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हे पहरूए, रात की क्या खबर है? WATCHMAN, WHAT OF THE NIGHT? द्वारा डॉ0आर.एल.हिमर्स,जूनियर रविवार की सुबह,नवं. 10,2013 को लॉस एंजिलिस के बैपटिस्ट टेबरनेकल में ‘‘दूमा के विषय भारी वचन। सेईर में से कोई मुझे पुकार रहा है, हे पहरूए, रात का क्या समाचार है? हे पहरूए,रात की क्या खबर है? पहरूए ने कहा, भोर होती है और रात भी। यदि तुम पूछना चाहते हो तो पूछो; फिर लौटकर आना'' (यषायाह 21:11,12)। |
‘‘दूमा'' षब्द एदोम का ही एक रूप है। एदोम के निवासी भय व परेषानियों से घिरे हुए थे। वे यषायाह नबी से पुकार कर पूछ रहे थे, ‘‘हे पहरूए, रात की क्या खबर है? हे पहरूए, रात की क्या खबर है?'' डब्ल्यू.ई.वाइन ने कहा कि,‘‘पहरूआ वह होता है जो परमेष्वर के साथ मंत्रणा की संगति में रहता है, वह यह जानता है कि आगे क्या होने वाला है और उस घटनाक्रम पर निगरानी रखता है.....वह निगरानी-टॉवर पर तैनात रहते हुए परमेष्वर की संगति में बना रहता है'' (यषायाहः भविष्यवाणियां, प्रतिज्ञायें, चेतावनियां, पृष्ठ 14 पर)।
हमारे साथ एक परेषानी यह है कि आज कल कई ‘‘पहरूए'' उत्पन्न हो गए हैं। मैंने एक ‘‘भविष्यवाणी विष्ोषज्ञ'' को देखा, हिल लिंडसे, नामक भविष्यवक्ता को कुछ रातों पहले टी.वी. पर देखा था। उनके कार्यक्रम में भाग ले रहे एक मेहमान ने हमारी आज की समस्याओं को समझने के लिये रोमियों के स्थान पर प्रकाषितवाक्य का अध्ययन करने की आवष्यकता बताई। हिल लिंडसे की इस मेहमान से सहमति थी। मेरे नजरिये में यह बहुत उथली व गलत जांच है हमारी उन समस्याओं की, जो आज हमारे चर्च व हमारे समाज में फैली हुई है। इसका विपरीत भाग सत्य है। प्रकाषितवाक्य एक बहुत महत्वपूर्ण पुस्तक है, और रोमियों की पुस्तक भी इस समय की आवष्यक व मुख्य पुस्तक है। हमारे चर्च के असंख्य हजारों, लाखों लोग ऐसे हैं जो बचाये नहीं गये हैं - हमें रोमियों पर अपना ध्यान लगाना चाहिये, नहीं तो हम कभी भी समझ नहीं पायेंगे कि वास्तविक उद्धार क्या है? कई ‘‘भविष्यवाणी विष्ोषज्ञ'' सचमुच में ‘‘पहरूए'' बनने के योग्य नहीं हैं - क्योंकि वे ष्ौतान द्वारा चर्च में लाये गये ‘निर्णयवाद'' को पहचानने में असफल रहने लगे।
किन्तु एदोम के प्रमुख आज के मसीहियों से कई गुना बुद्धिमान थे। वे अपने पाप के बोझ को उतारना चाहते थे। वे यह महसूस करते थे कि उन का न्याय कभी भी हो सकता है। इसलिये वे एक सच्चे भविष्यवक्ता को पुकार उठते हैं जो उनका वास्तविक पहरूआ,यषायाह कहलाता था। उनकी पुकार इस प्रकार की थी,
‘‘हे पहरूए, रात का क्या समाचार है? हे पहरूए, रात की क्या खबर है?'' (यषायाह 21:11)
वे एक घायल और बीमार व्यक्ति की तरह चिल्ला रहे थे। जैसे किसी लंबी रात में, एक बीमारी से परेषान रोगी पूछता है, ‘‘यह रात कब खत्म होगी? इस रात की क्या खबर है?‘‘( एनआइवी ) तब यषायाह - भविष्यवक्ता इस प्रकार उत्तर देता है, ‘‘भोर भी होती है, और रात भी।‘‘
