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लूत की पत्नी (उत्पत्ति पर संदेश संख्या ८७) डॉ आर एल हिमर्स रविवार की सुबह, ३१ जनवरी, २०१६ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल ''लूत की पत्नी को स्मरण रखो'' (लूका १७:३२) |
हम इस महिला का नाम नहीं जानते। हम इतना अवश्य जानते हैं कि इसके विषय में उत्पत्ति के उन्नीसवें अध्याय में दिया गया है − और कुछ पद लूका १७ में दिये हुये हैं। हम यह जानते हैं कि वह लूत की पत्नी थी − लूत, जो अब्राहम का भतीजा था। जब अब्राहम ने हारान छोड़ा था लूत उसके साथ हो लिया था। परमेश्वर ने अब्राहम से इस शहर को छोड़ने को कहा था, क्योंकि वह शहर पाप और मूर्तिपूजा से भरा हुआ था। बाइबल कहती है,
''विश्वास ही से इब्राहीम जब बुलाया गया तो आज्ञा मानकर ऐसी जगह निकल गया जिसे मीरास में लेने वाला था, और यह न जानता था, कि मैं किधर जाता हूं; तौभी निकल गया'' (इब्रानियों ११:−८)
लूत ने अब्राहम का अनुसरण किया। लूत एक विश्वासी पुरूष था पर अपने चाचा के समान अगुआ नहीं था। उसने एक अकेले रूप में विश्वासी का जीवन व्यतीत किया लेकिन जब समय आया वह अब्राहम के साथ इकठे नहीं रह सका। दोनों परिवारों के पास पशु धन बढ़ने लगा तब वे एक साथ अच्छे से नहीं रह सके। उसने सदोम शहर के पास का स्थान जाने के लिये चुना। बाइबल ऐसा कहती है,
''अब्राम तो कनान देश में रहा, पर लूत उस तराई के नगरों में रहने लगा; और अपना तम्बू सदोम के निकट खड़ा किया। सदोम के लोग यहोवा के लेखे में बड़े दुष्ट और पापी थे'' (उत्पत्ति १३:१२, १३)
इस तरह लूत और उसका परिवार मैदानों में बसे शहर के पास रहने को गये जो पाप और अधमता में लिप्त स्थान थे। बाइबल ऐसा कहती है, ''कि उसने अपना तंबू शहर की ओर गाड़ा'' अर्थात उसने अपना तंबू उस दुष्ट शहर की ओर गाड़ा। अब्राहम ने मेम्रे के मैदानों की ओर अपना तंबू खड़ा किया ''और परमेश्वर की वेदी बनायी'' (१३:१८) । इस तरह अब्राहम और उसका परिवार परमेश्वर की नजदीकी में बढ़ने लगा। लूत और उसका परिवार अधिकाधिक संसारी बातों में लिप्त रहने लगा।
अंतत लूत और उसका परिवार सदोम शहर में बस गये। लूत और उसका परिवार उस पापमय स्थान में रहने लगे। वे अधिकाधिक उस शहर के लोगों के जैसे हो गये और एक समय ऐसा आया कि चार मूर्तिपूजक राजाओं ने उन्हें बंदी बना लिया। अब्राहम और उसके आदमियों ने जाकर लूत को मुक्त करवाया और उसे वापस लाये। आप सोच रहे होंगें कि लूत ने ऐसा कहा होगा ''कि अब मैं अब्राहम के समान जीवन व्यतीत करूंगा और परमेश्वर के पीछे हो लूंगा।'' लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। लूत वापस जाकर सदोम में बस गया। सदोम में रहने के द्वारा वह अश्विासियों की संगति में बना रहा जहां वह उनकी ''कुत्सित बातों से'' और अधिक ''परेशान'' हो गया और उस शहर के निवासियों की दुष्टतापूर्ण शैली से वह परेशान हो गया (२ पतरस २:७) । तौभी वह उनके बीच ही बना रहा। जैसा परमेश्वर चाहते थे उसने वैसा नहीं किया और उनके बीच से निकलने से इंकार कर दिया। बाइबल ऐसा कहती है,
''अविश्वासियों के साथ असमान जूए में न जुतो, क्योंकि धामिर्कता और अधर्म का क्या मेल जोल? या ज्योति और अन्धकार की क्या संगति?'' (२ कुरूंथियों ६:१४)
