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मेरे गुरूओं से अधिक समझ!MORE UNDERSTANDING THAN MY TEACHERS! द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स रविवार की सुबह, ७ दिसंबर, २०१४ को लॉस एंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल में प्रचार किया गया संदेश |
इसके पहले कि मैं पद पढूं मैं एक ई मेल पढूंगा जिसे पिछले सप्ताह उस व्यक्ति ने भेजी जो हमारी इंटरनेट सेवकाई को आर्थिक मदद भेजता है। उसने लिखा था,
''मुझे आपका 'परमेश्वर की श्वांस' से निर्मित पुस्तक वाला रविवार का संदेश बहुत अच्छा लगा। मुझे उससे गहरी समझ प्राप्त हुई। आपको धन्यवाद.....आप जानते हैं, मैं नहीं सोचता कि लोग आपकी शिक्षाओं को कॉलेज के स्तर तक भी नहीं मानते होंगे! ......किंतु मुझे पक्का विश्वास है कि वे परमेश्वर के राज्य के लिये उपयुक्त हैं, परमेश्वर आपको 'प्राफेसर एमेरीटस' की उपाधि देगा। मुझे बोध है कि ऐसा ही होगा।''
मैं धन्यवाद देता हूं, महोदय, आपको इन दयालू शब्दों के लिये! मैंने तो अपने को कभी ज्ञानी माना ही नहीं। मैंने तो स्वयं को मात्र एक प्रचारक और एक मिशनरी जाना; यहां तक कि कोई बडा विचारक भी नहीं। अब मेरे साथ भजन ११९ निकाल लीजिये।
''मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूं, क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है। तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुंह में मधु से भी मीठे हैं! तेरे उपदेशों के कारण मैं समझदार हो जाता हूं, इसलिये मैं सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूं।'' भजन (११९:९९,१०३−१०४)
संपूर्ण बाईबल में भजन ११९ सबसे लंबा अध्याय है। उस भजन का विषय बाईबल है, जिसे भजनकार तरह तरह के नाम से बुलाता है: ''वचन,'' ''नियम,'' ''तेरी गवाहियां,'' ''तेरे नियम'' और अन्य नाम भी। यह बाईबल की तरफदारी करता है। यही इसका विषय है।
.डॉ. डब्ल्यू. ए. किसवेल बहुत बडे विद्वान थे और धर्मशास्त्र के महान रक्षक भी थे। वह लगभग साठ वषोंर् तक फस्र्ट बैपटिस्ट चर्च डलास, टेक्सास के पास्टर रहे। मैं डॉ. किसवेल को बहुत पसंद करता हूं! पचास सालों तक उनकी घनी आवाज और नम्र निश्वास मुझे प्रेरणा देता रहा! उनकी पुस्तक, क्यों मैं प्रचार करता हूं, कि बाईबल शब्दश: सत्य है, मेरे लिये लगातार प्रेरणा और सहायक बनी रही।
और मैं धर्मशास्त्र से भी प्रेम रखता हूं। मैं किसी मसीही घराने में नहीं पला बढा। मुझे मसीही परिवार में बडे होने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ। अगर बाईबल मेरे पास न होती, तो मैं आज मसीही नहीं होता।
मुझे दक्षिणी बैपटिस्टों ने कहा था कि अगर मुझे प्रचारक बनना है तो मुझे कॉलेज डिग्री प्राप्त करनी होगी। दक्षिणी बैपटिस्टों की यह परम आवश्यक डिग्री है। किंतु किश्चयन कॉलेज की सेमनरी में जाने तक के लिये मेरे पास पैसे का अभाव था। मैं दिन भर काम करता और रात को कॉलेज जाता। मैं मात्र एक धर्मनिरपेक्ष यूनिवर्सिटी में पढ सकते योग्य फीस दे सकता था, और आठ घंटे के कठोर परिश्रम के बाद प्रतिदिन कॉलेज जा सकता था।
