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षारीरिक आदमी और सच्चा मसीहीTHE CARNAL MAN AND THE REAL CHRISTIAN डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा लोस एंजलिस के बप्तीस टबरनेकल में प्रभु के दिन की ‘‘क्योंकि षारीरिक व्यक्ति षरीर की बातों पर मन लगाते हैं; परन्तु आध्यात्मिक आत्मा की बातों पर मन लगाते हैं। षरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है; परन्तु आत्मा पर मन लगाना जीवन और षान्ति है। क्योंकि षरीर पर मन लगाना तो परमेष्वर से बैर रखना है : क्योंकि न तो परमेष्वर की व्यवस्था के अधीन है, और न हो सकता है। और जो षारीरिक दषा में हैं, वे परमेष्वर को प्रसन्न नहीं कर सकते परन्तु जब कि परमेष्वर का आत्मा तुम में बसता है तो तुम षारीरिक दषा में नहीं। परन्तु आत्मिक दषा में हो यदि किसी में मसीह का आत्मा नहीं, तो वह उसका जन नहीं'' (रोमियों 8:5-9)। |
ये पद अन्तर दिखाते है जो षारीरिक मनवालो है और जो आध्यात्मिक मन है उनके साथ। पद छ़ को देखो।
‘‘षरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है, परन्तु आत्मा पर मन लगाना जीवन और षान्ति है'' (रोमियों 8:6)।
हमें यहाँ रूकना चाहिए और प्रत्यक्ष करना होगा कि ‘‘षरीर पर मन लगानेवाले'' मसीही नहीं है। षब्द ‘‘षारीरिक'' ग्रीक षब्द ‘‘र्साक्स'' ‘‘Sarx'' को अनुवाद करता है। इसका अर्थ है ‘‘षरीर''। ‘‘षरीर पर मन लगानेवाले'' होने का अर्थ है षरीर के वष के अधीन होना। ध्यान दीजीये कि पौलुस ने कहा, ‘‘षरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है''। इसीलिये आधुनिक विचार कि वहाँ ‘‘षारीरिक मसीही'' है वह पूर्णरूप से झूठ है। डॉ. जेम्स मोन्टगोमेरी बोइस ने कहा ‘‘पौलुस जो यहाँ बोल रहे है वह मसीही है और जो मसीही नहीं है उसका अन्तर है। अर्थात् वे दो प्रकार के लोगो के बारे में बोल रहे है, तीन नहीं। विष्ोशरूप से, वे बात नहीं कर रहे है कि कैसे ‘षारीरिक मसीही' को आगे चलना चाहिए चाहे प्रभु के ज्यादा गंभीर चेले बनने में समर्पण की निम्न अवस्था में'' (जेम्स मोन्टेगोमेरी बोइस, पीएच.डी., रोमन्स, रोमियों, भाग 2, बेकर बुक्स, 2008 की प्रत, पृश्ठ 807)।
डॉ. मार्टीन लोयड-जोन्स ने यह भी स्पश्ट किया कि पौलुस इन पदो में दो प्रकार के मसीही के बारे में नहीं बोलते। उन्होंने कहा, ‘‘यह गलत भाशांतर है कहना कि ‘वे जो षरीर के पीछे' जानेवाले ‘षारीरिक' मसीही कहलाते है ... यह नामुमकीन [है] की वे मसीही हो'' (डी. मार्टीन लोयड-जोन्स, एम.डी., रोमन्स : एन एक्सपोझीषन ओफ चेप्टर 8:5-17, रोमियों : पाठ 8:5-17 की स्पश्टता, ध बेनर ओफ ट्रूथ ट्रस्ट, 2002 की प्रत, पृश्ठ 3)।
