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मसीह के द्वितीय आगमन के चिंन्हSIGNS OF CHRIST’S SECOND COMING द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स रविवार की सुबह, १७ मई, २०१५ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल में “और जब वह जैतून पहाड़ पर बैठा था, तो चेलों ने अलग उसके पास आकर कहा, हम से कह कि ये बातें कब होंगी और तेरे आने का, और जगत के अन्त का क्या चिन्ह होगा?” (मत्ती२४:३) |
मैं प्रतिदिन तीन अखबार पढ़ता हूं। मैं कुछ मिनटों दो समाचार चैनल्स भी देखता हूं। समाचारों में जो भी सुनने को मिलता है उससे पता चलता है कि इस संसार में खलबली मची हुई है। आतंकवाद, युद्, अपहरण, बम विस्फोट अब प्रतिदिन के संसार का हिस्सा बन चुके हैं। सैकड़ों चर्चेस जलाये जा चुके है और सैकड़ों ही लोगों के सिर कलम कर दिये गये है। ईरान जल्द ही न्यूक्लियर युद् छेडेगा। ऐसा युद् हमारे अस्तित्व के लिये खतरा है। उनका कहना है कि वे हमारे शहरों में छुपाकर ये बम रख देंगे, उनका विस्फोट करेंगे, और हमारे शहरों को नष्ट कर डालेंगे।
राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी एक कैथोलिक थे। एक दिन वह बिली ग्राहम के साथ गोल्फ खेल रहे थे। उन्होंने मि ग्राहम से कहा कि कैथोलिक चर्च मसीह के द्वितीय आगमन में विश्वास करता है। वह उस सिद्वांत को दोहराते हैं जो कहता है कि, “वह फिर आयेगा कि जीवित और मृतक का न्याय करें।” पर राष्ट्रपति कैनेडी मसीह के द्वितीय आगमन के विषय में और जानना चाहते थे। साठ साल पहले विंस्टन चर्चिल ग्रेट बिटेन के प्रधानमंत्री थे। जवान इवेंजलिस्ट बिली ग्राहम उनके मेहमान के रूप में १० डाउनिंग स्ट्रीट में मिलने गये। चर्चिल ने उनसे कहा, “मै नहीं सोचता कि संसार बहुत लंबा चलेगा हमारे पास कितनी अनगिनत समस्यायें हैं।” आज राजनीति में प्रमुखों के आगे इन्हीं समस्याओं का डर सताता है। जिस युग में हम रह रहे हैं वह हमारी आंखों के आगे से गुजरा जा रहा है। ऐसा लगता है हम इतिहास की चरम सीमा पर और इस संसार के अंत पर पहुंच गये है।
चेले इस विषय में रूचि रखते थे। इसलिये उन्होने यीशु से पूछा, “तेरे आने और इस संसार के अंत का क्या चिंन्ह होगा?” “संसार” के लिये यूनानी शब्द “आयन” है। जिसका अर्थ होता है “युग” − वह युग जिसमें हम रहते हैं मसीही विधान का युग। मसीही ने उन्हें यह प्रश्न पूछने के लिये झिड़का नहीं − “तेरे आने और इस (युग) के अंत का क्या चिंन्ह होगा?” उन्हें झिड़कने के बजाय प्रभु ने उन्हें “चिंन्हों” की एक लंबी सूची थमा दी। उन्होंने तो एक चिंन्ह मांगा था पर प्रभु ने उन्हें निम्न पदों में अनेक चिंन्हों से अवगत करवा दिया। और मरकुस १३ और २१ में जैतुन के वर्णन में भी कई चिंन्ह दिये गये हैं।
