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आजकल सुसमाचार का प्रचार कम क्यों है?WHY SO LITTLE GOSPEL PREACHING TODAY? द्वारा डॉ0आर.एल.हिमर्स,जूनियर रविवार की सुबह,26 जनवरी,2014 को लॉस एंजिलिस के दि बैपटिस्ट टेबरनेकल में प्रचार किया गया संदेष ‘‘यदि मैं सुसमाचार न सुनाऊं, तो मुझ पर हाय!'' (1कुरंथियों 9:16) |
ये पौलुस प्रेरित के षब्द हैं। उसने स्वयं को मसीह का सुसमाचार प्रचार करने के लिये बाध्य पाया। अपनी संपूर्ण सेवकाई में वह लगातार सुसमाचार प्रचार करता रहा। मैथ्यू हैनरी ने कहा था,‘‘जो सेवकाई के लिये अलग किये गये हैं उन्हें सुसमाचार प्रचार करना आवष्यक है। और अगर वे नहीं करते हैं तो उन पर धिक्कार है।'' इस पर बिना किसी टिप्पणी के, मैं सीधे संदेष पर जाऊंगा।
मुझसे कई लोगों ने षिकायत की है कि आजकल सुसमाचार प्रचार की कमी है। उनका कहना है कि उन्होंने उनके चर्चेस में कभी भी पूरा संदेष मसीहा के सुसमाचार प्रचार का नहीं सुना। वे मुझसे पूछते हैं कि क्यों प्रचारक आजकल मसीहा के क्रूस पर किये गये उद्धार कार्य का वर्णन अपने संदेष में नहीं करते। और मैं भी इस प्रष्न पर बड़ी गहनता से विचार कर रहा हूं - क्यों कुछ ही पास्टर्स सुसमाचार प्रचार कर रहे हैं? मैंने स्वयं कई वर्षो से स्थानीय चर्च के पास्टर्स को सुसमाचार प्रचार करते हुए नहीं सुना! मैं समझता हूं इसके कई कारण हैं - और इस संदेष में मैं आपको वे दो कारण बताने जा रहा हूं।
1.प्रथम, बाईबल बताती है कि मसीह का प्रचार अंत के दिनों में कई चर्चेस में बंद कर दिया जायेगा।
प्रकाषितवाक्य 3:14-22 लौदीकिया की कलीसिया का वर्णन करता है। यह पूर्ण रूप से पष्चिमी संसार के आज के चर्चेस की दषा का चित्रण प्रस्तुत करता है। जे.ए.सेस ने कहा,‘‘क्या आज कोई बड़ी बारीकी से आज के चर्चेस के विषय में बात कर सकता है, और कह सकता है कि हम लौदीकिया के युग में नहीं रह रहे हैं?'' (जे.ए.सेस,�दि एपोकेलिप्स, जोंडरवन पब्लिषिंग हाऊस, ए.डी.,पृ.85)
डॉ0जॉन एफ. वलवूर्ड ने कहा था, ‘‘बहुत दुखद रूप में कहा जा सकता है कि आज का चर्च...कई मायनों में अपनी आत्मिक स्थिति में लौदीकिया की कलीसिया के समान हो चला है'' (जॉन एफ.वलवूर्ड, टी.एच.डी. ,�दि रिविलेषन अॉफ जीजस क्राइस्ट, मूडी प्रेस, 1966, पृ.95)
डॉ0लेहमन स्ट्रॉस ने बताया, ‘‘ये अंतिम दिनों के लौदीकियन चर्च मसीहा को मानने का दावा नहीं करते....मसीहत की स्थिति मुहरबंद हो चुकी है। अंतिम दिनों के चर्च की स्थिति बाहर उगलने जैसी हो गई है''। (लेहमन स्ट्रॉस, डी.डी., दि बुक अॉफ रिविलेषन, लॉईजॉक्स ब्रदर्स, 1982 एडीषन,पृ.104,105)
