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मसीह की पीड़ा - सही और गलत(यषायाह 53 से पाँचवा धर्मोपदेष) डॉ. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा यह धर्मोपदेष, मार्च 17, 2013 को लोस एंजलिस में प्रभु के दिन सुबह प्रचार किया गया था ‘‘निष्चय उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दुःखों को उठा लिया; तो भी हमने उसे परमेष्वर का मारा-कूटा और दुर्दष में पड़ा हुआ समझा'' (यषायाह 53:4)। |
हमारे संदेष का पहला भाग कहता है कि येषू ने ‘‘हमारे दर्द उठाए और दुःख ढोये।'' वचन का यह भाग, नये करार में मती 8:17 में बताया गया है,
‘‘ताकि जो वचन यषायाह भविश्यवक्ता के द्वारा कहा गया था वह पूरा हो : उसने आप हमारी दुर्बलताओें को ले लिया और हमारी बिमारियों को उठा लिया'' (मती 8:17)।
मती 8:17 के वचन में यषायाह 53:4 के वचन से भी सीधा आवदेत किया गया है। डॉ. एडवर्ड जे. यंग ने कहा है, ‘‘मती 8:17 के संदर्भ में कई बातें बिल्कुल उचित है, हालांकि यहाँ बिमारी को पाप के संदर्भ में बताया गया है, इस वचन में पाप के परिणाम को दूर करने की सोच भी दी गई है। बिमारी कभी न अलग होनेवाला, पाप का साथी है। (एडवर्ड जे. यंग, पी. अेचडी ध बुक अॉफ आईजाया, विलियम बी. अेर्डमन्स पब्लीषींग कंपनी, वोल्युम 3, पेज. 345)।
मती 8:17 में बीमारी की चंगाई के बारे में प्रायि�चत दिया गया है, किंतु हमें याद रखना है कि यह निवेदन मती द्वारा किया गया है। यह हमारे संदेष का मुख्य अर्थ नहीं निकलता। प्रो. ‘‘हेंगस्टनबर्ग सही बयान दिया है कि सेवक (मसीह) ने परिणाम के रूप में पाप को ढोया है; और उसमें बीमारियों और पीड़ा मुख्य स्थान लेती है। इस बात का ध्यान रखा जाय कि मती ने जानबुज कर (यषायाह 53:4) से ध्यान हराया है...तनाव के लिए कि सही में मसीह हमारी बीमारियों को ढोया है'' (यंग, आईबीआईडी., पेज 345, फुटनोट 13 के अनुसार)।
चारों भी सुसमाचार किताबों का ध्यानपूर्वक अध्ययन करने से पता चलता है कि मसीह ने बीमारी से चंगाई की यह इस बात से साबित होता है कि वह हम में परिवर्तन लाकर प्राण को चंगा कर सकता है। इस के अदाहरण रूप में दस कोढियों ने येषू को पुकारा और कहा, ‘‘हे स्वामी, हम पर दया कर'' (लूका 17:13)। येषूने उन्हें याजकों को दिखाने के लिए कहा, ‘‘और जाते ही जाते वे षुद्ध हो गए'' (लूका 17:14)। मसीह के सामर्थ्य से वे षारिरीक तौर से षुद्ध हो गए, किंतु उनका उद्धार नहीं हुआ। उनमें से केवल एक ही व्यक्ति लौट आया। उस ने उद्धार के रूप में आपने पापों से आध्यात्मिक चंगाई पाई, ज बवह येषू के पास लौटा ‘‘और यीषु के पाँव पर मुँह के बल गिरकर उसका धन्यवाद करने लगा'' (लूका 17:16)। इस पर यीषु ने कहा, ‘‘उठकर चला जा; तेरे विष्वास ने तुझे चंगा किया है'' (लूका 17:19)। तभी जाकर उसे आध्यात्मिक और षारिरीक चंगाई प्राप्त हुई। यह बातें हमें यीषु की कई चमत्कारिक चंगाई बताती है। जैसे कि यूहन्ना 9 में अंधे व्यक्ति का दिखाई देना। यह सबसे पहला व्यक्ति है जिसको अंधेपन से चंगाई मिली, किंतु उसने सोचा कि यीषु केवल एक न बी था, बाद में उसने कहा,
