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पवित्र आत्मा आत्मिक जागृति में यीशु की महिमा करती है! (आत्मिक जागृति संदेश ६) द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स रविवार की शाम, २४ अगस्त, २०१४ को लॉस एंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल में ''वह मेरी महिमा करेगा, क्योंकि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें बताएगा''। (यूहन्ना १६:१४) |
कभी कभी लोग मुझसे पूछते हैं कि आप कैसे बता सकते हं कि कोई चर्च या धार्मिक समूह सही है या गलत। मैं आपको वह नियम देने जा रहा हूं जो मैंने अपने जीवन भर प्रयोग किया। वह आत्मा जो मसीह को महिमा नहीं देता वह परमेश्वर का आत्मा नहीं है। यही कुंजी है! इसी के द्वारा आप यह अंतर ज्ञात कर सकते हो कि सत्य का आत्मा कहां व्याप्त है और असत्य के आत्मा का वास कहां है!
किन्हीं कारणों से मैं हमेशा सत्य और असत्य के आत्मा का फर्क बतलाने में समर्थ रहा हूं। इसकी जड़ें उस बिना शर्त वाले चुनाव में छिपी हैं − क्योंकि मैं फिर भी मैं जानता था, इसके पहले जब मैं बचाया नहीं गया था, वे लोग यीशु के लिये जो कहते थे, वह एक परीक्षा के समान था। क्या वे यीशु को महिमा दे रहे थे या नहीं?
यीशु ने पवित्र आत्मा के बारे में ऐसा कहा − ''वह मेरी महिमा करेगा।'' दुर्भाग्य से ''महिमा देना'' शब्द हमारी अंग्रेजी की बातचीत में से हटा दिया गया है। यूनानी अनुवाद में ''महिमा देना'' अर्थात ''सम्मान देना, प्रतिष्ठा देना, उसकी प्रशंसा करना होता है।'' यीशु ने पवित्र आत्मा के लिये कहा था − ''वह मेरी प्रशंसा करेगा और मुझे प्रतिष्ठा प्रदान करेगा, और मुझे सम्मान देगा।''
आपको किसी तुलनात्मक धर्मज्ञान का छात्र होने की जरूरत नहीं है! बहुत से संप्रदाय कहते हैं कि यीशु का स्थान परमेश्वर से कम है। कुरान उसे मात्र एक नबी मानती है। मार्मन उसे एक निर्मित रचना मानते हैं, जो शैतान का भाई है। धर्मविज्ञानी उदारवादी उसे एक शिक्षक, से अधिक कुछ नहीं मानते। इनमें से कोई भी यीशु को परमेश्वर के रूप में नहीं स्वीकार करता, जो कि सृष्ट निर्माण में सम्मिलित था, जो मनुष्य जाति का छुड़ानेवाला है एवं जो त्रिएकत्व का दूसरा व्यक्ति है! हर संप्रदाय, प्रत्येक झूठा धर्म, मसीहत में भटकाव वाले समूह, यीशु को उस स्थान से कम करके ही मानते हैं जितना कि वह वास्तव में हैं। इस पतित संसार की समस्त ''आत्माओं'' में से केवल पवित्र आत्मा ही यीशु को सम्मान, प्रशंसा और प्रतिष्ठा देती है जिसके वह योग्य है। इसलिये, मुझे यह फिर से कहना आवश्यक है, कि जो आत्मा यीशु को अनंतकाल के परमेश्वर के रूप में महिमा नहीं देती, वह परमेश्वर की आत्मा नहीं है। किंतु जो उसे परमेश्वर के रूप में तो मानते हैं, किंतु पवित्र आत्मा को यीशु से अधिक सराहना करने से आत्मा में दंड के भागीदार बनते जाते हैं! क्योंकि स्वयं प्रभु यीशु ने हमसे कहा था,
''वह मेरी महिमा करेगा, क्योंकि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें बताएगा।'' (यूहन्ना १६:१४)
यीशु हमें परमेश्वर के समीप लाने के लिये आए। किंतु पवित्र आत्मा हमें यीशु के नजदीक लाने के लिये आता है। इसलिये हमारे भीतर पवित्र आत्मा का होना आवश्यक है। एक पापी के उद्धार पाने के लिये पवित्र त्रिएकत्व के तीनों व्यक्तियों का होना आवश्यक है। पवित्र आत्मा आपको यीशु के पास आने के लिये आमंत्रित करता है, और यीशु वह जन है जो आपको पिता से मिलाता है। पिता ने आपको पहले ही बचाये जाने के लिये ठहरा दिया था। पुत्र ने क्रूस पर आपके पापों का दंड स्वयं मरकर चुका दिया। पवित्र आत्मा, पुत्र को आपके सामने प्रगट करती है, और उसके लहू से शुद्ध होने के लिये उसके पास खींच कर लाती है!