जब मैं धर्मनिरपेक्ष स्कूल में अध्ययनरत था वहां प्राध्यापक बडी निर्ममता से बाईबल पर प्रहार किया करते थे। एक के बाद एक हर कक्षा में धर्मशास्त्र का मजाक उडाया जाता था, वे परमेश्वर के वचन का मजाक उडा रहे थे, उन्होंने परमेश्वर की पुस्तक पर से मेरे विश्वास को हिलाने के लिये लगभग हर संभव चीज करने की कोशिश की। वहां उस धर्मनिरपेक्ष कॉलेज में, मुझे बाईबल के इस पद से पहली बार आराम मिला,
''मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूं, क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है। तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुंह में मधु से भी मीठे हैं! तेरे उपदेशों के कारण मैं समझदार हो जाता हूं, इसलिये मैं सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूं।'' भजन (११९:९९,१०३−१०४)
मैंने उस सांसारिक कॉलेज से, स्नातक की डिग्री ली। तब दक्षिणी बैपटिस्टों का सुझाव मिला, ''कि तुम्हे दक्षिणी बैपटिस्ट पास्टर बनने के लिये सेमिनरी से स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त करनी होगी।'' किंतु मेरे पास परंपरावादी, बाईबल पर विश्वास रखने वाली सेमनरी में भर्ती होने के लिये पैसे नहीं थे। मेरे जैसे अभावग्रस्त बालक के लिये यह बहुत मंहगा अध्ययन था। चूंकि मैं दक्षिणी बैपटिस्ट चर्च का सदस्य था, इसलिये मैं तलबोट सेमनरी से थोडी कम फीस में, या दूसरी अन्य धर्मविज्ञान सेमनरी से कम फीस में पढ सकता था। धर्मविज्ञान की डिग्री लेने में तीन साल लगे। मैंने मेरे पास्टर से पूछा कि क्या मुझे उदारवादी दक्षिणी बैपटिस्ट, या गोल्डन गेट बैपटिस्ट थियोलॉजिकल सेमनरी में जाना चाहिये। उसने कहा ''बॉब, आगे बढो। तुम बाईबल जानते हो। वह तुम्हे
कभी नुकसान नहीं पहुंचायेगी'' मेरे पास्टर सही कह रहे थे। बाईबल ने मुझे कभी ''चोट'' नहीं पहुंचाई। किंतु इसने मुझे लगभग मार ही डाला! मैं सच कह रहा हूं!
अगर मैं परमेश्वर का अनुग्रह नहीं पाता तो आज क्या मैं जीवित दिखाई पडता- और क्या आज मैं सेवकाई कर रहा होता! मैं जिस सेमनरी में अध्ययन कर रहा था वहां मैं इतना निराश हो गया और लगभग मेरा दिल टूट ही गया कि मैं सेवकाई त्यागने की बात सोचने लगा। मैंने वहां दुखदायी तीन साल काटे, वहां का रवैया बेहद ठंडा, अलग थलग, व अविश्वास से भरा नारकीय स्थान था! अगर मेरे जीवन में बाईबल नहीं होती तो मैं वहां से कभी भी स्नातक नहीं कर पाता।'' मैं मेरे हाथों में बाईबल खुली रखकर डॉमेटरी में सोया करता था। रोज मैं बाईबल से यह पद पढता था,
''मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूं, क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है। तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुंह में मधु से भी मीठे हैं! तेरे उपदेशों के कारण मैं समझदार हो जाता हूं, इसलिये मैं सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूं।'' (भजन ११९:९९,१०३−१०४)
