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क्रूस की ओर देखने पर आपको क्या दिखाई देता है?WHAT DO YOU SEE WHEN YOU LOOK AT THE CROSS? द्वारा डॉ. आर.एल.हिमर्स रविवार की प्रात, १३ अप्रेल २०१४, को लॉस एंजिलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल में “और वहां बैठकर उसका पहरा देने लगे।” (मत्ती २७:३६) |
जब मैं किशोर ही था और अगर मैं क्रूस की कथा सुन लेता भले ही मैं उस समय बचाया नहीं गया था, तौभी मेरे आंसू निकलते थे और गला अवरूद्ध हो जाता था। यीशु के हाथ व पैरो पर ठोंकी गई कीलों से हुये दर्द का अहसास मुझे था। जब मैं मि.गिफिथ का गीत जो अभी उन्होंने गाया उसे सुनकर हमेशा रोता हूं। मुझे अपना सिर घुमा लेना पडता है ताकि मैं रोता हुआ नहीं दिखाई पडूं। मैं मसीह के कष्ट को महसूस कर सकता था। मैं उसको यातना दिये जाने पर बहुत दुखी होता था। इसमें कोई बहाने बाजी नहीं है। इसमें कुछ नकली भावना भी नहीं छिपी है। मसीह के क्रूस पर दर्दनाक यातना सहने की कथा सुनकर मेरे दिल में घोर पीडा उठती है।
आजकल की रविवार की आराधना में क्या जवान लोगों को ऐसा दर्द उठता है और मैं सोचता हूं कभी कभी ही क्यों मसीह के दर्द का अहसास हो। मसीह की परपीडा का अहसास करना लोगों के लिये कठिन क्यों होता है? परपीडा का अहसास अर्थात कोई और दुख झेल रहा हो और हमें भी उस दुख का अहसास हो रहा हो। अब तो अधिकतर लोग भावना शून्य हो गये हैं। कोई अगर कष्ट में हो, तो उसके दुख, दर्द से बेखबर लोगों के दिलो में दया व तरस उठना ही बंद हो गया है। कई वषों पहले की एक छोटी घटना ने मुझे हतप्रत कर दिया। कुछ जवान लडकों का समूह एक छोटे कुत्ते के पेट में लात मारा जाना देखकर खूब हंस रहा था। वे इतना हंसे कि मैं आतंकित हो गया। कहने की जरूरत नहीं, कि उनमें से हरेक जन ने चर्च छोड दिया। ऐसे कठोर मन के मसीहियों के बदलाव के लिये तो कोई चमत्कार की ही आवश्यकता है!
मैं मानता हूं कि जवानों के दिल कठोर होने के पीछे का राज क्या है, यह निश्चत ही टीवी है जिस पर वे फिल्में देखते हैं और हमारी सभ्यता में ऐसी ही हो चली है। मिशगन की यूनिवर्सिटी ने १९९९ में एक अध्ययन जारी किया जिसमें बताया गया था कि १८ की उम्र तक जवान लोग टी वी पर १६००० हत्यायें देख चुके होते हैं - हर वर्ष टी वी पर वे ९०० हत्यायें देखते हैं। और इसका कारण केवल टी वी है! चाहे फिल्में हो, समाचार हो या अन्य प्रकार के कार्यक्रम हो। अथवा वीडियो गेम्स, इस सब में कहीं न कहीं वे हत्यायें देखते ही हैं! इससे भी बढकर भयावह बात है कि, जवान लोग बहुत अच्छी तरह से जागरूक हैं कि इस देश में गर्भपात वाला डॉक्टर ३००० भ्रूण हत्या अपने चाकू से प्रति दिन करता है! हां ३००० प्रति दिन - और हर वर्ष एक या सवा दस लाख! इतना अधिक रक्तपात, जवान लोगों के दिमागों में क्या कुछ नहीं उंडेला गया है जिसने उनकी भावनाओं को प्रभावित किया है। मैं तो इस बात से सहमत हूं कि यह पीढी बिल्कुल कठोर हो चुकी है और दुख उठाने वाले के प्रति बिल्कुल भावना शून्य हो चुकी है।
आज की सुबह मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि आप मसीह के साथ क्रूस पर जो घटा उसकी भयावहता को महसूस करें। जब आप मसीह के क्रूस को देखते हैं तो क्या महसूस करते है? जिस दिन मसीह ने क्रूस का दर्द सहा, उस समय उनके क्रूस के पास बहुत सारे लोग थे। हमारा धर्मशास्त्र कहता है कि सैनिकों ने उसे कीलें ठोंकी और वहां बैठकर “देखते रहे” (मत्ती २७:३६)
ऐसे ही अन्य कई लोग उसे देख रहे थे। आप किस प्रकार के देखने वाले लोग है? इस बारे में सोचिये। जब आप क्रूस को देखते हैं तो कि रूप में देखते हैं?
