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मसीह से मिली हुई - तृप्ति और धर्मी ठहराना
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यह वचन इतना अर्धपूर्ण है कि हर षब्द की और आपका ध्यान खिचना जरूरी है। इसलिए में संदेष से दूर न जाऊँगा, न तो बहुत सारे उदाहरण दूँगा। इस वचन की अद्भूत सच्चाई संदेष में बताने के लिए काफी है; इसे इतने सरल और सादे षब्द में पेष किया है ताकि हर मुलाकाती इस षाम कलेषिया से इस सरल किंतु महत्तवपूर्ण संदेष को जानते हुए घर जा सके, उन षब्दों का अर्थ है,
‘‘वह अपने प्राणों का दुःख उठाकर देखेगा, और तृप्त होगाः अपने ज्ञान के द्वारा मेरा धर्मी दास बहुतेरांें को धर्मी ठहराएगा; और उनके अधर्म के कामों का बोझ आप उठा लेगा'' (यषायाह 53:11)।
इस वचन की सच्चाई को पाने के लिए परमेष्वर आपके हृदय के द्वार खोल दें। क्योंकि, हम आपसे कहते है कि जब इस संदेष का प्रचार किया जायेगा, तब ‘‘आपके कान इस पर लगे रहे और तुम मेरे पास आओ। सुनो, और तुम्हारे प्राण जी उठेंगे।''
यह वचन तीन बातें बताता है। पहला, परमेष्वर के न्याय को मसीह ने तृप्त किया है। दूसरा, मसीह के ज्ञान के कई लोगोने उचिन ठहरे है। तीसरा, पाप ढोनेवाला मसीह जो विष्वासी पापी को पूर्ण प्रायष्चित लाता है।
‘‘वह अपने प्राणों का दुःख उठाकर देखेगा, और तृप्त होगाः अपने ज्ञान के द्वारा मेरा धर्मी दास बहुतेरांें को धर्मी ठहराएगा; और उनके अधर्म के कामों का बोझ आप उठा लेगा'' (यषायाह 53:11)।
।. पहला, परमेष्वर के न्याय को मसीह ने तृप्त किया है।
‘‘वह अपने प्राणों का दुःख उठाकर देखेगा, और तृप्त होगा...'' (यषायाह 53:11)।
डॉ. जरजेन मोल्टमेन (1926-) जो जर्मन है, दुसरे विष्वयुद्ध में उन्हें ब्रीटीष की जेल में तीन साल के लिए कैदी बनाकर रखा था तब उन्होेंने पवित्रषास्त्र की पढ़ाई षुरू की। कारावास के उस अनुभव से और पवित्रषास्त्र की, पढ़ाई उन्होंने History and the Triune God: Contributions to Trinitarian Theology (Crossroad, 1992) की किताब लिखी। डॉ. मोल्टमन उदार धर्मषास्त्री है, और मैं अवष्य उन्होंने क्या लिखा था मानो सब नहीं बता सकता। किंतु, उनकी कुछ अंतदृश्टि है। जैसे कि, मोल्टमन क्रूस की घटना को इस तरह देखते है जिसमें परमेष्वर अपनी एकजूटता सुनसान ‘‘गॉड फोरसेकन'' मानवजाति के लिए घोशित की। पापियों के लिए प्रेम परमेष्वर ने प्रकट किया है, और परमेष्वर के पु़त्र ने पिता से अलग होना ग्रस्त किया है, परमेष्वर को ‘‘अंदर से बाहर'' तक के दुःख दर्द जानते की अनुमति दी। मोल्टमन ने यह ज्यादातर सही नहीं रहे, किन्तु, उन्होेंने त्रिदेव के व्यक्तियों की क्रूस के वध की पीड़ा और दुःख को व्यक्त किया है। और मैं सोचता हूँ, यह महत्वपूर्ण मुद्धा है। मेरे विचारसे, यह कुछ सोचनेवाली बात है - त्रिदेव व्यक्तियों का दर्द जो वधस्तंभ पर हुआ था।
‘‘वह अपने प्राणों का दुःख उठाकर देखेगा, और तृप्त होगा'' (यषायाह 53:11)।
स्पर्जीयन ने कहा,
इन षब्दों में पिता परमेष्वर अपने पुत्र के बारे में चिंतित होकर कहते हुए नजर आते है, घोशणा करते हुए कि, उसने अपने प्राणो का दुःख उठाया, वह निष्चिंत रूपसे संतुश्टकारक इनाम देगा। उद्धार के मामले में पवित्र त्रिदेव के अलग व्यक्तियों का साथ मिलकर कार्य करना कितनी रमणीय बात है! (C. H. Spurgeon, The Metropolitan Tabernacle Pulpit, Pilgrim Publications, 1980 reprint, volume 61, p. 301).
