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चीन कैसे वैश्विक शक्ति बन गया! (उत्पत्ति की पुस्तक पर८८ वां संदेश) डॉ सी एल कैगन रविवार की सुबह, ७ फरवरी, २०१६ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल ''फिर परमेश्वर ने नूह और उसके पुत्रों को आशीष दी और उन से कहा कि फूलो−फलो, और बढ़ो, और पृथ्वी में भर जाओ'' (उत्पत्ति ९:१) |
आज हमारा चर्च चीनी नव वर्ष मना रहा है। चीनी नव वर्ष बहुत महत्वपूर्ण माने जाने वाला चीनी अवकाश है। यह मसीह से दो हजार साल पूर्व प्रारंभ हुआ था। जब सम्राट हुआंग ताय ने पहला कैलेंडर प्रारंभ किया था। पश्चिमी कैलेंडर के समान ही चीनी कैलेंडर हर वर्ष की गिनती होती है। पश्चिमी कैलेंडर चन्द्रमा के चक्र पर निर्भर नहीं करता है लेकिन चीनी कैलेंडर चन्द्रमा के चक्र पर निर्भर करता है। पश्चिमी कैंलेडर पृथ्वी के सूर्य के आसपास चक्कर लगाने पर आधारित होता है। पृथ्वी को सूर्य के आसपास चक्कर लगाने में एक वर्ष का समय लगता है जिससे गर्मी, वर्षा, ठंड, शरद्, वसन्त ऋतु होती है।
चीनी कैलेंडर चन्द्रमा के पृथ्वी के आसपास चक्कर लगाने पर आधारित होता है। चन्द्रमा पृथ्वी के आसपास एक साल में बारह बार चक्कर नहीं लगा पाता है। इसलिये चीनी नव वर्ष हर साल अलग अलग तारिखों पर मनाया जाता है वैसे ही जैसे यहूदी फसह का वर्ष और ईस्टर का त्यौहार अलग तारिखों पर मनाया जाता है। चीनी नव वर्ष की शुरूआत जनवरी के उत्तरार्ध से लेकर फरवरी के मध्य तक कभी भी हो सकती है। इस साल नव वर्ष कल पड़ रहा है अर्थात ८ फरवरी को। परंपरागत रूप से त्यौहार तो कई दिनों तक चलता है पर खास नया साल आज मनाना उचित है।
चीनी मान्यता में चंद्रमा का एक चक्र साठ साल लेता है और यह चक्र १२ साल में पांच चक्र प्रति वर्ष के हिसाब से पूरे होते हैं। चीनी कैलेंडर में प्रत्येक बारह वर्ष के नाम किसी स्तनधारी, रेंगनेवाले अथवा पक्षी के नाम से होते हैं − चूहा, बैल, शेर, खरगोश, दैत्य, सर्प घोड़ा, भेड़, बंदर, मुर्गा, कुत्ता, सुअर। यह वर्ष (२०१६ ए डी) बंदर के नाम से है। नया साल उन देशों में मनाया जाता है जहां चीनी प्रभाव अधिक है जैसे कोरिया, कंबोडिया, वियतनाम, मंगोलिया, थाइलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपाइंस, सिंगापुर, ताईवान जैसे देश जहां चीनी समुदाय हैं और १८७३ तक तो जापान में भी मनाया जाता था उसके बाद वहां पश्चिमी कैंलेंडर अपनाया गया।
संसार के महान देशों में से एक चीन देश है। दूसरे देशों की तुलना में चीन में अधिक लोग पाये जाते हैं – लगभग १-४ बिलियन, अमेरिका से चार गुने अधिक लोग। चीन एक राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य ताकत के रूप में उभरा है। अमेरिका और पश्चिम के पतन के बाद विश्व में चीन जल्द ही एक बड़ी ताकत बनकर उभरेगा।
बाइबल की एक भविष्यवाणी ने चीन में एक बड़ी आत्मिक क्रांति के बारे में कहा है। मसीह से सात सौ वर्ष पूर्व यशायाह ने कहा था, ''देखो, ये दूर से आएंगे, और, ये उत्तर और पच्छिम से और सीनियों के देश से आएंगे'' (यशायाह ४९:१२) चीन में मसीहत के प्रचार के कारण यह भविष्यवाणी पूर्ण हुयी। अब वहां १३० मिलियन मसीही लोग हैं। चीन का प्राचीन नाम ''सिनिम'' है। डॉ हैनरी मौरिस और अन्य विद्वानों ने ''सिनिम'' को चीन पहचाना है (दि डिफेंडर्स स्टडी बाइबल; यशायाह ४९:१२ पर व्याख्या) वर्तमान में वह भविष्यवाणी पूर्ण हुई है। अमेरिका कैनेडा और यूरोप तीनों की तुलना में − चीन में अधिक मसीही जन रविवार की सुबह चर्च जाते हैं! कई चीनी जवान हमारे चर्च आ रहे हैं। उनमें से कुछ ने मसीह पर विश्वास किया है हम उनके लिये परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं!
