इस वेबसाईट का उद्देश्य संपूर्ण विश्व भर के पास्टर्स व प्रचारकों को, विशेषकर तीसरी दुनिया के पास्टर्स व प्रचारकों को नि:शुल्क हस्तलिखित संदेश और संदेश के विडियोज उपलब्ध करवाना है, जहां बहुत कम धर्मविज्ञान कॉलेज और बाइबल स्कूल्स हैं।
इन संदेशों की पांडुलिपियां प्रति माह २२१ देशों के १,५००,००० कंम्प्यूटर्स पर इस वेबसाइट पते पर www.sermonsfortheworld.com जाती हैं। सैकड़ों लोग इन्हें यू टयूब विडियो पर देखते हैं। किंतु वे जल्द ही यू टयूब छोड़ देते हैं क्योंकि विडियों संदेश हमारी वेबसाईट पर पहुंचाता है। यू टयूब लोगों को हमारी वेबसाईट पर पहुंचाता है। प्रति माह ये संदेश ४२ भाषाओं में अनुवादित होकर १२०,००० प्रति माह हजारों लोगों के कंप्यूटर्स पर पहुंचते हैं। उपलब्ध रहते हैं। पांडुलिपि संदेशों का कॉपीराईट नहीं है। आप उन्हें बिना अनुमति के भी उपयोग में ला सकते हैं। आप यहां क्लिक करके अपना मासिक दान हमें दे सकते हैं ताकि संपूर्ण विश्व में सुसमाचार प्रचार के इस महान कार्य में सहायता मिल सके।
जब कभी आप डॉ हायमर्स को लिखें तो अवश्य बतायें कि आप किस देश में रहते हैं। अन्यथा वह आप को उत्तर नहीं दे पायेंगे। डॉ हायमर्स का ईमेल है rlhymersjr@sbcglobal.net.
.
एक महान परमेश्वर − सर्वशक्तिमान और भयानक !A GREAT GOD – MIGHTY AND TERRIBLE! द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स रविवार की प्रात:, ११ जनवरी, २०१५ को लॉस ऐंजिलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल में प्रचार किया संदेश ''हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है, और उपदेश और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है.......'' (२ तीमुथियुस ३:१६) |
जब हम बाईबल खोलते हैं तो हम परमेश्वर का स्वप्रकाशन इसमें पाते हैं। मैं डॉ डब्ल्यू ए किसवेल १९०९−२००२ को उदधृत कर रहा हूं − बहुत सी चीजें हम अध्ययन और परीक्षण से सीखते हैं। हम मिटटी और बीजों से सीखते हैं, पेडों और फल से सीखते हैं, पानी और खनिज, मछली और जानवर, गुरूत्वाकर्षण के बल से और तारों की गति से सीखते हैं। प्रकृति के इस संसार में अध्ययन व परीक्षण से हम कई सारी चीजें सीख सकते हैं। किंतु सत्यता के पीछे क्या है? इस भौतिक संसार में अध्ययन और परीक्षण की सत्यता के पीछे क्या है? जीवन का अर्थ और उददेश्य क्या है? ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो अध्ययन और परीक्षण से भी सीखी नहीं जा सकती। कौन है जिसने यह संसार और तारे व ब्रहांण बनाया? तर्क और परीक्षण और अध्ययन केवल कुछ हद तक ही इस विषय पर बता सकते हैं। किंतु जो बाहरी और भौतिक हैं उससे परे हम नहीं जा सकते। हम जो देखते महसूस करते सूंघते और सुनते हैं यह उससे भी परे बात है − जो हम सीख नहीं सकते।
हम तारों को निरंतर देख सकते हैं और इस निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि जिसने भी इन्हें बनाया होगा वह बहुत महान और सर्वसामर्थी रहा होगा। किंतु उसका नाम क्या है? वह किसके जैसा दिखता है? क्या वह हमें जानता है? क्या वह हमें हमारे नाम से बुला सकता है? हम तारों का सदैव अध्ययन ही करते रह सकते हैं किंतु उसे कभी जान नहीं सकेंगे।
