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यूसुफ- मसीह का चिन्ह (उत्पति की किताब पर धार्मिक प्रवचन क्रमांक 71) डो. आर. एल. हायमर्स, जुनि. द्वारा लोस एंजलिस के बप्तीस टबरनेकल में प्रभु के दिन की षाम, 17 फरवरी, 2013 को दिया हुआ धार्मिक प्रवचन |
यह एकहत्तरवाँ (71) धार्मिक प्रवचन है जो मैंने पिछले कुछ महिनों में उत्पति की किताब से प्रचार किया है। हमारा इरादा है इस धार्मिक प्रवचन का संपादन करें और उसे किताब जिसका षिर्शक हो ‘‘उत्पति का संदेष'' (The Message of Genesis) की तरह प्रकाषित करें। परंतु इस षाम मैं उत्पति के पाठ से षुरूआत नहीं करूँगा। मेरा प्रारंभ का पाठ है लूका से, श्रीमान प्रद्योम्म द्वारा इस सभा में पहले पढे़ हुए वाक्यखण्ड से। मेहरबानी करके खड़े रहो और मेरे साथ लूका 24:44 और 45 पर फिरो। यह स्कोफिल्ड स्टडी बाइबल के पृश्ठ 1112 पर है।
‘‘ये मेरी वे बातें है, जो मैंने तुम्हारे साथ रहते हुए तुम से कही थी कि अवष्य है कि जितनी बातें मूसा की व्यवस्था और भविश्यवक्ताओं और भजनों की पुस्तकों में मेरे विशय में लिखी है, सब पूरी हों। तब उस ने पवित्रषास्त्र बूझने के लिये उनकी समझ खोल दी'' (लूका 24:44,45)।
यीषु ने कहा, ‘‘अवष्य है कि जितनी बातें मूसा की व्यवस्था और ... में मेरे विशय में लिखी है सब पूरी हो''। ‘‘मूसा की व्यवस्था'' वो है जिसे यीषु कहते है बाइबल की पहली पांच किताबे, जो मूसा द्वारा लिखी गयी थी। अवष्य ही वो पहली किताब, उत्पति का संदर्भ करेगी। मसीह के विशय में सारी बातें जो उत्पति में है वह परिपूर्ण होनी चाहिए। अब लूका 24:25-27 पर देखो। यही था जो यीषु ने कहा था, उनके दो चेलों से जिनको वे इम्माऊस जाने के रास्ते पर मिले थे।
‘‘हे निर्बुद्धियों, और भविश्यवक्ताओं की सब बातों पर विष्वास करने में मन्दमतियों। क्या अवष्य न था कि मसीह ये दुःख उठाकर अपनी महिमा में प्रवेष करें? तब उसने मूसा से और सब भविश्यवक्ताओं से आरम्भ करके सारे पवित्रषास्त्र में से अपने विशय में लिखी बातों का अर्थ, उन्हें समझा दिया'' (लूका 24:25-27)।
पद 27 के उन षब्दों पर रोषनी डालो, ‘‘और तब मूसा ... ये आरम्भ करके सारे पवित्रषास्त्र में से अपने विशय में लिखी बातों का अर्थ उन्हें समझा दिया''। आप बैठ सकते हो।
‘‘बातें जो उनके विशय'' में थी वह यीषु द्वारा उत्पति की किताब से समझा दी थी। वह कथन हमें स्पश्टता से दिखाता है कि उत्पति की किताब बात करता है यीषु की ‘‘चिन्हों'' में। पुरानी नियमावली में ऐसा चिन्ह कुछ ऐसा है जो नयी नियमावली में कुछ दर्षाता है जो आदर्ष है। द्रश्टांत के तौर पर, उत्पति की किताब में नूह के जहाज में आठ व्यक्ति बचाएँ गये थे। इस प्रकार जहाज मसीह का चिन्ह है जो उनके लोगों को बचाते है नाष होने से। चिन्ह जहाज है; आदर्ष मसीह है।