चीन का एक लंबा इतिहास है। यलो नदी के पास से सभ्यता का आरंभ चीन में ही प्रारेभ हुआ, मसीह से दो हजार वर्षो पूर्व शिया वंश ने इसका आरंभ किया। मसीह से १६०० वर्ष पूर्व हैंग वंश के आधिपत्य में पूर्व चीनी सभ्यता और विकसित होती चली गई।
नूह के प्रलय के दो सौ वर्ष पश्चात चीन में लोग रह रहे थे। भयानक प्रलय भेजकर परमेश्वर ने मानव जाति का न्याय किया। पूरा संसार जल से ढंका हुआ था। केवल नूह और उसका परिवार जहाज में बैठकर बच पाये थे। फिर जल धीमे धीमे घटने लगा। नूह और उसका परिवार जहाज से बाहर आये। अपनी बाइबल में उत्पत्ति ९:१ निकाल लीजिये। स्कोफील्ड स्टडी बाइबल में यह पेज संख्या १६ पर है। परमेश्वर ने उन्हें आशीष दी ''फूलो−फलो, और बढ़ो, और पृथ्वी में भर जाओ'' (उत्पत्ति ९:१) ।
लोगो को आश्चर्य हो सकता है कि ''क्या इसमें सत्यता है? क्या यह चीनी इतिहास के साथ मेल खाता है? जहाज से उतरे आठ लोगों से दो तीन सौ साल में लाखों लोग कैसे हो सकते हैं − कि लोगों ने चीन, भारत, मिस्र और अन्य स्थानों में शहर बसा लिये?'' आज सुबह मैं इन प्रश्नों का उत्तर देना चाहता हूं।
पहले, सोचिये प्रलय के पूर्व क्या हुआ था। छ हजार सालों से भी और अधिक समय पूर्व परमेश्वर ने हमारे आदि माता पिता से कहा था, ''फूलो फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो'' (उत्पत्ति १:२८) । परमेश्वर ने उन्हे संतान उत्पन्न करने के द्वारा पृथ्वी को भरने के लिये कहा।
आदम और उसके वंशजों ने पृथ्वी को भर दिया। उस समय लोग ८०० या ९०० साल जीते थे। पर्यावरण आज की तुलना में कहीं अधिक अच्छा था। पृथ्वी जल की वाष्प से निर्मित एक छतरी से ढंकी होती थी जो निर्वात से निकलने वाले विकिरण से बचाव में मदद करती थी। बरसात इतनी नहीं होती थी पर जैसा बाइबल में लिखा है ''कोहरा पृथ्वी से उठता था जिस से सारी भूमि सिंच जाती थी'' (उत्पत्ति २:६) । पृथ्वी ग्रीन हाउस के समान प्रतीत होती थी और रहने के लिये एक खुशनुमा स्थान था । पौधे और जानवर खूब फलते फूलते थे। इसी प्रकार लोग भी भली भांति फलते फूलते थे। उस समय लोग लगभग ९०० साल या उससे अधिक समय तक जीते थे। बाइबल बताती है ''और आदम की कुल अवस्था नौ सौ तीस वर्ष की हुई तत्पश्चात वह मर गया'' (उत्पत्ति ५:५) ।