इजरायली लोग यषायाह के पास क्यों पहुंचे? क्या एदोम में दूसरे कोई भाग्य बताने वाले, ज्योतिषी और टोन्हें नहीं थे? वे अपनी पीडायुक्त पुकार लेकर यरूषलेम में क्यों पहुंचे? लोग भाग्य बताने वाले के पास तब पहुंचते हैं जब सब अच्छा चल रहा होता है। किन्तु जब पीडा व मृत्यु आती है तब इन भाग्य बताने वालों, ज्योतिषियों और टोन्हों के पास कौन जाता है? मृत्यु के साये में कौन इस जगत की बुद्धिमानी को जानना चाहेगा। हम तो यह जानना चाहते हैं कि परमेष्वर क्या कहता है! जब सब अच्छा चल रहा हो तो ये भाग्य बताने वाले और ज्योतिषी तरह - तरह की रोचक बातें बता सकते हैं। परन्तु भय और पीडा के क्षणों में लोग, ईष्वर की ओर निहारते हैं। वे इस तरह पुकारते हैं,
‘‘हे पहरूए,रात की क्या खबर है? हे पहरूए,रात की क्या खबर है?'' (यषायाह 21:11)
विचार कीजिये यह पद आज सुबह हमसे क्या कहता है!
1. प्रथम, यह पद सभी राष्ट्रों पर लागू होता है।
1914 में, जब विष्व युद्ध प्रारंभ हुआ, तब एक बार लार्ड एडवर्ड ग्रे एक पूरी रात की केबिनेट सभा लेकर बाहर आये। वह ग्रेट ब्रिटेन के विदेष मंत्री थे। बहुत सुबह, लार्ड एडवर्ड किसी दूसरे केबिनेट सदस्य के साथ बाहर आये। उन्होंने संपूर्ण रात युद्ध के ऊपर बहस करते हुए बितायी थी। उस समय कोई बिजली से जलने वाली स्ट्रीट लाईट नहीं हुआ करती थी, केवल गैस लैंप हुआ करते थे। जब लॉर्ड एडवर्ड इमारत से बाहर निकले तो लैंप लाईटर एक गली से दूसरी गली में गैस लैंप बुझाता हुआ जा रहा था। लॉर्ड एडवर्ड ग्रे अपने मित्र की ओर मुडे और कहने लगे, ‘‘सर्वत्र यूरोप में लैप बुझ रहे हैं। हम अब दुबारा अपने जीवन में उन्हे जलते हुए नहीं देखेंगे।'' वह वास्तव में कितने सही थे! आगे आने वाले वर्षो में रषिया कम्यूनिस्टो की चपेट में आ गया, जर्मनी एक गहरे अवसाद की दषा में चला गया और हिटलर का षासन व्याप्त हो गया, मुसोलिनी ने इटली पर राज्य किया, फ्रांस व इंग्लैंड द्वितीय विष्व युद्ध से बेहद कमजोर हो गये कि वे पुनः अपनी पूर्व प्रतिष्ठा को प्राप्त नहीं कर सके। प्राचीन यूरोप समाप्त हो रहा था और अब वह कभी भी अपनी पहली सी भव्यता को प्राप्त नहीं कर सकता था।
जब मुस्लिमों का आधिपत्य बढने लगा तो ये लैंप पूर्ण रूप से बुझा दिये गये। अमेरिका भी समाप्त हो रहा है। वाईट हाउस में जो दुष्ट आदमी बैठा है, ऐसा लगता है उसने पूर्ण दिषा ही खो दी। इसलिये रिपब्लिकन को लाना आवष्यक है। मैंने और मेरी पत्नी ने ऐन कूल्टर को पिछले सप्ताह निक्सन लाईब्रेरी और उनके जन्म स्थान पर संबोधित करते हुए सुना था। उनको सुनने के लिये इकटठा हुई भीड वुडस्टॉक के हिप्पियों की भीड थी बजाय निक्सन की ‘‘साइलेंट मेजोरिटी'' के। मैं अपनी पत्नी से कहने लगा, ‘‘अगर ये कन्जरवेटिव है तो फिर ईष्वर ही हमारी सहायता करे!''
