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वह तुम्हें तुरंत थामेगा!HE WILL HOLD YOU FAST! द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स रविवार की सुबह, २८ जून, २०१५ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल में “और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं, और वे कभी नाश न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा।” (यूहन्ना १०:२८) |
मुझे स्मरण आता है कि एक प्रचारक ने कहा था कि हमें इस वायदे को कभी भी अविश्वासियों को नहीं प्रचार करना वाहिये। क्योंकि भटके हुये लोग जल्दी अतिविश्वासी हो सकते हैं। यह उन्हें पाप की दिशा में ले जा सकता है। इससे उन्हें बैचेनी की दशा में रखा जाना था जिससे और वे कभी निश्चित भी नहीं हो पायेंगे कि वे अंत तक “थामे रह सकते” हैं कि नहीं। थोडे समय के लिये तो मैंने इस पर विश्वास किया। मैं जानता हूं कि अनेक निष्कपट मसीही इस बात को समझते हैं। प्रचारक जो इस पर विश्वास करते हैं वे भी इस पद से अक्सर डरते हैं।
परन्तु हमें उन लोगों की ओर देखना चाहिये जिन्होंने मसीह को इस पद का प्रचार करते हुये सुना था। ३१ वे पद के अनुसार यहूदियों ने उसे पत्थरवाह करने को फिर पत्थर उठाए (यूहन्ना १०:३१)। उन्होने मसीह को ऐसा कहने के लिये पत्थर मारे। मसीह ने यह प्रचार अविश्वासियों के बीच किया था। मुझे भरोसा है कि कुछ गैर मसीही हमारे मध्य भी होंगे। हम बहुत मेहनत करते है और प्रार्थना करते है कि अविश्वासी लोग हमारे मध्य में हो। मैं आपसे वही बात कहूंगा जो मसीह ने अविश्वासियों की भीड से कही थी,
“और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं, और वे कभी नाश न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा।” (यूहन्ना १०:२८)
“मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं,” यह संदर्भ बताता है कि “उन्हें” अर्थात मसीह की भेड को कहा गया है। “मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं, और मैं उन्हें जानता हूं, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं” (यूहन्ना १०:२७)। “मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं” हम लोगो के दिमाग को नहीं पढ सकते यह बताने के लिये कि वे मसीह की भेडे है कि नहीं। पर इस पद के पहले का पद हमें यह समझने में सहायता करता है कि हम यह जान लें कि कौन परमेश्वर के लोग है। “मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं, और मैं उन्हें जानता हूं, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं” सच्चे मसीहियों के ये गुण होते हैं − कि वे मसीह की सुनते हैं, वे उसे जानते हैं वह उन्हें जानता है, और वे आज्ञाकारी होकर उसके पीछे चलते हैं। ये एक वास्तविक मसीह के गुण होते हैं। और इसी के बारे में यीशु कहते हैं,
“और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं, और वे कभी नाश न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा।” (यूहन्ना १०:२७)
“केवल विश्वास, जो प्रेम के द्वारा प्रभाव करता है।” (गलतियों ५:६) मसीह की सच्ची भेड होने का प्रतीक है। उन लोगो के लिये यीशु कहते हैं, “और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं, और वे कभी नाश न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा।” डॉ मार्टिन ल्योड जोंस ने कहा था, “कि जब हम मसीह में होते हैं तो आजमाइश की दशा या अनुग्रह से गिरने की संभावना वाली दशा में नहीं होते है। (अश्यूरेंस (रोमियों ५) दि बैनर आफ ट्रूथ ट्रस्ट १९७१, पेज २३६)।”
कोई यह कह सकता है कि, “मैं तो सुसमाचार के शिकंजे में हूं उसी समय मै यह भी जानता हूं कि मैं नहीं आ पाता हूं? मुझे आना चाहिये पर मैं नहीं आ पाता हूं। मैं क्या करूं?” सीधा सा उत्तर है मसीह को समर्पित हो जाओ। उसको पुकारो। वह आपके सब प्रश्नो के उत्तर देगा। वह सुसमाचार को हथौडे के रूप में प्रयुक्त करके आपको भली भांति समझायेगा और आपकी आत्मा को बचायेगा। आप कहेंगे कि, “मैं यह नहीं समझता” बेशक नहीं समझते। यह एक रहस्य है। इसके लिये यूनानी शब्द “मस्टेरियन” है। इसका अर्थ है जो मनुष्य के दिमाग से नहीं समझा जा सकता। पर तौभी यह बाईबल में सत्य है। प्रेरित पौलुस ने कहा था, “परन्तु हम परमेश्वर का वह गुप्त ज्ञान, भेद की रीति पर बताते हैं, जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिये ठहराया........” (१ कुरूंथियों २:७)।” अपने को यीशु को समर्पित कर दो। आपके सारे प्रश्नो का जवाब उस में ही मिल जायेगा। वह अपने लहू और धार्मिकता से आपको बचा लेगा। और वह आपको अंत तक बचायेगा। वह आपको सब बातों में से ले चलेगा। आप मसीह की भेडो में से एक कहलायेंगे!
