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तीन बुद्धिमान पुरूषों की भेंटTHE GIFTS OF THE WISE MEN द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स रविवार की सुबह १४ दिसंबर, २०१४ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल “और उस घर में पहुंचकर उस बालक को उस की माता मरियम के साथ देखा, और मुंह के बल गिरकर उसे प्रणाम किया; और अपना अपना थैला खोलकर उसे सोना, और लोहबान, और गन्धरस की भेंट चढ़ाई।” (मत्ती २:११) |
लॉस ऐंजीलिस के एक धर्मनिरपेक्ष स्कूल में, किसमस के कार्यक्रम में मैं पांचवी कक्षा में था तो तीन बुद्धिमान पुरूषों में से एक बनता था। बेशक, ऐसी एल यू और अन्य शैतानी ऐजेंसियों ने हमारे स्कूलों में किसमस की कहानी का प्रदर्शन करना ही बंद करवा दिया। उन्होंने तो यहां तक कि ''किसमस'' शब्द पर भी प्रतिबंध लगा दिया। हम उन्हें शैतानी इसलिये पुकार सकते हैं क्योंकि वे ''हैलोवीन'' को तो जोर शोर से बढावा देते हैं, किंतु हमारे बच्चों को किसमस और ईस्टर पर प्रभु यीशु के बारे में सोचने से रोकना चाहते हैं। वे इसे पहले ''ईस्टर की छुटिटयों'' का नाम − देते थे किंतु अब वे इसे ''बसंत ॠतु की छुटिटयों'' का नाम देते हैं!
तो मैं उस नाटक में एक ज्योतिषी बना करता था। हम वह गीत गाया करते थे जो अभी मि. गिफित ने गाया, ''हम तीन राजा पूरब की शान।'' और जब हम लडके अकेले होते थे, तो इस गीत को कुछ इस तरह से गाते थे ''वी थ्री किंग आँफ ओरियंट आर, स्मोकिंग आँन ए टेन सेंट सिगार।'' आपको मालूम हो, मुझे यह गीत कभी बिना उस लडके के शब्दों के याद ही नहीं आता है। और उस लडके की आवाज भी बहुत भारी और खतरनाक थी। मेरा मतलब, कि एकदम कानों में बुरा स्वर पैदा करती थी! आखिरकार मैंने उस लडके को नर्म आवाज में गाना सिखा दिया, जिससे उसका स्वर थोडा अच्छा लगने लगा। मैं सोचा करता था कि ये तीन राजा कौन थे, और क्यों इतनी दूर की यात्रा करके छोटे यीशु को दंडवत करने आये थे।
मि. प्रुद्योमे ने अभी अभी मत्ती के दूसरे अध्याय मे यह वर्णन बहुत साधारण सा है। बुद्धिमान पुरूष पूर्व देश से एक तारे के पीछे पीछे चले आये। हमें यह नहीं बताया गया है कि कितने ज्योतिषी थे। किसमस कार्ड पर हम तीन ज्योति-िषयों की तस्वीर देखते हैं। किंतु बाईबल यह नहीं बताती कि तीन ज्योतिषी थे। तीन ज्योति-िषयों वाला विचार इस तरह आया होगा क्योंकि तीन प्रकार की भेंट बालक यीशु को चढाई गई थी सोना,मुर,लोबान। किंतु डॉ.मैगी का कथन है कि तीन से अधिक ज्योतिषी हो सकते हैं। उनके अनुसार तीन ज्योतिषी से ''हेरोदेश इतना चिंतित नहीं होता या यरूशलेम मे शोर न मचता'' (थ्रू दि बाईबल; मत्ती २:१ पर व्याख्या) । डॉ. मैगी के कथनानुसार ज्योतिषी संख्या में अधिक थे।
