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चुनाव

ELECTION
(Hindi)

द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की सुबह, फरवरी १, २०१५ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल में किया गया प्रचार
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Morning, February 1, 2015

''यह सुनकर अन्यजाति आनन्दित हुए, और परमेश्वर के वचन की बड़ाई करने लगे: और जितने अनन्त जीवन के लिये ठहराए गए थे, उन्होंने विश्वास किया।'' (प्रेरितों के कार्य १३:४८)


रोमन राज्य के पिसदिया के अंताकिया में पौलुस अपने साथियों के साथ यात्रा करते हुये पहुंचा। वे एक आराधनालय में पहुंचे। उस आराधनालय के प्रमुख अगुवों ने पौलुस को बोलने के लिये आमंत्रित किया। जो यहूदी धर्मवृद्ध यात्रा करके अंताकिया पहुंचे थे और उन्हें परंपरानुसार पौलुस से कुछ कहने का आग्रह किया। वे यह सुनना चाहते थे कि यरूशलेम के धार्मिक केंद्र में क्या हो रहा था। इस मौके ने पौलुस को धर्मप्रचार करने का बडा अवसर दे दिया। पौलुस खडा हुआ और प्रचार करना आरंभ किया। उसने इजरायल का इतिहास दोहरा दिया। उसने यीशु के आने के विषय में बोला और क्रूस पर उसकी मृत्यु के विषय में, उसके मरे हुओं में से जी उठने के विषय में बोला। जब पौलुस बोलकर समाप्त हुआ तो कुछ यहूदी और कई अन्य जाति जो यहूदी मत में आ चुके थे वे और अधिक सुसमाचार सुनने के इच्छुक हो गये।

अगले सब्त में लगभग पूरा शहर पौलुस द्वारा उद्धार के शुभ संदेश को सुनने जमा हुआ।

''यह सुनकर अन्यजाति आनन्दित हुए, और परमेश्वर के वचन की बड़ाई करने लगे: और जितने अनन्त जीवन के लिये ठहराए गए थे, उन्होंने विश्वास किया।'' (प्रेरितों के कार्य १३:४८)

शाब्दिक तौर पर, ''जितने अनंत जीवन के लिये ठहराये गये थे उन्होंने विश्वास किया।'' परमेश्वर ने उनमें से कुछ लोगों को पहले ही चुन रखा था। अब परमेश्वर उन्हें विश्वास रखने के कारण मसीह के पास खींचकर लाया। लूका ने इस भाषा का इस्तेमाल किया ''ठहराये गये थे'' − ''अभिषिक्त किये गये थे'' यह इस बात को दर्शाता है कि परमेश्वर यह कार्य कर रहा था। केवल परमेश्वर ही तो शाश्वत जीवन प्रदान कर सकता है। परमेश्वर की संपूर्ण करूणा में पापियों को बचाने के लिये यह सब स्पष्ट कथनों में से एक कथन है। परमेश्वर चुनता है कौन बचाया जायेगा। वह उन्हें बुलाता है। वह उन्हें खींचता है। वह उनका मन परिवर्तित करता है। ''जितने में अनंत जीवन के लिये अभिषिक्त (नियुक्त) किये गये थे उन्होंने विश्वास किया।'' डॉ डब्ल्यू ए क्रिसवेल ने इस पद के विषय में कहा था,

जो शाश्वत जीवन के लिये नहीं चुने गये थे उन्होंने विश्वास नहीं किया, जितने चुने गये थे उन्होंने विश्वास किया (''चुनाव: परमेश्वर की संपूर्ण करूणा का उददेश्य प्राप्त किया गया'')

यह बिल्कुल साधारण सी बात है! चुनाव की शिक्षा बाईबल की शिक्षा है। यह संपूर्ण बाईबल में हमें मिलती है।

हमने पढा कि नूह एक भ्रष्ट, बुरे और घृणित पाप करने वाले संसार में रह रहा था। (उत्पत्ति ६:८) नूह और उसका परिवार उस महाप्रलय से बचाये गये क्योंकि परमेश्वर ने उन्हें चुना और अपने अनुग्रह से बचाया। यह चुनाव कहलाता है!