“और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं, और वे कभी नाश न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा।” (यूहन्ना १०:२८)
हमारे इस पद के तीन अनुच्छेद में तीन कारण दिखाई देते है जो मसीह की भेड होने में जो सुरक्षा है उसको जतलाते है।
१. पहला यह मसीह की भेंट है!
सबसे पहले तो मसीह यह कहते हैं कि, “मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं।” हममें से हर एक को उपहार के रूप में मिला है। जब हम पैदा हुये थे तब हमें अनंत जीवन प्राप्त नहीं था। हम आदम की संतान के रूप में पैदा हुये थे। हम मरने के लिये पैदा हुये थे। हमने कुछ कार्य करके इसे नहीं कमाया है। हम इसे कुछ भलाई करके नहीं कमा सकते है। हम इसे बाइबल की कुछ आयते याद करके नहीं अर्जित कर सकते है। हम इसे प्रार्थना के शब्द दोहरा के अर्जित नहीं कर सकते है। यह तो एक उपहार एक है। चूंकि यह एक उपहार है इसलिये इसे अर्जित नहीं कर सकते है। जब एक व्यक्ति इसे आत्मा में ग्रहण करता है तो यह एक उपहार होता है। हम इसे प्रतिफल के रूप में ग्रहण नहीं करते। यह तो एक मुफ़्त उपहार होता है।
प्रारंभ से ही परमेश्वर अंत जानता है। जब वह मनुष्य को अनंत जीवन प्रदान करता हे तो वह उसके भीतर पायी जाने वाली असफलताओं और अधूरेपन को जानता है। वह पहले से ही अवगत है कि मनुष्य किस प्रकार नाकाम रहेगा। परमेंश्वर ने ऐसा कभी नहीं किया कि मनुष्य को अनंत जीवन दिया हो और उससे फिर उसकी कुछ असफलता के कारण छीन लिया हो − वह तो पहले से ही अवगत है कि मनुष्य किस प्रकार असफल रहेगा उसके उपरांत भी वह नया जीवन देता है।
यह कैसे संभव है कि आपको नया जीवन दिया गया हो और आप मर जायें? जब यीशु ने कहा कि “अनंत” तो इसका अर्थ है “अनंत”। स्र्पजन ने कहा था कि, “मेरे लिये यह संभव नहीं है कि मैं पाप करूं ताकि नया जीवन खो दूं।” यही “अनंत जीवन” है।
जब मसीह की उस महिला से कुंए पर बातचीत हुई तब उन्होंने कहा,
“परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूंगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा: वरन जो जल मैं उसे दूंगा, वह उस में एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा।” (यूहन्ना ४:१४)
दि रिफर्ममेशन स्टडी बाइबल कहती है, “पुराना नियम जीवित जल को बहता हुआ पानी (कहता) है − जो आलंकारिक रूप से (परमेश्वर) की क्रियाशीलता के संदर्भ में है।” “उछलता हुआ” बहुतायत को दिखाता है; “अनंत जीवन” असीमित है और सदैव विपुलता से बहता है! यह मनुष्य की आत्मा में परमेश्वर का जीवन व्याप्त होना दर्शाता है! यीशु अपनी भेडो को उनके मनों में परमेश्वर का अनंत जीवन देता है − जो सदैव उमडता रहता है − कभी खत्म नहीं होता है − अनवरत बहता रहता है! यह एक उपहार है। यह कमाया नहीं जाता। यह तो परमेश्वर की तरफ से उपहार है। जो वह देता है उसे वापस नहीं लेता है!