पर आदम ने पाप किया था और वह मानव जाति पर पाप और मृत्यु लाया। इसी पाप के परिणाम स्वरूप आदम के प्रथम पुत्र कैन ने हाबिल को मार डाला (उत्पत्ति ४:८) । तब परमेश्वर ने कैन से कहा, ''तू पृथ्वी पर बहेतू और भगोड़ा होगा'' (उत्पत्ति ४:१२) । कैन भागकर ''नोद नाम देश में, जो अदन के पूर्व की ओर है, रहने लगा'' (उत्पत्ति ४:१६) । ''नोद नाम देश'' का शाब्दिक अर्थ है ''भटकने वाला देश।'' डॉ एम आर देहान ने कहा था, ''कुछ परंपरागत कथायें कहती है कि कैन भारत एवं चीन और कुछ सुदूर के देश गया था।'' (दि डेज आँफ नोह, जोंदरवन, १९७१, पेज ३३) कैन ने अपने माता पिता से दूर एक नगर बसाया (उत्पत्ति ४:१७) ।
कैन भाग गया था। हाबिल मर चुका था। आदम और हवा का एक और पुत्र था जिसका नाम था शेत (उत्पत्ति ४:२५) । उनके और भी ''बेटे बेटियां'' हुई (उत्पत्ति ५:४) । आदम के ९३० साल के जीवनकाल में अनेक संतान उत्पन्न हुई। यहूदी परंपरा के अनुसार आदम और हवा के ५६ संतानें थी!
शेत ९१२ साल जीवित रहा। उसके भी ''बेटे बेटियां'' हुई (उत्पत्ति ५:७, ८) । शेत का पुत्र एनोश ९०५ साल जीवित रहा। उसके भी ''बेटे बेटियां'' हुई (उत्पत्ति ५: १०, ११) एनोश का पुत्र कैनान ९१० साल जीवित रहा। उसके भी ''बेटे बेटियां'' हुई (उत्पत्ति ५: १३, १४) उत्पत्ति का पांचवां अध्याय उस समय के महान लोगों के नाम और उम्र का विवरण देता है। उनके अनेक संताने थी। इस तरह मानव जाति ने पृथ्वी को भर दिया।
प्रलय के समय लाखों अरबों लोग पृथ्वी पर थे। वे पृथ्वी के बडे भागों में फैल चुके थे। इस तरह यह पता चलता है कि प्रलय संसार भर में हुई थी। प्रलय ने संपूर्ण पृथ्वी को ढक दिया था क्योंकि लोगों ने पृथ्वी को ढक दिया था!
