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एक जवान इवेंजलिस्ट के परिवर्तन में भूमिका निभाने
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शायद जो सबसे महत्वपूर्ण संदेश रहे होंगे, वे मैंने जून २००९ में प्रचार किये थे। आप ने जिस जवान प्रचारक को आज सुबह सुना उसके जीवन में परिवर्तन लाने में इन संदेशों की खास भूमिका थी। ये वे पांच संदेश थे, जिनको जोन सैम्यूएल कैगन ने परिवर्तित होने के पहले सुना था। चूंमि मुझे पता है कि जोन एक बहुत बड़ा प्रचारक सिद्व होगा तो मैं मान सकता हूं कि मेरे ये पांच संदेश बहुत प्रभावकारी रहें होंगें। ऐसे प्रचार जिनसे जीवन बदल जाये, कम सुनने को मिलते हैं। परंतु प्रचार ही वह पद्वति है जिसे परमेश्वर ने पापियों के मन परिवर्तन के लिये ठहराया है। बाइबल कहती है, ‘‘और प्रचारक बिना क्योंकर सुनें?'' (रोमियों १०:१४) । निम्नलिखित पांच संदेश हैं जिन्हें जोन ने उद्वार पाने के पहले सुना था। मैं अंत में उनकी पूरी गवाही को बताउंगा। परंतु इसके पहले मैं आप को उन पांच संदेशों को संक्षिप्त में सुनाउंगा जिन्हें जोन कैगन ने सुना था। जो बिंदु आज संध्या मैं आप को बताउंगा वे उन संदेशों के शीर्षक है
१. पहला, उन लोगो को प्रेरणा जो उद्वार पाने से दूर नहीं हैं। (रविवार सुबह प्रचार किया गया ७, जून २००९)
इस संदेश का मूलपाठ था, ‘‘कि तू स्वर्ग के राज्य से दूर नहीं हैं'' (मरकुस १२:३४) निश्चय ही पवित्र आत्मा इस व्यक्ति के मन में कार्य कर रहा था क्योंकि एकमात्र परमेश्वर का आत्मा ही मनुष्य मन मे परमेश्वर के विरूद्व उठने वाले विरोध और इंकार को तोड़ सकता है। अपरिवर्तित मनुष्य परमेश्वर से विद्रोह करता रहता है, उनके विपरीत बना रहता है। मैं एक अन्य युवा जन से बात कर रहा था, जिसने मुझसे पूछा था, ‘‘यीशु को क्रूस पर क्यों मरना पड़ा था?'' इस लड़के ने मुझे प्रचार करते हुए सुना था, ‘‘मसीह हमारे पापों का दंड भरने के लिये क्रूस पर मरें।'' वह मुझे बरसों से यह कहते हुए सुन रहा है, परंतु यह सत्य कभी उसके कठोर मन में प्रवेश ही नहीं कर पाया। आप को इन शब्दों के उपर बहुत गहराई से सोचना चाहिये, ‘‘मसीह हमारे पापों का दंड भरने के लिये क्रूस पर मरें।'' आप को मसीह के पास आने से कौन रोकता है क्या आप डरते हैं कि दूसरे क्या कहेंगे? दूसरों के शब्दों को भूल जाइये। जब आप नर्क में होगें तो उनके शब्द आप के काम नहीं आयेंगे। अपने पाप से मुंह मोड़ लीजिये और मसीह के पास आइये। नर्क से बचने का कोई उपाय नहीं है।
२. दूसरा, आधुनिक कैल्वीनिज्म और सच्चा परिवर्तन (रविवार संध्या प्रचार किया गया ७, जून २००९)
संदेश का मूल पाठ था, ‘‘कि अगर सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं'' (२ कुरूंथियों ५:१७)। मैंने कैल्वीनिज्म के सिद्वांतो के विरूद्व प्रचार नहीं किया। बजाय इसके मैंने कहा कि कैल्वीनिज्म में विश्वास रखना आप को नहीं बचायेगा। यहां तक कि सच्चे सिद्वांतो पर विश्वास रखना भी आप को नहीं बचायेगा। मैंने यह भी कहा कि इन सिद्वांतों में विश्राम पाना भी आप को नहीं बचायेगा। आप को आप के पापों का बोध होना नितांत आवश्यक है। आप को पापों को स्वीकार करना आवश्यक है। आप को मसीह के पास आना आवश्यक