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एक वाक्य में सुसमाचारTHE GOSPEL IN ONE SENTENCE द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स रविवार की सुबह, १४ सितंबर, २०१४ को लॉस एंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल में प्रचार किया गया संदेश ''यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है, कि मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आया, जिन में सब से बड़ा मैं हूं।'' (१तीमुथियुस १:१५) |
मैंने १३ जुलाई से अकेलेपन के उपर संदेशों की श्रंखला प्रचार करना आरंभ की थी। मैंने सात रविवार तक सुबह के समय उन्हें क्रम बद्ध तरीके से संदेश सुनाया। आज अधिकतर जवान लडके जो अकेलेपन की समस्या का सामना कर रहे हैं उनके लिये मैं अकेलेपन के उपर ही संदेश का प्रचार कर रहा हूं। मैं बार बार यह कहता रहा, ''अकेले क्यों रहना? घर आइये − अपने चर्च आइये।'' मैं चर्च को अकेलापन दूर करने वाला स्थान समझता हूं। ये संदेश चर्च के उपर दिये गये संदेश हैं − जिसे धर्मविज्ञानी कहते हैं ''गिरजा निर्माण विद्या।'' मैं उन्हे बार बार यह दिखाता हूं कि हाईस्कूल और कॉलेज जाने वाले बच्चों के लिये एक प्यारा और चिंता करने वाला चर्च बहुत सहायक हो सकता है। एक अच्छी, जीवित कलीसिया आपको अलगाववाद और अकेलेपन से उबरने में सहायता देगी। जब मैं ये संदेश सुना रहा था तो आपमें से कई लोगों ने चर्च आना आरंभ कर दिया था। अब यह समय है कि मैं दूसरा विषय संदेश में बोलना शुरू कर दूं। और मेरा अगला विषय होगा जो मैं सात रविवारों से बोलता चला आ रहा हूं।कि ''क्यों खोये हुयों के समान जीवन बिताना? यीशु के पास अपने घर आइये − यीशु जो परमेश्वर का पुत्र है!'' यही हमको आज सुबह इस पद पर ले चलता है। निवेदन है अपने स्थानों पर खडे होकर १तिमुथयुस १:१५ जोर से पढिये। यह स्कोफील्ड स्टडी बाईबल के पेज १२७४ में मिलता है।
''यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है, कि मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आया, जिन में मैं सब से बड़ा हूं।'' (१तीमुथियुस १:१५)
अब आप बैठ सकते हैं।
मेरी प्रारंभिक टेनिंग मुझे मेरे पास्टर डॉ.तिमोथी लिन से जो चाईनीज बैपटिस्ट चर्च के पास्टर थे, एवं डॉ.जे.वर्नान मैगी, जो महान रेडियो प्रचारक थे, उनसे मिली जब मैं कई सालों तक प्रतिदिन उनको संदेश सुनता रहा। हमारे इस पद के विषय में, डॉ.मैगी ने कहा था,
यह धर्मशास्त्र का बडा महत्वपूर्ण पद है क्योंकि यह पुष्ट करता है कि ''मसीह यीशु इस दुनिया में पापियों को बचाने आये।'' वह ऐसे महान शिक्षक बनने नहीं आये थे जिनको दुनिया जाने, यद्यपि वह तो महान शिक्षक थे ही। वह (सिर्फ) कोई नैतिक उदाहरण रखने नहीं आये थे, यद्यपि उन्होंने नैतिकता भी दिखाई। वह तो इस संसार में पापियों को बचाने आये; ''जिनमें मैं सबसे बडा पापी हूं'' (जे.वर्नान मैगी टी.एच.डी.,थ्रू दि बाईबल,वॉल्यूम वी.थॉमस नेल्सन पब्लिशर्स, १९८३,पेज ४३४;१तिमुथयुस १:१५पर व्याख्या)