‘‘वह'' माने, पिता परमेष्वर; ‘‘अपने प्राणों का दुःख उठाकर देखेगा,'' माने, अपने पुत्र के प्राणों का दुःख; ‘‘और तृप्त होगा।'' जैसे स्पर्जीयन ने बताया है, ‘‘इन षब्दों से हमे पिता परमेष्वर अपने पुत्र के बारे में चिंतित दिखते है।''
‘‘वह अपने प्राणों का दुःख उठाकर देखेगा, और तृप्त होगा'' (यषायाह 53:11)।
‘‘प्राणों का दुःख'' यह मसीह की आंतरिक पीड़ा और दुःख के संदर्भ में है, जो उन्होंने हमारे पापों के लिए पीड़ा को अनुभव किया था। और निष्चित ही हमें मसीह की षारिरीक पीड़ा को कम नहीं आकंना चाहिए। मसीह के अधमुए होने की दषा को कदापि हलका नहीं सोचना चाहिए जो पुन्तुस पीलातुस के आधी हुई थी। मसीह पर थूंकने की और काँटो का ताज़ पहनाने की महत्वपूर्ण बात को कदापि कम नहीं समझना चाहिए। और उसके हाथ और पैरों मे भोकने की महत्वपूर्ण बातको कम आंकता नहीं चाहिए, और जो पीड़ा और प्यास उसने क्रूस पर अनुभव की थी। ‘‘फिर भी,'' स्पर्जीयन ने कहा, ‘‘उसके प्राणों का दुःख प्रमुख बात है और यही हमारा संदेष बताता है...यीषु मसीह (अत्यंत) इतना सहन किया कि, मैं उसकी पीड़ा की सोच को लेकर निराष होता हूँ या तो उसे तुम्हें किसी भी प्रकार के षब्दों से व्यक्त करता हूँ'' (Spurgeon, ibid., pp. 302-303). यह कहा गया है कि ‘‘मसीह के प्राण की पीड़ा उसके प्राणों का दुःख था'' (ibid., p. 302), उसकी दुःख का दील, उसके दर्द का मुख्य भाग।
षब्द ‘‘पीड़ा'' उसकी पीड़ा, दुःख और दर्द जो मसीह ने अनुभव किया था ‘‘उसके प्राणो का'' जब मनुश्य के पाप का बोज़, और पिता परमेष्वर का न्याय, उसके पर नीचे उतर आया था। इसका मसीह ने स्पश्ट रूपसे गतसमनी की बाग में अनुभव किया था, उसके पकड़े जाने के पहले कोडे लगवाने के पहले, उसके क्रूस पर चढाने के पहले। और इसमें प्राणों के दर्द और पीड़ा भी षामिल है जो उन्होंने अनुभव क्रूस पर जारी रखा था। जैसे डॉ. गिल ने इस तरह पेष किया,
उसके प्राणों की पीड़ा जो उसने परिश्रम और श्रम उसने सहा, अपने लोगों के उद्धार के कार्य के लिए; उसकी आज्ञाकारिता और मृत्यु; उसके दुःख और पीड़ा; खास करके जो प्राणों की वेदना, दैविक क्रोध को मायने रखते हुए, जैसे कि स्त्री की वेदना का संकेत (जन्म देते समय की पीड़ा); और सारी पीड़ा और दर्द जिससे मृत्यु की और गुजरना पड़ा (John Gill., D.D., An Exposition of the Old Testament, The Baptist Standard Bearer, 1989 reprint, volume 5, p. 315).
