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आज की दुनियां में शैतान का रूप

(संदेश #79 उत्पत्ति की पुस्तक से)
DEMONS IN THE WORLD TODAY
(SERMON #79 ON THE BOOK OF GENESIS)
(Hindi)

द्वारा आर.एल.हिमर्स
By Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की प्रात:‚ २५ मई‚ २०१४ को लॉस एंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल में
प्रचार किया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Morning, May 25, 2014

“फिर जब मनुष्य भूमि के ऊपर बहुत बढ़ने लगे‚ और उनके बेटियां उत्पन्न हुई‚ तब परमेश्वर के पुत्रों ने मनुष्य की पुत्रियों को देखा‚ कि वे सुन्दर हैं; सो उन्होंने जिस जिस को चाहा उन से ब्याह कर लिया।” (उत्पत्ति ६:१–२)


इस पाठ के लिये अपनी बाईबल खुली रखिये। इसके पहिले कि मैं आपको ये दो आयतें समझाउं‚ मैं आपको आज के समय में व्याप्त अराजकता के बारे में कुद प्रमुख बात समझाना चाहता हूं। हमने पिछले रविवार यीशु द्वारा कही गई भविष्यवाणी को समझा था‚ हम आज फिर उसी के उपर विचार करेंगे।

चेलों ने यीशु से पूछा‚ “तेरे आने का‚ और जगत के अन्त का क्या चिन्ह होगा?” (मत्ती २४:३) मसीह ने उन्हें कई चिन्ह बतलाये। तब उसने उन्हे एक बडा चिन्ह बताया जिसके अंदर सभी चिन्ह सम्मिलित थे। मसीह ने कहा‚

“जैसे नूह के दिन थे‚ वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।” (मत्ती२४:३७)

अगर हम जानना चाहते हैं कि मसीह के द्वितीय आगमन के पहले सामान्यत: जीवन कैसा था‚ तो हमें यह करना आवश्यक है कि हम, महाप्रलय के आने के पूर्व नूह का समय कैसा था यह जान लें। एवं इसका वर्णन हमें बाईबल के इन तीन अध्यायों में मिलता है – उत्पत्ति ४‚५‚और ६।

पिछले रविवार की रात मैंने आपको उत्पत्ति के संरक्षकों के विषय में‚ अध्याय ५‚ से बताया था कि कैसे उस समय अराजकता फैली हुई थी‚ एवं लोगों में विश्वास नहीं रहा! इस अध्याय के संरक्षक आत्मिक अगुवे नहीं थे। बाईबल इतना बताती है कि वे जीवित रहे‚ पुत्र और पुत्रियां उत्पन्न की‚ एवं मर गये। बस इतना ही! इन संरक्षकों की आधी सूची में आने तक हमें एक ऐसे जन का वर्णन मिलता है‚ जिसने आखिरकार कुछ किया था। उसका नाम एनोक था। उसने उस समय की व्याप्त स्वछंदता के बारे में प्रचार किया था‚ यह कहते हुये कि प्रभु आने वाला है‚ “ताकि सबका न्याय करे” (यहूदा १५) उसने महाप्रलय आने के समय को लेकर लोगों को चेताया था। और बाईबल में इसकी पुष्टि होती है‚“एनोक परमेश्वर के साथ साथ चला” (उत्पत्ति ५:२२) अन्य संरक्षको के लये बाईबल ऐसा नहीं कहती है केवल नूह को छोड़कर‚ “नूह परमेश्वर के साथ साथ चला” (उत्पत्ति ६:९) सभी संरक्षक जो इब्रानियों ११ की सूची में है उनमें से − नूह और एनोक के विषय में लिखा है। इस तरह उत्पत्ति ५ में हमें बढती हुई अराजकता के दर्शन होते हैं।

व्याख्याकारों ने ऐसा माना है कि “शेत ईश्वरीय वंश” है और कैन का “शैतानी वंश” है। किंतु एक भी शब्द – एक भी शब्द – बाईबल में इस शिक्षा को लेकर नहीं है! हां‚ दो जातियां हैं‚ वे जाति जो कैन से निकली है‚ और वह जाति जो शेत से निकली है। किंतु दोनों समूह ही ईश्वरीय समूह नहीं है! दोनों समूह ही बाढ में नष्ट हो गये! प्राचीन यहूदी रब्बियों ने बढती हुई अराजकता के विषय में बोला है। हमने जो पाठ पढा उसका चरम बिंदु पाप और अराजकता है। इसके लिये उत्पत्ति ६:१–२ को देखें।

