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मसीहीयों का महा युद्धTHE CHRISTIAN’S GREATEST BATTLE डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा लोस एंजलिस के बप्तीस टबरनेकल में प्रभु के दिन की सुबह, 19 अगस्त, 2012 ‘‘हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना, और विनती करते रहो, और इसीलिये जागते रहो कि सब पवित्र लोगों के लिये लगातार विनती किया करो'' (इफिसियों 6:18)। |
मैंने बहुत से धार्मिक प्रवचन सुने है इफिसियों 6:12-17 में योद्धाओं के हथियार पर। परन्तु मुझे स्मरण नहीं है सुनते हुए एक भी पूरी तरह पकड़ा हुआ जो प्रेरितो पौलुस बात करते थे जिसके बारे में पवित्रषास्त्र के इस भाग में। मैंने षायद एक सुना होगा, परन्तु मुझे वो स्मरण नहीं है। इस अध्याय को पूरी तरह समझने, हमें आवष्यकता है देखने की कि हमें कहा गया है प्रभु का हथियार रखने कुछ विष्ोश कारण से - ‘‘ष्ौतान की युक्तियों के सामने खड़े रह सको'' (इफिसियों 6:11)। षब्द ‘‘सामने'' इफिसियों 6:11 और 12 में पांच बार आता है। हमारे पाठ से हम सीखते है प्रार्थना के बारे में तीन बड़े सत्य जो हमारे षत्रु, ष्ौतान को पराजित करेगी।
1. पहला, निरन्तर और दृढता से प्रार्थना आवष्यक है क्योंकि वहाँ पर ष्ौतान है।
हमें ष्ौतान के ‘‘सामने'' खड़े रहने को कहा गया है। हमें कहा गया है कि हम माँस और लहू के ‘‘सामने'' मल्लयुद्ध या युद्ध नहीं कर रहे। हम युद्ध कर रहे है ‘‘राज्य'' के ‘‘सामने'' सामर्थ्य के सामने'', ‘‘विष्व के अंधेरे के षासनकर्ता के सामने'', ‘‘ऊँची जगहो पर आध्यात्मिक दुराचार के सामने''। वह तीन विभिन्न श्रेणी है दुश्टात्माओं की, जो सिर्फ प्रार्थना द्वारा ही पराजित किए जा सकते है। इफिसियों 6:12 पर संभाशण देते हुए, डो. जे वेरनोन मेकगी ने कहा,
हम आध्यात्मिक युद्ध में है। दुश्टात्मा के पास युद्ध में उसके चेले क्रमानुसार अंलकृत स्थिर किए है। यह कहता है हमें उनके सामने युद्ध करना है। ये बात करता है सामने की लड़ाई दुश्टता के आध्यात्मिक बलों के साथ ... वहाँ पर हमारे आसपास ष्ौतानी विष्व है और यह स्वयं इस वर्तमान घंटे में प्रकट कर रहे है ... हमारे पास षत्रु निर्धारित और पहचाना हुआ है। वो षत्रु आध्यात्मिक है। यह ष्ौतान है जो अपने ष्ौतानी बलों से मस्तक उठाता है। अब हमें आवष्यकता है जानने की कि युद्ध कहाँ है। मैं सोचता हूँ कि कलीसिया ने बड़ी तरह से आध्यात्मिक युद्ध की दृश्टि खो दी है (जे. वेरनोन मेकगी, टीएच.डी., थ्रु ध बाइबल, थोमस नेल्सन प्रकाषक, 1983, भाग V, पृपृश्ठ 279-280; इफिसियों 6:12 पर टीप्पणी)।
आप चाहे जानते हो या नहीं, हम ष्ौतान और उसके दुश्टात्मा के सामने बड़े युद्ध में है। वहाँ कोई भी रास्ता नहीं है कि हम यह युद्ध अपने स्वयं की ताकत से जीत सके। हमें विष्वास से प्रभु के पूरे हथियार बाँध लेने चाहिये - और फिर बाहर जाओ और ष्ौतान और दुश्टात्मा के सामने युद्ध करो। महान् सुधारक मार्टीन लुथर (1483-1546) के पास ष्ौतान के बारे में कहने को बहुत कुछ है। मैं कुछ पंक्तियाँ ले रहा हूँ जो लुथर ने दुश्टात्मा के बारे में उनके मषहूर भक्ति गीत मे लिखी थी,
हमारे प्राचीन षत्रु के लिये अभी भी,
हमें विलाप करते ढूँढते;
उनकी कला और सामर्थ्य महान् है,
और क्रूर नफरत के साथ हथियारबद्ध है,
धरती पर उनके समान नहीं है।
और चाहे यह विष्व, दुश्टात्माओं से भरा,
डराने चाहिए हमें नाष करने,
हम डरेंगे नहीं, क्योंकि प्रभु ने सहाय की
उनका सत्य हमारे द्वारा विजय करने ...