जैसे आज रात हम उस धार्मिक प्रवचन पर आते है, जिसमें हम देखेंगे कैसे यूसुफ, उत्पति की किताब में मसीह का चिन्ह था। डो. आइ. एम. हेल्डमेन, न्यूयोर्क के पहले बेपटीस्ट कलीसिया के दीर्घ-काल याजक, दर्षाते है एकसो-एक समरूप (समानान्तरता -Parallels) उत्पति की किताब में यूसुफ, और नयी नियमावली के चार सुसमाचारों में मसीह के बीच। इसके बारे में सोचो! मसीह आदर्ष थे, या परिपूर्णता, यूसुफ के जीवन में एकसो-एक चिन्हों की! मुझे सन्देह नहीं है कि मसीह ने दर्षाए कम से कम थोड़े चिन्ह यूसुफ में जो उसमें परिपूर्ण हुए थे, जब ‘‘मूसा से आरम्भ करकेे ... सारे पवित्रषास्त्र में से अपने विशय में लिखी बातों का अर्थ, उन्हें समझा दिया'' (लूका 24:27)। मैं निष्चितरूप से आपको एकसो-एक समरूप यूसुफ और मसीह के बीच नहीं देनेवाला हूँ! परंतु उनमें से थोड़े मैं आपको दूंगा।
उत्पति में आखरी चौदा पाठों में मुखय व्यक्ति है यूसुफ। उत्पति की किताब में किसी ओर से अधिक पाठ यूसुफ को समर्पित किए गए है! ज्यादा पाठ बात करते है यूसुफ के बारे में, अब्राहम, इसहाक, याकूब या किसी ओर से अधिक। एक कारण जो पवित्र आत्मा हमें इतना कुछ कहते है यूसुफ के बारे में जो है वो अधिक मसीह की तरह है बाइबल में किसी भी और व्यक्ति से। उत्पति 37:2 पर स्कोफिल्ड की टीप्पणी कहती है, ‘‘जब कि यह कहीं नहीं स्थापित किया गया है कि यूसुफ मसीह का चिन्ह था, तूलना बहुत अधिक अचानक है''। मैं सहमत हूँ कि ‘‘तूलना बहुत अधिक अचानक है।'' परंतु मैं असहमत हूँ कि नयी नियमावली कभी भी उसके बारे में मसीह के चिन्ह की तरह बात नहीं करती। मैंने इसके लिए लंबे समय तक परिश्रम किया था, परंतु मैं इस नतीजे पर पहूँचा - उत्पति की किताब में चिन्ह यूसुफ है। चार सुसमाचारों में मसीह आदर्ष है। इस प्रकार सब चार सुसमाचार हमें देते है आदर्ष, समय और अतिरिक्त। इसीलिये ‘‘तूलना बहुत अधिक अचानक है''। डो. हेल्डमन सही थे - यूसुफ मसीह का चिन्ह है। मैं आपको पंद्रह समरूपता देनेवाले हूँ - जिस में यूसुफ मसीह के चिन्ह के समान दिया गया है।
1. पहला, वे दोनों अपने पिता द्वारा बहुत प्रेम किए गए थे।
हम उत्पति में पढ़ते है,
‘‘इस्त्राएल अपने सब पुत्रों से बढ़ के यूसुफ से प्रीति रखता था ...'' (उत्पति 37:3)
इस्त्राएल याकूब का नया नाम था। और इस्त्राएल ने यूसुफ पर बहुत गहरा प्रेम रखा, दूसरे सब पुत्रो से उपर। यूसुफ चिन्ह है।
जब यीषु को बपतिस्मा देनेवाले यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा दिया गया, परमेष्वर स्वर्ग से बोले और कहा,