मैं प्रतीत कर चुका हूँ कि दो प्रकार के मसीहीयों (एक षारीरिक और एक आध्यात्मिक) का विचार आया ‘‘निर्णायक्ता'' के सीधे परिणामस्वरूप। ‘‘निर्णायक'' इस गलत षिक्षा के साथ आए उन सब लोगों को समझाने जिन्होंने ‘‘निर्णय किया था'' परंतु जी रहे है नीचता से पाप भरे जीवन। ‘‘निर्णायक'' यह स्पश्ट करते है कहने के द्वारा कि वे ‘‘षारीरिक मसीही'' है - और हमें उन पर ज्यादा ‘‘अनुकरण'' करने की आवष्यकता है, और ‘‘उन्हें सिखाओ'' आध्यात्मिक मसीही बनना। वह सब गलत षिक्षा है, और इसने हमारे कलीसियाओं को बड़ा नुकसान पहुँचाया है। कहे जानेवाले ‘‘षारीरिक मसीही'' कभी भी मसीही है ही नहीं - किसी भी सच्चे षब्द के ज्ञान में! हमारे पास नष्ो के व्यसनी है जो ‘‘षारीरिक मसीही'' होने का दावा करते है। हमारे पास लोग है जो कलीसिया मेें मौजूद नहीं रहते वे ‘‘षारीरिक मसीही'' होने का दावा करते हैं। कलीसिया में मैंने छुट्टियों में हाजरी दी, मैंने सुना एक स्त्री को कहेजानेवाली ‘‘गवाही'' देते कि वह वेष्या थी, वेष्यावृति करनेवाली, जब वह ‘‘बचायी'' - गयी थी, उस समय वह ‘‘षारीरिक मसीही'' थी। अब वह कलीसिया में वापस आयी थी और उसका जीवन ‘‘पुनःसमर्पित'' किया था, और अब वह ‘‘आध्यात्मिक'' मसीही बन गयी थी। उस सभा में मेरी माँ मेरे साथ थी। चाहे माँ थोड़े समय के लिये ही मसीही थी, वह देख सकती थी उस गलत सिखाई का खतरा। उसने कहा, ‘‘ओह, रोबर्ट, उसे उन सारे युवा लोगों के सामने इस प्रकार बोलने नहीं देना चाहिए। वे सोचेंगे वे बचाए जा सकते है और वैसी भयानक चीजे करो''। मुझे स्मरण है सोचना कि मेरी माँ, जो कुछ महिनों पहले ही बचायी गयी थी, उनको ज्यादा ज्ञान था उस कलीसिया के याजक से! जब कहेजानेवाली ‘‘मसीही'' वेष्या ने बोलना पूरा किया, याजक ने कहा, ‘‘क्या वह महान् नहीं था'' बहुत से लोगो ने भीड़ से पुकारा ‘‘आमीन''। कोई आष्चर्य नहीं हमारे बहुत से कलीसिया ऐसी दयनीय अवस्था में है! नहीं! इस वाक्यखण्ड में वहाँ सिर्फ दो प्रकार के लोग है - ‘‘षरीर पर मन लगानेवाले,'' जो खोए लोग है, और ‘‘आध्यात्मिक मन वाले'', जो बचाये हुए लोग है! मैं आषा करता हूँ हमारे प्रचारक डॉ. बोइस और डॉ. लोयड-जोन्स की टीप्पणीयाँ पढेंगे। यह ‘‘दो प्रकार के मसीहीयों'' की झूठी षिक्षा से षुद्ध हो जाऐंगे! और भी, जब इस कहे जानेवाले ‘‘षारीरिक मसीही'' उनका जीवन पुनःसमर्पित करते है, यह उनके दण्ड को मुहर कर देता है - क्योंकि मुक्ति ‘‘पुनःसमर्पण'' द्वारा नहीं आ सकती। ‘‘तुझे नये सिरे से जन्म लेना अवष्य है'' (यूहन्ना 3:7)। वहाँ हज़ारो खोए बेपटीस्ट और दूसरे है इस अभागी अवस्था में। वे कईबार विनती करते है उडाऊ पुत्र के बारे में, कहते हुए कि वह ‘‘षारीरिक मसीही'' था जिसने उसका जीवन ‘‘पुनःसमर्पित'' किया था। परन्तु स्वयं उडाऊ पुत्र के पिता ने कहा कि वह खोया हुआ था। पिता ने कहा, ‘‘खो गया था'' (लूका 15:24)। उडाऊ पुत्र चित्र है ‘‘खोए'' आदमी के बचाए जाने का, उसका जीवन पुनःसमर्पित न करते हुए। अब पद 6 पर रोषनी डालो। चलिये खड़े रहते है और इसे जोर से पढ़ते है।
