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बहुत स्तब्ध करने वाला जवानों के लिये संदेश!
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एक दिन एक काफी छोटे प्रचारक ने मुझे एक बडी ई-मेल भेजी। वह एक अभिषिक्त व्यक्ति था। वह चार वर्षो से अधिक समय से प्रचार कर रहा है। वह विवाहित है और उसके दो बच्चे हैं। उसका कथन है कि वह हमारी किताब, मरते हुये देश को प्रचार को पढने के उपरांत परिवर्तित हुआ था।
उसने कुछ बहुत ही मजेदार बातें लिखी और कुछ उत्तेजित बातें भी लिखीं कि हमारे अधिकतर चर्चेस में प्रचार को क्या हो गया है। मैं उसकी कही गई बहुत बातों से सहमत हूं। इस संदेश से ध्यान मत हटाइये! जो मैं कहने जा रहा हूं, मेरा विश्वास है, कि वह इस समय सुने जाने के हिसाब से बहुत आवश्यक है।
वचन में लिखा है, परमेश्वर ने भविष्यवक्ता यशायाह से कहा कि लोग बागी हो चले थे। वे ''यहोवा की शिक्षा'' को सुनना नहीं चाहते थे (यशायाह ३०:८) । वे परमेश्वर की सच्चाई का सामना नहीं करना चाहते। वे चाहते हैं कि दर्शी उन्हे ''चिकनी चुपडी'' - ''मधुर लगने वाली'' व ''झूठी'' या ''भ्रमित'' शिक्षा प्रदान करे।
यशायाह के दिनों के लोग ''चिकनी चुपडी'' बातें सुनना चाहते थे। यशायाह के दिनों के लोग ''चिकनी चुपडी'' बातें सुनना चाहते थे। इसलिये परमेश्वर ने भविष्यवक्ता से अपनी बातें लिखने को कहा कि ''एक पुस्तक में या (पत्थर पर) लिख कि वह भविष्य के लिये वरन सदा के लिये साक्षी बनी रहे'' (यशायाह ३०:८) मेरा ऐसा मानना है कि ''वह समय आता है'' का संकेत कुछ सीमा तक हमारे इस वर्तमान समय से भी है। यह हमें प्रेरित पौलुस की भविष्यवाणी याद दिलाती है,कि ''अंत के दिनों में'' (२ तिमोथुयुस ४:१)‚
''क्योंकि ऐसा समय आएगा, कि लोग, खरा उपदेश न सह सकेंगे पर कानों की खुजली के कारण अपनी अभिलाषाओं के अनुसार अपने लिये बहुतेरे उपदेशक बटोर लेंगे। और अपने कान सत्य से फेरकर कथा कहानियों पर लगायेंगे।'' (२ तिमोथुयुस ४:३−४)
अब हम उस समय में रह रहे हैं जिसे कहा जाता है ''ऐसा समय आयेगा'' (यशायाह ३०:८) अब हमें कई पास्टर्स मिलते हैं जो चर्च में ''चिकनी चुपडी'' और लोगों को मनभावन लगने वाली बातें सुना रहे हैं, बजाय परमेश्वर की सीधी शिक्षा देने के जैसे हमारे पूर्वज उनकी सेवकाई के द्वारा करते आये!
