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संदेश के पूर्व डॉ हिमर्स द्वारा गीत गाये गये:
''मेरे दर्शन को पूरा कीजिये'' (एविस बर्जसन क्रिश्चियनसन, १८९५—१९८५)
''मुझे ढूंढ प्रभु'' (भजन १३९:२३—२४)

शैतान और आत्मिक जागरण

SATAN AND REVIVAL
(Hindi)

द्वारा डॉ. आर.एल. हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

शुक्रवार की संध्या, १५ सितंबर, २०१६ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल
में दिया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Thursday Evening, September 15, 2016


निवेदन हैं कि अपने स्थान पर खड़े होकर स्कोफील्ड स्टडी बाइबल में से पेज १२५५ खोल लीजिये। यह इफिसियों का अध्याय ६ और १२ है।

''परमेश्वर के सारे हथियार बान्ध लो; कि तुम शैतान की युक्तियों के साम्हने खड़े रह सको। क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध, लोहू और मांस से नहीं, परन्तु प्रधानों से और अधिकारियों से, और इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से, और उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं'' (इफिसियों ६:११−१२)

अब आप बैठ सकते हैं।

ये पद बतलाते हैं कि किस प्रकार शैतान की सेनायें सच्ची मसीहत की शत्रु हैं। दि न्यू अमेरिकन स्टैंडर्ड बाइबल इस पद का यह अनुवाद करती है,

''क्योंकि हमारा यह संघर्ष, लोहू और मांस से नहीं, परन्तु प्रधानों से और अधिकारियों से, और इस संसार के अन्धकार के (''शासक,'' ऐंगर) और उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं'' (इफिसियों ६:१२, एनएएसबी)

डॉ मैरिल एफ ऐंगर ने कहा था, ''दुष्टता की सेनाओं का सबसे दिलचस्प पद हमारे सामने अंधकार के शासक हैं......इस 'संसार में दुष्टता की ताकतें' जो राज्य कर रही हैं'' (बिब्लीकल डेमेनोलोजी, क्रेजेल पब्लिकेशंस, १९९४, पेज १९६) । दानियेल १०:१३ के उपर डॉ चार्ल्स रायरी ने यह टिप्पणी दी, ''पर्शिया के राज्य का राजकुमार......एक अलौकिक प्राणी जिसने परमेश्वर की योजना का विरोध करने के लिये पर्शिया के शासकों को निर्देशित किया। दुष्ट प्रजाति के देवदूत देशों के उपर राज्य करना चाहते हैं......देशों के उपर राज्य करने के लिये बुरे और अच्छे देवदूतों का युद्व जारी है'' (रायरी स्टडी बाइबल; दानियेल १०:१३ पर व्याख्या)

मैं इस बात से सहमत हूं कि एक शैतान शासक है जिसने पश्चिमी संसार और अमेरिका पर नियंत्रण कर रखा है। दानियेल १०:२० के उपर स्कोफील्ड सेंटर की व्याख्या कहती है, ''ये दुष्ट आत्मायें शैतान के इस संसार पर राज्य करने की व्यवस्था के प्रतिनिधि हैं।'' ये व्याख्या ''पर्शिया के राज्य के राजकुमार'' की ओर संकेत देती है। यह ''राजकुमार'' प्रमुख अगुआ था जिसने पर्शिया के राज्य के उपर नियंत्रण कर रखा था। आज ''पश्चिम का राजकुमार'' अमेरिका और उसके मित्र देशों के उपर नियंत्रण करता है। और मुख्य शैतान शासक जो अमेरिका और मित्र देशों के उपर नियंत्रण करता है, उसको हमारी सभ्यता के पूर्णता भौतिकतावादी हो जाने के उपर सामर्थ दी गयी है। भौतिकतावाद का यह शासक आत्मिक जागरण नहीं होने देना चाहता है, प्रार्थनाओं में बाधा बनता है, हमारे लोगों को गुलाम बना लेता है। इस शासक शैतान ने हमारे लोगों के साथ क्या किया है? शैतान के उपर बोलते हुए डॉ ल्योड जोंस ने कहा था कि शैतान की ताकत क्या करती है। इसने लोगों के दिमागों को अंधा कर दिया है। उन्होंने कहा कि लोगों के दिमागों से अध्यात्म का विचार ही चला गया। परमेश्वर मे जो गहन विश्वास होना चाहिये वैसा नहीं है......परमेश्वर धर्म और आत्मिकता का विचार पूर्ण रूप से मनों से भुला दिया गया (है) और निकल गया है (रिवाईवल, क्रासवे बुक्स, १९९२, पेज १३) यह पश्चिम के राजकुमार और उसके अधीन कम ताकत वाले शैतानों ने किया है।