‘‘यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यन्त प्रसन्न हूँ'' (मती 3:17)।
यीषु आदर्ष है, चिन्ह की परिपूर्णता।
2. दूसरा, वे दोनों अपने भाइयों द्वारा नफरत किए गए थे।
हम उत्पति में पढ़ते है,
‘‘जब उसके भाईयों ने देखा कि हमारा पिता हम सब भाईयों से अधिक उसी से प्रीति रखता है, तब वे उससे बैर करने लगे और उसके साथ ठीक से बात भी नहीं करते थे'' (उत्पति 37:4)।
यूसुफ के भाई उससे नफरत करते थे और उससे अच्छी तरह बात भी नहीं करते थे। यूसुफ चिन्ह है।
यीषु के भाईयों ने यूहन्ना 7:3,4 में उनसे रूखेपन से बात की। उन्होंने उनकी निंदा की और कहा, ‘‘अपने आप को जगत पर प्रगट कर''। फिर हमें कहा गया, ‘‘क्योंकि उसके भाई भी उस पर विष्वास नहीं करते थे'' (यूहन्न 7:5)। यीषु आदर्ष है, चिन्ह की परिपूर्णता।
3. तीसरा, उन दोनों के विरूद्ध द्रोह किया गया था।
हम उत्पति में पढ़ते है कि यूसुफ के भाइयों ने कहा,
‘‘इसलिये आओ, हम उसको घात करें'' (उत्पति 37:20)।
युसूफ चिन्ह था।
फरिसियोंने वैसा ही यीषु को किया, क्योंकि हमें कहा गया है,
‘‘अतः उसी दिन से वे उसे मार डालने का शडयन्त्र रचने लगे'' (यूहन्ना 11:53)।
यीषु आदर्ष है, चिन्ह की परिपूर्णता।
4. चौथा, उन दोनों के वस्त्र उनसे ले लिये गए थे।
हम उत्पति में पढ़ते है
‘‘ऐसा हुआ कि जब यूसुफ अपने भाइयों के पास पहुँचा तब उन्होंने उसका ... अंगरखा, जिसे वह पहिने हुए था, उतार लिया'' (उत्पति 37:23)।
यूसुफ चिन्ह था।
जब यीषु को क्रूस पर चढ़ाया गया, सैनिको ने ‘‘उसके कपड़े लेकर ... कुरता भी लिया'' (यूहन्ना 19:23)। यीषु आदर्ष थे, चिन्ह की परिपूर्णता। यूसुफ को नंगा किया और गड्हे में फेंक दिया। यीषु को नंगा किया और क्रूस पर किल से लटका दिया। यीषु आदर्ष है, चिन्ह की परिपूर्णता।
5. पांचवा, वे दोनो मिस्त्र ले जाए गए थे।
हम उत्पति में पढ़ते है कि उसके भाई यहूदा ने कहा उन्हें यूसुफ को बेच देना चाहिए, जो उन्होंने किया, सफर करनेवाले व्यापारीयों के जुथ को, ‘‘और वे यूसुफ को मिस्त्र ले गए'' (उत्पति 37:28)।
जब स्वर्गदूत ने यूसुफ यीषु के सौतेले पिता से कहा कि राजा हेरोदेस बालक यीषु का वध करने उसे ढूँढेंगे, ‘‘वह ... बालक और उसकी माता को लेकर मिस्त्र को चला गया'' (मती 2:14)। यीषु आदर्ष है, चिन्ह की परिपूर्णता।
6. छठ़ा, वे दोनो गुलामों के दाम बेचे गए थे।
हमने उत्पति में पढ़ा कि यूसुफ के भाइयोंने उसे गड्हे में से बाहर खींचा जिसे उन्होंने ही वहाँ फेंका था ‘‘और इष्माएलियों के हाथ चाँदी के बीस टूकड़ों में बेच दिया'' (उत्पति 37:28)। यूसुफ चिन्ह था।