क्या आप सोचते हैं कि अमेरिका जीवित रहेगा और फलेगा फूलेगा? जबसे मैंने डेमोक्रेटिक नेषनल कन्वेंषन 2012 को देखा है, मुझे हम लोगों के लिये कोई आषा नजर नहीं आती। पिछले सप्ताह ‘‘माय होप'' के ऊपर बिली ग्राहम का अप्रभावकारी और उलझनपूर्ण संदेष देखने के पष्चात मुझे हमारे लिये कोई आषा दिखाई नहीं देती। ऐसा इसलिये नहीं कि वह बूढे हो गये हैं । बल्कि इसलिये कि उनका संदेष इस मरते हुए राष्ट्र को, आत्मिक उलझन से बाहर निकालने के लिये बहुत अस्पष्ट संदेष है। कई वर्ष पूर्व उनके संदेष केंद्रित हुआ करते थे। उसके बाद मि.ग्राहम ने कहा,‘‘अगर परमेष्वर अमेरिका का न्याय नहीं करेगा तो उसे सदोम और अमोरा जैसी स्थिति पुनः देखनी होगी।'' जैसा बाईबल कहती है,
‘‘दुष्ट अधोलोक में लौट जाऐंगे, तथा वे सब जातियां भी जो परमेष्वर को भूल जाती है'' (भजनसंहिता 9:17)।
एक आदमी ने मुझे पिछले सप्ताह केन्सास से फोन किया,वह मेरी पुस्तक, एक समाप्त होते राष्ट्र के लिये प्रचार की प्रति आर्डर कर रहा था। उसने मुझसे कहा,‘‘आप सही कर रहे हैं। हमारा राष्ट्र मर रहा है।'' वह बोला कि वह एक छोटे षहर में जहां मात्र 250 लोग रहते हैं, वहां रहता है। वह जगह इतनी छोटी है कि वहां पुलिस की भी व्यवस्था नहीं है। दस वर्षो तक वहां आस पास के बडे षहरों से साल में दो या तीन बार पुलिस आया करती थी किन्तु, ‘‘अब पुलिस दिन में दो या तीन बार आ जाती है।'' चर्च के कितने ही सदस्य पीते हैं, नषा करते हैं। उसने बताया कि उसने किसी एक से बातचीत की कि उसे बचाये जाने की आवष्यकता है। उसने बताया कि वह आदमी उस पर गुर्राकर बोला, ‘‘ मैं बचा हुआ ही हूं!'' उसने कहा कि उसे ऐसा लगा कि उस व्यक्ति के अंदर से ष्ौतान घूर रहा है जो उसकी नष्ो से भरी आंखों से झांक रहा है, एक इंवेजलीकल चर्च के सदस्य की आंखों से ष्ौतान घूरता हुआ नजर आ रहा था! हमारे यहां एक छोर से दूसरे छोर तक ऐसे कई इंवेजलीकल चर्च फैले हुए हैं, अमेरिका के दिन गिने हुए हैं! जैसा दानियेल के दिनों में था,
‘‘परमेष्वर ने तेरे राज्य के दिन गिनकर उसका अन्त कर दिया है। तू मानो तराजू में तोला गया और हल्का पाया गया है।'' (दानियेल 5:26-27)।
ऐसे राष्ट्र में रहना कैसा लगता है जिसका न्याय परमेष्वर के क्रोध के द्वारा होगा? यह ऐसा लगता है! यह वह वह वातावरण है जिससे प्रतीत होता है कि हम अभिषप्त राष्ट्र में रह रहे हैं! ऐसा लगता है कि आप टाइटैनिक जहाज के समान दृष्य देख रहे हों जिसमें सब बर्फ के उस बडे टुकडे से टकराने के पहले - पी रहे थे, नाच रहे थे! ओबामा - राष्ट्र में कुछ इतना ही घृणित वातावरण महसूस होता है!
