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दुश्ट कलीसिया सदस्य अन्तिम दिनों मेंEVIL CHURCH MEMBERS IN THE LAST DAYS डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा लोस एंजलिस के बप्तीस टबरनेकल में प्रभु के दिन की सुबह, ‘‘परन्तु दुश्ट और बहकानेवाले धोखा देते हुए और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जाएंगे’’ (2 तीमुथियुस 3:13)। |
डो. हेरोल्ड लीन्डसेल ‘‘मसीहीता आज’’ ‘‘Christianity Today’’ सामायिक के संपादक थे 1968 से 1978 तक। वे सीमाचिन्ह किताब ध बेटल फोर ध बाइबल (बाइबल के लिये लड़ाई) के लेखक थे और दो अभ्यास बाइबल के संपादक थे। वे फुलर थीयोलोजीकल धार्मिक पाठषाला के एक संस्थापक थे, ये उदारमत सिद्धांत में वषंज होने से पहले। वे व्यक्तिगत मित्र भी थे जिन्होंने कई बार हमारे कलीसिया में बोला है, और मेरी पत्नी और मेरी षादी 1982 में धार्मिक प्रवचन दिया था।
डो. लीन्डसेल ने किताब लिखी षीर्शक था ध गेधरींग स्ट्रोम : वर्ल्ड इवेन्ट एन्ड ध रीर्टन अॉफ क्राइस्ट (टायन्डेल हाऊस प्रकाषक, 1980)। उस किताब में उन्होंने कहा,
हालांत जो प्रतिज्ञाबद्ध कलीसिया में मौजूद है वो निर्देष करते है यीषु के दूसरे अवतार का क्योंकि दुनिया में कलीसिया लौकिक कार्य में लग गये है अर्थ पूर्णता से ... वहाँ पर अब और मसीही मन नहीं हैं। मसीहीयों का दिमाग लौकिक कार्य से बदल दिये गये है ताकि वे मसीहीयों की तरह न सोचे। उनका संसार और जीवन के मंतव्य की जडे इतनी बाइबल में नहीं है जैसे संसार के द्वारा कार्यसूची में बनायी थी (ibid, पृश्ठ 70)।
उसने 2 तीमुथियुस 3:1-7 का भी कथन किया और निम्नलिखित समालोचना दी,
अमरिकाने पीढ़ी उत्पन्न की है स्व-केन्द्रित, अलग हुई, सहानुभूति बिना के नास्तिक, बिना देषप्रेम की और चरित्रहीन युवा लोगों की ... आदमी, आदमी बनता हुआ रूकता है, वो मानवीय विलक्षण खोना और किसी भी सभ्य संसार को और जीवन के मंतव्य को छोड़ते हुए जो कभी एकबार आदमीयों को डुक्कर और घोड़ो से अलग करते थे (ibid, पृपृश्ठ 66-67)।
डो. लीन्डेसेल ने 2 तीमुथियुस 3:1-7 का कथन करने के बाद सीधे सीधे यह समालोचना दी।
2 तीमुथियुस तीन में अध्याय षुरू होता है षब्दों ‘‘यह स्मरण रख कि अन्तिम दिनों में कठिन समय आएँगे’’ से (2 तीमुथियुस 3:1)। डो. जे. वेरनोन मेकगीने प्रेरितो पौलुस से कहा, वो हमें 2 तीमुथियुस 3 में कहता है ‘‘कलीसिया का भविश्य क्या होना चाहिए, संगठित कलीसिया के लिये ये ज्यादा उज्जवल भविश्य नहीं है। ‘‘अन्तिम दिन’’ पारिभाशिक षब्द है ... ये कलीसिया के अन्तिम दिनों की बात करता है’’ (जे. वेरनोन मेकगी, टीएच.डी., थ्रु ध बाइबल, थोमस नेल्सन प्रकाषन, 1983, भाग V, पृश्ठ 469; 2 तीमुथियुस 3:1 पर टीप्पणी)। डो. मेकगी कहते गये,
‘‘कठिन समय आएँगे’’, जिसका अर्थ है पीड़ाकर या तीव्र समय आ रहा है। वो संसार के परिवर्तन के समान नहीं लग रहा है, क्या वो लगता है? ... बाइबल नहीं सीखाता की वो होगा। वो चीलम बनाने वाला स्वप्न है ... बहुत सारे लोगो का जो जीये है अपना सिर षुतुरमुर्ग की तरह रेत में डाले हुए, और जिसने कभी भी सच्चाई का सामना नहीं किया। बजाय, ध्यान देने के कि अन्तिम दिनों में क्या आनेवाला है। हमारे पास उन्नीस अलग अलग वर्णन है जो अगले कुछ पदो में (2 तीमुथियुस 3 में) दिये गये है। यह घृणित