यह सब एक जवान पास्टर ने ध्यान दिया और मुझे लिख भेजा, मैं आपको उसकी लिखी बातें अधिक बता रहा हूं, और उस पर मेरी टीकायें हैं।
उसने मुझे कहा कि उसने सात वर्ष की अल्पायु में विश्वास का अंगीकार किया था, किंतु बाद में उसे महसूस हुआ कि उसका नया जन्म कभी हुआ ही नहीं। बाद में उसने हमारी किताब, मरते हुये देश को प्रचार में पढी। वह डॉ.डब्ल्यू.ए.किसवेल, डॉ,ए,डब्ल्यू टोजर और अन्यों की बातों से बहुत प्रभावित हुआ, जिनका ये मानना था कि चर्चेस में लोग ज्यादा खो रहे हैं। उस जवान पास्टर ने स्वयं को भी ऐसा ही पाया। वह एक पास्टर के पास गया जो ''मुझे प्रभु के पास ले गये'' ऐसा उसका कथन था। उसके दो सप्ताह पश्चात उसे बपतिस्मा दिया गया।
तत्पश्चात वह दूसरे चर्च में जाने लगा वहां उसे एक प्रचारक को सुनकर लगा कि यही ''वास्तविक प्रचार'' कर रहा है। उस पास्टर ने कहा कि मुझे ऐसे ही प्रचार को ''लगातार'' सुनना है ताकि मैं ''प्रभु के लिये जीवित रह सकूं।''
उसने यह मान लिया कि नये जन्म का सिद्धांत अब मात्र ''सुसमाचार के कुछ तथ्यों को मान लेना (विद्वता के स्तर पर विश्वास) ‚ और फिर कुछ बिना मन परिवर्तित हुये बुदबुदाये हुये मसीह को स्वीकार करने वाली प्रार्थना करना है।''
उसने अंतत: यह परिणाम सोचा कि ऐसे ''व्याख्यात्मक प्रचारक'' का उपयोग लोगों के मन परिवर्तन के लिये नहीं किया गया है। उसने कहा, ''वास्तव में सही प्रचार लोगों के मन को बदलने में, उन्हे जगाने में, और अपने मन से बातें करने में सहायता करता है।'' उसने कहा, ''आप लोगों को उद्धार पाना सिखा नहीं सकते हो। उनको तो उद्धार प्रचार करना होगा।'' उसका कहना था कई पास्टर्स, ''उद्धार सिखाने की शिक्षा दे रहे हैं, जिसके वशीभूत होकर लोग एक छोटी दुआ कर लेते हैं कि उन्होंने मसीह को ग्रहण कर लिया है जबकि ऐसे लोग सच में नहीं जानते कि उन्हें यीशु के संग जीवन की शुरूआत कैसे करनी है।''
इतना लिखने के बाद उसने कुछ ऐसा कहा कि जिससे मुझे थोडी तकलीफ हो गई। इससे मुझे पता चला कि वह क्यों आजकल के प्रचार को ज्यादातर गलत समझता है। उसका कहना था कि प्राचीन काल के प्रचारक बहुत गंभीर होते थे,''वे निडर रहते थे, और लोग भी महसूस करते थे कि यह प्रचारक वास्तव में सच्चा व गंभीर है। इसीलिये उस समय जाग्रति फैल जाया करती थी।'' मैं यहा पूछना चाहता हूं। चाल्र्स फिने एक बहुत ही गंभीर और निडर प्रचारक था। उसने पाप के विषय में लिखे पदों के उपर बहुत प्रचार किया। वह चुटकुले नहीं सुनाता था। किंतु जब उसकी सेवकाई के विषय में कोई विचारवान पाठक पढता है तो उसे पता चलता है कि फिने के प्रचार ने कभी, कोई परमेश्वर द्वारा भेजी गई आत्मिक जाग्रति नहीं पैदा की। जब वह उस स्थान से हटा तो लोग उस शहर को, ''जल चुका शहर'' कर कर बुलाने लगे।
