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पुर्नजागरण का परमेश्वर

(पुर्नजागरण पर संदेश संख्या १४)
THE GOD OF REVIVAL
(SERMON NUMBER 14 ON REVIVAL)
(Hindi)

द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की संध्या, २ नवंबर, २०१४ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल में प्रचार किया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord's Day Evening, November 2, 2014

''भला हो कि तू आकाश को फाड़कर उतर आए और पहाड़ तेरे साम्हने कांप उठे। जैसे आग झाड़-झंखाड़ को जला देती वा जल को उबालती है, उसी रीति से तू अपने शत्रुओं पर अपना नाम ऐसा प्रगट कर कि जाति जाति के लोग तेरे प्रताप से कांप उठें! जब तू ने ऐसे भयानक काम किए जो हमारी आशा से भी बढ़कर थे, तब तू उतर आया, पहाड़ तेरे प्रताप से कांप उठे।'' (यशायाह ६४:३)


इजरायल के लोग बुरी दशा में थे। वे डरे हुये और दुखी थे। किंतु भविष्यदर्शी ने परमेश्वर से उनके लिये विनती की और उन्हें ज्यों का त्यों कर दिया। उसने परमेश्वर को स्मरण दिलाया कि उसने उनके लिये अतीत में कैसी दया की थी। उसने परमेश्वर से पुन: वही करूंणा दिखाने को कहा परमेश्वर बेबदल है। वह कल, आज और हमेशा एक जैसा रहेगा। जो उसने बीते काल में किया वह आज फिर से कर सकता है। तो इस तरह, भविष्यदर्शी ने परमेश्वर को स्मरण दिलाया,

''जब तू ने ऐसे भयानक काम किए जो हमारी आशा से भी बढ़कर थे, तब तू उतर आया पहाड़ तेरे प्रताप से कांप उठे।'' (यशायाह ६४:३)

इस पद से तीन बातें देखने को मिलती है।

१. प्रथम, परमेश्वर की उपस्थति हमारी एकमात्र आशा है।

यशायाह यह जानता था जब उसने प्रार्थना में यह मांगा, पद एक में लिखा है, ''भला हो कि तू आकाश को फाड़कर उतर आए और पहाड़ तेरे साम्हने कांप उठे।'' (यशायाह ६४:१) उसके थोडे पहले उसने परमेश्वर से यह कहकर प्रार्थना की ''स्वर्ग से दृष्टि कर'' (यशायाह ६३:१५) किंतु उसकी प्रार्थनाये बढती गयी। वह यह कह कर मांगने लगा कि परमेश्वर अपनी निगाहें नीचे की ओर लगाये। फिर वह चिल्लाकर प्रार्थना करने लगा, ''नीचे उतर ।'' अब वह परमेश्वर से प्रार्थना करता है कि वह आकाश को दो भागों में बांट दे − और स्वर्ग से नीचे उतरकर उसके लोगों की सहायता करे।

मसीह ने हमारे लिये वह रास्ता खोल दिया कि हम परमेश्वर के पास आ सकें। उसने मंदिर का परदा उठाया नहीं था। नहीं! उसने उसे शीर्ष से तल तक दो भागों में फाड दिया था। इस तरह परमेश्वर तक पहुंचने का रास्ता सदैव के लिये खुल गया! मसीह खुले स्वर्ग में पहुंच गया! और खुले स्वर्ग से पवित्र आत्मा पेंतुकुस्त के दिन मंडली पर उंडेला गया।

हमें फिर से पवित्र आत्मा से हम तक नीचे पहुंचने के लिये प्रार्थना करनी चाहिये! आज चलिये हम सभी संपूर्ण मनों से लीन होकर परमेश्वर से नीचे उतर आने और हमारे बीच उपस्थत रहने के लिये प्रार्थना करें! लंबे समय तक चाईनीज चर्च के मेरे पास्टर डॉ तिमोथी लिन थे। डॉलिन ने कहा,

