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क्रूसित मसीहTHE CHRIST OF THE CROSS द्वारा डा0आर एल हिमर्स,जूनियर लॉस ऐंजेल्स के बैपटिस्ट टेबरनेकल में रविवार की सुबह, अक्टूबर20,2013 “हे भाइयों मैं तुम्हें वही सुसमाचार बताता हूं जो पहिले सुना चुका हूं,जिसे तुम ने अंगीकार भी किया था और जिस में तुम स्थिर भी हो। उसी के द्वारा तुम्हारा उद्धार भी होता है, यदि उस सुसमाचार को जो मैं ने तुम्हे सुनाया था स्मरण रखते हो; नहीं तो तुम्हारा विष्वास करना व्यर्थ हुआ। इसी कारण मैं ने सब से पहिले तुम्हें वही बात पहुंचा दी,जो मुझे पहुंची थी, कि पवित्र षास्त्र के वचन के अनुसार यीषु मसीह हमारे पापों के लिये मर गया” (1कुरिन्थियों 15:1-3)। मसीही सुसमाचार के विषय में यह प्रेरित पौलुस का स्पष्ट व संक्षिप्त वक्तव्य है। ‘‘सुसमाचार” षब्द का साधारण सा अर्थ है ‘‘षुभ संदेष”और पौलुस ने कुरिंथ की कलीसिया को यही बताया कि उसने उन्हें सुसमाचार के षुभ संदेष का ही प्रचार किया है। उसने कहा कि वे सुसमाचार द्वारा बचाये गए हैं। ‘‘नहीं तो तुम्हारा विष्वास करना व्यर्थ हुआ” 1कुरूंथियों 15:2 । तब उसने पुनः उस षुभ संदेष को दोहराया जो वह उन्हे पहले सुना चुका था। सुसमाचार के तीन साधारण बिंदु रहे हैःं धर्मषास्त्र के अनुसार,‘‘मसीह हमारे पापों के लिये मरे” “और वह गाडे़ गए” धर्मषास्त्र के अनुसार,‘‘वह पुनः तीसरे दिन जी उठे” यह सुसमाचार है। यह वह शुभसंदेष है जिसे सदियों से प्रचारकों ने प्रकट किया है। जब मेरा अभिषेक हुआ था तब मेरे अभिषेक प्रमाण-पत्र में लिखा था कि ‘‘सुसमाचार सेवकाई” के लिये मेरा अभिषेक किया गया है। इसका यह अर्थ था कि मैं प्राथमिक तौर पर सुसमाचार सुनाने के लिये नियुक्त किया गया हूं अथवा अलग किया गया हूं। जब मेरा अभिषेक हुआ ‘‘सुसमाचार सेवकाई” में तो मुझे मुख्य कार्य यह करना है कि मैं मसीह की मृत्यु, उनका गाड़ा जाना और पुनरूत्थित होने का प्रचार करूं। प्रत्येक पास्टर इसी कार्य के लिये बुलाया गया, अभिषिक्त किया गया व अलग किया गया है। पौलुस ने कहा,‘‘मैं तुम्हे वही सुसमाचार बताता हूं जो पहिले सुना चुका हूं” 1कुरूंथियों 15:1। किंतु सुसमाचार प्रचार की इस बुलाहट के विषय में मुझे कुछ बातें कहना आवष्यक है। 1़ प्रथम, आज कई पास्टर्स सुसमाचार को उनके प्रचार का मुख्य विषय बनाने के स्थान पर कुछ और प्रचार कर रहे हैं। ऐसे भी पास्टर्स हैं जो राजनीति पर प्रचार करते हैं। राजनीतिक क्षेत्र में चल रही उथल-पुथल पर उनका संदेष आधारित होता है। इस प्रकार के प्रचारक बहुत ही कम उद्धार के विषय पर जोर देते हैं क्योंकि वे नहीं सोचते कि यह उतना आवष्यक है। वे मात्र राजनीतिक व्यक्ति होते हैं। कई वर्ष पहले, एक चीनी चर्च में, मैं जहां का सदस्य था, एक युवक आया करता था जो सोचता था कि डा0लिन को वियतनाम युद्ध के विरूद्ध प्रचार करना चाहिये। अंततः उसने चर्च को छोड़ दिया और अपने साथ कई युवकों को भी ले गया। उन्होंने लॉस ऐंजेल्स के षानदार इलाके, पासादेना में अॉल सेंटस