मुझे लगा कि मैं नरक में आ गया हूं। और मैं इस सेमनरी से कभी वापस न जा सकूंगा। मैं सच कह रहा हूं।
''मैं ने सारे मन से प्रार्थना की है, हे यहोवा मेरी सुन लेना! मैं तेरी विधियों को पकड़े रहूंगा। मैं ने तुझ से प्रार्थना की है, तू मेरा उद्धार कर, और मैं तेरी चितौनियों को माना करूंगा।'' (भजन ११९:९९,१०३−१०४)
किंतु अगर मैं वहां नहीं गया होता, दुख की आग में नहीं जलता, ठंडे सुनसान अविश्वासी माहौल में नहीं रहता तो मैंने जीवन से बढकर बाईबल को प्रेम करना नहीं सीखा होता।
प्रचार विषय के प्राध्यापक मुझे कहते कि मैं कक्षा में बाईबल की तरफदारी करने के कारण बदनाम हो रहा हूं। उन्होंने मुझे कहा कि मैं एक अच्छा प्रचारक हूं किंतु कक्षा में धर्मशास्त्र की तरफ से पैरवी करने के लिये मैं बदनाम हो रहा हूं। उन्होंने मुझे यह भी समझाया कि, ''तुमको कभी चर्च नहीं मिलेगा।'' उस सेमनरी के अध्यक्ष ने भी अपने कार्यालय में बुलाकर मुझसे यही बात कही - ''तुम्हे कभी चर्च नहीं मिलेगा। वे तुम्हे परेशानी पैदा करने वाला पास्टर समझेंगे।'' जब मैंने लूथर के शब्द पढे, तो मुझे लगा कि वे मेरे स्वयं के शब्द थे,
यहां मैं, कुछ भी नहीं कर सकता हूं। जब तक कि धर्मशास्त्र की गलतियों को न जानूं, क्या मैं साहस कर सकता हूं कि उसमें से कुछ हटा दूं या जोड दूं; मेरा तो विवेक परमेश्वर के वचन में बंधक है।
परमेश्वर का वचन संसार की हर ताकत के उपर है, उन ताकतों को क्यों धन्यवाद दूं;
आत्मा और उसके वरदान हमारे हैं, जो हमें सर्वोच्च परम सत्ता ने दिये हैं।
इसलिये इस जीवन की सामग्री तो जाती रहती है, काया भी मिट जाती है;
यह देह को भी वे खत्म कर सकते हैं, परमेश्वर की सच्चाई हमेशा बनी रहेगी:
उसका राज्य सदा बना रहेगा।
(''परमेश्वर हमारा शक्तिशाली गढ है'' मार्टिन लूथर,१४८३−१५४६)
''मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूं, क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है।'' (भजन ११९:९९)
बाईबल विज्ञान की किताब नहीं है। न ही यह व्यवस्थत धर्मविज्ञान की कोई अध्ययन पुस्तक है। तौभी, जब यह धर्म विज्ञान के उपर कहती है, तो जो भी यह कहती है वह सत्य है। जब यह विज्ञान संबंधी बातों पर कहती है तो यह सत्य होता है।
सेमनरी में तीसरे और अंतिम साल में, मैं मित्रों और मेरे विधार्थी संगठन के समर्थकों की सहायता से विधार्थी समाचार पत्र, दि करेंट का संपादक चुना गया। तब मैंने वास्तव में बाईबल को अस्वीकार करने वाले उदारवादी प्राध्यापकों के उपर अपना मोर्चा खोल दिया। मैं मेरे कॉलम, में उनकी बहुत आलोचना करता। जो प्राध्यापक बाईबल की कई बातों पर प्रश्न चिन्ह लगाते थे मै उनका उत्तर उस कॉलम में लिखता था । जैसे ही दि करंट अखबार निकलता, विधार्थी उसे लेने के लिये दौड पडते थे। मैंने एक विधार्थी को यह कहते हुये भी सुना कि, ''अगर हिमर्स इसका संपादक नहीं होता तो कोई इस अखबार को नहीं पढता।'' बहुत सारी बातों के बीच मैं बाईबल की वैज्ञानिक सत्यता लिखता। जब बाईबल विज्ञान संबंधी कोई भी कथन करती है तो यह हमेशा सही और सत्य होते हैं। बाईबल में कई वैज्ञानिक सत्यों का प्रकाशन है, जब बाईबल लिखी गई थी उस समय किसी को ये ज्ञान नहीं थे।