''यह एक विश्वसनीय कहावत है।'' प्रेरित ने इसे विश्वसनीय इसलिये कहा है, क्योंकि यह वह बात है जिस पर आप भरोसा कर सकते हैं और इसे चिन्हत कर सकते हैं। यह वह कहावत है जिसे ''स्वीकार करना चाहिये'' आपके लिये मायने रखती है और स्वीकार किये जाने योग्य है क्योंकि यह सत्य है। यह कौनसी कहावत है जिसे आपको इसे स्वीकार करना चाहिये? यह वह कहावत है − ''मसीह यीशु इस संसार में पापियों को बचाने आये, जिसमें मैं सबसे बडा पापी हूं।'' आपको इस कथन को मानना चाहिये क्योंकि यह सच्चा है− बिल्कुल सत्य − ''मसीह यीशु इस संसार में पापियों के लिये प्राण देने आये।'' इस पद से तीन बडी सच्ची बातें सीखने को मिलती है।
१. प्रथम, हम मसीह के व्यक्तित्व के बारे में जानते हैं।
''मसीह यीशु इस दुनिया में आया।'' वह ''आया।'' उसको हमारे समान रचा नहीं गया था। हम इस दुनिया में नहीं आये । हमें इस संसार में, रचा गया है। किंतु मसीह ''मसीह इस दुनिया में आया ।'' वह कहां से आया? वह स्वर्ग से हमारे साथ रहने के लिये आया। यूहन्ना सुसमाचार कहता है,
''आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था......और वचन देहधारी हुआ, उसने हमारे बीच में डेरा किया......'' (यूहन्ना १:१, १४)
मसीह तो परमेश्वर पिता के साथ स्वर्ग में था। तब वह नीचे आया, उसे देह रूप में बनाया, ताकि वह हमारे साथ रह सके! इसे ''अवतारवाद'' कहते हैं। इसका अर्थ है परमेश्वर ''देहधारी हुआ।'' यही चाल्र्स वेस्ली अपने खूबसूरत किसमस गीत (१७०७−१७८८) में लिखता है, ''परमेश्वर देहधारी हुआ; देवत्व अवतरित हुआ, मनुष्यों के संग रहने में प्रसन्न था, वह यीशु जो इम्मानुएल कहलाया; सुनों दूतगण गाते हैं, बालक राजा ख्रीष्ट की जय'' (''हार्क दि हेराल्ड एंजेल्स सिंग,'' चाल्र्स वेस्ली द्वारा रचित, १७०७−१७८८) एवं जैसा एमिली इलियट ने लिखा, ''तुम सिंहासन और वह राजसी मुकुट छोडकर इस धरा पर मेरे लिये आये'' (''तुमने सिंहासन छोडा'' एमिली ई एस इलियट, १८३६−१८९७)
उसने स्वर्ग क्यों छोडा और इस पृथ्वी पर क्यों आया? क्यों वह कुंवारी मरियम के गर्भ से पैदा हुआ? क्यों वह हमारे साथ रहा? क्यों उसने इतना अधिक कष्ट सहा? क्यों वह लकडी के क्रूस पर हाथ और पैरों में कीले ठुकवाकर टंगा रहा? वह क्यों अवतरित परमेश्वर बना, परमेश्वर जिसने मनुष्य की देह धारण की, और क्रूस पर हमारे लिये कष्ट सहा? हमारा पद कहता है, ''मसीह यीशु इस दुनिया में आये,'' किंतु क्यों वह इस दुनिया में आये? यह हमें अगले बिंदु पर ले चलेगा।
२. दूसरा, हम मसीह के उददेश्य के बारे में सीखते हैं।
पहले बिंदु में मैं आपको बता चुका हूं कि जो इस दुनिया में आया − वह अवतरित परमेश्वर था − त्रिएकत्व का दूसरा व्यक्ति अब हम देखेंगे कि वह क्यों इस दुनिया में आया,
''मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आया'' (१तीमुथियुस १:१५)
इस दुनिया में आने का लक्ष्य केवल पापियों को उनके पापों से छुटकारा देना था। हमें सीधे सीधे शब्दों में बता दिया गया है कि, मसीह ने ''हमारे पापों के लिये दुख उठाया, वह धर्मी होकर अधर्मी बना, ताकि हमें परमेश्वर के समीप ले जा सके'' (१पतरस३:१८) फिर से, प्रेरित पतरस ने मसीह के लिये कहा, ''वह स्वयं हमारे पापों का बोझ अपनी देह में लिये क्रूस पर चढ गया'' (१पतरस२:२९) प्रेरित पौलुस ने भी कहा, ''मसीह हमारे पापों के लिये मरा'' (१कुरंथियों १५:३) मसीह ने स्वेच्छा से क्रूस का चुनाव किया, ताकि हमारे बदले में प्राण दंड उठाये, ताकि हमारे पापों के लिये मिलने वाला दंड