(‘‘षक्तिषाली किला हमारे प्रभु है'' मार्टीन लुथर द्वारा, 1483-1546)।
परन्तु हम ष्ौतान और उनके दुश्टात्मा यजमानों पर कैसे विजय प्राप्त कर सकते है? वहाँ पर कोई और रास्ता नहीं सिवा प्रार्थना के सामर्थ्य द्वारा! प्रार्थना युद्ध है! हम ष्ौतान और दुश्टात्मा के सामने प्रार्थना में युद्ध करते है।
‘‘परमेष्वर के सारे हथियार बाँध लो कि तुम ष्ौतान की युक्तियों के सामने खड़े रह सको'' (इफिसियों 6:11)
‘‘हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना, और विनती करते रहो, और इसीलिये जागते रहो कि सब पवित्र लोगों के लिये लगातार विनती किया करो'' (इफिसियों 6:18)।
ष्ौतान और दुश्टात्मा षत्रु है। हम उनके सामने प्रार्थना में आते है। प्रार्थना युद्ध है!
मुझे प्रार्थना करना सिखाओ, प्रभु,
मुझे प्रार्थना करना सिखाओ;
यह मेरे मन की पुकार है दिन प्रतिदिन;
में उत्सुक हूँ जानने आपकी इच्छा और आपका रास्ता;
मुझे प्रार्थना करना सिखाओ, प्रभु,
मुझे प्रार्थना करना सिखाओ;
(‘‘मुझे प्रार्थना करना सिखाओ'' अलबर्ट एस. रेइटझ द्वारा, 1879-1966)।
इस प्रकार हम देखते है कि निरन्तर और दृढता से प्रार्थना आवष्यक है क्योंकि वहाँ पर ष्ौतान है। ष्ौतान षक्तिषाली है, और वो कभी आराम नहीं करता। अगर हम निरन्तर प्रार्थना की उपेक्षा करते है तो ष्ौतान हमें खोए हुओं को जीतने में और उन्हें हमारे कलीसिया में रहने को रोकने में सफल हो जाएगा। वह पहला मुद्दा है - निरन्तर प्रार्थना जरूरी है या हमारा सुसमाचार प्रचार हमारे कलीसिया मे टिकनेवाले परिवर्तित उत्पन्न नहीं करेंगे।
2. दूसरा, निरन्तर और दृढता से प्रार्थना आवष्यक है क्योंकि यह एक ही रास्ता है, हमें जो आवष्यकता है वो पाने का।
प्रेरितो याकूब ने यह बहुत स्पश्ट किया जब उसने कहा,
‘‘तुम्हें इसलिये नहीं मिलता कि माँगते नहीं'' (याकूब 4:2)।
यह षब्द दिखाते है क्यों हमारा सुसमाचार प्रचार सिर्फ थोड़े ही परिवर्तित उत्पन्न करता है जो कलीसिया में रहे। क्यों ऐसा है कि सिर्फ थोड़े ही परिवर्तित है? ‘‘तुम्हें इसलिये नहीं मिलता कि माँगते नहीं''। निरन्तर और दृढता से प्रार्थना की उपेक्षा कारण है कि हमारे पास ज्यादा परिवर्तित नहीं है जो हमारे कलीसिया में रहे।
प्रेरितोने प्रार्थना को उनकी सेवा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया। जब कलीसिया का रोज़ाना काम उन पर दबाव डालता था, प्रेरितोने कहा,
‘‘हम तो प्रार्थना में और वचन की सेवा में लगे रहेंगे'' (प्रेरितो 6:4)।