यह लूत के लिये सच नहीं था। हमारा पद उसके लिये नहीं है। यह उसकी पत्नी के लिये है! मसीह का तात्पर्य उसकी पत्नी से है, जब मसीह कहते हैं,
''लूत की पत्नी को स्मरण रखो'' (लूका १७:३२)
इसलिये मैं लूत को छोड़ देता हूं और उसकी पत्नी के विषय में आप से कहता हूं। ''लूत की पत्नी को स्मरण रखो।''
१. पहला, यह स्मरण रखिये कि वह लूत की पत्नी है।
वह लूत की पत्नी थी, जो अपने तमाम दोषों के उपरांत भी, एक धर्मी स्त्री है। प्रेरित पतरस ने स्पष्ट कहा कि लूत एक ''धर्मी पुरूष'' और ''धर्मी मन'' का था (२ पतरस २:८) । वह उसकी जीवनसंगिनी थी तौभी नष्ट हो गयी! वह पवित्र अब्राहम के साथ उनके तंबू में रह चुकी थी और उनके विश्वास को भी देखा था। तौभी उसका विनाश हुआ। वह पवित्रतम और संसार के महान विश्वासी माने जाने वाले व्यक्ति अब्राहम के साथ उनके निवास स्थान में रह चुकी थी। तौभी वह नष्ट हो गयी।
संसार का कोई रिश्ता आप को बचा नहीं सकता अगर आप यीशु मसीह को मानने से इंकार करते हैं, आप अपने पापों में ही नष्ट हो जायेंगे। ''लूत की पत्नी को स्मरण रखो।'' ''लूत की पत्नी को स्मरण रखो।''
मैं परमेश्वर का भय मानने वाले एक पास्टर के पुत्र को जानता हूं, वह पास्टर बहुत ही अधिक ईश्वर की नजदीकी में रहने वाले व्यक्ति थे। पर उनका पुत्र एक बरबाद लड़का था। मैं उसको बहुत अच्छे से जानता हूं। एक ईश्वर की नजदीकी में रहने वाले पास्टर का पुत्र भटका हुआ था! भटका हुआ! भटका हुआ था! सचमुच, ''लूत की पत्नी को स्मरण रखो!'' ''लूत की पत्नी को स्मरण रखो!''
लूत की पत्नी का नाम कभी भी बताया नहीं गया है! शायद वह एक मूर्तिपूजक स्त्री थी। इसलिये उसका नाम शायद हटा दिया गया है। उसने अब्राहम को प्रार्थना करते हुये सुना। वह उनके पवित्र गीतों के गाने में सम्मिलित हुई हो। उसने अपने पति और उसके चाचा को ईश्वरीय बातों में लिप्त देखा हो। तौभी उसने कभी परमेश्वर पर विश्वास नहीं किया। जब वे प्रार्थना करते होंगे तब उसने उनके साथ सहमत होने का ढोंग रचा हो। क्या आज यहां चर्च में उसके समान भी कोई हो सकता है? क्या आप चर्च में केवल संगति के लिये आते हैं − मित्रों के लिये आते हैं − मजा लेने के लिये आते हैं? क्या केवल इसी कारण से आप आते हैं? अगर आप संसार से चिपके रहे और ऐसी ही लालसा के साथ उसे देखते रहे, तो आप अपने पापों में ही मर जायेंगे − भले ही आप परमेश्वर के लोगों के साथ कितना ही उठे बैठे हो! हो सकता है कि आपके माता पिता का उद्वार हो चुका होगा लेकिन आप चर्च में केवल आनंद और स्वतंत्रता का लाभ लेने के उददेश्य से आते रहे और सदोम जैसी संगति में ही रहने को अच्छा मानते रहे! सचमुच, ''लूत की पत्नी को स्मरण रखो!'' सचमुच, ''लूत की पत्नी को स्मरण रखो!'' यीशु ने कहा,
''और जैसा लूत के दिनों में हुआ था, कि लोग खाते पीते लेन देन करते, पेड़ लगाते और घर बनाते थे। परन्तु जिस दिन लूत सदोम से निकला, उस दिन आग और गन्धक आकाश से बरसी और सब को नाश कर दिया'' (लूका १७:२८, २९)
क्या आप ने कीमत आंकी हैं अपनी आत्मा के खो जाने की,
क्या आपने संपूर्ण संसार प्राप्त कर लिया है?