हमने अब्राहम के विषय में पढा जो कसदियों के उर नामक शहर से बुलाया गया, वह उर शहर प्राचीन संसार के सबसे बडे मूर्तिपूजक शहरों में से एक था। परमेश्वर ने अब्राहम को मूर्तिपूजा से बाहर निकाला और उसे बचाया और एक बडे राष्ट्र की आशीष दी। यह चुनाव है!

हमने पढा कि लूत पाप से ओत प्रोत शहर सदोम में रह रहा था। उस शहर को नाश होना ही था। लूत उस शहर को छोडना नहीं चाहता था,

''पर वह विलम्ब करता रहा, इस से उन पुरूषों ने उसका और उसकी पत्नी, और दोनों बेटियों का हाथ पकड़ लिया; क्योंकि यहोवा की दया उस पर थी: और उसको निकाल कर नगर के बाहर कर दिया'' (उत्पत्ति ६:८)

यह चुनाव है!'' लूत की पत्नी ने जो उसके पीछे थी दृष्टि फेर के पीछे की ओर देखा, और वह नमक का खम्भा बन गई''। (उत्पत्ति १९:२६) लूत की पत्नी के साथ ऐसा क्यों हुआ? वह चुने हुओं में से नहीं थी। इसलिये वह नाश हो गई!

हमने मिस्र में इजरायल की संतानों के बारे में सुना जो मिस्र में इजरायल की संतानों के बारे में सुना जो गुलामी में चले गये थे। परमेश्वर ने मूसा को उन्हें छुडाने भेजा। उस जलती हुई झाडी में निर्जन स्थान में, परमेश्वर ने मूसा से कहा,

''इसलिथे अब मैं उतर आया हूं कि उन्हें मिस्रियों के वश से छुड़ाऊं, और उस देश से निकालकर एक अच्छे और बड़े देश में जिस में दूध और मधु की धारा बहती है।'' (निर्गमन ३:८)

यह चुनाव है! संपूर्ण पुराने नियम में यह बार बार सिखाया गया है।

यशायाह भविष्यदर्शी के समय इजरायल का राष्ट्र मूर्तिपूजक और दुष्ट राष्ट्र में परिवर्तित हो चुका था। उस समय भविष्यवक्ता ने कहा,

''यदि सेनाओं का यहोवा हमारे थोड़े से लोगों को न बचा रखता, तो हम सदोम के समान हो जाते, और अमोरा के समान ठहरते'' (यशायाह १:९)

केवल शेष बचे लोग ही बचाये गये। यह भी चुनाव है!

नये नियम में हम बार बार पढते हैं परमेश्वर दयालू है, वह अनुग्रह करना चाहता है। रोमियों में हम पढते है,

''सो इसी रीति से इस समय भी, अनुग्रह से चुने हुए कितने लोग .... ....बाकी हैं। सो परिणाम क्या हुआ यह? कि इस्त्राएली जिस की खोज में हैं, वह उन को नहीं मिला; परन्तु चुने हुओं को मिला और शेष लोग कठोर किए गए हैं।'' (रोमियों ११:५, ७)

इफिसियों में हम पढते हैं,

''और अपनी इच्छा की सुमति के अनुसार हमें अपने लिये पहिले से ठहराया, कि यीशु मसीह के द्वारा हम उसके लेपालक पुत्र हों, कि उस ने अपनी इच्छा का भेद........उस सुमति के अनुसार हमें बताया जिसे उस ने अपने आप में ठान लिया था। कि समयों के पूरे होने का ऐसा प्रबन्ध हो कि जो कुछ स्वर्ग में है, और जो कुछ पृथ्वी पर है, सब कुछ वह मसीह में एकत्र करे। उसी में जिस में हम भी उसी की मनसा से जो अपनी इच्छा के मत के अनुसार सब कुछ करता है, पहिले से ठहराए जाकर मीरास बने।'' (इफिसियों १:५,९−११)