‘‘वह अपने प्राणों का दुःख उठाकर देखेगा, और तृप्त होगा...'' (यषायाह 53:11)।
‘‘और तृप्त होगा'' यह बात परमेष्वर के क्रोध का प्रायष्चित बताता पिता परमेष्वर ‘‘तृप्त'' है या, तो हम कह सकते है प्रायष्चित हुए है,
‘‘जो पाप से अज्ञात था, उसी को उसने हमारे लिए पाप ठहराया'' (2 कुरिन्थियों 5:21)।
‘‘और वही हमारें पापों का प्रायष्चित है'' (1 यूहन्ना 2:2)।
‘‘उसे परमेष्वर ने उसके लहू के कारण एक ऐसा प्रायष्चित ठहराया'' (रोमियो 3:25)।
डॉ. जॉन मेकआरथर, हालांकि मसीह के लहू पर गलत, सही में कहा,
षब्द (प्रायष्चित) का अर्थ है ‘‘तुश्टीकरण'' या ‘‘संतोश।'' यीषु का क्रूस पर के बलिदान ने परमेष्वर की पवित्रता की माँग को तृप्त किया हमारे पाप की सजा के लिए...इस तरह यीषु ने प्रायष्चित या तो परमेष्वर को तृप्त किया (John MacArthur, D.D., The MacArthur Study Bible, Word Publishing, 1997, note on 1 यूहन्ना 2:2).
मुझे बहुत ही अजीब लगता है कि लहू का गलत होना, किन्तु प्रायष्चित को सही! ठस प्रकार, हम प्रायष्चित देखते है परमेष्वर का पाप के क्रोध का समाधान, यीषु ने अपनी पीड़ा में अनुभव किया। यीषु पीड़ा ने ‘‘तृप्त किया'' परमेष्वर के न्याय को, प्रायष्चित, खुषामद, उसको पाप के लिए क्रोध।
‘‘जो पाप से अज्ञात था, (गॉड र्फाधर) उसी को उसने हमारे लिए पाप ठहराया कि हम उसमें (क्राईस्ट ध सन्) होकर परमेष्वर की धामिकता बन जाएँ'' (2 कुरिन्थियों 5:21)।
‘‘वह अपने प्राणों का दुःख उठाकर देखेगा, और तृप्त होगा...'' (यषायाह 53:11)।
मसीह की पीड़ा ने परमेष्वर के न्याय को तृप्त किया, ताकि हमारा बचना संभव हो सके।
॥. दूसरा, मसीह के ज्ञान से कई लोग उचित ठहरे है।
हम सब खड़े हो जाए और वचन जोर से पढ़ेंगे, अंत के षब्द ‘‘उचित ठहरे'' के साथ।
‘‘वह अपने प्राणों का दुःख उठाकर देखेगा, और तृप्त होगाः अपने ज्ञान के द्वारा मेरा धर्मी दास बहुतेरांें को धर्मी ठहराएगा..'' (यषायाह 53:11)।
आप बैठ सकते है।
नबी यषायाह ने यषायाह 53:13 में मसीह को परमेष्वर के ‘‘दास'' के संदर्भ में बताया है। और यहाँ, हमारे वचन में, मसीह को परमेष्वर का ‘‘धर्मी दास,'' बताया है। मसीह धर्मी है क्यों के वह ‘‘पाप से अज्ञात था'' (2 कुरिन्थियों 5:21)। वह परमेष्वर का निश्पापी पुत्र है, पिता परमेष्वर का ‘‘धर्मी दास'' है।
मसीह कई ‘‘लोगों को उचित ठहराएगा'' (v. 11) यही तो सुसमाचार का दिल है। परमेष्वर के नियम का पालन करके हम अपने आप को उचित नहीं ठहरा सकते, क्योंकि
‘‘क्योंकि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी उसके सामने धर्मी नहीं ठहरेगा'' (रोमियो 3:20)।
हम अपने आपको उचित नहीं ठहरा पाते क्योंकि प्राकृतिक रूपसे हम पापी है। हमारे गिननी न्यायी में होती है केवल मसीह के धार्मिकता को हमारे पर आरोपण करने से। ‘‘आरोपण'' कानूनी है। हम कानूनी तौरसे धर्मी गिने जाते है केवल मसीह के धार्मिकता हमारे पर डालने से। परमेष्वर का ‘‘धर्मी दास कई लोगों को उचित (ठहराएगा)'' (यषायाह 53:11) उनपर उसकी धार्मिकता को डालने से!