एक व्यक्ति अगर वास्तव में सच्ची आत्मिक जाग्रति और फिने का ''जाग्रतिवाद'' के बीच अंतर जानना चाहते हैं‚ तो उन्हें पढना चाहिये, रिवाइवल एंड रिवाइवेलिज्म: दि मेकिंग एंड मेरिंग आँफ ऐमेरिकन इवेंजलीकेलिज्म १७५०−१८५८, लेयन एच.मुर्रे (दि बेनर आँफ ट्रूथ ट्रस्ट, १९९४)। उनको लेयन एच.मुर्रे द्वारा लिखा हुआ, दि ओल्ड इवेंजलिकेलिज्म: ओल्ड ट्रूथ्स फॉर ए न्यू अवेकनिंग (दि बेनर आँफ ट्रूथ ट्रस्ट,२००५)। प्रथम पुस्तक फिने के संदेश और तरीके बताती है। दूसरी पुस्तक दिखाती है कि वचन का प्रचार करना क्यों आवश्यक है - ताकि लोग अपने जीवन में मसीह की जरूरत को महसूस कर सकें! यह एक बडी समस्या है, इस तरह का प्रचार मुश्किल से देखने को मिलता है। इस पुस्तक का प्रथम अघ्याय सच में बहुत महत्वपूर्ण है। किंतु अध्याय २ भी उतना ही महत्वपूर्ण है। इसका शीर्षक है ''स्पर्जन और सच्चा परिवर्तन।'' किंतु अध्याय ३ व ४ को भी बहुत ध्यान से पढना चाहिये, और कई बार पढना चाहिये। इस शिक्षा का तात्पर्य केवल इतना नहीं है कि पापी अपना जीवन सुधार ले, जैसा फिने सोचता और प्रचार करता था। इस शिक्षा का उददेश्य था कि पापी अपने असहायपन को महसूस कर और अपने जीवन में यीशु की आवश्यकता को महसूस करें और उसके लहू के द्वारा, क्रूस पर दिये गये छुटकारे को ग्रहण करें!
तब इस जवान पास्टर ने कहा कि केवल वे प्रचारक ''जिन्हें मैं आज सुनता हूं और सुनने के बाद स्वीकार करता हूं वह आप और एक प्रचारक है जिनका नाम पॉल वॉशर है .... वह विश्वास करते हैं कि आज अधिकतर मसीही सुसमाचार के प्रति कठोर नहीं, किंतु सुसमाचार की अवहेलना करने वाले हैं।'' उसने कहा कि मि.वॉशर डॉ.जॉन मेक आर्थर की सेमनरी में बोले थे, किंतु वह इतनी कडाई से बोले ''कि शायद अब उन्हें दुबारा उस सेमनरी में कोई भी आमंत्रित नहीं करेगा।'' जब मैं यह संदेश लिख रहा था तब मेरे सहयोगी, डॉ.सी.एल.कैगन, ने उनका वह संदेश इंटरनेट पर देखा और उसके विस्तत नोटस तैयार किये। जब हम इसका विश्लेषण कर रहे थे हमने महसूस किया कि यह ओर थोडा ओजपूर्ण दिया जा सकता था, और यह फिर भी डॉ.मेक आर्थर का मूल संदेश ही था - ''प्रभुता और उद्धार।'' डॉ.कैगन ने डॉ.मेक आर्थर सेमिनरी में दिये गये पॉल वॉशर के संदेश का यह मूल्यांकन किया :
वॉशर मनुष्य की बुराई की ओर संकेत करता है, परमेश्वर के अनुग्रह, हमारे बदले में प्राण देना, और पुर्नजन्म को बताता है। किंतु (यहां हमारे द्वारा अंतर प्रगट किया गया है) अनुग्रह और हमारे बदले प्राण देना उसके संदेश के मुख्य बिंदु नहीं है। वॉशर (और मेक आर्थर सेमनरी के दर्शक) के लिये मुख्य जोर परमेश्वर के पास जाने के लिये है (विशेषकर अध्ययन करने के) द्वारा और तब उसके लोगों को प्रचार करना है (जो पहले से ही मसीही हैं) जो सीखा है, उसे औरों को प्रचार करना है ताकि वे उनकी (पहले से ही) मसीही जिंदगी में उसका अमल कर सकें।
इसके विपरीत, हमारा जोर इस बात पर है कि सुसमाचार की दौलत खोये हुये लोगों को प्रचारित की जाये ताकि वे भी मन परिवर्तन कर सकें। हम केवल मसीहियो को तो कम प्रचार और शिक्षा देते हैं। नीकुदेमुस ने अवश्यही धर्मशास्त्रों का अध्ययन किया था, उसने प्रार्थनापूर्ण, शुद्ध जीवन जिया, धार्मिक जीवन बिताया,और दूसरो को पढाता था। उसे वॉशर और मेक आर्थर स्वीक्रत कर देते अगर यीशु ने विशेषकर उसे यह नहीं कहा होता कि उसे नये सिरे से जन्म लेना आवश्यक है। (किस्टोफर एल.कैगन, पी.एच.डी.,एम.डिव.पी.एच.डी.)
