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आत्मिक जागरण का दर्शन

A VISION OF REVIVAL
(Hindi)

डॉ आर एल हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की सुबह, ३ जुलाई, २०१६ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल
में किया गया प्रचार संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord's Day Evening, July 3, 2016


मेरे साथ यशायाह ६४:१ निकाल लीजिए। स्कोफील्ड स्टडी बाईबल में यह ७६८ पेज पर मिलता है।

''भला हो कि तू आकाश को फाड़कर उतर आए और पहाड़ तेरे साम्हने कांप उठे। जैसे आग झाड़झंखाड़ को जला देती वा जल को उबालती है उसी रीति से तू अपने शत्रुओं पर अपना नाम ऐसा प्रगट कर कि जाति जाति के लोग तेरे प्रताप से कांप उठें! जब तू ने ऐसे भयानक काम किए जो हमारी आशा से भी बढ़कर थे, तब तू उतर आया पहाड़ तेरे प्रताप से कांप उठे। क्योंकि प्राचीनकाल ही से तुझे छोड़ कोई और ऐसा परमेश्वर न तो कभी देखा गया और न कान से उसकी चर्चा सुनी गई जो अपनी बाट जोहने वालों के लिये काम करे।'' (यशायाह ६४:१–४)

आमीन। आप बैठ सकते है।

आत्मिक जागरण उनमें अधिक कार्य करता है जो मन फिराने के लिये तैयार रहते हैं। यधपि अपने जीवन में परमेश्वर की उपस्थिति के बारे में उनके भीतर इतनी जागरूकता नहीं पायी जाती। वे आदतन चर्च आते हैं, पर परमेश्वर की उपस्थिति के जाग्रत बोध से अनजान रहते हैं। वे प्रार्थना तो करते हैं पर ऐसा लगता है कि वे मात्र शब्द दोहरा रहे हों। उन्हें यह भी भान नहीं होता कि परमेश्वर वास्तव में उनकी प्रार्थना सुन रहा है। उन्हें यह महसूस नहीं होता कि उनकी प्रार्थना सुनी जायेगी। प्रार्थना सभाओं में वे बहुत निपुणता से प्रार्थना करते हैं। प्रार्थनाएं भी उनकी बड़ी असरदायक प्रतीत होती है। लेकिन उनका दिल परमेश्वर से कम बातचीत करता है। अक्सर आत्मिक जाग्रति की सभाओं में जब ऐसे किसी जन को प्रार्थना का दायित्व सौंपा जाता है, तो ऐसा लगता तो है कि उनकी प्रार्थना बहुत जोशीली थी। लेकिन वे स्वयं इस सत्य को महसूस करते हैं कि ''तुम्हारे पापों के कारण उस का मुँह तुम से (उन से) ऐसा छिपा है कि वह नहीं सुनता।'' (यशायाह ५९:२)

जाग्रति का आरंभ अक्सर तब होता है जब कोई भला मसीही अगुआ यह महसूस करता है कि उसके पाप के कारण वह परमेश्वर की उपस्थिति का पवित्र और उदार अनुभव खो चुका है। मैं जल्द ही विशाल आत्मिक जाग्रति का वर्णन पढूंगा। यह कैसे आरंभ हुई? यह शनिवार रात्रि को एक प्रार्थना सभा में प्रारंभ हुई। हमेशा जैसे प्रार्थना होती थी, वैसी ही प्रार्थना चल रही थी। पर सभा में परमेश्वर की उपस्थिति का कोई अहसास नहीं था। ''फिर एक पास्टर दुखी होते हुए रो पड़े। यह बड़ी अनूठी बात थी।'' उन्होंने खुलकर लोगों के सामने स्वीकार किया कि ''उनका मन बहुत कड़ा था।'' जब वह अपने अपराध को आंखों में आंसू लिये बोल रहे थे पूरी सभा से सुबकने, रूदन करने और कराहने.......की आवाज आने लगी। वे सब मन फिराये लोग थे किंतु पास्टर की खुली स्वीकारोक्ति ने उन्हें भी यह अहसास दिला दिया था कि उनके दिल भी कड़े हो चुके थे। ''सभा सुबह के दो बजे तक चली....... और इस बिंदु पर पहुंचकर पवित्र आत्मा प्रार्थना सभा में उड़ेला गया।''

