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इसहाक की बलि(उत्पति की किताब पर धार्मिक प्रवचन क्रमांक 70) डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा लोस एंजलिस के बप्तीस टबरनेकल में प्रभु के दिन की सुबह, 17 फरवरी, 2013 को दिया हुआ धार्मिक प्रवचन |
पिछले थोड़े महिनों में मैंने उत्पति की किताब से यह सत्तरहवाँ धार्मिक प्रवचन प्रचार किया है। मैं आषा करता हूँ इस सुबह यह आप सभी के लिए आषीर्वाद है! मेहरबानी करके आपके बाइबल में उत्पति 22:1 पर फिरो, जैसे ही हम साथ में खड़े होते है।
‘‘और इन बातों के पश्चात् ऐसा हुआ कि परमेष्वर ने अब्राहम से यह कहकर उसकी परीक्षा की, हे अब्राहम : उसने कहा देख मैं यहाँ हूँ। और उसने कहा, अपने पुत्र को अर्थात् अपने एकलौते पुत्र इसहाक को, जिस से तू प्रेम रखता है, संग लेकर मोरिय्याह देष में चला जा; और वहाँ उसको एक पहाड़ के ऊपर जो मैं तुझे बताऊँगा होमबलि करके चढ़ा'' (उत्पति 22:1-2)।
आप बैठ सकते हो।
लेखप्रमाण पर्याप्त सरल है, परंतु इस में बहुत गहरा संदेष है, इतना गहरा कि मैं बहुत वर्शों तक इसका प्रचार देने से हिचकिचाता था। मैं थोड़ी मिनटो मे ंवह स्पश्ट करूँगा। परंतु पहले मैं आपको कहानी बताऊँगा। अब्राहम बहुत वृद्ध आदमी था जब उसके पुत्र इसहाक का जन्म हुआ। वो पचहततर (75) वर्श का था जब परमेष्वर ने उसे पुत्र देने का वचन दिया। उन्होंने पच्चीस (25) वर्शो तक राह देखी, और वे सौ साल के थे जब उनके एक मात्र पुत्र का जन्म हुआ था। जैसे हम इस पाठ पर आते है, इसहाक करीबन 26 या 27 वर्श का है। अब परमेष्वर ने अब्राहम की परीक्षा ली। उन्होंने उसे उसके एकलौते पुत्र इसहाक, जिससे उसने बहुत प्रेम किया उसे लेकर मोरिय्याह की भूमि पर जाने को कहा, ‘‘और वहाँ उसको एक पहाड़ के ऊपर होमबलि करके चढ़ा'' (उत्पति 22:2)। वे उस जगह गए। अब्राहम ने लकड़ी ली जो वह लाया था, वेदी बनायी और लकड़ी को आग पर रखा। फिर उसने इसहाक को बाँधा और उसे लकड़ी पर रखा।
‘‘फिर अब्राहम ने हाथ बढ़ाकर छुरी को ले लिया कि अपने पुत्र को बलि करे। तब यहोवा के दूत ने स्वर्ग से उसको पुकार के कहा, हे अब्राहम, हे अब्राहम : उसने कहा, देख मैं यहाँ हूँ। उसने कहा, उस लड़के पर हाथ मत बढ़ा, और न उससे कुछ कर; क्योंकि तू ने जो मुझ से अपने पुत्र, वरन् अपने एकलौते पुत्र को भी नहीं रख छोड़ा; इससे मैं अब जान गया कि तू परमेष्वर का भय मानता है, तब अब्राहम ने आँखे उठाई, और क्या देखा कि उसके पीछे एक मेढ़ा अपने सींगो से एक झाड़ी में फँसा हुआ है; अतः अब्राहम ने जाके उस मेढ़े को लिया, और अपने पुत्र के स्थान पर उसे होमबलि करके चढ़ाया'' (उत्पति 22:10-13)।