कोई कहता है कि, “क्या हो अगर मैं इसे थामे रहूं? क्या हो अगर मैं इसे त्याग दूं?” अरे, मित्र, तुम तो अभी भी एक पुरातनपंथी कैथोलिक की तरह सोच रहे हो! यह तुम्हारे द्वारा कमायी हुई चीज नहीं है! हो भी कैसे सकती है? तुम तो “पापों में मरे हुये हो।” एक मरा हुआ जन कोई चीज कैसे थामे रह सकता है? एक मरा हुआ जन कैसे अपने लिये उद्वार कमा सकता है? परंतु परमेश्वर का धन्यवाद हो, बाइबल यह कहती है,
“जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें (परमेश्वर) ने मसीह के (साथ जिलाया); (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है।)” (इफिसियों २:५)
अनंत जीवन एक मृतक आत्मा को दिया जाता है। अनंत जीवन एक उपहार है जो पुरूष और स्त्री को दिया जाता है! यही सुसमाचार का शुभ संदेश है! परमेश्वर का धन्यवाद हो! “और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं, और वे कभी नाश न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा।” (यूहन्ना १०:२८)
वह मेरी आत्मा को खोने न देगा मेरी आत्मा को तुरंत थामे रखेगा;
इतने बहुमूल्य दामों में खरीदा है वह इसे खोने न देगा।
मेरी आत्मा को थामे रखेगा वह मेरी आत्मा को तुरंत थामे रखेगा;
मेरा बचाने वाला इतना प्रेम रखता है वह मेरी आत्मा को तुरंत थामे रखेगा।
(“वह मेरी आत्मा को तुरंत थामे रखेगा” एडा आर हेबरशॉन १८६१−१९१८)
स्पर्जन ने कहा था, “हम विश्वासी से यह आशा रखते है कि वह अंत तक इसे थामे रहेगा क्योकि जो जीवन परमेश्वर ने हमारे भीतर डाला है वह निरंतर चलना चाहिये, सब परेशानियों पर विजय हासिल करना चाहिये, सिद् होना चाहिये.......उसे अनंत महिमा प्रदान करने वाला होना चाहिये।” (सी एव स्पर्जन, “परसीवरेंस विदआउट पिजम्शंस” एमपीटी नंबर१०५५) इसे लाना ही चाहिये! इसे लाना ही चाहिये! इसे आपको अनंत महिमा लाने वाला होना ही चाहिये! यह एक उपहार है! यह यीशु मसीह की ओर से उपहार है! वह कहते हैं, “मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं” उसके पवित्र नाम की प्रशंसा करो! वह हमें अनंत जीवन देता है! हम उसके लिये कोई दाम नहीं चुकाते। क्योंकि यीशु ने अपने जीवन को क्रूस पर बलिदान देकर यह दाम चुका दिया! यीशु ने मरे हुओं में से जीवित होकर इसे हमारे लिये प्राप्त किया!
हल्लेलुयाह, यह पूर्ण हुआ! पुत्र पर मेरा विश्वास है;
मैं क्रूसित मसीह के लहू द्वारा बचाया गया हूं!