जब मैं जाग्रति के उपर संदेश देता हूं तो आप में से कोई जो यहां बरसों से है, वे इसे सुनना पसंद नहीं करते। क्योंकि आप लोगों ने कभी जाग्रति देखी ही नहीं है और इसलिये नहीं जानते कि हम क्या खो रहे हैं। जोन कैगन ने मुझसे कहा कि मैं जाग्रति देखना चाहता हूं ताकि इसका ''स्वाद'' ले सकूं। मैंने अपने जीवनकाल में एक जाग्रति देखी थी और उसका ''स्वाद'' चखा था और अब उसे पुनः चखना चाहता हूं। आपने कभी इसे चखा नहीं होगा इसलिये आप सोचते हैं कि, ''यह पास्टर पता नहीं किस बारे में बात कर रहे हैं। वह जागरण के बारे में ही क्यों बात करते हैं?'' अगर आप ने कभी इसका स्वाद चखा होगा तो आप इसे पुनः लेना चाहेंगे। आप इसकी इच्छा करने लगेंगे। आप इच्छा करने लगेंगे कि परमेश्वर की उपस्थिति हमारे बीच में हो।

आज सुबह मैं ''न्यू बैपटिस्ट टैबरनेकल'' के उपर प्रचार कर रहा था। कुछ चीजें बदलकर हम नया चर्च नहीं बना सकते। ''यंत्र उपकरणों'' से नयी इमारत बनाना ही पर्याप्त नहीं है। हमारे भीतर नया जीवन होना चाहिये! नया जीवन केवल परमेश्वर से आता है। डा ए डब्ल्यू टोजर ने कहा था, ''परमेश्वर जीवन प्रदान करते है। परंतु पुराना सुधरा हुआ जीवन नहीं। वह मृत्यु में से जीवन प्रदान करते हैं....... क्योंकि जीवन के लिये हम पूर्ण रूप से व निरंतर परमेश्वर पर निर्भर हैं। वह हमें जीवन देने वाला सोता है।'' हम ''नया'' बैपटिस्ट टैबरनेकल तब तक नहीं बना सकते जब तक कि पवित्र आत्मा द्वारा हमारे दिलों की मरम्मत न की गयी हो, वे नये न बनाये गये हो, उनका पुर्ननिर्माण न किया गया हो, दिलों को सजीव न किया गया हो। इन सारी बातों को एक शब्द में कहा जा सकता है आत्मिक जाग्रति! आत्मिक जाग्रति के लिये ही यशायाह इस पद में प्रार्थना कर रहा है,

''भला हो कि तू आकाश को फाड़कर उतर आए और पहाड़ तेरे साम्हने कांप उठे। जैसे आग झाड़झंखाड़ को जला देती वा जल को उबालती है उसी रीति से तू अपने शत्रुओं पर अपना नाम ऐसा प्रगट कर कि जाति जाति के लोग तेरे प्रताप से कांप उठें! जब तू ने ऐसे भयानक काम किए जो हमारी आशा से भी बढ़कर थे, तब तू उतर आया पहाड़ तेरे प्रताप से कांप उठे। क्योंकि प्राचीनकाल ही से तुझे छोड़ कोई और ऐसा परमेश्वर न तो कभी देखा गया और न कान से उसकी चर्चा सुनी गई जो अपनी बाट जोहने वालों के लिये काम करे।'' (यशायाह ६४:१–४)

मैं ''फिल आल माय विजन'' गीत गाना कभी बंद नहीं कर सकता। जब मैं पार्क में घूमता हूं, प्रार्थना करता और गीत गाता हूं। जब मैं रविवार के लिये संदेश तैयार करता हूं, मैं इस गीत को गाता हूं। सारे दिन में इसे गुनगुनाता रहता हूं। बिस्तर पर जाने से पहले मैं इसे गाता रहता हूं।

मेरे दर्शन को भर दीजिए, मेरे स्वर्गिक मसीहा
   जब तक आप की महिमा से मेरी आत्मा न चमक उठे।
मेरे दर्शन को भर दीजिए, कि सब देख सके।
   आपकी पवित्र छवि मुझमें दिखाई दे।
(''मेरे दर्शन को भर दीजिए'' एविस बर्जसन क्रिश्चियनसन, १८९५–१९८५)