     पुराने नियम के काल में परमेश्वर के लोगों की (आवश्यकता) इस बात से आशीषित होने की थी कि परमेश्वर उनके मध्य उपस्थत हो....
     इसका अच्छा उदाहरण इसहाक है। उसने अपने (समय) में पलीस्तीन में रंगभेद के झगडे व सताव के दौरान सैंकडों लोगों को मार डाला − क्योंकि परमेश्वर उसके साथ उपस्थत था। यहां तक कि पलीस्तीन के राजा ने भी उससे कहा, ''हमने निश्चत ही देखा कि प्रभु उसके साथ था।'' (उत्पत्ति २६:२८).....
     यही युसुफ के साथ भी था। भले ही युसुफ को विदेशयों के हाथों गुलाम बनाकर बेच दिया गया.....और अन्यायपूर्वक वह कैदखाने में डाला गया, युसुफ आखिरकार अपने कैदखाने के (कपडे) उतार फेंक बढिया मलमल के कपडे पहनने और संपूर्ण मिस्र देश पर शासन करने के लिये सत्तासीन हुआ। एकमात्र कारण इस संपूर्ण नाटकीय घटनाक्रम का यह था कि परमेश्वर उसके साथ था ''और जो कुछ वह करता था, यहोवा उसको उस में सफलता देता था।'' (उत्पत्ति ३९:२३).....
     पूर्वी कलीसिया के काल खंड में भी परमेश्वर की उपस्थति दिखाई देती थी.....पूर्वी कलीसिया के समय में चर्च की बढोतरी का रहस्य यह था कि परमेश्वर की उपस्थति उनके मध्य थी, और पवित्र आत्मा का कार्य भी उसकी उपस्थति की गवाही देता था। अंतिम युग के चर्च में भी परमेश्वर की उपस्थति की प्रार्थना मांगी जाना चाहिये अगर उसे उन्नति करना है, अन्यथा उसके साथ प्रयत्न व्यर्थ हो जायेंगे। (तिमोथी लिन, पीएचडी, दि सीक्रेट आँफ चर्च ग्राथ, एफसीबीसी, १९९२, पेज २−६)

''भला हो कि तू आकाश को फाड़कर उतर आए और पहाड़ तेरे साम्हने कांप उठे....'' (यशायाह ६४:१)

परमेश्वर की उपस्थति मूसा के साथ थी − और परमेश्वर ने मिस्र में अपने लोगों को गुलामी से बाहर निकाल लिया। जब वे निर्जन में भटक रहे थे तब भी परमेश्वर की उपस्थति उनके साथ थी। वह बादल का खंबा और आग का खंबा बनकर उनके रास्तों में उन्हें लिये चला। जब इजरायल के बैनर पर ''परमेश्वर हमारे साथ'' लिखा था, वे समुद्र से समुद्र पर विजय प्राप्त करते चले गये। किंतु जब उन्होंने परमेश्वर को दुख पहुंचाया वे एक कमजोर राष्ट्र बन गये वे बेबीलोन में गुलाम बनाकर ले जाये गये। परमेश्वर की उपस्थति की इजरायल की महिमा थी। किंतु बिना परमेश्वर की उपस्थति के वे कुछ भी नहीं कर पाये।

ये अंधकार भरे खतरनाक दिन हैं। हमारे चर्चेस कमजोर हो गये हैं। हमारे प्रचारकों में सामर्थ व बल की कमी है। हम उस महान दुष्ट शहर के मध्य में रह रहे हैं − जो मूर्तिपूजकों और गहन अंधेरे से भरा सदोम शहर जैसा है! नरक की शक्तियों ने खूब सिर उठाया कि हमें यीशु में बढने से रोक ले। किंतु परमेश्वर हमारे साथ था! अब हमारी चर्च इमारत पर कोई ॠण नहीं है − यह एक चमत्कार है! परमेश्वर हमारे साथ उपस्थत रहा और अब उसके संदेश इंटरनेट के द्वारा प्रत्येक माह ८०००० लोगों तक पहुंचते हैं! सचमुच परमेश्वर हमारे साथ साथ रहा। किंतु अब हमें जवानों को प्रभु यीशु के पास लाना है और यीशु की मंडली तैयार करना है। आप कहोगे, ''कि यह तो असंभव है।'' हां मैं इस डर का भी समझता हूं। यह भावना हमारे दैहिक स्वभाव और शैतान से उपजती है। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिये कि परमेश्वर ने बीते कालों में हमारे लिये क्या किया − जब उसने हमारी चर्च इमारत को बचाया। और पिय जवानों, आपको इस तरह प्रार्थना करनी चाहिये, कि जैसे पहले कभी नहीं की हो, आपको सुसमाचार प्रचार के दौरान पवित्र पिता की उपस्थति की मांग करना चाहिये, हमारी आराधना के समय पवित्र आत्मा की उपस्थति मांगनी चाहिये!

