Print Sermon

इस वेबसाईट का उद्देश्य संपूर्ण विश्व भर के पास्टर्स व प्रचारकों को, विशेषकर तीसरी दुनिया के पास्टर्स व प्रचारकों को नि:शुल्क हस्तलिखित संदेश और संदेश के विडियोज उपलब्ध करवाना है, जहां बहुत कम धर्मविज्ञान कॉलेज और बाइबल स्कूल्स हैं।

इन संदेशों की पांडुलिपियां प्रति माह २२१ देशों के १,५००,००० कंम्प्यूटर्स पर इस वेबसाइट पते पर www.sermonsfortheworld.com जाती हैं। सैकड़ों लोग इन्हें यू टयूब विडियो पर देखते हैं। किंतु वे जल्द ही यू टयूब छोड़ देते हैं क्योंकि विडियों संदेश हमारी वेबसाईट पर पहुंचाता है। यू टयूब लोगों को हमारी वेबसाईट पर पहुंचाता है। प्रति माह ये संदेश ४२ भाषाओं में अनुवादित होकर १२०,००० प्रति माह हजारों लोगों के कंप्यूटर्स पर पहुंचते हैं। उपलब्ध रहते हैं। पांडुलिपि संदेशों का कॉपीराईट नहीं है। आप उन्हें बिना अनुमति के भी उपयोग में ला सकते हैं। आप यहां क्लिक करके अपना मासिक दान हमें दे सकते हैं ताकि संपूर्ण विश्व में सुसमाचार प्रचार के इस महान कार्य में सहायता मिल सके।

जब कभी आप डॉ हायमर्स को लिखें तो अवश्य बतायें कि आप किस देश में रहते हैं। अन्यथा वह आप को उत्तर नहीं दे पायेंगे। डॉ हायमर्स का ईमेल है rlhymersjr@sbcglobal.net. .




अंत के चिंन्ह − ताजे और प्रसारित

SIGNS OF THE END – UPDATED AND EXPANDED
(Hindi)

डॉ आर एल हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की सुबह, ३ जनवरी, २०१६ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल
में किया गया प्रचार किया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord's Day Morning, January 3, 2016

''जब यीशु मन्दिर से निकलकर जा रहा था, तो उसके चेले उस को मन्दिर की रचना दिखाने के लिये उस के पास आए। उस ने उन से कहा, क्या तुम यह सब नहीं देखते? मैं तुम से सच कहता हूं, यहां पत्थर पर पत्थर भी न छूटेगा, जो ढाया न जाएगा। और जब वह जैतून पहाड़ पर बैठा था, तो चेलों ने अलग उसके पास आकर कहा, हम से कह कि ये बातें कब होंगी और तेरे आने का और जगत के अन्त का क्या चिन्ह होगा?'' (मत्ती २४:१−३)


कृपया इस स्थान पर अपनी बाइबल को खुली रखिये। यह गद्यांश ''जैतून संवाद'' कहलाता है। जैतून पर्वत पर बैठ कर यह मसीह ने यह संदेश दिया था। मसीह ने चेलों से कहा था कि यरूशलेम का मंदिर नष्ट हो जायेगा। उनका प्रश्न था, ''ये बातें कब होंगी?'' मत्ती २४ में इसका उत्तर तो दर्ज नहीं है। पर मसीह ने इस प्रश्न का उत्तर दिया जो लूका में दर्ज है,

''वे तलवार के कौर हो जाएंगे, और सब देशों के लोगों में बन्धुए होकर पहुंचाए जाएंगे, और जब तक अन्य जातियों का समय पूरा न हो, तब तक यरूशलेम अन्य जातियों से रौंदा जाएगा।'' (लूका २१−२४)