‘‘हम तो प्रार्थना में लगे रहेंगे।'' प्रेरितो पौलुस ने कहा कि उनका बहुत सा समय प्रार्थना में पसार हुआ था। उसने कहा कि उसने कलीसिया के लिये प्रार्थना की थिस्सलुनीकियां में ‘‘रात दिन बहुत ही प्रार्थना करते रहते है'' (1 थिस्सलुनीकियो 3:10)। उसने तीमुथियुस से कहा, ‘‘मैं अपनी प्रार्थनाओं में तुझे लगातार स्मरण करता हूँ'' (2 तीमुथियुस 1:3)।
उनके निरन्तर और दृढता से प्रार्थना के अभ्यास के द्वारा, प्रेरितो पौलुस मसीह के द्रश्टांत का अनुकरण कर रहे थे। हमे कहा गया है कि मसीह,
‘‘... भोर को दिन निकलने से बहुत पहले, वह उठकर निकला, और एक जंगली स्थान में गया और वहाँ प्रार्थना करने लगा'' (मरकुस 1:35)।
फिर से, हमें कहा गया कि मसीह,
‘‘... पहाड़ पर प्रार्थना करने गया, और परमेष्वर से प्रार्थना करने में सारी रात बिताई'' (लूका 6:12)।
षब्द ‘‘प्रार्थना करना'' और ‘‘प्रार्थना'' करीबन 25 बार इस्तेमाल हुए है मसीह के जीवन के छोटे लेखपत्र में, चार सुसमाचार में दिये हुए। और उनकी प्रार्थना का जिक्र हुआ है बहुत जगह जहाँ षब्द ‘‘प्रार्थना करना'' और ‘‘प्रार्थना'' इस्तेमाल नहीं हुआ। यीषु ने अपना ज्यादा समय और षक्ति प्रार्थना में समर्पित की। कोई आदमी या स्त्री जो प्रार्थना में ज्यादा समय नहीं बिताते वे यीषु और प्रेरितो पौलुस के द्रश्टांत का अनुकरण नहीं करते है।
यीषु का स्वर्ग में परमेष्वर के दाहिने हाथ पर ऊपर जाने के बाद, उन्होंने उनका महान् काम षुद्ध किया हमारे लिये प्रार्थना करना। हमें कहा गया है कि,
‘‘... जो उसके द्वारा परमेष्वर के पास आता है, वह उनका पूरा पूरा उद्धार कर सकता है, क्योंकि वह उनके लिये विनती करने को सर्वदा जीवित है'' (इब्रानियों 7:25)।
मसीह हमें बचाने के सक्षम है, इस कारण नहीं कि वे क्रूस पर मरे, परन्तु इस कारण भी कि वे स्वर्ग में रहते है हमारे लिये निरन्तर प्रार्थना करते हुए। वे रहते है ‘‘हमारे लिये विनती करने'', हमारे लिये प्रार्थना करने। प्रार्थना मुख्य चीज है जो यीषु आज कर रहे है। हम बचाये गये क्योंकि वे हमारे लिये प्रार्थना कर रहे है। प्रेरितो पौलुस ने कहा कि मसीह ‘‘परमेष्वर के दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है'' (रोमियों 8:34)।
अगर आपको और मुझे मसीह के साथ संगति प्राप्त करनी है तो हमें भी ज्यादा समय प्रार्थना करने में बिताना चाहिए। मैं निष्चिंत हूँ कि मसीहीता बहुत पहले ही मिट गयी होती अगर मसीह हमारे लिये प्रार्थना नहीं करते। वहाँ पर करीबन सिर्फ एक मीलीयन (दस लाख) मसीही थे चीन में जब साम्यवादियों ने पहले 1950 में सारे विदेषी सेवकों को बाहर निकाल