डॉ.कैगन द्वारा किये गये मूल्यांकन पर ध्यान करने की आवश्यकता है और इसमें क्या दिया है इसे समझने की जरूरत है। यह विशेष बात याद रखनी चाहिये कि डॉ.कैगन, डॉ.मेक आर्थर के चर्च में एक वर्ष से उपर समय तक गये हैं, इसलिये वह अच्छी तरह जानते हैं कि वह किस बारे में बात कर रहे हैं। अपनी दो पी.एच.डी.,के अलावा डॉ.कैगन टलबोट सेमिनरी से स्नातकोत्तर भी है।
हम किस तरह प्रत्येक रविवार खोये हुये लोगों को सुसमाचार प्रचार कर सकते हैं- प्रति सुबह व शाम? बिल्कुल वैसे जैसे स्पर्जन ने किया। हमारे लोग हर आराधना में खोये हुये लोगों को लाने का अथक प्रयास करते हैं। हम उनके साथ कई बातों पर चर्चा करते हैं, जब तक कि उनके जीवन में स्वयं के प्रति असहायपन, न आ जाये, वे परमेश्वर के अनुग्रह, और मसीह के द्वारा दिये गये छुटकारे को मन में महसूस न करने लगे। जब वे अपने पाप के प्रति गहराई से सोचेंगे तभी वे वास्तव में यीशु के पास आयेंगे और उसके कीमती लहू से उनके पाप शुद्ध हो जायेंगे। हमारे प्रचार का यह मकसद नहीं है कि हम उन्हें यह महसूस करवायें कि यह पाप स्वयं खत्म करें। हम चाहते हैं उन्हे अपने पापों का पूरा अहसास हो जाये और वे सच में यीशु के पास आ सकें! हम पापों के प्रति बोध इसलिये पैदा करते हैं ताकि लोग यीशु के पास आयें। इसलिये ऐसा बोध करवाना ''बडी'' बात नहीं है, किंतु यीशु स्वयं प्रमुख हैं। मेरे संदेश प्राय: इस शिक्षा से प्रारंभ होते हैं,कि वे लोगों को बताते हैं कि वे खोये हुये पापी हैं। किंतु, तब,मेरे संदेश का दूसरा भाग उन्हे मसीह के पास ले जाना है, गतसमनी बाग में उसकी वेदना और क्रूस पर उसकी यातना को महसूस करना है; उसके लहू द्वारा छुटकारे पर ध्यान लगवाना है ; परमेश्वर के दाहिने हाथ वह बैठा है इस पर ध्यान करना है ! तो, इस तरह हम सुसमाचार प्रचार का पुराना तरीका अपनाते हैं। प्रारंभ में हम उन्हें बोध कराने के लिये शिक्षा देते हैं, और अंत हम उनके लिये सुसमाचार और यीशु की क्षमा है इससे करते हैं।
डॉ.कैगन ने मि.वॉशर के प्रसिद्ध संदेश,''स्तब्ध करने वाला जवानों के लिये संदेश'' को देखा और उस पर नोटस बनाये (२००२ में दिया गया संदेश और यू टयूब पर देखा गया)। डॉ.कैगन का कहना है कि वॉशर आरोप लगाने और उसके हल के लिये दिये जाने वाले उचित सिद्धांत पर विश्वास तो करता है। किंतु उनका कहना है कि मि.वॉशर (सी.जे.फिने) के समान शिक्षा देने वाले प्रचारक हैं, सी.एच.