लोगों ने अनाचारी होकर पृथ्वी को ढक दिया था। ''और यहोवा ने देखा, कि मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई है, और उनके मन में जो कुछ उत्पन्न होता है सो निरन्तर बुरा ही होता है'' (उत्पत्ति ६:५) । ''उस समय पृथ्वी परमेश्वर की दृष्टि में बिगड़ गई थी, और उपद्रव से भर गई थी'' (उत्पत्ति ६:११) ।
परमेश्वर ने प्रलय के द्वारा मनुष्य जाति का न्याय किया था। जल ने पृथ्वी को १५० दिनों तक ढके रखा (उत्पत्ति ७:२४) । केवल नूह और उसका परिवार − आठ लोग − जहाज में जीवित बचे थे। शेष सब डूब गये और नर्क में गये। प्रलय का जल घट गया। जहाज आर्मीनिया में, अरारात पर्वत पर ठहर गया (उत्पत्ति ८:४) । जब नूह और उसका परिवार जहाज से उतरे तब परमेश्वर ने उनसे कहा, ''फूलो−फलो, और पृथ्वी में भर जाओ'' (उत्पत्ति ९:१) ।
यही आज्ञा तो परमेश्वर ने आदम और हवा को भी दी थी। लोग सदियों तक जिया करते थे − प्रलय के पूर्व समय के समान ही‚ जब कोहरा भूमि को सींचता था। एक दंपति के २० से ३० तक या अधिक संताने होती थी।
कृपया खड़े होकर गीत गाइये‚ ''हे मेरी आत्मा स्वर्ग के राजा की जयजयकार करो''
हे मेरी आत्मा‚ स्वर्ग के राजा की जयजयकार करो‚ उसके चरणों में भेंट अर्पण करो;
मोल चुकाया‚चंगा व नवीन किया‚ क्षमा किया उसकी प्रशंसा क्यों न गायी जाये?
प्रशंसा करो! प्रशंसा करो! सनातन राजा की प्रशंसा करो
(''हे मेरी आत्मा‚ स्वर्ग के राजा की जयजयकार करो'' भजन १०३;
हैनरी एफ लायट‚ १७९३−१८४७)
अब आप बैठ सकते हैं।
पूरे संसार भर में फैल जाना आसान था। प्रलय के बाद मौसम ठंडा था। वैज्ञानिकों ने इस युग को ''हिम युग'' का नाम दिया था। अधिकतम जल बर्फ की चादरों में कैद हो गया था। पहाड़ गिराये जा चुके थे‚ समुद बराबर हो चुके थे। उस समय एशिया से उत्तरी अमेरिका जाना आसान होता। रूस और अलास्का के मध्य का पानी घट चुका था। रूस और अलास्का के मध्य जमीन का पुल निर्मित हो चुका था। वैज्ञानिकों ने ''भारतीय मूल'' के लोगों का पता प्राप्त किया − अलास्का से उत्तरी अमेरिका तक चीन से संबंधित लोग पाये गये थे।
एक और कारण था कि क्यों दो या तीन सौ साल में संसार को भर पाना आसान था। लोग पहले से ही विश्व के भूगोल से परिचित थे। प्रलय आने के पूर्व वे भूमि के विन्यास से भली भांति परिचित थे। उनके पूर्वज भारत और चीन हो आये थे। वे जानते थे कि वे कहां जा रहे हैं!
पृथ्वी को फिर से भर पाना आसान होता। इसमें यद्यपि बहुत अधिक समय लगा। मैं इसे बाद में समझाउंगा कि क्यों ऐसा होता। जब लोग अधिक संख्या में फैलने लगे तो वे मैदानों में भर गये और उन्हें तेजी से भर दिया! नूह के पुत्र शेम‚ हाम और येपेत थे (उत्पत्ति १०:१) । शेम यहूदी जाति का पूर्वज कहलाया जो मध्य पूर्व की जाति थी। अब्राहम शेम का वंशज था। अपने पुत्र इसहाक के द्वारा अब्राहम यहूदी लोगों का पिता कहलाया। अपने पुत्र इश्माइल के द्वारा वह अरब लोगों का पिता कहलाया। दोनों यहूदी और अरब सामी जाति के लोग हैं।
येपेत यूरोप और एशिया के देशों का पूर्वज कहलाया। उसका एक पुत्र गोमेर पश्चिमी यूरोप के अनेक देशों का पिता कहलाया। उसका दूसरा पुत्र मगोग रूस और यूक्रेन के लोगों का पूर्वज कहलाया। येपेत का पोता तर्शीश स्पेन के लोगों का पूर्वज कहलाया। चीन के लोग येपेत के वंशज हैं।
हाम हैमीटिक लोगों का पूर्वज था जो अफ्रीका के देशों के रहने वाले थे। हाम के एक पुत्र का नाम मिजरेम था (उत्पत्ति १०:६) जो मिस्र का इब्रानी नाम है यह अफ्रीका का प्रथम देश है जहां लोग पहुंचे थे।
नूह के वंशज बहुत कम समय में संसार में फैल गये। पर यह एकदम से संभव नहीं हुआ! पहले तो उन्होंने परमेश्वर की आज्ञा मानने से इंकार कर दिया। जैसा कि नया नियम कहता है क्योंकि ''शरीर पर (अपरिवर्तित पर) मन लगाना तो परमेश्वर से बैर रखना है'' (रोमियों ८:७) । पापी मनुष्य का स्वभाव होता है कि वह परमेश्वर से विद्रोह करे। लोगों ने पृथ्वी पर फैलने और भर जाने से इनकार कर दिया था। तब क्या हुआ?