''वे तलवार के कौर हो जाएंगे।'' यह रोमन सेनापति द्वारा यरूशलेम के बंधुआई में जाने और नष्ट किया जाने के बारे में भविष्यवाणी थी − मसीह ने जब इसे कहा था उसके ४० साल पश्चात यह घटित हुई। ''और (वे) सब देशों के लोगों में बन्धुए होकर पहुंचाए जाएंगे।'' डॉ हैनरी एम मौरिस ने कहा, ''यह विशेष भविष्यवाणी विशेषकर ठीक एक शताब्दी पश्चात की गई थी जबकि यह रूप से १३५ ए डी में अंतिम रूप से पूरी हुई'' − जब यरूशलेम हैदियन सेनाओं के आक्रमण के कारण पूरा उजाड़ छोड़ा गया और यहूदी संसार के सब देशों में बिखर गये (हैनरी एम मौरिस, पी एच डी, दि डिफेंडर्स स्टडी बाइबल, वर्ल्ड पब्लिशर्स,१९९५, पेज ११२२; लूका २१:२०‚२४ पर व्याख्या) ।

तब मसीह ने उनके द्वारा पूछे गये प्रथम प्रश्न का उत्तर दिया, ''ये बातें कब होंगी?'' मंदिर ७० ए डी में नष्ट होगा। यहूदी सारे संसार के देशों में १३५ ए डी में बिखर जायेंगे।

और तब उन्होंने दूसरा प्रश्न पूछा, ''तेरे आने का और जगत के अन्त का क्या चिन्ह होगा?'' ''संसार'' के लिये यूनानी शब्द ''आयोन'' प्रयुक्त किया गया है। इसका अर्थ है ''युग'' − ''युग'' जिसमें हम रहते हैं, वह मसीही युग, जो वर्तमान व्यवस्था है। मैं बिल्कुल सहमत हूं कि हम अंतकाल के समीप के दिनों में रह रहे हैं। हम अंत के दिनों में रह रहे हैं − जैसा कि हम जानते हैं संसार का अंत निकट है।

अंत के चिंन्हों को लेकर लोग तीन मुख्य गलतियां करते हैं। पहली गलती है कि वे तारिख निर्धारित कर देते हैं। जब कभी भी आप सुनो कि किसी ने कोई तारिख निर्धारित कर दी है तो आप आश्वस्त हो सकते हैं कि वे गलत हैं। मसीह ने कहा था,

''उस दिन या उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत और न पुत्र; परन्तु केवल पिता। देखो जागते और प्रार्थना करते रहो; क्योंकि तुम नहीं जानते कि वह समय कब आएगा'' (मरकुस १३:३२‚३३)

दूसरी गलती है कि सारे चिंन्हों को भूतकाल में घट जाने पर जोर देना। उन्हें ''ऐतिहासिक बताना'' जो पहले ही घट चुकी हैं। कई आधुनिक कैल्वेनिस्ट यही करते हैं। आप को केवल यह करना है कि आप मत्ती २४:१४ को देखें। जिस क्षण आप यह पढेंगे तो आप जान जायेंगे कि वे गलत हैं। अगर ये सारे चिंन्ह बहुत समय पहले, मसीही इतिहास के प्रारंभ में घट चुके होते तो पद १४ सत्य नहीं होता!

''और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा'' (मत्ती २४:१४)

शिष्यों ने संपूर्ण रोमन साम्राज्य में सुसमाचार प्रचार फैलाया। सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, जैसा कि लिखा है कि ''सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो'' − उन्होंने निसंदेह ही सुसमाचार प्रचार उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, समुद्र के द्वीप समूह और अन्य बहुत सारी जगह नहीं किया। निसंदेह ही उनके द्वारा सुसमाचार प्रचार संपूर्ण संसार में नहीं हो पाया कि यह वचन पूर्ण हो ''सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो।'' यह केवल हमारे समय में ही पूर्ण हो रहा है। ''और तब अंत आ जायेगा।'' सुसमाचार प्रचार अब समूचे विश्व में हो रहा है − यह इतिहास में पहली बार है। उदाहरण के लिये, संसार के दूर दूर के क्षेत्रों के लोग मेरे संदेश को इंटरनेट पर ३३ भाषाओं में पढ़ते हैं। रेडियो, टीवी सैटेलाईट, शार्ट वेब, हजारों मिशनरीज के द्वारा यह भविष्यवाणी केवल अब पूर्ण हो रही है। ''और तब अंत आ जायेगा।'' इसलिये इनको इतिहास कहने वाले गलत हैं!