१. प्रथम, पुरोहितों व धर्म बुजुर्गो ने देखा कि क्रूस पर एक शत्रु मारा गया है
“इसी रीति से महायाजक भी शास्त्रियों और पुरनियों समेत ठट्ठा कर करके कहते थे, इस ने औरों को बचाया, और अपने को नहीं बचा सकता। यह तो इस्राएल का राजा है। अब क्रूस पर से उतर आए, तो हम उस पर विश्वास करें। उस ने परमेश्वर का भरोसा रखा है, यदि वह इस को चाहता है, तो अब इसे छुड़ा ले, क्योंकि इस ने कहा था, कि मैं परमेश्वर का पुत्र हूं।” (मत्ती २७:४१−४३)
उन्होने उसकी हंसी उडाई और क्रूस पर दर्द सहते हुये मसीह का उपहास उडाया। उन्होंने उसे एक शत्रु के रूप में देखा और खुश थे। कि उससे छुटकारा हो गया। वे आज के ही लोगों के समान थे। एचबीओ एक बिल मेहर नामक व्यक्ति को पैसे देता है कि वह परमेश्वर का ठटटा उडाये और मसीह के उपर चुटकुले बनाये। रिचर्ड डॉकिन्स और किस्टोफर हिचेन्स ने मसीह, बाईबल व परमेश्वर स्वयं के उपर प्रहार कर करके बहुत पैसा कमा लिया है। वे आस्तिकवाद के पुरोहित व धर्म बुजुर्गो बन बैठे है। मेडेलिन मुर्रे ओ हेयर, एक आस्तिक ने हमारे स्कूलों से प्रार्थना और बाईबल पाठ करना निषेध करवा दिया, यह कहते हुये,
“अगर प्रत्येक जन आस्तिक होता तो संभवत: यह संसार बहुत अच्छा होता।”
“मैं आस्तिक हूं क्योंकि धर्म एक बैसाखी है और केवल अशक्त लोगों को ही बैसाखी की आवश्यकता होती है।”
“मुझे जो भी जगह पसंद होगी मैं किसी भी सहमत मर्द के साथ सैक्स करने को राजी रहूंगी।”
आस्तिकवाद के महायाजक इस तरह सोचते हैं! यही तो धर्मनिरपेक्ष स्कूल, कालेजो के प्राध्यापक भी सोच रहे हैं। परमेश्वर ऐसे लोगों को खारिज कर देता है, जैसे उसने मसीह के क्रूस तले आये ईश्वर विहीन लोगों को किया। वह तो साधारण रूप में यह कहता है, “मूर्ख ने अपने मन में कहा है, कोई परमेश्वर है ही नहीं” (भजन १४:१) क्या आप उनके समान हैं? आप जब क्रूस की ओर देखते हैं तो क्या देखते हैं?
२. दूसरा, रोमन सैनिकों ने मसीह का वस्त्र देखा ताकि क्रूस के नीचे बैठकर उस पर जुआ खेले।
“तब उन्होंने उसे क्रूस पर चढ़ाया; और चिट्ठियां डालकर उसके कपड़े बांट लिए। और वहां बैठकर उसका पहरा देने लगे।” (मत्ती २७:३५−३६)
ये लोग इतने भौतिकवादी थे कि वे मौत के क्षणों में भी मसीह के वस्त्र को बांटने की सोच रहे थे। यह थोडा ही महंगा होगा, इसलिये उनके दिमाग उस समय कठोर हो गये जब उन्हे मसीह के वस्त्र से थोडा पैसा मिलने की उम्मीद हो गई! आपका दिमाग कहां केंदित है? जब आप क्रूस की ओर देखते हैं तो आप को क्या दिखाई देता है?
