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पुनरूद्धार − मसीही प्रेम की कडीREGENERATION – THE LINK TO CHRISTIAN LOVE द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स रविवार की सुबह, १५ मार्च, २०१५ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल में प्रचार किया गया संदेश ''जिसका यह विश्वास है कि यीशु ही मसीह है, वह परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है और जो कोई उत्पन्न करने वाले से प्रेम रखता है, वह उस से भी प्रेम रखता है, जो उस से उत्पन्न हुआ है।'' (१यूहन्ना ५:१) |
मेरी परवरिश चर्च के वातावरण में नहीं हुई। जब मैं तेरह साल का था मैंने बैपटिस्ट चर्च जाना प्रारंभ कर दिया। जो बात मैंने सीखी है कि चर्च में जवान लोग एक दूसरे से प्रेम नहीं रखते न वे मुझसे प्रेम रखते थे, न उन्होंने वरिष्ठ लोगों से प्रेम रखा और न ही पास्टर से। वे गंदे मजाक करते थे और लगातार एक दूसरे की पीठ पीछे बुराई करते थे। जब चर्च में पास्टर प्रचार करते थे तो ये उनके उपर टिप्पणी करते और फुसफुसाहटें पैदा करते थे। मैंने तो यह भी पाया कि उनमें आपस में भी कोई प्रेम नहीं था। वास्तव में, देखा जाये जो वे एक दूसरे को मन ही मन नापसंद करते हैं और कई तो एक दूसरे के प्रति चिढ भी रखते हैं। वो तो आदतानुसार एक दूसरे के साथ रहते हैं। वे एक दूसरे के साथ रहने के आदी हो चुके हैं। रविवार को अपनी आदत के वशीभूत होकर वे एक साथ कुछ घंटे बिताते हैं। चर्च आना भी एक परंपरा है उनके लिये किंतु प्रेम की तो फिर भी कमी बनी रही। जब उनका मूल पास्टर कहीं दूसरा चर्च लेने जाता है तो उनकी नियमित उपस्थिति में फर्क आ जाता है। थोडे ही समय में वे दो तीन समूहों में बंट जाते हैं और एक दूसरे से लडाई प्रारंभ कर देते हैं। कई लोग तो चर्च आना ही बंद कर देते हैं। जो शेष लोग बचते हैं वे जंगली जानवरों जैसे एक दूसरे पर हमला ही करते रहते हैं। रविवार की आराधना में ही वे एक दूसरे पर गीत की पुस्तकें फेंकने लगते हैं। आराधना में ही गंदे शब्दों का प्रयोग करके एक दूसरे को कोसने लगते हैं।
अंतत: दक्षिणी बैपटिस्ट समूह ने दूसरा चर्च प्रारंभ कर लिया। मैं उनके साथ हो गया। किंतु जैसे ही यह चर्च प्रारंभ हुआ हमने पाया कि यही चीजें वहां भी होने लगी! अधिकतर जवान लडके छोड कर चले गये। आखिरकार मैं भी चला गया और चायनीज चर्च में जाना आरंभ कर दिया जहां मैं तेईस वर्षों तक सदस्य बना रहा। यहां कम से कम चीनी लोग इतने खूंखार नहीं थे, उनके सदस्यों के बीच तौभी थोडा प्रेम बाकि था, ओर जब परमेश्वर ने वहां आत्मिक जागृति भेजी, चीजों में बदलाव आना शुरू हो गया।
जब आत्मिक जागृति आना प्रारंभ ही हुई थी में सेमिनरी चला गयां मैंने सेमनरी के पास ही एक चर्च प्रारंभ कर लिया। थोडे समय तो सब ठीक रहा। फिर वहां भी वही सब बातें होना शुरू हो गई! अधिकतर जवान लडके चर्च छोड कर चले गये। वहां भी तकरार और तर्क वितर्क शुरू हो गये और लोग चर्च छोड कर जाने लगे। उलझन बढ गयी। मैंने वह जगह छोड दी और लॉस ऐंजीलिस आ गया।