तीसरी गलती है कि सारे चिंन्हों सात वर्ष के सताव के रूप में भविष्य की तरफ मोड़ देना। कई आधुनिक व्यवस्थावादी ऐसा ही करते हैं। पर ऐसा करने में वे सबसे महत्वपूर्ण चिंन्ह को सात साल के सताव की अवधि में गिनकर उसकी उपेक्षा कर देते हैं। मसीह ने नूह के दिनों को एक चिंन्ह के समान ठहराया था। उन्होंने कहा था, ''जैसे नूह (नोहा) के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा'' (मत्ती २४:३७)। आप को यह जानने के लिये बहुत बड़े धर्मविज्ञानी होने की आवश्यकता नहीं कि ''नूह के दिन'' सात सालों से भी लंबी अवधि के थे! नूह के दिन १२० साल लंबे थे (उत्पत्ति ६:३) । न्याय के पहले हनोक की चेतावनी भी पहले दी जा चुकी है (यहूदा १४‚१५) । मैं इस बात से सहमत हूं कि अठारहवीं सदी के (१७३०−१७९०) ज्ञानोदय के साथ ही संसार अंत के दिनों की ओर बढ़ने लगा था। अंत समय की पहचान जैसे स्वधर्म का त्याग इत्यादि बातें बढ़ने लगी, बाइबल की आलोचना बढ़ने लगी, फिनेइज्म और डारविनवाद बढ़ने लगा। अंत काल के चिंन्ह प्रथम विश्व युद्व के बाद से और अधिक स्पष्ट दिखाई देने लगे।

इसलिये संसार का अंत हमें एकदम ''अचानक से नजर'' नहीं आ जायेगा! शैतान धीमी आंच में अपनी खिचड़ी लंबे समय से पका रहा है। अब जाकर वह पात्र तैयार हो रहा है स्वधर्म बिल्कुल ही मानो विलुप्त हो गया है और अंत समय के संसार की व्यवस्था दिखाई पड़ने लगी है। जैसे लेनार्ड रैवनहिल कहते हैं, ''ये अंतकाल के दिन हैं!''

शिष्यों ने उनके आगमन का एक चिंन्ह मांगा था ''जो (युग) के अंत में दिखाई देगा,'' पर मसीह ने उन्हें अनेक चिंन्ह दे दिये। मैं कुछ चिंन्हों को श्रेणीवार सूचीबद् करने जा रहा हूं, जो मसीह और उनके शिष्यों ने दिये थे।

१. पहला, चर्चेस में चिंन्ह प्रगट होंगे।

यीशु ने यह पहला चिंन्ह मत्ती २४:४−५ में दिया था,

''यीशु ने उन को उत्तर दिया, सावधान रहो! कोई तुम्हें न भरमाने पाए। क्योंकि बहुत से ऐसे होंगे जो मेरे नाम से आकर कहेंगे, कि मैं मसीह हूं और बहुतों को भरमाएंगे'' (मत्ती २४:४−५)

यह प्राथमिक तौर पर उन दुष्टों की ओर संकेत करता है जो स्वयं को मसीह के रूप में चित्रित करते हैं। शिष्य पौलुस ने चेतावनी दी थी, किसी दूसरे यीशु को प्रचार करे, जिस का प्रचार हम ने नहीं किया (२ कुरूंथियों ११:४) । शिष्य पौलुस ने यह भी कहा था,

''परन्तु आत्मा स्पष्टता से कहता है, कि आने वाले समयों में कितने लोग भरमाने वाली आत्माओं, और दुष्टात्माओं की शिक्षाओं पर मन लगाकर विश्वास से बहक जाएंगे'' (१ तीमुथियुस ४:१)।