हो सकता है आप सभी सीमायें पार कर चुके हो,
क्या आप ने कीमत आंकी हैं, क्या आप ने कीमत आंकी हैं?
(''क्या आप ने कीमत आंकी हैं?'' ए जे होज, १९२३)
''लूत की पत्नी को स्मरण रखो!'' (लूका १७:३२)
२. दूसरा, स्मरण रखिये उसने संसार से प्रेम रखा था।
मैं ५८ सालों से प्रचार कर रहा हूं। मैंने कितने ही जवान बच्चों को आकर पूछते हुये देखा हैं, ''कि मैं उद्वार पाना चाहता हूं।'' जब वे ऐसा कहते हैं मैं सदैव उन्हें बहुत ध्यान से देखता हूं − क्योंकि मैं जानता हूं कि दस में से नौ बार वे यह बात दोहराते हैं लेकिन पाप से बचना नहीं चाहते। दस में से नौ बार वे यह दोहराते हैं कि बचना चाहते हैं और सीधे चलना चाहते हैं − लेकिन वे पाप और परमेश्वर से विरोध का जीवन ही जीते रहते हैं।
जब हम सदोम के बारे में सोचते है तब वहां व्याप्त सैक्स की विकृति का विचार उपजता है। सदोम में अनेक लोगों के लिये यह बात सच हो सकती थी − लेकिन सब लोगों पर यह बात लागू नहीं होती। ऐसा कोई वर्णन नहीं है कि लूत की पत्नी इन संबंधों में लिप्त पाई गयी। ऐसा कोई वर्णन नहीं है कि उसके दामाद भी उन पापों में लिप्त थे। पर बाइबल सदोम के दूसरे अनेक पापों की सूची देती है। परमेश्वर ने प्राचीन यरूशलेम की तुलना सदोम से की जब उन्होंने ऐसा कहा,
''देख, तेरी बहिन सदोम का अधर्म यह था, कि वह अपनी पुत्रियों सहित घमण्ड करती, पेट भर भरके खाती, और सुख चैन से रहती थी: और दीन दरिद्र को न संभालती थी। सो वह गर्व कर के मेरे साम्हने घृणित काम करने लगी, और यह देख कर मैं ने उन्हें दूर कर दिया'' (यिजकेल१६:४९, ५०)
वे अहंकारी लोग थे। वे पेटू थे। वे उदासीन थे। वे स्वार्थी थे। वे ढीठ थे। उन्होंने अति घृणित पाप भी किये थे। डॉ डबल्यू ए क्रिसवेल ने कहा था, ''सदोम के पाप न केवल इन्द्रिय विषयक और अप्राकृतिक थे पर उनके पापों मे ‘अहंकार’ भी सम्मिलित था। जो भौतिक समृद्धि से उपजता है। इस ‘अहंकार’ ने उन्हें अपनी निगाहों में नैतिक नियमों से भी उपर ठहरा दिया'' (क्रिसवेल स्टडी बाइबल, यिजकेल १६:४९ पर व्याख्या)
सचमुच, मुझे यह देखकर बहुत दुख लगता है कि जवान लोग घमंड से भरे होते हैं। मैं देखता हूं कि वे स्वयं को अति विद्वान और तीक्ष्ण बुद्वि के समझते हैं − बाइबल से भी बढकर विद्वान, परमेश्वर से भी बढकर बुद्धिमान! यह अहंकार उनके चेहरों से झलकता है, उनकी पोशाक से झलकता है, उनके बात करने के ढंग से झलकता है। जब वे छोटे बच्चे थे उनके दिल हममें लगे रहते थे। फिर धीरे धीरे वे चर्च से दूर होते चले गये। उनके मित्रों के अलग झुंड बन गये, संसारी मित्रों के झुंड, वे मित्र जो मसीही नहीं थे। ये जवान अपने मसीही विश्वासी माता पिता और अन्य विश्वासी लोगों पर अविश्वास करने लगे। वे पास्टर को अपना शत्रु समझने लगे। पास्टर की कही हर बात की तरफ से वे कान बंद कर लेते हैं। पहले पास्टर उनके मित्र हुआ करते थे − और अब पास्टर उन्हें उनका शत्रु लगता है।