डॉ0जे.वेर्नान मैगी ने कहा,‘‘हम लौदीकियन चर्च के युग में रह रहे है....आज के कई तथाकथित मूल परंपरावादी चर्चेस की भी यही दषा है...मैं इस मत का हूं कि (मसीह) अगर आज के चर्चेस से बोलते होते, तो वह यह कहते कि ‘तुमने मुझे हद दर्जे तक निराष कर दिया है....तुम कहते हो कि तुम मुझसे प्रेम करते हो। तुम कहते तो जरूर हो, पर तुम्हे प्रेम के मायने नहीं मालूम हैं'.........मेरे मित्रों, हम सचमुच वर्तमान में लौदीकियन समय में जीवन बिता रहे हैं.....ऐसे ही चर्च के विषय में स्टेनली हाई ने कहा थाः
चर्च यह बताने में असफल हो गया है कि मैं पापी हूं। चर्च मुझे केवल यीषु मसीह द्वारा उद्धार संभव है यह बताने में असफल है। चर्च मुझे पाप के परिणाम बताने में असफल है, नरक की दषा, और अकेले मसीह में मुझे बचाने की योग्यता है यह बताने में असफल है (जे.वेर्नान मैगी, टी.एच.डी, थ्रू दि बाईबल, 1983, थॉमस नेल्सन पब्लिषर्स, वॉल्यूम वी,पृ.922,923,925,929;प्रकाषितवाक्य पर व्याख्या 3:14-19; स्टेनली एच.हाई�दि रीडर्स डाइजेस्ट�के सीनियर एडीटर एवं मसीही लेखक रहे हैं। मि.हाई द्वारा दिये गये उपरोक्त कथन�टाईम�मैग्जीन के अगस्त,1997 के अंक में प्रकाषित हुए थे)।
हमारे समय के लौदीकियन चर्चे में आजकल मसीह कहां है? यह प्रकाषितवाक्य 3:20 में बताया गया है।
‘‘देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूं; यदि कोई मेरा षब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आ कर उसके साथ भोजन करूंगा, और वह मेरे साथ।'' ( प्रकाषितवाक्य 3:20)
लौदीकियन युग के इन चर्चेस में अब मसीह का प्रवेष निषेध है। वह बाहर खड़ा हुआ है, चर्च के दरवाजे पर खटखटा रहा है, क्योंकि उसके लिये दरवाजा बंद कर दिया गया है! डॉ0चार्ल्स सी.राईरी ने कहा था, ‘‘कितनी अचरज भरी बात है कि मसीह अपने ही चर्चेस से बाहर कर दिया गया है!'' (चार्ल्स सी.राईरी, टी.एच.डी., पी.एच.डी., दि राईरी स्टडी बाईबल, मूडी प्रेस, 1978 संस्करण, पृ.1900; प्रकाषितवाक्य पर टीका 3:20)
ध्यान दीजिये कि प्रकाषितवाक्य 3:20 की व्याख्या में यह नहीं कहा गया है कि मसीह मनुष्य के हृदय की भीतर प्रवेष करने की बात कह रहा है। जैसे कि डॉ0 राईरी ने ध्यान दिया कि, वह चर्च से बाहर कर दिया गया है, मनुष्य के हृदय से नहीं। यही प्रकाषितवाक्य 3:20 में वह कह रहा है। इस भाग के संदर्भ में यह स्पष्ट है, जो आगे इन षब्दो से अंत होता है, ‘‘जिसके कान हो वह सुन ले कि आत्मा�कलीसिया�चर्चेस से क्या कहता है।''
इसलिये हमें चकित नहीं होना चाहिये कि अंतिम दिनों में, लौदीकियन युग में सुसमाचार का बहुत थोड़ा प्रचार हो रहा है! डॉ0माईकल हॉरटन ने एक बड़ी भेदती हुई पुस्तक लिखी जिसका षीर्षक है, क्राईस्टलेस क्रिष्चियनिटी�उनका कथन है कि हमारे अधिकतर चर्चेस ‘‘स्वयं सहायता करें'' संदेष का प्रचार कर रहे हैं, बजाय मसीह के सुसमाचार के। उन्होंने एक बैपटिस्ट चर्च के संदेष के कुछ षीर्षक अपनी बात को सिद्ध करने के लिये दिये
‘‘अपने आप में अच्छा महसूस कीजिये''
