद कर रहे हैं − जैसे जैसे युग समाप्त होने पर आ रहा है − जैसे जैसे संसार अंत समय की ओर बढ़ रहा है। यीशु का कथन था,

‘‘जब दुल्हे के आने में देर हुई, तो वे सब ऊंघने लगीं, और सो गई'' (मत्ती २५:५)

अगर कोई भविष्यवाणी भी इसके विरूद्व उठी− तौभी हम लड़ते रहेंगे − हमारे स्वर उठाने से कुछ तो लोग बचेंगे और उद्वार पायेंगे।

रविवार की आराधना को बंद करना बैपटिस्ट व अन्य चर्चेस का भी चलन हो गया है। सदर्न बैपटिस्ट, इंडिपेंडेंट बैपटिस्ट, प्रोग्रेसिव बीबीएफआय चर्चेस और यहां तक कि बॉब जोंस के कुछ रूढ़िवादी चर्चेस भी रविवार सुबह की आराधना के बाद अपने चर्च बंद कर रहे हैं − अमेरिका में एक स्थान से लेकर दूसरे स्थान तक यही परिपाटी चल रही है। रविवार संध्या की आराधना भूली बिसरी बात होती जा रही है।

यह हमारे चर्चस की निरंतर बने रहने वाली रूग्णावस्था को प्रगट करता है। यह कोई सकारात्मक चिंन्ह नहीं है। जब तक बीमारी का भली भांति पता नहीं लगा लिया जाता, उपचार असंभव है। इस संदेश में हम डॉक्टर के समान, रोगी (अर्थात वे चर्चेस जिन्होंने अपनी संध्या की आराधना बंद कर दी है) व रोग के कारणों का पता लगायेंगे − फिर उसका उपाय देंगे − दवाई देंगे और बचाव करेंगे। इन चर्चेस की रूग्णावस्था को चार भागों में बांटा जा सकता है।

१॰ पहला, रविवार संध्या को चर्च आराधना बंद करना, अभी का उभरता हुआ सामान्य

प्रोटेस्टैंट प्रचलन है।

मैथोडिस्टों ने १९१० से अपनी रविवार की आराधना को बंद करना आरंभ कर दिया था। प्रेसबिटेरियंस ने १९२५ से अपनी सांध्यकालीन आराधना बंद कर दी थी। अमेरिकंस बैपटिस्ट (जो पहले नार्दन बैपटिस्ट) कहलाते थे, उन्होंने १९४५ से संध्याकालीन आराधना करना बंद कर दिया। सदर्न बैपटिस्ट ने इसे १९८५ में आरंभ कर दिया था। यह स्मरण योग्य है कि मैथोडिस्ट, प्रेसबिटेरियंस और अमेरिकंस बैपटिस्ट उतने ही बाइबल पर विश्वास करने वाले चर्च रहे हैं जितना कोई रूढ़िवादी बैपटिस्ट चर्च, परंतु उनके डिनोमिनेशंस के चर्चेस में ‘‘प्रगतिशील'' प्रचारक आ जाने से ऐसा प्रचलन प्रारंभ हो गया कि संध्या की आराधनायें बंद कर दी गयी।

वर्तमान में मैथोडिस्ट, प्रेसबिटेरियंस और अमेरिकंस बैपटिस्ट को देखिये! साल दर साल उनकी सदस्यता सिकुड़ती जा रही है। इन तीनों डिनोमिनेशंस ने वर्ष १९०० से हजारों की संख्या में सदस्यता खो दी है। हजारों चर्चेस पूरी बंद हो चुके हैं। रविवार की सांध्यकालीन आराधना बंद करना उनके लिये उपयोगी सिद्व नहीं हुआ। यह नष्ट होने की कगार पर उठाया गया अगला कदम था।