चर्च के लिये किसी के पास इतना वक्त ही नहीं है। कोई पाप स्वीकारना नहीं चाहता। कोई संपूर्ण हृदय से मसीह को खोजता नहीं है। कोई परमेष्वर से डरता नहीं। बाईबल कहती है, ‘‘उन की आंखों के सामने परमेष्वर का भय नहीं'' (रोमियों 3:18)। बाईबल कहती है, ‘‘कोई समझदार नहीं; कोई परमेष्वर का खोजने वाला नहीं'' (रोमियों 3:11)
‘‘हे पहरूए, रात की क्या खबर है? हे पहरूए, रात की क्या खबर है?'' (यषायाह 21:11)
‘‘जब लोग कहते होंगे, कि कुषल है,और कुछ भय नहीं,तो उन पर एकाएक विनाष आ पडेगा,जिस प्रकार गर्भवती पर पीडा; और वे किसी रीति से न बचेंगे।'' (1थिस्सलुनीकियों 5:3)
अमेरिका अभिषप्त है, और आज सुबह आप में से कई लोग जो यहां उपस्थित हैं इसे जीर्ण षीर्ण अवस्था में देखेंगे! कवि जेम्स रसैल लॉवेल (1819 - 1891) ने लिखा था,
एक बार तो हर मनुष्य व राष्ट्र को
निर्णय लेने की घडी आती है,
असत्य के सत्य के साथ विवाद में ऐसा होता है
भले या बुरे को चुनना होता है
(‘‘वन्स टू एवरी मैन एंड नेषन'' जेम्स रसैल लॉवेल द्वारा में रचित, 1819-1891)
अमेरिका ने एक बार बुराई को चुना और स्कूलों से प्रार्थना प्रतिबंधित कर दी गई। अमेरिका ने एक बार बुराई को चुना और स्कूलों से बाईबल प्रतिबंधित कर दी। अमेरिका ने बुराई को चुना और एक्स - रेटेड फिल्में थियेटर में दिखाने की अनुमति दे दी। अमेरिका ने एक बार बुराई को चुना और अनगिनत लाखों नवजात षिषुओं को जो नवें माह के गर्भधारण में थे, उनके षरीरों को नमकीन पानी में वीभत्स मृत्यु के लिये अनुमति दे दी। यह एक या दो वर्षों में रोका जा सकता था परन्तु बच्चों का इस तरह मारा जाना जारी रहा। अब यह राष्ट्र रक्तरंजित हो गया है - बच्चों के रक्त से लथपथ। क्या आपको आष्चर्य नहीं होता कि टी.वी. पिषाच व भूतों की कहानियों वाले कार्यक्रमों से भरे हुए हैं?क्यों अधिकांष लोग मारे जा रहे है? सिर्फ बंदूके ही नहीं मारती। हां। यह लोग है - अमेरिका के लोग - जो नष्ो में डूबे हैं, लडखडा रहे हैं, विडियो गेम्स और भयानक फिल्मों ने उनकी संवेदना को मार दिया है। इसलिये वे हैलोवीन मनाते हैं और चर्च जाना छोड़ देते हैं। फ्रेंच दार्षनिक ब्लेज पास्कल ने कहा, ‘‘इस संसार की चुप्पी मुझे डरा देती है।'' यह सोचना है कि कितना अधिक हमें ईष्वर के विमुख हो जाने से डरना आवष्यक है?