(“हल्लेलुयाह, यह पूर्ण हुआ” फिलिप पी ब्लिस १८३८−१८७६)
“और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं, और वे कभी नाश न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा।” (यूहन्ना १०:२८)
अनंत जीवन मसीह की ओर से दिया गया उपहार है।
२. दूसरा यह मसीह की प्रतिज्ञा है।
“और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं, और वे कभी नाश न होंगी......... ” वह कहते हैं, “मैं इसे देता हूं” कितनी अदभुत प्रतिज्ञा है! “वे कभी नाश न होंगी” मैं प्रसन्न हूं कि प्रभु ने यह प्रतिज्ञा की। कुछ लोगों का कथन है कि वे अपने चाहे अनुसार निर्णय ले सकते है। वे उससे दूर जाने का निर्णय ले सकते हैं। पर यह विचार इस संदर्भ से कितना अलग है − “वे कभी नाश न होंगी” इसमे सब काल जुडे हुये हैं। “वे कभी नाश न होंगी” क्या वे जवान विश्वासी होंगे जिनके पास अल्प ज्ञान है? क्या वे नये परिवर्तित होंगे जिनका विश्वास अभी थोडा ही है? “वे कभी नाश न होंगे।” जब वे बूढे हो जायेंगे जब जीवन की समस्या उनके प्रारंभिक विश्वास को घेर लेगी क्या तब वे सांसारिक हो जायेंगे और विश्वास खो देंगे? “वे कभी नाश न होंगे।” किसी भी काल को “कभी नहीं” शब्द ने समाप्त कर दिया है। क्या हो अगर उनकी बडी परीक्षा आये? “वे कभी नाश न होंगे।” क्या हो अगर उनके भीतर का प्रेम और उत्साह ठंडा हो जाये? “वे कभी नाश न होंगे।” पाप उन्हे पूर्ण रूप से फिर कभी नहीं नियंत्रित नहीं करेगा। “वे कभी नाश न होंगे।”
मैं चौपन सालो से मसीही हूं। ऐसा समय था जब परमेश्वर दूर नजर आते थें। ऐसा समय था जब मैं अपने ही उद्वार पर संदेह करता था। ऐसा समय था कि मैं सोचता था था कि मेरा पैर फिसल जायेगा और मैं हमेशा के लिये खो जाउंगा। पर यीशु मुझे हमेशा उन समयों से निकाल लाये। पर यीशु मुझे हमेशा उन निराशाजनक क्षणों से निकाल लाये। मैं एक मसीही घर में पैदा नहीं हुआ था। मुझे अनुसरण करने के लिये कोई अच्छे उदाहरण भी नहीं मिले। हमेशा मेरे आसपास आतंक व्याप्त रहता था। ऐसा लगता था कि मै जैसे समाप्त ही हो जाउंगा। मैंने कईयों का पतन होते देखा है। मुझे लगा कि मैं भी उनके समान फिसल जाउंगा। मैं आगे जाने के लिये बहुत कमजोर महसूस कर रहा था। मैं अपने आपको निकाला हुआ महसूस कर रहा था। मैं स्वयं को दाउद के समान महसूस कर रहा था, जब वह अपने शत्रु, शाउल के कारण गुफा में छिपकर रहता था।
“मैं ने दाहिनी ओर देखा, परन्तु कोई मुझे नहीं देखता है। मेरे लिये शरण कहीं नहीं रही, न मुझ को कोई पूछता है” (भजन १४२:४)
“जब मैं ने कहा, कि मेरा पांव फिसलने लगा है, तब हे यहोवा, तेरी करूणा ने मुझे थाम लिया।” (भजन ९४:१८)
मैं इसे अनुभव से जानता हूं। “जब मैंने कहा, कि मेरा पैर फिसला जा रहा है; ओह प्रभु मुझे सहारा दीजिये” मैं अनुभव से जानता हूं कि यीशु ने सत्य कहा था। “और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा।” यह अब मेरे लिये कोई शिक्षा नहीं रही। यह मेरे लिये एक जीता जागता सत्य हो गया − जो मेरे प्रभु ने अपने मुंह से कहा था। “और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं, और वे कभी नाश न होंगी”
मैं कभी अपने आपको संभाल नहीं पाया, वह ही मुझे थामेगा;
मेरा प्रेम अक्सर ठंडा हो जाता, तो उसे मुझे थामना अवश्य है;
तो वह मुझे जरूर थामेगा, तो वह मुझे जरूर थामेगा;
चूंकि मेरा मसीहा मुझसे प्रेम रखता है वह मुझे जरूर थामेगा।
मेरे जवान मित्रो, मैं भी कभी जवान था, और अब बूढा हूं। मैं जानता हूं कि यीशु के वायदे सच्चे हैं। मैं जानता हूं कि मेरी रग रग में घुसा यह अटल सत्य है! “जब मैंने कहा, कि मेरा पैर फिसला जा रहा है; ओह प्रभु मुझे सहारा दीजिये” मैं जानता हूं कि यीशु ने सत्य कहा था,
“और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं, और वे कभी नाश न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा।”
वह मुझे थामे रखता है। वह मुझे कसकर थामे रखता है। मैं जानता हूं ऐसा वह आपके लिये भी करेगा! इसलिये मैं आपसे निडरतापूर्वक कहता हूं कि कि मेरे मसीहा यीशु पर विश्वास लाये। मैंने कई साल पहले उस पर भरोसा किया था और मैं कभी नाश नहीं हुआ। अगर आप उस पर भरोसा करेंगे, तो तो वह आपको भी नष्ट नहीं होने देगा! यह स्वयं मसीह का वायदा है!