यह है जो हुआ था उसका लेखप्रमाण। जैसे मैंने कहा, यह पर्याप्त सरल है। परंतु वहाँ कितने सारे हिस्से है कहानी के जिसका प्रचार करने के लिये मैं अब तक हिचकिचाता था। फिर मैंने डॉ. एच. सी. ल्युपोल्ड का इस वाक्यखण्ड पर समालोचना पढ़ी। उन्होंने कहा, ‘‘वाक्यखण्ड के धर्मउपदेषानुसार (Homiletical) इस्तेमाल में कम से कम दो मूल्य लगाना संभव है'' (एच. सी. ल्युपोल्ड, डी.डी., एक्सपोझीषन अॉफ जेनेसीस, उत्पति की स्पश्टता, भाग 2, बेकर बुक हाऊस, 1985 की प्रत, पृश्ठ 637)।
विचार की वहाँ ‘‘कम से कम'' दो मूल्य है ने मेरे मन को आजाद कर दिया जब मैंने इस वाक्यखण्ड पर प्रचार किया। इसलिए मैं आपको इस महान् वाक्यखण्ड के चार प्रार्थनापत्र (Application) देने वाला हूँ।
1. पहला, वाक्यखण्ड बात करता है विष्वास की जिसे परखा गया था।
पहला पद कहता है ‘‘इन बातों के पश्चात् ऐसा हुआ कि परमेष्वर ने अब्राहम की परीक्षा की'' (उत्पति 22:1)। हीब्रु षब्द ‘‘परीक्षा'' (tempt) के मूल जड़ का अर्थ है ‘‘परखना'' (स्ट्रोन्ग)। डो. मेकगीने कहा, ‘‘षब्द परीक्षा (tempt) थोड़ा मजबूत षब्द है। जेम्स इसे उनके पत्र में अच्छी तरह स्पश्ट करते है कि परमेष्वर कभी भी किसी की परीक्षा बुराई से नहीं लेते। प्रभु परीक्षा करते है लोगों की उस ज्ञान में कि वे उनके विष्वास की परीक्षा कर रहे है। परमेष्वर ने अब्राहम की परीक्षा की'' (जे. वेरनोन मेकगी, टीएच.डी., थ्रु ध बाइबल, बाइबल द्वारा, थोमस नेल्सन प्रकाषक, 1981, भाग 1, पृश्ठ 90)।
हमारा पाठ वर्णन करता है चौथी महान् परीक्षा का जो परमेष्वर ने अब्राहम को दी। हरएक परीक्षा में सम्बंधित किया समपर्ण करने, जिससे उसने प्रेम किया था। पहला, वे उसके परिवार और निज भूमि छोड़कर बुलाया गया था (उत्पति 12:1)। दूसरा, उसे उसके भतिजे लूत से जुदा होने को कहा गया था (उत्पति 13:1-18)। तीसरा, उसे इष्माएल के लिये उसके विचार छोड़ने को कहा गया (उत्पति 17:17,18)। चौथा, यहाँ उसे कहाँ गया उसके प्यारे पुत्र इसहाक की होमबलि चढ़ाने। आर्थर डब्ल्यु पीकने कहा,
विष्वास करनेवालों का जीवन परीक्षाओं की श्रेणी है, क्योंकि सिर्फ षिस्तता द्वारा ही मसीही चरित्र बनाया जा सकता है। बहुधा वहाँ पर एक उच्च परीक्षा है, जिसके मंतव्य में बाकी सारी परीक्षाएँ तैयारी करानेवाली थी। इसलिये ऐसा अब्राहम के साथ था। वो बार - बार परखा गया था, परंतु कभी भी यहाँ जैसा नहीं। प्रभु की मांग है, ‘‘हे मेरे पुत्र, अपना मन मेरी ओर लगा'' (नीतिवचन 23:26)। यह हमारी बुद्धि, हमारी चातुरी, या हमारा धन नहीं है, परन्तु प्रभु पहले हमारे मन, मांगते है। जब हमने परमेष्वर की आवष्यकता को प्रतिसाद दिया, वे उनका हाथ किसी विष्ोश चीज पर रखते है जो हमें करीब और प्यारा होता है, हमारे मकसद की सच्चाई को प्रमाणित करने, क्योंकि प्रभु को सत्य हमारे अन्दर से चाहिए ना कि सिर्फ हमारे होठ़ों से। इस प्रकार उन्होंने अब्राहम के साथ व्यवहार किया (आर्थर डब्ल्यु पींक, ग्लीनिंग्स इन जेनेसीस, उत्पति में बटोरना, मुडी प्रेस, 1981 की प्रत, पृश्ठ 226)।