पर यह दूसरे देशों के विषय में सत्य नहीं है। तीसरी दुनिया के ऐसे भी लोग हैं जहां ''भौतिकतावाद'' का शैतान इतनी ताकत के साथ जैसे पश्चिमी देशों और अमेरिका में प्रबल है, वहां प्रबल नहीं है। चीन, अफ्रीका, इंडो चीन और यहां तक कि मुस्लिम देशों में भी − लाखों जवान लोग प्रभु यीशु पर विश्वास ला रहे हैं। लाखों लोगों का मन परिवर्तित हुआ है। उनमें अनेक लोग सच्चे रूप में मसीही हैं। अमेरिका और पश्चिमी जगत में बहुत कम जवान लोग परिवर्तित हुए हैं। पश्चिमी देशों और अमेरिका में लाखों जवान चर्चेस छोड़ रहे हैं। बहुत कम जवान अमेरिका और पश्चिमी संसार में सच्चे मसीही बन रहे है। हमारे चर्च सामर्थरहित होते जा रहे हैं। हमारी प्रार्थना सभाओं में कम उपस्थिति है। हमारे जवान लोगों में परमेश्वर के प्रति कम उत्साह है। सर्वेक्षणकर्ता जार्ज बारना के अनुसार ८८ प्रतिशत लोग २५ की उम्र तक चर्च छोड़ देते हैं ''फिर कभी न आने के'' लिये। वे इंटरनेट पर घंटों तक पोर्नोग्राफी देखते रहते हैं। वे मैरीजुएना और एक्सटेसी जैसी नशीली दवाओं के सेवन में फंस जाते हैं। वे प्रार्थना पर हंसते हैं लेकिन सोशल मीडिया को मंत्र मुग्ध होकर देखते रहते हैं। जैसे भविष्यवक्ता होशे के समय प्राचीन इजरायली अपनी मूर्तियों को निहारते रहते थे। प्राचीन सोशल मीडिया शैतान द्वारा स्थापित की गयी वह प्रतिमा है जिसने लोगों के दिमागों को नियंत्रण में कर रखा है। और अमेरिका और पश्चिमी संसार के लगभग सब पास्टर्स यह बिल्कुल भी नहीं स्वीकारते कि क्यों हमारे चर्च इतने संसारी व कमजोर होते जा रहे हैं! उन्हें नहीं पता जैसे डॉ ल्योड जोंस ने पहले ही कहा था कि वे शैतानी ताकतों से जूझ रहे हैं!

होशे के समय में यह स्थिति इतनी बुरी हो चली थी कि परमेश्वर ने कहा ''(इजरायल) प्रतिमापूजक हो गया है और उसे छोड़ देना चाहिये'' (होशे ४:१७) । उस देश को परमेश्वर ने छोड़ दिया था। वे परमेश्वर द्वारा त्यागे गये थे। उन्हें शैतान के नियंत्रण में छोड़ दिया गया था। ऐसे शक्तिशाली शैतान जिन्होंने पोर्नोग्राफी, मेरीजुअना और सोशल मीडिया के द्वारा युवा पीढ़ी को घंटो तक नियंत्रण में रखा है! ये शैतान, जवानों को भटके हुये लोगों की संगति में बांध देता है। यही शैतान, जो लोगों को भौतिकतावाद का गुलाम बनाता है, उन्हें कैरियर के आकर्षण में बांध कर आध्यात्मिक मसीही जन बनने से बचाता है, यही उन्हें वैवाहिक जीवन के अलावा सैक्स संबंध बनाये रखने और पोर्नोग्रॉफी में लिप्त रहने के लिये उसकाता है। ''(इजरायल) प्रतिमापूजक हो गया है और उसे छोड़ देना चाहिये'' (होशे ४:१७) । आप में से कुछ लोग यहां शैतान द्वारा जकड़े हुये हैं।

आप यहां आते हैं पर परमेश्वर यहां नहीं हैं। आप महसूस कर सकते हैं कि परमेश्वर यहां नहीं हैं! भविष्यवक्ता होशे ने कहा, वे............''यहोवा को ढूंढने चलेंगे, परन्तु वह उनको ना मिलेगा क्योंकि वह उनसे दूर हो गया है'' (होशे ५:६) । परमेश्वर दूर हो गये हैं! उन्होंने हमारे चर्चेस को छोड़ दिया है। उन्होंने हमारे चर्चे को छोड़ दिया है। वे अनुपस्थित हैं। वे इसलिये अनुपस्थित नहीं हैं कि उनका अस्तित्व नहीं है। पर वे इसलिये अनुपस्थित हैं क्योंकि उनका अस्तित्व है! परमेश्वर का अस्तित्व है − इसीलिये उन्होंने आप को अकेला छोड़ दिया हैं! वह पूर्णतः पवित्र हैं। वह हमारे पाप से क्रोधित हैं। इसीलिये उन्होंने आप को अकेला छोड़ दिया है। घर में अकेले। प्रार्थनाओं में अकेले। चर्च में अकेले। परमेश्वर की उपस्थिति के बगैर अकेले। मैं स्वयं अपने अनुभव से जानता हूं कि जब मैं किशोरावस्था में था और कोकेशियन चर्च आया तब परमेश्वर वहां मेरे लिये नहीं थे। मैं अकेला था − चर्च में मैं अकेला था। जैसे ग्रीन डे ने एक प्रसिद्व गीत में लिखा है,