वह भरे, ताकि उसके अपने लहू से मनुष्य के पापों को शुद्ध करे, ताकि यह मुमकिन हो सके कि परमेश्वर हमें स्वर्ग में स्वीकार करे। मसीह इस दुनिया में पापियों को पाप के अपराध बोध से छुटकारा देने आया, ताकि हमारे पाप अपने उपर ले ले, ''ताकि सब पापों से आपको साफ कर सके'' (१यूहन्ना १:७) मसीह ने स्वयं कहा, ''मैं इस दुनिया में संसार का न्याय करने नहीं आया, किंतु इस संसार को बचाने आया हूं'' (यूहन्ना १२:४७) भविष्यदर्शी यशायाह ने यह लिखते हुये बडा स्पष्ट कर दिया,
''परन्तु वह हमारे ही अपराधो के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया......उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं।'' (यशायाह ५३:५)
बुरे से बुरे पापी को भी मसीह का लहू उसके पाप से शुद्ध करता है। मसीह के लहू में इतनी सामर्थ है क्योंकि वह एक महान व्यक्ति है! मसीह ही परमेश्वर का एकमात्र पुत्र है!
स्पर्जन ने कहा था मसीह को पापियों को बचाने के लिये स्वर्ग से आना पडा। स्पर्जन ने कहा था,
अगर मसीह यीशु स्वर्ग में ही ठहरा रहता तो वह मनुष्यों को कदापि नहीं बचा पाता। वह ''इस दुनियां में आया'' ताकि पापियों को पाप से मुक्ति दे। उसका नीचे आना और हमारी बरबादी की जगह लेना कितनी विचारणीय बात है......वह स्वर्ग में बैठकर पापियों को नहीं बचा सकता; उसे (आना ही) था इस संसार में; इस प्रदूषित कायनात को शुद्ध करने के लिये स्वयं रचनाकार को नीचे उतरकर आना पडा.....वह पापियों को बचा नहीं लेता, जब तक कि वह अवतरित नहीं होता, और हमारा स्वभाव स्वयं धारण नहीं करता.....यहां स्वयं उपस्थत नहीं होता.....वह तब तक वापस (स्वर्ग) नहीं लौट सकता था जब तक उसने ''पूरा हुआ'' क्रूस पर से घोषित किया अत: सबसे पहले उसे मरना ही था। (उसका) शीश कांटो के ताज से लहूलुहान होना था। उसकी (आंखे) कब्र के अंधेरे में बंद होनी थी.....इसके (पहले) कि मनुष्य का छुटकारा नियुक्त होता.....हे पापी, तुम सचमुच खोये हुये हो, तुम अनंत तक खोये रहते अगर एक अनंत मसीहा (आकर) पापियों को उनके पाप से बचाने के लिये अपनी देह में वह दंड नहीं भोगता (सी एच स्पर्जन, ''दि फेथफूल सेइंग, ''दि मेट्रापोलिटन टैबरनेकल पुलपिट, वॉल्यूम २४, पिलगिम पब्लिकेशंस, १९७२ संस्करण, पेज ३०४)
३. तीसरा, हम मसीह की सामर्थ के विषय में सीखते हैं।
''यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है, कि मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आया, जिन में सब से बड़ा मैं हूं।'' (१तीमुथियुस१:१५)
प्रेरित पौलुस कहता है कि वह सबसे ''बडा'' पापी है − सभी पापियों में घोर पापी। पौलुस पहले मसीह के विरूद्ध जोर शोर से प्रचार करता था। कई मसीहियों को जान से मार डालने के लिये उत्तरदायी था। पौलुस पापियों में अति पापी का उदाहरण था। सभी पापी इस उदाहरण को देख सकते हैं जो मसीह का घनघोर शत्रु था अब सबसे उत्तम सेवक में परिवर्तित हो गया। यह पौलुस के साथ घटा − और यह आपके साथ भी घट सकता है। मसीह की सामर्थ एक पापी को संत में बदल सकती है! ''मसीह यीशु इस दुनिया में पापियों को बचाने आया; और मै। उनमें सबसे बडा पापी हूं।''
