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पतरस − बुलाये गये, उन्हें बोध हुआ और परिवर्तित हुये

PETER – CALLED, CONVICTED AND CONVERTED
(Hindi)

डॉ आर एल हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की सुबह, १४ फरवरी, २०१६ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल
में किया गया प्रचार संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Morning, February 14, 2016

''शमौन, हे शमौन, देख, शैतान ने तुम लोगों को मांग लिया है कि गेंहूं की नाईं फटके। परन्तु मैं ने तेरे लिये बिनती की, कि तेरा विश्वास जाता न रहे: और जब तू फिरे (परिवर्तित हो), तो अपने भाइयों को स्थिर करना'' (लूका २२:३१−३२)


एक औसत प्रचारक से पूछिये कि पतरस कब परिवर्तित हुये थे। जाइये! ऐसा करके देखिये! आप को लगभग सब यही कहते मिलेंगे कि पतरस तब परिवर्तित हुये थे जब मसीह ने उन्हें अपने पीछे आने को कहा था (मत्ती ४:१९) । कुछ कहेंगे कि पतरस तब परिवर्तित हुये थे जब पतरस ने यीशु से कहा था कि ''तू मसीह जीवते परमेश्वर का पुत्र है'' और मसीह का उत्तर था ''क्योंकि मांस और लोहू ने नहीं, परन्तु मेरे पिता ने जो स्वर्ग में है, यह बात तुझ पर प्रगट की है'' (मत्ती १६:१६,१७) । पर ये वार्तालाप भी पतरस का परिवर्तन प्रगट नहीं करता। अगर पतरस यीशु का अनुसरण करते हुये परिवर्तित होते तो यह कर्म द्वारा उद्वार प्राप्त करना कहलाता। अत: यह पतरस का परिवर्तन तो हो ही नहीं सकता था। अगर पतरस तब परिवर्तित हुये थे जब उन्होंने यीशु को मसीह स्वीकार किया था, परमेश्वर का पुत्र माना था, तो यह परिवर्तन उनके द्वारा सिद्वांती शिक्षा में विश्वास रखने या प्रकाशन के कारण माना जाता। अगर पतरस यह बात जानते थे तो तो शैतान भी इस सत्य से परिचित था, क्योंकि हम पढते हैं, ''और दुष्टात्मा चिल्लाती और यह कहती हुई कि तू परमेश्वर का पुत्र है.........क्योंकि वे जानते थे, कि यह मसीह है'' (लूका ४:४१) । तो पतरस और शैतान की समझ बराबर ही थी! बहुत घ्यानपूर्वक अध्ययन के बाद हम यह कहने को बाध्य हैं कि पतरस अभी तक परिवर्तित नहीं हुये थे। वह विश्वास में लडखडा रहे थे, बिना परिवर्तित हुये मसीही बनने, का प्रयास कर रहे थे ।

आज अनेक इवेंजलीकल्स के अंदर भी हमें पतरस की छवि देखने को मिलती है हैं! पतरस के समान वे भी लडखडा रहे हैं − मसीह का अनुसरण करने का प्रयास कर रहे हैं! उनके पास मसीह का कुछ ज्ञान अवश्य है, पर वे ईस्टर रविवार के दिन तक जाकर भी परिवर्तित नहीं हुये हैं। वे पतरस के ही समान हैं। दुख की बात है कि अनेक प्रचारक स्वयं आज तक परिवर्तित नहीं है! वे मसीह के पीछे चलने का प्रयास करते हैं। वे जानते हैं कि वह परमेश्वर का पुत्र है। परंतु वे परिवर्तन की सच्चाई के प्रति विवेकशून्य हैं। मेरे विचार से यह भी एक प्रमुख कारण है कि आजकल सुसमाचार प्रचार इतना कम है। अधिकतर पास्टर्स अपरिवर्तित लोगों के पीछे अपना समय यह बताने में गंवाते है कि मसीही जीवन कैसे बिताया जाये! कितनी हास्याप्रद बात है! जो लोग ''पाप के कारण निष्क्रिय'' हैं वे भला मसीही जीवन कैसे बिता सकते हैं? (इफिसियों २:१‚५)

