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शैतान के उपर कैसे विजय प्राप्त करेंHOW TO OVERCOME THE DEVIL डॉ आर एल हिमर्स रविवार की संध्या, ६ अक्टोबर, २०१६ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल ‘‘और वे मेम्ने के लोहू के कारण, और अपनी गवाही के वचन के कारण, उस पर जयवन्त हुए, और उन्होंने अपने प्राणों को प्रिय न जाना, यहां तक कि मृत्यु भी सह ली'' (प्रकाशितवाक्य १२:११) |
शैतान और उसके साथी स्वर्ग से बाहर निकाल दिये गये थे। वे अभी भी स्वर्गिक वातावरण में घूम रहे थे। शैतान को ‘‘आकाश के अधिकार के हाकिम'' कहा गया है (इफिसियों २:२)। ये दुष्टात्मायें अभी भी आकाश में विचरण करने के योग्य थी। दुष्टात्मायें उस समय भी ‘‘(आकाशीय) स्थानों'' में घूमने में समर्थ थीं (इफिसियों ६:१२) − वे ‘‘स्वर्गिक वातावरण'' में जा सकती थीं। इसलिये अय्यूब १:६ कहता है ‘‘एक दिन यहोवा परमेश्वर के पुत्र उसके साम्हने उपस्थित हुए, और उनके बीच शैतान भी आया।'' पर शैतान क्लेश के प्रथम ३ १\२ साल निकलने के बाद ऐसा नहीं कर सकेगा। आने वाले ख्रीस्त विरोधी के शासन में सताव के सात साल मसीहियों और इजरायलियों के लिये बहुत क्लेश के होगें। ख्रीस्त विरोधी इजरायल के साथ एक वाचा पर हस्ताक्षर करता है और सताव का आरंभ होता है (दानियेल ९:२७)।
सताव के सात साल के मध्य में शैतान और उसकी सेना स्वर्ग से निकाल दी जायेगी और पृथ्वी पर फेंक दी जायेगी! हम पढ़ते हैं,
‘‘फिर स्वर्ग पर लड़ाई हुई, मीकाईल और उसके स्वर्गदूत अजगर से लड़ने को निकले, और अजगर ओर उसके दूत उस से लड़े। परन्तु प्रबल न हुए, और स्वर्ग में उन के लिये फिर जगह न रही। और वह बड़ा अजगर अर्थात वही पुराना सांप जो इब्लीस और शैतान कहलाता है और सारे संसार का भरमाने वाला है पृथ्वी पर गिरा दिया गया और उसके दूत उसके साथ गिरा दिए गए'' (प्रकाशितवाक्य १२:७−९)
शैतान इस बात से बहुत क्रोधित हुआ। क्योंकि हमें कहा गया है ‘‘इस कारण, हे स्वर्गों, और उन में के रहने वालों मगन हो हे पृथ्वी, और समुद्र, तुम पर हाय! क्योंकि शैतान बड़े क्रोध के साथ तुम्हारे पास उतर आया है क्योंकि जानता है, कि उसका थोड़ा ही समय और बाकी है'' (प्रकाशितवाक्य १२:१२)
शैतान और अधिक क्रोधित होने वाला है वह जानता है कि इजरायल का पुर्नजन्म होना उसके अंत की निशानी है। वह प्रचारकों और धर्मविज्ञानी प्राध्यापकों की तुलना में अंत समय के बारे में अधिक अच्छे से जानता है। इसलिये मसीह के अनुयायियों को ‘‘शैतान के छल बल से'' बहुत अधिक परिचित होना आवश्यक है। इसलिये अंत का समय जैसे जैसे करीब आ रहा है हम शैतान और उसकी दुष्ट सेना से अधिकाधिक ‘‘संघर्ष'' करते हैं। इसलिये हमको चेताया गया है (तीमुथियुस ३:१) । शैतान पहले से ही जानता है ‘‘उसका थोड़ा ही समय और बाकी है'' (प्रकाशितवाक्य १२:१२)
कुछ लोग शिक्षा देते हैं कि अब हमारे मध्य में आत्मिक जागरण नहीं आ सकता है। वे कहते हैं कि शैतान की ताकत इतनी बढ़ गयी है कि परमेश्वर अब चर्चेस में आत्मिक जागरण भेजने में असमर्थ हैं।