मसीह ने दिये गये चिंन्हों के बारे में तीन गलतियां बताई। पहले तो भविष्यदर्शी इन सब चिंन्हों को प्रथम शताब्दी से जोड़कर देखेंगे। कई आधुनिक कैल्वीनिस्ट ऐसे ही भविष्यदर्शी है जो ऐसा करते है। मैं सोचता हूं वे गलत हैं। पद १४ को प्रथम शताब्दी से जोड़ने के लिये बहुत कल्पना का विस्तार चाहिये होता है और यह पद की शाब्दिक व्याख्या होती है और शाब्दिक प्रस्तुतीकरण होता है। यह पद इस प्रकार कहता है,
“और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा” (मत्ती २४:१४)
मसीह की ओर से यह सीधी एवं स्पष्ट भविष्यवाणी है। अभी वर्तमान दिवस तक तो यह नहीं घटी है।
हम जानते हैं कि चेलों ने सुसमाचार संपूर्ण रोमन साम्राज्य में फैलाया पर उन्होंने “संपूर्ण जगत में” प्रचार नहीं किया − निश्चत ही उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, जापान आस्ट्रेलिया, समुद्री द्वीप और अन्य कहीं जगहों पर। शाब्दिक रूप में अब मत्ती २४:१४ ही केवल “संपूर्ण जगत में” प्रचार किया गया है।
तब, कि ये चिंन्ह संबंधी दूसरी गलती यह है कि इन्हें भविष्य में ढकेलना, भविष्य में सात सालों के तकलीफ वाले सालों से जोड़ना। यही तो आधुनिक व्याख्याकार करते हुये दिखाई देते है। इसलिये मैं सोचता हूं कि सारे चिंन्हों को प्रथम शताब्दी में धकेलना बड़ी गलती होगी − और मैं सोचता हूं कि उन्हे आगे धकेलना भी गलती होगी। विशेषकर सताव के काल के समय में। मैं अब सहमत हूं कि अब इन बुरे दिनों में हमें “चिंन्ह” दिये गये हैं।
यह बड़े अचरज की बात है कि कि आज के चर्चेस में चिंन्हों के उपर बहुत कम प्रचार किया जाता है। मुझे ऐसा लगता है कि आधुनिक युग में चिंन्हों का इंकार करना स्वयं एक चिंन्ह है! मुझे चिंता है कि ऐसा करना कई प्रचारकों को “हंसी करने वालों” की श्रेणी में रखता है क्योंकि वे ऐसा कहते हैं कि उसके आने की प्रतिज्ञा कहां गई? (२ पतरस३:३−४) और मैं सोचता हूं कि चिंन्हों का इंकार करना यह दिखलाता है कि जब दुल्हे के आने में देर हुई, तो वे सब ऊंघने लगीं, और सो गई। (मत्ती २५:५) निष्क्रय चर्च चिन्हों के बारे में नहीं सुनना चाहते है। इसमें दो खतरे है! डॉ एम आर देहान ने कहा पहला खतरा तारीख तय करने का है और दूसरा एक खतरनाक बुराई कि, जो गंभीर बात है कि चिंन्हो का ही उपेक्षा करना है...” (एम आर देहान एम डी, साईंस आफ दि टाईम्स, क्रेजेल पब्लिकेशंस, १९९७ संस्करण, पेज १३) प्रचारक स्वयं चर्च में चिन्हों की अनदेखी कर रहे है!
तब एक तीसरी गलती सामने आती है। २०११ में हैरोल्ड कैंपिग ने रैप्चर का समय बताते हुये मसीह का बादलों में आने का समय और दिन बताया २१ मई २०११ शाम ६ बजे। बेशक, वह गलत था। प्रभु यीशु ने इसे बिल्कुल स्पष्ट कहा, “उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता” (मत्ती २४:३६) अगर कोई भी आपको यह कहते हैं कि वे मसीह के आने का समय जानते हैं तो आप उस व्यक्ति की बात मत सुनिये!