है अन्यथा नर्क में जायेगे। जब आप अपने पापों से बुरी तरह से थक चुके होंगे − तब और केवल तब आप को − यीशु की आवश्यकता महसूस होगी। अगर आप मसीह के सामने यह इच्छा प्रगट नहीं करेंगे कि वे आप के दुष्टता भरे मन को बदल डाले तब तक आप परिवर्तित नहीं हो सकते। क्या अपने मन की पापमय दशा के लिये आप को शर्मिंदगी नहीं होती? क्या इससे आप परेशान नहीं हो जाते? अगर आप को परिवर्तित होना है तो आप के मन की दशा आप को कचोटना चाहिये। जब मन के पापों से थक जायेंगे तब मसीह के लहू से पापों का धुल जाना आप के लिये महत्वपूर्ण होगा। स्पर्जन ने कहा था, ‘‘मन सच्चे रूप में बदलना चाहिये, ताकि संपूर्ण जीवन को बदल कर रख दे।'' सच्चे परिवर्तन तभी होंगे जब खोए हुए पापी जन को अपने मन की दशा का बोध हो और अपने पापों से उसे घ`णा हो जाये।
मैंने इस संदेश में स्पर्जन के संदेश से एक पेराग्राफ साभार लिया है, क्या परिवर्तन आवश्यक है? स्पर्जन ने कहा था,
समस्त सच्चे परिवर्तनों में चार आवश्यक तत्व सहमति में पाये जाते हैं: कुल मिलाकर, एक पापी द्वारा अपने पाप को स्वीकार करना, यीशु से क्षमा किये जाने की आशा रखना, मन का सच्चे रूप में परिवर्तन होना, जो संपूर्ण जीवन को बदल कर रख दे। जहां ये चारों बातें नहीं घटती हैं, वहां सच्चा परिवर्तन हो ही नहीं सकता (सी एच स्पर्जन, मेटोपोलिटन टैबरनेकल पुल्पिट पिलग्रिम्स पब्लिकेशंस, १९७१, वाल्यूम २०, पेज ३९८)
३. तीसरा, केवल उपवास और प्रार्थना से (रविवार सुबह प्रचार किया गया जून १४, २००९)
इस संदेश का मूलपाठ था, ‘‘यह जाति बिना प्रार्थना किसी और उपाय से निकल नहीं सकती'' (मरकुस ९:२९)। मैंने बताया था, मरकुस के इस वाक्य में से, और उपवास शब्द, उस समय की मूल हस्तलिपियों से कुछ रहस्यवादियों ने अनुवाद करते समय हटा दिये थे, जिनके कारण आने वाले चर्चेस में जो आधुनिक बाइबल को उपयोग में लेते थे, उनके चर्च कमजोर होते गये। तौभी प्राचीन में जितनी भी हस्तलिपियां अधिक संख्या में थीं, उनमें यह शब्द प्रार्थना और उपवास पाया जाता था। चीन में ये शब्द बाइबल में मिलता है। यह भी एक कारण है कि उनके यहां जर्बदस्त आत्मिक जागरण देखने को मिलता है। पश्चिम के जो देश हैं, वे अधिकांशतः आधुनिक अनुवाद का प्रयोग करते हैं, वे बहुत कम परंपरागत सच्चे आत्मिक जागरण का अनुभव करते हैं परंतु हमें अपने चर्चेस में युवा लोगों के बीच आत्मिक जागरण आवें, इसके लिये प्रार्थना और उपवास करना चाहिये। हमें उनके लिये प्रार्थना करना चाहिये और उपवास रखना चाहिये ताकि वे अपने मन में पाप के प्रति धिक्कार महसूस कर सके, प्रायश्चित करें और क्रूस पर चढ़ाये गये और पुनः जीवित हुए मसीहा से उनका साक्षात्कार हो सके और उनके कीमती लहू से अपने पापों को शुद्व होने दें। इस संदेश का अंत एक गीत के अंतरे से हुआ था, ‘‘व्हाईटर दैन स्नो।'' अंतरे के बोल इस प्रकार हैं, ‘‘प्रभु यीशु आप देखते हैं, मैं धैर्य से इंतजार करता हूं, अब आइये, मेरे भीतर एक नया मन उत्पन्न कीजिये।'' जब हमारे चर्च में मसीही लोग प्रार्थना और उपवास कर रहे थे, जोन कैगन उपवास के विचार से अप्रसन्न था। इसने उसे क्रोधित कर दिया - तौभी उसके माता पिता उसके परिवर्तन के लिये उपवास और प्रार्थना कर रहे थे!