''भला हो कि तू आकाश को फाड़कर उतर आए और पहाड़ तेरे साम्हने कांप उठे....'' (यशायाह ६४:१)

परमेश्वर की उपस्थति हमारी एकमात्र आशा है। कोई भी ठहरा नहीं रहेगा। कोई भी परिवर्तित नहीं होगा। कोई भी चर्च का मजबूत सदस्य नहीं बन सकता - जब तक हमारे बीच आराधना में स्वयं परमेश्वर आकर डेरा न करे!

२. दूसरा, पवित्र परमेश्वर की उपस्थति आश्चर्यकर्म देती है।

पद कहता है, ''जब तू ने ऐसे भयानक काम किये जो हमारी आशा से भी बढकर थे तब तू उतर आया।'' आधुनिक अनुवाद ''भयानक'' को ''अदभुत'' अनुवाद करके लिखते हैं। मैं शब्द के लिये चिंता नहीं करता क्योंकि इसके अधिक प्रयोग से यह भेद खत्म हो गया है। अच्छा होगा कि हम इसे ऐसे सोचे, ''आश्चर्यजनक चीजें जो हमने कभी सोची भी नहीं हो।'' इजरायलियों ने अक्सर कहा - ''अदभुत काम करने वाला परमेश्वर तू ही है'' (भजन ७७:१४)

क्या आपने कभी सोचा कि इजरायलियों ने लाल समुद्र को पार करने की उम्मीद की होगी, जिसके दोनों तरफ पानी रोक लिया गया होगा? तौभी उन्होंने उसे पार किया − और उनके पीछे पीछे मिस्री चले जब पानी पुन: बराबर हो गया जो डूब कर मर गये जब पानी पुन: बराबर हो गया। क्या आप सोचते हैं कि उन्होंने जंगल में डेरा डालना सोचा होगा और हर रात उन्हें इतना प्रकाश मिलता था कि हमारी बिजली भी इतनी रोशनी न दे सके? तौभी हर रात उन्हें जलती हुई आग से रोशनी प्रदाय की गई। जब वे भूखे थे तो क्या उन्होंने उम्मीद की थी कि स्वर्ग से उनके लिये मन्ना गिराया जायेगा? जब वे प्यासे थे तो क्या उन्होंने कभी उम्मीद की थी कि चटटान से अचानक एक फव्वारा फूट पडेगा? क्या यरीहो की दीवाल का चक्कर लगाते हुये उन्होंने सोचा था कि नरसिंगे की आवाज से और उनके चिल्लाने के शोर से वह दीवाल ढह जायेगी? नहीं, इजरायल का इतिहास बहुत भयानक अदभुतकर्मों से भरा है, हम सुनकर चकित हो जाते हैं कि उन चीजों की हमने कभी आशा नहीं की थी'' जब परमेश्वर नीचे उतर आया तो क्या क्या अदभुत कार्य नहीं हुये।