मैंने यहां चालीस साल पहले चर्च आरंभ किया था, जो आज इस चर्च के रूप में स्थापित है जिससे हम बैठे हुये हैं। किंतु इस चर्च को भी झटके लगे हैं, इसमें मतभेद हुये और भयानक विभाजन हुआ। लगभग पच्चीस वर्ष लगे और यह आज की दशा तक पहुंच पाया है।
तो, यह मेरा अनुभव है। आपको आश्चर्य होगा कि मैंने कैसे इतने सब पागलपन को सहन किया होगा। मुझे खुद अपने आप पर आश्चर्य होता है। मैं तो केवल यह कह सकता हूं कि, चाहे जो हो, मैं तो इतना ही जानता हूं कि इसे बचाने वाला केवल परमेश्वर है और बाईबल जो परमेश्वर का वचन है। मैं उन बातों को समझता था, ''और यह धर्म के कामों के कारण नहीं.........पर अपनी दया के अनुसार'' (तीतुस ३:५)
मेरा अनुभव कुछ अलग रहा हो सकता है, सभी नहीं, किंतु कुछ जवान इवेंजलिस्ट इन अनुभवों से गुजरे होंगे। मेरा अनुभव इसलिये अलग है क्योंकि मैं इन सब बातों से होकर गुजरा था। और यह विश्वास धारण करके रखा कि परमेश्वर और बाईबल इतनी सशक्त सामर्थ है कि इन पर मेरा भरोसा और बढ गया! इसके पहले कि मैं आगे बढूं मैं किस्टीन विकर, जो दि फॉल आँफ दि इवेंजलीकल नेशन: दि सरप्राईजिंग क्राइसिस इनसाइड दि चर्च की लेखिका हैं उनको उदधृत करूंगा (हार्पर वन, २००८) उन्होंने कहा था,
अमेरिका में सुसमाचारीय मसीहत निर्जीव दशा में आती जा रही है। बडे सुसमाचारीय आज के अभियान मुख्य केंद्र बिंदु रहे हैं शीर्ष पर भी उनका स्थान नहीं है। वे अब अवशेष बन गये हैं, जो बिल्कुल किनारे पर लग चुके हैं। आप इन बातों पर गौर करेंगे तो पायेंगे: परिवर्तन,बपतिस्मा,सदस्यता.........दानदेना.........उपस्थिति.........सब कुछ निम्न दशा में आ चुका है और इनकी दर गिर गयी है (उक्त संदर्भित, परिचय, पेज ९)
लेखिका ने इस कथन को कुछ सत्य और आंकडों के साथ प्रस्तुत किया है जिन्हें कोई झुठला नहीं सकता। जब मैंने उनकी पुस्तक पढी तो मुझे उनकी मूल थीसिस से सहमत होना पडा: हमारे चर्चेस गहरी परेशानी में हैं।
यद्यपि यह सब नई बात नहीं है। साठ साल पहले डॉ ए डब्ल्यू टोजर ने लिखा था, समय दर समय, हमारे चर्चेस में यह समस्या आती रहेगी। उदाहरणत: उनका कथन था,
स्वस्थ मसीहत के लिये लंबा चौडा सुसमाचारीय संसार लंबे स्तर तक उसके पक्ष में नहीं है। और मैं आधुनिक उदारवाद के लिये भी नहीं सोच रहा हूं। मेरा मतलब तौभी उन आर्थोडॉक्स लोगों से है जिनके पास बाईबल पर विश्वास करने वाली भीड तो है......हम ऐसे परिवर्तितों को जन्म दे रहे हैं फलविहिन, टूटे फूटे जो कमजोर होकर मसीहत में केवल संख्या बढा रहे हैं किंतु वास्तव में नये नियम की शिक्षा से दूर हैं......स्पष्ट रूप से कहा जाये तो हमें मजबूत और अच्छे मसीही जन उत्पन्न करना चाहिये (आँफ गॉड एंड मैन, किश्चयन पब्लिकेशन, १९६०, पेज १२, १३)
डॉ टोजर अपने समय के भविश्यदर्शी माने गये हैं!