ये ज्योतिषी बेबीलोनिया से चले आये थे। दानियेल ने २:२७ में ''ज्योतिषी (और) विद्वान पुरूषों की बात कही है।'' दानियेल एक जवान लडके के रूप में, बेबीलोन के ज्योतिषी ''विद्वानों की'' शिक्षा प्राप्त कर प्रशिक्षण लेता रहा। अपनी बुढापे की अवस्था में दानियेल इन विद्वानों का मुखिया बन गया था। जब मसीह का जन्म हुआ था तब भी विद्वान पुरूष बेबीलोनिया में पाये जाते थे। उनके पास दानियेल की लिखी पुस्तक थी। जब उन्होंने दानियेल ९:२४−२६ का अध्ययन किया उन्हांने यहूदियों के मसीहा के बारे में जाना। जब साल ६९ सप्ताहों का अंत नजदीक आया, उन्होंने मसीहा के बारे में विचार किया। तब उन्होंने एक तारा देखा, जो पहले कभी नहीं दिखाई दिया था। वह एक दिव्य तारा था। उन्होंने यह विश्वास किया कि यह स्वर्ग से दिया गया चिन्ह है कि मसीहा जो यहूदियों का राजा है, आ चुका है। कि वे यरूशलेम की यात्रा को निकल पडे, और साथ में भेंट भी लेकर गये। जब वे यरूशलेम पहुंचे, शास्त्रियोंने उन्हें मीका ५:२ में से पढकर बताया,कि मसीहा का जन्म बैतलहम के आस पास होना चाहिये, जो यरूशलेम से थोडी ही दूर पर है। तब तारा पुन: प्रगट हुआ और उनके आगे आगे चला ''और वहां ठहर गया जहां छोटा बालक पैदा हुआ था'' (मत्ती २:९) हम जानते हैं कि वह एक स्वर्गिक तारा था क्योंकि यह चल रहा था, और यीशु की ओर ले चल रहा था। अब बाईबल में मत्ती २:११ निकाल लीजिये। यह स्कॉटफील्ड बाईबल में ९९५ पेज पर है। जब मैं यह पद पढता हूं निवेदन है कि आप खडे हो जाइये,
''और उस घर में पहुंचकर उस बालक को उस की माता मरियम के साथ देखा, और मुंह के बल गिरकर उसे प्रणाम किया; और अपना अपना थैला खोलकर उसे सोना, और लोहबान, और गन्धरस की भेंट चढ़ाई।'' (मत्ती २:११)
अब आप बैठ सकते हैं।
मत्ती अध्याय से हम कई सबक सीख सकते हैं। उदाहरण के लिये, हम क्रूर राजा हेरोदेश की तुलना ज्योतिषयों से कर सकते हैं। हैरोदेश जलन रखने वाला और अपना मुकुट छिन जाने से डर गया था। हेरोदेश यहूदी नहीं था। वह एक इदूमीन था जिसने रोमी सरकार से राजा का पद खरीदा था। इसलिये वह उस बालक का पता जानना चाहता था, जिसे बुद्धिमान पुरूष ''यहूदियों का राजा'' कहकर बुला रहे थे (मत्ती २:२) किंतु वह यीशु को नमन नहीं करना चाहता था। वह तो उसे खत्म करना चाहता था, ताकि वह उसकी गददी हासिल नहीं कर सके। ज्योतिषी यीशु को दंडवत करना चाहते थे, किंतु राजा हेरोदेश उसे मारना चाहता था।
मैं यह संदेश देते हुये बताना चाहता हूं कि आज संसार भी यीशु के प्रति किस तरह प्रतिकिृया देता है, अच्छे मसीही यीशु की आराधना करना चाहते हैं। किंतु दुष्ट लोग, जैसे ए सी एल यू में हैं, वह उससे छुटकारा पाना चाहते हैं।वे स्कूलों में किसमस कैरोल पर प्रतिबंध लगाते हैं; और कुछ सार्वजनिक स्थानों पर भी प्रतिबंध लगाया है। वे यीशु जन्मोत्सव के दृश्यों पर भी रोक लगाते हैं। वे तो ''किसमस'' शब्द पर भी प्रतिबंध लगाते हैं क्योंकि इस शब्द से मसीह का नाम आता है। मैंने इस विषय पर प्रचार किया था कि प्रकार के लोग हेरोदेश के समान हैं, और कौन बुद्धिमानों की तरह, जो यीशु को प्यार करते हैं और उसे दंडवत करना चाहते हैं।.