हम सूर्यास्त की खूबसूरती का अध्ययन कर सकते हैं, पार्क में सुंदर पेडों का जमीन पर उगते ढेरों फूलों को हम गौर से देखते हैं। हम प्रकृति में व्याप्त समस्त सुंदरता का अध्ययन कर सकते हैं। हम इस निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि जिसने भी इन्हे रचा है वह सुंदरता, बराबरी और रंग से गहरा प्रेम रखता है। किंतु वह है कौन? वह किसके जैसा है? हम इंद्रधनुष और बादलों का अध्ययन कर सकते हें, और ग्रेंड केन्यॉन के अलग अलग छाया रंगो और एरिजोना के सूर्यास्त की चकाचौध करने वाली सुंदरता का अध्ययन कर सकते हैं। हम ये सब बातों का हमेशा अध्ययन ही करते जायेंगे और परमेश्वर को कभी नहीं जानेंगे।
हम स्वयं अपनी ओर देख सकते हैं। हम संसार की सब सभ्यताओं को देख सकते हैं। समाजशास्त्र और नैतिकशास्त्र का अध्ययन करते हुये, हम इस निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि जिसने भी मानव जाति का निर्माण किया उसे नैतिकता और क्रम की अच्छी जानकारी है। किंतु वह है कौन और उसका नाम क्या है? क्या वह अज्ञात हमें जानता है? यह कैसे हो सकता है कि परमेश्वर ने हमें इस रीति से रचा? सचमुच ये चीजें मनुष्य से छिपी हैं। इन बातों को केवल परमेश्वर के स्वप्रकाशन और स्वयं के दर्शन देने के द्वारा ही संभव किया जा सकता है। अगर परमेश्वर ने स्वयं को प्रकाशित नहीं किया होता, तो हम उसे कभी जान भी नहीं पाते (''दि सेल्फ रिविलेशन आँफ गॉड'' डब्ल्यू ए किसवेल, पी एच डी) ।
परमेश्वर ने स्वयं को बाईबल द्वारा प्रगट किया। इस भटके हुये संसार में बाईबल परमेश्वर का स्वप्रगटीकरण है। जैसे कि प्रेरित पतरस ने कहा, ''बाईबल वह प्रकाश है जो अंधेरे में चमकता है'' (२ पतरस १:१९) परमेश्वर ने स्वयं को बाईबल द्वारा प्रगट किया। इस भटके हुये संसार में बाईबल परमेश्वर का स्वप्रगटीकरण है। हमने आधी सदी से भी अधिक समय तक धर्म का अध्ययन किया है। हमें बताया गया है कि दुनिया में ६०० से भी अधिक धर्म है। कौन सा सच्चा है? हम कैसे जान सकते हैं? हम सदैव इन धर्मो का अध्ययन करते रहेंगे और परमेश्वर को कभी नहीं जानेंगे। परमेश्वर को स्वयं को हमारे उपर प्रगट करना था। और ऐसा ही उसने किया। परमेश्वर ने मनुष्य के समक्ष बाईबल के द्वारा स्वयं को प्रगट किया बाईबल जो ''परमेश्वर की प्रेरणा से लिखी गई, और जो शिक्षा के लिये लाभदायक है....'' (२ तिमुथयुस ३:१६) बाईबल एकमात्र विश्वसनीय स्त्रोत है जिसके द्वारा परमेश्वर का ज्ञान मिलता है। बिना बाईबल के हम परमेश्वर को नहीं जान पायेंगे। हम नहीं जान पायेंगे कि परमेश्वर त्रिएकत्व परमेश्वर है। हम परमेश्वर के गुण नहीं जान पायेंगे – उसका सर्वव्यापी होना, उसका सर्वत्र होना, उसका सर्वशक्तिमान होना, उसका अपरिवर्तनीय ढंग, उसकी पवित्रता, उसकी धार्मिकता, उसका न्याय, उसकी करूणा, उसकी सच्चाई। इतनी सारी बातें मनुष्य कदापि नहीं जान पाता अगर परमेश्वर ने इन गुणों को बाईबल मे नहीं प्रगट किया होता। सच्चे परमेश्वर के विषय में हम जो कुछ भी जानते हैं वह हमें बाईबल से मिलता है क्योंकि,
''हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है, और उपदेश और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है.......'' (२ तीमुथियुस ३:१६)
तो हम क्या कहें, कि, परमेश्वर जो पाप का दंड भी देता है? डॉ जॉर्ज बटिक; जो इंटरप्रेटर बाईबल के बाईबल अस्वीकृत करने वाले संपादक रहे हैं, उन्होंने कहा, ''वह परमेश्वर मेरे लिये शैतान है।'' उनका कथन था कि बाईबल का परमेश्वर ''शैतान'' था। राबर्ट इंगरसोल ने बाईबल के परमेश्वर को, ''गूढ़ परमेश्वर कहा,'' और कहा, ''कि मैं उनसे नफरत करता हूं।'' पाप को दंडित करने वाले परमेश्वर के प्रति नफरत रखना मैंने कॉलेज के विद्यार्थयों से सुना है कि उनके प्राध्यापक ऐसी भावना रखते हैं। जॉर्ज बटरिक के पास परमेश्वर के न्याय को अस्वीकार करने का ऐसा कोई आधार नहीं था सिवाय कि वह स्वयं ऐसी ईष्र्या रखते थे। इंगरसोल के पास परमेश्वर को ''गूढ़ परमेश्वर'' कहने का कोई आधार नहीं है सिवाय उनकी अपनी जलन के। कॉलेज के प्राध्यापक के पास परमेश्वर को अस्वीकार करने का ऐसा कोई आधार नहीं था सिवाय कि वह स्वयं ऐसी ईष्र्या रखते थे।
हम कैसे जान सकते हैं कि वे गलत हैं? हम कैसे उससे भी अधिक जान सकते हैं वे करते हैं? इस पद में उसका उत्तर हमें मिलता है,
''हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है, और उपदेश और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है.......'' (२ तीमुथियुस ३:१६)
बाईबल के सभी इब्रानी व यूनानी शब्द थियोन्यूस्टोस (प्रेरित, 'परमेश्वर की श्वांस द्वारा) के द्वारा दिये गये हैं और ये लाभकारी हैं (ओफेलीमॉस - उपयोगी) यह शिक्षायें उपयोगी है (दिदाजकेलियन - निर्देश, शिक्षा) इत्यादि। जर्मन विद्वान डॉ.फिटज रिनेकर ने कहा था,'' लेखन (धर्मशास्त्र का) परमेश्वर की श्वांस द्वारा फूंका गया है......रब्बियों द्वारा दी जाने वाली शिक्षा यह थी कि परमेश्वर का आत्मा भविष्यवक्ताओं पर उतरता था उनके मनों में व्याप्त हो जाता था उनसे बातें करता था कि भविष्यवक्ताओं के शब्द कभी स्वयं से बाहर नहीं निकले, बल्क वे परमेश्वर के मुख से निकले वचन थे और वे लेखक पवित्र आत्मा की सामर्थ में होकर लिखते थे। पूर्वी कलीसिया (पूर्ण रूप) से इस मत से सहमत रहती थी'' (फिटज रिनेकर, पी एच.डी., ए लिंग्यूस्टक की टू दि ग्रीक न्यू टेस्टामेंट, क्लिओन एल. रोजर्स, जूनि.; ने जर्मन भाषा से इसे अनुवादित किया; २ तिमुथयुस ३:१६ पर व्याख्या)।
इस परमेश्वर द्वारा मुख से प्रेरित शब्दों का सिद्ध खजाना है बाईबल; प्रत्येक इब्रानी और यूनानी शब्द स्वयं ''परमेश्वर के मुख से'' निकला हुआ है! जो कुछ हम परमेश्वर के बारे में जानना चाहते हैं वह बाईबल के मुख से निकला हुआ है! जो कुछ हम परमेश्वर के बारे में जानना चाहते हैं वह बाईबल से हमें मिलता है, और कहीं से नहीं। जैसे कि लूथर ने कहा, ''सोला स्किप्चरा''- हमारे विश्वास और सिद्धांतों का एकमात्र स्त्रोत बाईबल है। डॉ.मार्टिन ल्योड जोंस ने कहा था, ''अंतत: दो ही खास बाते हैं; या तो हम बाईबल को ठोस मान लें, या हम मनुष्य की विचारधारा पर विश्वास करें.....बाईबल का संपूर्ण सत्य यह है कि यह परमेश्वर का अदभुत प्रकाशन है'' (फैलोशिप विथ गॉड, क्रासवे बुक्स, १९९३, पेज १०४) तो जब लोग कहते हैं, ''यह आपका अपना मत है''- मैं उन्हे उत्तर देता हूं, ''नहीं, यह मेरा मत नहीं है, यह तो बाईबल का मत है, परमेश्वर की सीधी सी शिक्षा है।'' तब वे कहते हैं, ''किंतु आप इसे कैसे समझाओगे?'' मैं कहता हूं, ''उसी तरह समझाता हूं जैसे मैं किसी समाचार पत्र को समझाता हूं - अर्थात जो उसमें लिखा हो।''