२ थिस्सलूनिकियों में हम पढते हैं,

''पर हे भाइयो, और प्रभु के प्रिय लोगो चाहिये कि हम तुम्हारे विषय में सदा परमेश्वर का धन्यवाद करते रहें, कि परमेश्वर ने आदि से तुम्हें चुन लिया; कि आत्मा के द्वारा पवित्र बन कर, और सत्य की प्रतीति करके उद्धार पाओ। जिस के लिये उस ने तुम्हें हमारे सुसमाचार के द्वारा बुलाया, कि तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह की महिमा को प्राप्त करो।'' (२ थिस्सलूनिकियों २:१३−१४ )

परमेश्वर चुनाव करता है, परमेश्वर बुलाता है, परमेश्वर अपने लोगों को चुनता है। चाहे कोई राजनीतिज्ञ कुछ भी बोले, चाहे किसी राष्ट्र की कोर्ट कुछ भी बोले, चाहे कोई मुस्लिम आतंकवादी कुछ भी कहे, परमेश्वर ने इजरायल की भूमि अब्राहम और उसके वंशजों को ही सौंपी है हमेशा के लिये। यह देश उन्हीं का है। परमेश्वर द्वारा किये गये चुनाव के उददेश्य के कारण ही इजरायल बचाया गया और परमेश्वर यह देश अपनी प्रतिज्ञा किये गये लोगों को ही सौंपेगा। कोई राष्ट्र या आतंकवादी इस देश को उनसे छीन न सकेगा। यह चुनाव है!

कई लोग कहते हैं कि अगर आप चुनाव में विश्वास करते हैं तो फिर आपको आत्मा जीतने की आवश्यकता नहीं है। मैं मानता हूं वे कुछ आधुनिक केल्वीनवादियों के कारण ऐसा कहते हैं जो आत्मायें नहीं जीतते। किंतु डॉ मार्टिन ल्यॉड − जोंस ने कहा था, कि वे वास्तविक काल्विनवादी नहीं थे, उनके विश्वास केवल ''दर्शनशास्त्र'' के जैसे ही पाये गये। जो मनुष्य सचमुच मे चुनाव में विश्वास करता है वह युगों तक महानतम आत्मा जीतने वालों में गिना जाता है − जैसे वाईटफील्ड, जो महान इवेंजलिस्ट थे; विलियम केरी, जो एक मार्गदर्शक मिशनरी थे; अदोनीराम जडसन, जो प्रथम अमेरिकन मिशनरी थे; डॉ डेविड लिविंगस्टोन, जो अफ्रीका के चेथे; सी एच स्पर्जन, जो सब युग के महानतम बैपटिस्ट प्रचारक कहलाते थे − ये सभी मनुष्यों ने चुनाव पर विश्वास किया!

मैंने अप्रेल में चालीस साल पहले यह चर्च प्रारंभ किया था। मैं भी हमेशा चुनाव में विश्वास नहीं करता था। मैं सोचता था कि ये तो सब मेरे उपर निर्भर करता है। उस बोझ को उठाते उठाते मैं टूट गया! किंतु जैसे ही मैंने इस महान सत्य को पहचानना आरंभ किया, परमेश्वर का चुनाव वाला अनुग्रह, उसके द्वारा इवेजलिज्म का कार्य मेरे लिये बडे आनंद का विषय हो गया, क्योंकि इसमें यह आशा निहित है कि यह आप पर निर्भर है! आप असफल नहीं हो सकते! हम इस बडे शहर के मॉल्स में और दुष्ट गलियों में जाते है − हमारी मानवीय बुद्ध कहती है, ''आप इसे नहीं कर सकते। यह नहीं किया जा सकता! प्रत्येक को जिसे तुम चर्च में लेकर आते हो वह फिर से बदल जायेगा!'' किंतु यह तो शैतान की आवाज है! परमेश्वर का वचन यह कहता है,

''और जितने अनन्त जीवन के लिये ठहराए गए थे, उन्होंने विश्वास किया।'' (प्रेरितों के कार्य १३:४८)

हम असफल नहीं हो सकते! चुने हुओं को तो आना ही है और ठहरना ही है! चुने हुये बचाये जायेंगे! जाओ और उन्हें लेकर आओ! इसे करिये! और मसीह को उनके द्वारा महिमा मिलेगी! चुने हुये बचाये जायेंगे! ''उन्हें लेकर आइये'' गीत गाईये!