यीषु को क्रूस पर चढ़ाने से कुछ दिनों पहले, उनका एक चेला, यहूदा महायाजक के पास गया और कहा, ‘‘यदि मैं उसे तुम्हारे हाथ पकड़वा दूँ तो मुझे क्या दोगे? उन्होंने उसे तीस चाँदी के सिक्के तौलकर दे दिए'' (मती 26:15)। चांदी के बीस टूकड़े यूसुफ के समय में गुलाम का दाम था, मसीह का विष्वासघात किया गया था चाँदी के तीस सिक्को के लिये जो यीषु के समय में गुलाम का दाम था, उससे करीबन 1759 वर्श पहले। यीषु आदर्ष थे, चिन्ह की परिपूर्णता।
7. सातवाँ, उन दोनों की परीक्षा की गई थी।
जब युसूफ को मिस्त्र लाया गया था, वह पोतीपर, फिरौन के प्रधान को बेचा गया था। इस आदमी ने यूसुफ को उसके घर और रियासत को संभालने रखा। जब पोतीपर चला गया, उसकी पत्नी ने युसूफ की परीक्षा की और कहा, ‘‘मेरे साथ सो'' परन्तु यूसुफ ने प्रलोभन का इन्कार किया और घर से भाग गया (उत्पति 39:12)। यूसुफ चिन्ह था।
नयी नियमावली में हमें कहा गया है, ‘‘तब आत्मा यीषु को जंगल में ले गया (था) ताकि इब्लीस से उस की परीक्षा हो'' (मती 4:1)। परन्तु यीषु ने पवित्रषास्त्र का कथन किया और परीक्षा से अपने को बचाया। यीषु आदर्ष थे, चिन्ह की परिपूर्णता।
8. आठवाँ, वे दोनो झूठे तरीके से अपराधी ठहराए गए थे।
पोतीपर की पत्नी ने झूठ कहा जब उसने यूसुफ को अपराधी ठहराया उसके साथ जातीय संबंध बांधने का प्रयत्न करने के लिये (उत्पति 39:14-18)। यूसुफ चिन्ह था।
नयी नियमावली में हम पढ़ते है कि यीषु भी झूठे तरीके से अपराधी ठहराए गए थे जब उन्हें क्रूस पर चढ़ाने से एक रात पहले महायाजक के सामने लाया गया था। मती के 26 वे पाठ में हम पढ़ते है,
‘‘अन्त में दो झूठे गवाह आए और कहा, इसने कहा है कि मैं परमेष्वर के मन्दिर को ढा सकता हूँ और उसे तीन दिन में बना सकता हूँ। तब महायाजक ने खड़े होकर यीषु से कहा, क्या तू कोई उत्तर नहीं देता? ये लोग तेरे विरोध में क्या गवाही देते है?'' (मती 26:60-62)।
यीषु आदर्ष थे, चिन्ह की परिपूर्णता।
9. नवाँ, वे दोनो जंजीर में बाँधे गए थे।
पोतीपर ने यूसुफ को जेल में डाला दृढतापूर्वक उसकी पत्नी को बहकाने की कोषिश के लिये।
‘‘और यूसुफ के स्वामी ने उसको पकड़कर बन्दीगृह में जहाँ राजा के कैदी बन्द थे, डलवा दिया : अतः वह उस बन्दीगृह में रहा'' (उत्पति 39:20)।
यूसुफ चिन्ह है।
नयी नियमावली में, यीषु भी जंजीर से बाँधे गए थे।
‘‘उन्होंने उसे बाँधा और ले जाकर पिलातुस हाकिम के हाथ में सौंप दिया'' (मती 27:2)।
यीषु आदर्ष है, चिन्ह की परिपूर्णता।
10. दसवाँ, वे दोनों दो कैदीयों के साथ रखे गए थे, एक बचाया गया था और दूसरा खोया हुआ रहा।