वहाँ पर सदा बड़ी परीक्षा होती है षुरूआत में ही, जब व्यकित पहले सुसमाचार सुनता है। यीषु ने कहा, ‘‘तुम में से जो कोई अपना सब कुछ त्याग न दे, वह मेरा चेला नहीं हो सकता'' (लूका 14:33)। इसका अर्थ है कि आपको किसी भी ओर चीज से मसीह ज्यादा आवष्यक होने चाहिए। पाप, जिसे आप प्रेम करते हो वो जाने ही चाहिए। सांसारिक सम्पति को दूसरा स्थान देना चाहिए। गुप्त अनुग्रह छोड़ा जाना चाहिए। आप यह बाते देकर उस समय मसीही नहीं बन सकते हो! कोई कहता है, ‘‘परन्तु यह षायद मेरी कारकीदी को नुकषान करे।'' यीषु ने कहा, ‘‘तुम परमेष्वर और धन दोनो की सेवा नहीं कर सकते'' (लूका 16:13)। यीषु ने कहा, ‘‘यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप से इन्कार करे...'' (लूका 9:23)। यही है जहाँ बहुत से लोग ठोकर खाते है। उनहें बिना कुछ भी त्यागे मसीही बनना है। उन्हें उनके जीवन में कुछ भी बदलाव लाये बिना बचाए जाना है। उन्हें कुछ पाप को पकड़े रखना है और साथ में उसी समय परिवर्तित भी होना है! वह अषक्य है! वह नहीं हो सकता! वह अकल्पनीय है, प्रष्न के बाहर (सोच के बाहर) और निरर्थक विरोध है!'' ‘‘तुम में से जो कोई अपना सब कुछ त्याग न दे, वह मेरा चेला नहीं हो सकता'' (लूका 14:33)।
क्या वो एकदम वैसा ही नहीं था जिसका मिय्योन पहाड़ पर अब्राहम ने सामना किया था? परमेष्वर ने अब्राहम को परखा। क्या वो तैयार था त्यागने जिससे उसने इस संसार में सबसे ज्यादा प्रेम किया था - उसका एकलौता पुत्र? परमेष्वर ने कहा, ‘‘अपने पुत्र को अर्थात् अपने एकलौते पुत्र इसहाक को, जिस से तू प्रेम रखता है ... होमबलि करके चढ़ा'' (उत्पति 22:2)। और वही है परीक्षा जिसका सामना आप भी करते हो। आपके प्यारे पाप को लो और इसे होमबलि के लिये चढ़ा दो। क्या आप यह करेंगे? अगर आप नहीं करोगे, तो आप सच्चे मसीही नहीं बनोगे। इसे पकड़े रखो और आप कभी भी परिवर्तित नहीं होंगे - कभी भी नहीं! कभी भी नहीं! कभी भी नहीं! ओह, षायद आपकी प्रार्थना उस पूराने गीत को प्रतिध्वनि करें!
प्रभु यीषु, आसमान में आपके
सिंहासन से नीचे देखिये,
और मुझे पूरा समर्पण करने
को सहाय कीजीये;
मैं अपने स्वयं को और
मैं जो भी जानता हूँ उसे छोड़ देता हूँ
अब मुझे षुद्ध करो और
मैं बर्फ से अधिक �वेत हो जाऊँ...
...हरएक प्रतिमा तोड़ दो,
हरएक षत्रु को जला दो,
अब मुझे षुद्ध करो और
मैं बर्फ से अधिक �वेत हो जाऊँ...