अटोर्नी जे सेक्योलोव ने अभी अभी कहा, ‘‘कि इराक और सीरिया में मसीहियों की यही तस्वीर सामने आती है। उन्हें जिंदा जला दिया जाता है, सूली पर लटका दिया जाता है, गला काट दिया जाता है। आयसिस ने रासायनिक हथियार भी काम में लेना आरंभ कर दिया है। यह नरसंहार असहनीय है।'' तौभी इरान, इराक, सीरिया में महानतम आत्मिक जागरण अभी भी जारी हैं। मि. सेक्योलोव पैसे भेजने के लिये कहते हैं कि मुस्लिम आतंकवादियों को रोका जा सके। लेकिन मैं कहता हूं यह बकवास है! बेमतलब की बात है! वहां बसे लोगों को पैसा नहीं चाहिये! बल्कि यीशु के ऐसे अनुयायी चाहिये जो उनके लिये प्रार्थना कर सके,
‘‘भला हो कि तू आकाश को फाड़कर उतर आए और पहाड़ तेरे साम्हने (निरंतर) कांप उठे। जैसे आग झाड़ झंखाड़ को जला देती वा जल को उबालती है उसी रीति से तू अपने शत्रुओं पर..........अपना नाम ऐसा प्रगट कर कि जाति जाति के लोग तेरे प्रताप से कांप उठें!'' (यशायाह ६४:१−२)
डॉ मार्टिन ल्योड जोंस ने कहा, ‘‘आत्मिक जागरण के लिये यह सर्वश्रेष्ठ प्रार्थना है! ..........विशेष और आग्रहपूर्ण प्रार्थना कि परमेश्वर पिता आत्मा को झकझोरने के लिये नीचे उतर आये। इस (प्रार्थना) पर आधारित कोउपर के गीत में जो शब्द रचे गये हैं उनसे बढ़कर कोई ऐसा सटीक वर्णन नहीं है, गीत के बोल हैं, ‘आकाश को फाड़कर उतर आ, शीघ्र नीचे उतर आ, और हजारों को अपना बना लें’.....इजरायल की संतानों..... हो सकता है तुम्हारें आस पास विरोधी राष्ट्र जमा हों, शत्रु घेरा बांधे, पर इससे भी कुछ नहीं होगा? क्योंकि एक ऐसा परमेश्वर है जो पहाड़ हिला सकता है और इसके लिये हमें (प्रार्थना) करना चाहिये'' (ल्योड जोंस, रिवाइवल, क्रास वे बुक्स, १९९४ संस्करण, पेज ३०५,३०७)।
जब आप सुनते हैं कि मुस्लिम आतंकवादी मसीहियों के साथ भयानक बर्ताव कर रहे हैं तो यह जानकर सताये गये लोगों के लिये अमेरिका में किसी एटार्नी को पैसा भेजने की आवश्यकता नहीं है! एटार्नी या और कोई भी कैसे उनकी मदद कर सकते हैं, उनके यहां तो यूं ही ही आत्मिक जाग्रति हो रही है। सैकड़ों मुस्लिम यीशु को मान रहे हैं। पैसा मत भेजिये। पैसा बिल्कुल उनकी मदद नहीं करेगा! इसके बदले परमेश्वर पिता से ठोस प्रार्थना कीजिये। केवल और केवल परमेश्वर पिता उन्हें बचा सकते हैं। भले ही यीशु के इन नये अनुयायियों को जिंदा जला दिया जाये, इनके गले काट डाले जाये, इन्हें सूली पर लटका दिया जाये पर − पिता परमेश्वर अपनी अनंत बांहे खोल कर उन्हें स्वर्ग में प्रवेश देगा और स्वर्गिक आनंद से सराबोर कर देगा। ये शहीद लोग अधिक से अधिक मुस्लिमों को भी यह संदेश देंगें कि वे आतंकवाद से मुह मोड़कर क्रूसित मसीह को ग्रहण कर लेवे। जो क्रूस पर उनकी आत्माओं को बुरे कर्मो के बोझ से छुटकारा देने के लिये मारा गया। जैसे दूसरी शताब्दी में प्राचीन मसीहियों को मूर्तिपूजक रोमियों द्वारा सताया गया तब टटैलियेन ने कहा था, ‘‘शहीदों का रक्त चर्च के लिये नींव डालने का कार्य करता है।'' हम ऐसी रिपोर्ट के बारे में सुनते हैं कि मुस्लिम नेता स्वयं ही डरे हुए हैं कि उनके लोग यीशु मसीह प्रभु को अपना रहे हैं। महान सुधारक लूथर ने अपने समय के सताये गये लोगों के लिये एक महान गीत लिखा था। यह आप की गीत पुस्तिका के ७ वें पेज पर है,
परमेश्वर हमारा बड़ा गढ़ है, ऐसी शहरपनाह जो कभी गिरती नहीं,