आजकल अनेक चर्चेस में रहस्यवाद वाली ''ख्रीस्तीय आत्मा'' का प्रचार किया जाता है। रहस्यवादी मसीह एक आत्मा है, जो धर्मशास्त्र के देह और हाड़ मांस वाले मसीह से अलग हैं। बाइबल इस विषय में कहती है, ''और जो कोई आत्मा यीशु को नहीं मानती, वह परमेश्वर की ओर से नहीं'' (१ यूहन्ना ४:३)। सारे आधुनिक अनुवादों में से केवल केजेवी का अनुवाद इस पद का सटीक अनुवाद है। यूनानी शब्द ''एलेलूथोटा'' है। यह पूर्णकाल का शब्द है जो वर्तमान में मसीह की दशा का वर्णन करता है (इन्हें भी देखें जैमीसन फासैट और ब्राउन) । जैसे केजेवी सही अनुवाद करता है, मसीह ''देह धारी हुयें।'' वह देह धारित करके आये थे और अब अपनी देह में ही अर्थात पुनर्जीवित देह में पाये जाते हैं। मरकर जीवित होने के पश्चात यीशु ने कहा था, ''आत्मा के हड्डी मांस नहीं होता जैसा मुझ में देखते हो'' (लूका २४: ३९) । वर्तमान में भी वह अब अपने पुनर्जीवित शरीर में ही − स्वर्ग में विद्यमान हैं। बाइबल कहती है, ''यीशु मसीह कल आज और युगानुयुग एकसा है।'' (इब्रानियों १३:८) । इसलिये आज का आत्मा रूपी ख्रीस्त वास्तव में एक शैतान का रूप है ''पथभ्रष्ट करने वाली आत्मा'' है (१ तीमुथियुस ४:१) ! यहां तक कि हमारे बैपटिस्ट चर्च में भी कई लोग मसीह को एक आत्मा समझते हैं। तो, इस तरह वे एक शैतान में विश्वास करते हैं बजाय वास्तविक मसीह में विश्वास करने के! डॉ माइकल होर्टन ने अपनी महान पुस्तक में इस रहस्यवादी आत्मा रूपी ख्रीस्त के बारे में लिखा था क्राईस्टलैस क्रिस्चीऐनिटी (बेकर बुक्स, २००८) इसे मंगवाइये और पढि़ये!

फिर से, मसीह ने कहा,

''क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे और बड़े चिन्ह और अद्भुत काम दिखाएंगे, कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें'' (मत्ती २४:२४) ।

शिष्य पौलुस ने चेतावनी दी थी,

''क्योंकि ऐसा समय आएगा, कि लोग खरा उपदेश न सह सकेंगे पर कानों की खुजली के कारण अपनी अभिलाषाओं के अनुसार अपने लिये बहुतेरे उपदेशक बटोर लेंगे। और अपने कान सत्य से फेरकर कथा कहानियों पर लगाएंगे।'' (२ तीमुथियुस ४:३−४)

मैं सहमत हूं कि हम उन स्वधर्म त्याग के प्रारंभिक भाग में रह रहे हैं जिसे शिष्य पौलुस ने २ थिस्सलुनीकियों २:३ में ''धर्म के त्याग वाले दिन'' ठहराये हैं।

तब, मसीह ने कहा भी था,

''और अधर्म के बढ़ने से बहुतों का प्रेम ठण्डा (उष्मारहित) हो जाएगा'' (मत्ती २४:१२)

मसीह ने पहले ही कह दिया था कि चर्चेस में इतनी अराजकता व्याप्त हो जायेगी कि चर्च सदस्यों का आपस का ''मसीही प्रेम'' ठंडा हो जायेगा। अनेक चर्चेस अब रविवार की रात को बंद हो चुके हैं क्योंकि वास्तविक सहभागिता और मसीही प्रेम अब अतीत की बातें हो चुकी हैं। जैसे पूर्व के चर्चेस में लोग एकत्रित होकर संगति पसंद करते थे वैसा अब के मसीही सदस्यों को यह अच्छा नहीं लगता (इन्हें भी देखें प्रेरितों २:४६−४७)। साथ ही यीशु ने यह भी कहा था, कि अंत के दिनों में सतत प्रार्थना कम हो जायेगी (इन्हें भी देखें लूका १८:१−८) । तो अब इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं कि आजकल प्रार्थना सभायें कितनी कम हो गयी हैं। बुधवार रात की जो आराधना होती थी (अब तो शायद ही कहीं होती हो!) वह प्रार्थना सभा में परिवर्तित होकर अब बाइबल अध्ययन तक सीमित हो गयी है, जिसमें एक या दो बार ही नित्य प्रार्थना हो पाती है। निश्चित ही यह अंत का एक चिंन्ह है! ''तौभी मनुष्य का पुत्र जब आएगा, तो क्या वह पृथ्वी पर (सतत प्रार्थना रत विश्वास) पाएगा?'' (लूका १८:८) परंतु, स्मरण रखिये, यीशु ने कहा था,

''जब ये बातें होने लगें, तो सीधे होकर अपने सिर ऊपर उठाना; क्योंकि तुम्हारा छुटकारा निकट होगा'' (लूका २१:२८)

गीत संख्या ३ गाइये, उसका दूसरा पद गाइये!