‘‘षरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है, परन्तु आत्मा पर मन लगाना जीवन और षान्ति है'' (रोमियों 8:6)।
आप बैठ सकते हो। यहाँ दो प्रकार के लोग स्पश्टता से वर्णन किए गए है। रोमियों 8:6 इसे स्पश्ट करता है। आप या तो षरीर पर मन लगानेवाले और खोए हुए हो, या आध्यात्मिक आत्मा पर मन लगाने वाले और बचाए हुए हो। और हम इन दोनों को देखेंगे।
।. पहला, षरीर पर मन लगानेवाला।
जैसे मैंने कहा, षब्द ‘‘षारीरिक'' आता है ग्रीक षब्द ‘‘र्साक्स'' ‘‘Sarx'' से - जिसका अर्थ है ‘‘षरीर''। ‘‘षरीर पर मन लगानेवाला'' होने का अर्थ है व्यक्ति उनके मन से ‘‘षरीर पर निर्धारित'' है। व्यक्ति जिसका मन षरीर पर निर्धारित है वह बहुत भयजनक स्थिति में हैं।
वे कौन है? पद 5 (पाँच) कहता है, ‘‘वे वह है जो षरीर के पीछे है, मन षरीर की चीजें करता है ...'' नये राजा जेम्स इसे अनुवाद करते है जैसे, ‘‘वे जो जी रहे है षरीर के अनुसार उनका मन षरीर पर निर्धारित करते है...'' वही है जहाँ उनका मन रोषनी डालता है - ‘‘षरीर की बातों पर''। 1 यूहन्ना 2:15-16 में, हमें चित्र दिया गया है जिसका अर्थ है आपका मन ‘‘षरीर की बातों पर'' रोषनी डालता है। यह कहता है,
‘‘तुम न तो संसार से, और न संसार में की वस्तुओं से प्रेम रखो। यदि कोई संसार से प्रेम रखता है तो उसमें पिता का प्रेम नहीं है। क्योंकि जो कुछ संसार में है, अर्थात् षरीर की अभिलाशा और आँखो की अभिलाशा और जीविका का घमण्ड, वह पिता की ओर से नहीं परन्तु संसार ही की ओर से है'' (1 यूहन्ना 2:15-16)।
षरीर की तीव्र लालसा। आँखो की अभिलाशा। जीविका का घमण्ड। ये चीजे है जो षरीर पर मन लगानेवाले लोग रोषनी डालते है। जोन बुनयान ने ऐसे लोगों जो इन चीजों पर रोषनी डालते है कहा ‘‘संसार की चीजों पर मन लगानेवाला''। यह दूसरा नाम है ‘‘षरीर पर मन लगानेवाले का''। बुनयान ने इसे कहा, ‘‘संसार की चीजों पर मन लगालेवाला''। डॉ. लोयड-जोन्स ने स्पश्ट किया षरीर पर मन लगानेवाला होने का अर्थ क्या है। उन्होंने कहा,
‘‘इसका अर्थ है सिर्फ समय संबंधी; इसे अनन्तता से कोई मतलब नहीं। इसका संदर्भ है जीवन सिर्फ इस संसार में, जीवन षरीर द्वारा बंधन में किया हुआ और षारीरिक मन की विभिन्न गुणवत्ता और विष्ोश गुण ... ‘‘षरीर की चीजों पर मन लगाना'' षमिल करता है राजनैतिक रूचि बिना परमेष्वर, सामाजिक रूचि बिना परमेष्वर, सांस्कृतिक रूचि बिना परमेष्वर के। वही जो वर्णन का मतलब है। पौलुस के मन में है आदमी की उच्चत्तम प्रवृत्तियाँ, उसका तत्वज्ञान, उसकी कला, उसकी संस्कृति, उसका संगीत, जो कभी भी षरीर के आगे नहीं जाता। प्रभु इन सब से बाहर है, वे इनमें से अलग किए गए है ... वे वाक्पटुता से कुछ प्रकार के सामाजिक पराकाश्टा की स्थिति बनाने के बारे में लिख सकते है, वे कला और साहित्य और संगीत का उच्चतम नमूना उत्पन्न कर सकते है; परन्तु वहाँ पर आत्मा नहीं है, वहाँ परमेष्वर नहीं है, ना प्रभु की आत्मा है। यह सब ‘‘षरीर के पीछे'' है'' (लोयड-जोन्स, ibid, पृश्ठ 6)।