ध्यान में लीन होनेवाली चीज है, परंतु हमें उन्हें देखना है क्योंकि वो प्रस्तुत करता है आज जो हो रहा है उसका उत्तम धर्म के पुस्तक संबंधी चित्र। हम, मैं मानता हूँ, बढ़ रहे है कलीसिया के अन्तिम दिनों की और ... मैं नहीं समझता आप कभी भी ढूँढ सको उस समयकाल को जिसमें वे सारे इतने स्पश्ट हुए जैसे वे आज है। मैं मानता हूँ हम अभी इस ‘‘कठिन’’ दिनों मे ंहै जो इस विभाग में वर्णन किया गया है। मैं नहीं जानता ये कितना लंबा रहेगा, परन्तु मैं निष्चित हूँ ये और भी खराब होगा, बेहतर नहीं (ibid., पृपृश्ठ 469-470)।
मेहरबानी करके खडे रहे जैसे में पद 1 से 4 पढ़ता हूँ।
‘‘यह स्मरण रख कि अन्तिम दिनों में कठिन समय आएंगे। क्योंकि मनुश्य स्वार्थी, लोभी, डींगमार, अभिमानी, निन्दक, माता-पिता की आज्ञा टालनेवाले, कृतघ्न, अपवित्र, दयारहित, क्षमारहित, दोश लगानेवाले, असंमयी, कठोर भले के बैरी, विष्वासघाती, ढीठ, घमण्डी, और परमेष्वर के नहीं वरन् सुखविलास ही के चाहनेवाले होंगे’’ (2 तीमुथियुस 3:1-4)।
आप बैठ सकते हो। क्यों हमारे कलीसिया में बहुत सारे लोग ऐसे है? क्योंकि वर्शो से याजकों ने खोए लोगों को बप्तीसमा दिया, बिना उनकी गवाही जतनपूर्वक देख परख कीए। इसलिये आज कलीसिया खोए हुए लोगों से भरा हुआ है। वे बिना बचाये लोगों से भरे हुए है, हरएक को मसीही को, समान स्वीकार करने के परिणामस्वरूप जिसने केवल ऊपरी ‘‘निर्णय’’ लिये है।
2 तीमुथियुस 3:1-4 में हमें 19 षब्द या वाक्यखण्ड दिये गये है जो इन लोगों का हमारे कलीसिया में ‘‘अन्तिम दिनों’’ का वर्णन करते है।
1. ‘‘क्योंकि मनुश्य अपने स्वयं के चाहनेवाले होंगे।’’ कलीसिया में खोए हुए लोग संसार के आयने के समान है मसीह से ज्यादा अपने स्वयं से प्रेम करके। स्व-प्रेम इतना प्रधान है कि ज्यादातर कलीसिया सदस्य अब ज्यादा रविवार षाम की सभा में नहीं आते। वे अपने आप से इतना प्रेम करते है कि वे अब भेंट करने या आत्मा जीतने नहीं जाएंगे। ऐसा है क्योंकि हमने कलीसिया बिना बचाये लोगों से भर दिये है।
2. ‘‘लालचु’’ हकीकत में इसका अर्थ है ‘‘पैसे के प्रेमी’’। आदमी के विशयी स्वभाव को ज्यादा पैसे होने से प्रेम है इस पर खर्च करने, क्योंकि ये अपने स्वयं को ज्यादा प्रेम करता है मसीह से। बाइबल कहता है, ‘‘रूपये का लोभ सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है’’ (1 तीमुथियुस 6:10)। बहुत से खोए हुए युवा लोग कलीसिया में रहते है जब तक उनके माता पिता सब चीज़ों के लिये पैसे चुकाते है। परन्तु उनको खुद को नौकरी मिलते ही वे चले जाते है। वही अर्थ है ‘‘लालचु’’ (Covetous) का।
3. ‘‘डींगमार’’ ‘‘Boasters’’। ग्रीक षब्द सिर्फ यहाँ और रोमियों 1:30 में मिलता है, जहाँ ये इस्तेमाल किया गया है मूर्तिपूजक संसार की अवस्था का वर्णन करने। जब हम सुनते है कहे जानेवाली ‘‘गवाहीयाँ’’ कई बार वे कितनी बुरी है और वे अब कितने अच्छे है उस बारे मे ं‘‘डींगमारने’’ की श्रेणी से थोड़ी ज्यादा होते है - मसीह के बारे में बहुत थोड़ा व्याख्या करते हुए। ये चाहे ऐसा उनका अपने आपको बचाना स्व-सुधार के काम के द्वारा! वे मसीह की महिमा या अतिषय वर्णन नहीं करते क्योंकि वे कभी भी बचाये नही गये। वे लंबी कहानी देते है कैसे बुरे थे वे और फिर कहते है, ‘‘मैं बचाया गया था।’’ यीषु उसमें कहाँ है? ये सिर्फ डींगमारी है!