या, मैं इन विद्वानों की तुलना शास्त्रियों से करता था। शास्त्री जानते थे कि यीशु का जन्म बैतलेहम में होने वाला था, किंतु वे उसे देखने नहीं गये। वे यीशु के बारे में जानते थे, किंतु बैतलेहम का छोटा सा रास्ता भी उन्होंने तय नहीं किया और उसे दंडवत करने नहीं आये। बुद्धिमान जन दूर का सफर तय करके यीशु से मिलने आये। स्मरण कीजिये कि उन्होंने लंबी,कठिन यात्रा उंट पर सवार होके की। उंट की सवारी करना आसान नहीं होता। जब मैं मिस्र में गया था तो वहां मैंने और इलियाना ने उंट की सवारी की थी। मैं, स्फिक्स के पास, बसे विशाल पिरामिड तक, उंट पर ही सवार होकर गया था। यह बडा दुखदायी अनुभव था इसके बारे में कुछ न कहना ही उचित होगा! मैं इसलिये इस विषय पर संदेश दे सकता था - शास्त्रियों के बारे में सोचिये, जो यह जानते हुये भी कि यीशु का जन्म कहां हुआ, नहीं गये, और ज्योतिषयों के साथ भी जाना उचित नहीं समझा, जो एक लंबी, कठिन यात्रा करके यीशु से मिलने आये थे। मैं उन शास्त्रियों की तुलना ''चर्च के बच्चों'' से कर सकता हूं जो बाईबल को जानते हैं; तौभी यीशु पर विश्वास नहीं लाते - उन जवान लोगों की तुलना में, जो बाहरी गैर मसीही परिवार से बडी मुश्किल से निकलकर यीशु के पास आये हैं।
या मैं एक तीसरा संदेश भी सुना सकता हूं - यहूदियों को लेकर जिन्होंने मसीह को अस्वीकार कर दिया जैसे शास्त्रियों ने किया - जब बेबीलोनिया से अन्य जाति के विद्वान पुरूष यीशु की बडी मुश्किल से, खोजते हुये आये। मैं इन विद्वान लोगों की तुलना तीसरी दुनिया के लोगों से कर सकता हूं (जो चीन में बसे हैं, मुसिलम देशों में हैं, कंबोडिया के जंगलों में और वियतनाम में हैं) - जो अपने यहां की विषय परिस्थति से जूझ कर भी मसीह के पास आते हैं और इसकी आराधना करते हैं। मैं अमेरिका वासियों को यही प्रचार करता हूं कि, पश्चिम को ही सामान्य तौर पर बोलता हूं, कि उनके यहां हर चौराहे पर चर्च है, किंतु वे वहां रूकते नहीं, परन्तु निकल जाते हैं। किसमस के समय भी ऐसा बहुत दिखाई देता है।
लोग वास्तव में मुझसे लडाई करते हैं, और मेरे विरूद्ध बुरी बुरी बातें कहते हैं; जब मैं जवान लोगो को किसमस और नये साल की संध्या को चर्च में बुलाता हूं! एक महिला ने सब कुछ कर लिया कि अपने लडके को चर्च से बाहर खींच कर ले जाये। जब उस लडके ने चर्च छोडा वह एक गैंग में फंस गया और उसकी हत्या हो गई। तब वही स्त्री, जो उसे चर्च से बाहर ले गई थी, मेरे पास रोती हुई उसकी अंतिम किया संपन्न करवाने के लिये आई, सचमुच उसके बेटे को बचाने में कितनी देर हो चुकी थी! कितने मूर्ख लोग होते हैं! वे अपने बच्चों को ईश्वरविहिन पार्टियों में भेजना पसंद करेंगे बजाय किसमस और नये साल की संख्या को चर्च में आने के। इन ''ए मिडसमर नाईट ड्रीम'' शैक्सपीयर ने ''पक'' के द्वारा कहा था, ''ये मनुष्य भी कितने मूर्ख होते हैं!'' दुखद रूप में यह बात सच भी है! वे शास्त्रियों के समान ही अंधे हैं - और उनमें से कुछ तो राजा हेरोदेस के समान दुष्ट प्रवृत्ति के हैं! अपने आप को यहां किसमस और नये साल की संध्या को किसी के भी द्वारा आने से रोकने मत दीजिए! अपने आप को चर्च से बाहर किसी शराब वाली पार्टी में शामिल हो जाये, या कुछ संसारी उत्सव को मनाने के लिये मत प्रस्तुत कीजिए।! आपके साथ वे ऐसा नहीं कर पाये! आपके साथ ऐसा नहीं होने पाये! पक्का निर्णय लीजिये जैसा बुद्धिमान पुरूषों ने लिया था! चर्च मत छोडिये जैसे पापी हेरोदेश और अविश्वासी शास्त्रियों ने किया था! बाईबल कहती है,
''इसलिये प्रभु कहता है, कि उन के बीच में से निकलो और अलग रहो; और अशुद्ध वस्तु को मत छूओ, तो मैं तुम्हें ग्रहण करूंगा। और तुम्हारा पिता हूंगा, और तुम मेरे बेटे और बेटियां होगे; यह सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर का वचन है'' (१ कुरूंथियों६:१७,१८)
''उनके बीच से बाहर निकलो'' और परमेश्वर के लोगों के साथ किसमस और नये साल की संध्या बनाइये! मसीही संगति में रहिये, मसीह का भजन गाइये - न कि सांसारिक तांडव, या कोई पीने वाली पार्टी का गीत, या मसीह विहिन किसी संगीत में भाग लीजिये! अब इनसे बाहर आ जाइये! किसमस और नये साल की संध्या पर मसीह के पास आइये और उसकी आराधना कीजिये! बुद्धिमान लोगों की तरह, मसीह के पास आइये, और केवल मसीह की आराधना करे!