युवा लोग जो रँप संगीत ‘‘में'' है वे षरीर पर मन लगानेवाले है। वे जो आधुनिक, दिखानेवाले कपड़ो ‘‘में'' होते है वे षरीर पर मन लगानेवाले है। वे जो ‘‘वर्ल्ड ओफ वॉरक्राफट'', और दूसरे आक्रमक वीडीयो के तीरंदाजी जैसे वीडीयों के खेलों ‘‘में'', और इत्यादि में है, वे संसार पर मन लगानेवाले है। ‘‘आध्यात्मिक आत्मा पर मन लगानेवाले'' मसीही कभी भी उस प्रकार के निरर्थक बातों पर घंटे नहीं बिताएंगे! अगर आप वैसा करते हो, कोई आष्चर्य नहीं आप बचाए नहीं जाते हो! वह सामिल करता है ‘‘एनीमे'' ‘‘Anime'' जपान का ष्ौतानी व्यंगचित्र और कामोत्त्ोजक चित्र। वे जो इस चीजों ‘‘में'' है वे षरीर पर मन लगानेवाले है। युवा लोग जो हँसी उडानेवाले, बाहर जानेवाले, और उस प्रकार के दूसरे कार्य ‘‘में'' है वे षरीर पर मन लगानेवाले हैं। वे जो बाइबल नहीं पढ़ते, और प्रार्थना नहीं करते वे भी षरीर पर मन लगानेवाले है!
अब, ‘‘षरीर पर मन लगानेवाला'' होने के भयानक ख़तरे पर ध्यान दो। यह पद 6 में है, ‘‘षरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है'' मृत्यु! वहीं है जो आप पाते हो षरीर पर मन लगानेवाला होने से। डॉ. लोयड-जोन्स ने कहा यह अनुवादित होना चाहिए, ‘‘षरीर पर मन लगाना मृत्यु है'' (ibid., पृश्ठ 7)। पौलुस ने पहले ही कहा है कि जो ‘‘षरीर की बातों पर मन लगाते है'' वे मसीही नहीं है। अब वे आगे बढ़ते है और कहते है कि संसार पर मन लगानेवाले लोग ‘‘मृत'' है। लोग जो उनका मन संसार की बातों पर लगाते है वे मरे हुए है! वाक्य ‘‘षरीर का मन मृत्यु है'' का अर्थ है कि षारीरिक आदमी आध्यात्मिक मृत्यु की अवस्था में है। इफिसियों 2:1 में, वे उनके बारे में बोलते है जैसे ‘‘अपराधों और पापों के कारण मरे हुए''। फिर से इफिसियों 2:5 में, वे उनके बारे में कहते है जैसे ‘‘पापों के कारण मरे हुए''। ऐसे लोग समझ नहीं पाते कैसे बचाया जाए,
‘‘परन्तु षारीरिक मनुश्य परमेष्वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करताः क्योंकि वे उसकी दृश्टि में मूर्खता की बातें है : और न वह उन्हें जान सकता है क्योंकि उनकी जाँच आत्मिक रीति से होती है'' (1 कुरिन्थियों 2:14)।
आप जब तक चेहरे में नीले हो तब तक आप प्रचार और षिक्षा देना कर सकते हो और वे सुसमाचार का सबसे सरल सच भी समझेंगे नहीं। क्यों? ‘‘क्योंकि उनकी जाँच आत्मिक रीति से होती है''। और षारीरिक व्यक्ति, पाप में मरा हुआ, वह सरल सच भी नहीं समझ सकते है! ‘‘वे उसकी दृश्टि में मूर्खता की बातें हैं क्योंकि उनकी जाँच आत्मिक रीति से होती है'' - वह षरीर पर मन लगानेवाला है, और इसीलिये वो सच प्राप्त नहीं कर सकता! यह मुख्य कारण है हम बार बार और बार बार और बार बार सुसमाचार पर जा सकते है, और वे जो संसार पर मन लगानेवाले है इसे नहीं ‘‘पा'' सकते। मैंने देखा है लोग पूछताछ कक्ष में महिनो और महिनो तक जाते है बिना बचाए हुए। क्यों? क्योंकि षरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है'' (रोमियों 8:6)।