इतनी अधर्मिता और उलझन के बीच में हमें प्रेमी चर्च कैसे मिल सकता है? हमें बाईबल से प्रारंभ करना चाहिये − परिवर्तन के साथ साथ आप बिना नया जन्म पाये लोगों से प्रेमी चर्च कैसे पा सकते हो! सच्चा परिवर्तन तो बहुत क्रांतिकारी घटना होती है। बाईबल के महान बिटिश प्रचारक, मार्टिन ल्योड जोंस ने कहा था,
मसीही बन जाना संकट व क्रांतिकारी घटना है......जिसे नया नियम में नया जन्म कहा गया है, या नई सृष्टि, या नई शुरूआत। इससे भी बढकर, यह अलौकिक कार्य के रूप में वर्णित है जो स्वयं परमेश्वर संपन्न करता है, जिसमें निर्जीव सुप्त आत्मा पुनर्जीवित की जाती है ......यीशु मसीह उनके पुत्र के द्वारा उनमें होकर (मार्टिन ल्योड जोंस, एम डी, इवेंजलीस्टक सर्मन्स, दि बैनर आँफ ट्रुथ ट्रस्ट, १९९०, पेज १६६)
और यह हमको अगले पद पर ले जाते है।
''जिसका यह विश्वास है कि यीशु ही मसीह है, वह परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है और जो कोई उत्पन्न करने वाले से प्रेम रखता है, वह उस से भी प्रेम रखता है, जो उस से उत्पन्न हुआ है।'' (१यूहन्ना ५:१)
१. प्रथम, इस पद में ''विश्वास करने से'' क्या तात्पर्यहै।
''जिसका यह विश्वास है कि यीशु ही मसीह है......'' (१यूहन्ना ५:१)
''विश्वास करना'' मूल यूनानी शब्द है ''पिस्टयू'' डॉ ए टी रॉबर्टसन ने कहा कि, ''यह मात्र बौद्धिक रूप से समझना नहीं है, परन्तु यीशु मसीह के प्रति पूर्ण समर्पण है.....पूर्ण रूप से'' (ए टी रॉबर्टसन, लिट डी, वर्ड पिक्चर्स इन दि न्यू टेस्टामेंट, वॉल्यूम ६, ब्राडमेन प्रेस, १९५३, पेज २३७; १यूहन्ना ५:१ पर व्याख्या)
स्ट्रांग का कथन है कि ''पिस्टयू'' का अर्थ है ''किसी एक व्यक्ति पर.....भरोसा होना'' (४१००) स्पर्जन ने कहा कि, ''आप किसी भी यूनानी शब्दकोष को देखो जिसे आप पसंद करते हों, आप को पिस्टयू शब्द का यही अर्थ मिलेगा न केवल विश्वास रखना, पर भरोसा रखना.....(उस) विश्वास पर आत्मविश्वास होना, प्रभु यीशु मसीह पर संपूर्ण भरोसा होना, (न केवल)......... दिखाने मात्र भर विश्वास हो.....(जो) कभी आपकी आत्मा भी बचा भी नहीं सके'' (''फैथ एंड रिजनरेशन,'' मेट्रापोलिटिन टैबरनेकल पुल्पिट, नंबर ९७९, पेज १३८; १ यूहन्ना ५:१ व्याख्या)
दुष्ट आत्मायें यीशु मसीह पर ''अनुमानित'' भरोसा रखती हैं। आपको अधिक लंबा नहीं पढना पढेगा नये नियम में लूका ४:४१ में ही आपको यह पद मिल जायेगा।
और शैतान (दुष्टात्मा) चिल्लाती और यह कहती हुई कि तू परमेश्वर का पुत्र है.........क्योंकि वे जानते थे, कि यह मसीह है (लूका ४:४१)
ये दुष्टात्मायें यीशु को जानती थी कि वह मसीह था। किंतु उस पर विश्वास नहीं रखती थी। यूहन्ना हमें मात्र इस सत्य पर विश्वास रखने को नहीं कह रहा है कि यीशु मसीह, उद्धारकर्ता मसीहा बल्कि वह हमसे कह रहा है कि हम मसीह पर भरोसा रखें − पिस्टयू − ''मसीह पर भरोसा उस पर अपना विश्वास बनाये रखना है।''