अब आओ विश्वासियों,
अब आओ विश्वासियों,
अब आओ विश्वासियों,
मसीह प्रभु है।
खडे होकर मेरे साथ गाइये!
अब आओ विश्वासियों,
अब आओ विश्वासियों,
अब आओ विश्वासियों,
मसीह प्रभु है।
(''अब आओ, विश्वासियों,'' फ्रेडरिक ओकेले १८०२-१८८०)
आमीन! अब आप बैठ सकते हैं।
किंतु इन सब बातों पर संदेश देने के बजाय, मैं मत्ती २:११ पर प्रचार करूंगा,
''और उस घर में पहुंचकर उस बालक को उस की माता मरियम के साथ देखा, और मुंह के बल गिरकर उसे प्रणाम किया; और अपना अपना थैला खोलकर उसे सोना, और लोहबान, और गन्धरस की भेंट चढ़ाई।'' (मत्ती २:११)
१. प्रथम, वे घर में आये।
पद कहता है, ''जब वे घर में आये।'' ''परन्तु,'' आप कह सकते हैं कि, ''क्या मसीह का जन्म गौशाले की एक चरनी में नहीं हुआ था?'' हां, मसीह का जन्म वहीं हुआ था। जैसा कि लूका का सुसमाचार कहता है,
''और वह अपना पहिलौठा पुत्र जनी और उसे कपड़े में लपेटकर चरनी में रखा क्योंकि उन के लिये सराय में जगह न थी।'' (लूका २:७)
किंतु बुद्धिमान पुरूष गौशाले में नहीं आये थे और न ही बालक यीशु को चरनी में नहीं पाया। नहीं, वे ''घर में आये थे'' (मत्ती २:११) बुद्धिमान पुरूष जिस समय चरवाहे आये थे उसी समय नहीं पहुंचे थे। चरवाहों ने बालक यीशु को जानवरों की गौशाला में पाया था, एक चरनी में लेटा हुआ, एक जानवरों की चारा खाने वाली ट्र के अंदर लेटा हुआ। यीशु के जन्म के तुरंत बाद ही चरवाहे वहां पहुंच गये थे। किंतु बुद्धिमान पुरूष देर से भेंट करने पहंचे। वे तब आये जब मरियम और युसुफ बालक यीशु को लेकर छोटे से घर में जा चुके थे, क्योंकि उस समय सारे घर छोटे ही हुआ करते थे किंतु अब वे घर में ही थे।
डॉ. मैगी के कथनानुसार शायद वे बालक यीशु के जन्म के कई महिनों बाद पहुंचे थे और उसके लिये उपहार भेंट किये। आपको मालूम है कि, उन्होंने शायद मसीह के जन्म के समय वह तारा देखा था। तभी उन्होंने निर्णय कर लिया था कि वे यीशु के दर्शन को जायेंगे, और तब उन्हे यीशु के पास पहुंचने में कई महिने लगे। इसके साथ यह सत्य भी जुडा हुआ है कि शायद यीशु का खतना होकर पंडुकी का एक जोडा भी मंदिर में चढा दिया गया था (लूका २:२४) यह भी एक सत्य था कि वे बहुत गरीब थे इसलिये मेम्ना नहीं चढा पाये। अगर बुद्धिमान पुरूष पहले आ चुके होते अपनी कीमती भेंटे लेकर, तो शायद बालक यीशु के माता पिता मेम्ना बलि चढाते। ये घटनायें प्रदर्शित करती है कि बुद्धिमान बालक यीशु के जन्म के कई महिनों पश्चात पहुंचे थे।
मैं आपको बताना चाहूंगा कि वह तारा एक स्वर्गिक ''नोवा'' तारा था जैसा कि डिक्शनरी बतलाती है कि ''वह तारा एकाएक अपनी ज्योति बढा देता है और तब कुछ महिने में इसकी रोशनी मद्धिम पड जाती है'' (मेरियम - वेबस्टर डिक्शनरी)। उन्होंने इस तारे को पूर्व में देखा था। उसके कुछ समय बाद यह तारा शायद गायब हो गया था। जब ज्योतिषी यरूशलेम पहुंचे, तो यह तारा फिर से प्रगट हुआ। जब उन्होंने फिर से इस तारे को देखा, ''वे आनंद मनाने लगे'' (मत्ती २:१०) इसलिये यह तारा हमेशा निकलने वाला तारा नहीं था। यह चलने वाला तारा था ''जब तक कि वे लोग बालक यीशु के घर तक नहीं पहुंच गये'' (मत्ती २:९) कुछ व्याख्याकार इस तारे को पुराने नियम की ''शेखीनाह'' रोशनी से तुलना करते हैं, और रात के समय जब निर्जन में इजरायली चलते थे और परमेश्वर उनके बीच ज्वाला बनकर चलता था, जो ''दिन को मार्ग दिखाने के लिये.........उनके आगे आगे चला करता था.........वे रात और दिन दोनों में चल सकें (निर्गमन १३:२०)।