किसने उम्मीद की होगी कि परमेश्वर मसीह के रूप में पृथ्वी पर आ जायेगा? किसने उम्मीद की होगी कि वह क्रूस पर हमारे लिये प्राण देगा ''वह धर्मी था पर हमारे लिये अधर्मी बना,'' ताकि हमें फिर से स्वर्ग ले जा सके? (१पतरस ३:१८) किसने सोचा होगा कि एक कमरे में डरे, छिपे चेले एक दिन संपूर्ण रोमन संसार में मसीह का सुसमाचार सुनायेंगे? किसने सोचा होगा कि एक छोटा सा शस्त्रहीन टापू, जिसका नेतृत्व लकडी के सहारे चलने वाले बूढे ने किया था, किसी दिन हिटलर और उसकी ताकतवर सेना से युद्ध करेगा - और जीत जायेगा? किसने सोचा होगा कि संसार भर में बिखरे हुये यहूदी निर्वासन के दो हजार वर्ष बाद पुन: इजरायल लौटेंगे? किसने सोचा होगा कि छोटा सा इजरायल राष्ट्र साठ वषों से भी अधिक समय तक कटटर मुस्लिमों के विरूद्ध खडा रह सकेगा? किसने सोचा होगा कि थोडे से चीनी मसीही आधी शताब्दी तक माओ से तुंग से भयानक प्रताडना पाने के उपरांत भी मसीही विश्वास में बढते जायेंगे? किसने सोचा होगा कि उनके ''घर घर स्थापित चर्चेस'' से संसार के इतिहास में इतना बडा पुर्नजागरण फैल जायेगा? किसने सोचा होगा कि आत्माओं के जमा होने से अधनंगे, सिगरेट के धुंए में रहने वाले हिप्पी १९६० और प्रारंभिक ७० के दशक में सभाओं में आने लगेंगे? किसने सोचा होगा कि हमारा चर्च अपने सबसे बुरे कहलाये जाने वाले विभाजन के उपरांत भी जीवित रहेगा? किसने सोचा होगा कि उनचालीन लोग प्रति माह सोलह हजार डॉलर उगाकर बीस साल तक इस इमारत का कर्ज चुका पायंगे? किसने सोचा होगा कि परमेश्वर मेरे लिये इतनी सुंदर पास्टर पत्नि भेजेंगे? किसने सोचा होगा कि प्रति रविवार मेरे दो मजबूत बेटे मेरे साथ चर्च आते होंगे? किसने सोचा होगा कि परमेश्वर मेरी मदद करने, और चर्च चलाने के लिये दो पी.एच.डी. प्राप्त, और एक मेडीकल डॉक्टर को भेजेगा? और किसने, कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि, मेरी गरीब, बूढी हताश मां अस्सी साल की उम्र में एक अनोखी मसीही महिला में परिवर्तित हो चुकी होगी?

''जब तू ने ऐसे भयानक काम किए जो हमारी आशा से भी बढ़कर थे, तब तू उतर आया पहाड़.... '' (यशायाह ६४:३)

जब परमेश्वर नीचे उतर आता है तो ऐसे अदभुत कार्य करता है जिसकी किसी ने आशा नहीं की होगी!

मेरा परमेश्वर, कितना अदभुत है,
उसकी महिमा कितनी प्रदीप्त है;
कितना सुंदर उसका दया का आसन
प्रज्वलित रोशनी की गहराईयों में,
प्रज्वलित रोशनी की गहराईयों में!

कितना अदभुत, कितना सुंदर,
तेरा दृश्य होना चाहिये;
तेरी अनंत बुद्धि, अनंत सामर्थ,
और अदभुत शुद्धता,
और अदभुत शुद्धता!
   (''मेरे परमेश्वर, आपके कार्य अदभुत हैं'' फ्रेडरिक डब्ल्यू फेबर, १८१४−१८६३)

मैं आज शाम यशायाह के शब्दों के उपर स्पर्जन के संदेश में से कुछ बांट रहा हूं। मैं उनकी कुछ रूपरेखा और थोडे विचारों का उपयोग कर रहा हूं। महान ''प्रचारकों के राजकुमार'' ने कहा था,

जब परमेश्वर लोगों के मध्य उतर आता है तो वह ऐसी बातें करता है जो हमने सोची भी नहीं होगी.....वह सबसे हठीले जन को भी बचा सकता है और यीशु के कदमों पर ला सकता है। उससे ऐसा करने की (प्रार्थना) करो (सी एच स्पर्जन, ''डिवाईन सरप्राईज,'' एमटीपी, वॉल्यूम २६, पिलगिम पब्लिकेशन, १९७२ पुनसंस्करण पेज २९०)

३. तीसरा, परमेश्वर की उपस्थति से बडी समस्याओं और बाधायें दूर हो जाती है।

''जब तू ने ऐसे भयानक काम किए जो हमारी आशा से भी बढ़कर थे, तब तू उतर आया पहाड़ तेरे प्रताप से कांप उठे । '' (यशायाह ६४:३)

यह एक आश्चर्यजनक पद है, ''तेरी महान उपस्थति से पहाड कांप उठे।''