आज कुछ स्वतंत्र बैपटिस्ट भी सोचते हैं कि वे किसी नये व उन्नतिशील विचार के विकास की ‘‘चरम सीमा'' पर हैं, वे भी मैथोडिस्ट, प्रेसबिटेरियंस और अमेरिकंस बैपटिस्ट के समान उसी राह को अपना रहे हैं, जिसने उन्हें नष्ट किया है। कैलीफोर्निया, सैनडियेगों के समीप एक स्वतंत्र बैपटिस्ट प्रचारक जिम बैज ने कहा कि, ‘‘मैंने एक क्रांतिकारी कदम उठाया है, मैंने रविवार संध्या की आराधना बंद कर दी है।'' वह सोचता है कि इससे चर्च को मदद मिलेगी परंतु उसके इस कदम से कलीसिया को और अधिक हानि हुई। मैं ऐसे प्रचारक को द्रोही कहूंगा − जो मसीह के कार्य के प्रति द्रोही है! ये प्रचारक भी वहीं कर रहे हैं जो मैनलाइन चर्चेस ने किया। सदर्न बैपटिस्ट अब प्रति वर्ष लोगों को खो रहे हैं। रविवार की संध्या की आराधना बंद करना भी इसका एक कारण है।

विंस्टन चर्चिल ने कहा था ‘‘इतिहास पढ़ो! इतिहास पढ़ो!'' उन्होंने कहा ‘‘जितना पीछे तुम देख पाओगे, उतना आगे देख पाने में तुम सफल होंगे।'' इसलिये अतीत में ‘‘मैनलाईन'' और प्रोटेस्टैंट चर्च ने जब रविवार शाम की आराधना बंद कर दी तो क्या प्रभाव पड़ा, ये जानना जरूरी था। यह देखना महत्वपूर्ण है कि कैसे इस कारण उनकी समाप्ति हुई, विनाश हुआ और अंततः वे निष्क्रिय हो गये।

आज पारंपरिक ‘‘मैनलाईन'' चर्चेस जैसे अतीत में थे, उससे कहीं कम सदस्यता वाले होकर सिमट कर रह गये हैं। पहले, उन्होंने अपनी प्रार्थना सभायें त्याग दीं। रविवार संध्या की आराधना त्याग दी। अब वे पवित्र आत्मा को त्याग रहे हैं! उनका उदाहरण, अन्य लोग भी प्रयुक्त करेंगे और उसी मार्ग पर चल पड़ेगे।

२॰ दूसरा, रविवार की संध्या आराधना बंद होने का एक कारण वर्तमान में उद्वार दिलाने के लिये ‘‘निर्णय'' लेने की परंपरा का प्रचलन में होना।

जैसे हमने अपनी पुस्तक वर्तमान में अधर्म में संकेत दिया था, १९ वीं सदी में चार्ल्स फिनी ने प्रोटेस्टैंट और बैपटिस्ट चर्चेस में ‘‘निर्णयवाद'' को प्रचलित किया था। फिनी के निर्णयवाद ने बाइबल में परमेश्वर के आत्मा द्वारा उद्वार कार्य होने के सत्य को पीछे धकेलकर ‘‘मसीह के लिये उपरी निर्णय'' लेने को प्रचलन में लाकर एक परंपरा डाल दी। इसका परिणाम यह हुआ कि प्रोटेस्टैंट और बैपटिस्ट लगभग लाखों खोये हुए लोगों की सदस्यता से भर गये। ऐसे अपरिवर्तित लोग रविवार को दो बार चर्च नहीं जाना चाहते − इसलिये रविवार रात्रि की आराधना फिनी की इस नई पद्वति के प्रचलन में आने के कुछ दशक बाद समाप्त हो गयी। जिन लोगों के मनों में पुर्नजीवन का कार्य नहीं हुआ है, वे रविवार की संध्या की आराधना में नहीं आयेंगे! संपूर्ण अमेरिका में ऐसा दोहराव चल रहा है।

मैं अपनी युवावस्था में जितने भी बैपटिस्ट चर्च में गया, वहां हर कोई रविवार की रात्रि आराधना में उपस्थित नहीं रहता था। हमने सदैव इस बात को समझा था कि जिन लोगों के मनों में पुर्नरूद्वार का कार्य नहीं हुआ है, जो पूर्ण समर्पित नहीं है, वे तो इस आराधना से अनुपस्थित रहेंगे। हम तो आराधना करते रहे। रविवार की सांध्यकालीन आराधना मेरी युवावस्था की सबसे उत्तम आराधनायें होती थी। गीत बहुत अच्छे होते थे। संदेश बहुत सामर्थशाली होते थे। क्योंकि खोये हुए लोग वहां नहीं होते थे, एक दूसरे की आत्मा को दुख देने के कार्य में नहीं लगे रहते थे। पिछले साठ सालों को मैं पीछे पलट कर देखता हूं।