१. प्रथम, जब धर्मशास्त्र लिखा गया था तब बाईबल मनुष्य के लहू के विषय में कहती है जो अनजानी बात थी।
लैव्यव्यवस्था १७:११ पढिये। स्कॉफील्ड बाईबल में यह १५० पेज पर है। निवेदन है कि खडे होकर इसके प्रथम दस शब्द पढें,
''क्योंकि प्राण के कारण लोहू ही से प्रायश्चित्त होता है।'' (लैव्यव्यवस्था१७:११)
अब बैठ जाइये। डॉ. हैनरी एम. मोरिस ने कहा था,
यह महत्वपूर्ण पद अन्य पदों के साथ साथ (उत्पत्ति ९:३−६) यह दिखाता है कि शारिरिक जीवन का मुख्य तत्व शरीर के अंदर लहू का बहना है (विलियम हरवे ने १६१६ में एक खोज की थी).....यह आधुनिक वैज्ञानिक नजरिया हजारों वर्ष पूर्व लिखी बाईबल में स्पष्ट मिलता है हेनरी एम. मोरिस, पी.एच.डी. दि डिफेंडर्स स्टडी बाईबल, वल्र्ड पब्लिशिंग, १९९५, पेज१५४; लैव्यव्यवस्था१७:११ पर व्याख्या)
यद्यपि विलियम हार्वे ने १६१६ में यह खोज की थी कि शिराओं में हवा नहीं बल्कि लहू बहता है, ''आधुनिक समय तक जीवन को चलाने में किसका हाथ है इसके बारे में लगभग कुछ नहीं ज्ञात है'' (जॉन आर.राईस, डी.डी., अवर गॉड ब्रीथ्ड बुक - दि बाईबल, सोर्ड आँफ दि लॉर्ड पब्लिशर्स, १९६९, पेज ३१९) जब हमारे प्रथम राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन बीमार हो गये थे, एक मेडीकल डॉक्टर ने तीन बार उनका खून लिया। तीसरी बार में उसने उनका अधिक खून निकाल लिया। बाद में राष्ट्रपति की मौत हो गई क्योंकि वह डॉक्टर नहीं जानता था कि बाईबल ने तो सदियों पूर्व यह लिख दिया था ''क्योंकि शरीर का प्राण लोहू में रहता है'' ''उसने मूर्खतापूर्ण रूप में सोचा कि अधिक खून में अधिक बीमारियां निवास करती हैं'' (राईस, उक्त संदर्भित)।
२. दूसरा, जब धर्मशास्त्र लिखा गया था इसमें धरती की बातें लिखी गई जो उस समय लोगों के लिये अज्ञात थी।
अयूब २६:७ खोलिये। स्कॉफील्ड बाईबल के ५८५ पर है। निवेदन है कि इसे खडे होकर जोर से पढिये,
''वह उत्तर दिशा को निराधार फैलाए रहता है, और बिना टेक पृथ्वी को लटकाए रखता है।'' (अयूब २६:७)
यह मसीह के आगमन से १५०० साल पहले लिखी गई थी। एक आधुनिक अनुवाद में इस तरह लिखा हुआ है। ''वह उत्तरी आकाश को खाली अंतरिक्ष के उपर फैलाता है; वह शून्य के उपर धरती को लटकाता है'' (एन आई वी) एक प्रसिद्ध विद्वान डॉ. चाल्र्स जॉन एलिकॉट ने अययूब २६:७ के बारे में लिखा था,
...विज्ञान की खोज के विषय में (पूर्वानुमान) बहुत यादगार उदाहरण भाग लेते हुये सामने आये। हमें अययूब में लगभग तीन हजार सालों पहले, हमारे ब्रहांड की दशा के बारे में वैज्ञानिक रूप से सटीक बातें मिलती हैं, जो आत्मिक ताकत का प्रमाण है (चाल्र्स जॉन एलिकॉट, पी.एच.डी., एलिकोटस कमेंटरी आँन दि व्होल बाईबल, जोंडरवन पब्लिशिंग हाउस, एन.डी., वॉल्यूम ४, पेज ४६; अययूब २६:७ पर व्याख्या)