जब मैं लगभग तेरह साल का था, एक किशोर बालक था मैं बैपटिस्ट चर्च ले जाया गया। वे लोग जो मेरे पडोसी थे वे मुझे बैपटिस्ट चर्च ले गये। मैं बिल्कुल नहीं जानता था कि मसीह मेरे जैसे पापी को बचाने इस दुनिया में आया। मैंने बिना यह सत्य जाने ही बपतिस्मा ले लिया। मैं यीशु को एक दुखी पुरूष के रूप में जानता था जिसे दुर्घटनावश कीलों से क्रूस पर ठोंक दिया गया। मुझे यह तो निश्चय है कि मसीह पर विश्वास रखने से उद्धार मिलता है यह संदेश अवश्य सुना था। किंतु वे संदेश मुझे समझ ही नहीं आते थे। प्रेरित पौलुस ने कहा था,
''परन्तु यदि हमारे सुसमाचार पर परदा पड़ा है, तो यह नाश होने वालों ही के लिये पड़ा है।'' (२ कुरूंथियों ४:३)
मैं निश्चत ही खो चुका था! और सुसमाचार मेरे सामने छिपे रूप में ही था!
मैंने तो ईस्टर के एक नाटक में चर्च के अंदर यहूदा इस्करियोति की भूमिका भी निभाई थी। यहूदा ही तो वह चेला था जिसने मसीह को धोखे से पकडवाया था। देखा जाये तो मैं तीन अलग अलग सालों में यहूदा की भूमिका निभा रहा था। किंतु मैं फिर भी सत्य के प्रति अंधा ही बना रहा। मैं फिर भी यह समझ नहीं पाया कि यीशु ने मेरे कारण दुख उठाया और मेरे पापों को धोने के लिये प्राण अर्पण किये। ईस्टर के नाटक में एक स्थान पर, मैं यहूदा के शब्द चिल्ला उठा,
''मैं ने निर्दोषी को घात के लिये पकड़वाकर पाप किया है'' (मत्ती२७:४)
इस चीखने वाले भाग ने मुझे मेरे पापों के बारे में सोचने को मजबूर किया। पाप मेरे लिये परेशान करने वाली बात बन चुके थे। मैंने महसूस किया कि मैंने स्वयं मसीह को धोखा दिया, जो बेशक सत्य भी है। हर पापी मसीह को धोखा तो देता ही है।
किंतु फिर भी मैं इस तरह से सोचा करता था कि मैं एक सीधा सादा भला किश्चयन आदमी हूं क्योंकि मैं कुछ ''अच्छे'' काम करता हूं। मैं यह सोचा करता था अच्छे काम करते रहो तो यही मसीही होने की पहचान है। मैंने १९५८ या १९५९ में एक लाईफ मैग्जीन में डॉ अल्बर्ट श्वेतजर की कहानी पढी थी। श्वेतजर एक मेडीकल मिशनरी थे जो अफ्रीका में कार्यरत थे। लाईफ मैग्जीन ने एक महान मानवतावादी के रूप में उनकी तारीफ की, जो बडा दयालू और भला मिशनरी डॉक्टर था। मैं भी स्वयं के लिये मिशनरी सेवा में लीन होने का विचार करने लगा। मैंने सोचा मिशनरी बनकर सच्चे मसीही कहलाते हैं। मैं डॉ टॉम डूले को सुना था, जो वियतनाम और कंबोडिया में मिशनरी का कार्य कर रहे थे। उसके पश्चात मैंने डॉ जेम्स हडसन टेलर, १९ सदी के मेडीकल मिशनरी के बारे में पढा। मैंने सोचा, ''मैं भी यही काम करूंगा। मैं भी चीनी लोगों के बीच मिशनरी बन जाउंगा। तब मैं सच्चा मसीही कहलाउंगा और मैं यहूदा के समान पापी नहीं कहलाउंगा।'' इसलिये मैंने प्रथम चाईनीज बैपटिस्ट चर्च में जाना आरंभ कर दिया। उस समय मैं १९ साल का था। उस शीत ॠतु में मैं मिनिस्ट्री के अध्ययन हेतु बायोला कॉलेज गया, ताकि मिशनरी बन जाउं। मैंने सोचा मिशनरी बनकर मुझे उद्धार मिल जायेगा।
बायोला कॉलेज की चैपल मीटिंग्स में, हम चाल्र्स वेस्ली (१७०७−१७८८) का गीत सभा प्रारंभ होने से पहले गाया करते थे। यह गीत मैंने पहले कभी नहीं सुना था। इसने मुझे बहुत प्रभावित किया। दूसरे दिन इस गीत को सुनकर मेरे सिर के बाल मानो खडे हो गये हों! हर सुबह जैसे जैसे हम यह गीत गाते गये मेरे अंदर जैसे बिजली का झटका लगने लगता।
क्या मुझे लाभ मिल सकता है
अगर मसीहा के लहू में मैं डूब जाउं?