देखिये लूत की पत्नी से ये लोग कितने मिलते हैं। पहले वह भी पिता अब्राहम की सुनती थी। पर जब सदोम शहर की जगमगाहट देखी तो वह अपने पति से बडी कोमलता से कहने लगी। वह उस निर्जन स्थान में रहते रहते उब गयी थी। उसने अपने पति को सुझाव दिया कि उन्हें शहर के नजदीक रहना चाहिये। उनकी पुत्रियों को और आनंदित होना चाहिये। उन्हें अपनी लडकियों के लिये शहर में और अधिक ''चुस्त'' जवान लडके मिलेंगे। वह नहीं चाहती थी कि अब्राहम की भेड चराने वाले लडकों से उनकी पुत्रियों का ब्याह हो। वह आधुनिक दिखना चाहती थी। इसलिये वह अपने कमजोर इच्छा शक्ति वाले पति को शहर के मध्य में बसने के लिये ले गयी। वहां उसका स्वयं का जीवन समाप्त हो गया। उसकी आत्मा की हानि हो गयी। उस शहर में उसने सब कुछ खो दिया यहां तक कि परमेश्वर भी! सचमुच, ''लूत की पत्नी को स्मरण रखो!'' ''लूत की पत्नी को स्मरण रखो!''
आप में से कुछ लोग मुझसे कहते हैं कि आप उद्वार पाना चाहते हैं। कुछ ने यीशु पर विश्वास किया और पापों से बचाये भी गये। उनमें से कई यहां नये आये जवान लोग थे। पर जैसा आप कहते हैं − उद्वार आप को ऐसे ''मिल नहीं'' सकता। क्यों नहीं मिल सकता? उद्वार मिलना कठिन भी नहीं है, तो फिर समस्या क्या है? आप बचाये तो जाना चाहते हैं − लेकिन आप संसार के साथ भी जाना चाहते हैं। आप चर्च जाना चाहते हें और चाहते हैं कि आप को वहां एक अच्छे मसीही के रूप में पहचाना जाये वैसे ही आप संसारी भटके मित्रों के साथ भी रहना चाहते हैं और उनके द्वारा भी स्वीकार किये जाना चाहते हैं। आप चर्च में मसीही मित्र भी चाहते हैं − और संसार में भटके हुये मित्र भी चाहते हैं। क्या बिल्कुल यही चीज आप को यीशु से दूर नहीं रखती है? क्या नहीं रखती है? नहीं रखती है? नहीं रखती है? निसंदेह रखती है! आप एक पैर नर्क में रखते हुये स्वर्ग जाना चाहते हैं! लूत की पत्नी को स्मरण रखिये!
क्या आप ने कीमत आंकी हैं अपनी आत्मा के खो जाने की,
क्या आपने संपूर्ण संसार प्राप्त कर लिया है?
हो सकता है आप सभी सीमायें पार कर चुके हो,
क्या आप ने कीमत आंकी हैं, क्या आप ने कीमत आंकी हैं?
लूत की पत्नी को स्मरण रखिये!