‘‘तब फिरौन ने अपने उन दोनो हाकिमों अर्थात् पिलानेहारों के प्रधान और पकानेहारों के प्रधान पर क्रोधित होकर उन्हें कैद कराके अंगरक्षको के प्रधान के घर के उसी बन्दीगृह में, जहाँ यूसुफ बन्दी था, डलवा दिया'' (उत्पति 40:2,3)।
यह दोनों आदमी यूसुफ के साथ बन्दीगृह में थे। उनमें से एक बचाया गया था और दूसरा फाँसी चढ़ाया गया था। यूसुफ चिन्ह है।
नयी नियमावली में, यीषु दो चोरो के बीच में क्रूस पर चढ़ाए गए थे।
‘‘वे अन्य दो मनुश्यों को भी जो कुकर्मी थे उसके साथ घात करने को ले चले'' (लूका 23:32)।
एक चोर क्रूस पर बचाया गया था। दूसरा नाष हुआ। यीषु आदर्ष है, चिन्ह की परिपूर्णता।
11. ग्यारहवाँ, वे दोनो तड़पने के बाद ऊँचे किए गए थे।
भाग्यषाली घटनाओं की षृंखला के द्वारा यूसुफ बन्दीगृह से मुक्त किया गया था। ‘‘और फिरौन ने युसूफ से कहा, सुन मैं तुझ को मिस्त्र के सारे देष के ऊपर अधिकारी ठहरा देता हूँ'' (उत्पति 41:41)। वो बन्दीगृह से मुक्त कराया गया और मिस्त्र के सारे देष का प्रधानमंत्री बना। यूसुफ चिन्ह था।
नयी नियमावली में, हम उठे हुए मसीह की प्रषंसा के बारे में पढ़ते है,
‘‘इस कारण परमेष्वर ने उसको अति महान् भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेश्ठ है, कि जो सवर्ग में और पृथ्वी पर और पृथ्वी के नीचे है, वे सब यीषु के नाम पर घुटना टेके; और परमेष्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकर कर ले कि यीषु मसीह ही प्रभु है'' (फिलिप्पियों 2:9-11)।
यीषु आदर्ष है, चिन्ह की परिपूर्णता।
12. बाँरहवा, वे दोनो रोए थे।
अन्त में, यूसुफ के भाई इस्त्राएल की भूमि पर अकाल अनुभव कर रहे थे। भूखमरे से बचने के लिये वे अनाज खरीदने नीचे मिस्त्र गए। उन्हें यह उनके भाई यूसुफ से ही लेना पड़ा जो अब प्रधान मंत्री था। उन्होंने यूसुफ को पहचाना नहीं, क्योंकि उसकी दाढी, मूँछे हजामत कर दी गयी थी चेहरा और सिर, मिस्त्री की तरह। उत्पति में हमें पांच बार कहा गया है कि यूसुफ अपने भाईयों पर रोया। यहाँ एक बार है,
‘‘तब वह चिल्ला चिल्लाकर रोने लगा, और मिस्त्रियों ने सुना और फिरौन के घर के लोगों को भी इसका समाचार मिला'' (उत्पति 45:2)।
यूसुफ चिन्ह है।
नयी नियमावली में हम पढ़ते है, ‘‘यीषु रोया'' (यूहन्ना 11:35)। फिर से, हमें यीषु के यरूषलेम पर रोने के विशय में कहा गया,
‘‘जब वह निकट आया तो नगर को देखकर उस पर रोया'' (लूका 19:41)।
यीषु आदर्ष है, चिन्ह की परिपूर्णता।
13. तेरहवाँ, उन दोनों ने उनको अन्याय करनेवालों को माफ किया।
उत्पति में हम पढ़ते है कि आखीरकार यूसुफ ने स्वयं को उसके भाइयों के सामने प्रकट किया। वे उसे नहीं पहचान पाए थे इतने वर्शों बाद, उसने हजामत कर दी थी और मिस्त्रियों के समान कपड़े पहने थे। परंतु यूसुफ ने अपने स्वयं को उनके सामने प्रकट किया और उनको माफ किया।