मैं चाहता हूं कि कोई मुझे ढूंढ ले जब तक
कि मैं अकेला चल रहा हूं।
   (ग्रीन डे, ''बुलेवार्ड ऑफ ब्रोकन ड्रीम,'' २००४)

मैं जानता हूं कि आप कैसा महसूस करते हैं। जब मैं आप जैसा ही किशोर था, ल्योस ऐंजीलिस की गलियों में फिरता था! जब मैं कोकेशियन चर्च में था मैं अकेला था, उस समय मैं चायनीज बैपटिस्ट चर्च नहीं आया था। हां सचमुच मुझे याद है! कि कैसा लगता था! और मुझे नफरत होती थी! मुझे भौतिकतावाद के उस शैतान से नफरत होती है जिसने परिवारों में से प्रेम को हटा दिया है, खुशियों को तबाह कर दिया है, दिलों को बरबाद कर दिया है और आप को इतना अकेला बना दिया। मुझे शैतान से नफरत है जिसने हमारे चर्चेस को ठंडा बना दिया है। मुझे अमेरिका के पाप से नफरत है, जिसने आप से भली वस्तुएं छीन ली जो परमेश्वर ने आप के लिये रखी थी! परमेश्वर अमेरिका और पश्चिमी देशों से दूर जा चुके हैं! हमारे पाप के कारण परमेश्वर हमसे दूर जा सके हैं! परमेश्वर ने आप के पाप के कारण आप को अकेला छोड़ा है।

हमको हमारे चर्च में परमेश्वर चाहिये! हमको उनकी उपस्थिति चाहिये! हम आप की सहायता तब तक नहीं कर सकते जब तक कि परमेश्वर स्वयं उतर कर नहीं आयें। हम को हमारे पाप से प्रायश्चित करना चाहिये! जब हम प्रार्थना करते हैं हमारी रूलाई फूटना चाहिये। हमारी प्रार्थना तब तक कोरे शब्द ही रहेंगे जब तक हमारी रूलाई नहीं फूटेगी! चीन में लोग रोते हैं और परमेश्वर नीचे उतर आते हैं! हमारे पास आप जवान लोगों को देने के लिये कुछ नहीं है! हम आप को पार्टी दे सकते हैं। पर हम आप को परमेश्वर नहीं दे सकते है! हम आप को बास्केटबॉल खिला सकते हैं। पर हम आप को परमेश्वर नहीं दे सकते हैं! अगर हम आप को परमेश्वर नहीं दे सकते तो फिर हमारे पास आप को देने के लिये कुछ नहीं है। आप को अकेलेपन से बचाने के लिये कुछ नहीं है! आप के दिलों को प्रसन्नता देने के लिये कुछ नहीं है! आप की आत्माओं को बचाने के लिये कुछ नहीं है! आप हमारे पास आये हैं, और हमारे पास आप को परोसने के लिये कुछ नहीं है। कुछ नहीं केवल पार्टी। कुछ नहीं केवल एक बर्थडे केक! हम केवल आप को पुराना कार्टून दिखा सकते है। हमारे पास कुछ आप के सामने रखने के लिये नहीं है, आप की सहायता करने के लिये कुछ नहीं है, आप को नर्क की आग से बचाने के लिये कुछ नहीं है! हम आप को कुछ नहीं दे सकते जब तक कि हमारे पास परमेश्वर नहीं होंगे! हमारे पास एक या दो गीत गाने के और प्रार्थना के कुछ शब्दों के अतिरिक्त आप को देने के लिये कुछ नहीं है। हम यहां फलहीन है। हम असहाय हैं। आप को जो चाहिये वह हमारे पास नहीं है। अगर हमारे पास परमेश्वर नहीं, तो फिर हमारे पास आप को देने के लिये कुछ नहीं है!

दो शनिवार रात पहले मैंने आप को पद स्मरण करने के लिये दिये थे। आप में से कुछ ने उसे याद भी किया है।

''भला हो कि तू आकाश को फाड़कर उतर आए और पहाड़ तेरे साम्हने कांप उठे। जैसे आग झाड़ झंखाड़ को जला देती वा जल को उबालती है उसी रीति से तू अपने शत्रुओं पर अपना नाम ऐसा प्रगट कर कि जाति जाति के लोग तेरे प्रताप से कांप उठें! जब तू ने ऐसे भयानक काम किए जो हमारी आशा से भी बढ़कर थे, तब तू उतर आया, पहाड़ तेरे प्रताप से कांप उठे'' (यशायाह ६४:१−३)

मैं महसूस करता हूं कि आप में से कुछ ने इन पदों को दोहराया होगा तो परमेश्वर नीचे उतर कर आये। मैं स्वयं भीतर से हिल गया। मेरा मानस परमेश्वर की ताकत से हिलाया गया। मुझे एक आमंत्रण मिला। देखिये कोई संदेश मैंने नहीं दिया । कोई प्रार्थना नहीं हुई की। केवल इन शब्दों को कहा गया,