१. सर्वप्रथम‚ यह एक शैतानी गतिविधि का समय है।

“फिर जब मनुष्य भूमि के ऊपर बहुत बढ़ने लगे‚ और उनके बेटियां उत्पन्न हुई‚ तब परमेश्वर के पुत्रों ने मनुष्य की पुत्रियों को देखा‚ कि वे सुन्दर हैं; सो उन्होंने जिस जिस को चाहा उन से ब्याह कर लिया। और यहोवा ने कहा‚ मेरा आत्मा मनुष्य से सदा लों विवाद करता न रहेगा‚ क्योंकि मनुष्य भी शरीर ही है: उसकी आयु एक सौ बीस वर्ष की होगी। उन दिनों में पृथ्वी पर दानव रहते थे; और इसके पश्चात जब परमेश्वर के पुत्र मनुष्य की पुत्रियों के पास गए तब उनके द्वारा जो सन्तान उत्पन्न हुए‚ वे पुत्र शूरवीर होते थे‚ जिनकी कीर्ति प्राचीन काल से प्रचलित है। और यहोवा ने देखा‚ कि मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई है‚ और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है सो निरन्तर बुरा ही होता है।” ( उत्पत्ति ६:१–५)

स्कोफील्ड नोट कहते हैं कि यह “कैनाईटस की शैताईटस के साथ शादी थी।” किंतु यह व्याख्या गलत है। “परमेश्वर के पुत्र” गिराये हुये स्वर्गदूत थे जिनके “मनुष्यों की पुत्रियों” के साथ अनुचित संबंध थे। डॉ.रायरी का कथन था‚ “वाक्यांश ‘परमेश्वर के पुत्र’ पुराने नियम में प्रयुक्त हुआ (पुराना नियम) है जिसमें उन्हे गिरे हुये स्वर्गदूत ही समझा गया है....इस विशेष मौके पर जैसा (उन्होंने किया) कि मानवीय स्त्रियों के साथ संबंध रख मनुष्यों के बच्चों को जन्म दिया” (रायरी स्टडी बाईबल‚ उत्पत्ति ६:२)। व्याख्या यहूदा ६ व ७ को लेते हुये, डॉ.एम.आर.देहान ने कहा‚ “ये गिराये हुये स्वर्गदूत एक समय में पवित्र स्वर्गदूत थे उनका पाप सदोम वासियों के ही समान था – जो सभी प्रकार के अनुचित कार्य, स्वेच्छाचारिता‚ अस्वाभाविक संबंधो को अंजाम दे रहे थे – इस तरह परमेश्वर का क्रोध उनके उपर भड़का रहे थे” (एम.आर.देहान‚एम.डी‚ दि डेज आँफ नोहा‚ जोंडरवन पब्लिशिंग हाउस‚ १९६३‚ पेज १४४)

यही प्राचीन यहूदी रब्बियों का नजरिया था‚ और मैं भी मानता हूं कि वे मूलत: सही थे। यद्वपि विद्वान आश्चर्य करते हैं कि किस प्रकार गिराये स्वर्गदूत (जो अब शैतान जाने जाते हैं) नूह के समय की स्त्रियों से अनुचित संबंध बना सकते थे।