जब परमेश्वर इजरायल में स्वर्ग से नीचे उतर आया, तो विशाल पहाड जैसी समस्याओं को, जीत लिया गया, और परमेश्वर की उपस्थति से ये पहाड भी उसके सामने धराशायी होकर गिर पडे। जब पुर्नजागरण होता है तब पवित्र आत्मा इतने बल के साथ उतरता है कि कठोर मन भी परमेश्वर की उपस्थति में पिघल जाते हैं। हमारे आसपास ही कुछ लोग हैं जिनके मन बहुत कठोर हैं जैसे कि चटटान हो। हम उनके लिये प्रार्थना करते हैं, उनको प्रचार करते हैं, किंतु उनके मन नहीं पिघलते। ऐसा लगता है वे कभी मन नहीं फिराऐंगे, ऐसे ही इस दुनिया से चले जायेंगे। किंतु जब परमेश्वर नीचे उतर आता है, तो ऐसे मन वाले लोग भी टूट जाते हैं। वे अचानक अपने पापों को महसूस करने लगते हैं। वे अचानक देखने लगते हैं तो वे यह महसूस करने लगते हैं कि उन्हें यीशु के लहू की जरूरत है जो उन्हें उनके पापों से शुद्ध कर सकता है। पापों का बोध होते ही बहने वाले आंसू उनके मन को नर्म बना देते हैं। तब वे इस कविता का मर्म भी समझने लगते हैं,

तेरी दया से पिघलता हुआ, मैं जमीं पर गिर जाता हूं,
और जो दया मुझे मिली उसकी तारीफ गाते गाते रोता हूं

यही तो पुर्नजागरण में होता है। डॉ ल्यॉड−जोंस ने पुर्नजागरण की यह परिभाषा दी है,

पुर्नजागरण परमेश्वर की आत्मा का उडेला जाना है.....यह लोगों के उपर परमेश्वर की आत्मा का उडेला जाना है।

तब उन्होंने हॉवेल हेरिस, जो बेल्श के महान प्रचारक थे उनके विषय में बताया। हॉवेल हेरिस एक प्रभु भोज की सभा में परिवर्तित हुये थे। वह लंबे समय से अपने मन में संघर्ष से जूझ रहे थे। हर बात में शैतान उनके विश्वास को कमजोर कर रहा था। किंतु जब वे प्रभु भोज ग्रहण करने आये ''तो (परमेश्वर) की महान उपस्थति ने उनके मन में संघर्ष को समाप्त कर दिया।'' हॉवेल हैरिस ने इस प्रकार कहा,

क्रूस पर मसीह का बहता रक्त लगातार मेरी आंखों के सामने था; और मुझे ऐसी ताकत दी गई कि मैं विश्वास कर सकूं कि मुझे मेरे पापों की क्षमा उस बहते हुये लहू के कारण मिल रही है। मेरा बोझ उतर गया, मैं आनंद से कुलांचे मारने लगा। क्या इस अनुभव को मैं जीवन भर आभार मानते हुये स्मरण न रखूंगा (मार्टिन ल्योड−जोंस, एमडी, ''हॉवेल हैरिस एंड रिवाईवल,'' दि प्यूरीटन्स: देअर ओरिजिंस एंड सक्सेसर्स, बैनर आँफ ट्रूथ, १९९६ संस्करण, पेज २८९, २८५)

प्रथम विशाल पुर्नजागरण के समय के सबसे सामर्थशाली प्रचारकों में हॉवेल हैरिस का नाम भी आता है। अगर आप उनकी डायरियां पढें तो पायेंगे, कि बार बार, पुर्नजागरण हुआ। पवित्र आत्मा जब सामर्थ से उतरता था तो खोये लोग बदल जाते थे। हैरिस ने कहा, ''जब मैंने मसीह की मृत्यु का चित्र उन्हें दिखाया तो (बडा झोंका पवित्र आत्मा की) सामर्थ नीचे उतर आया।'' ''प्रभु अपनी बडी सामर्थ में उतर आया।'' ''जब मैंने उन्हें उद्धार का मार्ग दिखाया तो बडी सामर्थ के साथ पवित्र आत्मा नीचे उतर आया।'' इस साधारण से आदमी ने इंग्लैंड व वेल्श में हजारों को प्रचार किया।