वह हमारा सहायक है, दुनियावी बीमारियों की बाढ़ के मध्य।
अभी भी हमारा पुराना शत्रु हमें संताप देने को खोजता है;
उसका कौशल और सामर्थ महान है, वह घृणा से भरा है,
वह संसार में व्याप्त है।
हम अपनी ताकत पर भरोसा रखते, संघर्ष कें उपरांत हार जाते,
क्या उचित जन हमारी तरफ नहीं है, परमेश्वर का चुना हुआ जन।
तुम पूछते हो कौन हो सकता है वह? वह मसीह यीशु है;
सब्त का प्रभु उसका नाम, युगों युगों से वह समान है,
और युद्व शैतान से वह ही जीतता है।
(‘‘ए माइटी फोर्टेस इज अवर गॉड'' मार्टिन लूथर, टी एच डी, १४८३−१५४६)
ठीक यही तो चीन में हुआ। माओं से तुंग कम्यूनिस्ट तानाशाह ने चीन से मिशनरियों को बाहर निकाल दिया। सांस्कृतिक क्रांति के दौरान चर्चेस को जला कर राख कर दिया गया। पास्टर्स को जेल में बंद कर दिया गया। हजारों चीनी मसीहियों को सताया गया, मार डाला गया, जेल में बंद कर दिया गया। परंतु परमेश्वर उनके साथ था। मसीहत में एक नया आत्मिक जागरण प्रारंभ हुआ। मसीहत को फैलने से रोकने के लिये कम्यूनिस्टों ने सारे प्रयास कर डाले। परंतु वे प्रयास विफल रहें। चीन में अब १५० मिलियन मसीही जन हैं। बजाय अमेरिका केनेडा और यूरोप के चर्चेस के, चीन के चर्चेस में अधिक मसीही जन आते हैं! परमेश्वर ने चीन में यह कर दिखाया − तो परमेश्वर मध्य पूर्व में भी ऐसा कर सकता है! वास्तव में, देखा जाये तो वह ऐसा कर रहा है! प्रार्थना कीजिये कि परमेश्वर ऐसे हजारों मसीहियों को इन मुस्लिम देशों से खड़ा करें! जैसा मार्टिन लूथर ने कहा था,
संपत्ति कुटुंब सब जाते रहें, यह नश्वर देह भी न रहें;
यह देह वे नष्ट कर सकते हैं: परमेश्वर का सत्य तो अटल रहेगा,
उसका राज्य सदाकाल का है।
जब बड़ा क्लेश आवेगा तो यीशु के सच्चे अनुयायियों के साथ ऐसा ही होगा। शैतान उन पर प्रबलता से वार करेगा।
मसीह के शत्रु आवेगें और मसीहियों को कैद में डालेंगे और उनके सिर कलम करेंगें। पर वे शैतान के उपर विजय पायेंगे! कैसे?
‘‘और वे मेम्ने के लोहू के कारण, और अपनी गवाही के वचन के कारण, उस पर जयवन्त हुए, और उन्होंने अपने प्राणों को प्रिय न जाना, यहां तक कि मृत्यु भी सह ली'' (प्रकाशितवाक्य १२:११)
‘‘और वे मेम्ने के लोहू के कारण'' मसीह का लहू उन्हें अनंतकाल तक सुरक्षित बनायेगा। आज भी जब शैतान आप पर आक्रमण करें, आप को उदास और आशाहीन बनायें, मसीह के रक्त को स्मरण रखिये। जब आप मसीहा के रक्त को देखते हैं जो आप अपने उपर तरस खाने और भयभीत होने से उपर उठा लिये जायेंगे, जैसे मसीहियों को सताव के समय बचाया जावेगा। मेम्ने के लोहू के अर्थात यीशु मसीह के लहू के कारण आप उदास होने से बचाये जायेंगे।
वे शैतान पर विजय पायेंगे
‘‘उनके गवाही दिये जाने के कारण।'' वे अपने यीशु मसीहा की गवाही देंगे। शहादत शैतान के उपर एक बड़ी विजय है। ‘‘शहीदों का रक्त (वास्तव में) चर्च के लिये नींव डालने का कार्य करता है।'' पास्टर सैम्यूएल लैंब चीनी कैद में कई बरसों तक रखे गये। आखिर में उन्होंने कहा कि, ‘‘कम्यूनिस्टों ने उन्हें कैद में रखना बंद कर दिया क्योंकि जितनी बार वे उन्हें बंद करते, चर्चेस और बढ़ जाते। जितना ज्यादा सताव उतनी और अधिक आशीषें!''