मेरा यह उत्तर भटके लोग पसंद नहीं करते। क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों? ऐसा इसलिये क्योंकि वे शैतान की सुन रहे होते हैं। शैतान ने हमारी आदि माता को भी यह बताने के द्वारा भ्रमित किया था कि जो परमेश्वर ने कहा है वह वास्तव में ऐसा नहीं है (उत्पत्ति ३:१−५) परमेश्वर के जिस वचन को अस्वीकार पर प्रारंभिक मनुष्य मानव जाति का विनाश! परमेश्वर हमारी सहायता करे! प्रत्येक चीज जो सच्चे परमेश्वर के बारे में हमें पता चलती है वह केवल और केवल बाईबल से ही आती है। ध्यान दीजिये मैंने क्या कहा, ''प्रत्येक चीज जो सच्चे परमेश्वर के बारे में हमें पता चलती है...'' केवल बाईबल से हमें प्राप्त होती है। कुरान से नहीं। मार्मन की किसी पुस्तक से नहीं। मेरी बैकर एडी की साइंस और हेल्थ से नहीं, न किसी...., विस्तृत गलत अनुवाद से, यहोवा विटनेस की बाईबल से प्राप्त होती है। प्रत्येक चीज जो हम सच्चे परमेश्वर के बारे में जानते हैं वह केवल बाईबल से ही मिलती है। अब, देखिये, बाईबल परमेश्वर के विषय में क्या कहती है? बाईबल इस विषय में क्या कहती है जो लोग परमेश्वर के बारे में आज कहते हैं कि परमेश्वर किस तरह अलग है। गली का एक साधारण मनुष्य परमेश्वर के बारे में दो में से एक बात सोचता है। या तो वह सोचता है,
१. कि परमेश्वर है ही नहीं, या
२. या परमेश्वर केवल प्रेमी परमेश्वर है, और कभी पाप के लिये दंड नहीं देगा।
पर इन में से कोई विचार बाईबल में नहीं मिलते हैं। दो विचार ये मनुष्य की सोच हैं, और ये सच्चे परमेश्वर का वर्णन नहीं करते।
हां, बाईबल यह शिक्षा देती है कि वह प्रेम का परमेश्वर है (१ यूहन्ना ४:१६) किंतु यह भी सच है कि परमेश्वर न्याय करने वाला परमेश्वर भी है। परमेश्वर के क्रोध और न्याय का वर्णन बाईबल में वर्णित उसके प्रेम से भी बढकर हुआ है। डॉ. ल्यॉड - जोंस ने कहा था, ''अगर न्याय का विचार उसकी बातें आप बाईबल में से अलग कर दो तो आपके लिये बहुत कम बातें बच जायेगी'' (दि हार्ट आँफ दि गॉस्पल, क्रासवे बुक्स, १९९१, पेज ९८) किसी अन्य स्थान पर, डॉ. ल्यॉड जोंस ने कहा था, ''खास समस्या जो अविश्वासी लोगों के साथ है कि वे परमेश्वर के क्रोध वाली शिक्षा पर भरोसा नहीं रखते हैं और बाईबल में परमेश्वर के प्रकाशन पर विश्वास नहीं करते हैं। उन्होंने तो अपना ही भगवान रच रखा है।'' (गॉडस सोवरेन परपस (रोमियों ९) , दि बैनर आँफ ट्रुथ ट्रस्ट, १९९१, पेज २१२)
परमेश्वर का क्रोध, और परमेश्वर का न्याय ये वे शिक्षायें हैं जो संपूर्ण बाईबल में प्रगट होती रहती है, पुराने और नये दोनों नियमों में। पिछले सप्ताह मैं परमेश्वर के न्याय के फलस्वरूप आया महाप्रलय का वर्णन पढ रहा था।