4. ‘‘अभिमान’’ - अभिमान से भरा हुआ, विनीत नहीं। कैसा चित्र खोए हुए कलीसिया सदस्यों का ‘‘अन्तिम दिनों’’ में।
5. ‘‘ईष्वर-निन्दक’’ ‘‘Blasphemers’’ अक्षरषः ‘‘ताना मारनेवाला’’। जब कलीसिया में नये लोग आते है वे कई बार मुड जाते है जब वे देखते है कहे-जानेवाले मसीहीयों को समुदाय में दूसरों के विरूद्ध ताना मारते हुए। ये संदर्भ करता है ताना मारके अपराध लगाना, कि संसार इष्वरीय मसीहीयों के विरूद्ध लाता है। हीप्पी पीढ़ी ने हमेंषा ताने मारे है। ये उनका एक बहुत सामान्य लक्षण है। ‘‘ओक्युपाय वोल स्ट्रीट’’ ‘‘Occupy Wall Street’’ की ओर देखो। और जब वे कलीसिया में आते है वे ताने मारते रहते है!
6. ‘‘माता-पिता की आज्ञा टालनेवाला’’। कैसे उस तरह के लोग प्रभु को अपने स्वयं को समर्पित कर सकते है? वे नहीं कर सकते! वह जो माता-पिता को आज्ञाकारी नहीं है वे कलीसिया के अधिकारी के विरूद्ध द्रोह करेंगे। जैसे वे संसार में करते है। हीप्पी पीढ़ी का कैसा चित्र और उसका परिणाम! मैं सोचता हूँ ये ऐसे है जो पद में बात किए गए है। कोई ताजुब्ब नहीं वे एक के बाद एक कलीसिया को तोड़ते है।
7. ‘‘Unthankful’’ ‘‘अकृतघ्न’’। ग्रीक षब्द मिलता है सिर्फ यहाँ और लूका 6:35 में, जहाँ यीषु ने बात की ‘‘कृतघ्न और ... दुश्ट’’। कोई बात नहीं कैसी दया (अच्छाई) उनको दिखायी गयी है, यह उनके मनमें कभी भी आभारी होना नहीं होता! हमनें देखा है, लोगों को हमारी कार में कलीसिया में लाते है, हमारे खर्च से उनको खिलाया और हमारे घर भी ले गये और उनकी ऐसी परवाह की जैसे वे हमारे अपने परिवार के सदस्य हो, सिर्फ उनको कलीसिया छुड़ाने आभार के एक भी षब्द के बिना। वे इतने कठोर है कि वे आभार महसूस ही नहीं करते! मेरी माँ एक लडके को अपने घर ले गई और उसे अपने बेटे की तरह रखा। वो उसे षाला भी ले गई और दोपहर को खानो के लिए पैसे भी दिये। जब उसने कलीसिया छोड़ा उसने उनका षुद्ध चांदी का छूरी, काँटे का सेट चुराया, जो उसे षादी के तोफे में मिला था। उसने मेरी माँ को रूलाया, और उसे आभार का एक षब्द भी न दिया। उसने जाने के समय एक चिट्ठी भी न छोड़ी। ‘‘अकृतघ्न’’। हमने यह समय समय पर देखा है इस दुश्ट पीढ़ी में।
8. ‘‘अपवित्र’’। षबद का अर्थ है ‘‘अषुद्ध’’। वे अपना जीवन जीते है प्रभु के विरूद्ध द्रोह में, और फिर भी सोचते है कि वे मसीही है! वे सारे अधिकारी के विरूद्ध द्रोही है।
9. ‘‘स्वाभाविक स्नेह के बिना’’। इसका अर्थ है कि उनको स्वाभाविक प्रेम नहीं है उनके अपने देह से, जैसे हम देखते है गर्भपात में, या अप्राकृतिक स्त्री या पुरूश जाति संबंधी संबंध। वे अपने बच्चो का कत्ल करते है और अपने स्वयं के माता - पिता को भयानक ‘‘विश्राम घर’’ में डालते है और कदाचित ही अगल कभी भी वे उनसे भेंट करते है और फिर भी अपने आपको ‘‘मसीही’’ कहते है! जैसे डो. लीन्डसेलने कहा, वे ‘‘बिना सहानुभूतिवाले’’ है। कितना भयानक वो चित्र है!