‘‘फिर युसूफ ने अपने भाइयों से कहा, मेरे निकट आओ। यह सुनकर वे निकट गए। फिर उसने कहा, मैं तुम्हारा भाई यूसुफ हूँ, जिसको तुम ने मिस्त्र आनेवालों के हाथ बेच डाला था'' (उत्पति 45:4)।
‘‘तब वह अपने भाई बिन्यामीन के गले से लिपटकर रोया; और बिन्यामीन भी उसके गले से लिपटकर रोया। वह अपने सब भाइयों को भी चूमकर रोया और इसके पश्चात् उसके भाई उस से बातें करने लगे'' (उत्पति 45:14-15)।
यूसुफ चिन्ह है।
नयी निमयावली में हम पढ़ते है जो यीषु ने कहा, जैसे ही उन्होंने क्रूस से नीचे देखा उनको, जिन्होंने उसको वहाँ किल से ठोका था। उद्धारक ने कहा, ‘‘हे पिता, इन्हें क्षमा कर; क्योंकि ये जानते नहीं कि क्या कर रहे है'' (लूका 23:34)। यीषु आदर्ष है, चिन्ह की परिपूर्णता।
14. चौदहवाँ, उन दोनों ने उनके लोगों को बचाया।
उत्पति में हम पढ़ते है कि यूसुफ ने अपने से भाईयों कहा उन्होंने जो किया था उसके लिये षोक मत करो, ‘‘क्योंकि परमेष्वर ने तुम्हारे प्राणो को बचाने के लिये मुझे तुम्हारे आगे भेज दिया है'' (उत्पति 45:5)। यूसुफ चिन्ह है।
नयी नियमावली में हम पढ़ते है कि स्वर्गदूत ने कहा, ‘‘तू उसका नाम यीषु रखना, क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा'' (मती 1:21)। यीषु कह सकते थे जो यूसुफ ने कहा, ‘‘परमेष्वर ने तुम्हारे प्राणों को बचाने के लिये मुझे तुम्हारे आगे भेज दिया है''। यीषु आदर्ष हैे, चिन्ह की परिपूर्णता। परन्तु वहाँ एक और है, जो बहुत महत्वपूर्ण हे उपेक्षा करने से।
15. पंद्रहवाँ, लोगों ने उनको नुकसान करने जो भी किया, परमेष्वर ने उसे अच्छे में बदल दिया।
अन्त में, यूसुफ के भाई आए और उसके सामने गिर गये। यूसुफ ने उनको कहा उससे डरे नहीं। और यूसुफ ने कहा,
‘‘यद्यपि तुम लोगों ने मेरे लिये बुराई का विचार किया था, परंतु परमेष्वर ने उसी बात को भलाई का विचार किया, जिससे वह ऐसा करें, जैसा आज के दिन प्रगट है, कि बहुत से लोगों के प्राण बचे है। इसलिये अब मत डरो; मैं तुम्हारा और तुम्हारें बाल - बच्चों का पालन - पोशण करता रहूँगा। इस प्रकार उसने उनको समझा बुझाकर षान्ति दी'' (उत्पति 50:20,21)।
क्या मुझे कहने की आवष्यकता है कि मसीह स्वयं बोलते है आज रात आपको उन षब्दों के द्वारा,
‘‘इसलिये अब मत डरो; मैं तुम्हारा ... पालन पोशण करता रहूँगा। इस प्रकार उसने उनको समझा - बुझाकर षान्ति दी'' (उत्पति 50:21)।
अवष्य यूसुफ चिन्ह है, और यीषु इसकी परिपूर्णता। इतना करीब समरूप है कि वह षब्द यीषु के मुँह से भी आ सकते है!