दिया। परन्तु आज वहाँ चीन में 100 मीलीयन से ज्यादा मसीही है। आतंक और बाधा जो साम्यवादी मसीहीता को खत्म करने इसतेमाल करने के बावजुद, वहाँ पर 10,000% बढोतरी है चीन में मसीहीयों की आबादी की पिछले 60 वर्शो में। यह षायद संभव नहीं होता अगर मसीह स्वर्ग में नहीं रहते ‘‘उनके लिये विनती करने'' (इब्रानियों 7:25)। हमारे पास वृतांत है जो हमें कहता है कि सबसे ज्यादा मुसलमान, इतिहास में आज मसीही बन रहे है। जब वे यीषु पर भरोसा करते है, ये पहले के मुसलमान कई बार उनके विष्वास के लिये सताये और मारे जाते है। वे निरन्तर बाधा के डर के अधीन जीते है और फिर भी वे मसीह के पास आते है हज़ारो में। यह संभवतः नहीं होता अगर मसीह स्वर्ग में नहीं रहते ‘‘उनके लिये विनती करने'' (इब्रानियों 7:25)।
जो हुआ था चीन और मुसलमान विष्व में वो मसीह की प्रार्थना का परिणाम है, और मुक्त विष्व में हज़ारो मसीहीयों की प्रार्थना का भी। और परमेष्वर हमें बुलाते है यीषु के साथ और प्रार्थना योद्धा के साथ हर जगह, विनंती करती प्रार्थना की सेवा की संगति में जुड़ने। अगर हमें देखना है ज्यादा युवा लोगों को परिवर्तित होते और हमारे कलीसिया में जमा होते हमें बहुत ज्यादा समय लेना चाहिये, अकेले प्रार्थना में परमेष्वर के पास जाने। हमें यह रोज़ाना आदत बना लेनी चाहिए जिन्हें हम अन्दर लाते है उनके लिये परिवर्तन के लिये प्रार्थना करने की। प्रार्थना कीजिये कि प्रभु आपको प्रार्थना के योद्धा बनाने, जो ज्यादा समय प्रार्थना में बिताता है खोए लोग जिन्हे हम कलीसिया में लाते है उनके लिये। इतिहास में जो महान् आत्मा जीतनेवाले है वे प्रार्थना के आदमी और औरतें होते थे। वे एक दूसरे से बहुत तरीकों में अलग थे। परन्तु वे सारे एक समान थे इस में - वे सारे आदमी और औरतें थी जिन्होंने ज्यादा समय खोए लोगों को बचाने के लिये प्रार्थना करने में बिताया।
‘‘हर समय अैेर हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना, और विनती करते रहो, और इसीलिये जागते रहो कि सब पवित्र लोगों के लिये लगातार विनती किया करो'' (इफिसियों 6:18)।
प्रार्थना में सामर्थ्य, प्रभु प्रार्थना में सामर्थ्य,
यहाँ है मध्य धरती के पाप और षोक और चिन्ता;
आदमी खोए और मरते हुए, आषाहीनता में आत्माएँ;
ओ मुझे सामर्थ्य दो, प्रार्थना में सामर्थ्य!
इसे गाइये!
प्रार्थना में सामर्थ्य, प्रभु प्रार्थना में सामर्थ्य,
यहाँ है मध्य धरती के पाप और षोक और चिन्ता;
आदमी खोए और मरते हुए, आषाहीनता में आत्माएँ;
ओ मुझे सामर्थ्य दो, प्रार्थना में सामर्थ्य!