४. चौथा, विवेक और परिवर्तन (रविवार संध्या प्रचार किया गया जून १४, २००९)
इसका मूल पाठ था, ‘‘वे व्यवस्था की बातें अपने अपने हृदयों में लिखी हुई दिखते हैं और उन के विवेक भी गवाही देते हैं, और उन की चिन्ताएं परस्पर दोष लगाती, या उन्हें निर्दोष ठहराती है'' (रोमियों २:१५) । जब विवेक हमारे अंदर प्रबल होता है, तो हमारे उपर नैतिक फैसले देता है, हमारे कार्यो को पसंद अथवा नापसंद करता है, हमारे विचारों और योजनाओं को गलत बताता है और कहता है कि हमें इसके परिणाम भुगतने होंगे।
आदम ने पाप किया और उसका विवेक दोषी कहलाया तो उसने पाप के लिये बहुत बहाने बनाये। विवेक के भ्रष्ट होने का प्रमाण आने वाली पीढ़ियों में ऐसा चला कि उनके पहले पुत्र कैन ने जब खून किया तो उसे कोई पछतावा नहीं हुआ और क्षमा मांगने की जरूरत महसूस नहीं हुई। जितना अधिक मनुष्य पाप करते जाता है, उसका विवेक उतना अधिक भ्रष्ट व बर्बाद होता चला जाता है। अधिक और अधिक पाप करके वह अपने पाप को झुलसा लेता है, ‘‘यह उन झूठे मनुष्यों के कपट के कारण होगा, जिन का विवेक मानों जलते हुए लोहे से दागा गया है'' (१ तीमुथियुस ४: २) । मैंने युवा बच्चों से कहा कि वे अपने विवेक को भ्रष्ट कर लेते हैं जब वे अपनी मां से झूठ बोलते हैं, स्कूल में धोखा देते हैं, वस्तुओं की चोरी करते हैं, आप अपने विवेक को और अधिक बड़े पापों से भ्रष्ट करते जाते हैं − जिनका वर्णन मैं यहां चर्च में नहीं करूंगा। आप जानते हैं कि वे कौन से पाप हैं। आप जानते हैं कि अभी अपने आप में दोषी महसूस नहीं करना, आप के लिये लगभग असंभव है − क्योंकि आपने लगातार पाप किया है। बार बार पाप में गिरकर आप परमेश्वर पर हंसते हैं और अपने विवेक को भ्रष्ट करते जाते हैं। मैं आप की सहायता करने के लिये क्या कर सकता हूंॽ आप ने बिना अपने विवेक को जांचे, उसे भ्रष्ट बना दिया। मुझे तो आप पर दया आती है कि आप एक बर्बाद प्राणी है जिसका न कोई भविष्य है और न आशा। मैं आप की सहायता नहीं कर सकता हू क्योंकि आप अभिशप्त हैं और आप पर दंड की आज्ञा पहले से ही है। यीशु ने कहा था, ‘‘परन्तु जो उस पर विश्वास नहीं करता, वह दोषी ठहर चुका'' (यूहन्ना ३:१८) । आप निंश्चित हो सकते हैं कि नर्क में आप का स्थान सुरक्षित है क्योंकि आप तो पहले से ही नर्क में हैं। मैं आप को कुछ नहीं कह सकता हूं आप की कोई सहायता नहीं कर सकता। केवल परमेश्वर आप को आप के पापों का बोध दे सकते हैं। अगर उन्होने आप को पहले कभी आप को अपने पापों के प्रति चेताया है तो इसकी कोई निंश्चितता नहीं कि वह आप को फिर से इसका बोध देंगे। बहुधा अक्सर यह होता है कि परमेश्वर जिनको एक बार पापों का बोध करवाते हैं, तो उसके बाद परमेश्वर का आत्मा उनके पास दुबारा उस बोध को देने के लिये नहीं आता है। आखिरकार जितना मखौल आप ने उड़ाया है और मूर्खता