उन्हें लेकर आइये, उन्हें लेकर आइये,
   पाप के बडे खेतों में से उन्हें लेकर आइये,
उन्हें लेकर आइये, उन्हें लेकर आइये,
   भटके हुये लोगों को यीशु के पास लाईये।
(''ब्रिंग देम इन'' ऐलेक्सिना थॉमस, 19 वीं सदी)

शैतान तो कहेगा, ''कोई आत्मिक जागरण कभी भी नहीं होगा! पहले भी तो कोशिश करके देखी थी! यह कभी नहीं हुआ।'' परन्तु परमेश्वर द्वारा ठहराये गये चुनाव के उददेश्य द्वारा यह हो सकता है! मैं मानता हूं यह होगा! परमेश्वर वह कर सकता है जो हम नहीं कर सकते! प्रभु आत्मिक जागृति भेजिये! इसे गाईये!

प्रभु, आत्मिक जागृति भेजिये,
   प्रभु, आत्मिक जागृति भेजिये,
प्रभु, आत्मिक जागृति भेजिये,
   इसे मेरे अंदर प्रारंभ होने दीजिये!

परन्तु बाईबल में एक खतरनाक चेतावनी भी देखी है जो हम पर आज लागू होती है। यह वह चेतावनी है,

''परन्तु चुने हुओं को मिला और शेष लोग कठोर किए गए हैं'' (रोमियों ११:७)

''यह'' उद्धार का संकेत देती है और हमारे चर्च में यह हम पर लागू होती है।

चुने हुये क्यों समर्थन प्राप्त करते हैं? क्योंकि परमेश्वर ने उन्हें सुनने के लिये कान दिये है, देखने के लिये आंखे दी है। वे संदेश को ध्यान से सुनते हैं। वे अपने पापों को देखते हैं। वे मसीह पर विश्वास लाते हैं। यह इतनी ही सरल बात है। ''शेष बचे हुये अंधे कर दिये गये'' मेरी उम्मीद है कि यह आपके लिये सच नहीं हो सकता, किंतु मैं सोचता हूं कि यह सच हो भी सकता है। ''चुने हुओं ने इसे प्राप्त किया, शेष अंधे कर दिये गये।''

आप देखते हैं, ''शेष'' ने इसे पहले भी सुना और उन्होंने अपने दिमागों को बंद कर लिया। ऐसे लोगों ने पास्टर वर्मब्रांड को चोट वाले वीडियो को देखा होगा, जो चोटें उन्हें से प्राप्त हुई, वह पास्टर मसीह के लिये प्रताडित किये गये। उन्होंने इसे पहले भी देखा होगा। चूंकि उन्होंने देखा भी है, तौभी उनके दिमाग पूरी रीति से बंद है। वे सुनते नहीं हैं, वे यह नहीं सोचते कि पास्टर वर्मब्रांड क्या कहते हैं! उन्होंने पहले से सुन रखा है कि डॉ चान क्या कहते हैं − कई बार सुना होगा। किंतु उनके दिल का सरलपन, उनकी पारदर्शी ईमानदारी और सच्चाई जो उनके संदेशों से झलकती है, वह भी लोगों को नहीं छूती। उन्होंने पहले से उन्हें प्रचार करते हुये और प्रार्थना करते हुये सुना है तो भी उनके दिमाग मोटे ही हैं जो यह नहीं समझते कि क्या कहते हैं। उन्होंने मुझे कितनी बार प्रचार करते हुये सुना है − कई बार, अनेकों बार। और तो भी, मेरी थरथराने देने वाली आवाज उनकी अंदर से रोकने वाली इच्छा शक्ति को भेदती नहीं है। उन्होंने मेरे द्वारा बार बार याचना सुनी होगी। और तो, और मेरे संदेश इन मोटे मन वालों को छूते नहीं हैं। उनके दिमाग मेरे प्रचार के लिये बंद है।