‘‘निराषा से कैसे पार पायें''
‘‘कैसे पूर्ण व सफल जीवन जियें''
‘‘पैसे को संभालना सीखिये पैसे आपको नहीे''�
‘‘सफल पारिवारिक जीवन जीने के गुर''�
‘‘तनाव को कैसे जीतें,'' आदि
(माईकल हॉरटन, पी.एच.डी., क्राइस्टलेस क्रिष्चियनिटीः अल्टरनेटिव गॉस्पल अॉफ दि अमेरिकन चर्च, बेकर बुक्स,2008,पृ.49)
मैं पहले कारण को यहीं समाप्त करता हूं कि मसीह के कार्य पर बहुत थोडा प्रचार हो रहा है - उसकी क्रूस पर मृत्यु, उसका हमारे बदले लहू बहाना, उसका पुनरूत्थान, उसका द्वितीय आगमन, इत्यादि - हम बाईबल भविष्यवाणी में बताये गये लौदीकियन अस्थिरता वाले युग में इन अंतिम दिनों में रह रहे हैं। डॉ0मैगी ने कहा था,
लौदीकिया के चर्च से प्रभु यीषु ने कहा था, ‘‘सो इसलिए कि गुनगुना है, और न ठंउा न गर्म है, इसलिए मैं तुझे मुंह में से उगलने पर हूं'' (पद 16) चर्चेस में यह अस्थिरता वाली दषा है जो कहती तो है हम मसीही है किंतु वास्तविकता से कोसो दूर है (मैगी,संदर्भ,पृ.926)
प्रेरित पौलुस ने अपने महान भविष्यवाणी वाले अनुच्छेद 2 तिमुथियुस के चौथे अध्याय में लिखा था,
‘‘क्योंकि ऐसा समय आएगा, कि लोग खरा उपदेष न सह सकेंगे पर कानों की खुजली के कारण अपनी अभिलाषाओं के अनुसार अपने लिये बहुतेरे उपदेषक बटोर लेंगे; और अपने कान सत्य से फेरकर कथा - कहानियों पर लगाऐंगे। पर तू सब बातों में सावधान रह, दुख उठा,�सुसमाचार प्रचार का काम कर�और अपनी सेवा को पूरा कर।'' (2तिमुथियुस 4:3-5)
यह कहने के बाद, ‘‘वे अपने कान सत्य से फेर लेंगे,''उसने कहा, ‘‘सुसमाचार प्रचार का काम कर।'' स्पर्जन ने 19 षताब्दी में जिन संदेषो का प्रचार किया ठीक वैसे ही, मजबूत विद्वतापूर्ण सुसमाचारीय संदेषों, की आवष्यकता है! सचमुच, इन निराषाजनक घड़ियों में ऐसे प्रचार की नितांत आवष्यकता है! मैं इसकी परवाह नहीं करता कि अगर हर दूसरा प्रचारक अमेरिका में संदेष के समय एक के बाद एक पद मसीही जनों को समझाता है! चाहे�वे� जोभी करते हों, मैं तो मेरे प्रभु यीषु मसीह का सुसमाचार सुनाता रहूंगा!
‘‘यदि मैं सुसमाचार न सुनाऊं, तो मुझ पर हाय!'' (1कुरंथियों 9:16)
मुझे प्रिय है बताना कथा ऊपर की अनदेखी चीजों की,�
यीषु की उसकी महिमा की, यीषु की उसके प्रेम की।�
मुझे प्रिय है बताना कथा, क्योंकि मैं जानता हूं यह सत्य है;
यह मेरी चाह को पूर्ण करती जो कोई नहीं कर सकता।�
मुझे प्रिय है बताना कथा, ‘‘मेरे पास उसकी महिमा के विषय हैं�
कि मैं वही पुरानी, पुरानी कथा यीषु और उसके प्रेम की सुनाऊं।
(‘‘मुझे प्रिय है सुनाना कथा'' द्वारा ए.कैथरीन हैंकी, 1834-1911)
‘‘यदि मैं सुसमाचार न सुनाऊं, तो मुझ पर हाय!'' (1कुरंथियों 9:16)
2. द्वितीय, ‘‘पापी की प्रार्थना'' ने मसीह के सुसमाचार प्रचार को लुप्त और प्रचलन में पुराना और आवष्यक नहीं बना दिया - ऐसा ‘‘आधुनिक'' प्रचारक कहते हैं!