एपिस्कोपल चर्च जाना आरंभ कर दिया। वह चर्च बड़ा व्यवस्थित चर्च माना जाता था। डा0 जॉर्ज रेगास जो वहां के पास्टर थे, लगभग प्रत्येक रविवार वियतनाम युद्ध के विषय में और अन्य राजनीतिक विषयों पर प्रचार किया करते थे। लेकिन कुछ समय के पष्चात उन युवकों को केवल राजनीतिक बातों पर आधारित संदेष से भी बोरियत होने लगी। आखिरकार, उन सब युवको ने चर्च जाना बंद कर दिया और पुनः संसार की ओर लौट गए। जहां तक मैं जानता हूं, उनमें से कोई भी अब चर्च नहीं जाता है। ‘‘मेन लाईन” कहलाये जाने वाले चर्चेस में लगभग ऐसा ही होता है। राजनीतिक चर्चाओं व अन्य ऐसे ही दूसरे विषयों पर आधारित प्रचार लोगों को नहीं बांध सकता। प्रत्येक मेनलाईन चर्च ने कई दषकों से हजारों हजार,और यहां तक कि लाखों सदस्यों को खो दिया है क्योंकि उनके संदेष प्रमुखतः सामाजिक व राजनीतिक बातों पर आधारित होते हैं। ऐसे भी कुछ पास्टर्स हैं जो मनोविज्ञान पर आधारित प्रचार करते हैं। राबर्ट षूलर और जोएल अॉस्टिन के संदेषों के समान उनके संदेष भी स्वयं सहायता करे जैसे विचारों से ओत प्रोत रहते हैं। वे बहुत से बाईबल पदों का उपयोग तो करते हैं किंतु उनके अधिकतर संदेष बाईबल केन्द्रित नहीं होते हैं। जैसे ओपरा विनफ्रे और डा0ड्रयू टी0वी0पर प्रचार तो करते हैं किंतु उनके प्रचार के विषय होते हैं कि व्यक्ति कैसे अच्छा महसूस कर सकता है और कैसे सफल कहला सकता है। पिछले मंगलवार मेरी मुलाकात एक रोमन कैथोलिक नर्स से हुई जो प्रत्येक रविवार मास में हिस्सा लेती है और टी0वी0पर जोएल अॉस्टिन का संदेष भी सुनती है। वह एक फिलिप्पिना नर्स है जो अस्पताल में कार्यरत हैं जहां एक बार मेरी छोटी सी षल्य क्रिया हुई थी। जब कभी मैं उसे देखता,मुझे उसके चेहरे पर उदासी का भाव ही दिखाई देता । मैंने उसे कुछ चुटकुले भी सुनाये तौभी उसके चेहरे पर मुस्कुराहट लाने में कामयाब नहीं हो पाया। जब अंततः मैंने उससे उसके धर्म के विषय में पूछताछ की तो उसने मुझे बताया कि वह हर मास में भाग लेती है और प्रत्येक रविवार जोएल अॉस्टिन का प्रचार देखती हैं क्योंकि वह सिखाते हैं कि कैसे प्रसन्न रहा जाये। इनके जैसे प्रचारक लोगों को अच्छा लगना सिखा सकते हैं किंतु लोगों के व्यक्तिगत जीवन पर उनका बहुत कम प्रभाव पड़ता है और लोगों की आत्मिक दषा व उनके उद्धार पाने जैसी बातों पर प्रचारकों का अधिक जोर नहीं रहता है। तीसरे स्थान पर,ऐसे प्रचारक हैं जो बाईबल के एक एक पद को सिखाते हैं। चूंकि बाईबल में अनेकों विषय हैं अतः ऐसे प्रचारक सदैव एक विचार से दूसरे विचार पर जल्दी जल्दी मनन करना चाहते हैं और उनके संदेष में समस्त विचारों को प्रकट करना चाहते हैं। कई पास्टर्स आज भी इसी प्रकार का प्रचार करते हैं। किंतु यह बिल्कुल बेमानी है। इस तरह का प्रचार हमेषा बहुत सारे विचारों से भरा होता है और यह लोगों के जीवन बदलने में सहायक नहीं होता है। मेरे सहयोगी डॉ0कगान, उनके जीवन परिवर्तन से पूर्व,कई महिनों तक डॉ0मैक आर्थर के चर्च में भाग लेते रहे। डॉ0मैक आर्थर कई रोचक