क्या हमारे चर्च में पुर्नजागरण आ सकता है? हां, किंतु तभी जब हम इसे वास्तव में चाहते हों। मैं एक नार्वे की महिला द्वारा लिखी छोटी पुस्तिका पढ रहा था जब वह चीन में १९०० से १९२७ तक मिशनरी महिला थी। वह साल दर साल पुर्नजागरण के लिये प्रार्थना करती रही। वह उपवास रखती और प्रार्थना करती थी। १९०७ में उसने पढा कि कोरिया में महान जागृति आई है। वह ऐसी ही जागृति चीन में फैले यह चाहती थी। वह वास्तव में पुर्नजागरण चाहती थी। अचानक चीनी महिलाओं के समूह में, यह हो गया। तब यह फैलता गया, सैकडों लोग परिवर्तित हुये, इसके पहले कि वह चीन छोडकर वापस नार्वे बस गई।

क्या हम ऐसा ही अनुसरण, हमारे चर्च में कर सकते हैं? हां, किंतु हमें इस तरह प्रार्थना करना आवश्यक है जैसे हमने पहले कभी न की हो। हमें यशायाह के बोले गये पदों की तरह प्रार्थना करनी चाहिये।

''भला हो कि तू आकाश को फाड़कर उतर आए और पहाड़ तेरे साम्हने कांप उठे।'' (यशायाह ६४:१)

अगर आप परिवर्तित नहीं हुये हैं, तो हम आपके लिये प्रार्थना कर रहे हैं। हम प्रार्थना कर रहे हैं कि परमेश्वर आपको आपके पापों का बोध करा दे, और वह आपको मसीह के पास खींचेगा।

आपके पापों के लिये मसीह क्रूस पर मरा। वह मरे हुओं में से जी उठा और तीसरे स्वर्ग में आपके लिये प्रार्थना कर रहा है। किंतु आपको प्रायश्चित करना है और अपने बचाये जाने के लिये उस पर भरोसा रखना है।

आप कह सकते हैं कि ''मैं तो पापी इंसान नही हूं मैं तो भला इंसान हूं।'' किंतु बाइबल कहती है कि, ''यदि हम कहें कि हम ने पाप नहीं किया, तो उसे झूठा ठहराते हैं, और उसका वचन हम में नहीं है।'' (१यूहन्ना१:१०) हम प्रार्थना कर रहे हैं कि परमेश्वर आपको आपके पापों का बोध करा दे, और वह आपको मसीह के पास खींचेगा, व मसीह अपने लहू से आपको शुद्व करेगा। डॉ चॉन निवेदन है कि प्रार्थना में हमारी अगुआई की। आमीन।

(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व धर्मशास्त्र पढा गया मि ऐबेल प्रुद्योमें द्वारा: यशायाह ६४:१−३१
संदेश के पूर्व बैंजामिन किन्केड गिफिथ द्वारा एकल गीत गाया गया:
''मेरे परमेश्वर, आपके कार्य अदभुत हैं'' (फ्रेडरिक डब्ल्यू फेबर, १८१४−१८६३;
टू दि टयून आँफ मेजेस्टक स्वीटनेस सिटस एनथ्रान्ड)


रूपरेखा

पुर्नजागरण का परमेश्वर

(पुर्नजागरण पर संदेश संख्या १४)
THE GOD OF REVIVAL
(SERMON NUMBER 14 ON REVIVAL)

द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

''भला हो कि तू आकाश को फाड़कर उतर आए और पहाड़ तेरे साम्हने कांप उठे। जैसे आग झाड़−झंखाड़ को जला देती वा जल को उबालती है, उसी रीति से तू अपने शत्रुओं पर अपना नाम ऐसा प्रगट कर कि जाति जाति के लोग तेरे प्रताप से कांप उठें! जब तू ने ऐसे भयानक काम किए जो हमारी आशा से भी बढ़कर थे, तब तू उतर आया, पहाड़ तेरे प्रताप से कांप उठे।'' (यशायाह ६४: १−३)

१. प्रथम, परमेश्वर की उपस्थति हमारी एकमात्र आशा है। यशायाह ६४:१; ६३:१५ उत्पत्ति २६:२८; ३९:२३

२. दूसरा, पवित्र परमेश्वर की उपस्थति आश्चर्यकर्म देती है।
भजन ७७:१४; १३:१८; यशायाह ६४:३

३. तीसरा, परमेश्वर की उपस्थति से बडी समस्याओं और बाधायें दूर हो जाती है यशायाह ६४:३, १:१; १यूहन्ना १:१०