आज हमारे चर्च में प्रत्येक जन रविवार शाम की आराधना में वापस आता है। ऐसा इसलिये क्योंकि उन्हें ऐसा करने के लिये प्रशिक्षित किया गया है। मैं मानता हूं कि यह हमारी अत्यंत सूक्ष्म सावधानीपूर्वक की गयी देखभाल थी कि यह सुनिश्चित किया कि चर्च की सदस्यता देने से पहले उनका सच्चे मन से परिवर्तित होना आवश्यक है। मैं एक खोये हुए व्यक्ति के उद्वार पाने तक रूकना पसंद करूंगा, इसके बजाय कि मैं उसे अतिशीघ्रता से बपतिस्मा दूं!

‘‘निर्णयवाद'' की गलत परंपरा ने हमारे चर्चेस को खोये हुए लोगों से भर दिया है − और अब हम उसकी कीमत चुका रहे हैं। वे उद्वार पाये हुए लोग नहीं हैं, इसलिये रविवार की शाम चर्च आना नहीं चाहते! यह भी एक कारण है कि सदर्न बैपटिस्टों ने पिछले दो सालों में आधा मिलियन लोगों को खो दिया है!

३॰ तीसरा, रविवार की रात्रि आराधना बंद करने के कई अप्रत्याशित परिणाम

आते हैं।

कई नकारात्मक परिणाम सामने होते हैं जिनका मैं वर्णन करूंगा। कुछ हमारे दिमाग में कौंधने वाले विचार इस प्रकार हैं।

१॰  जो चर्चेस अपने रविवार रात्रि आराधना बंद रखते है, वे अपने लोगों को भटकने का अवसर देते हैं और वे अन्य चर्चेस में जाने लगते हैं और भटकाव बढ़ता है। एक प्रचारक जिसने अभी अभी अपनी रविवार रात्रि की आराधनायें बंद कर दीं कहते हैं कि ‘‘इससे उन्हें दूसरे प्रचारकों को सुनने जाने का मौका मिलता है।'' परंतु मैंने सोचा, ‘‘इनके यहां आने वाले लोगों का क्या होगा? अगर वे भी ऐसा विचार कर बैठे?'' और शेष लोगों का क्या होगा? अभी भी कुछ अच्छे लोग हैं जो रविवार रात चर्च आना चाहते हैं। परंतु वे जायें तो जायें किस चर्च में? क्या वे गलियों में चलने वाले करिश्माई चर्चेस में जायें? या वे आज के जमाने के नये बने इवेंजलिस्टों के चतुर संदेशों के जाल में फंसने के लिये कोने में बसे किसी चर्च में जायें? मैं कहता हूं कि कुछ लोग वहां जाना प्रारंभ कर देंगे − और ऐसे में हम रविवार रात की आराधना बंद करके अपने उत्तम लोगों को खो देते हैं।

२॰  चर्चेस जो अपनी रविवार रात की आराधना बंद कर देते हैं वे सप्ताह के सबसे अच्छे सुसमाचार प्रचार का अवसर खो देते हैं। एक प्रचारक ने मुझे एक अन्य चर्च के बारे में बताया जिन्होंने रविवार रात की आराधना बंद कर दी। सुबह की आराधना के बाद वे अपने लोगों को सैंडविच खिला देते हैं और पुनः आडिटोरियम में ले जाते हैं कि दूसरी आराधना संपन्न करके दोपहर २ बजे तक उन्हें छोड़ देवें। प्रचारक कहते हैं, ‘‘उन्हें अधिकाधिक बाइबल का ज्ञान दे दिया जाता है।'' परंतु क्या रविवार रात्रि को चर्च में और अधिक बाइबल का ज्ञान देना ही एकमात्र उददेश्य हैं? नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं है। कई अच्छे चर्च रविवार की रात को एक बड़ी इवेंजलिस्टिक सभा में परिवर्तित कर देते हैं। अतीत में बैपटिस्ट चर्चेस का यही एक ठोस बंदु था। लोग रविवार रात के चर्च में अपने उद्वाररहित मित्रों, रिश्तेदारों और पहचान वाले लोगों को लेकर आने के लिये उत्साहित रहते थे। दोपहर में उन्हें सोचने का मौका मिल जाता था कि किसको चर्च लेकर जाने की आवश्यकता है। आप लोगों को भोजन खिला कर दुबारा बाइबल अध्ययन के लिये बैठा सकते हैं, लेकिन इस से आप रविवार शाम को हमारे बैपटिस्ट चर्च को मजबुत बनाने वाला सुसमाचार प्रचार कार्य का एक बड़ा मौका हाथ से गंवा देते हैं! मेरे एक पास्टर मित्र ने बताया कि कैसे उनके चर्च का एक सामर्थशाली व्यक्ति चर्च इसीलिये आने लगा, क्योंकि जब एक रात वह अपने जीवन से बहुत थक गया था, तो उस घड़ी उसे रात की आराधना में चर्च जाने का मौका मिला। अगर रात की आराधना बंद कर देंगे, तो ऐसे कितने ही जरूरतमंद लोगों को सुसमाचार सुनाने का अवसर खो देंगे?