कॉलेज के कई विद्यार्थी डरते हैं कि अगर वे मसीही बन गये तो मसीही होना उनके स्कूल की पढाई में बाधक होगा, और वे जब स्नातक होंगे तो उन्हे नौकरी भी नहीं मिलेगी। पैसा! पैसा! पैसा! बस सारे चीनी जवान लडके यही सोचते हैं। “अगर मैं मसीही बन गया तो मुझे पैसों से हाथ धोना पडेगा,” उनका कहना है।
बहुत वर्ष पहले, मैं जब चाईनीज चर्च का सदस्य था, मैंने जीवन को बदलने वाला एक निर्णय लिया। मैंने यह निर्णय लिया कि मैं यीशु के पीछे चलूंगा चाहे जो कीमत मुझे चुकानी पडे! यीशु ने एक बडा उत्तम प्रश्न पूछा जब उसने कहा,
“यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा?” (मरकुस ८:३६)
वॉरेन बफेट संपूर्ण संसार के पांच रईसों में से एक है। किंतु वह लाखों मिलियन डॉलर सुनियोजित जननी योजना में दान देते हैं, जो संस्था मां के गर्भ से अवांछित भ्रूण को बाहर निकालने में मदद करती है। जब वह मरेंगे तो उनकी आत्मा का क्या हाल होगा? वह ८० से उपर है। इतनी संपदा होने के पश्चात उनकी आत्मा को नरक में खोना पडेगा तो इतना पैसा होने का उन्हे क्या लाभ?
रोमन सैनिकों को मसीह के वस्त्र से केवल पैसे दिखाई दे रहे थे। आप जब क्रूस को देखते हैं तो आप को क्या दिखाई देता है?
३. तीसरा, चोरों में से एक ने मसीह को क्रूस पर एक असफल आदमी देखा।
दो चोर थे जो मसीह के आसपास लटके हुये थे। पहले ने यीशु को देखकर उन्हें भी एक अपराधी समझा। उसने सोचा कि यीशु केवल एक पागल आदमी है जो स्वयं को परमेश्वर का पुत्र मानता है। उसने मसीह को एक धार्मिक पागल समझा, और उसकी हंसी उडाने लगे।
वर्षों पहले मेरा एक मित्र था जो बहुत अच्छा आदमी था। मैं हमेशा उसे पसंद करता था। एक रात मैंने उससे विनती की कि वह मेरे साथ चर्च चले और सुसमाचार सुने। उसने कहा, “नहीं” तब उसने मुझसे कहा था, “हरेक की अपनी निजी जिंदगी होती है, निजी जिंदगी।” मैं उसकी यह बात मरते दम तक नहीं भूलूंगा। उसका कहने का तात्पर्य यह था कि मेरे पास अगर जाने के लिये चर्च है तो उसके पास ढेर बीयर पीने वाले मित्र हैं। जो मेरे लिये अच्छा हो सकता है तो उसके लिये कुछ और चीज अच्छी हो सकती है। “हरेक की अपनी निजी जिंदगी होती है, निजी जिंदगी।” कुछ साल उपरांत मैंने उसे शव बॉक्स में देखा। उसके सिर पर एक भी सफेद बाल नहीं था। उसके चेहरे पर कोई सलवटें भी नहीं थी। वह अभी केवल चालीस का ही था। हांलाकि वह जानता था कि उसका अंत कुछ इस तरह ही होगा। यद्यपि उसका स्वास्थ्य अच्छा था, फिर भी वह मुझसे कहा करता था, “मैं पचास का नहीं हो पाउंगा, रॉबर्ट। मैं पचास का नहीं हो पाउंगा।” वह अडतालीस का ही था और अचानक एक दिन घर में मरा हुआ पाया गया। मैंने उसके शब बॉक्स में झांका और उसके शब्द मेरे दिमाग में कौंध गये, “हरेक की अपनी निजी जिंदगी होती है, रॉबर्ट। हरेक की निजी जिंदगी।” जब मैं उसका अंतिम संस्कार दे रहा था, मैं उसके परिवार व मित्रों को कोई उम्मीद नहीं बंधा पाया − एक भी शब्द आशा का नहीं बोल पाया! मैं केवल अपने मित्र के पीछे छूटे लोगों को सुसमाचार प्रचार कर सका।
यीशु के बाजू में लटका पहला चोर, यीशु की निंदा कर रहा था। उसने सोचा यीशु ऐसे ही कोई धार्मिक पागल आदमी था। उस शाम सूरज ढलने के पहले ही वह व्यक्ति नरक चला गया। जब आप क्रूस की ओर देखते हो तो आप को क्या दिखाई देता है?