कई प्रचारक डरते हैं कि उनके लोगों को कोई सुसमाचार प्रचार न कर जावे! मुझे दक्षिण के एक चर्च में सुसमाचार प्रचार के लिये जाना था। चूंकि मैं एक मेहमान प्रचारक था मैंने सोचा कि मैं इस दिन एक मध्यम प्रकार का संदेश ही प्रचार करूंगा ताकि किसी को कोई बाधा न पडे। मैंने सोचा कि मैं केवल अपनी मां के परिवर्तित होने की गवाही दूंगा। मैं केवल १२ से १५ मिनिट तक बोला। मैंने कलीसिया को बताया कि कैसे मेरी प्यारी मां ने यीशु पर विश्वास किया और उद्वार पाया। आप तो सोच रहे होंगे कि मैंने कलीसिया के कारण नरक के उपर दो घंटे तक प्रचार किया होगा! वस्तुतः पास्टर और उनकी पत्नी बिना मुझसे हाथ मिलाये निकल गये। चर्च के लोग खडे हो गये और मुझे व मेरी पत्नी की तरफ इस तरह देखा जैसे हमने कोई अजीब नया सिद्वांत उन्हें सिखाया जो उन्होंने कभी नहीं सुना! आखिरकार एक प्रौढ़ महिला हमारे पास आई और हाथ मिलाया। वह मुस्कुराई और बोली‚ ''बहुत अदभुत संदेश था मैंने बरसों से ऐसा संदेश नहीं सुना!'' जबकि यह तो संदेश था ही नहीं! यह तो केवल १२ − १३ मिनिट की मेरी प्यारी मां के परिवर्तित होने की गवाही थी!

जब मैं और मेरी पत्नी लौट रहे थे मैंने सोचा क्या हमारे चर्चेस की इतनी बुरी हालत है? हम यहां दूर दक्षिण के एक बुनियादी स्वतंत्र बैपटिस्ट चर्च में आये और यहां की कलीसिया मेरी मां के परिवर्तन की साधारण कहानी से ही इतनी ''उत्तेजित'' हो गयी!''

एक ओर बुनियादी बैपटिस्ट चर्च में मैंने अपने परिवर्तित होने के बारे में छोटा सा संदेश दिया। बाद में एक प्रौढ़ महिला ने मेरी पत्नी से कहा कि क्या वह अपने पति को कहकर उसके वृद्ध पति को मसीह के पास लाने में सहायता कर सकती है। मेरी पत्नी ने सलाह दी कि अपने पास्टर को कहकर अपने वृद्ध पति को यीशु के पास लाये। उस महिला ने उत्तर दिया‚ ''उनके पास्टर ऐसा नहीं करेंगे। वह उनसे अनेको बार इस विषय में विनती कर चुकी है। मेरे विचार से वह मेरे पति को नाराज करना नहीं चाहते।''

क्या सचमुच इतनी बुरी हालत है‚ डॉ हिमर्स! सचमुच यह तो बहुत खराब दशा है! अच्छे से अच्छे पास्टर कामचोरी कर रहे हैं‚ उनके अंदर कोई जोश नहीं‚ कोई भावना नहीं‚ कोई तरस नहीं − केवल रविवार की सुबह का आधा घंटा भरते है‚ आत्मिक रूप से भूखी आत्माओं को अनुपयोगी खाना खिला रहे हैं! औसत इवेंजलीकल पास्टर‚ धर्माध्क्षीय अधमरे पास्टर्स के समान प्रचार करते हैं। हमारे बैपटिस्ट पास्टर भी कुछ कम नहीं है। उनके ''वर्णनात्मक संदेशो'' के समय लोग आंखे मूंद कर झपकी ले लेते हैं। जवान बच्चों को वे कोई चुनौती नहीं देते‚ भटके हुये को कोई आशा प्रदान नहीं करते। बैपटिस्ट पास्टर भी म्यूजियम के रख रखाव करने वाले से अधिक श्रेणी के नहीं है! आत्मिक अन्त्येष्टि निर्वाहक से कम नहीं हैं! सचमुच प्रभु सहायता करे! हमारे चर्चेस मर नहीं रहे हैं − मर चुके हैं! कौन आज रक्त बहाने वाले सुसमाचार को सुनाता है? कौन आज गरज कर कहता है कि ''तुम्हें अभी नया जन्म लेना आवश्यक है?'' कौन अभी क्रूस का संदेश लेकर पापियों के मनफिराव के लिये खडे़ रहने को तैयार है? आज हो सकता है कि मेरे इस संदेश को हमारे चर्च की मध्य वय की स्त्रियां पसंद न करें! हमें इन महिलाओं को विघ्न नहीं पहुंचाना चाहिये! हमें तो चर्च के जवान बच्चों की परवाह करना चाहिये नहीं तो वह डूबते हुये जहाज में से चूहों की तरह भाग निकलेंगे!