‘‘हे प्रभु, मैं विष्वास करता हूँ और उसे दण्डवत किया'' (यूहन्ना 9:38)।
तभी जाकर उस व्यक्ति का उद्धार हुआ।
इसलिए हम इस बात का निश्कर्श निकाल सकते है कि षारिरीक चंगाई दुसरी बात है, और यषायाह 53:4 में आध्यात्मिक चंगाई पर जोर दिया गया है। डॉ. जे. वरनॉन मेकजी ने कहा है,
यषायाह के इस वचन से यह बात बिलकुल स्पश्ट है कि उसके कोडे खाने से हम लोग अपने अपराधों से और अन्यायों से चंगे हो जाएॅ (यषायाह 53:5)। आप मुझ से कहोगे, ‘‘क्या आप इस बात के लिए बिल्कुल निष्चित हो?'' मुझे पता है कि इन वचनों में इस विशय में कहा है क्योंकि पतरस कहता है, ‘‘वह आप ही हमारे पापों को अपनी देह पर लिए मरकर धार्मिकता के लिये बिल्कुल जीवन बिताएँ; उसी के मार खाने से तुम चंगे हुए'' (1 पतरस 2:24)। चंगाई किससे? ‘‘पापोंसे'' यहाँ पर पतरस ने पाप के बारे में स्पश्टीकरण किया है (मेकजी, आईबीआईडी., पेज 49)।
यह स्पश्टीकरण हमें अपने संदेष की ओर ले जा रहा है,
‘‘निष्चय उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दुःखों को उठा लिया; तो भी हमने उसे परमेष्वर का मारा-कूटा और दुर्दष में पड़ा हुआ समझा'' (यषायाह 53:4)।
यह वचन प्राकृतिक रूप से दो हिस्सों में बँट गया है; (1) पवित्र षास्त्र में दिए हुए मसीह की दुर्दषा का सही कारण (2) अंधकार में जीने वालों की गलत मान्यता।
।. प्रथम, पवित्र वचन में दिए गए मसीह की पीड़ा (दुर्दषा) के सही कारण।
‘‘निष्चय उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दुःखों को उठा लिया...'' (यषायाह 53:4)।
‘‘निष्चय'' षब्द मसीह की दुर्दषा का सही कारण और अंधविष्वासी के गलत वजह की पहेचान कराता है। ‘‘निष्चित'' और बाद में सही बयान; और ‘‘अभी तक'', फिर से गलत बयान;
‘‘निष्चय उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दुःखों को उठा लिया; तो भी हमने उसे परमेष्वर का मारा-कूटा और दुर्दष में पड़ा हुआ समझा'' (यषायाह 53:4)।
‘‘दर्द'' और ‘‘दुःख'' इन षब्दों को भी समझा जाता है। हिब्रू भाशा में ‘दर्द' का मतलब है ‘‘रोग''। यषायाह 1:5-6 में इसका सामानार्थी षब्द ‘‘पाप'' के लिए प्रयोग किया है। यहाँ पर ‘पाप' का सामानार्थी षब्द है। यहाँ दर्द के संदेष में रोग और पापों के रोग का उल्लेख किया है। इसलिए ‘‘रोग'' पापका और ‘‘दुःख, दर्द और पीड़ा'', पाप से उद्भव होते है, यह इस का मतलब है-पाप के रोग और उसके दर्द।