अगर आप कुछ कर सकते हैं तो यह कीजिये कि लोगों से ‘‘पापी की प्रार्थना'' बुलवा दीजिये तब फिर सुसमाचार प्रचार करने की कोई आवष्यकता नहीं रहेगी। यह आजकल की ‘‘आधुनिक'' प्रणाली है ‘‘पापी की प्रार्थना'' दोहरा कर प्रचारकों ने सुसमाचार प्रचार से हाथ ऊंचे खडे कर लिये हैं! अगर आपको यह अतिष्योक्ति लगती है, तो जेक हाईल्स ने 1993 में क्या कहा था सुनिये,
प्रेरितों के कार्य में नये
नियम की कलीसिया आत्मा को जीतने वाली कलीसिया थी। सदियों से हम आत्माओं को जीतने
को सुसमाचार प्रचार से जोडते आये हैं, और इन कई सदियों में, सुसमाचारीय कलीसिया पर
ही जोर दिया जाता रहा है।
अब देखिये कि आत्माओं को जीतने वाले और सुसमाचारीय चर्च में क्या भिन्नता है? सुसमाचारीय चर्च में पास्टर पुलपिट के पीछे खडा रहकर सुसमाचार प्रचार करता है उन नहीं बचाये गये लोगों को जिनको दूसरे लोग चर्च में लेकर आये हैं। आत्माओं को जीतने वाले चर्च में, लोग चर्च से बाहर निकल जाते हैं गलियों में,राजमागोंर् में घूमते हैं, लोगों को मसीह के लिये जीतते हैं, उन्हें चर्च में भीतर लाते हैं ताकि वे अपने उद्धार पाने की गवाही दे सकें। हमारी पीढी मे, हमने देखा है अच्दे चर्च भी सुसमाचार प्रचार से आत्मा जीतने वाले चर्चेस में बदल गये हैं..... इससे परमेष्वर के जन को आसानी होती है कि उसे रविवार के दिन लोगो को उत्साहित करना है, वह जानता है कि लोग बाहर निकलते हैं....लोगों को मसीह के पास लेकर आते हैं (जेक हाईल्य,डी.डी.�ऐनेमीज अॉफ सोल विनिंग, - हाईल्सएंडरसन पब्लिषर्स,1993,पृष्ट 141,142)
वह क्या कहना चाहते हैं ये अब स्पष्ट है, है न? उनका कथन था कि ‘‘अच्छा कहलाये जाने वाले चर्चेस'' में भी अब सुसमाचारीय संदेष बाकि नहीं रहे। लोग चर्च से बाहर निकलते हैं और खोए हुये लोगों को ‘‘पापी की प्रार्थना'' तक लेकर आते हैं उन्हें चर्च में लेकर आना प्रारंभ करते हैं ताकि वे ‘‘वेदी तक चलकर आये'' और गवाही दें। उन्होंने यह भी कहा कि नया नियम का चर्च ऐसा ही करता था (संदर्भ,पृ.140) मैं प्रेरितों के कार्य से और भीप्रमाण देखनाचाहूंगा! प्रेरितों की पुस्तक में प्रत्येक संदेष सुसमाचारीय संदेष है और एक तो विष्ोष रूप से सुसमाचारीय संदेष है! प्रेरितों के कार्य (20:18-35) अपवाद है! वह संदेष जो पौलुस ने इफिसुस के चर्च के ‘‘धर्मवृद्धों'' को दिया था। और, उस एक संदेष में भी, उसने खोये हुये लोगों को सुसमाचार सुनाया, ‘‘वरन यहूदियों और यूनानियों के सामने गवाही देता रहा, कि परमेष्वर की ओर मन फिराना, और हमारे प्रभु यीषु मसीह पर विष्वास करना चाहिये'' (प्रेरितों के कार्य 20:21) प्रेरितों के कार्य में प्रत्येक संदेष सुसमाचारीय प्रचार था - यहां तक कि पतरस ने पेन्तुकुस्त को जो प्रचार किया वह भी (प्रेरितों के कार्य 2:14-40); सन्हेद्रिन के समक्ष पतरस का संदेष (प्रेरितों के कार्य 4:5-12); स्तिफनुस का संदेष (प्रेरितों के कार्य 7:1-53); सामरिया में फिलिप्पी का संदेष अन्य जातियों को (प्रेरितों के कार्य10:34-43); पिसदिया के अंताकिया में पौलुस का संदेष (प्रेरितों के कार्य 13:14-41); ऐथेन्स में पौलुस का संदेष (प्रेरितों के कार्य 17:22-31); आदि,आदि। हम यह भी पढ़ते