स्पर्जन ने पीतल के सर्प के लिये बताया था। सर्प इजरायलियों को काट रहे थे और उन्हे मार डाल रहे थे। परमेश्वर ने मूसा से कहा कि पीतल का सर्प बनाकर उंचे पर टांग दे। जो भी सर्प का काटा हुआ और मरने वाला हो अगर वह पीतल के सांप को देख लेगा तो वह अच्छा हो जायेगा और जीवित रहेगा। यूहन्ना ३:१४, १५ में यीशु ने यही कहानी लोगों को सुनाई ताकि वे जान ले कि कैसे बचा जा सकता है। स्पर्जन ने कहा था, ''यीशु में विश्वास रखना (केवल) उनकी ओर विश्वास भरी निगाहें उठाना है, अपनी आत्मा से उन पर भरोसा रखना है'' (उक्त संदर्भित, पेज १४०) आपका विश्वास अगर थोडा भी हो और अगर आप यीशु की ओर देखेंगे और केवल उसी एकमात्र पर भरोसा रखेंगे, तो तब यह प्रगट हो सकगा कि आप नया जन्म प्राप्त हैं।
''जिसका यह विश्वास है कि यीशु ही मसीह है, वह परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है (१यूहन्ना ५:१)
२. दूसरा, जो यीशु पर विश्वास रखता वह नया जन्म प्राप्त परमेश्वर से जन्मा है।
अब, कई लोग जो कहते हैं कि वे नया जन्म प्राप्त हैं पर वास्तव में उन्होंने यीशु पर भरोसा नहीं रखा है। वे किसी ओर पर भरोसा रख रहे हैं। डॉ कैगन मेरे और इलियाना के साथ सैन डियगो में अंतिम संस्कार में गये थे। जब हम लौट रहे थे हम कैलीफोर्निया के एक दक्षिणी बैपटिस्ट चर्च पर रूके जो अति विशाल था। शनिवार की सभा वहां समाप्त हो रही थी। जब हम बाहर आये मैंने एक जवान स्त्री को देखा जो गार्ड थी। मैंने उससे पूछा, ''तुम कैसे किश्चयन बनी।'' उसने कहा,''मैं पूरे जीवन भर चर्च सदस्य रहीं'' मैंने कहा, ''मैं नहीं सोचता कि तुम मेरा प्रश्न समझी हो।'' मैंने पूछा ''तुम कैसे किश्चयन बनी?'' उसने कहा, ''मेरा बपतिस्मा हुआ था।'' मैंने फिर पूछा, ''पर कैसे तुम मसीही कहलायी'' उसने उत्तर दिया, ''मैं प्रति सप्ताह चर्च आती हूं।'' मैं उदास होकर वहां से चला आया। वह बेचारी जवान स्त्री एक शब्द भी यीशु के बारे में नहीं बोल पाई! विशाल दक्षिणी बैपटिस्ट चर्च का पास्टर पूरे संसार भर में जाने जाते हैं। उस स्त्री ने अपनी उम्र भर उन पास्टर का प्रचार सुना। तौभी वह नीकुदेमुस के नये जन्म से परिचित नहीं थी। जिसने यीशु से कहा था, ''ये चीजें कैसे संभव है?'' (यूहन्ना ३:९)
सचमुच प्रभु हमारी सहायता करे! इसमं कोई आश्चर्य नहीं जब किस्टीन विकीर ने कहा, ''अमेरिका में इवेंजलीकल मसीहत दम तोड रही है।'' इसमें कोई आश्चर्य नहीं जब डॉ टोजर ने कहा था, ''स्वस्थ मसीहत के प्रति इतना विशाल संपूर्ण इवेंजलीकल संसार इतने बडे स्तर पर भी कारगर नहीं है।'' बिना यीशु पर भरोसा लाये आप वैसे ही खोये हुये हैं जैसे वह बेचारी जवान स्त्री, जो उस विशाल दक्षिणी चर्च की आजीवन सदस्या है। ओह, चर्च की सदस्यता पर भरोसा मत कीजिये! बपतिस्मा पर भरोसा मत कीजिये! अपने खुद के भल कायों पर भरोसा मत कीजिये! जो कुद भी करते हैं भावनाओं पर भरोसा मत कीजिये! यीशु मसीह पर भरोसा कीजिये! क्रूस पर बहाये लहू से अपने पापों को शुद्ध कर लीजिये! जैसा स्पर्जन अक्सर कहा करते थे, ''मसीह के समक्ष नतमस्तक हो जाइये।'' मसीह की ओर देखो। मसीह पर भरोसा रखो। मसीह की ओर देखिये! यह इतना कठिन नहीं है। उसकी ओर इस तरह देखिये जैसे इजरायलियों ने पीतल के सर्प को देखा था तब वे चंगा हुये!
देखो और जीवित रहो मेरे भाई!
यीशु की ओर अब देखो और जीवित रहो,
यह उसके वचन में दर्ज है, हल्लेलुयाह!
केवल उसी को देखना है और जीवित रहना है!