अब ‘‘जनित'' षब्द की ओर ध्यान दे। इस का मतलब है ‘‘ढोना''। किंतु ‘‘इस का मतलब ढोने (उठा लेने) से भी अधिक है। उठा लेना और ढोने से भी अधिक सोचनीय है। (यंग, आईबीआईडी., पेज 345) मसीह मनुश्य के पापों को उठाता है, अपने आप पर ले लेता है, और उन पापों को दूर करता है। जैसे मसीह ने अपना क्रूस उठाकर कॅलवरी तक ले गया, उसी तरह परिवर्तक के पापों की उठा लेकर, ढो देता है। प्रेरित पतरस ने मसीह के बारे में यही कहा है,
‘‘वह आप हो हमारें पापों को अपनी देह पर लिए हुये क्रूस पर चढ़ गया'' (1 पतरस 2:24)।
जैसे केईल और डेलीटष ने कहा है,
मसीह का संबंध मात्र हमारी पीड़ा के साथ नहीं था, किंतु हमारी पीड़ा (दर्द) अपने आप पर ले ली और उसे उठाने लायक बना, उसने दर्द केवल हराया ही नही...किंतु अपने आप पर (षारिरीक तौर) से उठा लिया, ताकि उससे हमें छुटकारा दिला सके। किंतु एक व्यक्ति दुसरों का दर्द अपने आप पर ढोता है, जब की दुसरों ने उठाना है। और केवल उसके साथ ही नहीं रहता है लेकिन उनकी जगह लेता है इसे प्रतिस्थापन कहते है (फ्रांझ डेलीटस, Th.D., Commentary on the Old Testament in Ten Volumes, विलियम बी. एर्डमनस पब्लीषींग कंपनी, 1973 reprint, Volume VII पेज. 316)।
मसीह ने हमारे पापों की अपने देह पर लिया, और कॅलवरी पर्वत पर ले गया, फिर क्रूस पर और वहाँ उसने हमारे पापों की कीमत चुकाई। ‘‘इसे कहते है प्रतिस्थापन''!!! ‘‘बेरींग ष्ोम अेंड स्कोफींग रूड''। गाईए!
बेरींग ष्ोम अेंड स्कोफींग रूड,
इन माय प्लेस कंडेमन्ड ही स्टूड;
सील्ड माय पारडन वीथ हीस ब्लड;
हल्लेलूयाह! वॉट ए सेवियर!
(‘‘हल्लेलूयाह! वॉट ए सेवियर!'' फिलिप बी. ब्लीस द्वारा 1838-1876)
‘‘परंतु वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म कामों के कारण कुचला गया'' (यषायाह 53:5)।
‘‘पवित्रषास्त्र के वचनके अनुसार यीषु मसीह हमारे पापों के लिए मर गया'' (1 कुरिन्थियों 15:3)।
‘‘निष्चित उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दुःखों को उठा लिया...'' (यषायाह 53:4)।
डॉ. डबल्यू अे. क्रीसवेल ने कहा है,
क्रूस पर मसीह की मृत्यु हमारे पापों के फलों का परिणाम है। प्रभु यीषु को किसने मारा? महिमा के राजकुमार को किसे मारा? किन लोगों ने उसे क्रूस पर कीलों से पीड़ित करके मार डाला? किसका अपराध था?...अवष्य कहते है कि इसमें हम सब का हिस्सा है। मेरे पाप उसके काँटो के ताज़ के नीचे दबाए गए, मेरे पाप उसके हाथों में दाँतेदार कीलों से ठोके गए। मेरे पापोंके कारण उसके हृदय में भाले भोंके गए। मेरे पापों के कारण प्रभु यीषु को क्रूस पर चढाया गया। यही कारण है...हमारे प्रभु की मृत्यु का (डबल्यू. ए. क्रीसवेल, पी.अेचडी., “The Blood of the Cross,” Messages From My Heart, REL पब्लीकेषन 1994, पेजीस. 590-511)।
‘‘पवित्रषास्त्र के वचनके अनुसार यीषु मसीह हमारे पापों के लिए मर गया'' (1 कुरिन्थियों 15:3)।
‘‘निष्चित उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दुःखों को उठा लिया...'' (यषायाह 53:4)।
‘‘बेरींग ष्ोम एंड स्कोफींग रूड''। फिर से गाओ!