''वह शून्य के उपर धरती को स्थापित करता है'' (एन आई वी) ''और बिना टेक पृथ्वी को लटकाए रखता है'' (के जे वी)। ये शब्द बाईबल में मसीह के समय के पूर्व लिखे गये थे, जब रोमी लोग यह विश्वास करते थे कि संसार एक महान देवता एटलस की पीठ पर टिका है, और एक समय हिंदुओं का विश्वास था कि पृथ्वी चपटी है और हाथी की पीठ पर टिकी हुई है, जो विशाल कछुए की पीठ पर सवार होकर, विशाल समुद्र में तैर रहा था! डॉ. जे.वर्नान मैगी ने कहा, ''स्मरण रखिये कि यह अययूब नामक मनुष्य जो कुलपिता के युग का पुरूष था, और तौभी यह मनुष्य जानता था कि धरती बिना टेक के अंतरिक्ष में लटकी हुई है। परमेश्वर ने इतने विशालकाय पिंड को निर्वात में बिना किसी टेक के लटकाया है.......यह धारणा प्राचीन नक्षत्रशास्त्रियों के लिये अज्ञात थी'' (जे.वर्नान मैगी, टी.एच.डी., थ्रू दि बाईबल, थॉमस नेल्सन पब्लिशर्स, १९८२, वॉल्यूम २, पेज ६३२; अययूब २६:७ पर व्याख्या)। तब, लगभग तीन हजार वर्षो से भी अधिक समय के पश्चात, अययूब की पुस्तक ने कहा कि परमेश्वर ''बिना टेक पृथ्वी को लटकाता है। '' ''यह निर्वात में लटकी हुई है,'' जैसा कि डॉ. ए. आर. फौसेट कहते हैं (जैमीसन, फौसेट एंड ब्राउन कमेंटरी, विलियम बी. इर्डमंस पब्लिशिंग कंपनी, १९७६ संस्करण, वॉल्यूम २, पेज ६२; अययूब २६:७ पर व्याख्या)
अब यशायाह ४०:२२ निकालिये। यह स्कॉफील्ड बाईबल में ७४८ पेज पर है। निवेदन है अपने स्थान पर खडे होकर पढिये और प्रथम ग्यारह शब्द जोर से पढिये, जो ''पृथ्वी'' शब्द पर खत्म होते हैं।
''यह वह है जो पृथ्वी के घेरे के ऊपर आकाशमण्डल पर विराजमान है....'' (यशायाह ४०:२२)
अब बैठ जाइये।
स्कॉफील्ड स्टडी बाईबल में बीच की व्याख्या ''जी'' कहती है, ''पृथ्वी की गोलाई (गोलाकार) वाला आकार एक स्मरणीय संदर्भ है।'' डॉ. डब्ल्यू. ए. किसवेल ने कहा था, ''यशायाह, मसीह के आगमन के कुछ सात सौ वर्षों पूर्व लिख रहा था, और पहले से ही पृथ्वी के गोलाकार आकार के बारे में जानता था। यह एक गहन सोच थी, जो परमेश्वर की प्रेरणा से दी गई थी'' (दि किसवेल स्टडी बाईबल, थॉमस नेलसन पब्लिशर्स, यशायाह ४०:२२ पर व्याख्या)। डॉ. हैनरी एम. मोरिस ने कहा था कि ''गोले'' के लिये अनुवादित इब्रानी शब्द ''खुग'' है और जो ''स्पष्टत: पृथ्वी की गोलाई (गोलाकार) दशा को दर्शाता है'' (दि डिफेंडर्स स्टडी बाईबल, उक्त संदर्भित, यशायाह ४०:२२ पर व्याख्या)
तो, बाईबल यह बताती है कि पृथ्वी गोल है और अंतरिक्ष में बिना सहारे के लटकी है! डॉ. जॉन आर. राइस ने कहा था, ''.....गलीलियों, कोलंबस और मैगेलन के जानने से कई हजारों साल पहले बाईबल में यह लिखा जा चुका था कि पृथ्वी गोल है'' (राइस, उक्त संदर्भित,पेज ३२०)
३. तीसरा, जब धर्मशास्त्र लिखा गया था तो जो प्रभु यीशु पृथ्वी के गोल होने और चक्कर लगाने के बारे में जानते थे वह लोगों को अज्ञात था।