हाम का एक पुत्र कुश था‚ जो निमरोद का पिता था (उत्पत्ति १०:६−९) । निमरोद एक अहंकारी और दुष्ट मनुष्य था। उसने शिनार देश में (जो बाद में बेबीलोनिया कहलाया) बाबेल शहर (बेबीलोन में) अपना राज्य स्थापित किया। राजा निमरोद के साथ‚ लोगो ने भी पृथ्वी पर भर जाने से इंकार किया। उन्होने कहा आओ‚ ''हम एक नगर और एक गुम्मट बना लें‚ जिसकी चोटी आकाश से बातें करे‚ इस प्रकार से हम अपना नाम करें ऐसा न हो कि हम को सारी पृथ्वी पर फैलना पड़े'' (उत्पत्ति ११:४) । इस तरह वे लोग एक शहर और गुंबद बनाना चाहते थे जो उनकी महिमा का प्रदर्शन करने वाला बलशाली केंद्र कहलाये।
लेकिन परमेश्वर ने उनका न्याय किया। उन्हें गुंबद बनाने से रोक दिया। उस समय तक सब एक ही भाषा बोलते थे। ''सारी पृथ्वी पर एक ही भाषा‚ और एक ही बोली थी'' (उत्पत्ति ११:१) । तब परमेश्वर ने कहा‚
''इसलिये आओ‚ हम उतर के उनकी भाषा में बड़ी गड़बड़ी डालें‚ कि वे एक दूसरे की बोली को न समझ सकें। इस प्रकार यहोवा ने उन को‚ वहां से सारी पृथ्वी के ऊपर फैला दिया; और उन्होंने उस नगर का बनाना छोड़ दिया। इस कारण उस नगर को नाम बाबुल पड़ा; क्योंकि सारी पृथ्वी की भाषा में जो गड़बड़ी है‚ सो यहोवा ने वहीं डाली‚ और वहीं से यहोवा ने मनुष्यों को सारी पृथ्वी के ऊपर फैला दिया'' (उत्पत्ति ११:७−९)
परमेश्वर ने उनकी भाषाओं में गड़बड़ी डाली। बाबेल का अर्थ ''गड़बड़ी'' होता है। लोग एक दूसरे की बात नहीं समझ पा रहे थे। हर व्यक्ति केवल अपने भाषा समूह वाले से ही बात कर पा रहा था। वे गुंबद भी नहीं बना पाये। उनका समुदाय समाप्त हो गया। हर व्यक्ति अलग हो गया और उसके साथ अब केवल उसकी बात समझने वाले − निकट के संबंधी ही बचे। अब जब इन लोगों पर दवाब बढ़ा − तो ये पृथ्वी पर फैलने लगे। बाइबल बताती है कि उन दिनों में ''पृथ्वी बंट गई'' (उत्पत्ति १०:२५) ।
यह प्रलय के १०० साल बाद हुआ। पूरी मानव जाति एक ही प्रकार के लोगों से बनी थी। अभी भी ऐसा ही है! बाइबल कहती है परमेश्वर ने ''एक ही मूल से मनुष्यों की सब जातियां सारी पृथ्वी पर रहने के लिये बनाईं हैं'' (प्रेरितों १७:२६) । इसलिये पुरूष किसी भी महिला से विवाह कर सकता है और संतान उत्पन्न कर सकता है। मानव जाति की समस्त जैविक विविधता नूह और उसके परिवार में निहित थी। परंतु बाबेल के गुंबद के बाद लोग छोटे भाषा समूह में विभक्त हो गये। हजारों सालों तक वे अपने ही समूह में विवाह करते आये। जल्द ही एक समूह के लोगों की दूसरे से अलग दिखने लगे। यहां से अलग जातियां‚ भाषा और देशों का निर्माण हुआ। कुछ यूरोप चले गये और वहां अपनी भाषा बोलने लगे। कुछ अफ्रीका चले गये। कुछ चीन चले गये और एक दूसरे से चीनी भाषा बोलने लगे।