बेरींग ष्ोम ऐंड स्कोफींग रूड,
इन माय प्लेस कंडेमन्ड ही स्टूड;
सील्ड माय पारडन वीथ हीस ब्लड;
हल्लेलूयाह! वॉट ए सेवियर!
मसीह की दुर्दषा का यही है सही कारण-तुम्हारें पापों की भुगतान के लिए! किंतु मानवजातिने अपने अंधकार और विद्रोह के कारण, सुंदर से उद्धार के सत्य की, मसीह की मृत्यु को झूठ में मोत दिया! यह हमें दूसरे हिस्से की ओर ले जाता है।
॥. दूसरा, मसीह की दुर्दषा के गलत कारण, अंध विष्वासीयों के द्वारा दिये गए।
हमारे संदेष की ओर ध्यान दे। चलो खडे हो जाएँ और जोर से पढे़।
‘‘निष्चित उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दुःखों को उठा लिया; तो भी हमने उसे परमेष्वर का मारा-कूटा और दुर्दष में पड़ा हुआ समझा'' (यषायाह 53:4)।
आप बैठ सकते है।
‘‘तो भी हमने उसे परमेेष्वर का मारा-कॅटा और दुर्दष में पड़ा हुआ समझा''। ‘‘हम'' मनुश्य जो आदम के वंषज है। खुद षौतान ने हमें अंधा कर दिया है, हम मसीह की पीड़ा प्रत्यद्यिकृत करने में नाकामयाब रहे, यह कि वह हमारी जगह मरा, हमारा स्थानापन्न बनकर। हमने सोचा वह ती मात्र गरीब मूर्ख था, कदाचित पागल या भ्रांतिमय, या जैसे फरिसीयों ने कहा, ‘‘दानव से भरा,'' जिसने स्थापित आदेष के खिलाफ पागल की तरह अपने आप पर पीड़ा मोल ली। अय्युब के मित्रों की तरह हमने सोचा कि उसके अपने पाप और मूर्खता, मनुश्य के खिलाफ क्रोध अपने आप पर ले कर नीचे गिराया है। हमने सोचा ज्यादा से ज्यादा बिना किसी कारण के षहीद हो गया। हममें से कई लोगोें ने सोचा होगा यीषु कट्टरपंथी था। हममें से अधिकांष विचार का मनोरंजन करते है कि उसने धार्मिक अगवों को उत्त्ोजित करके अपने आप पर मृत्यु को बुला लिया।
घायल? हाँ हम जानते है कि वो घायल हुआ था। पीटा गया! हाँ, हम जानते है कि वो पीटा गया था। पीड़ित? हाँ, हम वो भी जानते है! हम यह भी जानते है कि उन्होंने उसके मुँह पर मुक्कों से मारा था। हम जानते है कि उन्हों ने उसे चाबुक से फटकारा था। हम जानते है कि उसे क्रूस पर कीलों से ठोका गया था! ज्यादातर सभी लोगों को इन बातों का पता है। किंतु हमने गलत तरीके से पेष किया। हमने उसे गलत समझा। हमें इस बात का एहसास नहीं हुआ कि उस ने हमारे दर्द ढोए और हमारें दुःख को उठाए! जब हमने उसे क्रूस पर मन में देखा तो सोचा कि उसे अपने विद्रोह और गलतियों की सजा मिली।
‘‘किंतु नहीं! वे तो हमारे अपराधों के कारण, अपने अधर्म कार्यो के कारण और इसके लिए ताकि हमें परमेष्वर से षांति मिले, ताकि हमें चंगाई मिले (पापोंसे)। सच्चाई यह है कि पहले हम भटक गए थेे, जो अपनी मरजी से चल रहे थे और परमेष्वर ने हमारी अधर्मता को निश्पापी पर डाल दी'' (विलियम मेकडॉनल्ड, Believer’s Bible Commentary, थोमस नेलसन प्रकाषन, 1995, पेज. 979)।
फोर अवर गील्ट ही गेव अस पीस,
फ्रोम अवर बोन्डेज गेव अस रीलीझ,
अेंड वीथ हीस स्ट्राईपस, एँड वीथ हीस स्ट्राईपस,
अेंड वीथ हीस स्ट्राईपस अवर सॉलस आर हील्ड।
(‘‘ही वोज़ वुंडेड'' थोमस ओ. चीषोल्म, 1866-1960)।
‘‘निष्चय उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दुःखों को उठा लिया; तो भी हमने उसे परमेष्वर का मारा-कूटा और दुर्दष में पड़ा हुआ समझा'' (यषायाह 53:4)।
श्री. ग्रीफिथ, वह वचन फिरसे गाईए।
क्या आपको सही लगता है? क्या आप सोचते हो कि यीषु कोई दुसरे कारण के लिए या तो हमारे पापों के डोने के लिए मरा? फिर तो अब जैसे आप जानते हो कि मसीह तुम्हारे गुनाहों की सजा भुगतने मरा, क्या आप विष्वास से उन्हे मानोंगे? क्या आप परमेष्वर के पुत्र में विष्वास रखोंगे और उसके कीमती लहू से जायज और षुद्ध बनोगे?