यहाँ द्रश्टांत है डॉ. लोयड-जोन्स द्वारा दिया हुआ। आप में से बहुतों ने सुसमाचार प्रचार चलचित्र अमेझींग ग्रेस देखा जब हमने यहाँ कलीसिया ये दिखाया था। यह कहानी थी वीलीयम वील्बरफोर्स (1759-1833) जो ग्रेट ब्रिटन में गुलामी नाबूद करने के नेता थे। वीलीयम पीटट् यन्गर (1759-1806) मुख्य मंत्री थे। वे दोनो बहुत करीबी मित्र थे, परंतु वील्बरफोर्स परिवर्तित थे, जबकि वीलीयम पीटट् सिर्फ साधारण कलीसिया - जानेवाले थे, अर्थात्, वे कलीसिया गए परंतु उन्हें परिवर्तित होने में कोई रूचि नहीं थी। वील्बरफोर्स बहुत चिंतित थे युवा मुख्य मंत्री पीटट् की खोई आत्मा के बारे में। आखिरकार वील्बरफोर्स ने पीटट् को उकसाया उसके साथ मषहूर सुसमाचार प्रचार प्रचारक रीचर्ड केसील को सुनने जाने के लिये। आखिरकार पीटट् सहमत हुए वील्बरफोर्स के साथ प्रचारक को सुनने जाने के लिये। केेसील ने इतनी अच्छी तरह से प्रचार दिया की वील्बरफोर्स ने उस धार्मिक प्रवचन द्वारा ऊपर स्वर्ग तक उठाया हुआ मसहूस किया। परंतु बाद में मुख्यमंत्री, पीटट्, ने उनसे कहा, ‘‘आप जानते हो, वील्बरफोर्स, मैं नहीं जान पाया विचार वह आदमी क्या बोल रहा था उसके बारे में''। वील्बरफोर्स धार्मिक प्रवचन द्वारा बहुत आनंदित हो गए थे, परंतु पीटट् इससे कंटाल गए थे। वे इसे समझ नहीं सके। डॉ. लॉयड-जोन्स ने कहा, ‘‘रीचर्ड केसील भी षायद मृत आदमी को प्रचार दे रहे होंगे। मृत इन चीजों की प्रषंसा नहीं कर सकते, नाही वीलीयम पीटट्। उसने स्वयं ने इसे व्याकुल किया ... वहाँ ऐसे लोग है। वे प्रार्थना करने की जगह आते है, वे सुनते है बातों को जो विष्वासुओं के मन को (प्रसन्न) करे, परंतु वे इस में कुछ भी नहीं देखते ... ऐसा है क्योंकि वे आध्यात्मिक चीजों के लिये जीवित नहीं हैं वे मरे हुए है, परमेष्वर के लिये मरे हुए, प्रभु यीषु मसीह के लिये मरे हुए, आध्यात्मिक राज्य और आध्यात्मिक सच्चाई के लिये मरे हुए है, अपनी स्वयं की षरीरात्मा और आत्मा और उनके सदा रहनेवाले और अनन्त रूचि को मरे हुए है। वे कभी भी ऐसी बातों के बारे में नहीं सोचते। वह उनकी परेषानी है। वही है जो प्रेरितो उनके बारे में कहते है। यह षरीर का मन उन्हें बंद करता है परमेष्वर के जीवन से ... अगर वो उस अवस्था में मर जाता है वो सारी अनन्ता को जारी रहेगा, प्रभु के जीवन के बाहर बंद। इससे और ज्यादा भयानक चिन्तन करने लायक कुछ भी नहीं हो सकता। वही अर्थ है आध्यात्मिक मृत्यु का'' (लोयड-जोन्स ibid., पृपृश्ठ 10-11)।
‘‘षरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है, परन्तु आत्मा पर मन लगाना जीवन और षान्ति है'' (रोमियों 8:6)।
॥. दूसरा, आध्यात्मिक आत्मा पर मन लगानेवाला।