३॰  चर्चेस जो अपनी रविवार रात की आराधना बंद कर देते हैं वह एक बड़ा अवसर, युवा लोगों तक पहुंचने का, उन्हें आत्मिक रूप से अनुशासित करने का खो देते हैं। युवा लोग रात को बाहर जाना चाहते हैं। याद रखिये, रविवार रात के चर्च को बंद करने का विचार सिर्फ बुर्जुगों को फायदा दे सकता है कि क्योंकि शाम को वे अपने घर पर रहना चाहते हैं, टीवी देखना चाहते हैं और जल्द सो जाना चाहते हैं। परंतु युवाओं को समझ में नहीं आता कि इस समय को कैसे भरे? इसलिये स्थानीय चर्च ऐसे किशोरावस्था बालकों के लिये ‘‘दूसरा घर'' होना चाहिये। मेरा मानना है कि चर्च का भविष्य हमारे युवाओं पर टिका है। बुजुर्ग तो जल्द घर जाना चाहते हैं लेकिन चर्च का भविष्य ऐसे लोगों के हाथ में है जो युवा हैं। इन युवा लोगों को दिमाग में रखकर रात के चर्च की रूपरेखा तैयार की जाना चाहिये। हम उनके ध्यान को मसीह के लिये आकर्षित कर सकते हैं, और स्थानीय चर्च में उनकी सेवाओं के लिये उन्हें प्रशिक्षित कर सकते हैं। ऐसा संभव है अगर हमारी आराधना युवा केंद्रित हो जायें। परंतु अगर रविवार रात के चर्च बंद हो जायेंगे, तो हमारे सुबह के चर्चेस में कुछ मुठी भर बुजुर्ग महिलायें चर्च इमारत के भीतर एकत्रित दिखाई देंगी - जैसे कोने में स्थित मैथोडिस्ट चर्च का हाल है - जिसने अपनी रविवार की आराधना को पचास साठ साल पहले ही त्याग दिया था। अगर हम अभी से अपनी रात की आराधनाओं को युवाओं की जरूरत मान कर जारी रखने के प्रति सावधान नहीं रहेंगे, तो हमारे चर्चेस का हाल भी कुछ साल बाद ऐसा ही होगा!

४॰ चौथा, अपनी रात की आराधनाओं को बंद करना अर्थात आत्मिक जाग्रति को फैलने से रोकना।

मैं इस विषय को केवल हल्का सा उठा रहा हूं। मैंने पश्चिम की आत्मिक जाग्रतियों के इतिहास के बारे में काफी पढ़ा है कि वे बहुधा रात में होती हैं। वास्तव में प्रायः आत्मिक जाग्रति रविवार की रात परमेश्वर द्वारा भेजी जाती है!