मैं आप से कहता हूँ कि आप उसकी दुर्दषा और पीड़ा के विशय के हर गलत सोच को अपने दिमाग से हटा दे। उसने हमारे पापो की सजा भुगती है। वह मृत्यु के बाद जी उठा है। और अब वह स्वर्ग में परमेष्वर पिता के दाहिने हाथ पर बैठा है। मैं आपसे कहता हूँ कि उस पर विष्वास करो और पापों से बचाया करो।
किंतु यीषु के बारे में इतना जानना काफी नहीं है। आप इन सब बातों को जान कर भी मसीह में नहीं हो सकते। आप यीषु के क्रूस के दर्दनाक मृत्यु के बारे में जानते होंगे; आप यह भी जानते होगे कि वह हम पापियों के स्थान पर मरा, फिर भी हम पखिर्तक नहीं बने। यीषु मसीह में विष्वास आवष्यक है जीन्दा खुदा। आप उस पर विष्वास करे और उसकी षरण में आ जाएँ। वही उद्धार का मार्ग है। वही अनंत जीवन का दरवाजा है। अभी उस पर विष्वास करो, तुरंत ही तुम्हें क्षमा मिलेगी और पापों से उद्धार मिलेगा। श्री. ग्रीफिथ यह गाना फिरसे गाएँगे। अगर आप उद्धार के विशय में हमसे बात करना चाहते है, तो कृपया करके इस कमरे के पिछवाडे जाईए जब की गाना गा रहे है।
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डॉ. चान, कृपया प्रतिक्रिया करने वालों के लिए प्रार्थना करे। आमीन।
(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन से पहले श्री. एबेल प्रुधोमी ने 1 पतरस 2:21-25 से वचन पढ़ा था।
धार्मिक प्रवचन से पहले श्री. बेंजामीन कीनकेइड ग्रीफिथ ने अकेले गाना गाया था :
‘‘ही वोज़ वुंडेड'' (थोमस ओ. चीषोल्म द्वारा 1866-1960; ‘‘ओक पार्क'' के राग पर)।
रूपरेखा मसीह की पीड़ा - सही और गलत (यषायाह 53 से पाँचवा धर्मोपदेष) डॉ. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा ‘‘निष्चय उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दुःखों को उठा लिया; तो भी हमने उसे परमेष्वर का मारा-कूटा और दुर्दष में पड़ा हुआ समझा'' (यषायाह 53:4)। (मती 8:17; लूका 17:13,14,16,19; योहन्ना 9:17,38; 1 पतरस 2:24) ।. प्रथम, मसीह की पीड़ा के सही कारण, यषायाह 53:4अ, 5;
॥. दूसरा, मसीह की पीड़ा के गलत कारण जो अंध विष्वासीयों ने दिए है यषायाह 53:4ब में। |