मैं पूरी तरह से इस बात से सहमत हूं कि इन पुराने फैशन के सुसमाचार संदेशों को सुनाये बगैर हमारे चर्च‚ इस देश पर कोई प्रभाव नहीं छोड़ पायेंगे! हमारा चर्च कालेज जाने वाले जवानों से भरा है। मैं प्रति रविवार पाप − नरक − और सच्चे परिवर्तन पर प्रचार करता हूं! पूरे संसार के जवान लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं! उन्होंने कभी इस तरह का प्रचार नहीं सुना! उन्हीं में से कुछ लोगों का मन परिवर्तन हो जाता है! पिछले सप्ताहों में हमारे द्वारा सात परिवर्तन हुये − वे सब गैर मसीही परिवार के जवान बच्चों में से थे।

सच्चे परिवर्तन के बारे मे सीखना है तो हमें बाइबल में दिये परिवर्तनों का अध्ययन करना होगा। मैं आज सुबह यही करने जा रहा हूं। हम शिमौन पतरस के परिवर्तन के बारे में विचार करेंगे। पतरस सब समयों का एक महान प्रचारक माना जाता है। पर वह कैसे परिवर्तित हुआ? कैसे वह मसीही बना?

१. पहले‚ पतरस को बुलाया गया था।

मत्ती का सुसमाचार कहता है‚

''उस ने गलील की झील के किनारे फिरते हुए दो भाइयों अर्थात शमौन को जो पतरस कहलाता है‚ और उसके भाई अन्द्रियास को झील में जाल डालते देखा; क्योंकि वे मछवे थे। और उन से कहा‚ मेरे पीछे चले आओ‚ तो मैं तुम को मनुष्यों के पकड़ने वाले बनाऊंगा। वे तुरन्त जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिए'' (मत्ती ४:१८−२०)

जाल छोड़ना बहुत आसान था! आसान प्रतीत होता था। उन्होंने एकाएक अपने जाल छोड़ दिये और मसीह के पीछे हो लिये। पतरस के लिये यह इतना आसान क्यों था? क्योंकि में लिखा है‚

''तेरी प्रजा के लोग तेरे पराक्रम के दिन स्वेच्छाबलि बनते हैं'' (भजन ११०:३)

जिनको परमेश्वर उद्वार पाने के लिये चुनता है उनके भीतर वह इच्छा भी पैदा करता है कि वे इस दिशा में पहला कदम उठाये‚ जैसा पतरस ने किया।

जब मैं यह वाक्य लिख रहा था मेरी पत्नी गैरेज से एक पोस्टकार्ड निकालकर लाई। मैंने उसे तुरंत पहचान लिया। मेरे पहले चर्च हटिंगटन पार्क की तस्वीर इस पर छपी थी। यह १९५० के उत्तरार्ध का था जब मेरा मन परिवर्तित नहीं हुआ था। यह कार्ड संडे स्कूल अधीक्षिका मिसिस बोकर ने लिखा था‚

प्रिय बॉब‚

मैं आशा करती हूं कि तुम बीमार नहीं हो जैसा कि हमारे कई लोग अभी बीमार चल रहे हैंI हम तुम्हें याद करते हैं और चाहे जिस भी कारण से तुम दूर हो‚ तुम वापस आ जाओ।