स्पर्जन के समान सुसमाचार प्रचारक नहीं हैं। स्पर्जन ने मनुष्य को मसीह की ओर ले चलने वाली शिक्षा दी। मि. वॉशर मनुष्यों को ''पश्चाताप'' करने की शिक्षा देते हैं। मि. वॉशर के संदेशो में पश्चाताप प्रमुख विषय होता है, जैसे फिने के संदेशो में था। मेरे संदेशो में मसीह की क्रूस पर म्रत्यु मुख्य संदेश है, जैसे स्पर्जन के संदेश में भी रहा करता था। डॉ. कैगन का कथन है कि वॉशर के संदेशो का सार यह है - ''पाप बुरी चीज है, आपको इसे त्यागना होगा और यीशु के पीछे चलना होगा ताकि एक मसीही जीवन बिता सको।'' हमारा संदेश यह है - ''पाप बुरी चीज है। आप इसके गुलाम है और आप इसे अपने आप नहीं त्याग सकते, क्योंकि आप खोये हुये जन हैं! आप को स्वयं को आज्ञा मानने के द्वारा बचाने का प्रयास करने से रोकना होगा। आप महसूस करना होगा कि आप असहाय व आशाहीन हैं - और केवल यीशु मसीह पर विश्वास करना होगा। पश्चाताप का कार्य आप को बचा नहीं सकता! केवल कूसित और जी उठा मसीह स्वयं आप को बचा सकता है!''
मि. वॉशर अपने संदेश में नियम और सुसमाचार दोनों को मिला देते हैं। किंतु उनके संदेश का अंत केवल नियम का पालन करने की शिक्षा से होता है। मि. वॉशर के संदेश में मूल पाप और परमेश्वर के अनुग्रह की अवज्ञा करने वाले तत्व मौजुद हैं- जिसमें यह विचार निहित है कि मनुष्य जो पाप में है, मनुष्य जो भ्रष्ट है, जो ''पाप में मुर्दा'' पडा है, वह तो कैसे भी परमेश्वर की आज्ञा का पालन करने के योग्य है। यह ''प्रभुता वाला उद्धार'' कहलाता है और यही विचार डॉ.मेक आर्थर द्वारा भी प्रगट किये जाते रहे हैं। डॉ. मेक आर्थर और मि. वॉशर सुधारवादी मसीहत का प्रचार करने का दावा करते हैं; परन्तु उनके संदेश स्वयं प्रयत्न करने वाली शिक्षा (जैसे लोग माना करते थे कि मुझे कुछ ऐसा करना चाहिये कि परमेश्वर मुझे ग्रहण करे) से दूषित है। मि. वॉशर और डॉ. मेक आर्थर सहकिया की शिक्षा देने वाले लोग हैं (कि मनुष्य अपने उद्धार पाने के लिये परमेश्वर से सहयोग करता है।) जितनी भी बडी आत्मिक जाग्रतियां देने वाले सुधारवादी प्रचारक हुये, वाईटफील्ड,से लेकर नेटलटन,सी.एच.स्पर्जन तक, वे सब एक किया वाली शिक्षा देने वाले लोग थे। मसीह स्वयं संपूर्ण रूप से ''पाप में पडे मुर्दा लोगों को'' बचाता है (इफिसियों २ : १)
मुझे क्षमा कीजिये! मै परमेश्वर के अनुग्रह की अवज्ञा और विद्वतावाद व मिलकर काम करने वाली शिक्षा वाले उपदेशों से तंग आ गया हूं! मैं फिने की शिक्षा और जो कुछ उससे निकलता है सुनकर थक गया हूं! मैं ''पापी की स्वीकारोक्ति वाली दुआ'' से थक गया हूं! मैं उन बैपटिस्ट से तंग आ गया हूं जो छोटे बच्चों को जिनका मन परिवर्तन भी नहीं हुआ, उन्हें शिशु बपतिस्मा दे देते हैं! वे मध्यकालीन रोमन कैथौलिकों के ही समान है! कई बार तो वे उनसे भी बुरे हैं! कम से कम वे कैथोलिक परमेश्वर से तो डरते हैं! परन्तु मैं तो जॉन मेक आर्थर से भी थक गया हूं, जो मसीह के कीमती लहू को कम समझता है, और पॉल वॉशर, जो खोई हुई युवा पीढी को बताता है कि उनके स्वर्ग जाने का मार्ग वे स्वयं बना सकते हैं! नहीं! नहीं! नहीं! इन विचारों से हमारा कभी भला नही हुआ है और कभी होने वाला भी नहीं!