(''देखो और जीवित रहो'' विलियम ए आँगडेन १८४१−१८९७)
३. तीसरा, नये जन्म से जो निकलकर प्रवाह बहता है।
''जिसका यह विश्वास है कि यीशु ही मसीह है, वह परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है और जो कोई उत्पन्न करने वाले से प्रेम रखता है, वह उस से भी प्रेम रखता है, जो उस से उत्पन्न हुआ है।'' (१यूहन्ना ५:१)
इस पद का दूसरा हिस्सा देखिये, ''.....और जो कोई उत्पन्न करने वाले से प्रेम रखता है, वह उस से भी प्रेम रखता है, जो उस से उत्पन्न हुआ है'' (१यूहन्ना ५:१) अगर चर्च में भाइयो और बहनों मध्य प्रेम है तो यह नये जन्म के कारण उपजा प्रेम है। सच्चे परिवर्तन की जांच यही है कि हम वास्तव में एक दूसरे से प्रेम रखते हैं तो हम सच्चे परिवर्तित जन कहलाते हैं। डॉ जे वर्नान मैगी ने कहा था, जब आप प्रभु यीशु मसीह पर भरोसा रखते हैं तो आप सच्चे रूप में नया जन्म पाये हुए हो.....और यही इस बात का प्रमाण है कि आप परमात्मा से प्रेम रखते हो। आप (पिता) से आपके परम पिता से प्रेम रखते हो − वह आप को उत्पन्न करता है − और आप उसके अन्य बच्चों से भी प्रेम रखोगे क्योंकि वे आपके भाई और बहिन हैं'' (थ्रू दि बाईबल, थॉमस नेल्सन, १९८३; १ यूहन्ना ५:१ पर व्याख्या)
मुझे निश्चय है कि इसीलिये चर्चेस में इतने झगडे हैं और इतने विभाजन हैं, लोग चर्च छोड कर जा रहे हैं, विशेषकर जवान लोग। कई सालों तक, डॉ तिमोथी लिन मेरे पास्टर रहे। उन्होंने एक समस्या ग्रस्त चर्च के विषय में लिखा था,
कलीसिया में (विशेष) कर कई लोग दावा करते हैं कि वे मसीही हैं कि उनके पास आत्मिक जीवन है; वे अधिकारों के लिये बडे थे किंतु कर्तव्यों से विमुख हो गये। ऐसे सदस्य चर्च की सेवकाई संभालने क लिये उपयुक्त नहीं थे........दुर्भाग्य से, लोग अक्सर कैंसर की कोशिकाओं को (अपरिवर्तित लोगों) को मसीह के शरीर में लगाते है। यह वह कारण है कि क्यों.........आज के चर्चेस इस लंबी बीमारी से जूझ रहे थे (तिमोथी लिन, पी एच डी, दि सीक्रेट आँफ चर्च ग्राथ, एफसीबीसी, १९९२, पेज ३८−४०)
डॉ.ल्योड जोंस ने भी इसी समस्या का देखा था, उन्होंने कहा था,
यह विचार की हजारों लोग चर्च के सदस्य हैं और नियमित चर्च आते हैं इसलिये उन्हें मसीही कहलाये जाना आवश्यक है यह सबसे घातक अनुमान है। और मैं तो यह सलाह देता हूं कि यही आज की चर्च की (बुरी) दशा के लिय जिम्मेदार है (मार्टिन ल्योड जोंस, एम डी,प्रीचिंग एंड प्रीचर्स, जोंदरवन पब्लिशिंग हाउस, १९८१ संस्करण पेज )