कृपया खड़े हो जाइये और मेरे साथ यह गीत गाइये।

मेरे दर्शन को भर दीजिए, मेरे स्वर्गिक मसीहा
   जब तक आप की महिमा से मेरी आत्मा न चमक उठे।
मेरे दर्शन को भर दीजिए, कि सब देख सके।
   आपकी पवित्र छवि मुझमें दिखाई दे।

अब आप बैठ सकते हैं।

यशायाह ने प्रार्थना की, ''भला हो कि तू आकाश को फाड़कर उतर आए (आकाश फट जाये) और पहाड़ तेरे साम्हने कांप उठे।'' (यशायाह ६४:१–४) डॉ ल्योड जोंस ने ''बुनियादी प्रार्थना को आत्मिक जाग्रति (के लिये) आवश्यक बताया है'' (मार्टिन ल्योड जोंस, एम डी, रिवाईवल, क्रासवे बुक्स, १९९२ संस्करण, पेज ३०५)

मुझे बहुत अफसोस है कि आत्मिक जाग्रति की पत्रिका जो हमारे फर्स्ट चायनीज बैपटिस्ट चर्च, ल्योस ऐंजीलिस में आया करती थी, उसे संभाल कर नहीं रख पाया। इससे आप को अंदेशा हो जाता कि किस बात के लिये प्रार्थना करना चाहिये। मैं आप को एक दूसरी आत्मिक जाग्रति के बारे में बताउंगा जो १९६० में चायनीज चर्च में होने वाली आत्मिक जाग्रति के ही समान थी। इसका वर्णन रेव्ह डेविड डेविस ने १९८९ में किया था। मैं इसके अंश यहां दे रहा हूं। रेव्ह डेविड डेविस का कथन था,

     .......इसे आप सुसमाचारिय अभियान नहीं कहेंगे या आप के ऊपर कोई जोर भी नहीं डाल रहा है। जाग्रति वह है जब परमेश्वर नीचे उतर आयें।

उन्होंने कहा,

     मैं हमारे क्षेत्र के कई चर्च का प्रमुख अगुआ था। सारे चर्च उनकी अनेक गतिविधियों के कारण व्यस्त रहते थे। सभायें तो बहुत होती थी.......पर लोगों में ठंडापन व्याप्त था: जैसे पहले वे प्रार्थना सभाओं में आने के लिये उत्सुक रहते थे अब ऐसा नहीं दिखाई दे रहा था। हमारे यहां लोगों ने नया जीवन तो पाया था, लेकिन कुछ बात की कमी थी। एक प्रचारक ने कहा, ''हम बाहर वालों को तो बहुत अच्छे दिखाई पड़ते हैं।'' (मेरी टिप्पणी: क्या आप को कभी यह नहीं लगता कि हमारी आराधनाओं में किसी बात की कमी है?)
     किसी ने अगुओं को सलाह दी कि वे महिने में एक दिन पूरा प्रार्थना में बितायें। हमने वह भी किया। हममें से कईयों को लगा कि हमारे भीतर परमेश्वर के लिये उस जुनून की कमी है। हमें लगा कि लोगों में आपस में संबंध अच्छे नहीं है तो हमने उनको सुधारा। जाग्रति वास्तव में शनिवार रात के बाईबल अध्ययन और प्रार्थना सभा में प्रारंभ हुई। कुछ समय प्रेरितों के काम में वर्णित प्रारंभिक कलीसिया में कैसे आराधना होती थी उस के उपर अध्ययन चलता रहा। प्रचारकों की चिंता का विषय था कि लोगों में प्रार्थना के प्रति जोश नहीं था। इसलिये सभाओं में ठंडापन था। एक पास्टर फूट फूट कर रो पड़े। यह एक असामान्य बात थी। उन्होंने स्वीकार किया कि उनका मन बहुत कड़ा था, जब स्वीकार करने का बोध फैलने लगा – तब सुबकने, रोने, आह भरने, यहां तक कि चित्कारने की आवाज भी आने लगी। लोग रो रहे थे प्रार्थना कर रहे थे। मुझे याद था कि स्पर्जन ने एक बार प्रार्थना की थी, ''प्रभु, आराधना के आनंद में अव्यवस्था का मौसम भेजिए।'' उस सभा में अगुओं ने सब कुछ सामान्य करने का प्रयास किया लेकिन वह सभा सुबह दो बजे तक चली।
     मेरे भाई ने भी सुना और उसने इसका विरोध यह कहते हुए किया कि लोगों ने कुछ अधिक ही भावनाओं का प्रदर्शन किया। वह भी जाग्रति के लिये प्रार्थना कर रहा था लेकिन ऐसे दृश्य की अपेक्षा उसने नहीं की थी। तब परमेश्वर ने भाई को भी प्रार्थना का उत्तर दिया कि उसके अविश्वासी पत्थर स्वरूप मन पर आत्मिक जाग्रति पाने की आग ठंडी हो गयी है। उसी समय आत्मा का अवतरण सभा में हुआ। (मेरी टिप्पणी: जब परमेश्वर की उपस्थिति होती है तो जैसा सी एच स्पर्जन ने कहा था ''आराधना के आनंद में अव्यवस्था'' दिखाई देती है।)