वह मेरे लिये मरा, किसने उसे यह कष्ट दिया?
मेरे लिये, जिसने उसे मौत सहने तक धकेल दिया?
अदभुत प्रेम! ऐसा कैसे हो सकता है,
कि तुम, मेरे परमेश्वर, मेरे लिये जान दे दो?
अदभुत प्रेम! ऐसा कैसे हो सकता है,
कि तुम, मेरे परमेश्वर, मेरे लिये जान दे दो?
वह पिता का सिंहासन उपर छोड,
मुफत में, इतना अनंत है उसका अनुग्रह;
प्रेम में पूर्ण रूपेण खाली हो गया,
आदम की असहाय जाति के लिये रक्त बहाया,
ये सब उसकी दया, इतनी गहरी और मुफत भी,
क्योंकि मेरे परमेश्वर, आपकी दया ने मुझे ढंढ लिया!
अदभुत प्रेम! ऐसे कैसे हो सकता है,
कि तुम, मेरे परमेश्वर, मेरे लिये जान दे दो
(''क्या मुझे लाभ मिल सकता है?'' चाल्र्स वेस्ली १७०७−१७८८)
मैं इस गीत को गाता चला गया। मैंने इसके शब्द कागज पर उतारे और बार बार इसे गाते चला गया। ''अदभुत प्रेम! ऐसा कैसे हो सकता है, कि तुम, मेरे परमेश्वर, मेरे लिये जान दे दो।'' डॉ चाल्र्स जे बुडबिज (१९०२−१९९५) प्रत्येक दिन के प्रचारक थे। उन्होंने दूसरे पतरस पर पूरा प्रचार किया। उस सप्ताह के अंत तक मैं पूर्ण रूप से बचा लिया गया था मुझे उद्धार प्राप्त हो गया! मैं घर आते समय पूरे रास्ते गाता चला गया, ''अदभुत प्रेम! ऐसा कैसे हो सकता है, कि तुम, मेरे परमेश्वर, मेरे लिये जान दे दो।''
''यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है, कि मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आया, जिन में सब से बड़ा मैं हूं।'' (१तीमुथियुस१:१५)
अजीज मित्रों मैं आपके लिये प्रार्थना कर रहा हूं! मैं प्रार्थना करता हूं कि आप मसीह यीशु पर विश्वास लायेंगे − और अपने पापों से उसके लहू में साफ होकर मुक्ति पायेंगे। मैं प्रार्थना कर रहा हूं कि आप मसीह के द्वारा पापों से मुक्त किये जायें − और आप भी अपने दिल से यह गीत गा सको, ''अदभुत प्रेम! ऐसा कैसे हो सकता है, कि तुम, मेरे परमेश्वर, मेरे लिये जान दे दो।'' अगर आपको यह संदेश समझ नहीं आया है, तो चिंता न करें। मैं इस पर फिर प्रचार करूंगा। निश्चय कीजिये कि आप इस बारे में और सुनने के लिये आयेंगे! आमीन। डॉ चान, निवेदन है हमारे लिये प्रार्थना कीजिये।
(संदेश का अंत)
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