''तब यहोवा ने सोचा, कि मैं मनुष्य को जिसकी मैं ने सृष्टि की है पृथ्वी के ऊपर से मिटा दूंगाc क्या मनुष्य, क्या पशु, क्या रेंगने वाले जन्तु, क्या आकाश के पक्षी, सब को मिटा दूंगा क्योंकि मैं उनके बनाने से पछताता हूं।'' (उत्पत्ति ६:७)
''तब परमेश्वर ने नूह से कहा, सब प्राणियों के अन्त करने का प्रश्न मेरे साम्हने आ गया है; क्योंकि उनके कारण पृथ्वी उपद्रव से भर गई है, इसलिये मैं उन को पृथ्वी समेत नाश कर डालूंगा।'' (उत्पत्ति ६:१३)
''और क्या मनुष्य, क्या पशु, क्या रेंगने वाले जन्तु, क्या आकाश के पक्षी, जो जो भूमि पर थे, सो सब पृथ्वी पर से मिट गए; केवल नूह, और जितने उसके संग जहाज में थे, वे ही बच गए।'' (उत्पत्ति ७: २३)
यह होता है परमेश्वर का न्याय! मैंने सदोम और अमोरा के न्याय के बारे में भी पढा,
''तब यहोवा ने अपनी ओर से सदोम और अमोरा पर आकाश से गन्धक और आग बरसाई; और उन नगरों को और सम्पूर्ण तराई को, और नगरों को और उस सम्पूर्ण तराई को, और नगरों के सब निवासियों, भूमि की सारी उपज समेत नाश कर दिया।'' (उत्पत्ति १९:२४−२५)
यह होता है परमेश्वर का न्याय! तब मैंने मिसियों के उपर पडने वाले परमेश्वर के भयानक न्याय के विषय में पढा − कैसे परमेश्वर ने उन्हे इजरायली लोगों को नहीं छोडने की सजा दी और व मुसीबत भेजी,
''और ऐसा हुआ कि आधी रात को यहोवा ने मिस्र देश में सिंहासन पर विराजने वाले फिरौन से ले कर गड़हे में पड़े हुए बन्धुए तक सब के पहिलौठों को, वरन पशुओं तक के सब पहिलौठों को मार डाला। और फिरौन रात ही को उठ बैठा, और उसके सब कर्मचारी, वरन सारे मिस्री उठे; और मिस्र में बड़ा हाहाकार मचा, क्योंकि एक भी ऐसा घर न था जिसमें कोई मरा न हो।'' (निर्गमन १२:२९−३०)
यह होता है परमेश्वर का न्याय! तब मैंने ऐरोन के पुत्र, नादाब और अबिहु के उपर पढने वाले न्याय के विषय में पढा,
''तब नादाब और अबीहू नामक हारून के दो पुत्रों ने अपना अपना धूपदान लिया, और उन में आग भरी, और उस में धूप डालकर उस ऊपरी आग की जिसकी आज्ञा यहोवा ने नहीं दी थी यहोवा के सम्मुख आरती दी। तब यहोवा के सम्मुख से आग निकलकर उन दोनों को भस्म कर दिया, और वे यहोवा के साम्हने मर गए।'' (लैव्यव्यवस्था १०:१−२)
यह होता है परमेश्वर का न्याय! तब मैंने सब्त के दिन लकडियां बीनने के द्वारा आज्ञा तोडने वाले के विषय में पढा,
''तब यहोवा ने मूसा से कहा, वह मनुष्य निश्चय मार डाला जाए; सारी मण्डली के लोग छावनी के बाहर उस पर पत्थरवाह करें। सो जैसा यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी उसी के अनुसार सारी मण्डली के लोगों ने उसको छावनी से बाहर ले जा कर पत्थरवाह किया, और वह मर गया।'' (गिनती १५:३५−३६)
यह होता है परमेश्वर का न्याय! तब मैंने कूरह के बारे में पढा, और उनके बारे में पढा जो मूसा के विरूद्ध विद्रोह करके उसके पीछे हो लिये थे,
''वह ये सब बातें कह ही चुका था, कि भूमि उन लोगों के पांव के नीचे फट गई; और पृथ्वी ने अपना मुंह खोल दिया और उनका और उनका घरद्वार का सामान, और कोरह के सब मनुष्यों और उनकी सारी सम्पत्ति को भी निगल लिया। और वे और उनका सारा घरबार जीवित ही अधोलोक में जा पड़े; और पृथ्वी ने उन को ढांप लिया, और वे मण्डली के बीच में से नष्ट हो गए। और जितने इस्त्राएली उनके चारों ओर थे वे उनका चिल्लाना सुन यह कहते हुए भागे, कि कहीं पृथ्वी हम को भी निगल न ले! तब यहोवा के पास से आग निकली, और उन अढ़ाई सौ धूप चढ़ाने वालों को भस्म कर डाला।'' (गिनती १६:३१−३५)