''भला हो कि तू आकाश को फाड़कर उतर आए और पहाड़ तेरे साम्हने कांप उठे। जैसे आग झाड़ झंखाड़ को जला देती वा जल को उबालती है उसी रीति से तू अपने शत्रुओं पर अपना नाम ऐसा प्रगट कर कि जाति जाति के लोग तेरे प्रताप से कांप उठें! जब तू ने ऐसे भयानक काम किए जो हमारी आशा से भी बढ़कर थे, तब तू उतर आया, पहाड़ तेरे प्रताप से कांप उठे'' (यशायाह ६४:१−३)

मिसिस ——— ने आंसुओं से प्रार्थना की! जैसन ——— ने आहें भरी और जोर की आवाज में रो पड़े। रिबेका रोती हुयी वेदी पर आयी। किसी ने कहा अब्राहम ——— का क्या हुआ? उसने सामने चलना आरंभ तो किया था। पर वह फिर मुड़ गया और चला गया। तीन व्यक्ति उस के पीछे दौड़े। उसमें से शैतान निकल कर भागा। आंसु बह रहे थे। विनती की जा रही थी। आखिर में उसे शांति मिली। दो दिन पहले ही तो उसे उद्वार मिला है! तब क्रिस्टीना ——— आयी। जोन कैगन ने उससे कुछ शब्द कहे इसके पहले कि मैं जोन को उसे किसी दूसरे जन से बात करने बुलवाता। वह स्वयं यीशु के पास आयी − और डॉ कैगन ने उसकी गवाही सुनी और कहा, ''वह मौत से निकलकर जीवन में पहुंची है।'' वह क्रूसित मसीहा के लहू से बचायी गयी है। अब्राहम ——— और जोन नोन के साथ प्रार्थना करके मैंने डोक्सोलॉजी गायी। हमारे यहा १३ लोगों ने उद्वार पाया ये अगस्त १८, २७, २८ को हुआ। मैंने एक प्रचारक को बताया और उसने कहा, ''आप के यहां आत्मिक जाग्रति हो रही है।'' और ये जाग्रति लोगों के मन परिवर्तन से हो रही है। अक्सर लोगों के पाप स्वीकारने के द्वारा ये प्रारंभ होती है। केवल ४ मसीहियों ने पापों को स्वीकारा और उद्वार पाया। केवल चार मसीही जन! बाकि के लोग वैसे ही ठंडे और निर्जीव बने रहे।

क्यू ——— छ फीट लंबा है। एक बड़ा अफ्रीकन अमेरीकी क्रोधित चेहरा लिये हुये। वह अपने घुटनों के बल बैठा था और तब तक रोता रहा जब तक कि उसका चेहरा आंसुओं से तर नहीं हो गया। पिछले रविवार की रात को उद्वार पाने वाला वह अंतिम जन था।

मैंने उन सभाओं में दो बातें महसूस की जिससे मुझे परेशानी हुई और आज भी वे बातें मुझे परेशान कर रही हैं। पहली बात जिसने मुझे परेशान किया कि जिन लोगों ने उद्वार पाया उनको लेकर आप को कोई आनंद नहीं हुआ। डॉ कैगन ने उन्हें दो या तीन बार जांचा। उन्होंने भी कहा कि उन्हें उद्वार मिला है। यह सुनकर आप को कोई खुशी नहीं हुई। जब मैंने आप को बताया कि डॉ कैगन ने उन्हें यह कहते हुये सुना है और बताया है कि उन लोगों का मन परिवर्तन हुआ है। तब केवल जैक और मैंने तुरंत डोक्सोलॉजी गाई! पर आप के मुंह से प्रशंसा के कोई स्वर नहीं फूटे। केवल अनमने मन से तालियां बजा दी गयी। केवल ठंडी उत्साहहीन प्रशंसा। आनंद का एक बोल आप के मुंह से नहीं निकला जब आप ने उद्वार पाने की घटना के बारे में सुना। आप दिखने भर के लिये मसीही हैं लेकिन आप को १३ लोगों के पापों से छुटकारा मिलने पर कोई खुशी नहीं हुई! कोई मुस्कुराहट नहीं! कोई हैल्लुयाह की ध्वनि नहीं! मैंने लोगों को आनंद से चिल्लाते हुये देखा है इन सभाओं में लेकिन आप की तरफ से ऐसी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। हमने पिछली सभाओं में हुई आत्मिक जाग्रति के वर्णन पढ़े, उसको पढ़कर भी आप ने धन्यवाद नहीं दिया! कोई प्रफुल्लता नहीं। जब मैं उद्वार पाये गये लोगों के नामों की सूची पढ़ता हूं, केवल ठंडा स्वागत होता है। मैं तो सोचता था कि आप खड़े होकर ''परमेश्वर की प्रशंसा'' हो ऐसा चिल्ला उठेंगे। आवाजें गूंज उठेगी। इतनी महानतम विजय पर — आप निरूत्साहित बने रहे! यही वह पहली बात थी जिससे मैं बहुत परेशान हुआ।