चेलों ने पूछा,''तो फिर किस का उद्धार हो सकता है?'' ''मनुष्यों से तो यह नहीं हो सकता'' (मरकुस १०:२६‚२७).
आपका कुछ भी करना, या सीखना, या करना बंद कर देना, आपको बचा सकता है! इस सोच को बाहर निकाल दीजिये स्वयं मसीह पर भरोसा कीजिये! केवल मसीह आपको बचा सकता है! मसीह ने गतसमनी के बगीचे में आत्मा में व्याकुलता को सहा। जब परमेश्वर ने आपके पाप यीशु के उपर लाद दिये तब उसका पसीना मानो लहू की बूंदों के समान गिरने लगा और वह उस बगीचे में मरने ही वाला था। वह परमेश्वर के समक्ष चिल्लाया कि हो सके तो उसे छोड दिया जाये लेकिन फिर भी परम प्रधान की मर्जी को उसने सर्वोच्च माना और अगली सुबह हमारे बदले वह क्रूस पर चढाया गया। वह हमारे एवज में मरा, हमारे पापों दंड को उसने सहा। उसने उसका पवित्र लहू हमारे पापों को धोने के लिये बहाया। वह मुरदों में से जीवित हुआ कि हमें नया जीवन प्रदान करे। मसीह! मसीह! मसीह! केवल मसीह आपको बचा सकता है - ''ताकि कोई प्राणी परमेश्वर के सामने घमंड न करने पाए'' (१ कुरंथियों १:२९) मसीह और केवल मसीह ''जो परमेश्वर की ओर से हमारे लिये ज्ञान ठहरा - अर्थात धर्म, और पवित्रता और छुटकारा। ताकि जैसा लिखा है, वैसा ही हो कि जो घमंड करे वह प्रभु में घमंड करे'' (१ कुरंथियों १:३०‚३१) इसीलिये,
''क्योंकि मैं ने यह ठान लिया था, कि तुम्हारे बीच यीशु मसीह,वरन क्रूस पर चढाए हुए मसीह को छोड और किसी बात को न जानूं'' (१कुरंथियों २ :२)
''क्योंकि क्रूस की कथा नाश होने वालों के निकट मूर्खता है, परन्तु हम उद्धार पाने वालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ है'' (१कुरंथियों १ :१८)
मेरे पाप कौन धोएगा ?
प्रभु यीशु ख्रीष्ट का लहू
कौन मुझे पूर्ण करेगा ?
प्रभु यीशु ख्रीष्ट का लहू।
वो ! कैसा सोता है
जो मुझे श्वेत करता है;
और न कोई दूसरा उपाय,
केवल यीशु का लहू।
(''केवल यीशु का लहू'' द्वारा रॉबर्ट लोहरी,१८२६−१८९९)
कई प्रचारक दो संभावनाओं पर विचार करते हैं - या तो आप ''पापी की प्रार्थना'' द्वारा उद्धार मिलता है यह मान लो, अथवा आप प्रभुता के प्रति आज्ञा मानकर उद्धार प्राप्त कर लो। वे कभी तीसरे रास्ते को तलाशते ही नहीं - सुधारवादी मार्ग जिसे कहते हैं- पाप का बोध होना पाप दिल के अंदर इतना कचोटे कि पापी केवल मसीह में विश्राम पाये, उस संघर्ष की घडी में मन परिवर्तन हो जाये! इसलिये जवान बच्चों को उनके मन में उस पीडा से होकर गुजरना आवश्यक है! पॉल वॉशर की शिक्षा से दूर भागो! मेक आर्थर की शिक्षा से दूर भागो! तुम्हारे कार्य और परमेश्वर का अनुग्रह इस मिश्रित शिक्षा से दूर भागो!