बुद्धिमान प्राणी एक लंबा रास्ता तय करके पहुंचे। उन्होंने बहुत कष्ट झेले, रास्ते में आने वाली कठिनाइयों का सामना किया ताकि बैतलेहेम के उस छोटे से घर में यीशु के दर्शन कर सकें। हममें से प्रत्येक को उनके उदाहरण का अनुसरण करना चाहिये ताकि हम किसमस की पूर्व संध्या चर्च में दिखाई दे - बजाय इसके कि हम सांसारिक पार्टियां या किसी और कार्यक्रम का हिस्सा बने! वह कोरस फिर से गाईये! खडे होकर गाईये!
अब आओ विश्वासियों,
अब आओ विश्वासियों,
अब आओ विश्वासियों,
मसीह प्रभु है।
२. दूसरा, उन्होंने उसे गिरकर दंडवत किया।
''और उस घर में पहुंचकर उस बालक को उस की माता मरियम के साथ देखा, और मुंह के बल गिरकर उसे प्रणाम किया.....।'' (मत्ती २:११)
कुछ अविश्वासी कहलाये जाने वाले ''ज्ञानी'' यह मत सामने रखते हैं कि इस तरह गिरकर यीशु को दंडवत करने का तरीका गलत है। उनका कहना है कि हमें सिर्फ परमेश्वर को ही दंडवत करना चाहिये। यह इस बात को प्रगट करता है कि वे शायद बाईबल से अनभिज्ञ हैं, जो यह बताती है कि प्रभु यीशु मसीह परमेश्वर का ही अवतार है - परमेश्वर मनुष्य रूप धारण कर धरती पर आये! प्रेरित यूहन्ना ने यीशु को यूहन्ना पहले अध्याय में ''वचन'' कहा है। प्रेरित ने कहा था,
''और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, (और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी) जैसी पिता के एकलौते की महिमा'' (यूहन्ना१:१४)
चाल्र्स वेस्ली ने, अपने प्रसिद्ध किसमस के गीत में, लिखा था,
ईश्वर अब देहधारी है,
करो सब मसीह की जय,
मनुष्यों के संग रहने से प्रसन्न,
यीशु है, इम्मानुएल।
सुनो, दूतगण गाते हैं
''बालक राजा खीस्त की जय''
(''सुनो, दूतगण गाते हैं बालक राजा खीस्त की जय'' चाल्र्स वेस्ली, १७०७−१७८८)
तब, ध्यान दीजिये कि ज्योतिषयों ने ''छोटे बालक को अपनी मां मरियम के साथ देखा, और गिर पडे, और उसे दंडवत किया'' (मत्ती २:११) डॉ. जे. वर्नान मैगी ने कहा था, ''कि अगर कोई समय था जब उन्हे मरियम को दंडवत करना था, तो वह यह समय था। किंतु उन्हांने मरियम को दंडवत नहीं किया - क्योंकि वे बुद्धिमान लोग थे! उन्होंने प्रभु को दंडवत किया........'' (उक्त संदर्भित, मत्ती २:११ पर व्याख्या) । बाईबल कभी भी कुंवारी मरियम की आराधना करने को नहीं बोलती है, और न ही उससे प्रार्थना करने को कहती है! उसका सम्मान यीशु की माता के रूप में करना चाहिये, किंतु कभी भी उसकी आराधना नहीं करना चाहिये, और न ही उससे प्रार्थना करनी चाहिये।
अब आओ हम उसे सराहे,
अब आओ हम उसे सराहे,
अब आओ हम उसे सराहे,
मसीह प्रभु है।
जब चेलों ने जीवित मसीह को गलील में देखा था तो हमें बताया गया है,
''और वे उस को दण्डवत करके बड़े आनन्द से यरूशलेम को लौट गए...'' (मत्ती २८:१७; लूका २४:५२)
आमीन! आइये हम भी किसमस संध्या पर उसकी आराधना करें, क्योंकि वह अकेला ही आराधना के योग्य है, और वर्ष भर हम उसकी आराधना करते रहेंगे!