ए डब्ल्यू टोजर ने एक संदेश ‘‘बोर्न आफटर मिडनाईट'' में लिखा था। उसमें उन्होंने कहा:

इस विचार में एक विचारणीय सत्य है कि आत्मिक जाग्रति मध्य रात्रि के बाद जन्म लेती हैं। क्योंकि आत्मिक जाग्रति केवल उन्हीं के लिये आती है..........जिंन्हें इसकी बहुत सख्त आवश्यकता होती है ...........कि उनकी आत्मा द्वारा इस असाधारण अनुभव (जाग्रति) को रात्रि में प्राप्त करने की प्रबल संभावना होती है (ए डब्ल्यू टोजर, ‘‘बोर्न आफटर मिडनाईट'' इन दि बेस्ट ए डब्ल्यू टोजर, संकलित वारेन डब्ल्यू वियर्सबी, बेकर, १९७८, पेज ३७−३९)

कृपया, ऐसी कोई टिप्पणी मत कर बैठियेगा कि हमारे चर्चेस में मध्य रात्रि तक आराधना चलना चाहिये।

यद्यपि दो बैपटिस्ट चर्च में बहुत ही कम, दो आत्मिक जाग्रतियों को देखने का मेरा अनुभव रहा है जिसके फलस्वरूप सैकड़ों लोगों में आत्मिक परिवर्तन हुआ। उन दोनों चर्चेस में संध्याकालीन आराधनायें होती थी जो रात्रि तक चलती थी। इनमें से एक चर्च में परमेश्वर द्वारा भेजी आत्मिक जाग्रति में पिछले तीन सालों में हजारों लोग जुड़ चुके हैं। इनकी अधिकतर सभायें देर रात तक चलती थी। उनमें से दूसरे चर्च ने तीन महिनों में पांच सौ लोगों को अपने चर्च में आत्मिक जाग्रति के परिणाम के कारण जोड़ा। रविवार संध्या की आराधना में आत्मिक जाग्रति आना प्रारंभ हुई। यह पहला चर्च था जहां रविवार रात का चर्च और सप्ताह भर भी रात्रि की आराधना चलती। परिणाम यह हुआ कि स्वर्ग से आत्मिक जाग्रति का उपहार मिला!

क्या इन दो बैपटिस्ट चर्चेस को आत्मिक जाग्रति का उपहार प्राप्त होता अगर ये अपनी सांध्यकालीन रविवार की आराधनाओं को बंद कर देते? नहीं, कदापि नहीं! जैसे डॉ टोजर ने कहा आत्मिक जाग्रति केवल उन्हीं के लिये आती है ‘‘जिंन्हें इसकी बहुत सख्त आवश्यकता होती है'' अगर हमको वास्तव में आत्मिक जाग्रति की सख्त आवश्यकता है तो हम ऐसी रात्रि कालीन आराधना बंद नहीं करेंगे, जहां परमेश्वर द्वारा प्रायः उद्वार मिलने की प्रबल संभावना होती है

हमारे अपने चर्च में पिछले साल परमेश्वर ने उल्लेखनीय आत्मिक पुर्नजागरण का अनुभव प्रदान किया − कुछ ही रातों में उनतीस लोगों ने उद्वार का अनुभव पाया और हमारे चर्च में ही बने रहे। लगभग वे सारी सभायें रात में ही संचालित की गयी थीं।

आज सुबह मैं संक्षिप्त में उन लोगों को संबोधित करूंगा, जिनको उद्वार का अनुभव नहीं हुआ है। क्या आप उद्वार पाने के विषय में चिंतित हैं? क्या आप को अपने पापों का बोध हुआ है? क्या आप चाहते हैं कि यीशु आप को पाप और नर्क से बचाये? तो मैं आप से अपने पूरे मन से विनती करता हूं कि आप पुनः संध्या को आवें आज की रात जोन कैगन ‘‘दि बैटल फॉर लॉस्ट सोल'' पर प्रचार करेंगे। यह वह संदेश है जो आप को चुनौती देगा − आप को यीशु को खोजने में सहायता करेगा ताकि आप उसके पवित्र रक्त से बचायें जायें! निश्चित कीजिये कि आप आयेंगें और जोन कैगन का ऊर्जस्वी संदेश सुनेंगें!

परंतु अभी उद्वार का अनुभव लिये बिना क्यों जाना? पापों से मुंह फेरिये और अभी यीशु के पास आइये! जब आप केवल और केवल यीशु पर विश्वास करते हैं तो वह इसी समय आप को आप के पापों से शुद्व कर देवेंगे!