         मिसिस बोकर

वह भली स्त्री मुझे वापस चर्च लाने का प्रयास कर रही थी। मैं एक किशोर ही था और यूं ही बेपरवाह सा भटक रहा था। मैंने कार्ड पर तारीख देखी। लेकिन उसके कुछ महिनों बाद तो ऐसा हुआ कि कोई मुझे चर्च से दूर नहीं रख सका। आखिर उन चंद महिनों में ऐसा क्या हो गया था? मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि परमेश्वर ने बहुत प्रभावशाली बुलाहट के साथ मुझे बुलाया था। जब परमेश्वर की सामर्थ उतरी तो मेरे भीतर वह इच्छा उत्पन्न हुई।

''तेरी प्रजा के लोग तेरे पराक्रम के दिन स्वेच्छाबलि बनते हैं'' (भजन ११०:३)

जब परमेश्वर ने मुझे खींचा‚ तब मुझे मिसिस बोकर या और किसी की आवश्यकता नहीं हुई कि वापस चर्च लेकर आये। जब परमेश्वर ने मुझे खींचा‚ तब कोई ताकत मुझे चर्च आने से रोक नहीं सकी!

यही बात पतरस पर लागू हुई। यद्यपि वह अभी तक बचाया नहीं गया था। पर ऐसे ही तो जब मिसिस बोकर ने कार्ड भेजा था मेरा भी उद्वार नहीं हुआ था। परमेश्वर की सामर्थ ने मेरे भीतर इच्छा पैदा की − ऐसा ही पतरस के साथ हुआ। वह भी वैसे ही भटका हुआ था जैसा मैं भटका हुआ था। लेकिन परमेश्वर ने उसके भीतर इच्छा पैदा की कि वह यीशु के पीछे चले। इसलिये पतरस शीघ्र मछली पकड़ने वाले जाल छोड़कर यीशु के पीछे हो लिया। इसका यह अर्थ नहीं था कि उसको उद्वार मिल चुका था।

क्या आप को आश्चर्य नहीं होता कि कुछ जवान जिन्हें हम चर्च लाते हैं वे इतनी जल्द कैसे आने के लिये तैयार हो जाते हैं? इसका यह अर्थ नही है कि उनका उद्वार हो चुका है। परमेश्वर की सामर्थ उन्हें खींचती है इसलिये वे आये। इसलिये यीशु ने कहा था‚ ''बुलाए हुए तो बहुत परन्तु चुने हुए थोड़े हैं'' (मत्ती २०:१६; २२:१४) परमेश्वर कईयों को बुलाते हैं। उन्होंने आप को भी इस सुबह बुलाया है। आप ने अपना नाम और फोन नंबर हमें दिया है। इसलिये हमने आप को लेने के लिये कार भेजी। ''बुलाए हुए तो बहुत हैं − जैसे आप बुलाए हुए हैं। ''परन्तु चुने हुए थोड़े हैं।'' मैं भी इसे पूर्ण रूप से नहीं समझ पाता हूं। पर मेरे लंबे अनुभव से मैं यह जानता हूं कि अगर आप परमेश्वर के चुने हुये हैं तो वह आप को वापस बुलाएगा। यहां बनाये रखेगा। आप को तब तक थामे रहेगा जब तक कि आप का मन परिवर्तन न हो जाये। अगर आप परमेश्वर के चुने हुये नहीं हैं तो जल्द या देर से आप चर्च छोड़ देंगे − क्योंकि ''बुलाए हुए तो बहुत परन्तु चुने हुए थोड़े हैं!''

केवल अनुग्रह से बचूं‚
   यही मेरी विनती है।
यीशु मेरे सब पापों के लिये मरें‚
   और यीशु मेरे लिये मरे।
(''ग्रेस! इज ए चार्मिंग साउंड'' फिलिप डाडरिज १७०२−१७५१; पास्टर द्वारा कोरस)