‘‘हे पहरूए, रात की क्या खबर है? हे पहरूए, रात की क्या खबर है?'' (यषायाह 21:11)
2. दूसरा, यह पद मृत्यु व नरक पर लागू होता है - खोई हुई आत्माओं के लिये षाष्वत अंधकार।
मृत्यु व नरक जाने की रात नजदीक है। बाईबल कहती है, ‘‘धोखा न खाओ परमेष्वर ठटटों में नहीं उडाया जाताः जैसा आदमी बोता है, वैसा ही काटेगा'' (गलातियों6:7) बाईबल कहती है, ‘‘जीवते परमेष्वर के हाथों में पडना भयानक बात है। क्योंकि हमारा परमेष्वर भस्म करने वाली आग है'' (इब्रानियों 10:31; 12:29)।
मृत्यु की रात और नरक हर उस पुरूष व स्त्री के लिये तैयार है जो परमेष्वर से,चर्च से और मुक्तिदाता से मुंह मोड लेते हैं! बिना यीषु मसीह के आप अपने पापों में खोए हुए हो और वह अंत में आपसे कहेगा, ‘‘मेरे पास से चले जाओ......मैंने तुमको कभी नहीं जाना'' (मत्ती 7:23)। और वे ‘‘बाहर अंधियारे में डाल दिये जायेंगे'' मत्ती (8:12; 22:13; 25:30)
मैं आपको भारी हृदय से यह कह रहा हूं। मैं प्रार्थना करता हूं कि आप बचाये जाऐं। परन्तु मैं जानता हूं कि अगर आप संपूर्ण हृदय से पष्चाताप नहीं करेंगे और यीषु मसीह के पास नहीं आएंगे, तो आपके लिये कोई आषा नहीं है - केवल अंधकार और नरक की आग आपका इंतजार कर रही होगी।
आप कहते हैं, ‘‘पास्टर, क्या परमेष्वर मुझसे प्रेम नहीं करता?'' मैं कहता हूं, बेषक परमेष्वर आपसे प्रेम रखता है। परंतु वह आपकी सहायता किस प्रकार कर सकता है, कैसे वह आपके पापों को क्षमा कर सकता है, कैसे वह आपकी आत्मा को बचा सकता है अगर आप अपना जीवन ऐसे ही पापों में बिताते रहे तो - बिना पष्चाताप किये, बिना स्वंय को मसीह की दया पर छोडे़ बगैर? बाईबल कहती है,
‘‘क्योंकि परमेष्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विष्वास करे, वह नाष न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।'' (यूहन्ना 3:16)
यही उत्तर है! संपूर्ण हृदय से यीषु पर विष्वास रखो! और हर बार चर्च आओ! द्वार खुला है!
अपने आपको उसकी दया पर छोड दो! जैसे भी हो मसीह के पास आ जाओ! यही उद्धार पाने का रास्ता है - केवल यही एक रास्ता! आखिरी बार तो इस पद के ऊपर विचार करो। विष्ोषकर दो अंतिम षब्दों पर सोचो, ‘‘लौटो, आओ।''
‘‘दूमा के विषय भारी वचन। सेईर में से कोई मुझे पुकार रहा है, हे पहरूए, रात का क्या समाचार है? हे पहरूए,रात की क्या खबर है? पहरूए ने कहा, भोर होती है, और रात भीः यदि तुम पूछना चाहते हा तो पूछो; लौटो, आओ'' (यषायाह 21:11,12)।
पद इन दो षब्दों पर समाप्त होता है, ‘‘लौटो, आओ'' (यषायाह 21:12) मसीह की ओर फिरकर आओ! मसीह की ओर आओ! उसके क्रूस पर बहाये रक्त से षुद्ध हो जाओ! जैसा कि एक प्राचीन भजन में लिखा है,
मेरे पाप कौन धोवेगा?
केवल यीषु का लहू और कोई नहीं,
मुझे संपूर्ण कौन बनाएगा?