हमें वह विचार की यह ‘‘षारीरिक'' मसीही के बारे में है उससे छुटकारा पाना ही चाहिए। प्रेरितो बिन मसीही को सच्चे मसीही के साथ अन्तर कर रहे है। वही है जिसके बारे में पौलुस इन पदो में बोलते है। ‘‘परन्तु आत्मा पर मन लगाना जीवन और षान्ति है'' (रोमियों 8:6ब)। फिर पौलुस कहते है
‘‘परन्तु जब कि परमेष्वर का आत्मा तुम में बसता है, तो तुम षारीरिक दषा में नहीं परन्तु आत्मिक दषा मे हो। यदि किसी में मसीह का आत्मा नही ंतो वह उसका जन नहीं'' (रोमियों 8:9)।
अगर किसी व्यक्ति के अन्दर पवित्र आत्मा नहीं हो, तो वह आदमी मसीही नहीं है। अन्तर है उनके बीच जो खाये हुए है ‘‘षरीर में'' है और जो ‘‘आत्मा में'' है, उनके बीच जो खोए है और जो बचाए हुए है!
जब आप परिवर्तित होते हो, तो आप अब ‘‘षरीर में'' नहीं हो। परिवर्तन में आप अचानक ‘‘आत्मा में'' हो। उस पल, आप फिर से जन्में हो। और रोमियों 8:9 इसके साथ खत्म होता है : ‘‘अब यदि किसी में मसीह का आत्मा नही ंतो वह उसका जन नहीं''। अगर किसी के पास मसीह की आत्मा नहीं है, तो वह मसीह के योग्य नहीं है।
अब, आपको चिन्ता करने की आवष्यकता नहीं है वह कैसे होता है उसके बारे में। जिस पल आप पश्चाताप करते हो और यीषु पर भरोसा करते हो, ‘‘मसीह की आत्मा'' (पवित्र आत्मा) आपके मन में प्रवेष करती है और आपको प्रभु यीषु मसीह से मिला देती हैं इसीलिये वह कहना मूर्खता है, ‘‘मैं मसीह के पास कैसे आऊँ?'' यह ऐसा कुछ नहीं है जो आप करो। यह पवित्र आत्मा है जो आपको पाप के अपराधभाव में लाती हैं। जब वह होता है आप घृणा करते हो आपके पुराने तरीके ‘‘षरीर पर मन लगानेवाला'' होने से। आपका पूरा षारीरिक तरीका जीने और सोचने का आपको घृणायुक्त बनाता है। फिर, जब आप मसीह पर भरोसा करते हो, पवित्र आत्मा आपको उनसे मिला देती हैं। मैं सुनता हूँ लोग कहते है, ‘‘क्यों, मुझे पता नहीं है क्या हुआ, परंतु अब यह इतना स्पश्ट लगता है। अब मैं यीषु का भरोसा करता हूँ!'' वह तब हुआ जब पवित्र आत्मा ने आपको यीषु से मिलाया। यह जिलाए हुए मसीह के साथ दिव्य-मानवीय सामना है! सिर्फ पवित्र आत्मा आपके लिये वह कर सकती है।
डो. केगन ने दो वर्श तक मसीह से इन्कार किया था। अंत में, एक रात, उन्होंने कहा, ‘‘यीषु मेरे लिये तुरंत में हाज़िर थे। थोड़ी क्षणो में, मैं उनसे पसार हुआ।'' उस पल में वे बचाये गये थे। मेरा अपना सामना मसीह के साथ आया सीतंबर, 1961 में, बायोला महाविद्यालय में धार्मिक प्रवचन के अंत में। इसके बारे में मैं इतना ही कह सकता हूँ की यीषु वहाँ थे, और मैंने उन पर भरोसा किया। इतना ही था वहाँ उसके लिये! अब मैं जानता हूँ कि पवित्र आत्मा ने वह सब कुछ किया मुझ में और मेरे लिये। परंतु उस पल मैंने केवल जीवित मसीह का सामना किया। फिर मसीह के सारे फायदे मेरे थे। उनके लहू ने मेरे पाप षुद्ध किए! उन्होंने मुझे अनन्त जीवन दिया! मैं फिर से जन्मा था!