खोये हुये सदस्य लगभग सभी बैपटिस्ट और इवेंजलीकिल चर्च के; बिना प्रश्न पूछे ही सदस्यता पा जाते हैं। वे जल्दी से सदस्य बना लिये जाते हैं। उनमें से कई तो सच्चे मसीही बन भी नहीं पाते हैं। जैसा डॉ लिन ने कहा वे ''मसीही होने का दावा करते हैं पर उनके पास अनंत जीवन नहीं हैं'' उनके पास बेशक जो एआइनीयो नहीं है − परमात्मा का जीवन उनके भीतर नहीं है। परमात्मा का जीवन तभी लोगों की जिंदगियों में आयेगा जब वे परिवर्तित हो चुके हो। जैसा कि हमारा पद कहता है, वे ''परमेश्वर से जन्में है,'' ''परमेश्वर से उत्पन्न हैं।'' महान प्रचारक जॉर्ज वाईटफील्ड (१७१४−१७७०) में बचाये गये थे जब उन्होंने हैनरी स्कोगल की पुस्तक ''दि लाईफ आँफ गॉड विदिन दि सोल आँफ मैन'' पढी। परमेश्वर का जीवन उसी क्षण लोगों के भीतर जीवित हो उठता है जिस क्षण वे यीशु पर विश्वास रखत हैं। उन्हें कुछ ऐसा ''महसूस'' नहीं होता है, किंतु गंभीर व परिपक्व मसीही जन यह पहचान जाते हैं कि नये जन्में लोगों में कुछ अलग सा जरूर हैं एक जो मुख्य अंतर है कि वे ''परमेश्वर के अन्य बच्चो को कलीसिया के भीतर गहरे प्रेम से पेश आते है, जो ''परमेश्वर से जन्में हैं'' उनके साथ प्रेम से रहते हैं। उनका स्वभाव नम्र होता है। व्यवहार अच्छा करते हैं। वे उन लोगों का भी अनुभव कर लेते हैं जिनके अंदर परमेश्वर का जीवन है। उनके भीतर मसीही प्रेम जीवित रहता है, वे खोये हुये संसार से प्रेम रखते हैं, खोये हुये चर्च सदस्यों से प्रेम रखते हैं, जिनको दूसरे लोग नहीं समझते उनके प्रति प्रेम रखते हैं। डॉ ल्यॉड जोंस ने कहा, ''हमें हमारे भीतर आत्मिक स्वभाव चाहिये ताकि हम वास्तव में एक दूसरे से प्रेम रख सकें'' (दि लव आँफ गॉड, क्रासवे, १९९४, पेज ४५) जैसे प्रेरित पौलुस ने अपने प्रारंभिक पत्रियों में लिखा है,
''हम जानते हैं, कि हम मृत्यु से पार होकर जीवन में पहुंचे हैं; क्योंकि हम भाइयों से प्रेम रखते हैं: जो प्रेम नहीं रखता, वह मृत्यु की दशा में रहता है।'' (१यूहन्ना ३:१४)
वह व्यक्ति नियमित आत्मिक रूप से निर्जीव दशा में रहता है। हमारी प्रार्थना है कि आप आज सुबह निर्जीव अवस्था से सजीव में पहुंच जाये। यीशु पर विश्वास लाइये। यीशु पर भरोसा कीजिये। पूण्र रूप से यीशु पर निर्भर रहियें उनका रक्त आपके पापों को शुद्ध कर सकता है। उनका पुनरूत्थान आप को मुरदों में से जीवित कर जीवन दे सकता है। जिस क्षण आप यीशु की ओर मुडते हैं और केवल उन पर ही एकमात्र भरोसा रखते हैं − आप मृत्यु से पार होकर जीवन में पहुंचते हैं। आप आत्मिक रूप से पवित्र प्रेम के साथ संयुक्त होकर दूसरे लोगों के साथ अच्छा व्यवहार कर सकते हैं।
''वे हमें मसीही रूप में जानेंगे, हमारे प्रेम द्वारा, हमारे प्रेम द्वारा,
हां, वे हमें हमारे प्रेम से पहचान लेंगे''
(कोरस लिखत द्वारा पीटर आर, शोल्टस १९३८−२००९)
मेरी प्रार्थना है यही आपका भी अनुभव हो शीघ्र ही! यीशु पर भरोसा लाइये। वह क्रूस पर बहाये लहू से आपके पापों को शुद्ध कर देंगे। वह आप को पापों से बचायेंगे और अनंत जीवन देंगे − यहां तक कि परमेश्वर का जीवन देंगे! आप फिर से नया जीवन प्राप्त करेंगे, उपर से ही नया जन्म प्राप्त होगा!