यूनानियों ने कहा कि धरती गोल है, किंतु वे यह नहीं जानते थे कि वह घूमती हैं। औसत आदमी जानता था कि धरती चपटी थी। आज एक समूह विद्यमान है जिसका नाम है'' दि फलैट अर्थ सोसायटी।'' किंतु प्रभु यीशु मसीह जानते थे कि धरती गोल थी और वह निरंतर घूम रही थी। वह मैगेलन के इस दुनियां का चक्कर लगाने से १४०० सालों से अधिक समय पूर्व इस बात को जानते थे। आप बाईबल में लूका १७:३४-३६ से निकालिये। यह स्कॉटफील्ड बाईबल में पेज ११०० के उपर मिलता है। निवेदन है कि खडे होकर लूका १७:३४-३६ पढिये।
''मैं तुम से कहता हूं, उस रात दो मनुष्य एक खाट पर होंगे, एक ले लिया जाएगा, और दूसरा छोड़ दिया जाएगा। दो स्त्रियां एक साथ चक्की पीसती होंगी, एक ले ली जाएगी, और दूसरी छोड़ दी जाएगी। दो जन खेत में होंगे एक ले लिया जाएगा और दूसरा छोड़ा जाएगा।'' (लूका १७:३४-३६)
अब आप बैठ जाइये। यीशु ने कहा था कि, जब वह रैप्चर के समय आयेगा, दो जन जो बिस्तर पर होंगे, दो महिलायें जो चक्की पीस रही होगीं, दो जन खेत में होंगे उनमें से एक एक ले लिया जायेगा। डॉ. हैनरी एम. मोरिस ने कहा था,
जब प्रभु आयेंगे, यह रात का समय भी हो सकता है कि जब दो मनुष्य बिस्तर में होंगे, शायद बहुत सुबह भी होगी जब दो महिलायें चक्की पीस रही होगी, और या फिर दोपहर भी हो सकती है जब मनुष्य खेत में काम कर रहे होंगे। यह तभी संभव है जब धरती अपनी धुरी पर घूम रही (हैनरी एम. मोरिस, पी.एच.डी., उक्त संदर्भित, पेज१११६; लूका १७:३४ पर व्याख्या)।
मसीह ''पलक झपकते ही, एक ही क्षण में'' आ जायेगा (१ कुरंथियों १५:२२) तब उस क्षण में धरती के एक हिस्से में रात होगी, और दूसरे हिस्से में दिन होगा, और कहीं किसी जगह पर दोपहर होगी। डॉ. जॉन आर. राईस ने कहा था, ''प्रभु यीशु जानते थे....धरती के घूमने के बारे में वैज्ञानिक सत्य जिससे रात और दिन एक ही समय में घटते हैं'' (राईस, उक्त संदर्भित, पेज ३२१)
ये चार हिस्से स्पष्ट बताते हैं कि बाईबल वैज्ञानिक तथ्यों को बहुत पहले ही प्रगट कर चुकी थी, और हमेशा ही वे तथ्य अचूक हैं। यहां तक कि इस धरती पर कोई मनुष्य तथ्य नहीं जानता था, बाईबल ने इन वैज्ञानिक तथ्यों को सही रूप में प्रगट किया। हम उन तथ्यों में से तीन और अगले रविवार को देखेंगे।
मैं छात्रों के लिये निकाले अखबार में इस तरह की साधारण बातें लिखता था, जब मैं उस, उदारवादी बाईबल को अस्वीकार करने वाली सेमनरी का शिष्य होकर, संपादक का कार्य भी कर रहा था। कुछ तो मुझ पर चिल्लाते थे। दूसरे कई मुझ पर हंसते थे। सेमनरी के अध्यक्ष ने मुझे निकालने की धमकी दे डाली, किंतु निकाल न सका क्योंकि मैं पिछले दो वर्षो से अच्छा विद्यार्थी था। उन्होंने कहा था कि मुझे कभी कोई दक्षिणी बैपटिस्ट चर्च नहीं मिलेगा। किंतु मुझे कोई चर्च ''मिले'' ऐसी जरूरत भी नहीं थी! मैंने उस सेमनरी से दो मील की दूरी पर एक चर्च शून्य से आरंभ किया। वह चर्च आज भी वहां स्थापित है! यह एक दक्षिणी बैपटिस्ट