आप ने की है, उस दशा में तो एक भी क्षण के लिये आप को उस बोध का अहसास नहीं दिलाया जाना चाहिये। अगर आप ने अपने पापों का बोध खो दिया है, परमेश्वर दुबारा आप को वैसा बोध नहीं देंगे। मसीह के सामने एक याचक के समान आइये ! परमेश्वर के सामने दीनता से रचे बसे होकर आइये। याद रखिये परमेश्वर आप का ऋणी नहीं है। आप ने इतने सालों अपने मन में उनके चेहरे पर थूका है। जरा सोचिये! आप ने अपने क`त्यों से मसीह के चेहरे पर थूकने का कार्य किया है। मसीह आप के ऋणी नहीं हैं। उनके पास आप के लिये सिर्फ क्रोध, दंड और नर्क की ज्वाला है। अब आप ऐसा सोच सकते हैं, ‘‘यह सच है परमेश्वर के पास मेरे लिये कुछ नहीं है सिवाय नर्क की ज्वाला के मैं इसी के लायक हूं।'' तब अगर आप को ऐसा भाव आता है तो आप यीशु के पास उस स्त्री के समान आइये जिसने यीशु के पांव चूम लिये थे। एक अभागे कीड़े के समान आइये। उसके पास रोते और सिसकते हुए आइये जैसा जोन बुनयन ने किया था; जैसा व्हाईटफील्ड ने किया था − चिल्लाते और चीखते हुए दया की भीख मांगी थी। तब शायद वह आप पर दया करें। परंतु मैं आप से कहता हूं ‘‘शायद'' − क्योंकि आप को पाप से छुटकारा देने का समय शायद बीत चुका हो। आप ने पहले ही अनुग्रह के अवसर को खो दिया हो। मसीह के पास रोते हुए आइये - तो हो सकता है − कि वह आप को दूसरा मौका दे। यद्यपि आप का मामला ऐसा है जिसमें शायद ही वह आप को दूसरा मौका प्रदान करे। इस पुल्पिट के सामने आइये। झुक जाइये और दया की भीख मांगिये। मसीह आप की सुन सकते हैं और आप को उनके लहू से शुद्व होने का दूसरा मौका दे सकते हैं। केवल उनका लहू, ‘‘तुम्हारे विवेक को मरे हुए कामों से क्यों न शुद्ध करेगा ताकि तुम जीवते परमेश्वर की सेवा करो (इब्रानियों ९:१४) ।
५• पांचवां, सूखी हडिडयों की घाटी (मैंने उस सुबह प्रचार किया जिस दि जोन कैगन परिवर्तित हुए जून २१,२००९) ।
इस संदेश का मूल पाठ था, ‘‘परमेश्वर यहोवा तुम हड्डियों से यों कहता है, देखो, मैं आप तुम में सांस समवाऊंगा, और तुम जी उठोगी'' (यिजकेल ३७:५) । मैं नहीं सोचता कि जोन इस संदेश द्वारा परिवर्तित हुआ था। मैं नहीं सोचता कि वह इसे सुन भी रहा होगा। मैं सोचता हूं प्रथम चार संदेशों ने उसके परिवर्तन में भूमिका निभाई। आप इसे जोन की गवाही में पायेंगे जब मैं उसे आप के सामने पढूंगा − तो पायेंगे कि वह मेरा अनादर करता था। देखा जाये तो जोन मुझसे नफरत करता था। जब मैं इस संदेश को दे रहा था जोन ने बताया कि उसने दुस्साहपूर्ण तरीके से इस संदेश को सुनने से इंकार किया और..... मैं उस घड़ी का इंतजार कर रहा था कि कब संदेश समाप्त हो, परंतु पास्टर तो प्रचार करते ही जा रहे थे। इसलिये उनकी गवाही जो मैं ने आज सुबह पढ़ी, उसमें उन्होंने इस संदेश का कहीं जिक्र नहीं किया। एक भी शब्द नहीं। जोन ने कहा, जब सामने आने का आमंत्रण दिया गया तो मैंने उसका भी विरोध किया। पास्टर ने मुझे समझाइश दी और मसीह के पास आने के लिये कहा, परंतु मैं नहीं आया।