डॉ. तिमोथी लिन मेरे लंबे समय तक चाईनीज बैपटिस्ट चर्च के पास्टर रहे हैं। वह पुराने नियम के विद्वान रहे थे‚ साथ ही वह न्यू अमेरिकन स्टैंन्डर्ड के अनुवादकों में से एक अनुवादक रहे हैं (एन ए एस वी) उन्होंने कई पुरातन पंथी सेमनरियों में भी शिक्षिका का कार्य किया। डॉ.लिन ने इस उत्तर को समझाया कि गिराये हुये स्वर्गदूतों ने कैसे मानव स्त्रियों को अपनी पत्नियां बनाया। उनका कथन था कि गिराये हुये स्वर्गदूतों ने मनुष्यों को अपने वश में कर लिया था‚ और इन शैतानों के वश में हुये मनुष्यों ने स्त्रियों से दैहिक संबंध कायम किये। उनका कहना था‚ “इन दुष्ट गिराये हुये दूतों से जो शैतानी प्रभाव के बच्चे उत्पन्न हुये (पाये गये) वे नैतिकता में हद दर्जे तक गिरे हुये पाये गये” (तिमोथी लिन‚ पी.एच.डी. जेनेसिस: ए बिबलिकल थियोलोजी‚ बिबलीकल स्टडीज मिनिस्ट्रीज इंटरनेशनल‚ २००२ ‚ पेज ९६–९७) डॉ.लिन ने ये भी कहा‚

         चूंकि शैतान मनुष्य के साथ काम काज में ज्यादा रूचि लेने लगा और उसे पभावित करने लगा‚ उसने मनुष्य को भ्रष्ट बनाकर उसके अंदर सेक्स की लालसा को और बढा दिया। आपस में ही अनुचित मेल के साथ विवाह करके मनुष्यों ने विवाह के पवित्र रिश्ते को कलंकित किया। इन्होंने विवाह को ही अपनी स्वाथपूर्ण व कामुक इच्छाओं की पूति का साधन बनाकर इससे कहीं अधिक गंभीर कार्य कर डाले। इसके द्वारा मनुष्यों की पुत्रियों से परमेश्वर के पुत्र कहलाये जाने वाले गिराये दूतों ने संबंध बनाकर‚ मनुष्य जाति को और अधिक निम्न स्तर तक पहुंचा दिया। क्या ऐसे अनुचित संबंध सफल रहे‚ मनुष्य का वंश मनुष्य का न रहकर शैतान का वंश कहलाया‚ इसीलिये ऐसे लोग प्रतिज्ञा किये हुये मसीहा का इंकार करने लगे।
         शैतान की चालों ने धरती पर समस्त जनसंख्या को भष्ट बना डाला। लोग“ खाने पीने मौज मस्ती पर ही ध्यान लगाये हुये थे‚ विवाह करने और छोडने में लगे हुये थे जब तक कि नूह ने जहाज में प्रवेश नहीं किया संसार की यही दशा थी” (मत्ती २४:३८) इस तरह “धरती हिंसा से भर गई थी‚” (उत्पत्ति ६:११‚१३) शैतान मुख्यत: कार्य कर रहा था ताकि दुष्टता‚ बुराई‚ भ्रष्टता‚ हिंसा को “परमेश्वर के पुत्रों” का उपयोग करके उनके द्वारा इस धरती पर फैलाया जा सके‚ जिन्होंने....उस समय के लोगों को भ्रष्ट बना डाला (संदर्भित)

अब हम उत्पत्ति ६:४ को देखते हैं‚

“उन दिनों में पृथ्वी पर दानव रहते थे; और इसके पश्चात जब परमेश्वर के पुत्र मनुष्य की पुत्रियों के पास गए तब उनके द्वारा जो सन्तान उत्पन्न हुए‚ वे पुत्र शूरवीर होते थे‚ जिनकी कीर्ति प्राचीन काल से प्रचलित है।” (उत्पत्ति ६:४)