२. दूसरा‚ पतरस को बोध हुआ।

मैं उन तीन सालों को छोड़ रहा हूं जो पतरस ने यीशु का अनुसरण करते हुये बिताये थे। पतरस को उन तीन सालों में बहुत अनुभव हुये। जिस बात ने उस के जीवन पर सर्वाधिक प्रभाव डाला वह उसकी स्वीकारोक्ति थी कि यीशु कौन थे। मैंने संदेश के आरंभ में इसे समझाया था। पतरस ने यीशु से कहा था‚ ''तू जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह है।'' ''यीशु ने उस को उत्तर दिया........क्योंकि मांस और लोहू ने नहीं‚ परन्तु मेरे पिता ने जो स्वर्ग में है‚ यह बात तुझ पर प्रगट की है।'' (मत्ती १६:१६‚१७)

इसको ''प्रकाशन'' कहेंगे। यह परिवर्तन के पहले मिल सकता है‚ परिवर्तन के बीच मिल सकता है‚ एवं परिवर्तन के बाद मिल सकता है! पतरस के परिवर्तन के पहले परमेश्वर ने यह प्रकाशन उसे दिया कि मसीह कौन है। यह मेरे साथ भी हुआ। बहुत सालों तक मैं भी यह सोचता रहा कि मसीह एक भले आदमी थे जो उनके शत्रुओं द्वारा मारे गये और शहीद हुये। मेरे परिवर्तन से कुछ दिनों पूर्व ही परमेश्वर ने मुझे यह ज्ञान दिया कि यीशु परमेश्वर के अवतार हैं। यह ज्ञान मुझे तब मिला जब मैं चाल्र्स वेस्ली का गीत गा रहा था − ''अदभुत प्यार‚ यह कैसे हो सकता है कि‚ मेरे परमेश्वर‚ मेरे लिये मरे?'' इस गीत ने मेरे मन को ज्ञान से भर दिया‚ भले ही मैं उस समय परिवर्तित नहीं हुआ था। अभी पतरस भी परिवर्तित नहीं हुआ था!

अब लूका १८:३१−३४ को निकालिये और आप स्पष्ट रूप से देखेंगे कि पतरस और दूसरे चेले अभी बचाये नहीं गये थे।

''फिर उस ने बारहों को साथ लेकर उन से कहा; देखो‚ हम यरूशलेम को जाते हैं‚ और जितनी बातें मनुष्य के पुत्र के लिये भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा लिखी गई हैं वे सब पूरी होंगी। क्योंकि वह अन्यजातियों के हाथ में सौंपा जाएगा‚ और वे उसे ठट्ठों में उड़ाएंगे; और उसका अपमान करेंगे‚ और उस पर थूकेंगे। और उसे कोड़े मारेंगे‚ और घात करेंगे‚ और वह तीसरे दिन जी उठेगा। और उन्होंने इन बातों में से कोई बात न समझी: और यह बात उन में छिपी रही‚ और जो कहा गया था वह उन की समझ में न आया'' (लूका १८:३१−३४)

यह तीसरा अवसर था जब यीशु ने पतरस और अन्यों को सुसमाचार समझाया था। मसीह को कोड़े मारे जायेंगे‚ घात किया जायेगा और वह तीसरे दिन मृतक में से जीवित होंगे। यह सुसमाचार है − मसीहत का आधारभूत संदेश है‚ जैसा १ कुरूंथियों १५:१−४ में घोषित किया गया है। लेकिन पतरस ये सब बातें उस समय नहीं समझा था और यह बातें उससे ''छिपी ही'' रहीं। पतरस ने सुसमाचार का विश्वास नहीं किया!

अगर आप ने अभी भी उद्वार प्राप्त नहीं किया है − तो क्या आप पतरस के ही समान नहीं हैं? आप इस चर्च में ''बुलाये गये'' हैं। या तो आप के माता पिता आप को यहां लाये हैं या फिर कोई अन्य। आप बर्थडे पार्टीज में आये। आप ने हमारे साथ दोपहर और रात का भोजन लिया। हमने आप को सुसमाचार प्रचार के लिये भी भेजा। आप ने मुझे प्रति रविवार दो बार प्रचार करते हुये सुना। आप ने मुझे मसीह के क्रूसीकरण पर उनके रक्त बहाये जाने और मृतक में से जीवित होने के बारे में प्रचार करते हुये सुना। पर जब मैं उनके रक्त बहाये जाने और पुर्नरूत्थान के बारे में सुनाता तो आपका दिमाग भटकने लगता। आप बार बार सुनते तो थे पर ''समझ'' नहीं पाते थे। यह बात आप को इतनी वास्तविक या महत्वपूर्ण नहीं लगती! आप ने जो भी सोचा हो − पर आप को यह स्पष्ट नहीं था कि आखिर ये बातें इतनी महत्वपूर्ण क्यों थी। आप की दशा पतरस के ही समान है जब उसे अपने पापों का बोध नहीं हुआ था!