३. तीसरा मसीह में सामर्थ है।
“कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा” (यूहन्ना१०:२८ ब)। किंग जेम्स वर्शन में “मैन” शब्द तिरछे अक्षरों में लिखा हुआ है। इसका अर्थ हुआ कि केजेवी अनुवादकों ने मैन शब्द जोडा है − क्योंकि यह यूनानी पद में नहीं है। यूनानी शब्द है “यह है।” इसका यह अर्थ है कि “कोई भी” (जार्ज रिकर बैरी) या “कोई व्यक्ति या या कोई चीज” (स्ट्रॉंग)। इसलिये महान यूनानी विद्वान ए टी राबर्टसन इस पद के बारे के लिये कहते हैं, “भेडे सुरक्षित महसूस कर सकती है। न कोई भेडिया, न कोई चोर, न कोई दस्यु, न कोई ठेकेदार, न कोई शैतान, न कोई दुष्ट, भेड को मेरे हाथ से खींच (ऐंठ) कर ले जा सकता है।” (वर्ड पिक्चर्स; यूहन्ना १०:२८ पर व्याख्या)। डॉ राबर्टसन यूहन्ना ६:३९ पर संदर्भ देते हुये कहते है,
“और मेरे भेजने वाले की इच्छा यह है कि जो कुछ उस ने मुझे दिया है, उस में से मैं कुछ न खोऊं परन्तु उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊं।” (यूहन्ना ६:३९)
डॉ राबर्टसन ने यूहन्ना १७:१२ पर संदर्भ देते हुये कहा था, जो तू ने मुझे दिया है..........उन की रक्षा की, उन में से कोई नाश न हुआ..........फिर उन्होंने कुलुस्सियों ३:३ का सन्दर्भ दिया, “और तुम्हारा जीवन मसीह के साथ परमेश्वर में छिपा हुआ है।” न्यू किंग जेम्स में इसे ऐसे लिखा गया है, “उन्हें कोई मेरे हाथ से खींच कर ले जा नहीं सकता।”
स्पर्जन ने कहा, “इसके पहले के पद से हम जानते है हमें इसे ‘मनुष्य’ शब्द पढने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह मूल (यूनानी) में नहीं है... ओर इसलिये हम इसे पढ सकते है − ‘उन्हें कोई मेरे हाथ से खींच कर ले जा नहीं सकता।’ न केवल − कोई ‘आदमी’ पर कोई शैतान भी नही खींच कर ले जा सकता...... यह न केवल मनुष्यों को सम्मिलित करता है, जो कभी कभी हमारे सबसे बुरे (शत्रु) होते हैं......पर इसमें दुष्ट आत्मायें भी सम्मिलित है; पर कोई उन्हें उसके हाथ से खींच कर ले जा नहीं सकता। किसी भी प्रकार की संभावनाओं से कोई भी समर्थ नहीं होगा, किसी भी प्रकार की योजनाओं से कोई भी सक्षम नहीं होगा, जो हमें उसकी.........संपत्ति होने से, उसके प्रिय पुत्र होने से, उसके बचाये गये पुत्र होने से रोके। सच में कितनी अदभुत प्रतिज्ञा है!” (उक्त)
पास्टर वर्मबैंड को स्मरण कीजिये। आपको आश्चर्य होगा यह जानकर कि मैं क्यों यह पुस्तक टाचर्ड फार क्राईस्ट बारंबार पढता हूं। आपको आश्चर्य हो सकता है कि मैं क्यों यह विस्मयकारी पुस्तक पढता हूं। यहां इसका कारण दे रखा है। मैं इसे कोई अस्वस्थ रूचि या रक्त रंजित वर्णनो के कारण नहीं पढता हूं। पर मैं इसे इसलिये पढता हूं क्योंकि इसमें यीशु ने अपनी प्रतिज्ञा को पूरी करने के लिये अपनी सामर्थ को प्रगट किया है। कम्यूनिस्ट अतिवादियों ने सुसमाचार सुनाने के लिये पास्टर वर्मबैंड को प्रताडित किया। उन्होने तब तक उनके