(‘‘बर्फ से अधिक �वेत'' जेम्स निकलसन द्वारा, 1828-1896)।
2. दूसरा, वाक्यखण्ड बात करता है प्रभु के प्रेम की।
अब्राहम ने जो मानसिक व्यथा महसूस की थी जैसे ही वह अपने प्यारे पुत्र इसहाक को प्रभु की बलि के लिये ले गया उसके बारे में सोचो।
‘‘अपने पुत्र को अर्थात् अपने एकलौते पुत्र ... जिससे तू प्रेम रखता है ... लेकर चला जा ... होमबलि करके चढ़ा'' (उत्पति 22:2)।
आर्थर डब्ल्यु पींक ने कहा, ‘‘यह एक बहुत थोड़े पुरानी नियमावली के प्रकार से है जो हमारे सामने लाते है ना सिर्फ प्रभु - पुत्र परंतु प्रभु पितामह भी। यहाँ (पुरानी नियमावली में किसी भी अन्य जगह से अधिक) हमें दिखाया गया है पिता का euA यहाँ यह है कि हमें मिलती है ऐसी अद्भूत सूचना काल्वरी के दिव्य बाजू की'' (पींक, ibid, पृश्ठ 222)।
उत्पति को बाइसवें पाठ में हम सिखते है प्रभुने कैसा महसूस किया जब
‘‘वह ... जिसने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया'' (रोमियों 8:32)।
श्रीमान पींकने कहा, ‘‘ओह! कैसे परमेष्वर की आत्मा विलम्ब करती है बलि और बलि चढ़ानेवाले पर, जैसे कि वहाँ सम्पूर्ण (समानता) होगी नमूने (अब्राहम) और मूल आदर्ष (प्रभु पितामह के बीच) - ‘आपका पुत्र' - ‘आपका एकलौता पुत्र' - ‘जिससे तू प्रेम रखता है! ... हकीकत में यह केन्द्र है उत्पति 22 में। इस पाठ में अब्राहम इसहाक से अधिक चित्रण करता है ज्यादा विषिश्टता से ... यह (प्रेम) (है) पिता के मन का जो यहाँ बहुत उत्कृश्टता से दिखाया गया है'' (पींक ibid)। दुःख और षोक जो प्रभु पितामह ने महसूस से किया जब यीषु क्रूस पर चढ़ाए गये वो हमें अब्राहम, प्रभु पितामह के प्रकार में दिखाया गया था।
‘‘क्योंकि परमेष्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विष्वास करे वह नश्ट न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए'' (यूहन्ना 3:16)।
वाक्यखण्ड हमें दिखाता है विष्वास की परख, और प्रभु पितामह का प्रेम। परन्तु वहाँ ओर ज्यादा है, क्योंकि यह प्रभु के वचनों में बहुत समृद्ध पाठ है।
3. तीसरा, वाक्यखण्ड बात करता है मसीह की मृत्यु तक की आज्ञा मानने के बारे में।
‘‘इसहाक ने अपने पिता अब्राहम से कहा, हे मेरे पिता, उसने कहा, हे मेरे पुत्र, क्या बात है? उसने कहा, देख, आग और लकड़ी तो है, पर होमबलि के लिये भेड़ कहाँ है? अब्राहम ने कहा, हे मेरे पुत्र, परमेष्वर होमबलि की भेड़ का उपाय आप ही करेगा। और वे दोनों संग संग आगे चलते गए। जब वे उस स्थान को जिसे परमेष्वर ने उसको बताया था पहुँचे; तब अब्राहम ने वहाँ वेदी बनाकर लकड़ी को चुन चुनकर रखा, और अपने पुत्र इसहाक को बाँध कर वेदी पर की लकड़ी के ऊपर रख दिया। फिर अब्राहम ने हाथ बढ़ाकर छुरी को ले लिया कि अपने पुत्र को बलि करे'' (उत्पति 22:7-10)।
देखिये कैसे नम्रता और आज्ञापालन से इसहाक संहार को गया? इसहाक द्रश्टांत है। यीषु आदर्ष है, द्रश्टांत की परिपूर्णता। इसहाक उसकी मृत्यु तक आज्ञा में गया, वैसे ही मसीह ने किया। भविश्यवक्ताने कहा कि मसीह, ‘‘वध होनेवाले भेड के प्रकार लाया गया'' (यषायाह 53:7)। इसहाक ने अपने स्वयं का बचाव नहीं किया जब उसके पिता ने उसे बाँधा, ‘‘और उसे वेदी पर की लकड़ी के ऊपर रख दिया'' (उत्पति 22:9)। और जब पिलातुस ने यीषु को प्रष्न किया, ‘‘उसने उसको एक बात का भी उत्तर नहीं दिया, यहाँ तक कि हाकिम को बड़ा आष्चर्य हुआ'' (मती 27:14)। और यषायाह ने कहा, ‘‘वह सताया गया, तो भी वह सहता रहा और अपना मुँह न खोला'' (यषायाह 53:7)।
इसहाक को भी लकड़ी सहते हुए ध्यान दीजीये। वाकयखण्ड कहता है, ‘‘अब्राहम ने होमबलि की लकड़ी ले अपने पुत्र इसहाक पर लादी'' (उत्पति 22:6)। मसीह का उनका क्रूस उठाके क्रूस पर चढ़ाने की जगह जाने का कैसा चित्र! यहाँ हमें स्मरण कराया गया कि मसीह, ‘‘अपने आप को दीन किया, और यहाँ तक आज्ञाकारी रहा कि मृत्यु, हाँ, क्रूस की मृत्यु भी सह ली'' (फिलिप्पियों 2:8)।
‘‘षोक का आदमी'', कैसा नाम
प्रभु के पुत्र जो आए उनके लिये
नश्ट हुए पापियों को पुनःप्राप्त करने!