हमें ज्यादा विवरण में नहीं जाना चाहिए, नही ंतो आप नकल करने का प्रयास करेंगे जो डॉ. केगन और मुझे हुआ उसका। वह मत कीजीये! केवल आपके मृत, और षरीर पर मन लगानेवाले जीवन को देखो। इसके साथ घृणित रहो। आपके विशयी जीवन से यीषु की ओर फिरो। वे आपको बचाएंगे। वे आपके पापों को माफ करेंगे। वे आपको अनन्त जीवन देंगे। आप फिर से जन्म लेंगे!
हमारे एक युवा व्यक्ति ने मुझे चीट्ठी लिखी कहते हुए, ‘‘प्रार्थना करो कि मेरा भाई देखे कि संसार के पास उसे देने के लिये कुछ भी नहीं है''। वही है जहाँ परिवर्तन षुरू होता है, देखने के द्वारा की संसार के पास आपको देने के लिये कुछ भी नहीं है। वहीं है जहाँ यह षुरू होता है, जब आप महसूस करना षुरू करते हो ‘‘ षरीर पर मन लगाना मृत्यु है''। फिर यीषु की ओर फिरो और आप जानेंगे की ‘‘आत्मा पर मन लगाना जीवन और षान्ति है'' (रोमियों 8:6)।
मैं चाहता था मेरे पास और ज्यादा अच्छी गवाही होती देने के लिये। परंतु षायद यह बेहतर है कि मेरे पास नहीं है। काल्वीन ने कभी भी उनकी गवाही नहीं दी ड़र के कारण, मैं अनुमान करता हूँ, की कोई इसकी नकल करने का प्रयत्न करेंगे। मैं अपनी गवाही स्पर्जन की तरह अच्छी तरह नहीं दे सका। परंतु जो उन्होंने महसूस किया था वह मैंने भी महसूस किया जब यीषु ने मुझे मेरे पाप से बचाया। स्पर्जन, पंद्रह वर्श के बालक की तरह ने कहा,
वहाँ पर कभी भी कुछ भी इतना सच नहीं था मेरे लिये जैसे वह लहूभरे हाथ, और वह कांटो के ताज़वाला सिर। घर, मित्र, तंदुरस्ती, संपति, आराम - सबने अपनी चमक खो दी उस दिन जब वे समक्ष आए ... सिर्फ वे ही थे प्रभु और जीवन के सर्वोत्तम सुख देनेवाले, एक कुआँ जीवीत पानी का अनन्त जीवन में छ़िडकता हुआ। जैसे मैंने देखा यीषु को क्रूस पर मेरे सामने, और जैसे मैंने [सोचा] उनकी तड़प और मृत्यु के बारे में, [मैंने सोचा] मैंने देखा उनको मुझ पर प्रेम की दृश्टि डालते हुए; और फिर मैंने उनको देखा, और पुकारा -
यीषु, मेरी आत्मा के चाहनेवाले,
मुझे आपकी छाती तक उड़ने दो।
उन्होंने कहा ‘‘आओ'' और मैं उड़कर उनके पास गया; और जब उन्होंने मुझे फिर से जाने दिया, मैं आष्चर्यचकित था मेरे बोझ कहाँ थे। वह गए थे! वहाँ, कब्र में, यह रखा है ... ‘‘मैंने उनको ढूँढ लिया,'' मैंने, एक [लड़का] ढूँढ लिया महिमा के प्रभु को; मैं, पाप का गुलाम, ढूँढा महान् मुक्तिदाता, मैंने, अंधेरे के बालक ने, ढूँढा मेरे उद्धारक और मेरे प्रभु को (सी. एच. स्पर्जन, कन्वर्झन : ध ग्रेट चेन्ज, परिवर्तन : महान् बदलाव, पीलग्रीम प्रकाषन, एन.डी., पृश्ठ 22)।