यह महत्वपूर्ण बात है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसा ही तो आप मेरे लिये अभी महसूस कर रहे हैं। आप मेरा अनादर करते हैं। आप मुझे नापसंद करते हैं। आप मेरी बात सुनना नहीं चाहते हैं।
पंरतु जोन को उस सुबह कुछ हुआ। मैंने टेलीफोन पुस्तक के कुछ ही पन्ने पलटे होगे और जोन का मन परिवर्तन हो गया। मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं? क्योंकि पूर्व के चार संदेशों ने उसके मन को भीतर गहराई से भेदा था, विशेषकर, विवेक के उपर दिये गये संदेश ने उसे भेदा था। आप पायेंगे कि परमेश्वर ने स्वयं उन तीन संदेशों को उसके मन को भेदने के लिये प्रयुक्त किया और उसे मजबूर किया कि अपने पापों के बारे में सोचे। उसने महसूस किया कि उसका संघर्ष सचमुच मेरे विरूद्व नहीं था। उसको यह बोध हुआ कि वह वास्तव में परमेश्वर के विरूद्व संघर्ष कर रहा था। अब जोन की गवाही सुनिये तो आप पायेंगे कि मेरा उसके परिवर्तन से थोड़ा ही नाता है। यह परमेश्वर ही थे जिन्होंने उन चार संदेशों को उसके मन परिवर्तन के लिये प्रयुक्त किया। वह परमेश्वर ही थे जिन्होंने मेरे कमजोर शब्दों को एक पंदह साल के लड़के के मन परिवर्तन के लिये प्रयुक्त किया। वह परमेश्वर ही थे जिन्होंने बलपूर्वक उसे मसीह के नजदीक खींचा। वह मैं बिल्कुल नहीं था। ‘‘और प्रचारक बिना क्योंकर सुनें?'' यह सच है। परंतु वह परमेश्वर ही होता है जो एक प्रचारक के संदेशों को पापियों के मन परिवर्तन के लिये उपयोग में लाता है। जैसे योना भविष्यवक्ता ने कहा था, ‘‘उद्धार यहोवा ही से होता है'' (योना २:९) अब जब मैं जोन सैम्यूएल कैगन की संपूर्ण गवाही पढ़ता हूं, आप इस पर विचार करें।
मेरी गवाही
जून २१,२००९
जोन सैम्यूएल कैगन
मैं अपने परिवर्तन को इतनी सजीवतापूर्वक और इतनी घनिष्ठापूर्वक याद कर सकता हूं कि जो अंतर उसने मेरे जीवन में लाया उसके आगे शब्द भी पर्याप्त नहीं होंगे। परिवर्तन के पूर्व मैं बहुत क्रोधित रहा करता था, नफरत से भरा हुआ था। पाप करने में घमंड का अहसास करता था। लोगों को दुख देने में आनंद आता था। अपने आप को उन लोगों से जोड़ रखा था जो परमेश्वर को नफरत करते थे। पाप मेरे लिये ‘‘गलती'' नहीं थी कि जिसके लिये मुझे दुख हो। मैंने जानबूझकर अपने आप को इस रास्ते पर चल रहा था। परमेश्वर ने कई तरीकों से मेरे उपर कार्य करना आरंभ किया। मैंने कभी यह पूर्वानुमान नहीं लगाया था कि मेरा संसार इतनी जल्दी बिखरने लगेगा। मेरे परिवर्तन से कुछ सप्ताह पूर्व का समय मेरे लिये मरने के समान था: न सो सकता था, न हंस सकता था, न मुझे किसी प्रकार की शांति थी। हमारा चर्च सुसमाचारिय सभायें चला रहा था और मुझे याद हैं कि मैं उनकी हंसी उड़ा रहा था। मैं पूर्णतः अपने पास्टर और पिता का अनादर करता था।