दूसरी जिस बात ने मुझे परेशान किया कि चार जन जो लंबे समय से हमारे चर्च में आ रहे हैं उन्होंने उद्वार पाया। केवल चार ने! हर दूसरा जन वैसे ही भावहीन और शुष्क बना रहा! एक ने कहा, ''मेरा मन परिवर्तन हुआ लेकिन मिसिस ——— के समान नहीं'' मेरे भाइयों और बहनों अगर आप मिसिस ——— के समान परिवर्तित नहीं हुये हैं तो आप का यह परिवर्तन उद्वार पाना नहीं कहलायेगा! आप को परमेश्वर ने स्पर्श नहीं किया है अगर आप मिसिस ——— के समान परिवर्तित नहीं हुये हैं!

मैंने जोन कैगन से पूछा तुम लोगों के मध्य इतनी कम आत्मिक जाग्रति कैसे आयी? उसने कहा कि लोग स्वार्थी और अविश्वासी हैं। मेरे हिसाब से वह सही कहता है। आत्मा का बड़ा प्रवाह आया और आप स्वार्थी बने रहे। लोगों ने उद्वार पाया पर आप स्वार्थी बने रहे। आप ने विश्वास नहीं किया। परमेश्वर की ओर से इतना प्रबल प्रवाह आया पर आप ने वास्तव में विश्वास नहीं किया। क्यों आप ने वास्तव में विश्वास नहीं किया? क्योंकि आप के भीतर कहीं कुछ है! कुछ सचमुच बहुत अधिक गलत है! आप को खुशी के आंसु नहीं आते। आप खुशी की कोई प्रतिक्रिया नहीं देते! आप का हृदय गलत कर रहा है इसलिये आप के मन से आनंद नहीं फूट पड़ता। आप का हृदय गलत है क्योंकि आप ने उसे सावधानीपूर्वक जांचा नहीं है आप शैतान द्वारा बहकाये गये हैं। आप इसे शायद जानते भी नहीं। आप नहीं जानते कि आप ''शैतान के छल कपट में'' फंस चुके हैं। आप जानते भी नहीं कि उसने छल कपट से आप को फंसा रखा है! आप कैसे ''परमेश्वर के लिये मजबूत और उसकी सामर्थ में भरपूर हो सकते हैं?'' शैतान से आप ''कैसे युद्व लड़ेंगे'' जब कि आप जानते भी नहीं कि उसने छल कपट से आप को फंसा रखा है? (इफिसियों ६:१०—११) डलास के थियोलॉजीकल सेमनरी के डॉ मेरिल एफ एंगर ने कहा था ''जो (मसीही) गहरी आत्मिकता में जीते हैं और विजयी रूप में रहते हैं उनको शैतान और दुष्ट आत्मा का अधिक सामना करना पड़ता है जो उनकी सच्ची आत्मिकता और मसीही उपयोगिता का विरोध करता है'' (बिब्लीकल डेम्नोलोजी, क्रिजेल, १९९४, पेज १०१)

भाइयों और बहनों, हमें अपने हृदय को जांचना चाहिये हमें अपने पापों को मानना चाहिये, ''कि शैतान का हम पर दांव न चले क्योंकि हम उस की युक्तियों से अनजान नहीं'' (२ कुरूंथियों २:११) । डॉ ल्योड जोंस ने कहा, ''कि वर्तमान में हमारे चर्चेस की बुरी दशा के लिये जिम्मेदार मुख्य कारण है कि हमने शैतान को भुला दिया है........... चर्च ने जैसे बेहोशी की दवा पी रखी हो चर्च आने वाले जैसे सम्मीहन में रविवार को चले आ रहे हो; शैतान के साथ संघर्ष से चर्च अनजान है'' (क्रिश्चियन वारफेर, बैनर ऑफ ट्रूथ, १९७६, पेज २९२, १०६) लोग यह नहीं महसूस कर रहे हैं कि उनके पाप दिलों में गहरे पैठ गये हैं। जो पाप हमने परमेश्वर के सामने नहीं स्वीकार किये हैं उसने हमें परमेश्वर से अलग कर दिया है!