रेव्ह डेविस ने कहा था,

     अब संदेह करने की बारी मेरी थी। मुझे तकलीफ हो रही थी यह सुनकर कि मेरा भाई कुछ अधिक ही वर्णन कर रहा था। किंतु, जाग्रति में कुछ अलग ही बात होती है, क्योंकि यह मनुष्य द्वारा नहीं पर परमेश्वर द्वारा भेजी गयी होती है। जाग्रति जंगल की आग की तरह फैल रही थी और दूसरे चर्च भी उससे प्रभावित होते जाते रहे थे।
     एक जवान प्रचारक ने सामर्थशाली प्रचार किया लेकिन उससे भी कुछ नहीं हुआ। फिर मैंने अंतिम गीत गंवाया और सभा समाप्त कर दी। जब मंडली बाहर निकल रही थी एक जवान शिक्षक सामने आकर बैठ गया। वह अनियंत्रित ढंग से हिल रहा था और सुबक रहा था। एक जवान लड़की चीख रही थी, ''मैं क्या करूं? मैं क्या करूं? मैं तो नर्क में जाउंगी!'' लोग पुनः चर्च में दौड़ते हुए आए। वह एक अच्छी मसीही लड़की मानी जाती थी पर उसे धोखा देने के पाप ने कचोटा। उस जवान लड़के को जलन रखने की आदत ने कचोटा, कईयों के लिये यह छोटी बात थी पर इस आदत ने उसे बहुत डरा दिया था।
     जो लोग रो रहे थे मैं उनकी काउंसिलिंग कर रहा था तभी मुझे किसी ने कहा कि आप की पत्नी आप को घर पर कार्यवश याद कर रही है। मैंने एक भले मसीही व्यक्ति को अपराध बोध के अहसास में फर्श पर बैठे, रोते हुए देखा, वह दोहरा रहे थे, ''मैं क्या करूं? मैं क्या करूं?'' थोड़ी ही देर बाद उसने अपने पाप खुलकर स्वीकार किये और खुशी से कहा, ''मेरा हृदय यीशु के लहू से साफ हो गया है।'' हम चर्च में दूसरी सभा करने के लिये लौटे। अगला दिन खुली गवाही देने और एक दूसरे से संबंध सुधारने का था। अचानक परमेश्वर नीचे उतर आये और स्वर्ग से परमेश्वर ने भेंट की।
     हम नियंत्रण में नहीं थे। परमेश्वर नियंत्रण में था और उसकी हर चीज क्रम में थी। मैंने ध्यान दिया कि पहले दिन चर्च के अगुए प्रभावित हुए। दूसरे दिन सेवकों को अपने पाप का बोध हुआ। तीसरे दिन महिलाओं को और चौथे दिन स्कूल जाने वाले लड़को में, पांचवे दिन स्कूल जाने वाली लड़कियों में पाप का बोध होना प्रारंभ हुआ। हम प्रचारक दर्शक थे और परमेश्वर के कार्य को होते हुए देख रहे थे।