केजेवी संस्करण शैतान की इन संतानों को “दानव”* कहती है। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण अनुवाद है जो इब्रानी शब्द “नेफिलिम” द्वारा गलत रूप से पुराने रब्बियों के अनुवाद के फलस्वरूप आया है। उन्होंने इब्रानी भाषा से यूनानी के सेप्टयूजिंट में इसे “जाईजेंटस” दैव्यों के रूप में अनुवादित किया है। किंतु इब्रानी शब्द “नेफिलिम” का अर्थ “दानव” नहीं है। इसका अर्थ है “गिराये हुये” डॉ.हेनरी एम मोरिस ने कहा था कि “स्वाभाविक व संभवत: अर्थ यह है कि ‘जो गिराये हुये’ हैं‚ शायद यह एक संदर्भ है....गिराये हुये स्वर्गदूतों का....इस काल में शैतान द्वारा कब्जा किये पुरूषों व स्त्रियों द्वारा उत्पन्न संताने ऐसा कहलाती थी (नेफीलिम या ‘फालेन संस’)” (हेनरी एम.मोरिस. पीएचडी.‚ दि जेनेसिस रिकार्ड‚ बेकर बुक हाउस‚१९८६ एडीशन पेज १७२; उत्पत्ति ६:४ पर व्याख्या) तो हम उत्पत्ति ६:४ का अनुवाद इस प्रकार कर सकते हैं‚ “उन दिनों धरती पर गिराये हुये स्वर्गदूत थे‚ और उसके पश्चात भी‚ जब परमेश्वर के पुत्र जिन्हें (शैतान ने कब्जे में) कर लिया था मनुष्य की पुत्रियों के संपर्क में आये‚ और उनकी संतानों को जन्म दिया....” इस महान बाढ आने के समय‚ संपूर्ण जाति शैतान के नियंत्रण में हो गई थी‚ और शैतान से ही प्रभावित लोग थे। शैतान की योजना लगभग सफल हो रही थी। उसने तो मनुष्य जाति को लगभग मार ही डाला था‚ और मसीहा के आगमन को लगभग रोक ही दिया था। इन शैतान से नियंत्रित लोगों का वर्णन उत्पत्ति ६:५ में मिलता है। किंतु फिर भी शैतान की योजना रोक दी गई? उत्पत्ति ६:८ को देखिये‚

''किंतु नूह ने परमेश्वर की निगाह में अनुग्रह पाया'' (उत्पत्ति ६:८)

परमेश्वर के अनुग्रह से नूह और उसका परिवार शैतान के नियंत्रण से बचाये गये। उसने उनको सुरक्षित किया जब उसने “गिराये हुये स्वर्गदूतों की संतान” को नष्ट करने के लिये बाढ भेजी। अगर आप परमेश्वर के द्वारा चुने हुओं में से एक हो, तो आपको डरना नहीं चाहिये, क्योंकि परमेश्वर का अनुग्रह शैतान और उसकी सेना से कहीं अधिक शक्तिशाली है। लूथर ने कहा था, “यद्यपि यह संसार, शैतानों से भरा है, हमें नष्ट करने की धमकी देता है इसलिये, हम डरेंगे नहीं, क्योंकि परमेश्वर ने उसकी सच्चाई व विजय हमारे द्वारा प्रगट की है।” किंतु यदि आप बचाये नहीं गये हैं, तो आपको डरना चाहिये! इससे दो बातें उभर कर सामने आती है।

२. दूसरा, हम शैतानी कियाकलापों के समय में रह रहे हैं

यह हमें प्रभु यीशु मसीह की भविष्यवाणी की ओर ले चलता है, जिसने कहा है,

''जैसे नूह के समय होता आया था, वैसा ही मनुष्य के पुत्र के आगमन के समय भी होगा'' (मत्ती २४:३७)

डॉ.एम.आर.देहान ने कहा था,

क्या हम आज की दशा को नूह के दिनों के समान पाते हैं....? जरूर वह व्यक्ति आत्मिक रूप से अंधा और, बिल्कुल ही परमेश्वर के वचन की ओर से अज्ञान होगा, अगर वह नूह के दिनों के समान आज के दिनों की घटनाओं में उन्ही दशाओं को नहीं पहचानता है....(एम.आर.देहान, दि डेज आँफ नूह, जोंडरवन पब्लिशिंग हाउस, १९७१ एडीशन, पेज १४९)

शैतानी ताकतों ने नूह के दिनों में संसार पर नियंत्रण कर लिया - और लगभग संपूर्ण मनुष्य जाति को नष्ट कर रखा ।