‘‘वह अपने प्राणों का दुःख उठाकर देखेगा, और तृप्त होगाः अपने ज्ञान के द्वारा मेरा धर्मी दास बहुतेरांें को धर्मी ठहराएगा..'' (यषायाह 53:11)।
जॉन टे्रप ने हमें याद दिलाया है कि कारडीनल कोन्टेरीनस को दूसरे कॅथोलिक कारडीनल ने मार डाला था, पीघीयस। क्योंकि कोन्टेरीनस का मानना था यह वचन बिलकुल सही है, उसे ‘‘प्रोटेस्टन्ट'' कहा गया और उसके वह मारा गया उसके इस विष्वास के लिए कि ‘‘मनुश्य का उचित ठहराना मुफ्त (में) दी गई परमेष्वर की करूणा और मनुश्य की योग्यता'' के कारण है (John Trapp, A Commentary on the Old and New Testaments, 1997 reprint, volume III, pp. 410-411, note on यषायाह 53:11). परन्तु कार्डीनल कोन्टेरीनस सही था! और दुसरे अन्य कार्डीनल गलत थे!
‘‘मेरा धर्मी दास बहुतेरों (को) धर्मी ठहराएगा,'' क्या यह षब्द मरने के काबिल नहीं हैं? वास्तव, में वे थे! यही हमारे बाप्तीस्त और प्रोटेस्टन्ट लोगों के विष्वास का दिल है! हम अपने आपको धर्मी नहीं ठहरा सकते, जैसे फीनेए के निर्णयकार पंथी और कॅथोलिकस् सिखाते है! ओह नहीं!
‘‘तौ भी यह जानकर कि मनुश्य व्यवस्था के कामों से नहीं, पर केवल यीषु मसीह पर विष्वास करने के द्वारा धर्मी ठहराता है'' (गलातियों 2:16)।
‘‘इस लिए व्यवस्था मसीह तक पहुँचाने के लिए हमारी षिक्षक हुई है कि हम विष्वास से धर्मी ठहरें'' (गलातियों 3:24)।
यही मसीह, जो परमेष्वर का ‘‘धर्मी दास,'' है बहुतेरों को धर्मी ठहराएगा!
किंतु यह कैसे हुआ? मसीह में कैस बहुतेरों ‘‘धर्मी ठहरे'' है? क्या कई पापों के कार्य को छोडने से उन्हें धर्मी ठहराया है? नहीं! ये तो कॅथोलिक्सीझम और डीषिशनीझम है! क्या वह उनको धर्मी ठहराएगा केवल ‘‘पापियों की प्रार्थना'' कहने से या तो संदेष के अंत में ‘‘आगे आने से''? नहीं! ये तो कॅथोलिक्सीझम और डीषिशनीझम है! क्या वे धर्मी ठहराएँगे केवल ‘‘उद्धार की योजना'' सीखने से और यूहन्ना 3:16 याद करने से और ‘‘पापियों की प्रार्थना'' करने से नहीं! वो भी कॅथोलिक्सीझम और डीषिशनीझम है!
फिर, तुम कैसे, धर्मी ठहराओगे? परमेष्वर की नजर में आप निर्मल और धर्मी कैसे बनोगे? यह अनन्त प्रष्न है! अय्यूब की किताब में से बिलदद ने हुआ बड़ा प्रष्न है! उसने कहा,
‘‘फिर मनुश्य परमेष्वर की दृश्टि में धर्मी कैसे ठहर सकमा है? और जो स्त्री से उत्पन्न हुआ है वह कैसे निर्मल हो सकता है?'' (अय्यूब 25:4)।
और फिर इस वचन से हमें उत्तर मिलता है,
‘‘अपने ज्ञान के द्वारा मेरा धर्मी दास बहुतेरांें को धर्मी ठहराएगा'' (यषायाह 53:11)।
या, तो जैसे स्पर्जीयन ने भाशांतर किया है, ‘‘अपने ज्ञान के द्वारा धर्मी दास बहुतेरों को धर्मी ठहराएगा'' (C. H. Spurgeon, The Metropolitan Tabernacle Pulpit, Pilgrim Publications, 1980 reprint, volume 63, p. 117). और स्पर्जीयन ने कहा,
मेरी समज में मसीह को बलिदान पूरी तरह समझने के उसकी जानना और मानना (विष्वास करना) जरूरी है - कार्य करने से नहीं...‘‘व्यवस्था के कार्य ने मनुश्य धर्मी नहीं ठहराया जाता।'' ‘‘अनुग्रह और षांति यीषु मसीह से आती है,'' ‘‘वो अपने पास तब आती है,'' जब हम उसे मानते है या तो उसकी जानकारी द्वारा - या उसे जानते से... उसके द्वारा...हम धर्मी ठहराए जाते है'' (ibid.).