रात गहरी, और पाप का संघर्ष जारी था;
   दुख का भारी बोझ हम उठाते थे;
पर अब देखते हैं उसके आने के चिंन्ह को;
   हमारे हृदय की आभा आनंद झलकाती है!
कि वह फिर आ रहा है, वह फिर आ रहा है,
   वही यीशु, जिसे लोगों ने ठुकरा दिया था;
वह फिर आ रहा है, हां वह फिर आ रहा है,
   सामर्थ और बहुत महिमा के साथ, वह फिर आ रहा है!
(''वह फिर आ रहा है'' मैबल जानस्टन कैंप, १८७१−१९३७)

२. दूसरा सताव के चिंन्ह होंगे।

यीशु ने कहा,

''तब वे क्लेश दिलाने के लिये तुम्हें पकड़वाएंगे, और तुम्हें मार डालेंगे और मेरे नाम के कारण सब जातियों के लोग तुम से बैर रखेंगे। तब बहुतेरे ठोकर खाएंगे, और एक दूसरे से बैर रखेंगे'' (मत्ती २४:९−१०)

फिर से यीशु ने कहा,

''और मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे; पर जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा'' (मरकुस १३:१३)

वर्तमान में संसार के अनेक भागों में खतरनाक सताव जारी है। इस विषय में पढ़ने के लिये यहां http://www.persecution.com क्लिक कीजिये। पश्चिमी संसार में भी अब सच्चे मसीहियों के उपर दवाब बढ़ रहा है। चर्च विभाजन में लिप्त लोग विश्वासी पास्टर के उपर प्रहार करते हैं। माता पिता अपने मसीही बन जाने वाले बच्चों को सताते हैं। यह देखकर तो और धक्का पहुंचता है कि अपने गंभीर विश्वासी बूढ़े माता पिता के साथ उनके बच्चे कैसा व्यवहार करते हैं! ऐसे माता पिता घर में बंद कर दिये जाते हैं, बिल्कुल अकेले छोड़ दिये जाते हैं, और कभी भी उनकी गैर विश्वासी संतान उनसे मिलने नहीं आती। कई पास्टर मुझसे कहते हैं कि वे ऐसा सोचते हैं कि अमेरिका में मसीही लोग जल्द ही अधिक सताव का सामना करेंगें। परंतु स्मरण रखिये कि यीशु ने क्या कहा है,

''धन्य हो तुम, जब मनुष्य के पुत्र के कारण लोग तुम से बैर करेंगे, और तुम्हें निकाल देंगे, और तुम्हारी निन्दा करेंगे, और तुम्हारा नाम बुरा जानकर काट देंगे। उस दिन आनन्दित होकर उछलना, क्योंकि देखो, तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा प्रतिफल है: उन के बापदादे भविष्यद्वक्ताओं के साथ भी वैसा ही किया करते थे'' (लूका ६:२२−२३)

अगर आप को ऐसा लगता है कि मैं कुछ बढ़चढ़ कर बोल रहा हूं, तो आप फॉक्स न्यूज को देखिये, उन्होंने फ्रेंकलीन ग्राहम के बारे में कुछ दिन पहले बताया था। फ्रेंकलीन ग्राहम विश्व प्रसिद् सुसमाचार प्रचारक बिली ग्राहम के सुपुत्र हैं। फॉक्स न्यूज में बताया गया था,

इवेंजलिस्ट फ्रेंकलीन ग्राहम का प्रहार, जीओपी का बहिष्कार
फॉक्स न्यूज २२ दिसंबर, २०१५
http://www.foxnews.com/politics/2015/12/22/evangelist-franklin-graham-slams-quits-gop.html?intcmp=hppop

इवेंजलिस्ट फ्रेंकलीन ग्राहम ने आज मंगलवार को घोषणा की कि वह जीओपी के खर्च वाले मुददे पर पास बिल के कारण रिपब्लिकन पार्टी छोड़ रहे हैं उन्होंने इसे ''व्यर्थ'' बताया व नाजी केंद्रत कैंप में सुनियोजित अभिभावकता के लिये धन जुटाने की निन्दा की।

ग्राहम ने कहा,

''यह रिपब्लिकन और डेमोक्रेटस दोनों पार्टीज के लिये शर्मनाक बात है कि उन्होंने ऐसे व्यर्थ व्यय का बिल पिछले सप्ताह पास किया,'' उन्होंने कहा ''और इससे भी बढ़कर, सुनियोजित अभिभावकता के लिये पैसा देना!''