३. तीसरा, उन्होंने उसे उपहार भेंट किये।
''और उस घर में पहुंचकर उस बालक को उस की माता मरियम के साथ देखा, और मुंह के बल गिरकर उसे प्रणाम किया; और अपना अपना थैला खोलकर उसे सोना, और लोहबान, और गन्धरस की भेंट चढ़ाई।'' (मत्ती २:११)
''उन्होंने उसे उपहार भेंट किये.....'' डॉ.जॉन आर राईस ने कहा,
वे मुंह के बल गिर गये और यीशु को दंडवत किया! तब आंखों में खुशी के आंसु, और कांपते होंठो से, खुशी के मारे उनकी धडकनें तेज थी, और उनके दिल की उलझने धीरे धीरे दूर होती चली गयी, और उन्होंने अपने खजाने खोल दिये, भेंटे अर्पण की, उन्होंने उनके पास जो उत्तम था वह सब प्रभु यीशु को भेंट चढा दिया! (जॉन आर राईस डी डी, ''गिफट आँफ दि वाईज मेन,'' आय लव किसमस, सोर्ड आँफ दि लॉर्ड पब्लिशर्स, १९५५, पेज ४७)
तब डॉ. राईस ने कहा,
उन्होंने अपने खजाने खोले और प्रभु यीशु को उपहार चढाये। और मैं आज आपसे विनती करता हूं.....कि आप यीशु मसीह को अपने दिल के भीतर गहराईयों में बसा लीजिये, अपने खजाने उसके कदमों में डाल दीजिये, और उसे अपनी सबसे पसंदीदा उत्तम भेंट चढाइये, जी हां, उसे अपना सर्वस्व दे दीजिये, और इसमें आनंद मनाइये कि वह आपके दिल को लेने के लिये (नीचे) नम्र बनकर उतर आया (उक्त संदर्भित, पेज ४८)
मुझे फ्रांसिस हैवरगल का वह पुराना गीत सदैव अच्छा लगता है, ''प्रभु मेरा जीवन ले, तेरा होवे अभी से,''
प्रभु मेरा जीवन ले, तेरा हो प्रभु यह अभी से;
ग्रहण कर इन हाथों को, इनसे तेरी सेवा हो
मेरे मन का सारा, प्रेम हे प्रभु हो तेरा।
ले होठों को भर संदेश, कि सुनाउं देश विदेश,
मेरा सोना चांदी ले, कुछ न रख छोडूं तुझ से
मेरे मन का सारा, प्रेम हे प्रभु हो तेरा हो सदा,
मेरे मन का सारा, प्रेम हे प्रभु हो तेरा हो सदा,
ग्रहण कर मैं रहूंगा सदा
सदा तेरा केवल, सर्वदा तेरा, केवल, सारा सर्वदा।
(''टेक माय लाईफ, एंड लेट इट बी'' फ्रांसिस आर. हैवरगल, १८३६ -१८७९)
यीशु के लिये सब है! सब यीशु के लिये!
मेरा सब कुछ जो भी है वह;
सब यीशु के लिये, देता यीशु के लिये!