‘‘इसलिये अब मत डरो; मैं तुम्हारा ... पालन पोशण करता रहूँगा। इस प्रकार उसने उनको समझा - बुझाकर षान्ति दी'' (उत्पति 50:21)।
उस प्रकार उद्धारक का भरोसा करना आसान है! वे आपका पालन - पोशण करेंगे। वे आपको षान्ति देंगे। वे आपके पाप माफ करेंगे और उनके बहुमूल्य लहू द्वारा आपको षुद्ध करेंगे। आओ और आज रात उनका भरोसा करो। अगर आप चाहते हो यीषु आपको बचाए, मेहरबानी करके कक्ष के पीछे अभी जाओ। डो. केगन आपको षान्त जगह ले जाएँगे जहाँ हम आपके साथ बातें कर सकते है और प्रार्थना कर सकते है। अभी जाओ। डो. चान मेहरबानी करके आओ और उनके लिये प्रार्थना करो जिन्होंने इस धार्मिक प्रवचन को प्रतिसाद दिया है।
(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन से पहले श्रीमान एबेल प्रुद्योम्म द्वारा पढ़ा हुआ पवित्रषास्त्र : लूका 24:36-45।
धार्मिक प्रवचन से पहले श्रीमान बेन्जामिन किनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीत :
‘‘भाग्यषाली मुक्त करानेवाला'' (एवीस. बी. क्रीस्टीयान्सेन द्वारा, 1895-1985)।
रूपरेखा यूसुफ- मसीह का चिन्ह (उत्पति की किताब पर धार्मिक प्रवचन क्रमांक 71) डो. आर. एल. हायमर्स, जुनि. द्वारा ‘‘ये मेरी वे बातें है, जो मैंने तुम्हारे साथ रहते हुए तुम से कही थी कि अवष्य है कि जितनी बातें मूसा की व्यवस्था और भविश्यवक्ताओं और भजनों की पुस्तकों में मेरे विशय में लिखी है, सब पूरी हों। तब उस ने पवित्रषास्त्र बूझने के लिये उनकी समझ खोल दी'' (लूका 24:44,45)। (लूका 24:25-27) 1. पहला, वे दोनों अपने पिता द्वारा बहुत प्रेम किए गए थे, उत्पति 37:3;
2. दूसरा, वे दोनों अपने भाइयों द्वारा नफरत किए गए थे, उत्पति 37:4; यूहन्ना 7:3, 4, 5। 3. तीसरा, उन दोनों के विरूद्ध द्रोह किया गया था, उत्पति 37:20;
4. चौथा, उन दोनों के वस्त्र उनसे ले लिये गए थे, उत्पति 37:23;
5. पांचवा, वे दोनो मिस्त्र ले जाए गए थे, उत्पति 37:28; मती 2:14। 6. छठ़ा, वे दोनो गुलामों के दाम बेचे गए थे, उत्पति 37:28; मती 26:15। 7. सातवाँ, उन दोनों की परीक्षा की गई थी, उत्पति 39:12; मती 4:1। 8. आठवाँ, वे दोनो झूठे तरीके से अपराधी ठहराए गए थे, उत्पति 39:14-18; मती 26:60-62। 9. नवाँ, वे दोनो जंजीर में बाँधे गए थे, उत्पति 39:20; मती 27:2। 10. दसवाँ, वे दोनों दो कैदीयों के साथ रखे गए थे, एक बचाया गया था और दूसरा खोया हुआ रहा, उत्पति 40:2,3; लूका 22:32। 11. ग्यारहवाँ, वे दोनो तड़पने के बाद ऊँचे किए गए थे, उत्पति 41:41; फिलिप्पियों 2:9-11। 12. बाँरहवा, वे दोनो रोए थे, उत्पति 45:2; यूहन्ना 11:35; लूका 19:41। 13. तेरहवाँ, उन दोनों ने उनको अन्याय करनेवालों को माफ किया,
14. चौदहवाँ, उन दोनों ने उनके लोगों को बचाया, उत्पति 45:5; मती 1:21। 15. पंद्रहवा, लोगों ने उनको नुकसान करने जो भी किया, परमेष्वर ने उसे अच्छे में बदल दिया, उत्पति 50:20,21। |