खड़े होकर गीत संख्या ७ गायेंगे ‘‘नथिंग बट दि ब्लड।'' जब हम यह गीत गाते हैं मैं आप से विनती करता हूं कि सामने आकर घूटनों के बल प्रार्थना कीजिये। यहां सामने आयेंगे तो मैं, डॉ कैगन और जोन कैगन आप को परामर्श देंगे और आप के साथ प्रार्थना करेंगे कि परमेश्वर आप को यीशु के पास लेकर आयें। केवल यीशु आप को अपने उस रक्त के द्वारा जो उन्होंने क्रूस पर बहाया, शुद्व कर सकते हैं। जब हम यह गीत गाते हैं, आप आइये। ‘‘नथिंग बट दि ब्लड'' ७ गीत संख्या आप को अपनी पुस्तिका में मिलेगी।

मेरे पाप कौन धोयेगा? केवल यीशु का बेशकीमती लहू;
   कौन मुझे पूर्ण बनायेगा? केवल यीशु का बेशकीमती लहू;
   ओह! कितना कीमती सोता है, मुझे धो देता है श्वेत बर्फ के समान;
   कोई और सोता मैं नहीं जानता केवल यीशु के बेशकीमती लहू के।

मैं अपने पापों की क्षमा देखता हूं − केवल यीशु के बेशकीमती लहू में;
   अपने पापों की शुद्वता ही मेरी चाह है− केवल यीशु के बेशकीमती लहू में।
   ओह! कितना कीमती सोता है, मुझे धो देता है श्वेत बर्फ के समान;
   कोई और सोता मैं नहीं जानता केवल यीशु के बेशकीमती लहू के।

कोई मेरे पापो का प्रायश्चित नहीं का सकता− केवल यीशु के बेशकीमती लहू के;
   मैं तुच्छ मुझसे क्या भला हो पायेगा − केवल यीशु के बेशकीमती लहू है;
   ओह! कितना कीमती सोता है, मुझे धो देता है श्वेत बर्फ के समान;
   कोई और सोता मैं नहीं जानता केवल यीशु के बेशकीमती लहू के।
(‘‘केवल यीशु के बेशकीमती लहू के'' राबर्ट लौरी,१८२६−१८९९)


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(संदेश का अंत)
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हिमर्स के सारे विडियो संदेश का कॉपीराईट है और उन्हें
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संदेश के पूर्व ऐबेल प्रुद्योमे द्वारा धर्मशास्त्र पढ़ा गया: यहूदा १−४
संदेश के पूर्व बैंजामिन किंकैड ग्रिफिथ ने एकल गान गाया गया:
      ‘‘आगे बढ़ो मसीही योद्वाओं'' (सैबिन बैरिंग गोल्ड, १८३४−१९२४
अंतरा और कोरस पद १, २, ४)


रूपरेखा

रविवार रात्रि का संघर्ष

(संघर्ष के लिये पुकार पर प्रथम शृंखला)
THE BATTLE FOR SUNDAY NIGHT
(NUMBER ONE IN A SERIES OF BATTLE CRIES)

डॉ आर एल हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

‘‘हे प्रियो, जब मैं तुम्हें उस उद्धार के विषय में लिखने में अत्यन्त परिश्रम से प्रयत्न कर रहा था, जिस में हम सब सहभागी हैं तो मैं ने तुम्हें यह समझाना आवश्यक जाना कि उस विश्वास के लिये पूरा यत्न करो जो पवित्र लोगों को एक ही बार सौंपा गया था''(यहूदा ३)

(मत्ती २५:५)

१॰  पहला, रविवार संध्या को चर्च आराधना बंद करना, अभी का उभरता हुआ
सामान्य प्रोटेस्टैंट प्रचलन है।

२॰  दूसरा, रविवार की संध्या आराधना बंद होने का एक कारण वर्तमान में उद्वार
दिलाने के लिये ‘‘निर्णय'' लेने की परंपरा का प्रचलन में होना।

३॰  तीसरा, रविवार की रात्रि आराधना बंद करने के कई अप्रत्याशित परिणाम
आते हैं।

४॰  चौथा, अपनी रात की आराधनाओं को बंद करना अर्थात आत्मिक जाग्रति
को फैलने से रोकना।