''और उसे कोड़े मारेंगे‚ और घात करेंगे‚ और वह तीसरे दिन जी उठेगा। और उन्होंने इन बातों में से कोई बात न समझी: और यह बात उन में छिपी रही‚ और जो कहा गया था वह उन की समझ में न आया'' (लूका १८:३३−३४)

अब खड़े होकर अपनी बाइबल में से लूका २२:३१ निकाल लीजिये। यह स्कोफील्ड स्टडी बाइबल के पेज ११०८ पर है।

''शमौन‚ हे शमौन‚ देख‚ शैतान ने तुम लोगों को मांग लिया है कि गेंहूं की नाईं फटके। परन्तु मैं ने तेरे लिये बिनती की‚ कि तेरा विश्वास जाता न रहे और जब तेरा मन परिवर्तित हो‚ तो अपने भाइयों को स्थिर करना। उस ने उस से कहा; हे प्रभु‚ मैं तेरे साथ बन्दीगृह जाने‚ वरन मरने को भी तैयार हूं। उस ने कहा; हे पतरस मैं तुझ से कहता हूं‚ कि आज मुर्ग बांग न देगा जब तक तू तीन बार मेरा इन्कार न कर लेगा कि मैं उसे नहीं जानता'' (लूका २२:३१−३४)

आप बैठ सकते हैं।

मैं एक बहुत रोचक पुस्तक पढ़ रहा था जिसका शीर्षक था‚ साइमन पीटर इन स्क्रिप्चर ऐंड मेमोरी (बेकर ऐकेडेमिक‚ २०१२) । इसे डॉ मारकस बॉकमुहेल ने लिखा था। वह इंग्लैंड की आँक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में बाइबल और प्रारंभिक मसीही अध्ययन के प्राध्यापक थे। यह प्रसिद्व विद्वान सीधे बिंदु पर पहुंचते हैं। वह निडर होकर यह बताते हैं कि यीशु के क्रूसीकरण की रात तक पतरस अपरिवर्तित था। दूसरे व्याख्याकार इस विषय पर बोलने से या तो हिचकिचाते हैं या इसे गायब कर जाते हैं। पर डॉ बॉकमुहेल ने ऐसा नहीं किया! वह इसे स्पष्ट समझाते हैं! उनकी सुनिये।

''शमौन‚ हे शमौन‚ देख‚ शैतान ने तुम लोगों को मांग लिया है कि गेंहूं की नाईं फटके। परन्तु मैं ने तेरे लिये बिनती की‚ कि तेरा विश्वास जाता न रहे: और जब तेरा मन परिवर्तित हो‚ तो अपने भाइयों को स्थिर करना'' (लूका २२:३१−३२)

डॉ बॉकमुहेल ने कहा‚

''यहां पतरस के लिये स्पष्ट तौर पर संदर्भ है कि शैतान के विरूद्व संघर्ष जल्द (आने वाला था) अपेक्षित था और वह बुरी तरीके से परीक्षा में पड़ा भी और (असफल रहा) इसलिये ‘मन परिवर्तित’ होने की बात कही गयी। यहां यह बल देने वाली बात है कि ‘जब तेरा मन परिवर्तित’ हो को अनेक अनुवादकों ने अपने ढंग से लिया है पर यूनानी में ऐसा नहीं है।'' (डॉ बॉकमुहेल‚ उक्त संदर्भित‚ १५६‚१५७)