निवेदन करता हूं कि गीत संख्या ८ गावें
हमारे पितरों का विश्वास! अभी भी जिंदा है,
चाहे काल कोठरी आग या तलवार हो:
हमारे मन आनंद से प्रफुल्लित होते हैं
जब कभी भी हम वह महान वचन सुनते हैं!
हमारे पितरों का विश्वास, वह पवित्र विश्वास!
हम मरते दम तक तेरे प्रति सच्चे बने रहेंगे!
(फेथ आफ अवर फादर्स'' फेडरिक डब्ल्यू फेबर, १८१४−१८६३)
मसीह के लिये मरने की इच्छा के कारण यीशु के अनुयायी सताव काल में भी शैतान के उपर विजयी होंगे। वे मरते दम तक जीवन देने की इच्छा से भरे रहेंगे। अगर मसीह के लिये मरना भी पड़े तो उन्होंने अपने जीवन का मोह नहीं करेंगे। इस तरह वे शैतान के उपर विजयी होते हैं! निवेदन करता हूं कि गीत संख्या ८ फिर से गावें,
हमारे पितरों का विश्वास! अभी भी जिंदा है,
चाहे काल कोठरी आग या तलवार हो:
हमारे मन आनंद से प्रफुल्लित होते हैं
जब कभी भी हम वह महान वचन सुनते हैं!
हमारे पितरों का विश्वास, वह पवित्र विश्वास!
हम मरते दम तक तेरे प्रति सच्चे बने रहेंगे!
हमारे पितरे कैदखाने के अंधेरे में बंद रहें
पर मन और विवेक उनके खुले हुए थे;
कितना सुंदर उनके बच्चों का भाग्य होगा,
अगर वे भी, उनके समान, मरने को तैयार रहें!
हमारे पितरों का विश्वास, वह पवित्र विश्वास!
हम मरते दम तक तेरे प्रति सच्चे बने रहेंगे!
‘‘और वे मेम्ने के लोहू के कारण, और अपनी गवाही के वचन के कारण, उस पर जयवन्त हुए, और उन्होंने अपने प्राणों को प्रिय न जाना, यहां तक कि मृत्यु भी सह ली'' (प्रकाशितवाक्य १२:११)
लोग जिन्होंने शैतान के उपर विजय प्राप्त की है वे अपना जीवन बाइबल के वचन को आधर मानकर जीते हैं। ४२ सालों तक हमने अपने चर्च में आत्मिक जाग्रति भेजे जाने के लिये प्रार्थना की थी। परंतु कोई आत्मिक जागरण नहीं हुआ। उसका कारण मेरे सामने स्पष्ट है। लोग थोड़े समय के लिये आते और फिर से पाप की दुनिया में लौट जाते। ऐसे अपरिवर्तित लोग कैसे आत्मिक जाग्रति का स्वाद चख सकते हैं? यह संभव नहीं था। सालों दर सालों वे पापमय जीवन स्वार्थी जीवन जीते रहे। अंततः ऐसा हुआ कि कुछ लोगों ने चर्च में रूकना आरंभ कर दिया। उसका फल यह हुआ कि कुछ बच्चों ने प्रभु यीशु को स्वीकार किया। धीरे धीरे चर्च में और बच्चे बढ़ें और कुछ और बच्चों ने यीशु को जीवन में स्वीकार किया। आखिर में केवल चार या पांच बच्चे ‘‘चर्च में'' रह गये जो अपरिवर्तित थे। तब परमेश्वर ने हमारी प्रार्थना का उत्तर दिया। जब दुष्ट लोग हमसे अलग हो चुके तब परमेश्वर ने हमारे चर्च में आत्मिक जाग्रति भेजी।