ग्राहम, ने पूर्व में दोनों राजनीतिक पार्टीयों के उपर प्रहार किया व अपनी हताशा को फेसबुक पर व्यक्त किया।

''सुनियोजित अभिभावकता की बात देखने में आ रही है और बहुत जोर शोर से सुनने में आ रहा है कि वित्तीय लाभ के लिये भूण के अंगों को बेचा जा रहा है जबकि यह मानवीय जीवन का सरासर तिरस्कार है और नाजी केंदित कैंप में (डॉ) जोसेफ मेंगेले की याद दिलाता है!'' उन्होंने लिखा, ''पैसों के लिये वे भूण के अंगों का व्यापार करने पर उतर आये। पर $१.१ ट्रिलियन बजट और २००० पेज की रिपोर्ट को ठीक करने के लिये कुछ भी नहीं किया गया।''

ग्राहम, जो पहले जीओपी के समर्थक थे, ने व्हाइट हाउस के लिये उम्मीदवारी जताने वाले डोनाल्ड ट्रम्प के प्रति आशा व्यक्त की और उनके विवादास्पद बयान को स्वीकार किया कि मुस्लिमों को यू एस में प्रवेश नहीं करने देंगे, उनका कथन था कि राजनीतिक तंत्र से उनका विश्वास खत्म हो चुका है।

उन्होने लिखा, ''मुझे रिपब्लिकन पार्टी, डेमोक्रेट पार्टी और किसी भी टी पार्टी के लिये कोई आशा नहीं है कि वे अमेरिका के हित के लिये कुछ करेंगें।''

अदभुत! एक प्रमुख इवेंजलिस्ट ने यह वक्तव्य दिया! फिर से गीत गायें − गीत संख्या ३ − दूसरा पद!

रात गहरी, और पाप का संघर्ष जारी था;
   दुख का भारी बोझ हम उठाते थे;
पर अब देखते हैं उसके आने के चिंन्ह को;
   हमारे हृदय की आभा आनंद झलकाती है!
कि वह फिर आ रहा है, वह फिर आ रहा है,
   वही यीशु, जिसे लोगों ने ठुकरा दिया था;
वह फिर आ रहा है, हां वह फिर आ रहा है,
   सामर्थ और बहुत महिमा के साथ, वह फिर आ रहा है!

३. तीसरा, विश्व व्यापी सुसमाचार प्रचार के चिंन्ह दिखाई देंगे।

कितनी अदभुत बात है, कि इन भयानक चिन्हों के मध्य भी यह प्रेरणा देने वाला चिंन्ह अचानक उभर कर सामने आता है,

''तब वे क्लेश दिलाने के लिये तुम्हें पकड़वाएंगे, और तुम्हें मार डालेंगे और मेरे नाम के कारण सब जातियों के लोग तुम से बैर रखेंगे। तब बहुतेरे ठोकर खाएंगे, और एक दूसरे से बैर रखेंगे। और बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बहुतों को भरमाएंगे। और अधर्म के बढ़ने से बहुतों का प्रेम ठण्डा हो जाएगा। परन्तु जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा। और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा कि सब जातियों पर गवाही हो तब अन्त आ जाएगा'' (मत्ती २४:९−१४)

''परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार'' साधारण रूप में मरकुस १३:१० में वर्णित ''सुसमाचार'' है जो कहता है ''पर अवश्य है कि पहिले सुसमाचार सब जातियों में प्रकाशित (प्रचार) किया जाए'' इस स्वधर्म त्याग और क्लेश के मध्य अचानक मसीह का कथन प्रगट होता है सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जायेगा ''तब अंत आ जायेगा'' (मत्ती २४:१४)