हम शैतान के उपर विजय कैसे पा सकते हैं? हमें परमेश्वर को खोजना चाहिये कि हमें हमारे पाप दिखायें। हमें सच्चाई से प्रार्थना करनी चाहिये,

''हे ईश्वर, मुझे जांच कर जान ले! मुझे परख कर मेरी चिन्ताओं को जान ले! और देख कि मुझ में कोई बुरी चाल है कि नहीं, और अनन्त के मार्ग में मेरी अगुवाई कर!'' (भजन १३९:२३, २४)

चर्च के कार्य करने के द्वारा ही संतुष्ट मत हो जाइये। आप में से कई चर्च के लिये बहुत मेहनत करते हैं। आप मेहनत तो बहुत करते हैं। मगर आप के मन में पाप छिपा है। आप की प्रार्थनाओं में ही संतुष्ट मत हो जाइये। हो सकता है हर दिन आप प्रार्थना करते हों पर आप के हृदय में दुष्टता छिपी हुई है। मैंने चर्च में एक व्यक्ति से पूछा, ''क्या आप ठीक हैं?'' उसने जवाब दिया, ''हां मैं ठीक हूं।'' वह सच में सोच रहा होगा कि वह ठीक है। परंतु मैंने उसके भीतर के एक प्रबल पाप की ओर संकेत किया जो उसे बर्बाद कर रहा था। उसने कहा, ''मैंने तो इसे पाप की तरह सोचा ही नहीं।'' क्या आप के उपर भी यह बात लागू होती है? क्या आप के मन में ऐसा कोई पाप हैं जिसके बारे में आप ने कभी सोचा ही नहीं हो?

क्या जब चर्च का विभाजन हुआ था तब आप इस चर्च के प्रति विश्वसनीय बने हुये थे। पर इन बातों में ही संतुष्ट मत हो जाइये! आप चर्च के प्रति अत्यंत लगनशील हो सकते हैं, उसके हर कार्य की चिंता करते हों, पर फिर भी आप के मन में कोई ऐसा पाप छिपा हो जिसके बारे में आप ने ''कभी सोचा न हो।'' आप में से कुछ अपने बच्चों को उद्वार मिले ऐसी प्रार्थना कर रहे होंगे। पर आप की प्रार्थनाओं का उत्तर नहीं मिला होगा। क्या ऐसा नहीं हो सकता कि आप के हृदय में कोई पाप छिपा हुआ हो। कोई ऐसा पाप जो आप ने सोचा न हो। मैं प्रार्थना करता हूं आप अपने पाप को महसूस करने लगेंगे। आप के बच्चों के संबंध में प्रार्थना तब तक स्वीकार नहीं होगी जब तक आप अपने पाप को परमेश्वर के सामने मान नहीं लेगें। परमेश्वर का वचन कहता है, ''यदि मैं मन में अनर्थ बात सोचता तो प्रभु मेरी न सुनता'' (भजन ६६:१८) । केवल मन के शुद्व मसीही जन की ही प्रार्थना सुनी जायेगी। आप ने अपने भाई या बहिन के उद्वार मिलने के लिये प्रार्थना की होगी। पर आप की प्रार्थनाओं का उत्तर नहीं मिला होगा। आप अपने आप को यह दिलासा दिला सकते हैं कि आप ''प्रार्थना करते रहेंगे जब तक उत्तर'' मिले। पर आप इस तरह के पापी हृदय को रखकर ''प्रार्थना चालू नहीं रख'' सकते। ''यदि मैं मन में अनर्थ बात सोचता तो प्रभु मेरी न सुनता'' (भजन ६६:१८) । आप कहेंगे कि यह तो ''छोटा सा ही पाप है।'' शैतान आप के मन में डाल सकता है कि यह ''छोटा'' सा ही पाप है — पर यह आप की प्रार्थनाओं को रोक रहा है। आप को अपने पाप परमेश्वर के सामने मानना चाहिये। उस पाप को परमेश्वर के सामने मानना चाहिये अन्यथा आप की प्रार्थनायें सुनी नहीं जायेंगी।

वेल्स में १९०४ में हुई आत्मिक जाग्रति में जवान इवेंजलिस्ट इवान राबर्ट बहुतायत से उपयोग में लाये गये। इवान राबर्ट का कथन था कि, ''इससे पहले कि पवित्र आत्मा उतरे हमें चर्च को सब प्रकार के बुरे भावों से मुक्त करना चाहिये — सब प्रकार के कपट (नफरत, कड़वाहट) ईर्ष्या, जलन (दूसरों का न्याय करना), दूसरों को गलत समझना (असहमत रहना, घमंड करना)। तब तक प्रार्थना मत कीजिये जब तक आप के मन में औरो के लिये (चर्च में अन्य लोगों के साथ) जो विरोध हैं वह (स्वीकारा) नहीं गया हो क्षमा नहीं किया गया हो, अगर क्षमा करने की इच्छा न हो तो अपने (घुटने के बल) बैठकर प्रार्थना कीजिये और क्षमा करने वाली आत्मा को मांगिये। तब वह आप को मिलेगी।'' (ब्रायन एच एडवर्ड, रिवाईवल, इवेंजलीकल प्रेस, २००४, पेज ११३)...''साधारण समय में लोग इन बातों को मन में छिपाये रखते हैं........पर सच्ची जाग्रति के समय छिपे हुये पाप का उजागर होना आवश्यक है.... मसीही जन के दिमाग से वह पाप निकल जाना चाहिये, अन्यथा तब तक उसे शांति नहीं मिलेगी'' (एडवर्ड, उक्त संदर्भित, पेज ११४)