पवित्र आत्मा उस समय निश्चित ही मुझे मेरे पापों का बोध करवा रहा था। पंरतु विचारों के भीतर ही मैं पूरी ताकत से परमेश्वर को व परिवर्तन को नकार रहा था। मैंने इस बारे में सोचने से इंकार कर दिया। यद्यपि मैं भीतर से बहुत प्रताड़ित महसूस कर रहा था। रविवार जून २१,२००९ की सुबह आते आते मैं पूरी तरह से निढाल हो चुका था। मैं सब बातों से बहुत थक गया था। मुझे अपने आप से नफरत होना शुरू हो गयी। अपने पाप से नफरत करने लगा और मुझे महसूस हो रहा था कि ये मेरे लिये कितने भारी थे।
जब डा हिमर्स प्रचार कर रहे थे मैं भीतर से मन को कड़ा करके उनकी बातों को नकार रहा था। शाब्दिक तौर पर तो मैं अपने पापों का बोझ अपनी आत्मा पर महसूस कर रहा था। पर मैं इंतजार कर रहा था कि संदेश जल्दी समाप्त हो। किंतु पास्टर का प्रचार करना थम ही नहीं रहा था और मेरे पापों का बोझ सहना मेरे लिये अत्यंत बोझिल होता जा रहा था। मैं और अधिक कांटो के विरूद्व संघर्ष नहीं कर सका अब वह दिन आ गया था कि मेरा उद्वार होना तय था! जब निमंत्रण दिया गया तब भी मैं इसे नकार रहा था लेकिन मैं अब और नहीं सह सका। मैं जानता था कि मैं बहुत ही बुरा व्यक्ति था और परमेश्वर द्वारा मुझे नर्क में भेजना सही था। मैं अपने विरूद्व संघर्ष करते करते थक गया था। मैं सच में बहुत थक चुका था। पास्टर ने मुझे समझाया कि मसीह के पास आ जाओ। मैं उनकी अवज्ञा करता रहा। मेरे पाप मेरी आंखों के सामने थे तौभी मेरे पास यीशु नहीं थे। ये क्षण मेरी जिंदगी के सबसे भारी क्षण थे और मुझे लग रहा था कि मुझे उद्वार नहीं मिल सकेगा और मेरा नर्क जाना निश्चित है। मैं स्वयं बचने का प्रयास कर रहा था। मैं यीशु पर विश्वास रखने का प्रयास कर रहा था लेकिन यह सब करने मे मैं असफल रहा और मैं और अधिक हताश होता चला गया। मैं जान रहा था कि मेरे पाप मुझे नर्क की तरफ धक्का दे रहे थे और मेरे भीतर का हठी मन मेरे आंसुओं को दूर धकेल रहा था। मैं इस संघर्ष में फंस कर रह गया।
अचानक मुझे बरसों पुराना एक प्रचार याद आया जिसके शब्द थे: ''मसीह के आगे समर्पण करो! मसीह के आगे समर्पण करो! अचानक यीशु को जीवन समर्पण के विचार ने मुझे हताशा से भर दिया और मुझे लगा कि मैं उन्हें जीवन नहीं दे पाउंगा।'' यीशु ने तो मेरे लिये अपने प्राण दिये। सच्चे यीशु मेरे लिये क्रूस पर चढ़ गये और मैं उनका ही शत्रु बना जा रहा था उनके आगे समर्पित होने से बच रहा था। इस विचार ने मुझे तोड़ कर रख दिया और मैंने अपने भीतर से सब बह जाने दिया। अब मैं अपने आप पर काबू नहीं रख पाया और मुझे यीशु की तीव्र आवश्यकता मेरे जीवन में महसूस होने लगी! उसी क्षण मैं विश्वास के साथ यीशु के आगे समर्पित हो गया और मुझे लगा कि मैं अगर समर्पण नहीं करता हूं तो