हल्लिलूय्याह! कैसे उद्धारक!''
(‘‘हल्लिलूय्याह! कैसे उद्धारक!'' फिलिप पी. ब्लीस द्वारा, 1838-1876)।
परन्तु वहाँ एक ओर मुद्दा है।
4. चौथा, वाक्यखण्ड बात करता है मसीह की पापीयों के बदले मृत्यु की।
अब्राहम बाहर पहुँचा और छुरी उठाई अपने पुत्र इसहाक का वध करने। यह अब्राहम को विचित्र लगता ह,ै जैसे यह आपको और मुझे लगता है, जब हम इसके बारे में पढ़ते है। अब्राहम ने माना कि इसानी बलि गलत था। अभी तक यह उसके मन में नहीं आया इंसान की बलि देना। इसने अब्राहम के मन में सही सन्देह उत्पन्न किया। अब्राहम पहिले ही तीन परिक्षा से पसार हो चुका था। पहला, उसे उसका परिवार कसिदिया के उर में छोड़ने को कहा गया था। उसे पूरा परिवार छोड़ना ही था। वो अब्राहम के लिये सच्ची परीक्षा थी। मैं जानता हूँ यह कैसा महसूस होता है बिन-मसीही परिवार का होना जो आपके मसीही बनने पर सोचता है कि आप पागल हो गए हो। इसलिये मैं जानता हूँ षोक जो अब्राहमने महसूस किया था उनको पीछे छोड़कर। फिर वहाँ पर परीक्षा थी जो उसके भतीजे लूत के साथ आयीं वो उसके परिवार का आखरी सदस्य था जो उसके साथ था। परन्तु समय आया उसे भी जुदा होना पड़ा, और लूत सदोम के नगर में रहने चला गया। फिर वहाँ परीक्षा थी उसके पुत्र की हाजिरा द्वारा। उसको युवा इश्माएल से प्रेम था, और उससे अलग होने से तिरस्कार था। अब्राहम ने परमेष्वर को पुकारा, ‘‘ओ, इश्माएल तेरी दृश्टि में बना रहे!'' (उत्पति 17:18)। अब अब्राहम उसकी उच्च परीक्षा पर आया, जो उसके जीवन का चौथा सबसे बड़ा संकट का समय था - प्रभु ने उसे इसहाक का बलि देने को कहा! अब्राहम इसे जरा भी समझ नहीं पाया, क्योंकि परमेष्वर ने उसे कहा था, ‘‘जो तेरा वंष कहलाएगा वह इसहाक ही से चलेगा'' (उत्पति 21:12)। अब्राहम नहीं समझ सका क्यों उसे अपने पुत्र का वध करना था जिसका उसे वचन दिया था बहुत वर्शो के लिये। परन्तु अब्राहम का विष्वास दृढ था, कि अब उसने विष्वास किया की ‘‘परमेष्वर सामर्थी है कि उसे मरे हुओं में से जिलाए'' (इब्रानियों 11:19)।
आप देखिए, हर समय आप परीक्षा सफल करते हो जो परमेष्वर आपको देते है, आप ओर ज्यादा विष्वास प्राप्त करते हो, और आपका विष्वास दृढ बनता है। वहाँ पर मेरे जीवन में थोड़े समय थे जब - मैंने सोचा मैं मसीही की तरह आगे नहीं जा सकता। यह समय थे बड़ी निराषा और बहुत भारी परीक्षा के, हकीकत में बहुत भारी। परंतु पीछे देखते हुए मैं अब देख सकता हूँ की प्रभु मेरी परीक्षा कुछ लक्ष्य (कारण) से कर रहे थे। मैं आज हूँ ऐसा व्यक्ति षायद नहीं होता अगर परमेष्वर ने मुझे उस भयानक परीक्षाओं से गुजरने का अनुग्रह न दिया होता। और यही प्रकार था अब्राहम के साथ भी।
परंतु अब, जब अब्राहम ने छूरी उठाई उसके पुत्र का वध करने, अचानक से परमेष्वर ने उसे पुकारा,