जिससे सारी आशीषें मिलती उस प्रभु की प्रशंसा करो;
जगत के सारे प्राणी उसकी प्रशंसा करो;
स्वर्ग में भी तारीफ हो, स्वर्ग के मेजबान;
प्रशंसा करो पिता, पुत्र , और पवित्र आत्मा की। आमीन।
(''दि डॉक्सोलॉजी'' थॉमस केन, १६३७−१७११)
पिता की महिमा हो, पुत्र की; और पवित्र आत्मा की महिमा हो,
जैसे आरंभ में थी, अब है, और सदैव रहेगी,
इस अनंत संसार में भी रहेगी। आमीन, आमीन।
(ग्लोरिया पत्री,'' अज्ञात आरंभ, २वीं सदी)
''वह मेरी महिमा करेगा, क्योंकि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें बताएगा'।'' (यूहन्ना १६:१४)
आपने देखा कि कितनी अदभुत रीति से त्रिएकत्व के तीनों व्यक्ति साथ साथ कार्य करते हैं! पिता पुत्र की महिमा करता है। पवित्र आत्मा प्रभु यीशु को महिमा प्रदान करता है। पवित्र आत्मा और प्रभु यीशु मसीह दोनों पिता की महिमा करते हैं! तीनों अपने सत्व में एक हैं, पदार्थ में संयुक्त है, खोए हुए पापियों का उद्धार दिलाने में एक है!
आज हम पवित्र आत्मा के कार्य को देखेंगे। वह मात्र एक ताकत या प्रभाव मात्र ही नहीं है। वह परमेश्वर है। हमें उसे परमेश्वर पवित्र आत्मा कहना आवश्यक है। उसके बिना हम यीशु को किसी भी तरीके से नहीं जान सकते। मैं चाहता हूं कि आप विचार करें कि पवित्र आत्मा क्या करता है। यीशु ने कहा था, ''वह मेरी महिमा करेगा'' इस पद के विषय में डॉ.जॉन आर.राईस ने कहा था, ''कि पवित्र आत्मा यीशु की बातें करने आता है और प्रभु यीशु को प्रगट करने आता है'' (दि सन आँफ गॉड, ए कमेंटरी आँन जॉन, सोर्ड आँफ दि लॉर्ड पब्लिशर्स, १९७६, पेज ३२१; यूहन्ना १६:१४ पर व्याख्या)
पवित्र आत्मा हमारे सामने यीशु को प्रगट करने के लिये आता है। प्रचारकों के रूप में यह हमारा मुख्य विषय होना चाहिये। हमें पवित्र आत्मा के साथ कार्य करना चाहिये ताकि प्रभु यीशु जाने जाऐं! बिना बहुत सी बातें जाने आप स्वर्ग पहुंच सकते हैं। आप बाईबल की भविष्यवाणी या दुष्टात्मा, या विज्ञान, राजनीति आदि जाने बगैर बचाये जा सकते हैं। किंतु बिना यीशु को जाने आप स्वर्ग में प्रवेश नहीं कर सकते! जॉन वेस्ली का यह उद्वरण मुझे बहुत पसंद है जो उसने प्रारंभिक मेथोडिस्ट प्रचारकों से कहा था, ''सारी बातें एक तरफ छोड़ दो। आपको आत्मायें जीतने के लिये बुलाया गया है।'' आमीन! पवित्र आत्मा हमारे प्रचार पर आशीष देगा अगर हमारा संदेश यीशु मसीह पर केंदित होगा! इसीलिये प्रेरित पौलुस ने कहा था, ''हम तो उस क्रूस पर चढाये हुए मसीह का प्रचार करते हैं......मसीह जो परमेश्वर की सामर्थ, और परमेश्वर का ज्ञान है'' (१ कुरंथियों १:२३‚२४) जो घमंड करे वह प्रभु में घमंड करे'' (१कुरंथियों १:३१) मि.गिफिथ ने अभी अभी एक जर्मन गीत गाया ''जब सुबह आकाश में उतरती है‚''
जब सुबह आकाश में उतरती है, मेरा दिल जागकर चिल्ला उठता है:
यीशु मसीह की जय हो;
काम के वक्त या दुआ के समय यीशु मुझे संभालता है:
यीशु मसीहकी जय हो।
ऐसा हो, जब तक मैं जिंदा रहूं, मेरा धन्यवाद गान प्रभु के लिये हो,
यीशु मसीह की जय हो;
यह अनंत काल का गान, सदियों सदियों तक हो:
यीशु मसीह की जय हो।
(''जब सुबह आकाश में उतरती है,'' जर्मन अनुवाद द्वारा एडवर्ड
कास्वेल, १८१४− १८७८; पास्टर द्वारा बदला गया)
तो, पवित्र आत्मा, साधारण लोगों के सामने यीशु को प्रगट करता है। ''जो कुछ मैंने तुम से कहा है, वह सब तुम्हे स्मरण कराएगा'' हां, ''तुम्हे स्मरण कराएगा!'' वह उनके पास आता है जिनके पास कोई प्रशिक्षण नहीं है, जो कभी बाईबल स्कूल अथवा सेमिनरी नहीं गये हैं! मैं ऐसे लोगों को जानता हूं जो उच्च प्रशिक्षित तो हैं, किंतु स्वयं यीशु को नहीं जानते!
एक सच्चे परिवर्तन में, गरीब लोग, और अशिक्षित लोग पवित्र आत्मा की सामर्थ से यीशु के पास खींचे जाते हैं। परिवर्तन की प्रकिृया में, लोग यीशु के पास एक के बाद एक खींचे जाते हैं। आत्मिक जागरण में कई लोग एक साथ यीशु की ओर खींचे जाते हैं, वह भी थोडे समय में ही!
पवित्र आत्मा ने बारह गरीब मछुआरों को लिया और एक ही समय काल में उनके सामने यीशु को प्रगट कर दिया। ये चेले कहलाए। पेंतुकुस्त के दिन, पवित्र आत्मा ने ३००० लोगों को यीशु के पास खींचा! सचमुच, हमारी प्रार्थना है कि हमारे चर्च में भी दस या पंद्रह लोग जो अभी अभी चर्च आना आरंभ हुए हैं यीशु के पास खींचे जायें, और पवित्र आत्मा के द्वारा, उनके सामने यीशु प्रगट हो! वे पवित्र आत्मा मसीह की बातें लेकर मसीह को महिमा दे सके और मसीह को अन्य लोगों के सामने प्रकट करे। तब ये लोग भी इस गीत को गाने लगेंगे,
चाहे कार्य हो या दुआ यीशु मुझे संभालता है:
यीशु मसीह की जय हो।
पवित्र आत्मा, यीशु को मसीहा के रूप में सम्मान देता है। इसमें ऐसा कुछ है जिसे समझने में मुझे बडी तकलीफ होती थी। मैं यह तो नहीं मानता कि उद्धार कभी प्रचार किया ही नहीं गया होगा। किंतु मेरे दिमाग में धुंध छायी रहती थी। मैं यीशु को एक शहीद के रूप में मानता था। मैं उन लोगों से गुस्सा था जिन्होंने उसे क्रूस पर चढ़ा दिया था। उन्होंने ऐसे अच्छे और महान व्यक्ति को क्यों मार डाला? मैं यीशु को आरंभ के अब्राहम लिंकन की समानता में पाता था। यीशु एक महान और भला आदमी था जो इसलिये मारा गया क्योंकि वह भला था। लिंकन की हत्या शुभ शुक्रवार के दिन हुई थी, जिस दिन यीशु को क्रूस पर चढाया गया था। तो, मेरे मन में यीशु के प्रति ऐसी विचारधारा थी। वह एक महान शिक्षक था, और एक निष्पाप जन! मैं उसे ''मसीहा'' तो कहा करता था, किंतु इस शब्द का अर्थ नहीं समझता था। जैसे पौलुस ने अविश्वासियों के लिये कहा था वह मेरे लिये भी सच था कि मेरे मन पर एक ''परदा'' पड़ा हुआ था, जो