व्याख्यात्मक उपदेष देते थे किंतु डॉ0 कगान को उद्धार प्राप्त किये जाने के विषय में कोई प्रेरणा प्राप्त नहीं हुई। वह इस चर्च में आए और चर्च को बिना उद्धार प्राप्त किये छोड़ भी गए। यद्यपि मसीही बनने में उनकी बड़ी गहरी रूचि थी। समस्त चर्चेस में आम तौर पर प्रचार,बाईबल अध्ययन की तरह किया जाता है,जहां एक एक पद को समझाने पर पास्टर का ध्यान केंद्रित होता है। बाईबल में मसीहा के ऊपर उनका प्रचार कम केंद्रित होता है। इसे बुद्धिमतापूर्ण धार्मिक विष्वास की संज्ञा दी जा सकती है। इस प्रकार के चर्चेस में लोगों की प्रतिक्रिया ठंडी हो चुकी होती है किंतु दूसरे विषयों पर वे फरीसियों के समान चुस्त बने रहते हैं। अंततः वे लोग हैं जो ‘‘आराधना” करने पर केंद्रित होते हैं। इस प्रकार की आराधना में कई अजीब प्रकार के मोड़ भी आ जाते हैं। मेरे एक पास्टर मित्र और मैं इस प्रकार की उपद्रवी आराधना के आंखों देखे गवाह रहे हैं जहां लोग ष्ोर के समान दहाड़ रहे थे,एक दूसरे को नोंच रहे थे। एक अन्य‘‘आराधना”में मेरी पत्नि,लडकों और मैंने,लोगों को प्रतिमाओं की आराधना करते हुए देखा जबकि वे फर्ष पर औंधे हो होकर लोट रहे थे और हंस रहे थे। हमें ऐसा लगा मानों हम पागल खाने में आ गये हों। एक अन्य जगह,एक क्रिष्चियन कॉलेज में मैंने लड़कियों को नर्तकियों के समान नाचते हुए देखा और उसी बीच में मषीन से लाल रंग का धुंआ उंडे़ला जा रहा था और कान फाड़ने वाला संगीत बज रहा था। कुछ अन्य प्रकार की ‘‘आराधना” में घंटो तक एक ही एक कोरस लंबे समय तक गायी जाती हैं जब कि कि लोग हिप्नोटाइज्ड न हो जायें। इन सब आराधनाओं में वास्तविक प्रचार के लिये तो बहुत ही कम समय बचता है। कहने की जरूरत नहीं,किंतु इन चर्चेस में प्रचार किये संदेषों में मसीह का सर्वप्रथम स्थान नहीं होता है। और जिस ‘‘मसीहा” की ये अपनी आराधनाओं में बात करते हैं,वह वास्तविक मसीहा भी नहीं हैं। सुसमाचार का मसीहा लोगों की भावनाओं के मसीहा के रूप में तब्दील हो गया है। डॉ0 माईकल हॉस्टन द्वारा लिखित क्राइस्टलेस क्रिष्चियनिटि जो बेहद भेदने वाली पुस्तक है,में कहा गया है, जितना अधिक हम यीषु मसीह के द्वारा परमेष्वर के साथ व्यक्तिगत संबंध में प्रवेष करते हैं, वहां वास्तव में संबंध इतने प्रतीत नहीं होते किंतु यीषु स्वयं मेरे परिवर्तित अहम में दृष्टिगोचर होते हैे (माईकल हॉस्टन,पी0एच0डी0,बेकर बुक्स,2008,पृष्ठ 43) एक जवान व्यक्ति जिससे मैं अभी अभी मिला उसने मुझसे कहा, ‘‘मुझे बाईबल और चर्च की कोई आवष्यकता नहीं है। मेरा व्यक्तिगत संबंध मसीह के साथ स्थापित है और मुझे इसी की आवष्यकता है।” अधिकांषत आज तक के प्रचार ने इसी तरह के लोगों को उत्पन्न किया है,जो विष्वास करते हैं कि उनके अपने विचार और भावनायें ही मसीह है। यह एक ओर यीषु का जन्म हो गया। यह कृत्रिम मसीह है। यह वह सुसमाचार नहीं है जिसके विषय में पौलुस धर्मषास्त्र में प्रचार करता है। तो इस प्रकार की विचारधारा,गलत विचार,उन पास्टर्स के प्रचार द्वारा उत्पन्न हो रहे हैं जो