चेलों ने मसीह के आगमन का और “इस (युग) के समाप्त होने का” एक चिंन्ह मांगा था लेकिन मसीह ने उन्हें अनेकों चिंन्ह दे दिये। मैं उन अनेकों चिंन्ह का वर्णन जो मसीह ने अपने चेलों को दिये थे, तीन श्रेणियों में करने जा रहा हूं।
१. पहला चर्चेस में चिंन्ह पाये जाते हैं।
वास्तव में यह पहला चिंन्ह था जो मसीह ने मत्ती २४:४−५ में दिया,
“यीशु ने उन को उत्तर दिया, सावधान रहो! कोई तुम्हें न भरमाने पाए। क्योंकि बहुत से ऐसे होंगे जो मेरे नाम से आकर कहेंगे, कि मैं मसीह हूं: और बहुतों को भरमाएंगे।” (मत्ती २४:४−५)
यह प्राथमिक तौर पर दुष्ट आत्माओं के लिये कहा गया है, जो स्वयं को मसीह के रूप में बताते है। प्रेरित पौलुस ने चेतावनी दी थी, “यदि कोई तुम्हारे पास आकर, किसी दूसरे यीशु को प्रचार करे” (२ कुरूंथियों ११:४) प्रेरित ने यह भी कहा,
“क्योंकि परमेश्वर की सृजी हुई हर एक वस्तु अच्छी है: और कोई वस्तु अस्वीकार करने के योग्य नहीं; पर यह कि धन्यवाद के साथ खाई जाए।” (१ तीमुथियुस ४:१)
आज हम देखते हैं कि चर्च में “मसीह की आत्मा रूपी” प्रज्ञानवाद की शिक्षा दी जा रही है। यह प्रज्ञानवादी मसीह आत्मा है, और यह बाईबल का देह धारण करने वाला मांस और हडडी का बना मसीह नहीं है। बाईबल कहती है, “और जो कोई आत्मा यीशु को नहीं मानती कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया है, वह परमेश्वर की ओर से नहीं” (१ यूहन्ना ४:३) सारे आधुनिक अनुवादों में से केवल केजेवी सही अनुवाद करता है! यूनानी शब्द हैं “ऐलेलोथुरा” जो पूर्णकालिक काल है और मसीह की वर्तमान दशा को निरूपित करता है (जैसे जैमीसन फासेट और ब्राउन) जैसे केजेवी ने सही अनुवादित किया कि “मसीह देह में होकर आये”। वह देह में होकर आये और पुनरूत्थत देह में ही रहेंगें। जब वह मुरदों में से जी उठे उन्होंने कहा कि, “क्योंकि आत्मा के हड्डी मांस नहीं होता जैसा मुझ में देखते हो।” (लूका २४:३९) तो वर्तमान में केवल मसीह का आत्मा के रूप में प्रचार शैतानी बात है!
पुन: मत्ती २४:२४ में मसीह ने कहा,
“क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिन्ह और अद्भुत काम दिखाएंगे, कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें।” (मत्ती २४:२४)
इन बुरे दिनों में हमें “चिंन्हों और आश्चर्यकर्मो” से भरमाये नहीं जाना चाहिये।
“क्योंकि ऐसे लोग झूठे प्रेरित, और छल से काम करने वाले, और मसीह के प्रेरितों का रूप धरने वाले हैं। और यह कुछ अचम्भे की बात नहीं क्योंकि शैतान आप भी ज्योतिमर्य स्वर्गदूत का रूप धारण करता है। सो यदि उसके सेवक भी धर्म के सेवकों का सा रूप धरें, तो कुछ बड़ी बात नहीं परन्तु उन का अन्त उन के कामों के अनुसार होगा।” (२ कुरूंथियों ११:१३)
प्रेरित पौलुस ने चेतावनी दी थी,
“क्योंकि ऐसा समय आएगा, कि लोग खरा उपदेश न सह सकेंगे पर कानों की खुजली के कारण अपनी अभिलाषाओं के अनुसार अपने लिये बहुतेरे उपदेशक बटोर लेंगे। और अपने कान सत्य से फेरकर कथा−कहानियों पर लगाएंगे।” (२ तीमुथियुस ४:३−४)
अब मैं सहमत हूं कि हम स्वधर्म त्याग वाले युग में रह रहे हैं। जिसे २ रा थिस्सलुनीकियों २:३ में “धर्म का त्याग” कहा गया है।
तब भी मसीह ने कहा,
“और अधर्म के (बढ़ने) से बहुतों का प्रेम ठण्डा हो जाएगा।” (मत्ती २४:१२)