मैं ''आँलिवर टिवस्ट'' के एक दृश्य का स्मरण करवाते हुये इस संदेश का अंत करूंगा। आँलिवर एक अनाथ लडका था लगभग ९ या १० वषों का। उसकी मां उसे जन्म देते समय मर गई थी और उनका कोई रिश्तेदार भी नहीं था। वह अनाथ था − संपूर्ण संसार में बिल्कुल अकेला। वह १९वीं सदी के इंग्लैंड मे एक अनाथालय में रहता है। उसे अधपेट ही भोजन मिलता है। वे प्रत्येक रात उसे पानी दार दलिया दिया करते थे। दूसरे लडके आँलिवर की मेज पर जाकर फुसफसाते थे और कहते, ''जाओ जाकर और मांग लो।'' आखिरकार, भूख से व्याकुल होकर, छोटा लडका अपना कटोरा लेकर मोटे प्रबंधक के पास जाता। उस मोटे जन ने उसे देखा और कहा, ''तुम्हे क्या चाहिये?'' वह घबराते हुये धीमी आवाज में बोला, ''विनती करता हूं, महाशय थोडा और मिलेगा क्या?'' मोटे जन ने पूछा, ''क्या? तुम्हे और चाहिये?और चाहिये! तुम्हे और चाहिये!'' आँलिवर को छडी पडी और कमरे में बंद कर दिया गया। वे उससे छुटकारा पाना चाहते थे। दो एक दिन में वह नौकर का काम करने के लिये भेज दिया गया, जहां उसे अंधेरे कमरे में शव पेटिका के नीचे सोना पडता था।
अगर आपने डिकेंस की पुस्तक कभी पढी हो, या कभी १९४८ की पिक्चर देखी हो, आप कभी भी वह दृश्य नहीं भूलोगे − जहां वह भीमकाय, मोटा ''चपरासी'' उस भूखे बालक को दूसरा चम्मच पानी वाला दलिया देने से मना कर देता है।
मुझे डर है कि आप कभी मसीह के लिये इस रूप में न सोचने लगो। आप क्या उसे तुच्छ और कठोर मन का समझते हो। आप क्या सोचते हैं वह आपको उद्धार नहीं देना चाहता। आप कितना गलत सोचते है! मसीह आपको प्यार करते हैं! वह आपको और अधिकाधिक देना चाहते हैं − अधिकाधिक! यीशु कहते हैं, ''मेरे पास आओ........और मैं तुम्हे विश्राम दूंगा'' (मत्ती ११:२८) यीशु कहते हैं, ''मैं तुझे अनंत जीवन दूंगा'' (यूहन्ना १०:२८) यीशु कहते हैं, ''मैं तुम्हे उस सोते में से दूंगा जिसका पानी कभी सूखता नहीं'' (प्रकाशितवाक्य २१:६)
यीशु आपको बिना दाम के पापों से उद्धार प्रदान करेगा। वह आपको अनंत जीवन और शांति देगा। यीशु आपको पापों से उद्धार प्रदान करेगा। यीशु आपको अनंत जीवन प्रदान करेगा आपको केवल यह करना है कि उस पर भरोसा रखें, उसकी ओर देखें और नया जन्म पाकर बचाये जाये।
देखो और जीवित रहो मेरे भाई!
यीशु की ओर अब देखो और जीवित रहो,
यह उसके वचन में दर्ज है, हल्लेलुयाह!
केवल उसी को देखना है और जीवित रहना है!
(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व ऐबेल प्रुद्योमे द्वारा प्रार्थना की गई: १यूहन्ना ४:७−११; ३: ११−१४
संदेश के पूर्व बैंजामिन किन्केड गिफिथ द्वारा एकल गीत गाया गया:
''ब्लेस्ट बी द टॉइ'' (जॉन फॉसेट, १७४०−१८१७)
''वे हमें मसीही रूप में जानेंगे, हमारे प्रेम द्वारा'' (पीटर आर, शोल्टस १९३८−२००९)
रूपरेखा पुनरूद्धार − मसीही प्रेम की कडी REGENERATION – THE LINK TO CHRISTIAN LOVE द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स ''जिसका यह विश्वास है कि यीशु ही मसीह है, वह परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है और जो कोई उत्पन्न करने वाले से प्रेम रखता है, वह उस से भी प्रेम रखता है, जो उस से उत्पन्न हुआ है।'' (१यूहन्ना ५:१) (तीतुस ३: ५) १. प्रथम, इस पद में ''विश्वास करने से'' क्या तात्पर्य है, १यूहन्ना ५:१अ; लूका ४:४१ २. दूसरा, जो यीशु पर विश्वास रखता वह नया जन्म प्राप्त परमेश्वर से जन्मा है, यूहन्ना ३: ९ ३. तीसरा, नये जन्म से जो निकलकर प्रवाह बहता है, १यूहन्ना ५:१ब; ३:१४; मत्ती ११:२८; यूहन्ना १०:२८; प्रकाशितवाक्य २१:६ |