शायद मर ही जाउंगा और यीशु ने मुझे नया जीवन दिया! न मैंने अपने किसी प्रयास से न इच्छा के बल पर बल्कि अपने मन से यीशु को अपना मान लिया और यीशु ने मुझे नया जीवन दिया! उन्होंने अपने रक्त से मेरे पापों को धो दिया। उस एक क्षण में मैंने यीशु का विरोध करना बिल्कुल बंद कर दिया। अब मेरे सामने यह बिल्कुल स्पष्ट था कि मुझे सिर्फ यीशु पर विश्वास करना था। मैं उस एक क्षण को भी पहचान रहा था जब मैं मैं नहीं रहा और मेरे भीतर का स्व यीशु के आगे समर्पित था। मुझे समर्पित होना ही था! न मेरे भीतर कोई ऐसी भावना पैदा हुई और न कोई प्रकाश मेरे सामने कौंधा मुझे किसी भावना की जरूरत नहीं थी मुझे केवल यीशु चाहिये थे! यीशु की ओर मुड़ा तो मुझे मेरे उपर से पापों का बोझ उठता हुआ प्रतीत हुआ। मैंने पापों की ओर से मुंह मोड़ कर केवल यीशु की ओर ताका! यीशु ने मुझे बचा लिया
यीशु ने मुझसे कितना प्रेम किया होगा जब मैं इस योग्य भी नहीं था कि इतने अच्छे चर्च में पला होने के बाद भी यीशु को अपने जीवन में नकार रहा था! शब्द भी मेरे पास कम पड़ेगें कि मैं अपने मन परिवर्तन का अनुभव बयान करूं और मसीह के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करूं। मसीह ने अपने जीवन को मेरे लिये दिया और इसके लिये मैं अपना संपूर्ण जीवन उन्हें देता हूं। यीशु ने अपने सिंहासन को छोड़ दिया कि क्रूस पर चढ़ जावें और मैं उनके ही चर्च को नकारता रहा और पापों से मिलने वाली मुक्ति का उपहास उड़ाता रहा; तो मैं किस तरह उनके प्रेम और करूणा पाने के योग्य हूं? यीशु ने मेरी नफरत और क्रोध को ले लिया और बदले में मुझे प्रेम दिया। उन्होंने मुझे एक नयी शुरूआत ही नहीं दी − बल्कि एक नया जीवन भी दिया। केवल विश्वास से मैंने जाना है कि यीशु ने मेरे सारे पापों को धो दिया है और मुझे बहुत आश्चर्य होता है कि कैसे एक ठोस प्रमाण की मेरे भीतर कमी के उपरांत भी मैंने सदैव यह जाना है कि विश्वास अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण है और मुझे इस बात में शांति मिलती है कि बहुत सोच विचार के बाद मेरा विश्वास यीशु में विश्राम पाता है। यीशु ही मेरा एकमात्र उत्तर है।
मैं बहुत धन्यवादी हूं उस अनुग्रह के लिये जो परमेश्वर ने मुझे दिया, उन्होंने मेरी तरफ कितने मौके बढ़ाये और इतनी प्रबलता के साथ उन्होने मुझे अपनी ओर खींचा अन्यथा मैं तो अपनी ताकत से कभी उनके पास नहीं आ सकता था। ये तो मात्र मेरे शब्द हैं परंतु मेरा विश्वास तो केवल यीशु मे विश्राम पाता है, क्योंकि उन्होंने मुझे बदल कर रख दिया। वह मेरे साथ सदा बने रहते हैं, वे मेरे छुड़ानेहार हैं, मेरा चैन हैं, मेरे मसीहा हैं। मेरा प्रेम उनके लिये इस तुलना में कितना कम है कि जितना उन्होंने मुझसे प्रेम किया। मैं उनके लिये कभी इतने लंबे समय तक या गंभीरतापूर्वक नहीं जी