मसीह ने चेताया था कि चर्चेस के भीतर इतनी अराजकता फैल जायेगी कि लोगों का आपस का प्रेम ठंडा हो जायेगा। रविवार की रात अब चर्च बंद पाये जाते हैं क्योंकि अब सहभागिता बहुत पुरानी बात हो गई। पूर्वी समय की कलीसिया के समान अब सदस्य आपस में एकत्रित भी नहीं होना चाहते (प्रेरितों के काम २:४६−४७)। साथ ही मसीह ने यह भी चेताया कि अंत के दिनों में लोग लौलीन रहकर प्रार्थना करना भी बंद कर देंगे (लूका १८:१−८)। तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं कि आजकल प्रार्थना सभायें कितनी कम हो गई हैं। बुधवार रात की सभायें अब प्रार्थना सभा में बदल गई हैं जिसमें बाईबल अध्ययन होता है और एक दो प्रार्थनायें होती हैं (अगर होती भी हैं तो)। तो निश्चत ही यह अंत का समय है! “तौभी मनुष्य का पुत्र जब आएगा, तो क्या वह पृथ्वी पर विश्वास (प्रार्थना का विश्वास) पाएगा?” (लूका १८:१−८)। पर स्मरण रखिये यीशु ने जो कहा,
“जब ये बातें होने लगें, तो सीधे होकर अपने सिर ऊपर उठाना; क्योंकि तुम्हारा छुटकारा निकट होगा” (लूका २१:२८)
गीत की संख्या ३ निकालकर उसका दूसरा अंतरा गायेंगे!
रात अंधेरी थी, पाप संघर्षरत था;
दुख का भारी बोझ हम सहते;
पर अब हम उसके आगमन के चिंन्ह देखते हैं;
हमारे मन चमकने लगते हैं आनंद का प्याला झलकने लगता है!
वह फिर आ रहा है, वह फिर आ रहा है,
वही यीशु, जो लोगो का ठुकराया हुआ था।
वह फिर आ रहा है, वह फिर आ रहा है
सामर्थ और महिमा के साथ वह फिर आ रहा है!
(वह फिर आ रहा है मैबल जानस्टन कैंप, १८७१−१९३७)
२. दूसरा सताव के चिंन्ह होंगे।
यीशु ने कहा,
“तब वे क्लेश दिलाने के लिये तुम्हें पकड़वाएंगे, और तुम्हें मार डालेंगे और मेरे नाम के कारण सब जातियों के लोग तुम से बैर रखेंगे। तब बहुतेरे ठोकर खाएंगे, और एक दूसरे से बैर रखेंगे।” (मत्ती २४:९−१०)
“और भाई को भाई, और पिता को पुत्र घात के लिये सौंपेंगे, और लड़केबाले माता पिता के विरोध में उठकर उन्हें मरवा डालेंगे। और मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे; पर जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा” (मरकुस १३:१२−१३)
संसार के कई भागों में खतरनाक सताव चल रहा है। इसे पढ़ने के लिये यहां www.persecution.com क्लिक कीजिये। आइसिस हजारों मसीहियों को मार रही है। उनका उददेश्य है कि मसीहत का नामोंनिशान संसार में से हटा दे! यहां पश्चिमी दुनिया में भी मसीहियों पर अब सताव बढ़ता जा रहा है। जो विभाजन में लिप्त लोग हैं उनके द्वारा विश्वसनीय पास्टर्स मारे जा रहे हैं। माता पिता अपने बच्चों के मसीही बन जाने पर उन्हें सता रहे हैं। और कुछ लोग तो अपने गंभीर मसीही विश्वास रखने वाले बुजुर्ग पालकों को तंग करते हैं! कई तो कैद होकर रह गये हैं, अकेले छोड़ दिये गये हैं और उनके गैर मसीही बच्चे कभी उन्हें मिलने भी नहीं आते हैं। कई पास्टर्स मुझसे कहते हैं कि वे सोचते हैं कि एक समय ऐसा आयेगा कि अमेरिका बहुत सताव झेलेगा। पर स्मरण रखिये यीशु ने जो कहा,
“धन्य हो तुम, जब मनुष्य के पुत्र के कारण लोग तुम से बैर करेंगे, और तुम्हें निकाल देंगे, और तुम्हारी निन्दा करेंगे, और तुम्हारा नाम बुरा जानकर काट देंगे। उस दिन आनन्दित होकर उछलना, क्योंकि देखो, तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा प्रतिफल है: उन के बापदादे भविष्यद्वक्ताओं के साथ भी वैसा ही किया करते थे।” (लूका ६:२२−२३)
गीत की संख्या तीन − निकालकर उसका − दूसरा अंतरा गायेंगे!