पैरो को घायल किया कि वे खडे होकर प्रचार करने लायक न बचे। जब वह हमारे चर्च में बोल रहे थे तब उन्हें जूते उतारना पडे और कुर्सी पर बैठना पडा क्योंकि उनके पैरो में गहरे घाव थे। उन्होंने उनके शरीर में गर्म लाल अठारह सलाखों से घाव किये। वे उन्हे कई घंटे खडे रखते थे। वे उन्हें भूखा मारते थे। वे उन्हें चूहों से भरे कमरे में रखते थे। वे उन्हें ऐसे निर्जन बैरक में रखते कि जहां महिनों तक किसी मनुष्य की आवाज सुनने को नहीं मिलती। तौभी उन्होंने इन सारे दुखों को सहन किया − वह हमारे यहां प्रचार करने आये। आप कहेंगे कि, “उनके पास फौलादी इच्छा शक्ति होगी।” लेकिन वह आपको पहले ही बता देना चाहते हैं कि वह सबसे कमजोर व्यक्ति रहे हैं। उन्होने इस सारी प्रताडना को सहन किया क्योंकि मसीह का वायदा पक्का है!
“और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं, और वे कभी नाश न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा।” (यूहन्ना १०:२८)
मैं जानता हूं कि यह सत्य है, क्योंकि जीवन की छोटी छोटी परेशानियों में मैंने भी इस सत्य का अनुभव किया है। यीशु मे विश्राम पाइये तो आपको अनंत जीवन प्राप्त होगा। यीशु झूठ नहीं बोल सकते।
अब मैं महान स्पर्जन के उद्वरण से इस संदेश का अंत करूंगा, “मैंने देखा था जब मैं भी (जवान) था तब अनेको लडको ने अपनी जवानी में पापाचरण (पाप) में पडकर गहरी भूल कर डाली और जीवन का सर्वनाश किया। मुझे मेरी आत्मा में उन पापों के लिये (घृणा) हो आई जब मैंने सुना कि उन्होने वे पाप किये। मैं उन पापों से (मेरे पालकों की) वजह से दूर रहा।तौभी मै डरता था कि जिन पापों में वे पडे वे पाप मेरे उपर भी तो प्रबल हो सकते थे। मेरे मन की अनैतिकता ने मुझे मेरे उपर ही अविश्वास करने का मौका दिया। मैं इस बात से बिल्कुल सहमत हो गया था कि जब तक मैं परिवर्तित नहीं हूंगा, पुर्नजन्म प्राप्त नहीं करूंगा, तब तक मेरे जीवन की सुरक्षा नहीं हो सकती। अन्यथा मैं भी शैतान द्वारा फेंका गया चारा खा लूंगा। मैं डरता था कि मेरा भी नैतिक रूप से पतन न हो जाये जैसे मेरे मित्रो ने कर लिया था। इस विचार ने मुझे भयानक रूप से डरा दिया। परंतु जब मैंने सुना कि यीशु इस नैतिक पतन से बचा सकता है तो इस शिक्षा ने मुझे आकर्षित किया और आशा दी कि वह मुझे बचा सकता है। मैंने सोचा, ‘अगर मैं यीशु के पास जाकर नया मन और नई आत्मा मांगू तो वह मुझे दे सकता है और मैं उन पापो से बचा रहूंगा जिसमें मेरे साथी गण गिर चुके है। मैं तो उन पापो के करने से बचाया जाउंगा।’ इस विचार ने मुझे मसीह पर भरोसा रखने के लिये आकर्षित किया। मै यह सुनकर बडा आकर्षित हुआ कि जितने अपना जीवन मसीह को सौंपते हैं वह उन सब का रखवाला होता है। मै यह सुनकर बडा आकर्षित हुआ कि जितने अपना जीवन मसीह को सौंपते हैं वह उन सब का विश्वसनीय रखवाला होता है और वह एक जवान लडके को अपनाने में उसे शुद् करने में और अंत तक संभालने और सुरक्षित रखने में सक्षम है। अरे जवान लोगो मसीह में विश्वास करने के अलावा जीवन की सुरक्षा का आश्वासन कोई नहीं दे सकता।” (सी एच स्पर्जन, उक्त, आधुनिक श्रोताओं के लिये डॉ हिमर्स द्वारा थोडा सरलीकरण किया गया।)