‘‘परन्तु जो काम नहीं करता वरन् भक्तिहीन के धर्मी ठहराने वाले पर विष्वास करता है, उसका विष्वास उसके लिए धार्मिकता गिना जाता है'' (रोमियों 4:5)।
‘‘प्रभु यीषु मसीह पर विष्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा'' (प्रेरितों 16:31)।
‘‘अपने ज्ञान के द्वारा मेरा धर्मी दास बहुतेरांें को धर्मी ठहराएगा'' (यषायाह 53:11)।
मसीह की पीड़ा परमेष्पर के न्याय को तृप्त करती है। मसीह के ज्ञान द्वारा बहुतेरों को धर्मी ठहराया जाएगा। और -
॥।. तीसरा, पाप को ढोने वाला मसीह अपराधियों को प्रायष्चित लाता है।
कृपया करके खडे़ होकर वचन फिर से पढिये, अंतिम छः षब्दों को ध्यान में रखते हुए।
‘‘वह अपने प्राणों का दुःख उठाकर देखेगा, और तृप्त होगाः अपने ज्ञान के द्वारा मेरा धर्मी दास बहुतेरांें को धर्मी ठहराएगा; और उनके अधर्म के कामों का बोझ आप उठा लेगा'' (यषायाह 53:11)।
आप बैठ सकते हो।
मसीह ‘‘बहुतेरों को धर्मी ठहराएगा, क्योंकि उनके अधर्म के कामों का बोझ आप उठा लेगा।'' इसका अर्थ है, वह उनके पापों का बोझ उठाएगा। हमारे धर्मी ठहराने का पूरा आधार हमारे प्रायष्चित और उद्धार की नीव पर है, यह इन षब्दों में बताया गया है, ‘‘उनके अधर्म के कामों का बोझ आप उठा लेगा।'' यषायाह 53:5 कहता है,
‘‘परन्तु वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के कारण कुचला गयाः हमारी ही षान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम लोग चंगे हो जाएँ'' (यषायाह 53:5)।
यषायाह 53:6 कहता है,
‘‘और यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया'' (यषायाह 53:6)।
यषायाह 53:8 कहता है,
‘‘मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पड़ी'' (यषायाह 53:8)।
और 1 पतरस 2:24 कहता है,
‘‘वह आप हो हमारे पापों की अपनी देह पर लिये हुुए क्रूस पर चढ गया'' (1 पतरस 2:24)।
जैसे स्पर्जीयन ने अपने वचन का भाशांतर किया है, ‘‘...उसके ज्ञान के द्वारा मेरा धर्मी दास बहुतेरों को धर्मी ठहराएगा।''
यहाँ हमारे लिए मसीह के सुसमाचार का प्रथम टिप्पणी है - सीधा और सरल। मसीह की पीड़ा ने परमेष्वर के न्याय को तृप्त किया है। जानते हुए कि मसीह ने अपने आप में धर्मी ठहराया है। पाप ढोने वाला मसीह पापियों के लिए संपूर्ण उद्धार लाता है जो विष्वास से मसीह को जानते है। अद्भूत सुसमाचार! चमत्कारिक मौचन! इसके पहले और बाद में पूरे इतिहास में कभी नहीं हुआ है!