चायनीज बैपटिस्ट चर्च में १९६९, १९७० में मसीहियों द्वारा पापों के अंगीकार का एक जोरदार सिलसिला चला। मैंने इस अवसर को देखा था। कभी कभी तो पाप की स्वीकारोक्ति व्यक्ति को भीतर से तोड़ कर रख देती थी। लोग अनियंत्रित रूप से रोते जाते थे। मसीहियों में बिना पाप स्वीकार करे और बिना उसका शोक मनाये ऐसी जाग्रति की आशा नहीं की जा सकती। आडिटोरियम में किसी एक का रूदन आरंभ हुआ, तो औरों के मन का विषाद भी बह निकला। जब लोग अपने पापों को स्वीकार कर रहे थे तो घंटो तक सभा चलती रही लोग रोते रहे, प्रार्थना करते रहे, धीमी आवाज में गीत गाते रहे। सब ये भूल गये कि कोई क्या सोचेगा। वे तो सीधे परमेश्वर से बातें कर रहे थे।

पाप का बोध जब तक आप को कचोटे नहीं, भीतर से बैचेन न बना देवे, और दीन होकर आप पाप को स्वीकार न करें, तब तक आत्मिक जाग्रति की आशा करना व्यर्थ है। परमेश्वर जिन लोगों के मनों में कार्य कर रहा था उनकी आवाज चर्च की शांति को भंग कर रही थी। मेरे चायनीज पास्टर जानते थे डॉ तिमोथी लिन जानते थे, कि क्या करना चाहिये। उन्होंने इन क्षणों को बीत जाने दिया क्योंकि चीन देश के अपने अनुभवों से वे जानते थे कि परमेश्वर का आत्मा लोगों के मनों में कार्य कर रहा है। वे बहुत ही अदभुत सभायें थीं जिनका मैं साक्षी बना। मैं भी ऐसी ही कामना करता हूं कि हमारे चर्च में ऐसी आत्मिक जाग्रति उतरे। हमने ''जाग्रति का स्पर्श मात्र'' देखा है जब हमारे चर्च में चार लोगों ने पुर्नजीवन प्राप्त किया उनको पापों का बोध हुआ उन्होंने उसे स्वीकार किया। पवित्र आत्मा नीचे उतरा और १३ लोग परिवर्तित हुये। यद्यपि चर्च के अन्य लोग अप्रभावित रहे। जब चार लोगों ने अपने पापों को स्वीकार किया और १३ लोगों ने नया जीवन पाया तो सोचिये कितना कुछ और भी आशा की जा सकती है यदि १५ या २० लोग अपने पापों का अंगीकार करें जैसे मिसिस ——— ने किया था! क्या आज रात आप अपने पापों को स्वीकारेंगे? या आप फिर से अपने घर बिना आनंद के लौट जायेंगे? बिना स्वीकार किये? बिना आंसु बहाये? पुर्नजीवित मन लिये बिना? जैसे आप का मन पहले से ही ठंडा और शुष्क था?

मि. क्यों डोंग ली ने कहा था, ''मैं उन ‘३९’ में से एक था जब दूसरे चर्च विभाजन के समय छोड़ कर चले गये थे मैं ठहरा रहा मैं बचाया गया था। जब डॉ हिमर्स ने कहा कि मैं बुराई करने के पाप से लिप्त था मैंने सोचा कि ‘मुझे और अब क्या चाहिये?’ मैं तो परिवर्तित हो चुका हूं मुझे और अब क्या चाहिये?’ पर मैं यह भूल गया कि मैंने यीशु के प्रति अपने पहले से प्रेम को छोड़ दिया था डॉ हिमर्स ने प्रकाशितवाक्य २:४ और ५ में से बताया, ‘पर मुझे तेरे विरूद्ध यह कहना है कि तू ने अपना पहिला सा प्रेम छोड़ दिया है। सो चेत कर कि तू कहां से गिरा है और मन फिरा’ (प्रकाशितवाक्य २:४, ५) तब मैंने महसूस किया कि मैं वैसा नहीं रहा जब मैं पहले बचाया गया था। मुझे ‘जैसा मैं हूं’ और ‘अमेजिंग ग्रेस’ गीत गाते हुये आनंद की अनुभूति हो रही थी और मेरी आंखो से आंसु बह रहे थे । मैं पहले जो गीत गाता था वे खोखले शब्द हुआ करते थे। उनमें आत्मा की कमी होती थीं। मेरी प्रार्थनायें उंचे स्वर में होती थी पर शब्द खाली होते थे। मैं क्रम बद्व प्रार्थना तर्क के साथ करता परंतु आशा नहीं होती थी कि उनका उत्तर मुझे मिलेगा। मेरी तेज आवाज में की गयी प्रार्थना केवल शोर थी। मैंने तब जाना कि मुझे मेरे मन में छिपे पाप को स्वीकार करना जरूरी है। मुझे याद आया कि बाइबल क्या कहती है,

‘यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है’ (१ यूहन्ना १:९ )