रात अंधेरी थी, पाप संघर्षरत था;
दुख का भारी बोझ हम सहते;
पर अब हम उसके आगमन के चिंन्ह देखते हैं;
हमारे मन चमकने लगते हैं आनंद का प्याला झलकने लगता है!
वह फिर आ रहा है, वह फिर आ रहा है,
वही यीशु, जो लोगो का ठुकराया हुआ था।
वह फिर आ रहा है, वह फिर आ रहा है
सामर्थ और महिमा के साथ वह फिर आ रहा है!
३. तीसरा संपूर्ण विश्व में सुसमाचार प्रचार एक चिंन्ह है।
ध्यान दीजिये कि कितने आश्चर्यजनक रूप से यह उत्साहवर्धक चिंन्ह अन्य भयानक चिंन्हों के बीच में प्रगट होगा। जब मैं मत्ती २४:९−१४ पढ़ता हूं तो निवेदन है कि आप अपने स्थानों पर खड़े हो जाइये।
“तब वे क्लेश दिलाने के लिये तुम्हें पकड़वाएंगे, और तुम्हें मार डालेंगे और मेरे नाम के कारण सब जातियों के लोग तुम से बैर रखेंगे। तब बहुतेरे ठोकर खाएंगे, और एक दूसरे से बैर रखेंगे। और बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बहुतों को भरमाएंगे। और अधर्म के बढ़ने से बहुतों का प्रेम ठण्डा हो जाएगा। परन्तु जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा। और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा” (मत्ती २४:९−१४)
अब आप बैठ सकते हैं।
“राज्य का सुसमाचार” साधारणत वह “सुसमाचार” है जिसका वर्णन हमें मरकुस १३:१० में पढ़ने को मिलता है। जो कहता है कि, “पर अवश्य है कि पहिले सुसमाचार सब जातियों में (प्रचार) किया जाए और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा” अधर्म और सताव के चलते, अचानक मसीह ने कहा कि सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, “और तब अन्त आ जाएगा।” (मत्ती २४:१४)
कितनी अदभुत भविष्यवाणी है! अभी संसार में बहुत ही कम जगह होगी जहां सुसमाचार नहीं सुनाया गया होगा। इंटरनेट सैटेलाईट रेडियो शार्ट वेब और हजारों हजार मिशनरियों द्वारा − सुसमाचार प्रचार संसार में फैलाया गया है! मत्ती २४:११−१४ हमारी पीढ़ी में पूर्ण हो रहा है! कितनी अचरज की बात है कि पश्विम में हमारे चर्चेस ने शाम की सभा के लिये अपने दरवाजें बंद कर रखे हैं जबकि तीसरी दुनिया में सुसमाचार प्रचार प्रचंड रूप में हो रहा है - जैसे चीन, दक्षिणपूर्व एशिया हमंग लोगों के मध्य में और भारत के दलितों के बीच में! अधर्म और आत्मिक जागरण − दोनों एक ही समय चल रहे हैं − बिल्कुल जैसा यीशु ने कहा था! कितना अजीब विरोधाभास है! जो भी हो रहा है बिल्कुल वैसा ही हो रहा है जैसा मसीह ने बताया था!