हम कैसे प्रार्थना करें कि आप षायद अनुभव करे थोड़ा आनंद जो स्पर्जन ने महसूस किया था तरूण बालक की तरह उस 1850 के जनवरी की थंड़ी सुबह में! पाँच वर्शो से भी कम में स्पर्जन, ‘‘बालक प्रचारक'', लंदन में हज़ारो लोगों से बोलते थे! आप षायद आजरात यीषु मसीह पर भरोसा करो। यीषु वैसे ही है अब जैसे वे तब थे। अगर आप उनका भरोसा करोगे वे आपके सारे पाप माफ करेंगे और उनके बहुमूल्य लहू द्वारा आपको षुद्ध करेंगे। आमीन।
क्या आप बचाए जाने के बारे में, सच्चे मसीही बनने के बारे में हमसे बात करना चाहते हो? अगर ऐसा है, तो मेहरबानी करके अभी आपकी बैठक छोड़ो और सभागृह के पिछे जाओ। डॉ. केगन आपको षांत जगह ले जाएंगे बात और प्रार्थना करने। डॉ. चान, मेहरबानी करके आइए और जिसने प्रतिभाव दिये है उनके लिये प्रार्थना कीजीये। आमीन।
(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन से पहले श्रीमान एबल प्रुद्योम्म द्वारा पढ़ा हुआ पवित्रषास्त्र : रोमियों 8:5-9।
धार्मिक प्रवचन से पहले श्रीमान बेन्जामिन कीनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीत :
‘‘कितना असहाय रहता है दोशी स्वभाव'' (एन्ने स्टीले द्वारा, 1717-1778; ‘‘ओ सेट ये ओपन अनटु मी'' की तर्ज पर)।
रूपरेखा षारीरिक आदमी और सच्चा मसीही डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा ‘‘क्योंकि षारीरिक व्यक्ति षरीर की बातों पर मन लगाते हैं; परन्तु आध्यात्मिक आत्मा की बातों पर मन लगाते हैं। षरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है; परन्तु आत्मा पर मन लगाना जीवन और षान्ति है। क्योंकि षरीर पर मन लगाना तो परमेष्वर से बैर रखना है : क्योंकि न तो परमेष्वर की व्यवस्था के अधीन है, और न हो सकता है। और जो षारीरिक दषा में हैं, वे परमेष्वर को प्रसन्न नहीं कर सकते परन्तु जब कि परमेष्वर का आत्मा तुम में बसता है तो तुम षारीरिक दषा में नहीं। परन्तु आत्मिक दषा में हो यदि किसी में मसीह का आत्मा नहीं, तो वह उसका जन नहीं'' (रोमियों 8:5-9)। (योहन्ना 3:7; लुका 15:24; रोमियों 8:6) ।. पहला, षरीर पर मन लगानेवाला, 1 यूहन्ना 2:15-16; इफिसियों 2:1,5; 1 कुरिन्थियों 2:14; रोमियों 8:6; यूहन्ना 3:7। ॥. दूसरा, आध्यात्मिक आत्मा पर मन लगानेवाला, रोमियों 8:6-9। |