‘‘वह अपने प्राणों का दुःख उठाकर देखेगा, और तृप्त होगाः अपने ज्ञान के द्वारा मेरा धर्मी दास बहुतेरांें को धर्मी ठहराएगा; और उनके अधर्म के कामों का बोझ आप उठा लेगा'' (यषायाह 53:11)।
एक रात जब वेस्ली और मैं कलाकर जॉन काराडाईन के बारे में इंटरनेट पर पढ़ रहे थे। उसने 300 से ज्यादा चलचित्र में काम किया, किसी अन्य कलाकार से भी अधिक। जब उसकी मिलान इटली में मृत्यु हुई, तब उसका देह षवपेटी में रखकर उसके पुत्रों मेंसे एक पुत्र के घर भेजा गया। बेटा बहुत पीता था। उसे षवपेटी खोली और मृत पिता के मुँह में दारू डाली।
अब, मैं आपसे पूछुँगा, क्या मृत व्यक्ति दारू का स्वाद जानेगा? बिलकुल नहीं! और जब मैं आपसे मसीह के चमत्कारिक कार्य के बारे में जो उसने हमें बचाने के लिए की है उसे बताऊँगा, तो आप परख नहीं पाओगे। क्यों नहीं? क्योंकि आप आध्यात्मिक रूप से मृत हो। जैसे पवित्र षास्त्र में बताया है, तुम ‘‘अपराधों के कारण मरे हुए थे'' (एफिसियों 2:5) यही तो पाप का प्राकृतिक स्वभाव है। तुम महेसूस नहीं कर पाते। परमेष्वर की बातों के बारे में, तुम षवपेटी के जान कारडाईन जैसे मृत ही। मसीह ही आपको जीवन देने वाला है नहीं तो आप अनंतकाल में खो जाओगे! आपको पुकारा जाना चाहिए, ‘‘मैं कैसे अभाग मनुश्य हूँ! मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुडाएगा?'' (रोमियों 7:24)।
जब स्त्री या पुरूश व्यक्ति इस तरह से पडेगा, पूरे हृदय की गहराई से, वे उद्धार पाने के नज़दीक है। क्या तुम तरह से पड़े हो? क्या तुम महेसूस करते हो कि तुम परमेष्वर की ओर मृत हो? और मसीह ही तुम्हें बचा सकता है? क्या आप मसीह में परिवर्तित हो? अगर नहीं हो, तो क्या आप मसीह की ओर देखोगे, परमेष्वर का मेम्ना जिसने जगत के पाप को ढोया है? क्या तुम उसकी ओर देखोगे और अब विष्वास करोगे? श्री. ग्रीफीथ ने कुछ क्षण पहले गाये हुए गाने को फिर से सुनोगे।
इफ यु फ्रोम सीन आर लोंगींग टु बी फ्री,
लुक टु ध लेम्ब अॉफ गॉड;
ही, टु रीडीम यु, डाईड अॉन कालवरी,
लुक टु ध लेम्ब अॉफ गॉड।
लुक टु ध लेम्ब अॉफ गॉड, लुक टु ध लेम्ब अॉफ गॉड,
फोर ही अलोन इज अेबल टु सेव यु,
लुक टु ध लेम्ब अॉफ गॉड।
(“Look to the Lamb of God” by H. G. Jackson, 1838-1914).
(संदेश का अंत)
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संदेश से पहले पढ़ा हुआ वचन डॉ. क्रेग्टन एल. चॉन द्वारा : यषायाह 53:1-11।
संदेश के पहले श्री. बेंजामीन कीनकेइड ग्रीफिथ ने अकेले गाना गाया :
“Look to the Lamb of God” (by H. G. Jackson, 1838-1914).
रूपरेखा मसीह से मिली हुई - तृप्ति और धर्मी ठहराना डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा ‘‘वह अपने प्राणों का दुःख उठाकर देखेगा, और तृप्त होगाः अपने ज्ञान के द्वारा मेरा धर्मी दास बहुतेरांें को धर्मी ठहराएगा; और उनके अधर्म के कामों का बोझ आप उठा लेगा'' (यषायाह 53:11)। ।. पहला, मसीह की पीड़ा से परमेष्वर के न्याय की तृप्त, यषायाह 53:11अ; ॥. दूसरा, मसीह के ज्ञान से बहुतेरों को उचित ठहराएगा, यषायाह 53:11ब; 52:13; ॥।. तीसरा, पाप को ढोने वाला मसीह अपराधियों को प्रायष्चित लाता है, |