“और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा” (मत्ती २४:१४)
हल्लेलुयाह! मसीह आ रहे हैं! इसे पुन: गाइये!
रात अंधेरी थी, पाप संघर्षरत था;
दुख का भारी बोझ हम सहते;
पर अब हम उसके आगमन के चिंन्ह देखते हैं;
हमारे मन चमकने लगते हैं आनंद का प्याला झलकने लगता है!
वह फिर आ रहा है, वह फिर आ रहा है,
वही यीशु, जो लोगो का ठुकराया हुआ था।
वह फिर आ रहा है, वह फिर आ रहा है
सामर्थ और महिमा के साथ वह फिर आ रहा है!
क्या आप मसीह को जानते हैं? जब वह आयेंगे तो क्या आप तैयार पाये जायेंगे? क्या आप का नया जन्म हुआ है? अगर आप खोये हुये हैं तो “पुर्नसमर्पण” नहीं चलेगा। कुछ लोग कहते हैं कि वे उड़ाउ पुत्र की तरह वापस, यीशु की तरफ लौट रहे हैं। किंतु बाईबल यह कभी नहीं कहती कि उड़ाउ पुत्र बचा लिया गया था, फिर भटक गया और उसने अपना जीवन पुर्नसमर्पित किया। नहीं! बाईबल सीधे सीधे कहती है कि वह खोया हुआ था! उसके स्वयं के पिता ने कहा,
“क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, फिर जी गया है: खो गया था, अब मिल गया है।” (लूका १५: २४)
आपको स्वयं को खोया हुआ जानकर यीशु के पास आना चाहिये! महानतम इवेंजलिस्ट जार्ज वाइटफील्ड (१७१४−१७७०) का मैथड आफ ग्रेस पढ़ने के लिये यहां क्लिक कीजिये।
अगर आप इस बात से सहमत नही है कि आप खोये हुये हैं, तो फिर आप यीशु के पास नहीं आ सकते। आप उस एकमात्र पर विश्वास नहीं करोगे। आप को कभी सच्चे परिवर्तन का अनुभव नहीं होगा आपके पाप मसीह के लहू से नहीं धोये जा सकेंगे, या मसीह के पुनरूत्थान से आपको पुर्नजीवन भी नहीं मिलेगा।
सचमुच परमेश्वर, हम विनती करते हैं कि कोई भी खोये हुये जन जो इस संदेश की हस्तलिपि को पढ़ या सुन रहे हैं या मुझे यू टयूब पर प्रचार करता देख रहे हैं या हमारी वेबसाईट देख रहे हैं वे पाप के बोझ में दबकर पश्चाताप करे और यीशु मसीह तेरे पुत्र पर विश्वास लायें। आमीन।
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(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व ऐबेल प्रुद्योमे ने बाइबल पाठ पढ़ा: मरकुस १३:१−१३
संदेश के पूर्व बैंजामिन किन्केड गिफिथ द्वारा एकल गीत गाया गया:
''मसीह पुन: आ रहे हैं'' (जॉन डबल्यू पीटरसन, १९२१ – २००६)
रूपरेखा मसीह के द्वितीय आगमन के चिंन्ह SIGNS OF CHRIST’S SECOND COMING द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स “और जब वह जैतून पहाड़ पर बैठा था, तो चेलों ने अलग उसके पास आकर कहा, हम से कह कि ये बातें कब होंगी और तेरे आने का, और जगत के अन्त का क्या चिन्ह होगा?” (मत्ती२४:३) (मत्ती २४:१−२; लूका २१:२०−२४; मत्ती२४:१४,३६ ) १. पहला चर्चेस में चिंन्ह पाये जाते हैं, मत्ती २४:४−५; २. दूसरा सताव के चिंन्ह होंगे, मत्ती २४:९−१०; ३. तीसरा संपूर्ण विश्व में सुसमाचार प्रचार एक चिंन्ह है, मत्ती २४:९−१४; |