मेरे सारे दिन और सारे घंटे यीशु के लिये।
( ''सब कुछ यीशु के लिये'' मेरी डी. जेम्स, १८१० -१८८३)
अगर इन गीतों का कोई अर्थ है तो ये गीत निश्चत हमें सिखाते हैं कि हमें चर्च में होना चाहिये, किसमस संध्या मसीह की आराधना करते हुये - बजाय किसी सांसारिक पार्टी में जाने के!
जब ज्योतिषयों ने दंडवत किया, और प्रभु यीशु को, उन्होंने सोना, मुर, लोबान भेंट चढाये। यही वे सर्वाधिक कीमती उपहार थे, सबसे उत्तम जो उन बुद्धिमान पुरूषों के पास थे। सोना एक राजा को सम्मान देता है। मुर एक मंहगी खुशबु थी। चर्च फादर ओरीजेन ने (१८५−२५४) में कहा था कि लोबान देवताओं को अर्पित की जाने वाली गंध होती है। ओरीजेन कुछ बातों में गलत हो सकता है, किंतु इस बात पर वह सही बोल रहा था। मुर वह सुगंधित मसाला था जो यहूदी लोग मरे हुये व्यक्ति के शव पर गाडने के समय लेपन के लिये लगाते थे। यूहन्ना १९:३९ में हमें बताया गया है कि निकुदेमुस अपने साथ मुर लाया था ताकि यीशु के शव पर लगा सके, ''जैसी यहूदियों की प्रथा थी।'' सोना राजा के लिये होता है, लोबान देहधारी परमेश्वर के लिये धूप का प्रतीक था। मुर उसके हमारे पापों के लिये क्रूस पर जान देकर मरने के लिये था जो उसके प्राण देने का प्रतीक था। निवेदन करता हूं हम गीत संख्या पांच गायेंगे,
अब आओ, विश्वासियों, जय जय करते आओ,
अब आओ, हम चलें बैतलहम को!
चरनी में देखो, दूतों के मध्य महिमा का राजा;
अब आओ हम उसे सराहे, अब आओ हम उसे सराहे,
अब आओ हम उसे सराहे, मसीह प्रभु है।
ओ सारे दूत गणों, जयजयकार तुम गाओ!
हां स्वर्गो के स्वर्ग में तुम गाते रहो;
महिमा और स्तुति, ईश्वर सर्वप्रधान को;
अब आओ हम उसे सराहे, अब आओ हम उसे सराहे,
अब आओ हम उसे सराहे, मसीह प्रभु है।
आमीन, प्रभु धन्य हो, त्राण के लिये जन्मा,
हे यीशु हो तेरी, अनंत महिमा;
पिता का वचन, अब देहधारी हुआ,
अब आओ हम उसे सराहे, अब आओ हम उसे सराहे,
अब आओ हम उसे सराहे, मसीह प्रभु है।
(''अब आओ, विश्वासियों,'' अनुवाद फ्रेडरिक ओकेले १८०२−१८८०)
और अगर आप अभी तक बचाये नहीं गये हैं तो यीशु के पास आइये! उस पर भरोसा रखिये वह आपके सारे पापों को क्षमा करेगा, और अपने कीमती लहू से आपको शुद्ध कर डालेगा! आमीन!
(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व धर्मशास्त्र पढा गया ऐबेल प्रुद्योमे द्वारा: मत्ती २:१−१०
संदेश के पूर्व बैंजामिन किन्केड गिफिथ द्वारा एकल गीत गाया गया:
(''हम तीन राजा'' जान एच हॉफकिंग्स जूनि, १८२०−१८९१)
रूपरेखा तीन बुद्धिमान पुरूषों की भेंट “और उस घर में पहुंचकर उस बालक को उस की माता मरियम के साथ देखा, और मुंह के बल गिरकर उसे प्रणाम किया; और अपना अपना थैला खोलकर उसे सोना, और लोहबान, और गन्धरस की भेंट चढ़ाई।” (मत्ती २:११) (दानियेल २:२७; मत्ती २:९,२; २ कुरूंथियों ६:१७,१८)
१. प्रथम, वे घर में आये, लूका २:७, २४; मत्ती २:१०, ९;
२. दूसरा, उन्होंने उसे गिरकर दंडवत किया, यूहन्ना १:१४; ३. तीसरा, उन्होंने उसे उपहार भेंट किये, यूहन्ना १९:३९ |