४. चौथा, दूसरे चोर ने प्रभु को मुक्तिदाता के रूप में देखा।
यह व्यक्ति यीशु को सुबह से संपूर्ण भीड से अलग हटकर ही देख रहा था। किंतु दोपहर होते होते सारे देश में अंधकार छा गया। उसने यीशु को उन लोगों के लिये प्रार्थना करते देखा जिन्होंने उसे क्रूस पर चढाया था।
“तब यीशु ने कहा; हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहें हैं और उन्होंने चिट्ठियां डालकर उसके कपड़े बांट लिए।” (लूका २३:३४)
यीशु की अपने शत्रुओं के लिये की गई प्रार्थना ने दूसरे चोर का मन द्रवित कर दिया। उसने यीशु का उपहास उडाना बंद कर दिया। सिर उठाकर, उसने मसीहा को देखा, और उसका मन पिघल गया। उसने आज तक ऐसे किसी जन को नहीं देखा था जिसने शत्रुओं को माफ करने के लिये प्रार्थना की हो।
''पिता, उन्हे माफ कर!'' इस तरह उसने की दुआ,
जबकि रक्त धारा तेजी से बह रही थी;
इस दुख में भी वह पापियो के लिये दुआ करता–
कोई नहीं पर यीशु इतना प्यार करता था,
धन्य मुक्तिदाता! बहुमूल्य मुक्तिदाता!
अब मैं उसे कलवरी, क्रूस पर ऐसा देखता हूं;
घायल और रक्त रंजित, पापियों के लिये दुआ मांगता-
अंधा और बेहोश - मेरे लिये मरता हुआ!
(“धन्य मुक्तिदाता'' द्वारा अविस वजर्सन किश्चयनसेन,” १८९५– १९८५)
सभी चोर भीड की दुष्टता जानते थे, यीशु का उनके लिये प्रेम जानते थे, और यीशु के सिर पर लगी तख्ती को जानते थे जिस पर लिखा था, “यह यहूदियों का राजा है” (लूका २३:३८) अचानक इस आदमी ने विश्वास किया! उसने निश्चय ही यह सुना होगा कि लोग चंगे किये गये है और यीशु ने बीमारियों से लोगों को अच्छा किया। उसने जरूर यह सुना होगा कि यीशु प्रचार करता रहा था। उस चोर के दिमाग में यह सारी बातें एक साथ आई होगी। यह यहूदियों का राजा है! यह मसीहा है! यह मुक्तिदाता है! उसके पास सारे तथ्य तो नहीं थे हममें से कितनो के पास यीशु के बारे मे सब तथ्य होगेॽ मैं जानता हूं मेरे पास भी सब तथ्य नही है - न ही मेरे ख्याल से किसी ओर के पास भी होंगे। डॉ.ल्यॉड-जोंस ने कहा, “तथ्य पर्याप्त नहीं होते।” मसीह के बारे में सीखने को बहुत कुछ है जो हम हमारे छोटे दिमाग से कभी नहीं समझ सकते! परन्तु यह चोर जानता था कि वह पापी है। उसने यह दिल से माना! उसने अविश्वासी चोर से कहा, “और हम तो न्यायानुसार दण्ड पा रहे हैं, क्योंकि हम अपने कामों का ठीक फल पा रहे हैं; पर इस ने कोई अनुचित गलत काम नहीं किया।” (लूका २३:४१) “सचमुच, तथ्य पर्याप्त नहीं होते।” इस मामले में, मेरे विचार से हमारे सुधारवादी भाई लोग गलत हैं। डॉ.ल्याड जोंस सही कहते थे, “तथ्य पर्याप्त नहीं होते।” अगर मसीह को सिद्ध करने के लिये आप तथ्य तलाश रहे हैं, तो आप अपने पापों में ही मर जायेंगे, और कभी भी बचाये नहीं जायेंगे। बाईबल सीधे तोर पर कहती है, “क्योंकि धामिर्कता के लिये मन से विश्वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुंह से अंगीकार किया जाता है।” (रोमियों १०:१०)
यहां कई आधुनिक प्रचारक गलत हो जाते हैं। वे दिमाग को प्रचार करते हैं दिल को नहीं। सचमुच पिता, मेरे साथ ऐसा कभी न होने पाये! विनती करता हूं पिता, मैं लोगों के दिलों को प्रचार करता रहूं! क्योंकि धामिर्कता के लिये मन से विश्वास किया जाता है बेचारा यह मरता हुआ चोर अपना सिर उठाकर यीशु को देखता है – और बोला,
“हे यीशु, जब तू अपने राज्य में आए, तो मेरी सुधि लेना।” (लूका २३:४२)
जैसे ही ये शब्द उसके मुंह से निकले, वह दूसरा चोर बचाया जा चुका था! वह बहुत कम शिक्षायें जानता था। उसके भीतर कोई विशेष भावना नहीं थी, न ही कोई प्रमाण था कि यीशु प्रभु और मसीहा है। किंतु इस चोर ने विश्वास किया, और ''क्योंकि धामिर्कता के लिये मन से विश्वास किया जाता है” उसने सादे रूप में यीशु पर विश्वास किया! यही सब कुछ परमेश्वर को चाहिये!