इस प्रकिया में थोड़ा ही समय लगा। ये भाषा समूह संपूर्ण संसार में फैल गये।येपेत के वंशज यूरोप‚ भारत‚ चीन और अंतत: अमेरिकी महाद्वीप पर पहुंचे। हाम के वंशज अफ्रीका पहुंचे। शेम के वंशजों ने मध्य पूर्व को भर दिया।
जहां कही वे गये लोगों ने प्रलय को याद किया इसीलिये संसार की हर जाति किस्से कहानी के रूप में प्रलय की बात करती है। उत्तर पश्चिम के मूल अमेरिकी एक व्यक्ति के बारे में बताते हैं जिसने जहाज बनाया था। फिजी देश के लोग भी प्रलय की कथा कहते हैं।
जहां कहीं वे गये लोगों में एक ही परमेश्वर पर विश्वास था। लोगों ने यह नूह और उसके पुत्रों से सीखा था। उत्तरी अमेरिका की जाति परमेश्वर पर विश्वास करती थी उसे वे महान आत्मा कहते थे। प्रोटो इंडो यूरोपियन भाषा समूह जिसने यूरोप और भारत की भाषा को जन्म दिया‚ उनमें हम ''डायस पेटर'' ''परमेश्वर पिता'' के बारे में सुनते हैं पिता − परमेश्वर जो स्वर्ग में हैं। डायस पेटर से ही यूनानी देवता जियस और रोमी देवता जुपिटर की उत्पत्ति हुई।
मंगोल परमेश्वर पिता से निकले‚ एक बड़े आकाशीय − ईश्वर में विश्वास करते हैं‚ जिसे वे टेंग्री पुकारते हैं। प्राचीन चीनी एक परमेश्वर में विश्वास करते थे। आँक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में डॉ जेम्स लैगे (१८१५ − १८९७) चीनी भाषा और साहित्य के प्राध्यापक रहे। अपनी पुस्तक दि रिलीजंस आफ चायना में (चाल्र्स स्किबनर्स संस‚ १८८१) डॉ जेम्स लैगे ने बताया कि चीन का मूलधर्म एक परमेश्वर में विश्वास करना था जिसे वे शैंग ताय (स्वर्ग का राजा) कहते थे। मसीह से दो हजार वर्ष पूर्व और अनेक शताब्दी पहले कन्फयूशियस और बुद्व पैदा हुये थे‚ तब चीन में लोग एक परमेश्वर की आराधना करते थे − परमेश्वर पिता जो स्वर्ग का राजा कहलाता था।
चीन का मूल धर्म बौद्व धर्म नहीं था। बुद् चीनी नहीं थे! वह भारत के निवासी थे। बौद्व धर्म चीन में भारत से आया। चीन का मूल धर्म एकेश्वरवाद था − शैंग ताय स्वर्ग का राजा। बाद में‚ अंधविश्वास और त्रुटियां जुड़ते चले गये। तो शैंग ताय‚ स्वर्ग का राजा चीन के मूल परमेश्वर थे! ''हे मेरी आत्मा‚ स्वर्ग के राजा की जयजयकार करो।'' खड़े होकर इसे गाइये!