केवल यीषु का लहू और कोई नहींं,
ओह! कितना कीमती सोता है
जो मुझे बर्फ जैसा ष्वेत बना देता है;
और कोई सोता मैं नहीं जानता,
केवल यीषु के लहू के,
(‘‘केवल यीषु के लहू के'' राबर्ट लॉरी द्वारा रचित, 1826 - 1899)
मैं अपने इस संदेष को समाप्त करूंं, इसके पहले मैं कहना चाहूंगा कि यह संदेष प्रसिद्ध पास्टर, डा0डब्ल्यू.ए.क्रिसवेल, (डब्ल्यू.ए.क्रिसवेल, पी.एच.डी. यषायाह : एक व्याख्या, जोंडरवन पब्लिषिंग हाउस, 1977, पृष्ठ क्रमांक 129 - 134) द्वारा रचित पुस्तक के संदर्भित भाग पर आधारित था।
अपने संदेष में, डॉ0क्रिसवेल ने कहा थाः
डॉ0जॉर्ज ट्रूएट,जो फर्स्ट बैपटिस्ट चर्च डलास के पूर्व पास्टर थे, उन्होेंने एक बार संदेष में (बताया) कि जब उनका नया जन्म हुआ थाः ‘‘मैं एक रात्रि दर्षकों के बीच बैठा हुआ था और प्रचारक की सुन रहा था जब वह मसीहद्वारा आत्मा के बचाये जाने की बात कह रहे थे। मैंने भी यीषु से प्रार्थना की व कहा, ‘यीषु मसीह, मुझे कुछ सूझ नहीं पडता; मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि प्रकाष को चुनुं अथवा अंधकार को, मरण को या जीने का चुनाव करूं, आप जैसे भी हो आ जाओ, मैं अपने आप को आपके लिये समर्पित करता हूं।' (और तब डॉ0ट्रूएट ने कहा) उसने मुझे बचा लिया।'' (क्रिसवेल, पृष्ठ 217)
इस तरह एक बेहद विख्यात प्रचारक डॉ0ट्रूएट बचाये गए। और इसी तरह आपका बचाया जाना भी आवष्यक है। आपको यीषु के पास आना चाहिये और अपने हृदय में कहना चाहिये, ‘‘चाहे अंधेरा हो या प्रकाष हो, मरण हो या जीवन हो, जो भी हो, मैं अपने आप को आपके हाथों में समर्पित करता हूं।'' अपने पापों को स्वीकार कीजिये और स्वयं को यीषु की दया पर छोड़ दीजिये। कलवरी कू्रस पर बहाये गये पवित्र लहू से स्वयं के पापों से षुद्ध हो जाइये!
मेरे पाप कौन धोवेगा?
प्रभु यीषु ख्रीष्ट का लहू,
मुझे संपूर्ण कौन बनाएगा?
केवल यीषु का लहू,
अगर आप हमसे बात करना चाहते हैं कि कैसे यीषु का लहू, आपके पापों को षुद्ध कर सकता है, तो कृपया अपनी सीट पर से उठकर अॉडिटोरियम में पीछे की ओर आ जाइये। डा0कगान आपको दूसरे कमरे में ले जाएंगे और आपके साथ बात करेंगे व प्रार्थना करेंगे। अभी आइये। डा0चान, कृपया प्रार्थना कीजिये कि कोई व्यक्ति आज प्रभु यीषु पर विष्वास रखे। आमीन।
(संदेश का अंत)
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संदेष के पूर्व धर्मषास्त्र पाठ का पठन श्री ऐबेल प्रुदोमे द्वारा किया गयाः यषायाह 21:11-12।
संदेष के पूर्व एकल गान श्री बैंजामिन ग्रिफिथ द्वारा प्रस्तुत किया गयाः
‘‘यीषु,केवल यीषु'' (द्वारा डॉ जॉन आर राईस, 1895-1980) ।
रूपरेखा हे पहरूए, रात की क्या खबर है? द्वारा डॉ0आर.एल.हिमर्स,जूनियर ‘‘दूमा के विषय भारी वचन। सेईर में से कोई मुझे पुकार रहा है, हे पहरूए, रात का क्या समाचार है? हे पहरूए,रात की क्या खबर है? पहरूए ने कहा, भोर होती है और रात भी। यदि तुम पूछना चाहते हो तो पूछो; फिर लौटकर आना।'' (यषायाह 21:11,12) 1. प्रथम, यह पद सभी राष्ट्रों पर लागू होता है, भजन 9:17; दानियेल 5:26,27; रोमियों 3:18, 11; 1 थिस्सलुनिकियो 5:3। 2. दूसरा, यह पद मृत्यु व नरक पर लागू होता है - खोई हुई आत्माओं के लिये षाष्वत अंधकार, गलातियों 6:7; इब्रानियों 10:31;
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