हे परमेश्वर, हमें ऐसे प्रचारक दीजिये जो अनुग्रह की शिक्षा प्रदान कर सकें, सुधारवाद की शिक्षा दे सकें, कोई नियमों व अनुग्रह की मिली जुली शिक्षा न दें! उद्धार केवल मसीह में है, हमारे संघर्ष के क्षणों में जो परिवर्तन होता है जैसे लूथर का हुआ, बुनयन, वाईटफील्ड और स्पर्जन का हुआ! हमारे प्रचार का यही मुख्य विषय होना चाहिये और हमारी सारी गवाहियां भी इस सत्य पर केंदित होना चाहिये! जितना भी हम प्रचार करते और कहते हैं उसके केंद्र में केवल मसीह हो! मसीह! मसीह! मसीह हो! मसीह! मसीह! मेरे साथ कहिये!मसीह! मसीह! मसीह! मसीह! मसीह! मसीह! मसीह! मसीह! मसीह! मसीह!
''फिर सब बातों में वही प्रधान ठहरे'' (कुलुस्सियों १ :१८)
हमारे यहां हजारों हजार युवा हैं जिन्हे सिवाय मसीह के अन्य सब प्रकार की शिक्षा दी जा चुकी है! सीधे मसीह के पास आईये! किसी दुआ के पास या बाईबल की आयत के पास मत आइये! केवल किसी सिद्धांत में ही भरोसा करके मत रह जाइये! सीधे मसीह के पास आइये! वह परमप्रधान के दाहिने हाथ स्वर्ग में बैठा हुआ है! सीधे उसके पास ही आइये! मसीह यीशु पर विश्वास कीजिये! वह अपने अमूल्य लहू से आपके पाप को धो देगा। वह पूरे समय आपको पापों से बचायेगा, और शाश्वत युगों तक के लिये बचा लेगा!
अपने गीत की किताब में गीत संख्या ७ खोलिये। यह डॉ,ओसवाल्ड जे.स्मिथ का गाना है!
उद्धार पूरा व मुफत,कलवरी पर खरीदा गया एक बार‚
मसीह से ही विनती करूंगा- यीशु! केवल यीशु ।
ज्योति देगा, केवल यीशु, और नहीं कोई,
तब मेरा गान सदा रहेगा - यीशु! केवल यीशु!
केवल यीशु, मुझे ज्योति देगा'' द्वारा डॉ. ओसवाल्ड
जे.स्मिथ,१८८९−१९८६)
''मसीह से ही विनती करूंगा-यीशु! केवल यीशु।''
अजीज मित्रों, अगर आप हमसे ''आपके उद्धार'' के बारे में बातें करना चाहते हैं तो निवेदन है कि अपनी कुर्सी पर से उठकर पीछे आँडीटोरियम में आइये। मि.जॉन सेमुएल कैगन आपको दूसरे कमरे में ले जायेंगे जहां हम आपके लिये प्रार्थना कर सकते हैं और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं। अगर आप सच्चे मसीही बनना चाहते हैं तो अभी इस आँडीटोरियम के पिछले भाग में पहुंचिये। डॉ.चान, क्रपया दुआ कीजिये कि आज सुबह कोई यीशु के द्वारा पापों से छुटकारा पाये, आमीन!
(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व धर्मशास्त्र पढा गया मि.ऐबेल प्रुद्योमें:यशायाह ३०:८−१५
संदेश के पूर्व एकल गाना गाया गया। मि.बैंजामिन किन्केड गिफिथ:
(केवल यीशु, मुझे ज्योति देगा'' द्वारा डॉ. ओसवाल्डजे.स्मिथ,१८८९−१९८६)
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