मेरे दिमाग में मसीहा का अर्थ समझने नहीं देना चाहता था (२ कुरंथियों ३:१५) मैंने अच्छे बने रहने के द्वारा मसीही बनना चाहा, अपने आप को और अधिक समर्पित करता गया। मुझे याद है मैंने जैक पार को ''आज की रात'' वाले कार्यक्रम में डॉ. टॉम डूले का इंटरव्यू लेते हुये देखा। वह लाओस और वियतनाम में कैथोलिक मेडीकल मिशनरी के रूप में तैनात थे। उन्होंने एक पुस्तक लिखी ''वह रात जब उन्होंने पर्वत जला दिया गया'' यह कम्युनिस्टों और वियतनाम के पर्वतों पर बसने वाले मसीहियों के उपर लिखी गई थी। मुझे याद है मेरी सोच कुछ अलग थी, ''कि यही तो मैं करना चाहता था। मैं मिशनरी बनना चाहता था। मैं मिशनरी बनकर मसीहा का अनुसरण करूंगा और तब मैं एक मसीही जन बन जाउंगा'' मैं अपने दिमाग से यह बात निकाल नहीं पाया। मैं कुछ महान मानवतावादी कार्य करके मसीही बन जाता! मैं यीशु के बारे में पूर्ण रूप से अंधा था। मैं बिल्कुल निश्चत था कि मैं यीशु के उदाहरण का अनुसरण करके स्वयं को बचा सकता था। उसी समय प्रेरित पौलुस का यह पद पढ़कर मुझे होश आया,
''परन्तु यदि हमारे सुसमाचार पर परदा पड़ा है, तो यह नाश होने वालों ही के लिये पड़ा है।'' (२कुरंथियों ४:३)
आज मैं इतना चकित हूं कि मैं उस समय कितना अंधा था! किंतु पवित्र आत्मा ने उस परदे को मेरे मन पर से हटाया, और अपना प्रकाश मेरे मन पर डाला, और मैंने यीशु को मसीहा के रूप में देखा! तभी सुसमाचार हमारे लिये अर्थ रखता है!
''वह मेरी महिमा करेगा, क्योंकि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें बताएगा''। (यूहन्ना १६:१४)
और अंतत:, पवित्र आत्मा हमारे उपर यीशु का प्रेम और दया प्रगट करता है, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझ पापी पर प्रभु का प्रेम और तरस इस तरह बरसेगा, यह केवल पवित्र आत्मा द्वारा संभव हुआ था कि उसने यीशु का प्रेम मुझे दिखाया। यही वह समय था जब मैंने लहू के महत्व को जाना। इसके, पहले तो मेरी सोच में यह शहीद का लहू था, जैसे लिंकन का लहू हो, या डॉ. किंग का लहू हो, या किसी शहीद मिशनरी का लहू हो। किंतु जब पवित्र आत्मा ने इस आत्मिक ज्ञान से मेरे मन को रोशन कर दिया, मैं यह सत्य पहचान गया,
''क्योंकि प्राण के कारण लोहू ही से प्रायश्चित्त होता है'' (लैव्यव्यवस्था १७:११)
''क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लोहू है, जो बहुतों के लिये पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है।'' (मत्ती २६:२८)
जब मैं बचाया गया, मैंने एकाएक मसीह के रक्त की महिमा देखी। मैं उसके रक्त में नहा गया! हर दिन मुझे ''शुभ शुक्रवार'' प्रतीत होता क्योंकि मैं उसी विश्वास से होकर मसीह के रक्त की महिमा गाता! मैं यह प्राचीन सुसमाचारीय गीत तब तक गाता रहता जब तक कि मेरा गला दुखने न लगता!