10. ‘‘सन्धि तोडनेवाला’’ ‘‘Trucebreakers’’ ये लोग है जो बेमेल है। वे आपको उनके साथ मिलने से इन्कार करते है। आप उनको कितनी भी कोषिश करो मना नहीं सकते! आप उनके साथ षान्ति नहीं बना सकते।
11. ‘‘झूठे कलंक या दोश लगानेवाला।’’ प्रभु, कैसे वे अफवाएँ उड़ाने और दूसरों पर आक्रमण करने से प्रेम करते है! दुःखद, ये अब कलीसिया में सच है जैसे ये संसार में सच है। खोए हुए कलीसिया सदस्य समुदाय में दूसरों की पीछे से बातें करने में अति प्रसन्न होते है।
12. ‘‘अपवित्र’’ ‘‘Incontinent’’। इसका अर्थ है ‘‘स्व-नियंत्रण के बिना का’’ हम वह देखते सारा समय हमारे नश्टधर्मी समाज में। वे कलीसिया में आते है, परंतु वे वहाँ ज्यादा देर नहीं रूकते, क्योंकि उन्हें स्व-नियंत्रण नहीं है। वे जंगली बिना पाले हुए पषुओ की तरह जंगली है। कितना भयानक! वे एक कलीसिया से दूसरे में जाते है। जैसे स्पर्जनने कहा, ‘‘वे गमन करनेवाले पंछी है, जो कहीं भी घोसला नहीं बनाते’’।
13. ‘‘उग्र’’ ‘‘Fierce’’ अर्थ है ‘‘निर्दय’’ (डो. मेकगी)। हमारे दिनों में, रास्ते दिन के समय में भी कई बार सुरक्षित नहीं होते थे। और बहुत से कलीसिया नये मसीहीयों के लिये सुरक्षित नहीं है! कहे जानेवाले ‘‘मसीही’’ कई बार निर्दयी जंगली हाते है जैसे संसार हमारे आसपास है! ये हकीकत में ‘‘कठिन समय’’ है! एक कुमारी ने प्रयत्न किया अपनी माँ का कत्ल करने का, उस पर पाबंधी डालने के कारण! वो सच है! मैंने यह समाचारपत्र में गुरूवार सुबह को पढ़ा था। युवा लोग अब जो चीजे करते है वो हमने कभी सुनी भी नहीं थी 1940 या 50 में।
14. ‘‘जो अच्छे है उनके बैरी।’’ इसका अक्षरषः अर्थ है ‘‘अच्छाई का नफरत करनेवाला।’’ ये ‘‘अच्छे आदमीयों के प्रेमी’’ का विरूद्ध है तीतुस 1:8 में। एक अच्छे सभ्य आदमी से नफरत की, जब कि दुश्ट आदमी जो ‘‘ठंडा’’ ‘‘Cool’’ था उससे प्रेम किया। हम वो देखते है हमारे चुनावो मे ंऔर हमारे कलीसियाओं में भी। वो एक मुख्य लक्षण है इस पीढ़ी का। ‘‘वे जो अच्छे है, उनके बैरी है।’’
15. ‘‘विष्वासघाती’’ ‘‘Traitors’’ ये अक्षरषः अर्थ देता है ‘‘विष्वासघाती (धोखेबाज)।’’ ये लोग जिन पर विष्वास, भरोसा नहीं कर सकते। वे आपको सदा धोखा देंगे, क्योंकि ये उनका स्वभाव है ऐसा करना। स्वभाव से ही वे ‘‘धोखेबाज’’ है।
16. ‘‘नषालानेवाली’’ ‘‘Heady’’ का अर्थ है ‘‘असावधान, हठी बुरे अंत का काम करने उत्तेजना के प्रभाव के अधीन’’ (डो. मार्वीन आर. वीन्सेन्ट)। ये वर्णन करता है उनका जो तुरन्त बिना सोचे काम करते है। वे जल्दी कलीसिया में नहीं जुड़ते, जितनी जल्दी वे इसे छोड़ते है। आप असावधान लोगों का भरोसा नहीं कर सकते! वे बहुत ज्यादा ‘‘हठी’’ और ‘‘असावधान’’ है।