किंतु चुने हुये लोग ऐसे नहीं होते। जब वे पास्टर वर्मब्रांड का वीडियो देखते हैं, वे आश्चर्य और आह से भर जाते हैं वे उनकी बात को ऐसे सुनते हैं जैसे वह प्रेरित पौलुस हो, जो रोम की कैद से छूट कर आ गये थे। वे डॉ चान को ऐसे सुनते हैं मानो वैद्य लूका प्रचार कर रहा हो। जिसकी परमेश्वर के साथ ताजी मुलाकात हुई हो। वे मेरा कंपा देने वाला प्रचार भी वे सुनते हैं मानों मैं लूथर हूं, जो परमेश्वर के नियमों को घोषित कर रहा हो, और मसीहा के घावों से बहते लहू में जिसको शांति मिलती है।

''परन्तु चुने हुओं को मिला और शेष लोग कठोर किए गए हैं'' (रोमियों ११:७)

जब पास्टर वर्मब्रांड को कैदखाने में रखा गया तब वह अन्य कैदी साथियों के सामने प्रचार कर पाते थे। तब एक आदमी, जिसका नाम स्टेनसू था, उसने उनसे कहा,

(जॉर्ज) बर्नाड शॉ ने एक बार सुझाव दिया था कि बचपन लोगों की जिंदगी का वह भाग होता है कि वह इसे थोडे थोडे डोज में लेता है और बहुत कम लोग मसीहत में रहते हुये भी इसे पहचान पाते हैं (रिचर्ड वर्मब्रांड, इन गॉडस अंडरग्राउंड, लिविंग सेक्रीफाईज बुक कंपनी, २००४ पुर्नमुद्रण, पेज १२०)

क्या यह आपके साथ कभी हुआ? क्या आपका टीकाकरण हुआ है? क्या आपको मसीहत की बहुत सारी अलग अलग वास्तविक खुराक दी गई है जिनके कारण आप सही चीजों को पहचान नहीं पा रहे हों?

सच्चे मन परिवर्तन के अनुभव के लिये आपको नई आंखों से देखना होगा और हर चीज नये कानों से सुनना होगी। जो सच्चाई आपने बाईबल में पढी है वह आपके लिये कीमती हो जायेगी। आपकी आत्मा की कीमत, आपके मन का पाप, मसीह से दूर रहकर शाश्वत काल के लिये चाह रखना − यह सब बातें आपकी आत्मा में नये तरीके से अंदर तक उतर जानी चाहिये, नहीं तो आपको उद्धार प्राप्त नहीं होगा।

डॉ कैगन और मैंने बहुत से लोगों को देखा है जिन्हें हम ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि वे बचाये जायेंगे, किंतु अचानक उनके मनों में पाप से सामना हुआ और उनके दुष्ट मनों ने उन्हें कचोटा। हमने उन्हें इस संसार की सीमा पार करते हुये आध्यात्मिक क्षेत्र में विश्वास के साथ मसीह के साथ मुठभेड करते देखा है। हम तर्क लगाकर भी उनमें अचानक पैदा हुये विश्वास को परिभाषित नहीं कर सकते, जो यह मानवीय − आत्मिक मुठभेड हुई उसको। यह हमारे कुछ विशेष कहने और करने से नहीं हुआ। हमने उन्हें वही शब्द दोहराये जो हमेशा प्रचार में दोहराते आये थे। किंतु अचानक ही परमेश्वर ने उनके मनों से बातचीत की। वे अपने पापमय स्वभाव के आगे हार गये। वे विश्वास से मसीह के पास लपके। उनके पाप प्रभु यीशु मसीह के बेशकीमती लहू से धोये गये। वे परमेश्वर से उत्पन्न हुये। वे अब मसीह यीशु में हैं। यह मन परिवर्तन का चमत्कार है। यह उद्धार का आश्चर्यकर्म। यही कारण है कि मसीह इस धरती पर क्रूस पर हमारे लिये मरने आया। इसलिये उसने अपना अमूल्य लहू बहाया − ताकि आपके पाप उसके द्वारा सदैव के लिये शुद्ध किये जाये! इसलिये वह मृतकों में से जी उठा − ताकि आपको जीवन मिले।