3. तीसरा, निरन्तर और दृढता से प्रार्थना आवष्यक है क्योंकि यह रास्ता है दया और अनुग्रह पाने का हमें आवष्यकता के समय में सहायता करने।
इब्रानियों 4:16 में प्रेरितो के षब्द हमें दिखाते है कैसे दया और अनुग्रह प्राप्त करे हमें हमारे सुसमाचार प्रचार के काम में सहायता करने,
‘‘इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बाँधकर चलें कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएँ जो आवष्यकता के समय हमारी सहायता करें'' (इब्रानियों 4:16)।
वह पद इतना महत्वपूर्ण है कि मैं चाहता हूँ आप इस की ओर फिरें। यह इब्रानियों 4:16 है। यह स्कोफिल्ड स्टडी बाइबल के पृश्ठ 1294 पर है। मेहरबानी करके खड़े रहो और इसे जोर से पढ़ो।
‘‘इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बाँधकर चलें कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएँ जो आवष्यकता के समय हमारी सहायता करें'' (इब्रानियों 4:16)।
आप बैठ सकते हो।
यह पद हमें बताता है कैसे दया और अनुग्रह प्राप्त करे ‘‘आवष्यकता के समय सहायता करने''। यह नििष्ंचतरूप से ‘‘आवष्यकता का समय'' है हमारे कलीसिया में। हम अब प्रवेष कर रहे है जो मैं कहता हूँ ‘‘कटनी का उतार'' ‘‘the fall harvest'' में। जैसे हम उतार में प्रवेष करते है हम सदा ही अन्दर ला सकते है बहुत से युवा लोग हमारे सुसमाचार प्रचार प्रयास से। परन्तु बहुत से वे जो हमारे साथ कलीसिया में आते है कभी भी बचाए नहीं जाते या हमारे कलीसिया में आते है। वह दुःखद है। हमें इसके बारे में सोचना अच्छा नहीं लगता। परन्तु वो ही हुआ कई सालों तक। सिर्फ थोड़े ही हमारे साथ रहे जब उतार की कटनी पसार हुई है। अगर चीजें इतनी सामान्य चलती है, सिर्फ थोड़े ही हमारे साथ होंगे क्रिसमस आने तक। स्मरण करो, क्रीसमस की ऋतु जल्दी ही यहाँ होगी - आपके सोचने से पहेले उससे भी। क्रीसमस ऋतु सिर्फ 17 हफतो में षुरू होगी। वो कुछ हफते हमसे इतने जल्द उड़ जायेंगे कि यह सिर्फ कुछ दिन लगेंगे! इसे मानो या नहीं, क्रीसमस करीबन यहाँ है! हमारे पास सिर्फ ये कुछ दिन है हमारे कलीसिया में नये लोगों को अन्दर लाने। कुछ थोड़े छोटे हफतों में उतार की कटनी खत्म हो जाएगी।
क्या हम ज्यादातर लोगों को खो देंगे जिन्हे हम अन्दर लाते है? हम ज्यादातर हमेषा करते है। क्या इस वर्श भी एैसा ही होगा? ऐसा होगा अगर ष्ौतान के पास उसका रास्ता हो! ष्ौतान नहीं चाहता कि आप जागृत और सावधान रहो। ष्ौतान नहीं चाहता है कि आप चिन्तित रहो। ष्ौतान चाहता है आप सोते और मायूस रहो - ताकि वो छीन सके उन सबको जिसे हम उतार की कटनी में लाते है। परंतु प्रभु आपको जागृत रहने के लिये बुलाते है। प्रभु आपको सावधान रहने को बुलाते है। प्रभु आपको बुलाते है उत्सुक, निरन्तर, दृढता से प्रार्थना के समय उन खोए हुए युवा लोगों के लिये। ष्ौतान को पराजित करने हमें पवित्रषास्त्र के उस पद को मानना चाहिए,
‘‘इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बाँधकर चलें कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएँ जो आवष्यकता के समय हमारी सहायता करें'' (इब्रानियों 4:16)।
यह हमारे कलीसिया के लिये पूरे वर्श में सबसे महत्वपूर्ण समय है! यह हमारी ‘‘आवष्यकता का समय'' है! यह समय है जब हमें प्रभु की दया और अनुग्रह की आवष्यकता है! यह समय है जब हमें प्रभु की सहायता की आवष्यकता है! ‘‘इसलिए आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाब बाँधकर चलें'' गहराई, निरन्तर दृढता से प्रार्थना में खोए हुओं के लिये! ष्ौतान को ये युद्ध जीतने मत दो! युद्ध में हमसे जुड़ जाओ, ‘‘हर समय ओर हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना, और विनती करते रहो, और इसीलिये जागते रहो कि सब पवित्र लोगों के लिये लगातार विनती किया करो'' (इफिसियों 6:18)। मुझे चाहिये कि आप प्रार्थना में बहुत बलपूर्वक और तीव्र रहो उनके लिये जिन्हें हम अन्दर लाते है अगले कुछ हफतो के दौरान। मैं चाहता हूँ आप कहे, ‘‘मुझे प्रार्थना करनी चाहिए, प्रार्थना करनी चाहिए, प्रार्थना करनी ही चाहिए। मुझे अपनी सारी षक्ति और मन प्रार्थना में लगाना ही चाहिए। मैं जो कुछ भी और करूँ, मुझे प्रार्थना करनी ही चाहिए!'' मैं चाहता हूँ कि आप कम से कम 15 मीनट हर रोज प्रार्थना में बिताये। हर दिन खोए हुओं के लिये कम से कम 15 मीनट प्रार्थना करने का विचार अभी करें!