मुझे याद है भजनकार ने प्रार्थना की थी, ‘अपने किए हुए उद्धार का हर्ष मुझे फिर से दे’ (भजन ५१:१२) । मुझे याद है उसने कहा था, ‘टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता’ (भजन ५१:१७) ।''

मि ली ''३९ में'' से थे। उन्होंने हमारे चर्च को दीवालिया होने से बचाया। वह एक विश्वसनीय डीकन थे जब मैं प्रचार करता था वह मेरे पीछे प्लेटफार्म पर बैठते थे। वह लोगों के सामने एक उदाहरण थे। उन्होंने भी सोचा, ''कि मुझे अब और क्या करने की जरूरत है?'' तब परमेश्वर ने उन्हें दिखाया कि उनके मन में कहां पाप छिपा था। वह आगे आये और पाप स्वीकार किया। वह इतने जोरों से रो पड़े कि उनका पूरा चेहरा लाल हो गया। परमेश्वर ने उनके पाप को क्षमा किया और उनका आनंद उन्हें लौटा दिया। अब वे आंसुओं से प्रार्थना करते हैं और मन में आनंद की अनुभूति होती है। उनका कहना है, ''कि हम चर्च में आते जरूर हैं पर हमारी प्रार्थनायें खोख्ली होती है, चेहरों पर नकली हंसी होती है, जब हाथ मिलाते हैं तो ओढ़ी हुई मुस्कुराहट के साथ। सच्चे प्रेम की निहायत कमी होती है, चर्च में मुस्कुराहटों पर भी संदेह होता है।''

मि ली चर्च के अगुए हैं पर आप चर्च को कैसे अगुआई दे सकते हैं जब आप ने पहला सा अपना प्रेम खो दिया हो। आप जवान बच्चों को केवल एक खोखले धर्म की शिक्षा देगें। चर्च के हर अगुए को अपने पाप मानने की आवश्यकता है अन्यथा चर्च महज खाना पूर्ति कहलायेगा। मैं तो कहता हूं, ''बाहरी लोग हमारे चर्च में आते हैं वे ऐसा सोचते हैं कि चर्च कितना अच्छा होता है वे जानते नहीं कि अगर हमारे भीतर ईश्वरीय प्रेम की कमी है तो हमारा धर्म नकली धर्म होगा।'' हमारा चर्च भी एक और निर्जीव चर्च कहलायेगा जिसमें हमारे अगुओं को आंसुओं के साथ अपने पाप को स्वीकारने की जरूरत है यीशु के बहाये गये पवित्र लहू से अपने पापों को धोने की जरूरत है और लोगों को वह पवित्र प्रेम बांटने की जरूरत है जो उन्हें पहले मिला करता था। यीशु ने कहा था, ''क्योंकि मैं ने तुम्हें नमूना दिखा दिया है, कि जैसा मैं ने तुम्हारे साथ किया है, तुम भी वैसा ही किया करो'' (यूहन्ना १३:१५) । अगर हम पुराने और नये लोग, अपने पापों को नहीं स्वीकार करेंगे, तो हमारे चर्च में सच्चे प्रेम की कमी खलती रहेगी।

आज रात मैं प्रार्थना करूं और आप अपने मनों में पाप को स्वीकार करें। निवेदन करता हूं कि आप खड़ें होकर गायें, ''मुझे ढूंढ कर जांच प्रभु।''

''हे ईश्वर, मुझे जांच कर जान ले!
मुझे परख कर मेरी चिन्ताओं:
को जान ले;
और देख कि मुझ में;
कोई बुरी चाल है कि नहीं,
और अनंत के मार्ग में मेरी अगुवाई कर''
   (भजन १३९:२३, २४)

अब गाइये, ''मेरे दर्शन को पूरा कीजिये कोई पाप मेरे भीतर न रहे।''

मेरे दर्शन को पूरा करो पाप मेरे भीतर न रहे
   मेरे भीतर की आभा और अधिक प्रज्जवलित हो प्रभु।
तेरा आशीषित चेहरा मैं देखने पाउं,
   मेरी आत्मा तेरे अनुग्रह पर जीवित रहे।
मेरे दर्शन को पूरा कीजिये, मेरे स्वर्गिक मसीहा,
   जब तक तेरे प्रकाश से मेरी आत्मा न दप दप करें।
मेरे दर्शन को पूरा कीजिये, कि सब कोई देख सके
   तेरी पवित्र छवि और अधिक निखर कर मेरे भीतर से छलके ।
(''मेरे दर्शन को पूरा कीजिये,'' एविस बर्जसन क्रिश्चियनसन, १८९५—१९८५)

निवेदन करता हूं कि सामने वेदी पर आकर पाप स्वीकार करने से न डरें। आगे आने से मत डरिये। पाप स्वीकार कीजिये ताकि हमारा चर्च एक जीवित चर्च कहलाये।


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(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व बैंजमिन किंकेड ग्रिफिथ ने एकल गान गाया गया:
''रिवाइव योर वर्क'' (अल्बर्ट मिडलेन, १८२५—१९०९)