एक लड़की ने आत्मिक जाग्रति चर्च में आयें, इसके लिये मन लगाकर सच्ची प्रार्थनायें की। महिलाओं में से एक फूट कर रो पड़ी कि हमारे चर्च में मन परिवर्तन हो। उसी समय तीन जवान मेरे घर पर आये कि मेरे साथ मिलकर आत्मिक जागरण के लिये प्रार्थना कर सके। अंत में जब हमारे चर्च से सारे संसारी लोग निकल चुके, परमेश्वर ने हमारी प्रार्थना का उत्तर दिया। कुछ सप्ताह के समय में २४ लोगों का मन परिवर्तन हुआ। उन्हें अपने पापों का गहरा बोध हुआ। वे यीशु के पास आते समय रोने लगे। उनमें से दो ८० साल से उपर थे ऐसा प्रायः देखने को नहीं मिलता है। तेरह जवान कालेज के छात्र थे। उनमें से एक सदर्न बैपटिस्ट चर्च का व्यक्ति था। उसने मुझसे पहले बहस की थी कि उसका उद्वार पहले ही हो चुका है। पर वह इस साल आत्मिक जाग्रति के समय बचाया गया! हमने २४ लोगों का जीवन परिवर्तन होते और यीशु को इतने कम समय में अपना उद्वारकर्ता स्वीकार करते नहीं देखा। हम सब लोग सभाओं में परमेश्वर की उपस्थिति को महसूस कर सकते थे। मैं अगले कुछ सप्ताह में इन लोगों को बपतिस्मा दूंगा।
यह बड़ी प्रसन्नता का अवसर होगा जब पवित्र आत्मा के उड़ेले जाने का समय होगा, थैंक्सगीविंग का अवसर होगा, जब आत्मा की सामर्थ से इतने सारे लोग यीशु के समीप खींचे गये और उन्होंने यीशु के क्रूस पर बहाये गये कीमती लहू से अपने पापों को धोकर शुद्व किया और पापों के बोझ से छुटकारा पाया। अगले शनिवार आपके जीवन में परमेश्वर ने जो किया है, उस बदलाव की गवाही देने के लिये तैयार रहिये!
इस साल के बीतते बीतते और कुछ मन परिवर्तन होने की संभावना है। पिछली रात एक व्यक्ति का मन परिवर्तित हुआ। मुझे आशा है कि यह साल २०१६ को हमारे चर्च के लोग परमेश्वर द्वारा प्रथम आत्मिक जाग्रति के साल के रूप में याद रखेंगे।
पर हमें यह नहीं सोचना चाहिये कि चर्च हमेशा आत्मिक जाग्रति की दशा में रहेगा। बीच में कई महिनों और सालों का अंतराल हो सकता है, जब परमेश्वर इसे दुबारा करें। इस दौरान हमें आत्मा के इस महान अवतरण के लिये निरंतर धन्यवादी बने रहना है अन्यथा हम उदास और निराश हो जायेंगे। चर्च में लगातार आत्मिक जागरण नहीं हो सकता। हमें कुछ अवसरों पर पवित्र आत्मा की सामर्थ मिलती रहती है! तो, हमें थोड़ा थम जाना चाहिये और इन २४ परिवर्तनों के लिये परमेश्वर का धन्यवाद देते रहना चाहिये। समय समय पर परिवर्तन होते रहेंगे। और भविष्य में, मैं आशा करता हूं कि इससे भी बढ़कर आत्मिक जागरण हो सकेगा। परंतु शेष साल में हम मसीह के लहू के लिये और परमेश्वर की सामर्थ के लिये आनंद कर सकते हैं। हम इन नये परिवर्तितों के लिये भी प्रार्थना करें कि वे ‘‘क्लेश के समय के मसीहियों के समान मेम्ने के लोहू के कारण, और अपनी गवाही के वचन के कारण उस (शैतान) पर जयवन्त हुए, और....उन्होंने अपने प्राणों को प्रिय न जाना, यहां तक कि मृत्यु भी सह ली'' (प्रकाशितवाक्य १२:११) । निवेदन है कि खड़े होकर हम परमेश्वर द्वारा भेजे जाने वाली आत्मिक जाग्रति वाला मुख्य गीत गावें। गीत संख्या ९ गायेंगे।
मेरा दर्शन भर दीजिये, मसीह मैं प्रार्थना करता हूं,