“और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं, और वे कभी नाश न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा।” (यूहन्ना १०:२८)
एक और विचार आपको आ सकता है। मैंने आपको कहा कि कोई मनुष्य का शत्रु या दुष्टात्मा आपको मसीहा के हाथ से छीन नहीं सकती। परंतु आप कहते हैं कि क्या हो अगर मैं स्वयं मसीहा की तरफ से पलट जाउं? क्या हो अगर मैं चर्च छोड दूं और वापस संसार में लौट जाउं? तो प्रिय मित्र “मैं स्वयं भी” “किसी भी शब्द” के अंदर सम्मिलित है? मैं जानता हूं जो गलत ढंग से परिवर्तित हुये वे फिर से संसारीपन में लौट गये। पर मैं जानता हूं कि उनके उपर मसीह की भेड होने के कोई चिंन्ह नहीं लगे थे। उन्होने उसकी कभी आवाज नहीं सुनी थी। वे उसके द्वारा कभी जाने नहीं गये थे। उन्होने उसका कभी अनुसरण नहीं किया था। उन्होने केवल एक सतही निर्णय लिया और वापस लौट गये। पर मैं आपसे ऐसा करने को नहीं कह रहा हूं। मैं आपको नाजरथ के यीशु परमेरवर के पुत्र के पास आने को कह रहा हूं। मैं आपसे कह रहा हूं कि उस पर विश्वास रखे और उस में विश्राम पायें। स्पर्जन ने कहा था, “कि अरे! पापी ऐसा हो कि आज तू आज केवल यीशु ओर केवल यीशु पर भरोसा रख और तब यह पद निकाल कर पढ जहां लिखा है। इससे भयभीत न हो − ‘मैं मेरी भेडो को अनन्त जीवन देता हूं, और वे कभी नाश न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा।’” (उक्त)
वह तुम्हें जरूर थामेगा, वह तुम्हें जरूर थामेगा;
चूंकि मेरा मसीहा तुमसे प्रेम रखता है, वह तुम्हें जरूर थामेगा।
हे पिता, मैं विनती करता हूं कि जो इस संदेश को पढ या सुन रहे हैं वे यीशु पर विश्वास रखकर विश्राम पायें, जो उन्हे अनंत जीवन देता है, आमीन।
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(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व ऐबेल प्रुद्योमे द्वारा प्रार्थना की गई: यूहन्ना १०:२२−२९
संदेश के पूर्व मि जैक नैन के द्वारा एकल गीत गाया गया:
“वह मुझे जरूर थामेगा।'' (एडा आर हेबरशॉन, १८६१−१९१८)
रूपरेखा वह तुम्हें तुरंत थामेगा! HE WILL HOLD YOU FAST! द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स “और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं, और वे कभी नाश न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा।” (यूहन्ना १०:२८) (यूहन्ना १०:३१,२७; गलातियों ५:६; १ कुरूंथियों २:७) १. पहला, यह मसीह की भेंट है, यूहन्ना १०:२८ अ; ४:१४; इफिसियों २:५ २. दूसरा, यह मसीह की प्रतिज्ञा है, यूहन्ना १०:२८ अ; भजन संहिता १४२:४; ३. तीसरा, मसीह में सामर्थ है, यूहन्ना १०:२८ ब; ६:३९; १७:१२; |