क्रूस पर जहां मेरा मसीहा मरा,
जहां मेरे पाप शुद्ध हुये जब मैं रोया,
मेरे मन पर जहां यीशु का लहू मला गया;
उसके नाम की महिमा! उसके नाम की महिमा, नाम की महिमा,
मेरे मन पर जहां यीशु का लहू मला गया; उसके नाम की महिमा!
सचमुच, वो कीमती सोता जो पाप से
मैं खुश हूं मैंने प्रवेश पाया;
वहां यीशु मुझे बचाता व शुद्व करता
उसके नाम की महिमा! उसके नाम की महिमा, नाम की महिमा,
मेरे मन पर जहां यीशु का लहू मला गया; उसके नाम की महिमा!
(''उसके नाम की महिमा'' एलिशा.ए.हॉफमन, १८३९−१९२९)
''वह मेरी महिमा करेगा, क्योंकि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें बताएगा''। (यूहन्ना १६:१४)
सचमुच, मैं दुआ करता हूं कि पवित्र आत्मा आपको मसीहा का लहू दिखाये! जब आप इस लहू को देख लेंगे तो इसके बारे में सोचना बंद नहीं करेंगे! अगर पवित्र आत्मा ने आपको मसीह का लहू दिखा दिया तो आप इस लहू की महिमा गाते गाते नहीं थकेंगे! हाल्लेलूयाह! जिस क्षण मसीहा पर विश्वास रखना शुरू कर देते हो आप यह गीत गाने में समर्थ हो जायेंगे,
सामर्थ है, सामर्थ है, आश्चर्यकर्म करने वाली सामर्थ है
मेमने के बेशकीमती लहू मे;
सामर्थ है, सामर्थ है, आश्चर्यकर्म करने वाली सामर्थ है
मेमने के बेशकीमती लहू में;
(मेमने के बेशकीमती लहू में; लेविस ई.जोंस, १८६५−१९३६)
मैं जान रहा हूं जो बचाये नहीं गये हैं उन्हें यीशु के लहू की चर्चा बेमानी और अजीब लग रही होगी। किंतु जिस दिन पवित्र आत्मा आपको यीशु के नजदीक खींचेगा, उसके लहू में आपके पाप धुल जायेंगे - तब आप उसके लहू की महिमा के बारे में गायेंगे और अपने बाकि के जीवन भर उसी की बात करेंगे! हल्लेलूयाह!
मैंने सोचा तो यह था कि इस संदेश में और भी बातें बोलूं, किंतु ऐसा लगता है कि मुझे यहीं संदेश समाप्त कर देना चाहिये। हम परमेश्वर से प्रार्थना व उपवास के द्वारा विनती करते हैं कि वह पवित्र आत्मा की एक सामर्थकारी लहर भेजे ताकि आत्मिक जागरण फैले। किंतु आत्मिक जागरण है क्या? मैं सोचता हूं डॉ. मार्टिस ल्यॉड-जोंस ने अच्छा उत्तर दिया था। उन्होंने कहा था, ''आत्मिक जागरण, सब बातों से बढकर, प्रभु यीशु मसीह, परमेश्वर के पुत्र की महिमा करना है। चर्च में पुन: मसीह के जीवन की स्थापना करना है'' (रिवाईवल, क्रास वे बुक्स, १९८७, पेज ४७)
मैं सोचता हूं वह बिल्कुल सही बोले थे। ''आत्मिक जागरण अर्थात.......परमेश्वर के पुत्र, प्रभु यीशु मसीह को महिमा देना है।'' धर्मशास्त्र का पद भी बिल्कुल यही बात कहता हैं,
''वह मेरी महिमा करेगा, क्योंकि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें बताएगा''। (यूहन्ना १६:१४)
एक परिवर्तन मात्र में ही, पवित्र आत्मा एक व्यक्ति को यीशु से मिला देता है वह व्यक्ति जो उसे महिमा देता है, उसका आवर्धन करता है, उसके बारे में ''अभिमान'' महसूस करता है, उसके बारे में गीत गाता है, और उसी के साथ बने रहता है - क्रूस पर उसके बलिदान को स्मरण करता है, और उसके लहू से, उसके बहते लहू से जिसके समस्त पाप क्षमा किये जाते हैं और पाप शुद्ध हो जाते हैं।