सकता, मैं मसीह के लिये बहुत अधिक कभी नहीं कर सकता। परंतु यीशु की सेवा करना मेरा आनंद है! मैं तो मात्र नफरत करना जानता था परंतु उन्होनें मुझे जीवन और शांति प्रदान की। यीशु ही मेरी इच्छा और दिशा हैं। मैं अपने आप में भरोसा नहीं रखता परंतु अपनी आशा एकमात्र उन पर रखता हूं क्योंकि उन्होंनें कभी मुझे लज्जित नहीं होने दिया। मसीह मेरे पास आये और इसलिये मैं उन्हें कभी नहीं छोडूंगा।
आप जोन कैगन के समान ही खोये हुए पापी हैं। मैं आप को केवल इतना कह सकता हूं जो मैंने जोन को उस संदेश के बाद कहा था जब उसका मन परिवर्तित हुआ, मैंने उससे कहा, ''तुम पापी हो। तुम खोए हुए हो। कोई तुम्हें नहीं बचा सकता सिवाय यीशु के। इसीलिये तुम्हारे पापों का दंड चुकाने के लिये वे क्रूस पर मरें और अपने बलिदान से आप के सारे पापों को धो दिया। जब हम गीत गाते हैं अपने स्थान से उठकर और यहां आकर बैठिये, ‘ओह यीशु, मैं खोया हुआ हूं मेरे पापों को अपने लहू से धो दीजिये। जो आप ने क्रूस पर बहाया!’ यहां आइये जब हम ‘नियर दि क्रास’ का पहला भाग गाते हैं।'' यह वह आमंत्रण का गीत था जो हमने तब गाया था जब जोन कैगन का मन परिवर्तित हुआ था। आप में से बहुत इस बात को जानते हैं। इसे गाइये। जब लोग इसे गाते हैं तब आप यहां वेदी के पास आ सकते हैं और यीशु के उपर विश्वास ला सकते हैं।
यीशु, मुझे क्रूस के पास रखिये, वहां एक कीमती सोता बहता है
मुफ़्त है सबके लिये, उस कलवरी पहाड़ से चंगा करने वाली धारा बहती है।
क्रूस में ही क्रूस में ही, मेरी महिमा सदा रहें;
जब तक मेरी भेदी हुई आत्मा उस नदी के पार विश्राम न पा ले।
(नियर दि क्रास फैनी जे क्रासबी, १८२०− १९१५)
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(संदेश का अंत)
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पांडुलिपि संदेशों का कॉपीराईट नहीं है। आप उन्हें बिना डॉ.
हिमर्स की अनुमति के भी उपयोग में ला सकते हैं। यद्यपि डॉ.
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संदेश के पूर्व ऐरोन यांसी द्वारा धर्मशास्त्र पढ़ा गया: रोमियों १०:९−१४
संदेश के पूर्व नोहा सांग ने एकल गान गाया गया:
''नियर दि क्रास'' ( फैनी जे क्रासबी १८२०− १९१५)
रूपरेखा एक जवान इवेंजलिस्ट के परिवर्तन में भूमिका निभाने FIVE SERMONS USED IN THE CONVERSION डॉ आर एल हिमर्स ‘‘और प्रचारक बिना क्योंकर सुनें?'' (रोमियों १०:१४) १. पहला, ‘‘उन लोगो को प्रेरणा जो उद्वार पाने से दूर नहीं हैं'' २. दूसरा, ‘‘आधुनिक कैल्वीनिज्म और सच्चा परिवर्तन'', (रविवार संध्या प्रचार ३. तीसरा, ‘‘केवल उपवास और प्रार्थना से'', (रविवार सुबह प्रचार किया गया ४. चौथा, ‘‘विवेक और परिवर्तन'', (रविवार संध्या प्रचार किया गया ५• पांचवां, ‘‘सूखी हडिडयों की घाटी'', (मैंने उस सुबह प्रचार किया जिस दि |