हे मेरी आत्मा‚ स्वर्ग के राजा की जयजयकार करो‚ उसके चरणों में भेंट अर्पण करो;
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प्रशंसा करो! प्रशंसा करो! सनातन राजा की प्रशंसा करो।
अब आप बैठ सकते हैं।
चीनी लोग सच्चे परमेश्वर से क्यो भटके? क्योंकि वे पापी थे। संसार के सब लोग पापी थे। हर देश के प्राचीन लोग पापी होते थे। वे ''परमेश्वर से शत्रुता'' रखते थे (रोमियों ८:७) । वे परमेश्वर को नहीं चाहते थे इसलिये उन्होंने अंधविश्वास‚ मूर्तियां और मिथ्या धर्म खोज लिये। बाइबल कहती है‚
''इस कारण कि परमेश्वर को जानने पर भी उन्होंने परमेश्वर के योग्य बड़ाई और धन्यवाद न किया‚ परन्तु व्यर्थ विचार करने लगे‚ यहां तक कि उन का निर्बुद्धि मन अन्धेरा हो गया। वे अपने आप को बुद्धिमान जताकर मूर्ख बन गए। और अविनाशी परमेश्वर की महिमा को नाशमान मनुष्य‚ और पक्षियों‚ और चौपायों‚ और रेंगने वाले जन्तुओं की मूरत की समानता में बदल डाला'' (रोमियों १:२१−२३) ।
सारी मानवता के साथ ही ऐसा हुआ। यह मिस्र‚ बेबीलोनिया‚ यूरोप‚ भारत और चीन में हुआ। इन्हीं जगहों से संसार के मिथ्या धर्म आये। पापी मनुष्य ने सत्य को अस्वीकार कर दिया और सब प्रकार के झूठ को अपना लिया। ज्योति मद्विम होती गयी। अंधकार बढ़ने लगा। मनुष्य के लिये कोई आशा नहीं बची थी।
तब परमेश्वर ही हम तब पहुंचे। उन्होंने कसदियों के शहर उर में एक पापमयी शहर को देखा। वहां उन्होंने अब्राहम नामक व्यक्ति से कहा‚ ''यहोवा ने अब्राम से कहा‚ अपने देश‚ और अपनी जन्मभूमि‚ और अपने पिता के घर को छोड़कर उस देश में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊंगा। और मैं तुझ से एक बड़ी जाति बनाऊंगा‚ और तुझे आशीष दूंगा‚ और तेरा नाम बड़ा करूंगा‚ और तू आशीष का मूल होगा। और जो तुझे आशीर्वाद दें‚ उन्हें मैं आशीष दूंगा; और जो तुझे कोसे‚ उसे मैं शाप दूंगा; और भूमण्डल के सारे कुल तेरे द्वारा आशीष पाएंगे'' (उत्पत्ति १२:१−३) । परमेश्वर ने उससे कहा‚ ''मेरे पास तेरे लिये एक बुलाहट है।'' अब्राहम ने सच्चे परमेश्वर में विश्वास किया। वह यहूदी लोगों का पिता कहलाया जो पृथ्वी पर परमेश्वर के चुने हुये लोग माने जाते हैं।
परमेश्वर ने यहूदी लोगों को चुना कि हमें बाइबल दें। परमेश्वर ने अपने पुत्र यीशु को एक यहूदी कन्या से जन्म लेने के लिये भेजा। इजरायल में ही यीशु जवान हुये। इजरायल में वह क्रूस पर मरे कि हमारे पापों का मोल चुकाये। उन्होंने अपना रक्त बहाया कि हमारे पापों को धोकर शुद्व कर दें। वह मृतक में से जीवित हुये कि हमें जीवन दें। वह सारी मनुष्य जाति के लिये मरे − न केवल यहूदियों के लिये‚ बल्कि चीन के लोगों के लिये भी मरे और संसार के अन्य लोगों के लिये भी मरे! मसीह ''हमारे पापों का प्रायश्चित्त है........