इस तरह अंग्रेजी में एनआयवी एनएएसवी इएसवी और अन्य आधुनिक अनुवाद गलत हैं। हिंदी भाषा में भी अनेक आधुनिक अनुवाद गलत है। यह चर्चा है कि है कि ‘जब तेरा मन परिवर्तित’ हो को अनेक अनुवादकों ने अपने ढंग से लिया है पर यूनानी भाषा में ऐसा नहीं है। यूनानी शब्द ''एफिस्ट्रेफों'' का अनुवाद यहां ''मन परिवर्तिन'' होना चाहिये। इसलिये मैं कहता हूं कि केजेवी का अनुवाद सटीक है पर आधुनिक अनुवाद गलत हैं! डॉ बॉकमुहेल आगे कहते हैं‚

''कब कहां और कैसे पतरस का (मन फिरा) परिवर्तन हुआ यहां पर हम समस्या के केंद्र बिंदु पर पहुंचते हैं। अपनी सेवकाई के अंतिम दिन भी‚ जैसा लूका में लिखा है यीशु (अभी भी) पतरस के भविष्य में होने वाले परिवर्तन के बारे में बोलते हैं'' (उक्त संदर्भित‚ पेज १५६)

''लूका २२:३२ में पतरस का मन परिवर्तन भविष्य में होना बताया गया है'' (उक्त संदर्भित)

''जब तेरा मन परिवर्तित हो (भविष्य में)'' (उक्त संदर्भित‚ पेज १५६) । ''यीशु यक़ीनन पतरस के मन परिवर्तन को आगे की घटना के रूप में भविष्य में होना देखते थे'' (उक्त संदर्भित‚ पेज १५८) ।

पतरस को यह आत्मविश्वास था कि उसे तो मन परिवर्तन की आवश्यकता ही नहीं है। इसीलिये तो वह इस प्रकार कहता है‚

''हे प्रभु‚ मैं तेरे साथ बन्दीगृह जाने‚ वरन मरने को भी तैयार हूं'' (लूका २२:३२)

यीशु ने उत्तर दिया‚ ''हे पतरस‚ मैं तुझ से कहता हूं‚ कि आज (मुर्ग) बांग न देगा जब तक तू तीन बार मेरा इन्कार न कर लेगा कि मैं उसे नहीं जानता'' (लूका २२:३४) । पतरस सोचता है कि वह शैतान का सामना कर सकता है। बिना मन परिवर्तित हुये (एफिस्ट्रेफों) मसीह के लिये जी सकता है। सच में वह कितना गलत है! और कितने गलत हैं आप!

उन्होंने यीशु को बंदी बनाया और महापुरोहित के पास खींच कर ले गये। ''पतरस दूर ही दूर उसके पीछे पीछे चलता था'' (लूका २२:५४) । पतरस बाहर लोगों के साथ बैठ गया। तभी एक छोटी लड़की बोल पड़ी‚ ''यह भी तो उसके (यीशु के) साथ था'' (लूका २२:५६) । पतरस ने पलटकर कहा‚ ''मैं तो उसे जानता नहीं।'' कुछ देर पश्चात फिर एक मनुष्य ने कहा कि पतरस मसीह का अनुयायी था। पतरस ने उससे कहा‚ ''मैं उसके साथ का नहीं हूं।'' कुछ समय बाद‚ एक तीसरे व्यक्ति ने यही बात दोहराई‚ ''यह भी तो उसके साथ था।'' पतरस ने उसको भी यही उत्तर दिया‚ ''तुम क्या कह रहे हो मैं नहीं जानता।'' जब पतरस यह कह रहा था मुर्गे ने बांग दी।

यरूशलेम में जहां यह घटना घटी थी मैं और मेरी पत्नी ने उस स्थान को देखा है। गाईड ने हमें बताया कहां यीशु खड़े थे कहां पतरस खड़े थे। उसी समय यीशु ने मुड़कर पतरस को देखा और पतरस ने यीशु की आंखो में झांका।

''और वह बाहर निकलकर फूट फूट कर रोने लगा'' (लूका २२:६२)

अंतत: पतरस को पाप का बोध हो गया। आप का सच्चा परिवर्तन तब तक नहीं हो सकता जब तक आप को इस प्रकार का बोध न हो जैसा पतरस को हुआ था।

''और वह बाहर निकलकर फूट फूट कर रोने लगा'' (लूका २२:६२)