''परन्तु चुने हुओं को मिला और शेष लोग कठोर किए गए हैं'' (रोमियों ११:७)

कोई कहेगा, ''अरे पास्टर,'' ''मैं अंधत्व प्राप्त नहीं करना चाहता! मैं तो चुने हुओं मे से रहना चाहता हूं।'' तो (२ पतरस १:१०) परमेश्वर की आत्मा का इंकार मत करो, जो आपके भीतर गहराई से घुसकर आपके प्रदूषित मन तक पहुंचता है। परमेश्वर का आत्मा जो मसीह के पास आपको खींचता है, उसके बेशकीमती लहू में सराबोर हो जाओ।

मेरी मां ने उसके जीवन काल में मुझे गई बार चर्च में अंदर आते और बाहर जाते देखा। उसके दिमाग में मानों धुंध छायी हो ताकि सुसमाचार प्रचार को समझ न सके। वह इसे समझ ही नहीं पायी। वह उसे दूर की चीज प्रतीत हुआ। वह भटक चुकी थी। तब उसने मेरे दोनों लडकों को हमारे घर के पिछवाडे गाते सुना। वे केवल सत्रह साल के थे। उसने उन्हें यह गाते सुना,

क्या तुम मेम्ने के लहू से शुद्ध हुये हो?
क्या तुम्हारे कपडे निष्कलंक हैं? क्या वे बर्फ जैसे सफेद हैं?
क्या तुम मेम्ने के लहू से शुद्ध हुये हो?
   ( क्या तुम मेम्ने के लहू से शुद्ध हुये हो?
      एलिशा ए हॉफमन१८३९−१९२९)

उस दिन के बाद उसने मुझसे कहा। उसने मुझसे कहा, ''कितना अजीब गीत ये छोटे लडके गा रहे थे, 'क्या तुम लहू में धोये गये हो?' कितना अजीब गीत था!''

उसके थोडे समय बाद, यह गीत उसे अजीब नहीं लगा। वह मसीह के पास आई और परिवर्तित हो गई। उसने मुझसे कहा, ''यीशु सच्चा है, बेटा रॉबर्ट। जब वह मेरे पास आया, वह कितनी ताजगी भरा और शुद्ध था।'' मैंने यह बात पहले किसी से नहीं सुनी थी। मैंने यह बात कभी पढी भी नहीं। मैं ऐसा किसी का अनुभव भी नहीं जानता हूं जो परिवर्तन के दौरान हुआ हो। किंतु यह मेरी मां का अनुभव था, जो वह विश्वास से मसीह के पास आयी। वह ''मेमने के लहू में धो दी गई थी।''

आपको भी ऐसा अनुभव हो यह आवश्यक नहीं है − किंतु आपको साधारण से विश्वास द्वारा मसीह के पास आना चाहिये, आप भी परमेश्वर के मेम्ने के लहू से धो दिये जायेंगे, जो जगत के पाप उठा ले जाता है। भले ही आपको ठीक ऐसा अनुभव नहीं हुआ हो जैसा उसे हुआ था, यीशु ने वायदा किया है, ''तुम मुझे ढूंढ़ोगे और पाओगे भी; क्योंकि तुम अपने सम्पूर्ण मन से मेरे पास आओगे।'' (यिर्मयाह २९:१३) जब आप यीशु पर विश्वास लाते हो, आप भी चुने हुओं में से एक प्रगट होते जाते हो! डॉ चान, निवेदन है कि प्रार्थना करें ताकि आज कोई यीशु पर विश्वास लाये।

(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व ऐबेल प्रुद्योमे द्वारा प्रार्थना की गई: प्रेरितों के कार्य १३:४४−४८
संदेश के पूर्व बैंजामिन किन्केड गिफिथ द्वारा एकल गीत गाया गया:
''मुझे एक मित्र मिल गया है'' (जेम्स जी स्मॉल, १८१७−१८८८)