डॉ थॉमस हैल ने कहा था, ''आप स्वयं को मूर्ख नहीं बना सकते: आप मसीह के साथ साथ संसारी चीजों को भी नहीं ढूंढ सकते हैं आप को किसी एक का चुनाव करना होगा'' (दि एप्लाइड न्यू टेस्टामेंट कमेंटरी; मरकुस ८:३५ पर व्याख्या) बाइबल कहती है,
''सो जो कोई संसार का मित्र होना चाहता है, वह अपने आप को परमेश्वर का बैरी बनाता है'' (याकूब ४:४)
डॉ थॉमस हैल ने कहा, ''एक ही समय परमेश्वर से प्रेम रखना और उसी समय संसार से प्रेम रखना संभव नहीं है'' (उक्त संदर्भित, याकूब ४:४ पर व्याख्या)
आप में से कुछ इसी समस्या से जूझ रहे होंगे। आप मसीही होना चाहते हैं किंतु आप लूत की पत्नी के समान है। आप सदोम के अपने मित्रों के साथ भी रहना चाहते हैं। आप का संघर्ष निसंदेह नारकीय है। आप मुझसे सुनते हैं कि उद्वार मसीह के द्वारा संभव है। पर आप के मन में शैतान की आवाज भी गूंजती है। यीशु कहते हैं, ''मेरे पास आइये।'' शैतान की आवाज कहती है ''मूर्ख मत बनो अगर आप मसीही बन जाते हैं जो आप बहुत सारा आनंद और मौज मस्ती को खो देंगे।'' आप किसकी सुनेंगे? क्या आप मसीह की सुनेंगे? या आप शैतान की सुनेंगे? बाइबल कहती है, ''और शैतान का साम्हना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा'' (याकूब ४:७) आप को चुनाव करना होगा आप को या तो मसीह पर विश्वास लाना होगा या फिर शैतान पर। आप मसीह की बुलाहट का इंकार क्यों करते हैं? आप उन पर विश्वास लाने से इंकार क्यों करते हैं? फिर से डॉ हैल का कथन है ऐसा इसलिये है, ''क्योंकि हमारे जीवन में कुछ ऐसे पाप हैं जिन्हें हम छोडना नहीं चाहते'' (उक्त संदर्भित, याकूब ४:५ पर व्याख्या) । आप को अपने मन में कहना चाहिये,
यीशु के पीछे में चलने लगा,
यीशु के पीछे में चलने लगा,
यीशु के पीछे में चलने लगा,
न लौटूंगा न लौटूंगा न लौटूंगा।
लूत की पत्नी ने यही करने से इंकार किया था। बाइबल कहती है, ''लूत की पत्नी ने जो उसके पीछे थी दृष्टि फेर के पीछे की ओर देखा, और वह नमक का खम्भा बन गई'' (उत्पत्ति १९:२६) डॉ हैनरी एम मौरिस ने कहा, ''वह ज्वालामुखी की राख मे दफनायी गयी और उसका शव ‘नमक’ में परिवर्तित हो गया........बिल्कुल उसी तरह जैसे पांपेय के निवासियों के साथ हुआ था........जब प्रसिद्व ज्वालामुखी वेसुवियस से लावा फूट पड़ा था'' (हैनरी एम मौरिस, पी एच डी, दि न्यू डिफेंडर स्टडी बाइबल; उत्पत्ति १९:२६ पर व्याख्या) ।
''लूत की पत्नी को स्मरण रखिये!''