मैंने मेरे जीवन काल में शैतान की ताकत को संपूर्ण विश्व में बढते हुये देखा है। १९६० के समय में ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे यह विश्व बर्बाद होने की कगार पर है। कई जवान लोगों ने स्वयं को हैवानियत पैदा करने वाली एल एस डी नशे की दवाओं के नियंत्रण में सौंप दिया था। आज लोग जो नशे की दवाये लेते है उससे एल एस डी दवाई नुकसान रहित प्रतीत होती है जैसे कि वे कैंडी खा रहे हों। मैं सत्तर के दशक में सेन फ्रांसिस्को के क्षेत्र में हि-िप्पयों के बीच प्रचार कर रहा था। मैं आपको अपने व्यक्तिगत अनुभव से बता सकता हूं कि वहां के ज्यादातर बच्चे शैतान के भारी प्रभाव में हैं। अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष १९७३ में गर्भपात को वैद्यानिक रूप से कानूनी मान्यता दे दी। इस आदेश के बाद से शैतान नियंत्रित “डॉक्टरों” ने लगभग ५५ मिलियन शिशुओं को मौत के घाट उतार दिया। जब हम सनफ्रांसिस्को व लॉस एंजीलिस के अंदर के क्षेत्रों में जवान बच्चों के बीच प्रचार व सेवकाई के लिये गये, हमने पाया कि हर वह स्त्री जिसने “मांग करने” के पश्चात गर्भपात करवाया था शैतानी प्रभाव से ग्रसित थी, और नशीली दवाये लेने वाले पुरूष वोट देने वालों का एक बडा हिस्सा है, जो बराक ओबामा को दुबारा पद पर लेकर आया है। मि.ओबामा के पास कई सारे विचार शैतानी हैं जो स्पष्ट दिखाई देता है। मैं व्यक्तिगत रूप से मानता हूं कि वह शैतान नियंत्रित होकर (२१वर्षों) तक एक चर्च में जाते रहे जो डॉ.यिर्मयाह राईट द्वारा संचालित है। यह वही पास्टर है जो टेलीविजन पर चीखते रहते हैं, “परमेश्वर अमेरिका को शापित करे! परमेश्वर अमेरिका को शापित करे! परमेश्वर अमेरिका को शापित करे!” मैं नहीं समझता कि कोई व्यक्ति बिना शैतान नियंत्रित हुये प्रति रविवार २१ वर्षो तक इन पास्टर के चर्च जाता रहे! इससे हमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिये कि राष्ट्रपति मुस्लिम आतंकवादियों के साथ नरम है बजाय मसीही लोगों के। दोनों ही बुरी आत्माओं से संचालित प्रतीत होते हैं!

क्या मुझे जरूरत है यह बताने की कि किस तरह आतंकवादियों में समलैंगिकता और “समान लिंगी” विवाह बढते जा रहे है? क्या मुझे आवश्यकता है यह बताने की कि पोर्नोग्राफी- अब अधिकतर ९५ प्रतिशत किशोरावस्था वाले लडकों द्वारा देखी जाती है? क्या मुझे यह कहने की आवश्यकता है कि रेव्ज और रॉक पार्टीज में जिस किस्म का संगीत सुना जाता है वह बेहद उत्तेजनापूर्ण होता है जो लोगों के शरीर का अनियंत्रित कर देता है? क्या मैं यह भी बताउं कि हॉलीवुड की फिल्मों में घोर क्रूर हिंसा दर्शायी जाती है? डॉ.जे.वर्नान मैगी ने कहा था,

आज कई लोग शैतान द्वारा ग्रसित हैं.....हमें इतनी अधिक शैतानी गतिविधयां देखने को मिल रही है। हमारे बारे में कई सारे उदाहरण हैं (जे.वर्नान मैगी,टी.एच.डी., थ्रू दि बाईबल, थॉमस नेलसन पब्लिशर्स, वॉल्यूम ४‚ १९८३, पेज ५१; मत्ती ८:३२ पर व्याख्या)

डॉ.मैगी बहुत सम्मानित बाईबल शिक्षक रहे हैं। डॉ. मार्टिन ल्यॉड-जोंस बीसवीं शताब्दी के महानतम प्रचारकों में से एक हैं। उन्होंने लंदन के बीचोबीच वेस्टमिंस्टर चेपल की पास्तरीय सेवकाई की है। लगभग पच्चीस वर्षो तक उन्होंने सेवा दी। डॉ.ल्यॉड जोंस ने कहा था,