     इस समय जाग्रति का कार्य संपन्न हो रहा था, लोगों का मन परिवर्तित हो रहा था। शुरू के दो तीन महिनों में कुछ अविश्वासी लोग बचाये गये। परमेश्वर पहले मंडली को शुद्व कर रहे थे। मनों को जांचा गया। लोगों के भीतर बरसों से छिपे पाप थे; उनको लगता था कि ये पाप इतने महत्व नहीं रखते। परमेश्वर एक एक को व्यक्तिगत रूप से आत्मा में कष्ट दे रहे थे। एक बड़ा प्रबल प्रचारक अपने हाथों को मरोड़ रहा था और उसके गाल पर आंसू बह रहे थे। यह व्यक्ति कईयों को यीशु के पास ले कर आया था। किंतु उसके भीतर एक पाप था जो उसे कचोट रहा था और उसने खड़े होकर सारे चर्च के सामने उसे स्वीकार किया और उसे शांति मिली। उसके शब्द बिजली के झटके के समान थे और लोग फर्श पर प्रायश्चित करते हुए लुढ़क रहे थे। उस समय पूरा नगर परमेश्वर के बारे में बात कर रहा था। (मेरी टिप्पणी: जब लोग अपने मनों को खोलते हैं और एक दूसरे के सामने स्वीकार करते हैं तो भटके हुए लोग प्रभावित होते हैं।) कभी कभी अपराध बोध होना खतरनाक होता है अगर खुलकर उसे स्वीकार नहीं किया गया तो। जो खुले में उसे स्वीकार करने से अपने को रोकते है उन्हें अधिक कष्ट भोगना पड़ता है। एक व्यक्ति की तो मौत ही हो गयी। एक महिला को लगा कि इस पाप बोध के दवाब में अगर मैंने खुलकर अपना पाप स्वीकार नहीं किया तो मैं पागल हो जाउंगी। जिन्होंने अपने पाप को छिपाया और परमेश्वर का विरोध किया उन्हें उसकी कीमत चुकानी पड़ी। यह प्रक्रिया तो जल्द गुजर जाती है पर जाग्रति के फल सदैव विधमान रहते हैं जैसे पवित्रता, कोमलता, बाईबल और प्रार्थना के प्रति प्रेम, मसीह को महिमा देने में बढ़ चलना और उसके कार्य को करना। (मेरी टिप्पणी: पुरानी जलन, डर, ईर्ष्या जाते रहते हैं उनका स्थान सच्चा तरस और कोमल प्रेम ले लेता है)
     हरेक जन सभा में आया था। जो ल्रंबी भी चल सकती थी। यह असामान्य बात नहीं थी कि सभा सुबह ६:३० बजे प्रारंभ होती और दोपहर तक चलती। लोग मद्विम आवाज में बात करते। क्योंकि परमेश्वर की उपस्थिति को उन्होंने बहुत नजदीकी से जाना था। एक व्यक्ति ने कहा, ''परमेश्वर की उपस्थिति ने हमें लगभग घेर रखा था।'' मैं ऐसी सभा मे जाता आया हूं जहां परमेश्वर की उपस्थिति के कारण आप कुर्सी पर बैठे रहने का साहस नहीं कर सकते। मुझे अय्यूब ४२:५ याद आया, ''मैंने कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आंखें तुझे देखती हैं।''
     लोगों ने ऐसी प्रार्थनायें की जैसी पहले कभी नहीं की थी। साथ साथ प्रार्थना करना सामान्य सी बात रही है, परंतु यह कभी भी क्रम से बाहर नहीं हुई। लोगों में सुसमाचार प्रचार के प्रति जुनून था। लोग सैकड़ों और हजारों की संख्या में बचाये गये। (मेरी टिप्पणी: मैंने दो आत्मिक जागरण में इसे होते देखा है।)