३. तीसरा स्मरण रखिये वह लगभग बचायी गयी थी।
बिशप जे सी राइल ने कहा, ''लूत की पत्नी धार्मिकता में बहुत आगे निकल गयी थी। वह एक ‘धार्मिक मनुष्य’ की पत्नी थी। वह अपने पति के माध्यम से विश्वासियों के पिता अब्राहम से जुडी हुई थी। परमेश्वर की आज्ञा से लूत जीवन बचाने के लिये सदोम से निकला तो वह भी पति के साथ निकली। पर लूत की पत्नी बिल्कुल लूत के समान नहीं थी वह लूत के साथ निकली जरूर पर उसका मन उसी (पापमयी शहर में छूट गया) ।'' स्वर्गदूतो ने लूत से कहा था, ''अपना प्राण ले कर भाग जा पीछे की और न ताकना.........नहीं तो तू भी भस्म हो जाएगा'' (उत्पत्ति १९:१७) । परंतु बिशप राइल का कथन है, ''उसने जानबूझ कर (आज्ञा) का उल्लंघन किया। उसने सदोम की ओर पीछे पलट कर देखा और उसी समय जड हो गयी। नमक का खंभा बन गयी‚ अपने पापों मे नष्ट हो गयी। लूत की पत्नी को स्मरण रखिये!'' (जे सी राइल, एक्सपोजिटरी थाटस आन लूक, वाल्यूम २, बैनर आफ ट्रूथ ट्रस्ट, २०१५ पुर्नमुद्रण, क्लोथबाउंड, पेज १८३; लूका १७:३२ पर व्याख्या) ।
आज सुबह आप सब के लिये यह चेतावनी है। आज आप यहां चर्च में क्यों हैं? इसलिये नहीं कि आप मसीही हैं! नही, नही! आप मसीही होने से तो कहीं दूर हैं। आप यहां इसलिये हैं क्योंकि कोई आप को यहां लेकर आया है। परमेश्वर के बारे में आप के कोई विचार नहीं है! आप ऐसे रह रहे हैं मानो कोई परमेश्वर है ही नहीं। आप परमेश्वरविहीन पापी हैं। कोई आप को यहां लाया है। लूत के समान ही कोई आप को यहां लाया है। पर आप सोचते हैं कि जो व्यक्ति आप को यहां लाया वह थोड़़ा विचित्र है ऐसा ही तो लूत की पत्नी ने भी लूत के लिये सोचा था। उसके दामाद के समान लूत मानो ''एक बड़ा मजाक कर रहा'' था (उत्पत्ति १९:१४)। मैं कहता हूं न्याय का दिन समीप है मैं आप से कह रहा हूं कि यह शहर अंत समय के भयानक भूकंप में तबाह हो जायेगा (प्रकाशितवाक्य १६:१८) । मैं आप से कहता हूं कि आप की आत्मा नर्क में दुख पायेगी – जहां आप सदा, सदा, सदा के लिये कष्ट उठायेंगे! आप को ऐसा लगता होगा जैसे मैं ''मखौल उडा'' रहा हूं।
''लूत की पत्नी को स्मरण रखिये!''
वह लगभग बचा ली गयी थी! वह सदोम से लगभग बाहर ही थी। वह सुरक्षित स्थान पर थी। पर तौभी वह नाश हो गयी। वह लगभग बचा ली गयी थी − पर पूरी रीति से नहीं! मैं आप के सामने यह शब्द दोहरा रहा हूं कि − ''वह लगभग बचा ली गयी थी − पर पूरी रीति से नहीं!'' वह बुरे प्रकार के पापों से छूट गयी थी − पर मसीह के द्वारा उसका छुटकारा नहीं हुआ था! आप संसारीपन से पूर्ण रूप से नहीं छूटे हैं! दुष्टता आप की आत्मा से समाप्त नहीं हुई है! यीशु पर विश्वास लाने से पहले थोडा रूक जाइये! जैसे फैलिक्स ने पौलुस से कहा था,
''कि अभी तो जा: अवसर पाकर मैं तुझे फिर बुलाऊंगा'' (प्रेरितों २४:२५ केजेवी एनआयवी)
पर इसके बाद कोई उचित अवसर नहीं आया। फैलिक्स ने सोचा कि आप किसी भी समय बचा लिये जा सकते हैं − इसमें कोई हर्ज नहीं है! उसने परमेश्वर के आत्मा को शोक पहुंचाया − और भले ही वह एक भद्र पुरूष था तौभी जब तक वह जीवित रहा नर्क में रहने के समान माना गया।
''लूत की पत्नी को स्मरण रखिये!''
''लगभग बचा लिये'' गये थे विश्वास करके;
''लगभग बचा लिये'' गये थे मसीह को पाने के लिये;
पर किसी आत्मा को कहते पाये गये, ''जा, किसी ओर दिन आना,
किसी उचित अवसर पर मैं तुझसे मुलाकात करूंगा''
''लगभग बचा लिये'' गये थे लेकिन कटनी बीत गयी!
''लगभग बचा लिये'' गये थे न्याय आ पहुंचा!
''लगभग'' अब फल न देगा ''लगभग'' मतलब असफल है!