जिस क्षण पापी विश्वास करे,
और क्रूसित ईश्वर पर ईमान लाये,
उसे उसी क्षण प्रभु से माफी मिलती है,
छुटकारा लहू से पूर्ण होता है!
(“जिस क्षण पापी ईमान लाये'' जोसेफ हार्ट, १७१२–१७६८)
चोर ने मसीह पर विश्वास किया, और उसी क्षण बचाया गया! इसी तरह हम सब भी बचाये गये थे, क्या आप जानते हैं! हमने यीशु पर भरोसा किया। हमने उस पर विश्वास किया। हम बचाये गये! और यीशु ने उस चोर से जो बचाया गया था कहा,
“उस ने उस से कहा, मैं तुझ से सच कहता हूं; कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा” (लूका २३:४३)
उसी दिन चोर भी क्रूस पर मरकर यीशु के साथ स्वर्ग गया!
“पिता, उन्हे माफ कर!” इस तरह उसने की दुआ!
जबकि रक्त धारा तेजी से बह रही थी,
पाप का मोल चुकाकर नया (जीवन) प्रारंभ,
पिता की महिमा और पुत्र की जय गाओ,
मैं क्रूसित मसीह के लहू से बचाया गया!
बचाया गया! बचाया गया! मेरे पाप सब क्षमा हुये,
मेरे दोष सब जाते रहे!
बचाया गया! बचाया गया! मैं कूसित मसीह के लहू से बचाया गया!
( ''लहू से बचाया गया'' एस.जे.हेडरसन १९०२)
जिस क्षण आप यीशु में विश्वास करते हो, और पूरे मन से विश्वास करते हो, आप भी पूरी रीति से उस मरते हुये चोर के समान बचाये जायेंगे - जो मसीहा के पास ही क्रूस पर चढाया गया था। यीशु ने चोर को बचा लिया। यीशु ने चोर के पाप उस दिन बहाये गये लहू से धो दिये! और उसका लहू आज सुबह भी हमारे पापों को धोने के लिये उपलब्ध है! किसी भी ऐसे प्रचारक पर भरोसा मत करना जो आपको बताये कि लहू बहाया नहीं गया। डॉ. ल्यॉड-जोंस ने कहा, ''सिर्फ क्रूस और मौत की बात करना काफी नहीं है। असल परीक्षा “लहू” की है!”
अगर आज सुबह आप यीशु पर ईमान लाये तो आपके सारे पापों से आप यीशु के लहू से शुद्ध किये जायेंगे! आप बच जायेंगे! आप वास्तविक मसीही कहलायेंगे! आप स्वर्ग जाने के लिये तैयार होंगे! आप को मसीह में नया जीवन मिलेगा! मन फिरायें और मसीहा पर अभी विश्वास करें!
अगर आप अपने बचाये जाने के बारे में और सच्चे मसीही बनने के विषय में बात करना चाहते हैं, तो अपना स्थान छोडकर आँडिटोरियम के पिछले हिस्से में आ जाईये। डॉ.कैगन आपको दूसरे कमरे में ले जायेंगे जहां हम दुआ कर सकते हैं बातचीत कर सकते हैं। अगर आप यहां पहली बार आये हैं, और आपके मन में इस संदेश के प्रति कुछ प्रश्न उठ रहा है तो, आँडिटोरियम के पिछले भाग में आइये। मैं स्वयं आपके साथ बैठूंगा और आपसे बात करूंगा। जल्दी आईये। डॉ.चॉन, आपसे निवेदन है कि आप दुआ करें कि कोई आज सुबह यीशु पर ईमान लाये। आमीन।
(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व धर्मशास्त्र पढा गया मि.ऐबेल प्रुद्योमें: मत्ती २७:३५−४४
संदेश के पूर्व एकल गाना गाया गया। मि.बैंजामिन किन्केड गिफिथ:
(“धन्य मुक्तिदाता'' द्वारा अविस वजर्सन किश्चयनसेन,” १८९५–१९८५ )
रूपरेखा क्रूस की ओर देखने पर आपको क्या दिखाई देता है? द्वारा डॉ. आर.एल.हिमर्स “और वहां बैठकर उसका पहरा देने लगे।” (मत्ती २७:३६)
१. प्रथम, पुरोहितों व धर्म बुजुर्गो ने देखा कि क्रूस पर एक शत्रु मारा गया है
२. दूसरा, रोमन सैनिकों ने मसीह का वस्त्र देखा ताकि क्रूस के नीचे बैठक ३. तीसरा, चोरों में से एक ने मसीह को क्रूस पर एक असफल आदमी देखा
४. चौथा, दूसरे चोर ने प्रभु को क्रूस पर मुक्तिदाता के रूप में देखा |