उनके प्रचार में सुसमाचार को केंद्र बनाकर प्रचार नहीं करते हैं। प्रेरित पौलुस इसी प्रकार के अन्य ‘‘और कोई सुसमाचार,जिसे तुम ने पहिले न माना था” (2कुरूंथियों 11:4) के विषय में बोलता है। मैंने जितनी भी बातें यहां की हैं वे सब ‘‘अन्य सुसमाचार” में आती हैं। धर्मषास्त्र में पौलुस इसी विषय में कहता है, “इसी कारण मैं ने सब से पहिले तुम्हे वही बात पहुंचा दी,जो मुझे पहुंची थी,कि पवित्र षास्त्र के वचन के अनुसार यीषु मसीह हमारे पापों के लिये मर गया” (1कुरिन्थियों 15:3)। यह सुसमाचार है। 2़ दूसरा, सुसमाचार का केंद्र बिंदु मसीह का क्रूस है। अभी मैंने जितने भी प्रकार के प्रचार का वर्णन किया,उनमें मसीह का क्रूस कहीं भी केंद्र में नहीं है- न मुख्य भाव है- न मसीहत की आधारषिला के रूप में उसका वर्णन है। डॉ0डब्ल्यू0ए0क्रिसवेल ने कहा, अगर संदेष में से मसीह की मृत्यु निकाल दी जाये तो फिर कुछ ष्ोष नहीं बचता। प्रचारक के पास अब ‘‘षुभ संदेष‘‘ नहीं बचता,पापों की क्षमा का प्रचार नहीं बचता........तो किस प्रकार की मसीहत, नये नियम की मसीहत कहलाती है? बेषक,यह कू्रस की मसीहत ही है। (डब्ल्यू0ए0क्रिसवेल,पी0एच0डी0, इन डिफेंस अॉफ द फेथ, जोंडरवन पब्लिषिंग हाउस,1967,पृष्ठ67) प्रेरित पौलुस ने कहा, “पर ऐसा न हो,कि मैं और किसी बात का घमण्ड करूं,केवल हमारे प्रभु यीषु मसीह के क्रूस का जिस के द्वारा संसार मेरी दृष्टि में और मैं संसार की दृष्टि में क्रूस पर चढ़ाया गया हूं ”(गलातियों 6:14)। ‘‘मसीह हमारे पापों के लिये मरे।” पौलुस के प्रचार का यही मुख्य विषय रहा है। वास्तव में,उसने कुरिंथ के चर्च को कहा, ‘‘क्योंकि मैंने यह ठान लिया था,कि तुम्हारे बीच यीषु मसीह,वरन क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह को छोड़ और किसी बात को न जानूं 1कुरूंथियों2:2। अगर यह बाईबल की मसीहत है तो यही क्रूस की मसीहत भी है। महान स्पर्जन ‘‘प्रचारकों के राजकुमार,” ने कहा था, ‘‘सुसमाचार का हृदय स्थल पापों से छुटकारा है और छुटकारे का मूल भाव कू्रस पर मसीह का हमारे स्थान पर अपने प्राणों का बलिदान देना है।” वर्तमान में कई चर्चेस उनके विष्वास के प्रकटीकरण हेतु कबूतर के चिन्ह का उपयोग करते हैं। मेरे दृष्टिकोण से यह गलत है। कबूतर पवित्र आत्मा का प्रतीक चिन्ह हैं किंतु सुसमाचारीय संदेष में पवित्र आत्मा त्रिएकत्व का केंद्रीय व्यक्ति नहीं है। यूहन्ना के सोलहवें अध्याय में यीषु ने कहा कि पवित्र आत्मा ‘‘अपनी ओर से न कहेगा” यूहन्ना 16:13 । पुनः यीषु ने कहा,‘‘वह मेरी महिमा करेगा” यूहन्ना 16:14 पवित्र आत्मा का कार्य स्वयं की ओर ध्यान आकर्षित करना नहीं है किंतु मसीह को महिमा देना प्रमुख है। प्रेरित पौलुस का कथन था कि हमारी समस्त सेवकाई और समस्त प्रचार में मसीह को महिमा प्रदान किया जाना आवष्यक है। उसने कहा कि मसीह ‘‘और वही देह, अर्थात कलीसिया का सिर है;वहीं आदि है और मरे हुओं में से जी उठने वालों में पहिलौठा कि सब बातों में वही प्रधान ठहरे। क्योंकि पिता की