‘‘उस लड़के पर हाथ मत बढ़ा, और न उससे कुछ कर; क्योंकि तू ने जो मुझ से अपने पुत्र, वरन् अपने एकलौते पुत्र को भी नहीं रख छोड़ा; इससे मैं अब जान गया कि तू परमेष्वर का भय मानता है'' (उत्पति 22:12)।
परमेष्वर जानते थे कि अब्राहम उनसे इससे पहले से ड़रता था, परन्तु उनका परिवार और स्वयं इसहाक निष्चित नहीं होंगे - तब तक जब उन्होंने देखा कि वो इस उच्च बलि देने इच्छित थे। इसीलिये प्रेरितो याकूब ने कहा अब्राहम ‘‘कर्मो से धार्मिक'' (याकूब 2:21) था। उसके विष्वास ने उसके अच्छे कामों को उत्पन्न किया। इसी कारण याकूब ने कहा, ‘‘विष्वास भी, यदि कर्म सहित न हो तो अपने स्वभाव में मरा हुआ है'' (याकूब 2:17)। अब्राहम ने उसका विष्वास उसके कर्मो द्वारा प्रमाणित किया, उसकी इच्छा द्वारा परमेष्वर की आज्ञा मानकर इसहाक की बलि द्वारा।
परंतु रूको! यही है जहाँ मैं व्याकुल हुआ जब मैंने भूतकाल में यह पाठ पढ़ा था। मैं आष्चर्यचकित हुआ कैसे द्रश्टांत (नमूना) बदल सकता था इसहाक से मेढ़े में, क्योंकि हम पढ़ते है,
‘‘अब्राहम ने आँखे उठाई, और क्या देखा कि उसके पीछे एक मेढ़ा अपने सींगो से एक झाड़ी में फँसा हुआ है; अतः अब्राहम ने जाके उस मेढ़े को लिया, और अपने पुत्र के स्थान पर उसे होमबलि करके चढ़ाया'' (उत्पति 22:13)।
मसीह का द्रश्टांत जैसे हमारे बदले बलि, इसहाक से उस मेढ़े में गया। यही है जहाँ डो. ल्युपोल्ड ने मेरी सहायता की जब उन्होंने कहा, ‘‘कम से कम दो मूल्य षक्य है'' जब इस वाक्यखण्ड पर प्रचार करते है। मैंने हकीकत में जाना कि वहाँ कम से कम चार मूल्य है।
नमूना यहाँ बदला है, और इसहाक बना पापीयों का प्रकार, प्रभु की व्यवस्था द्वारा अपराधी ठहराया हुआ, जो पापियों को मृत्यु दण्ड देता है। हाँ, इसहाक पापी था, जैसे सारे आदमी है। और हाँ, ‘‘पाप की मजदूरी तो मृत्यु है'' (रोमियों 6:23)। और कितना अद्भूत है यह नमूना! पापी इसहाक प्रभु की व्यवस्था के न्याय से बचाया गया उस मेढ़े द्वारा, जिसे अब्राहम ने लिया और ‘‘अपने पुत्र के स्थान पर उसे होमबलि करके चढ़ाया'' (उत्पति 22:13)। नयी नियमावली कहती है, ‘‘मसीह हमारे पापों के लिये मर गया'' (1 कुरिन्थियों 15:3)। और प्रेरितो पतरस ने कहा,
‘‘मसीह ने भी अर्थात् अधर्मियों के लिये धर्मी ने, पापों के कारण एक बार दुःख उठाया, ताकि हमें परमेष्वर के पास पहुँचाए'' (1 पतरस 3:18)।
उत्पति 22:14 पर ध्यान दो। ‘‘अब्राहम ने उस स्थान का नाम यहोवा यिरे रखा'', जिसका अर्थ है ‘‘परमेष्वर उपस्थित करेंगे''। प्रभु ने यीषु को उपस्थित किया, आपकी जगह पाप उठानेवाले की तरह लेने, वैसे ही जैसे उन्होंने इसहाक की जगह लेने मेढ़े को उपस्थित किया! यीषु पर भरोसा करो और वे आपकी जगह लेते है, और आपके पाप का दण्ड क्रूस पर चुकाते है! यह मेरी प्रार्थना है कि आप अपने पाप से फिरोगे और अभी यीषु पर भरोसा करोगे। वे आपकी जगह मरे, आपके पापों को माफ करने और आपको परमेष्वर के पास लाने!