रेव्ह डेविस ने कहा था,

     क्या आत्मिक जाग्रति का अंत हुआ? मैंने अठारह महिनों तक एक डायरी रखी और इस समय के अंत तक परमेश्वर की सामर्थ वहां उतरी रही। तीस साल बाद चर्च के अगुए वे लोग थे जो इस जाग्रति में आशीषित हुए थे। पर एक नयी पीढ़ी है जिसका स्वयं का उद्वार होना है – क्योंकि, ''तब उसके बाद जो दूसरी पीढ़ी हुई उसके लोग न तो यहोवा को जानते थे और न उस काम को जो उसने इस्राएल के लिये किया था'' (न्यायियों २:१०)
आप अपने चर्च में आत्मिक जाग्रति के लिये तब तक प्रार्थना नहीं कर सकते – ''जब तक आप ने (हम ने) स्वयं व्यक्तिगत स्तर पर मन नहीं फिराया हो इसलिये तुम आपस में एक दूसरे के साम्हने अपने अपने पापों को मान लो'' (याकूब ५:१६)

यह वर्णन रेव्ह डेविड डेविस का है। मैंने इसे थोड़ा संक्षिप्त बनाने का प्रयास किया है। आसान समझने के लिये मैं ने इसके शब्दों को हटा दिया है, ब्रायन एच एडवर्ड से साभार, रिवाईवल! ए पीपल सैचुरेटेड विथ गाड, इवेंजलीकल प्रेस, संस्करण १९९१, पेज २५८– २६२ रेव्ह डेविस का कथन था, ''जब परमेश्वर जाग्रति देने की सामर्थ में आता है, तो यह आप की कल्पना से भी बाहर की बात होती है.......परमेश्वर अपनी उपस्थिति में होता है। यहां जाग्रति तब आरंभ हुई जब एक अगुवे का मन टूटा और वह रोया। उसने बताया कि उसका दिल कठोर हो चुका था। जब उसने स्वीकार किया, तो वहां पहले से परिवर्तित लोग भी थे, वे भी रोने, सुबकने लगे। लोग सुबह के दो बजे तक रो रहे थे, प्रार्थना में लगे हुए थे।''

ऐसा चायनीज बैपटिस्ट चर्च में १९६० के उतरार्ध में हुई जाग्रति के ही समान था। जाग्रति के खास गुण आंसू, प्रार्थनायें और संपूर्ण चर्च के सामने अपने पाप की खुली स्वीकारोक्ति थी। यह किसी करिश्माई पेंटीकोस्टल सभा से बिल्कुल अलग थी। इसमें न कोई ''अन्य भाषा'' में बोल रहा था, न कोई चंगाई हो रही थी और न कोई विशेष संगीत बज रहा था। कोई ''आराधना'' नहीं थी। केवल पापों की खुली स्वीकारोक्ति थी, लोग रो रहे थे, एक दूसरे से अपने पापों की क्षमा मांग रहे थे। इसके कुछ सप्ताह बाद कुछ अन्यजाति ने भी मन फिराया। जोन कैगन ने मुझसे पूछा कैसे भटके हुए लोग वहां तक पहुंचे। मेरे लिये उत्तर देना मुश्किल था। क्योंकि लोग अपने साथ मित्रों और परिवार को लेकर आते। कोई गाड़ियों का इंतजाम नहीं किया गया था। बस कार्य होता चला गया। अंत में चायनीज चर्च में २००० लोग आये बचाये गये, उद्वार पाया, बपतिस्मा लिया और ठोस चर्च सदस्य हो गये। उनमें से आज लगभग सौ लोग मौजूद हैं! पवित्र आत्मा के इस उड़ेलने जाने से चार नये चर्चेस की उत्पत्ति हुई।

''भला हो कि तू आकाश को फाड़कर उतर आए और पहाड़ तेरे साम्हने कांप उठे। जैसे आग झाड़झंखाड़ को जला देती वा जल को उबालती है उसी रीति से तू अपने शत्रुओं पर अपना नाम ऐसा प्रगट कर कि जाति जाति के लोग तेरे प्रताप से कांप उठें! जब तू ने ऐसे भयानक विस्मयकारी काम किए जो हमारी आशा से भी बढ़कर थे, तब तू उतर आया पहाड़ तेरे प्रताप से कांप उठे। (यशायाह ६४:१–३)

कृपया खड़े होकर गीत संख्या आठ गाइये।

मेरा दर्शन भर दीजिये, मसीहा मेरेी प्रार्थना कीजिए,
   आज मैं केवल यीशु को देखूं;
यधपि घाटी से तु मुझे ले चलता है,
   तेरी कभी न मुरझाने वाली आभा मुझे घेरे रखती है।
मेरा दर्शन भर दीजिये, अलौकिक मसीहा,
   जब तक आप की महिमा से मेरी आत्मा न चमक उठे।
मेरा दर्शन भर दीजिये, कि सब देख सके
   आपकी पवित्र छवि मुझमें दिखाई दे।