सारे जगत के पापों का भी'' (१ यूहन्ना २:२)। सारी मानवता के लिये मसीहत ही एकमात्र सच्चा धर्म है। यह ''अमेरिकावासियों का धर्म'' नहीं है। अनेक अमेरिकी सच्चे मसीही नहीं है। मसीह केवल एक देश या संस्कृति के लिये नहीं है। संसार के प्रत्येक देश में मसीही हैं क्योंकि मसीह ''सारे संसार के पापों के लिये'' मरे − चाहे चीनी‚ कोरियंस हिस्पैनिक्स‚ अफ्रीकंस क्यों न हो− और आपके लिये भी मरे! चीन और सारे संसार से लोग परमेश्वर पर विश्वास कर रहे हैं। यीशु आप से कहते हैं‚ ''मेरे पास आइये।'' यीशु के पास आइये। उन पर विश्वास रखिये।
मनुष्य अपने बलबूते पर परमेश्वर को नहीं पा सकता। बाइबल कहती है‚ ''क्या तू ईश्वर का गूढ़ भेद पा सकता है?'' (अय्यूब ११:७) वास्तव में कोई ईश्वर को खोजना नहीं चाहता। बाइबल कहती है‚ ''कोई परमेश्वर का खोजने वाला नहीं'' (रोमियो ३:११) । यह तो परमेश्वर ही हैं जो हम पापियों तक पहुंच कर हमें बचाते हैं।
जब संसार का निर्माण हुआ था तब परमेश्वर ने मानव जाति के कुछ लोगों के छुटकारे की योजना बनाई थी। यह हमेशा से परमेश्वर की योजना रही है कि उनके पुत्र यीशु को संसार के पापियों के लिये मरने भेजा जाये। बाइबल यीशु के लिये यह बताती है कि मेम्ना‚ ''जो जगत की उत्पत्ति के समय से घात हुआ है'' (प्रकाशित १३:८) परमेश्वर की यह योजना संसार में सभी दूर के लोगों के लिये थी। जिन्हें वह बचाना चाहते थे उन सबके लिये मसीह ने प्राण दिये।
बाइबल कहती है‚ ''परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से (प्रगट) करता है‚ कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा'' (रोमियों ५:८) । बाइबल यह भी कहती है‚ ''प्रेम इस में नहीं कि हम ने परमेश्वर ने प्रेम किया (हम ने नहीं किया); पर इस में है‚ कि उस ने हम से प्रेम किया; और हमारे पापों के प्रायश्चित्त (क्षतिपूर्ति) के लिये अपने पुत्र को भेजा'' (१यूहन्ना ४:१०) । परमेश्वर ने जगत से इतना प्रेम किया कि उन्होंने आप के पापों का मूल्य चुकाने के लिये अपना पुत्र क्रूस पर प्राण देने के लिये इस संसार में भेजा। यीशु ने आप के पापों को धोने के लिये अपना रक्त बहाया। मैं विश्वास करता हूं कि आप शीघ्र ही यीशु पर विश्वास लायेंगे।
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प्रशंसा करो! प्रशंसा करो! सनातन राजा की प्रशंसा करो।
आमीन
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(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व ऐबेल प्रुद्योमे द्वारा धर्मशास्त्र पढ़ा गया: रोमियों १:२१−२३
संदेश के पूर्व बैंजमिन किंकेड ग्रिफिथ ने एकल गान गाया गया:
''यीशु राज्य करेंगे'' (डॉ आयजक वाटस, १६७४−१७४८)