घटती आत्मिकता बढती शैतानियत का कारण है, इसके साथ ही पूरे देश में ईश्वर हीनता फैलती जा रही है। (मार्टिन ल्यॉड जोंस,एम.डी., हीलिंग एंड दि स्किप्चर्स, आँलिवर− बेलसन बुक्स, १९८८,पेज १५९)

बाईबल ने अंतिम समय में शैतानी कियाकलापों की एक पूरी सूची बतलायी है। प्रेरित पौलुस ने कहा था‚

पर यह जान रख, कि अन्तिम दिनों में कठिन समय आएंगे। क्योंकि मनुष्य अपस्वार्थी, लोभी, डींगमार, अभिमानी, निन्दक, माता-पिता की आज्ञा टालने वाले, कृतघ्न, अपवित्र। दयारिहत, क्षमारिहत, दोष लगाने वाले, असंयमी, कठोर, भले के बैरी। विश्वासघाती, ढीठ, घमण्डी, और परमेश्वर के नहीं वरन सुखविलास ही के चाहने वाले होंगे। वे भक्ति का भेष तो धरेंगे, पर उस की शक्ति को न मानेंगे; ऐसों से परे रहना। (२ तीमुथियुस ३:१−५)

प्रेरित पौलुस ने यहां तक चेताया था कि शैतान की ये गतिविघयां अंतिम दिनों में तो कटटरपंथी चर्चेस में भी प्रवेश कर जायेंगी,

“और अपने कान सत्य से फेरकर कथा-कहानियों पर लगाएंगे।” (२तिमुथयुस ४:४)

“जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।” (मत्ती २४:३७)

हम शैतानी कियाकलापों के भंवर वाली दुनिया में रह रहे हैं। केवल यीशु हमें बचा सकता है!

आज हम जिस शैतानी युग में रह रहे हैं, हमें प्रेरित पतरस द्वारा दी गई चेतावनी को बहुत ध्यान से सुनना चाहिये,

“सचेत हो, और जागते रहो, क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जने वाले सिंह की नाईं इस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए।” (१पतरस ५:८)

क्या आपको यह सोचकर आश्चर्य होता है कि किसी किसी के लिये यीशु पर विश्वास रखना इतना कठिन क्यों होता है साथ ही उद्धार प्राप्त करना भी? क्या आपने कभी सोचा है कि शायद यह आपके दिमागों पर शैतानी प्रभाव है - शैतान का अंतिम प्रयास है कि वह आपको अपना गुलाम बनाये रखना चाहता है! बाइबल उनके बारे में बताती है जो “पूरे जीवनकाल” पूरे समय शैतान के (गुलाम) है (इब्रानियों २:१४‚१५)

यीशु इसलिये आये कि − आपको शैतान के बंधन से मुक्त करवाये‚ आपको शैतान के बंधन से मुक्त करवाये! यीशु क्रूस पर मरे ताकि वह पापों के बदले मिलने वाला दंड उन्होंने भोगा। वह मरे हुओं में से जी उठे ताकि आपको शैतान की दासता से छुडा सके! आईये और यीशु से विनती कीजिये कि वह आपके पापों को क्षमा करे और आपको नया जीवन प्रदान करे! यीशु ने कहा था कि परमेश्वर ने उन्हें इसलिये भेजा है ताकि, “कि प्रभु का आत्मा मुझ पर है, इसलिये कि उस ने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया है, और मुझे इसलिये भेजा है, कि बन्धुओं को छुटकारे का और अन्धों को दृष्टि पाने का सुसमाचार प्रचार करूं और कुचले हुओं को छुड़ाऊं।” (लूका ४:१८) सचमुच, आईये, आईये आईये - यीशु के पास आईये! “कोई नहीं केवल यीशु, कोई नहीं केवल यीशु, असहाय पापियों की भलाई कर सकता है!”

शैतान के बारे में और मत सोचिये! केवल यीशु के बारे में सोचिये! अपने आपको यीशु के कदमों में फेंक दीजिये और वह आपको पाप और मौत से आजाद करवायेगा! यीशु आपको बचायेगा! “केवल उसका भरोसा करो, केवल उस पर विश्वास रखो, अब केवल उस पर विश्वास रखो। वह आपको बचायेगा, वह आपको बचायेगा, वह आपको अभी बचायेगा!” सचमुच, पाप से मुंह मोड लीजिये और अभी मसीहा पर विश्वास लाइये!