आपको षायद भय होगा कि आपको बहुत कुछ बदलना पड़ेगा जब आप मसीह पर भरोसा करते हो। अगर आप वह परीक्षा में निश्फल होते हो तो आप कभी भी बचाए नहीं जाओगे! आपको आपके भय के सामने खड़ा रहना जरूरी है और साहस से मसीह के पास आओ। आप हिचकिचाओ नहीं! अपने आपको विष्वास द्वारा उद्धारक पर फेंको। वे आपको बचाएँगे प्रभु के क्रोध, और पाप के न्याय से। यीषु का लहू आपको सारे पापों से षुद्ध करेगा। उनकी आपके बदले क्रूस पर मृत्यु आपके पापो की कीमत चुकाएगी, और आप कभी भी दण्डित नहीं होेंगे।
अगर आप कभी भी सच्चे मसीही बनने में रूचिकर हो, मेहरबानी करके अपनी बैठक अभी छोड़ो और इस सभागृह के पीछे जाओ। डो. केगन आपको षान्त जगह ले जायेंगे जहाँ हम आपके प्रष्नों का उत्तर दे सकेंगे, और बातें और प्रार्थना कर सकेंगे। मेहरबानी करके अभी जाओ। डो. चान मेहरबानी करके हमें प्रार्थना में ले जाओ उनके परिवर्तन के लिये जिन्होंने प्रतिसाद दिया है। आमीन।
(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन से पहले श्रीमान एबेल प्रुद्योम्म द्वारा पढ़ा हुआ पवित्रषास्त्र : उत्पति 22:1-13।
धार्मिक प्रवचन से पहले श्रीमान बेन्जामिन किनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीत :
‘‘उन्होंने मेरी आत्मा लायी'' (स्टुअर्ट हेमब्लेन द्वारा, 1908-1989)।
रूपरेखा इसहाक की बलि (उत्पति की किताब पर धार्मिक प्रवचन क्रमांक 70) डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा ‘‘और इन बातों के पश्चात् ऐसा हुआ कि परमेष्वर ने अब्राहम से यह कहकर उसकी परीक्षा की, हे अब्राहम : उसने कहा देख मैं यहाँ हूँ। और उसने कहा अपने पुत्र को अर्थात् अपने एकलौते पुत्र इसहाक को, जिस से तू प्रेम रखता है, संग लेकर मोरिय्याह देष में चला जा; और वहाँ उसको एक पहाड़ के ऊपर जो मैं तुझे बताऊँगा होमबलि करके चढ़ा'' (उत्पति 22:1-2)। (उत्पति 22:10-13)। 1. पहला, वाक्यखण्ड बात करता है विष्वास की जिसे परखा गया था, उत्पति 22:1; उत्पति 12:1; 13:1-18; 17:17,18; नीतिवचन 23:26;
2. दूसरा, वाक्यखण्ड बात करता है प्रभु के प्रेम की, रोमियों 8:32;
3. तीसरा, वाक्यखण्ड बात करता है मसीह की मृत्यु तक की आज्ञा मानने के बारे में, उत्पति 22:7-10; यषायाह 53:7; मती 27:14; उत्पति 22:6; फिलिप्पियों 2:8। 4. चौथा, वाक्यखण्ड बात करता है मसीह की पापीयों के बदले मृत्यु की, उत्पति 17:18; 21:12; इब्रानियों 11:19; उत्पति 22:12; याकूब 2:21, 17; उत्पति 22:13; रोमियों 6:23; 1 कुरिन्थियों 15:3; 1 पतरस 3:18; उत्पति 22:14। |