आज मैं केवल यीशु को देखूं;
यधपि गहरी घाटी से तू मुझे ले चलता है,
तेरी कभी न मुरझाने वाली आभा मुझे घेरे रखती है।
मेरा दर्शन भर दीजिये, मसीहा मैं प्रार्थना करता हूं,
जब तक आप की महिमा से मेरी आत्मा न चमक उठे।
मेरा दर्शन भर दीजिये, मसीहा मैं प्रार्थना करता हूं,
आपकी पवित्र छवि मुझमें दिखाई दे।
मेरा दर्शन भर दीजिये, मेरी हर इच्छा,
तेरी कभी न मुरझाने वाली, चमक से भर दीजिए
आप की सिद्वता के साथ, आप के प्रेम के कारण
उपर से उतरने वाली आभा, मेरे मार्ग को प्रशस्त करे।
मेरा दर्शन भर दीजिये, मसीहा मैं प्रार्थना करता हूं,
जब तक आप की महिमा से मेरी आत्मा न चमक उठे।
मेरा दर्शन भर दीजिये, मसीहा मैं प्रार्थना करता हूं,
आपकी पवित्र छवि मुझमें दिखाई दे।
मेरा दर्शन भर दीजिये, कि पाप की रत्ती भर भी,
चमक व छाया मेरे भीतर न रहे।
मैं आप का आशातीत चेहरा देखना चाहता हूं।
मेरी आत्मा आपके अनंत अनुग्रह पर जीवित है
मेरा दर्शन भर दीजिये, मसीहा मैं प्रार्थना करता हूं,
जब तक आप की महिमा से मेरी आत्मा न चमक उठे।
मेरा दर्शन भर दीजिये, मसीहा मैं प्रार्थना करता हूं,
आपकी पवित्र छवि मुझमें दिखाई दे।
(''मेरे दर्शन को भर दीजिए'' एविस बर्जसन क्रिश्चियनसन, १८९५−१९८५)
अगर आप बचाये नहीं गये हैं तो हम आप से कहते हें कि अपने पापों से पश्चाताप कीजियें मसीह की और मुड़िये और उन पर विश्वास लाइये। क्रूस पर यीशु ने जो लहू बहाया, उससे अपने पापों को धो लीजिये। आप को अहसास होना चाहिये कि आप ने पाप किया है। फिर आप को यह विश्वास रखना आवश्यक है कि यीशु ने जो लहू क्रूस पर बहाया, उससे आप के पाप सब धुलकर शुद्व हो जायेंगे। आमीन।
अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स आप से सुनना चाहेंगे। जब आप डॉ हिमर्स को पत्र लिखें तो आप को यह बताना आवश्यक होगा कि आप किस देश से हैं अन्यथा वह आप की ई मेल का उत्तर नहीं दे पायेंगे। अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स को इस पते पर ई मेल भेजिये उन्हे आप किस देश से हैं लिखना न भूलें।। डॉ हिमर्स को इस पते पर rlhymersjr@sbcglobal.net (यहां क्लिक कीजिये) ई मेल भेज सकते हैं। आप डॉ हिमर्स को किसी भी भाषा में ई मेल भेज सकते हैं पर अंगेजी भाषा में भेजना उत्तम होगा। अगर डॉ हिमर्स को डाक द्वारा पत्र भेजना चाहते हैं तो उनका पता इस प्रकार है पी ओ बाक्स १५३०८‚ लॉस ऐंजील्स‚ केलीफोर्निया ९००१५। आप उन्हें इस नंबर पर टेलीफोन भी कर सकते हैं (८१८) ३५२ − ०४५२।
(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व ऐबेल प्रुद्योमे द्वारा धर्मशास्त्र पढ़ा गया: प्रकाशितवाक्य १२:७−१२
संदेश के पूर्व बैंजामिन किंकैड ग्रिफिथ ने एकल गान गाया गया:
‘‘ए माइटी फोर्टेस इज अवर गॉड'' (मार्टिन लूथर, टी एच डी, १४८३−१५४६)