कितनी अदभुत भविष्यवाणी है! कुछ ही जगह संसार में बची है जहां आज सुसमाचार नहीं सुना जा सकता है। आज सुबह भी इंटरनेट, रेडियो, सैटेलाईट, टीवी और हजारों हजार मिशनरियों के द्वारा विश्वव्यापी स्तर पर सुसमाचार सुना जा रहा है। मत्ती २४:११−१४ हमारी पीढ़ी में पूर्ण हो रहा है! यद्यपि कितने अचरज की बात है कि, पश्चिमी जगत में जहां संध्याकालीन आराधनायें और प्रार्थना सभायें बंद हो रही हैं, तीसरी दुनिया में सुसमाचार विस्फोट हो रहा है − जैसे चीन, साउथ ईस्ट एशिया, अफ्रीका के कई देश, हमंग लोग और भारत के अछूत वर्ग इत्यादि! स्वधर्मत्याग और आत्मिक जाग्रति − दोनों साथ साथ चल रहे हैं – बिल्कुल जैसा यीशु ने कहा था! कैसा अजीब विरोधाभास है! पर वैसा ही घटित हो रहा है बिल्कुल जैसा मसीह ने बताया था!

''और बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बहुतों को भरमाएंगे। और अधर्म के बढ़ने से बहुतों का प्रेम ठण्डा हो जाएगा। परन्तु जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा। और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा'' (मत्ती २४:११−१४)

हालेलुयाह! यीशु आ रहे हैं! इसे फिर से गाइये!

रात गहरी, और पाप का संघर्ष जारी था;
   दुख का भारी बोझ हम उठाते थे;
पर अब देखते हैं उसके आने के चिंन्ह को;
   हमारे हृदय की आभा आनंद झलकाती है!
वह फिर आ रहा है, वह फिर आ रहा है,
   वही यीशु, जिसे लोगों ने ठुकरा दिया था;
वह फिर आ रहा है, हां वह फिर आ रहा है,
   सामर्थ और बहुत महिमा के साथ, वह फिर आ रहा है!

क्या आप मसीह को जानते हैं? क्या जब वह आयेंगे आप तैयार होंगे? क्या आप का मन परिवर्तित हो चुका है? अगर आप भटके हुये हैं तो ''पुर्नसमर्पण'' से काम नहीं चलेगा। कुछ कहते हैं कि वे उडाउ पुत्र के समान मसीह के पास वापस लौट कर आ रहे हैं। पर बाइबल यह कभी नहीं कहती कि उडाउ पुत्र का उद्वार हो चुका था, वह फिर पतित हो गया, और पुन: अपने जीवन को समर्पित करता है। नहीं! बाइबल सीधी तौर पर कहती है कि वह भटका हुआ था! स्वयं उसके पिता कहते हैं कि वह भटका हुआ था!

''क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, फिर जी गया है खो गया था, अब मिल गया है और वे आनन्द करने लगे'' (लूका १५:२४)

आप को मसीह के पास आना चाहिये इस बोध के साथ कि आप भटके हुये हैं! अगर आप को ऐसा बोध नहीं है कि आप पाप के कारण भटके हुये व्यक्ति हैं तो आप यीशु के पास नहीं आ सकते हैं, एकमात्र यीशु पर ही विश्वास नहीं ला सकते हैं, आपका सच्चा मन परिवर्तन नहीं होगा, आप मसीह के रक्त से शुद्व नहीं किये जायेंगे और मसीह के पुनरूत्थान द्वारा नये नहीं बनाये जायेंगे। आप को स्वयं के लिये यह सच जानना आवश्यक है कि आप भटके हुये मनुष्य है तभी आप बचाये जायेंगे!