अगर आप अपने बचाये जाने के बारे में और सच्चे मसीही बनने के विषय में बात करना चाहते हैं, तो अपना स्थान छोडकर आँडिटोरियम के पिछले हिस्से में आ जाईये। डॉ.कैगन आपको दूसरे कमरे में ले जायेंगे जहां हम दुआ कर सकते हैं डॉ.चॉन, आपसे निवेदन है कि आप दुआ करें कि कोई आज सुबह यीशु पर ईमान लाये। आमीन।

*प्राचीन रब्बियों ने “नेफीलिम” इब्रानी शब्द का अनुवाद सेप्टुआजिंट में “जाइजेंट” शब्द रूप किया है। इस तरह उन्होंने यह गलत विचार प्रस्तुत किया कि नेफीलिम दैत्य थे। “नेफीलिम” शब्द गिनती १३:३३ में भी प्रगट है जहां इसका गलत अनुवाद ''दैत्य'' के रूप में केजेवी संस्करण में किया गया है। इन दोनों स्थानों पर यह दुर्भाग्यपूर्ण अनुवाद सेप्टयूजिंट जाइजेंटस के गलत अनुवाद से लिया गया है। गिनती १३:३३ में उन्हे बडे आकार के मनुष्य के रूप में जाना गया है जो इब्री लोगों को उनके छोटे होने का अहसास कराते थे। इसका आशय यही था कि वे डील डौल में बडे आकार के थे, किंतु वे दैत्य नहीं थे। ''नेफीलिम'' शब्द इस सत्य की ओर इशारा करता है कि वे शैतान द्वारा नियंत्रित लोग थे, और इब्री लोगों के कनान पहुंचने से पहले वे उस देश में निवास करते थे। यद्यपि परमेश्वर ने इबियों को कहा था कि उन्हे संपूर्ण शैतान ग्रसित लोगों को उस देश से भगाना है किंतु इन बडे डील डौल वाले लोगों ने लगातार इबियों को प्रताडित किया और वे उनसे डर कर उन्हे पूर्ण रूप से बाहर नहीं खदेड सके। इन पाठयांशो में एक भी''दैत्य'' का वर्णन नहीं है, यद्यपि कुछ व्याख्याए, कुछ सशक्त व्याख्या, भी प्राचीन रब्बियों के द्वारा गलत अनुवाद से उलझन में है।

(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व धर्मशास्त्र पढा गया मि.ऐबेल प्रुद्योमें: उत्पत्ति ६:१–८
संदेश के पूर्व एकल गाना गाया गया। मि.बैंजामिन किन्केड गिफिथ:
“तब यीशु आया” (डॉ. ओसवाल्ड जे स्मिथ‚१८८९–१९८६)


रूपरेखा

आज की दुनियां में शैतान का रूप
(संदेश #79 उत्पत्ति की पुस्तक से)

द्वारा आर.एल.हिमर्स

“फिर जब मनुष्य भूमि के ऊपर बहुत बढ़ने लगे‚ और उनके बेटियां उत्पन्न हुई‚ तब परमेश्वर के पुत्रों ने मनुष्य की पुत्रियों को देखा‚ कि वे सुन्दर हैं; सो उन्होंने जिस जिस को चाहा उन से ब्याह कर लिया।” (उत्पत्ति ६:१–२)

(मत्ती २४:३‚३७;यहूदा १५;उत्पत्ति ५:२२;६:९)

१. सर्वप्रथम‚ यह एक शैतानी गतिविधि का समय है‚उत्पत्ति ६:१–५;
मत्ती २४:३८;उत्पत्ति६:११‚१३‚४‚५

२. दूसरा, हम शैतानी कियाकलापों के समय में रह रहे हैं‚
मत्ती २४:३७;२तिमुथयुस ३:१−५‚१३;४:४;१पतरस ५:८;
इब्रानियों २:१४‚१५; लूका ४:१८