हैं कि पौलुस घर घर जाकर और खुले में लोगों को प्रचार करता था (प्रेरितों के कार्य 20:20-21); प्रेरितों के कार्य में वर्णन है कि प्रेरित मंदिर और कई घरों में सुसमाचार प्रचार करते रहे। हमें बताया गया है कि वे ‘‘उपदेष करने और यीषु ही मसीह है यह प्रचार करने से नहीं रूके'' (प्रेरितों के कार्य 5:42); तो जैक हाईल्स बिल्कुल गलत था जब उसने लिखा कि ‘‘प्रेरितों के कार्य में वर्णित नये नियम का चर्च'' सुसमाचार प्रचार पर आधारित नहीं था (हाईल्स,संदर्भ,पृ.140) और जैक हाईल्स यह कहने में भी बिल्कुल गलत था कि ‘‘अच्छा कहलाये जाने वाले चर्च'' के पास्टर्स भी अब सुसमाचार प्रचार छोड़ कर ‘‘रविवार के दिन केवल मसीहियों को संदेष देने वाले'' रह गये हैं (हाईल्स, संदर्भ, पृ.141)
किंतु जैक हाईल्स के कथन में एक बात�बड़ी�मजेदार है जो यह दिखाती है बहुत स्पष्ट रीति से कि ‘‘पापी की प्रार्थना'' ने सुसमाचार प्रचार का स्थान ले लिया! लोग इधर उधर जाकर लोगों को पकड़कर लाने लगे ताकि ‘‘पापी की प्रार्थना'' मंत्र जैसे दुहरा दें इस प्रचलन से सुसमाचार प्रचार लुप्त हो गया, उसकी मानो जरूरत नहीं रही, वह अतीत की बात हो गई हो। जैसे जैक हाईल्स ने कहा, ‘‘वर्षो से हम आत्मा को जीतने वाले चर्च से (लोगों को लेकर आना और ‘‘पापी की प्रार्थना'' दुहराना) जैसे सुसमाचार पर निर्भर हो गये हैं।'' (हाईल्स,संदर्भ,पृ.140) - हाईल्स ने कहा यह गलत है!
केवल हाईल्स अकेला ही ऐसा सोचने वाला नहीं था। लोगों को लेकर आना और उनसे ‘‘हाथ खडे़ करवाना'' - या ‘‘पापी की प्रार्थना''बुलवाना तो बडा आसान है! मसीह के बारे में पूरा सुसमाचार प्रचार करने की तकलीफ क्यों करें? सिर्फ ‘‘रविवार के दिन यंत्रचालित जैसे लोगों को संदेष सुनाना काफी'' नहीं है - जैसे कि जैक हाईल्स लिखता है? तो आज हर एक जन जॉन मैक आर्थर से लेकर जोएल अॉस्टिन तक ‘‘मसीही लोगों को रविवार के दिन'' जैसा संदेष सुना रहे हैं। इसलिये, इस तथाकथित ‘‘पापी की प्रार्थना'' जैसी परंपरा ने चर्चेस में से सुसमाचार प्रचार को नुकसान पहुंचाया है। किंतु मैं अभी भी प्रेरित पौलुस के समान ही कहूंगा,
‘‘यदि मैं सुसमाचार न सुनाऊं, तो मुझ पर हाय!'' (1कुरंथियों 9:16)
मैंने अभी अभी थॉमस विलियमसन नाम के एक मनुष्य का बडा विचारणीय कथन पढ़ा। उसने लिखा था,
‘‘षायद मैं कुछ भूल भी रहा हूं, किंतु मैं नहीं सोचता कि मैंने नये नियम में कोई उदाहरण ऐसा पढ़ा हो जहां मसीही किसी बचाये नहीं गये जन से कहता है कि ‘‘मेरे पीछे पीछे इस प्रार्थना को दोहराओ, और अगर जोर से बोलने में षर्म आती है तो, चुपचाप सिर झुकाकर मन में मेरे पीछे बोलो, और तुम बचाये जाओगे'' (थॉमस विलियमसन,‘‘नार्दन लैंडमार्क मिषनरी बैपटिस्ट,'' दिसंबर 2013, पृष्ट 2)
मैं मि.विलियमसन को नहीं जानता, और वह क्या विष्वास करते हैं यह भी नहीं जानता। परनतु जो उन्होंने कहा वह सोचने, और गहन विचार करने की बात है। नये नियम में कही भी खोए हुए जन को ‘‘पापी की प्रार्थना'' बुलवाने की जरूरत नहीं पडी! यह एक नई प्रणाली भी है - यह बाईबल में नही मिलती! और यह खतरनाक प्रणाली है क्योंकि इसने सुसमाचार प्रचार को व्यर्थ बना दिया - जैसा हम आजकल के चर्च में देख रहे हैं!