प्रसन्नता इसी में है कि उस में परिपूर्णता वास करे। और उसके कू्रस पर बहे हुए लहू के द्वारा मेल मिलाप करके,सब वस्तुओं का उसी के द्वारा से अपने साथ मेल कर ले चाहे वे पृथ्वी पर की हों, चाहे स्वर्ग में की (कुलुस्सियों 1:18-20)। हमें पापों की क्षमा और परमेष्वर के साथ षांति,‘‘कू्रस पर बहाये गये लहू के द्वारा” मिलती रहे। ‘क्या तुम गये यीषु पास कि मन षुद्ध हो वह कैसा सोता है ‘‘इसी कारण मैं ने सब से पहिले तुम्हें वहीं बात पहुंचा दी, जो मुझे पहुंची थी कि पवित्र ष्षास्त्र के वचन के अनुसार यीषु मसीह हमारे पापों के लिये मर गया” (1कुरूंथियों15:3)। डॉ0क्रिसवेल ने कहा, पौलुस का ‘‘सबसे पहिले” कहने से क्या आषय है? उसका कहने का अर्थ समय से नहीं किंतु उस बात की महत्ता से है कि हमारे स्थान पर मसीह की मृत्यु (पापी के स्थान पर यीषु का मरना) अनुग्रह की आधारषिला और सुसमाचार का हृदयस्थल है। कोई सत्य इससे ऊंचा नहीं है पवित्र धर्मषास्त्र के समस्त महान सिद्धांत क्रूस की ओर ले चलते हैंं। 3़ तीसरा, क्रूस का मसीह हमें हमारे पापों से बचाता है। मुस्लिम यीषु में विष्वास रखते हैं- किसी एक अर्थ में। वे उन्हें ‘‘ईसा” कहकर बुलाते हैं। यहां तक कि कुरान भी कहती है कि वे कुंआरी कन्या से उत्पन्न हुए। वह यह भी कहती है कि वे पुनः स्वर्ग पर चढ़ गये। कुछ मूर्ख लोग सोचते हैं कि इतना पर्याप्त है। किंतु मुस्लिम संसार के सैकड़ों सैकड़ों जवान लोग कुरान के यीषु अर्थात ‘‘ईसा” से दूर जा रहे हैं। उनमें से अधिकतर बाईबल के यीषु की ओर पलटकर आ रहे हैं बजाय उस यीषु के जो कभी अतीत में था। वे लगभग हमेषा मसीहत के यीषु पर विष्वास लाने के कारण प्रताड़ित किये जाते हैं और कष्ट सहते हैं। उन्हें यीषु पर विष्वास लाने के कारण क्यों दुख उठाना पडता है? मैं आपको बताऊंगा,क्यों? कुरान का यीषु हमारे पापों का कर्ज चुकाने के लिये क्रूस पर नहीं मरा। कुरान कहती है कि वह हमें बचाने के लिये क्रूस पर नहीं मरा। किंतु कुरान उन्हे पापों से क्षमा मिलने के विषय में नहीं बताती। वह उन्हे भलाई करने व नियमों का पालन करने की षिक्षा देती है। परन्तु वह उन्हे यह नहीं बताती कि क्षमा कैसे मिलेगी और कैसे वे परमेष्वर के बालक बन सकेंगे। कुरान उन्हे यह नहीं बता सकती क्योंकि कुरान क्रूस पर यीषु मरे थे, इस सत्य से इंकार करती है। वे दुख झेलते हैं क्योंकि वे यीषु पर विष्वास रखते हैं कि वही एकमात्र परमेष्वर से षांति संबंध स्थापित करवाने वाला प्रभु है, ‘‘उसके क्रूस पर बहे हुए लोहू के द्वारा मेल मिलाप करके” (कुलुस्सियों 1:20)। क्या आप क्रूस के मसीह पर विष्वास करने के कारण कष्ट झेलेंगे? क्या आप परमेष्वर के साथ ‘‘क्रूस पर बहे लोहू के द्वारा” प्राप्त षांति के कारण अपने जीवन का खतरा मोल लेंगे? वे लोग यह खतरा भी मोल लेते है। ऐसा प्रत्येक दिन होता है कि वे कष्ट उठाते हैं। क्या आपको बचाने के लिये मसीह के क्रूस पर बहे रक्त के द्वारा पापों की क्षमा पाकर आप मुस्लिमों द्वारा उत्पन्न घृणा की आग को सह सकेंगे? वे