दुख, दुख, पर कडवा शोक है ''लगभग'' − मतलब भटका है।
(''लगभग बचा लिये गये'' फिलिप पी ब्लिस, १८३८−१८७६)
जिस जवान ने यह गीत लिखा उसने मसीह यीशु पर बारह वर्ष की आयु में विश्वास किया था। यह अच्छा ही हुआ − क्योंकि वह अभी कुछ साल पहले तीस साल की अल्पायु में ही चल बसा।
क्या आप कभी यीशु के पास आये हैं? क्या आपने कभी यीशु के उपर विश्वास रखा है? क्या आप उस पापमयी शहर को छोडकर परमेश्वर के लोगो की संगति में आये हैं? आप किसी गांव या खेत वाले स्थान पर नहीं रहते हैं, आप मेरा आशय समझ रहे होंगे! आप लॉस ऐंजीलिस में रहते हैं – जो पश्चिमी जगत का सदोम कहलाता है। क्या आप लॉस ऐंजीलिस के नागरिकों को पीछे छोडकर यीशु के पास आयेंगे? वह आप के लिये क्रूस पर मरे। उनका पवित्र रक्त आप को सारे पापों से शुद्व कर सकता है। जब आप मरेंगे तब आपको स्वर्गिक महिमा में एक निवास प्राप्त होगा। लेकिन आप को लॉस ऐंजीलिस के नागरिकों को पीछे छोडकर आना होगा − स्कूल में लिपे पुते चेहरे वाली उन लडकियां को जो कसे हुये पेंट पहने हुये होती हैं − उन जवान लडको को जो धूम्रपान करते और पोर्नोग्राफी देखते हैं, पीछे छोडकर आना होगा! वे सदोम शहर के परमेश्वर के त्यागे हुये नागरिक हैं! उनके साथ नरक में मत जाइये!
सदोम शहर से बाहर आ जाइये! उनके बीच में से बाहर आ जाइये! अंधकार के इस शहर से बाहर आ जाइये! मसीह के उज्जवल प्रकाश में आ जाइये!
''लूत की पत्नी को स्मरण रखिये!''
आमीन।
अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स आप से सुनना चाहेंगे। जब आप डॉ हिमर्स को पत्र लिखें तो आप को यह बताना आवश्यक होगा कि आप किस देश से हैं अन्यथा वह आप की ई मेल का उत्तर नहीं दे पायेंगे। अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स को इस पते पर ई मेल भेजिये उन्हे आप किस देश से हैं लिखना न भूलें।। डॉ हिमर्स को इस पते पर rlhymersjr@sbcglobal.net (यहां क्लिक कीजिये) ई मेल भेज सकते हैं। आप डॉ हिमर्स को किसी भी भाषा में ई मेल भेज सकते हैं पर अंगेजी भाषा में भेजना उत्तम होगा। अगर डॉ हिमर्स को डाक द्वारा पत्र भेजना चाहते हैं तो उनका पता इस प्रकार है पी ओ बाक्स १५३०८‚ लॉस ऐंजील्स‚ केलीफोर्निया ९००१५। आप उन्हें इस नंबर पर टेलीफोन भी कर सकते हैं (८१८) ३५२ − ०४५२।
(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व ऐबेल प्रुद्योमे द्वारा धर्मशास्त्र पढ़ा गया: लूका १७:२४−३३
संदेश के पूर्व बैंजमिन किंकेड ग्रिफिथ ने एकल गान गाया गया: ''क्या आप ने कीमत आंकी हैं?'' (ए जे होज, १९२३)
रूपरेखा लूत की पत्नी (उत्पत्ति पर संदेश संख्या ८७) डॉ आर एल हिमर्स ''लूत की पत्नी को स्मरण रखो'' (लूका १७:३२) (इब्रानियों ११:१‚२; उत्पत्ति १३:१२‚१३‚१८; १. पहला, स्मरण रखिये कि वह लूत की पत्नी है, २ पतरस २:८;
२. दूसरा, स्मरण रखिये उसने संसार से प्रेम रखा था, यिजकेल १६:४९‚५०;
३. तीसरा, स्मरण रखिये वह लगभग बचायी गयी थी, उत्पत्ति १९:१७‚१४;
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