मेरे सहयोगी, डॉ0क्रिस्टोफर कैगन, और मैं एक षाम कम्प्यूटर पर जोएल अॉस्टिन को देख रहे थे। उन्होंने स्वयं को कैसे खुष रखें पर संक्षिप्त सा संदेष दिया। उन्होंने बाईबल से एक या दो पद दिये, किंतु उन्होंने मसीह के सुसमाचार का वर्णन तक नहीं किया - मसीह की हमारे बदले क्रूस पर मृत्यु के लिये एक षब्द भी नहीं कहा - यीषु के लहू से पाप साफ होते हैं ऐसा कोई षब्द नहीं कहा - यीषु के पुनरूत्थान के लिये कोई षब्द नहीं - न सुसमाचार का कोई वर्णन किया। परन्तु तभी, उनकी बातचीत के अंत में - मैंने उनका एक एक षब्द लिख लिया - जोएल अॉस्टिन ने कहा था,
हम हमारे प्रसारण को ऐसे ही बंद नहीं करेंगे किंतु आपको एक मौका देंगे कि आप यीषु को अपने जीवन का प्रभु बना लें। क्या आप मेरे साथ प्रार्थना करेंगे? बस यह कहिये, ‘‘प्रभु यीषु, मैं मेरे पापों से पष्चाताप करता हूं। मेरे हृदय में आइये। मैं आपको मेरा प्रभु व मुक्तिदाता बनाता हूं।'' मित्रों, अगर आपने यह छोटी सी प्रार्थना कर ली है, तो हम विष्वास करते हैं कि आपका पुर्नजन्म हो गया है।
वह मान सकता है कि लोगों का ‘‘पुर्नजन्म हो गया'' किंतु मैं नहीं मानता! कोई भी ‘‘नया जन्म प्राप्त नहीं करता'' मात्र एक प्रार्थना कहने से -�कोई भी नहीं! कैसे प्राप्त हो सकता है? प्रार्थना में सुसमाचार का वर्णन तो है ही नहीं - कुछ भी नहीं! उनके संदेष में कोई सुसमाचार का वर्णन नहीं था तो मि. अॉस्टिन ने मसीह रहित संदेष दिया और ‘‘स्वीकारोक्ति की प्रार्थना'' में भी सुसमाचार नहीं था! हमारे पापों का दंड चुकाने के लिये मसीह क्रूस पर मरे ऐसा कोई वर्णन उनके संदेष में नहीं था - जो कि सुसमाचार का केंद्रीय भाव है। यीषु के लहू से पाप धुलते हैं ऐसा कोई वर्णन नहीं था। वह मृतकों में से पुर्नजीवित हुये ऐसी कोई बात उन्होंने नहीं की। कुल मिलाकर, सुसमाचार की तो बात ही नहीं की (1कुरंथियों 15:1-4)�जल्दी से प्रार्थना करवाना गलत सुसमाचार है - मसीह का सुसमाचार नहीं है!�इस तरह, अॉस्टिन जैसे प्रेरित पौलुस कहते, ‘‘किसी ओर ही सुसमाचार,'' का प्रचार करते हैं मसीह के सुसमाचार का नहीं (गलतियों 1:6,7)। किंतु मैं तो फिर भी यही कहूंगा,
‘‘यदि मैं सुसमाचार न सुनाऊं, तो मुझ पर हाय!'' (1कुरंथियों 9:16)
मुझे यह कथा सुनाना प्रिय है, इसे दुहराना मनभावना है�
हर बार यह मुझे मधुर लगती है, अदभुत बडी मधुर लगती है।
मुझे यह कथा सुनाना प्रिय है, हो सकता है किसी ने कभी न सुनी हो�
उद्धार का संदेष परमेष्वर के पवित्र वचन से।�
मुझे यह कथा सुनाना प्रिय है, उसकी महिमा मेरा विषय होगा�
वह पुरानी, पुरानी कथा यीषु और उसके प्रेम की सुनाना
मनुष्य जाति पाप के बंधनों में जकडी हुई है, ष्ौतान के नियंत्रण में है जो, ‘‘आकाष के अधिकार का हाकिम'' है (इफिसियों 2:2) प्रत्येक जन पाप के बोझ तले दबा है, ‘‘आषाहीन और जगत में ईष्वर रहित थे'' (इफिसियों 2:12)
किंतु ‘‘मसीह यीषु इस संसार में पापियों को बचाने आया'' 1तिमुथियुस 1:15) यीषु स्वर्ग से उतर नीचे आया और निष्पाप होकर परमेष्वर के सिद्ध पवित्र पुत्र के समान, हमारे बीच में वास किया - वह जो परमेष्वर का एकमात्र पुत्र था। परन्तु उस भयानक रात में जब उसे क्रूस पर चढाया जाना था, गतसमनी बगीचे के अंधकार में, परमेष्वर ने अपने लोगों के पाप ‘‘उसके षरीर में रख दिये'' उसका पसीना मानो लहू की बडी बडी बूंदो की नाई भूमि पर गिर रहा था।''(लूका 22:44) किंतु मंदिर के सरदार आ पहुंचे और उस पर गलत आरोप लगाकर बंदी बना लिया। वे उसे पकडकर महापुरोहित के पास ले गये। उन्होंने उसका अपमान किया और चेहरे पर थप्पड मारे, जबकि अन्यों ने उसकी दाढी खींच डाली। वे उसे रोम गवर्नर, पोन्तियुस पिलातुस के पास ले गये। उसने अपने सैनिको को यीषु को कोडे लगवाने का आदेष दिया, जब तक कि वह अधमरा नहीं हो गया, उसका लहू जमीन को भिगो रहा था। उन्होंने उसके मुंह पर थूका और उसके सिर पर डंडे से प्रहार किया। उन्होंने उसे बाध्य किया कि वह अपना कू्रस उठाकर गलियों में से चले, जबकि लोग उसे देखकर उपहास उडा रहे थे। जब वे सजा दिये जाने वाले स्थान पर पहुंचे, उसके हाथ व पैरों को क्रूस पर ठोंक दिया गया। वह वहां लटका हुआ था, कू्रस पर वस्त्रहीन दषा में,जबकि लोग मखौल उडा रहे थे उस पर फब्तियां कस रहे थे। वह क्रूस पर छः घंटे तडफता रहा, वह अंत में चिल्लाया,‘‘पूरा हुआ'' (यूहन्ना 19:30) और अपना सिर झुकाकर उसने प्राण त्याग दिये - वह मर चुका था। ‘‘परन्तु सिपाहियों में से एक ने बरछे से उसका पंजर बेधा और उस में से तुरंत लोहू और पानी निकला'' (यूहन्ना 19:34) अरमितिया का युसुफ आया और यीषु का षव सन में लपेटकर ले गया, और कब्र में रखा। सैनिकों ने कब्र के ऊपर बडा सा पत्थर रखा,सील किया,और रोमन पहरेदारों को निगरानी के लिये छोड दिया। किंतु ईस्टर रविवार की प्रातः प्रभु यीषु मसीह षारीरिक रूप से,मांस व हडडी समेत,मृतकों में से जी उठे!