चर्च है। और उस एक चर्च से, दुनियां भर में, चालीस चर्च और निकल कर आये। अजीब बात थी, कि दो साल पहले मैंने जिस दिन गोल्डन गेट बैपटिस्ट थियोलॉजिकल सेमनरी के आँडिटोरियम में प्रचार किया वह मेरे द्वारा मिल वैली, कैलीफोर्निया में प्रारंभ किये गये चर्च की चालीसवीं वर्षगांठ थी! अब तो प्रत्येक, बाईबल को अस्वीकार करने वाला प्राध्यापक वहां से जा चुका था − और मैं वहां प्रचार कर रहा था! प्रभु यीशु मसीह के नाम की जय हो! मैं तो विनम्रतापूर्वक, केवल इतना ही कह सकूंगा, कि यह केवल परमेश्वर के अनुग्रह की वजह से हुआ,
''मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूं, क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है। तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुंह में मधु से भी मीठे हैं! तेरे उपदेशों के कारण मैं समझदार हो जाता हूं, इसलिये मैं सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूं।'' (भजन ११९:९९,१०३−१०४)
मैं उम्मीद करता हूं कि बाईबल पर भरोसा रखने में आपको कभी भी शर्म नहीं आयेगी। प्रभु यीशु ने कहा था,
''जो कोई मुझ से और मेरी बातों से लजाएगा; मनुष्य का पुत्र भी जब अपनी, और अपने पिता की, और पवित्र स्वर्ग दूतों की, महिमा सहित आएगा, तो उस से लजाएगा।'' (लूका ९:२६)
प्रभु यीशु के पास विश्वास से आइये। उस पर विश्वास लाइये और उसके लहू से अपने पापों को धो लीजिये! वह तो मरकर जी उठा है! स्वर्ग की ओर देखिये और उस पर विश्वास कीजिये!
अपनी आंखे यीशु की ओर लगाइये,
उसके अदभुत चेहरे की ओर निहारिये;
तब संसार की वस्तुओं की चमक बिल्कुल मंद पड जायेगी
उसकी महिमा और अनुग्रह के प्रकाश में।
(''टर्नयोर आईज अपॉन जीजस'' हैलेन एच.लैमेल, १८६३−१९६१)
(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व धर्मशास्त्र पढा गया ऐबेल प्रुद्योमे द्वारा: भजन ११९:९७−१०४
संदेश के पूर्व बैंजामिन किन्केड गिफिथ द्वारा एकल गीत गाया गया: भजन १९:७−१०
रूपरेखा मेरे गुरूओं से अधिक समझ! द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स ''मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूं, क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है। तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुंह में मधु से भी मीठे हैं! तेरे उपदेशों के कारण मैं समझदार हो जाता हूं, इसलिये मैं सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूं।'' (भजन ११९:९९, १०३−१०४) (भजन ११९:९९, १४५−१४६) १. प्रथम, जब धर्मशास्त्र लिखा गया था तब बाईबल मनुष्य के लहू के विषय में कहती है जो अनजानी बात थी, लैव्यव्यवस्था १७:११; २. दूसरा, जब धर्मशास्त्र लिखा गया था इसमें धरती की बातें लिखी गई जो उस समय लोगों के लिये अज्ञात थी, अयूब २६:७; यशायाह ४०:२२ ३. तीसरा, जब धर्मशास्त्र लिखा गया था तो जो प्रभु यीशु पृथ्वी के गोल होने और चक्कर लगाने के बारे में जानते थे वह लोगों को अज्ञात था, |