यह होता है परमेश्वर का न्याय! तब मैंने व्यवस्थाविवरण की पुस्तक में पढा,
''क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा वही ईश्वरों का परमेश्वर और प्रभुओं का प्रभु है, वह महान् पराक्रमी और भय योग्य ईश्वर है, जो किसी का पक्ष नहीं करता और न घूस लेता है।'' (व्यवस्थाविवरण १०:१७)
और तब यहां लिखा है,
''अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानना; उसी की सेवा करना और उसी से लिपटे रहना, और उसी के नाम की शपथ खाना।'' (व्यवस्थाविवरण १०:२०)
यह भी परमेश्वर का न्याय है।
इन सब बातों के विषय में, पेंटाटूक, मूसा की पांच पुस्तकों में पढने को मिलता है। ये तो कुछ बातें हैं जो परमेश्वर के न्याय के रूप में धर्मशास्त्र की प्रथम पांच पुस्तकों में पढने को मिलती है! वहां उसे इस तरह पुकारा जाता है ''ईश्वरों का परमेश्वर और प्रभुओं का प्रभु है, वह महान् पराक्रमी और भय योग्य ईश्वर है.......'' (व्यवस्थाविवरण १०:१७)
तब परमेश्वर ने भविष्यवक्ता यशायाह के द्वारा कहलवाया, ''मैं ने अपने क्रोध में आकर उन्हें रौंदा'' (यशायाह ६३:३) भविष्यवक्ता नहेमायाह ने परमेश्वर को इस तरह बताया, ''कि वह महान और भयानक परमेश्वर है'' (नहेमायाह १:५) भविष्यवक्ता दानियेल ने परमेश्वर को इस तरह बताया, ''हे प्रभु, तू महान और भययोग्य परमेश्वर है'' (दानियेल ९:४)
किंतु कोई यह कह सकता है कि, ''यह तो पुराने नियम का परमेश्वर है। मैं तो नये नियम के परमेश्वर पर विश्वास रखता हूं।'' इससे यह प्रगट होता है कि आप तो नया नियम भी नहीं जानते! नये नियम में हम पढते हैं,'' (इब्रानियों १०:३१) प्रेरित पौलुस ने २ कुरंथियों ५ में कहा था, ''सो प्रभु का भय मानकर हम लोगों को समझाते हैं''। प्रभु यीशु मसीह ने तो न्याय और नरक के विषय में और लोगों की तुलना में सर्वाधिक बार कहा। मसीह ने कहा था,
''और यह अनन्त दण्ड भोगेंगे'' (मत्ती २५:४६)
मसीह ने कहा था,
''और यदि तेरी आंख तुझे ठोकर खिलाए,तो उसे निकालकर फेंक दे। काना होकर जीवन में प्रवेश करना तेरे लिये इस से भला है कि दो आंख रहते हुए तू नरक की आग में डाला जाए।'' (मत्ती१८:९)
मसीह ने कहा था,
''मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा, और वे उसके राज्य में से सब ठोकर के कारणों को और कुकर्म करने वालों को इकट्ठा करेंगे। और उन्हें आग के कुंड में डालेंगे, वहां रोना और दांत पीसना होगा।'' (मत्ती१३:४१−४२)
मसीह ने एक अविश्वासी धनवान के विषय में जो नरक गया था, बताया,
''और अधोलोक में उस ने पीड़ा में पड़े हुए अपनी आंखें उठाई, और दूर से इब्राहीम की गोद में लाजर को देखा। और उस ने पुकार कर कहा, हे पिता इब्राहीम, मुझ पर दया करके लाजर को भेज दे, ताकि वह अपनी उंगुली का सिरा पानी में भिगो कर मेरी जीभ को ठंडी करे, क्योंकि मैं इस ज्वाला में तड़प रहा हूं।'' (लूका १६:२३−२४)
और नये नियम की अंतिम पुस्तक कहती है,