मेरे मित्र, यीषु ने यह सब आपके लिये किया। वह आपके पापों का दंड चुकाने के लिये क्रूस पर चढ गया,मारा गया। आपको आपके पापों का दंड मिलना था - किंतु यीषु ने उस दंड को भोगा और आपके स्थान पर बलिदान दिया। बाईबल सिखाती है कि आपको पापों से छुटकारा केवल मसीह यीषु के आपके स्थान पर स्वयं मरने से ही मिल सकता था। उसने आपको सब पापों से षुद्ध करने के लिये अपना लहू बहाया। और वह मृतको में से जी उठा ताकि आपको भी अनंत जीवन मिले! यीषु ने आपके लिये वह दर्द और पीडा को सहा क्योंकि वह आपसे प्रेम रखता है! यीषु के पास आईये। वह आपको इतना प्रेम करता है कि आपको बचाना चाहता है - बिल्कुल अभी!
आपके लिये अब करने को क्या बचा है? परमेष्वर केवल यह चाहता है कि आप पष्चाताप करें और उसके पुत्र यीषु पर विष्वास लाये। जब आप पष्चाताप करते हैं और विष्वास लाते हैं यीषु के ऊपर तब आप पापों से बचाये जाते हैं, कब्र से छुडाये जाते हैं, और नर्क से भी! यीषु पर विष्वास लाइये और वह उसके बेषकीमती लहू से आपके सब पापों को धो देगा!
मुझे यह कथा सुनाना प्रिय है, उनको जो जानते हैं ये अतिउत्तम�
इसको सुनने के लिये भूखे और प्यासे हैं यह देती है सुकुन।
और जब देखता हुं, महिमा में उसको, मैं गाता हूं नया, नया एक गान,�
यह वही, वही पुरानी कथा होगी जिसे हमेषा प्रिय जान।
मुझे यह कथा सुनाना प्रिय है, उसकी महिमा मेरा विषय होगा
वही, वही पुरानी कहानी यीषु और उसके प्रेम की।
‘‘यदि मैं सुसमाचार न सुनाऊं, तो मुझ पर हाय!'' (1कुरंथियों 9:16)
अगर आप यीषु के पास आने के विषय पर बात करना चाहते हैं - तो कृपया उठकर अॉडिटोरियम के पिछले भाग में आ जाइये। डॉ0 जॉन सेमुएल कैगन आपको दूसरे कक्ष में ले जाऐंगे जहां हम बात कर सकते हैं और प्रार्थना कर सकते हैं। डॉ0 चान, कृपया प्रार्थना कीजिये कि आज की रात कोई यीषु पर विष्वास लाये।! आमीन।
(संदेश का अंत)
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संदेष के पूर्व बाईबल में से पढा गया श्री ऐबेल प्रुद्योमें द्वाराः प्रकाषितवाक्य 3:14-22
संदेष के पूर्व एकल गीत श्री बैंजामिन किनकैद ग्रिफिथ द्वारा गाया गया :
(‘‘मुझे प्रिय है सुनाना कथा'' द्वारा ए.कैथरीन हैंकी, 1834-1911)
रूपरेखा आजकल सुसमाचार का प्रचार कम क्यों है? द्वारा डॉ0आर.एल.हिमर्स,जूनियर ‘‘यदि मैं सुसमाचार न सुनाऊं, तो मुझ पर हाय!'' (1कुरंथियों 9:16) 1. प्रथम, बाईबल बताती है कि मसीह का प्रचार अंत के दिनों में कई चर्चेस में बंद कर दिया जायेगा, प्रकाषितवाक्य 3:20;2 तीमुथियुस 4:3-5 2. द्वितीय, ‘‘पापी की प्रार्थना'' ने मसीह के सुसमाचार प्रचार को लुप्त और प्रचलन में पुराना और आवष्यक नहीं बना दिया - ऐसा ‘‘आधुनिक'' प्रचारक कहते हैं प्रकाषित 20:21;2:14-404:5-12;7:1-53;8:5; 9:20-22;10:34-43;13:14-41;17:22-31;20:20-21;5:42 1कुरंथियों 15:1-4; |