लोग इसे भी सहते हैं। इसे वे प्रत्येक दिन सहते हैं। पास्टर वर्मब्रांड की पत्रिका में मैंने कुछ समय पूर्व इंडोनेषिया की एक जवान मुस्लिम लड़की का चेहरा देखा था। उन्होंने उसके चेहरे पर यीषु पर विष्वास लाने के कारण एसिड फेंक दिया था। उसका चेहरा पूर्ण रूप से वीभत्स हो चुका था, बयान के बाहर था। किंतु वह मुस्कुरा रही थी। लोग कहते थे कि वह सदैव मुस्कुराती रहती थी। वह यह महसूस करती थी कि क्रूसित मसीह को पाने के उपरांत चेहरे को खो देना उसके लिये महत्वहीन है। क्यों? क्योंकि, ‘‘पवित्र षास्त्र केे वचन के अनुसार यीषु मसीह हमारे पापों के लिये मर गया” (1कुरंथियों 15:3)। मेरे पाप-ओह,जब मैं उनके बारे में सोचता हूं हां,मसीह स्वर्ग में पुनः लौट गये। किंतु यह कुरान कहती है! अगर बिना कू्रस का दुख उठाये यीषु पुनः स्वर्ग लौट गये-तो इसका अर्थ है कि आपने उद्धार प्राप्त नहीं किया। आपके पास क्रूस होना आवष्यक है! क्योंकि क्रूस के ऊपर ही मेरे आपके पापों का दंड चुकाया गया। बिना क्रूस के पापों का दंड नहीं चुकाया जा सकता था। केवल क्रूसित मसीह आपको आपके पापों से बचा सकता है। केवल कू्रसित यीषु ने आपको पापों से षुद्ध करने के लिये पवित्र लोहू बहाया था। हां, ‘‘पवित्र ष्षास्त्र के वचन के अनुसार यीषु मसीह हमारे पापों के लिये मर गया” (1कुरूंथियों 15:3) लाखों षहीदो और संतो ने कहा है, ‘‘मैं स्वयं को क्रूसित मसीह के लिये दे दूंगा! मैं अपने हाथ और पैर क्रूसित मसीह के लिये देता हूं! मैं क्रूसित यीषु के लिये अपना षरीर जंगली जानवरों को दे दूंगा। मैं क्रूसित मसीह के लिये अपना संपूर्ण जीवन दे दूंगा।” अत्याचारी के फौलादी शरीर से जा टकराये उनका कहना था कि उनको पापों की क्षमा मिलना और क्रूसित मसीह के लोहू से षुद्ध किये जाने का उनके लिये बहुत बड़ा महत्व है। क्या आप मसीह को ग्रहण करेंगे? आज जल्द सुबह, क्या आप उन पर विष्वास लायेंगे? क्या आप डॉ0 वाटस के साथ यह कह सकेंगे,‘‘हां,प्रभु, मैं स्वयं को आप को सौंपता हूं, “यही सब मैं कर सकता हूं?” आप कहते हैं, ‘‘मैं स्वयं को क्रूसित मसीह को सौंपने के लिये तैयार हूं जो मुझे मेरे पापों से बचाने के लिये क्रूस पर मरे।” फिर आप अपनी कुर्सी छोड़ दीजिये और अॉडिटोरियम के पिछले भाग में जाइये। वहां से डॉ0 कगान आपको एक अन्य कमरे में ले जायेंगे जहां आप प्रभु को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार कर सकते हैं,आपके जीवन को षुद्ध कर सकते हैं। अॉडिटोरियम में पिछले भाग में आ जाइये। डॉ0चान,कृपया प्रार्थना कीजिये कि आज सुबह कोई जन मसीह के उद्धार का स्वाद चख सके और क्रूसित मसीह पर भरोसा रख सकें। आमीन (संदेश का अंत) आप डॉ0हिमर्स को अंग्रेजी में ई-मेल भी भेज सकते हैं - rlhymersjr@sbcglobal.net ये संदेश कॉपी राईट नहीं है। आप उन्हें िबना डॉ0हिमर्स की अनुमति के भी उपयोग में ला सकते संदेष के पहले मि0एबेल प्रूद्योम ने धर्मषास्त्र का पाठ पढ़ाः 1कुरूंथियों 15:1-4
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