''तो वह परमेश्वर का प्रकोप की निरी मदिरा जो उसके क्रोध के कटोरे में डाली गई है, पीएगा और पवित्र स्वर्गदूतों के साम्हने, और मेम्ने के साम्हने आग और गन्धक की पीड़ा में पड़ेगा। और उन की पीड़ा का धुआं युगानुयुग उठता रहेगा, और जो उस पशु और उस की मूरत की पूजा करते हैं, और जो उसके नाम की छाप लेते हैं, उन को रात दिन चैन न मिलेगा.......'' (प्रकाशितवाक्य १४:१०−११)
नहीं, आप नये नियम में शरण नहीं ले सकते! संपूर्ण बाईबल में, प्रारंभ से अंत तक, परमेश्वर केवल इसी तरह प्रस्तुत है, ''एक महान पिता, एक शक्तिशाली, और एक भयानक परमेश्वर'' (व्यवस्थाविवरण १०:१७)
केवल एकमात्र उम्मीद है कि आप प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करें। परमेश्वर ने उन्हें क्रूस पर मरने भेजा - ताकि हमारे पापों का मोल चुका सके, और उनके बेशकीमती बहाये गये लहू से आपके पाप शुद्ध किये जा सके। परमेश्वर के क्रोध और न्याय से बचने का और कोई मार्ग नहीं है! प्रेरित पौलुस ने कहा, ''प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा'' (प्रेरितों के कार्य १६:३१) बाईबल कहती है, ''तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना।'' (नीतिवचन ३:५) हमारे प्रभु यीशु मसीह ने कहा,
''जो विश्वास करे और बपतिस्मा ले उसी का उद्धार होगा, परन्तु जो विश्वास न करेगा वह दोषी ठहराया जाएगा'' (मरकुस १६:१६)
मि. गिफिथ निवेदन है कि गीत ''जब मैं लहू देखता हूं'' के पहले और दूसरे पद गाइये।
मसीह हमारा छुडानेहारा, क्रूस पर मरा,
पापी के लिये मरा, उसका दंड पूरा भरा।
अपनी आत्मा पर मेम्ने के लहू का छिडकाव कर लो,
मैं तुम को देता जाउंगा, छिडकाव करता जाउंगा।
जब मैं लहू देखता हूं, जब मैं लहू देखता हूं,
जब मैं लहू देखता हूं, मैं तुम पर छिडकता जाउंगा।
पापियों में सबसे बडे को भी, यीशु बचायेगा;
जो कुछ उसने प्रतिज्ञा की, वह सब कुछ करेगा;
पाप शुद्ध होते उसके लहू के सोते में,
मैं तुम को देता जाउंगा, छिडकाव करता जाउंगा।
जब मैं लहू देखता हूं, जब मैं लहू देखता हूं,
जब मैं लहू देखता हूं, मैं तुम पर छिडकता जाउंगा।
(''जब मैं लहू देखता हूं,'' जॉन जी.फूटे, १९ वीं सदी)
डॉ. चॉन, निवेदन है हमारे लिये प्रार्थना कीजिये। आमीन!
(संदेश का अंत)
आप डॉ0हिमर्स के संदेश प्रत्येक सप्ताह इंटरनेट पर पढ़ सकते हैं क्लिक करें
www.realconversion.com अथवा
www.rlhsermons.com
क्लिक करें ‘‘हस्तलिखित संदेश पर।
आप डॉ0हिमर्स को अंग्रेजी में ई-मेल भी भेज सकते हैं - rlhymersjr@sbcglobal.net
अथवा आप उन्हें इस पते पर पत्र डाल सकते हैं पी. ओ.बॉक्स 15308,लॉस ऐंजेल्स,केलीफोर्निया 90015
या उन्हें दूरभाष कर सकते हैं (818)352-0452
ये संदेश कॉपी राईट नहीं है। आप उन्हें िबना डॉ0हिमर्स की अनुमति के भी उपयोग में ला सकते
हैं। यद्यपि, डॉ0हिमर्स के समस्त वीडियो संदेश कॉपीराइट हैं एवं केवल अनुमति लेकर
ही उपयोग में लाये जा सकते हैं।
संदेश के पूर्व ऐबेल प्रुद्योमे द्वारा प्रार्थना की गई प्रकाशितवाक्य १४:९−११
संदेश के पूर्व बैंजामिन किन्केड गिफिथ द्वारा एकल गीत गाया गया:
''जब मैं लहू देखता हूं,'' (जॉन जी. फूटे,१९ वीं सदी)