३. तीसरा‚ पतरस का मन परिवर्तन हो गया।

लूका २४:३४ निकाल लीजिये। यद्यपि यह महत्वहीन पद लगता है लेकिन डॉ बॉकमुहेल का कथन है कि यह वह पद है जो पतरस का परिवर्तन प्रदर्शित करता है‚ ''यीशु मुड़ते हैं और पतरस को देखते है ताकि उसे पाप का अहसास हो (लूका २२:६१) और ईस्टर की सुबह पतरस द्वारा यीशु को देखने से (लूका २४:३४) वह अंधकार से प्रकाश में आ जाता है।'' (बॉकमुहेल‚ पेज१६३) प्रेरित पौलुस भी हमें बताते है कि पतरस यीशु से ईस्टर की सुबह मिलते हैं। पौलुस कहते हैं‚ ''और....... कैफा (पतरस) को‚ तब बारहों को दिखाई दिया (१ कुरूंथियों १५:५)।''

बाइबल क्यों इतना अधिक पतरस की बुलाहट के विषय में‚ लड़खड़ाने‚ कमजोर विश्वास रखने व सुसमाचार के प्रति विवेकशुन्य बने रहने और यीशु के पीड़ा उठाने के विषय में बताती है? क्यों एक पूरा अध्याय पतरस द्वारा मसीह का इंकार करने और उसके फूट फूटकर रोने व पाप के बोध में आने पर लिखा गया है? इन सब बातों के उपरांत एक छोटा सा पद हमें पतरस का परिवर्तन बताता है‚ ''प्रभु सचमुच जी उठा है‚ और शमौन (पतरस) को दिखाई दिया है।'' क्यों − क्योंकि ठोकर खाना और बोध होना सच्चे परिवर्तन के लिये ये दो बाते बहुत आवश्यक है। क्योंकि जब तक कि आप अपने जीवन में एक ऐसे क्षण में न पहुंच जायें जहां पहुंचकर आप अपने ''पाप के लिये फूट फूटकर न रोये हो'' तब तक आपका मन परिवर्तन होना संभव नहीं है।'' जब तक पतरस जैसा अहसास आप के जीवन में न हुआ हो तब तक सुसमाचार आप के लिये कोई अर्थ नहीं रखेगा! आप अपने पापों में ही नष्ट हो जायेंगे। इस दुनिया में ऐसे ही आयेंगे और ऐसे ही चले जायेंगें। आप को अपने जीवन में यीशु की जरूरत महसूस करनी होगी इसके पहले कि आप यीशु पर विश्वास लाये और उनके बहाये गये रक्त से आप के पाप शुद्व हो सकें। आमीन।


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(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व ऐबेल प्रुद्योमे द्वारा धर्मशास्त्र पढ़ा गया: लूका २२:३१−३४
संदेश के पूर्व बैंजमिन किंकेड ग्रिफिथ ने एकल गान गाया गया:
''ग्रेस! इज ए चार्मिंग साउंड'' (फिलिप डाडरिज १७०२−१७५१; पास्टर द्वारा कोरस)


रूपरेखा

पतरस − बुलाये गये, उन्हें बोध हुआ और परिवर्तित हुये

PETER – CALLED, CONVICTED AND CONVERTED

डॉ आर एल हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

''शमौन, हे शमौन, देख, शैतान ने तुम लोगों को मांग लिया है कि गेंहूं की नाईं फटके। परन्तु मैं ने तेरे लिये बिनती की, कि तेरा विश्वास जाता न रहे: और जब तू फिरे, तो अपने भाइयों को स्थिर करना'' (लूका २२:३१−३२)

(मत्ती ४:१९; १६:१६, १७; लूका ४:४१; इफिसियों २:१‚ ५)

१. पहले‚ पतरस को बुलाया गया था, मत्ती ४:१८−२०; भजन ११०:३;
मत्ती २०:१६; २२:१४;

२. दूसरा‚ पतरस को बोध हुआ, मत्ती १६:१६, १७; लूका १८:३१−३४;
लूका २२:३१−३४; ५४, ५६, ६२

३. तीसरा‚ पतरस का मन परिवर्तन हो गया, लूका २४:३४; १ कुरूंथियों १५:५