इन पिछले सैंकडो सालों में मुश्किल से कोई ऐसा मसीही गीत लिखा गया होगा जिसमें मसीह के लहू की चर्चा हो। क्यों नहीं लिखा गया? क्योंकि हम बिना आत्मिक जागृति के एक लंबा, अंधकारयुक्त समय बिता रहे हैं। प्रचारक सोचते हैं कि आत्मिक जागरण पवित्र आत्मा पर ही आधारित है। किंतु वे गलत सोचते हैं। बाईबल का पद बताता है कि वे गलत सोचते हैं।
''वह मेरी महिमा करेगा, क्योंकि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें बताएगा''। (यूहन्ना १६:१४)
निश्चत यीशु मसीह के उपर अधिक प्रचार किये जाने की आवश्यकता है! निश्चत आपको यीशु मसीह स्वयं के उपर अधिक विचार किये जाने की जरूरत है! निश्चत हर खोये हुये इंसान को यीशु के सामने लाये जाने की जरूरत है! निश्चत हर खोये हुये इंसान को यीशु के सामने लाये जाने की जरूरत है, क्योंकि वही एकमात्र प्रभु है जो आपके पापों को क्षमा करेगा और आपको आपके जीवन की परेशानी से छुडायेगा, और आपके जीवन के नरक से भी आपको बाहर निकालेगा! निश्चत, हमारे चर्चेस को डॉ.जॉन आर.राईस के समान और अधिक गीतों के गाये जाने की आवश्यकता है,
हमारे पास एक संपूर्ण प्रेम कहानी है।
हम कह सकते हैं पापी कैसे क्षमा पाते हैं।
सेंतमेंत क्षमा हासिल है, क्योंकि यीशु ने सहा है,
कलवरी के क्रूस पर हमारे बदले सहा दंड।
सचमुच, दया का सोता उमड़ रहा है,
मनुष्यों के लिये क्रूसित मसीहा के द्वारा
बेशकीमती लहू जो उसने हमारी छुडौती के लिये बहाया,
हमारे सारे पाप उसके अनुग्रह से क्षमा हुये।
(''सचमुच कैसा अदभुत सोता''! डॉ.जॉन.आर.राईस, १८९५−१९८०)
मेरे साथ यह कोरस गाइये,
सचमुच, दया का सोता उमड़ रहा है,
मनुष्यों के लिये क्रूसित मसीहा के द्वारा
बेशकीमती लहू जो उसने हमारी छुडौती के लिये बहाया,
हमारे सारे पाप उसके अनुग्रह से क्षमा हुये।
अगर यीशु का प्यार पाने से वंचित रह गये हैं, तो यह जीवन आपका निरर्थक सिद्ध हो जायेगा! अगर यीशु का क्रूस नहीं देखा, तो कहीं आराम नहीं मिलेगा! इसलिये यीशु के पास आइये। उस पर भरोसा रखिये। आपको कोई नहीं बचा पायेगा! उन्होंने कहा ''प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा।'' (प्रेरितों के कार्य १६:३१) डॉ.चान निवेदन है कि आकर प्रार्थना में हमारी अगुवाई कीजिये, आमीन।
(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व धर्मशास्त्र पढ़ा गया मि ऐबेल प्रुद्योमे द्वारा: यूहन्ना १६:७−१५
संदेश के पूर्व बैंजामिन किन्केड गिफिथ द्वारा एकल गीत गाया गया:
''जब सुबह आकाश में उतरती है'' (जर्मन अनुवाद द्वारा एडवर्ड
कास्वेल, १८१४− १८७८; पास्टर द्वारा बदला गया)
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