मेरा दर्शन भर दीजिये, मेरी हर इच्छा,
   तेरी कभी न मुरझाने वाली, चमक से भर दीजिए
आप की सिद्वता के साथ, आप के प्रेम के कारण
   उपर से उतरने वाली आभा, मेरे मार्ग को प्रशस्त करे।
मेरा दर्शन भर दीजिये, अलौकिक मसीहा,
   जब तक आप की महिमा से मेरी आत्मा न चमक उठे।
मेरा दर्शन भर दीजिये, कि सब देख सके
   आपकी पवित्र छवि मुझमें दिखाई दे।

मेरा दर्शन भर दीजिये, कि पाप की रत्ती भर भी,
   चमक व छाया मेरे भीतर न रहे।
मैं आप का आशातीत चेहरा देखना चाहता हूं।
   मेरी आत्मा आपके अनंत अनुग्रह पर जीवित है
मेरा दर्शन भर दीजिये, अलौकिक मसीहा,
   जब तक आप की महिमा से मेरी आत्मा न चमक उठे।
मेरा दर्शन भर दीजिये, कि सब देख सके
   आपकी पवित्र छवि मुझमें दिखाई दे।
(''मेरे दर्शन को भर दीजिए'' एविस बर्जसन क्रिश्चियनसन, १८९५–१९८५)

परमेश्वर से जाग्रति भेजने की प्रार्थना करना बंद मत कीजिए। यह प्रार्थना मत बंद कीजिए कि वह आकाश फाड़ कर हमारे बीच उतर आये! यह प्रार्थना मत बंद कीजिए कि परमेश्वर हमें ऐसा मन दें ''इसलिये (हम) तुम आपस में एक दूसरे के साम्हने अपने अपने पापों को मान लो और एक दूसरे के लिये प्रार्थना करो, जिस से (हम) चंगे हो जाओ'' (याकूब ५:१६) यह आत्मिक जाग्रति का गुण है जो चीन और तीसरी दुनिया के लोगों में चल रही है। परमेश्वर नीचे उतर आये ऐसी प्रार्थना करना बंद मत कीजिये, वह हमें मन की चंगाई दे और एक नया प्रेमपूर्ण सामर्थशाली बैपटिस्ट टैबरनेकल दें। मैं चाहता हूं, हमारे मध्य परमेश्वर नीचे उतर आयें, ऐरोन यांसी और जोन कैगन ऐसी प्रार्थना करे। पहले ऐरोन, बाद में जोन। और कोई प्रार्थना करना चाहता है? कृपया, खड़े होकर प्रार्थना कीजिए!

यीशु धरती पर आये कि दुख उठायें और पापियों के लिये क्रूस पर मर जायें। अगर आप ने अभी तक मन नहीं फिराया है तो अपने पापों से प्रायश्चित कीजिए। अपनी पापमयी और स्वार्थी जीवन शैली से मुंह मोड़ लीजिए। पश्चाताप कीजिए, एकमात्र पुत्र के पास, आप के लिये क्षमा उपलब्ध है। वह आप के पापों को अपने रक्त से शुद्व कर सकता है। केवल वह आप को नर्क की ज्वाला से बचा सकता है। केवल यीशु आप को, आप के पापों से छुटकारा दे सकता है। अगर गुरूवार की रात आप डा कैगन से परामर्श के लिये मिलने का विचार करना चाहते हैं तो आप को पहले समय निर्धारित करना होगा। आप इस आराधना के बाद उन्हें फोन कर सकते है या बात कर सकते हैं। आमीन।


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(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व ऐबेल प्रुद्योमे द्वारा धर्मशास्त्र पढ़ा गया: यशायाह ६४: १−३
संदेश के पूर्व बैंजमिन किंकेड ग्रिफिथ ने एकल गान गाया गया
(''मेरे दर्शन को भर दीजिए'' एविस बर्जसन क्रिश्चियनसन, १८९५–१९८५)