प्रार्थना में सामर्थ्य, प्रभु प्रार्थना में सामर्थ्य,
यहाँ है मध्य धरती के पाप और षोक और चिन्ता;
आदमी खोए और मरते हुए, आषाहीनता में आत्माएँ;
ओ मुझे सामर्थ्य दो, प्रार्थना में सामर्थ्य!
आप सब जो मुझसे जुड़ोगे कम से कम 15 मीनट हर दिन प्रार्थना में, खोए हुओं के लिये, इस उतार की कटनी के दौरान, मेहरबानी करके यहाँ आगे तुरंत आओ, और श्रीमान ली और श्रीमान बेबाउट आयेंगे आपके लिये प्रार्थना करने, की आप वह वचन रखेंगे हर दिन खोए हुओं के लिये प्रार्थना करने का। अभी आओ, जब हम वह अंतरा मिलकर गाते है!
प्रार्थना में सामर्थ्य, प्रभु प्रार्थना में सामर्थ्य,
यहाँ है मध्य धरती के पाप और षोक और चिन्ता;
आदमी खोए और मरते हुए, आषाहीनता में आत्माएँ;
ओ मुझे सामर्थ्य दो, प्रार्थना में सामर्थ्य!
(प्रार्थना) आप बैठ सकते हो।
अब मेरे आप जो हमारे कलीसिया में नये हो उनको कहने के लिये एक और चीज है। मसीह क्रूस पर मरे आपके पाप का दण्ड चुकाने। वे षारीरिक रूप से मृत्यु से उठे और फिर से स्वर्ग में चढ़े आपके लिये प्रार्थना करने। यीषु के पास विष्वास से आओ और वे आपके पापो को माफ करेंगे और आपको अनंत जीवन देंगे। और आप जो भी करो, दृढरूप से यहाँ कलीसिया में अगले रविवार लौटकर आने! प्रभु आपको आर्षीवाद दे! आमीन।
(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन से पहले डो. क्रेगटन् एल. चान द्वारा पढ़ा हुआ पवित्रषास्त्र : इफिसियों 6:10-18।
धार्मिक प्रवचन से पहले श्रीमान बेन्जामिन किनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीत :
‘‘मुझे प्रार्थना करना सिखाओ'' (अलबर्ट एस. रेइटझ द्वारा, 1879-1966)।
रूपरेखा मसीहीयों का महा युद्ध डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा ‘‘हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना, और विनती करते रहो, और इसीलिये जागते रहो कि सब पवित्र लोगों के लिये लगातार विनती किया करो'' (इफिसियों 6:18)। (इफिसियों 6:11) 1. पहला, निरन्तर और दृढता से प्रार्थना आवष्यक है क्योंकि वहाँ पर ष्ौतान है, इफिसियों 6:11,18। 2. दूसरा, निरन्तर और दृढता से प्रार्थना आवष्यक है क्योंकि यह एक ही रास्ता है, हमें जो आवष्यकता है वो पाने का, याकूब 4:2; प्रेरितो 6:4;
3. तीसरा, निरन्तर और दृढता से प्रार्थना आवष्यक है क्योंकि यह रास्ता है दया और अनुग्रह पाने का हमें आवष्यकता के समय में सहायता करने, इब्रानियों 4:16। |