सचमुच परमेश्वर, हम प्रार्थना करते है कि कितनी भटकी हुई आत्मायें, जो इस संदेश को सुन और देख रही है उनको अपने पाप का बोध हो और वे आप के पुत्र यीशु मसीह पर विश्वास लायें। आमीन। महान इवेंजलिस्ट जार्ज व्हाइटफील्ड (१७१४−१७७०) का संदेश अनुग्रह का तरीका पढ़ने के लिये यहां क्लिक कीजिये।


अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स आप से सुनना चाहेंगे। जब आप डॉ हिमर्स को पत्र लिखें तो आप को यह बताना आवश्यक होगा कि आप किस देश से हैं अन्यथा वह आप की ई मेल का उत्तर नहीं दे पायेंगे। अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स को इस पते पर ई मेल भेजिये उन्हे आप किस देश से हैं लिखना न भूलें।। डॉ हिमर्स को इस पते पर rlhymersjr@sbcglobal.net (यहां क्लिक कीजिये) ई मेल भेज सकते हैं। आप डॉ हिमर्स को किसी भी भाषा में ई मेल भेज सकते हैं पर अंगेजी भाषा में भेजना उत्तम होगा। अगर डॉ हिमर्स को डाक द्वारा पत्र भेजना चाहते हैं तो उनका पता इस प्रकार है पी ओ बाक्स १५३०८‚ लॉस ऐंजील्स‚ केलीफोर्निया ९००१५। आप उन्हें इस नंबर पर टेलीफोन भी कर सकते हैं (८१८) ३५२ − ०४५२।

(संदेश का अंत)
आप डॉ.हिमर्स के संदेश इंटरनेट पर प्रति सप्ताह पढ सकते हैं
www.sermonsfortheworld.com पर
''पांडुलिपि संदेशों'' पर क्लिक कीजिये।

आप डॉ0हिमर्स को अंग्रेजी में ई-मेल भी भेज सकते हैं - rlhymersjr@sbcglobal.net
अथवा आप उन्हें इस पते पर पत्र डाल सकते हैं पी. ओ.बॉक्स 15308,लॉस ऐंजेल्स,केलीफोर्निया 90015
या उन्हें दूरभाष कर सकते हैं (818)352-0452

पांडुलिपि संदेशों का कॉपीराईट नहीं है। आप उन्हें बिना डॉ. हिमर्स की अनुमति के भी उपयोग में ला सकते हैं। यद्यपि डॉ. हिमर्स के सारे विडियो संदेश का कॉपीराईट है और उन्हें अनुमति से उपयोग में ला सकते हैं।

संदेश के पूर्व ऐबेल प्रुद्योमे द्वारा धर्मशास्त्र पढ़ा गया: मरकुस १३:१−१३
संदेश के पूर्व बैंजामिन किन्केड गिफिथ ने एकल गान गाया गया:
''मै चाहता हम सब तैयार होते'' (लैरी नार्मन १९४७−२००८)


रूपरेखा

अंत के चिंन्ह − ताजे और प्रसारित

SIGNS OF THE END – UPDATED AND EXPANDED

डॉ आर एल हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

''जब यीशु मन्दिर से निकलकर जा रहा था, तो उसके चेले उस को मन्दिर की रचना दिखाने के लिये उस के पास आए। उस ने उन से कहा, क्या तुम यह सब नहीं देखते? मैं तुम से सच कहता हूं, यहां पत्थर पर पत्थर भी न छूटेगा, जो ढाया न जाएगा। और जब वह जैतून पहाड़ पर बैठा था, तो चेलों ने अलग उसके पास आकर कहा, हम से कह कि ये बातें कब होंगी और तेरे आने का और जगत के अन्त का क्या चिन्ह होगा?'' (मत्ती २४:१−३)

(लूका २१:२४; मरकुस १३:३२‚३३; मत्ती २४:१४‚३७)

१. पहला, चर्चेस में चिंन्ह प्रगट होंगे, मत्ती २४:४−५; २कुरूं ११:४;
१तीमु ४:१; १यूहन्ना ४:३; लूका २४:३९; इब्रा १३:८; १तीमु ४:१;
मत्ती २४:२४; २तीमु ४:३−४; २थिस्स २:३; मत्ती २४:१२;
प्रेरितों २:४६−४७; लूका १८:१−८; २१:२८

२. दूसरा, सताव के चिंन्ह होंगे, मत्ती २४:९−१०; मरकुस १३:१३;
लूका ६:२२−२३

३. तीसरा, विश्व व्यापी सुसमाचार प्रचार के चिंन्ह दिखाई देंगे,
मत्ती २४:९−१४; मरकुस १३:१०; लूका १५:२४