17. ‘‘उदारचित-महात्मा’’ ‘‘Highminded’’ का अर्थ है अभिमान से अंध। ये वो ही समान ग्रीक षब्द इस्तेमाल हुआ है 1 तीमुििायुस 6:4 में, ‘‘वह अभिमानी हो गया और कुछ नहीं जानता; वरन् उसे विवाद और षब्दों पर तर्क करने का रोग है, जिससे डाह, और झगड़े और निन्दा की बातें और बुरे-बुरे सन्देह।’’ एक जाँच के अनुसार 89% याजको की कहे जानेवाले ‘‘मसीहीयों’’ के साथ इस तरह व्यवहार था, लोग जो कलीसिया तोड़ने का कारण बनते है। इसके बारे में सोचो, 10 में से 9 याजकों ने कलीसिया टूटने का अनुभव किया है इस प्रकार के लोगों के कारण! वे ‘‘अभिमान के बादलों से घिरे हुए (या अंधे) हो गए है’’ (डो. वीन्सेन्ट)।
18. ‘‘परमेष्वर के नहीं वरन् सुखविलास के चाहनेवाले है।’’ अक्षरषः ‘‘परमेष्वर के नहीं परन्तु सुखविलास के चाहनेवाले’’ (डो. वीन्सेन्ट)। डो. मेकगी ने कहा, ‘‘कभी भी वहाँ समय नहीं था जब इतने सारे पैसे खर्च किए गए हो सुखविलास के लिये ... लाखो डोलर मनोरंजन के लिये खर्च किए जाते है क्योंकि आदमी सुखविलास के चाहनेवाले ज्यादा है वरन् प्रभु को चाहनेवालो से’’ (ibid, पृश्ठ 471)। ये यह भी स्पश्ट करता है कि क्यों बिना बचाए हुए युवा लोग अंतहीन समय रोज बिताते है कम्प्युटर पर वीडीयों गेम खेलने में, परन्तु कहते है कि उनके पास समय नहीं है बाइबल पढ़ने और प्रार्थना करने के लिये! कोई आष्चर्य नहीं कि वे सच्चे परिवर्तन का अनुभव नहीं करते! वे प्रभु से ज्यादा सुखविलास को चाहते है।
19. ‘‘देवभविक्त का (प्रकार) नमूना है, परन्तु उसकी षक्ति का अस्वीकार करते है’’। उनके पास है ‘‘सिर्फ बाहरी आकार, जैसे जरूरी हकीकत से अलग किया हुआ’’ देवीभक्ति का (डो. वीन्सेन्ट)। ‘‘वे जाते है धर्म के विधि द्वारा परंतु जीवन और हकीकत की कमी’’ (डो. मेकगी)। लोग जो संतुश्ट है सिर्फ कलीसिया में आने से बिना जाने मसीह है ‘‘सदा सीखती तो रहती है पर सत्य की पहिचान तक कभी नहीं पहुँचती’’ (2 तीमुथियुस 3:7)। आप उन्हें सुसमाचार प्रचार दे सकते हो जब तक आप चेहरे से नीले ना हो और वे जाएँगे सीधे संतुश्ठ होकर ‘‘देवीभक्ति के नमूने’’ के साथ बिना कभी भी अनुभव करते हुए ‘‘उसकी षक्ति का’’। दुखःद, हमारे कलीसिया में हर रविवार ऐसे बहुत लोग होते है!
‘‘हीप्पी पीढ़ी’’ का कैसा चित्र, वे जो करीबन 45 से 65 की उम्र के अब है - और उनके बच्चों और पोते - पोतीयों से कुछ कम प्रसार किए हुए! जैसे डो. लीन्डसेल ने उनका वर्णन किया, वे ‘‘स्व-केन्द्रित, अलग हुए, बिना सहानुभूति के, नास्तिक, देषद्रोही और चरित्रहीन’’ है। वे 2 तीमुथियुस 3:1-8 मे ंवर्णन किए गए है।
अब, उस 19 वर्णन (व्याख्याओं) में से एक भी आपको लागु होती है, आपके साथ क्या गलत है? ध्यान दिजीये षब्द ‘‘आदमीयों’’ पर वो वाक्यखण्ड मे तीन बार आता है। :आदमी अपने स्वयं के प्रेमी होने चाहिए’’ (पद 2)। ‘‘इसलिये यह भी सच्चाई को रोकता है : भश्ट्र दिमाग के आदमी’’ (पद)। ‘‘परंतु दुश्ट आदमी ... (बढ़ता) है खुष और बुरा’’ (पद 13)। ये संदर्भ करते है कलीसिया में खोए हुए लोगों का, दोनो आदमी और स्त्रीयों का।
1. वे अपने आप से प्रेम करते है प्रभु से नहीं।
2. वे सच्चाई को रोके है।
3. वे बुरे और बुरे बनेंगे।
‘‘परन्तु दुश्ट और बहकानेवाले धोखा देते हुए और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जाएंगे’’ (2 तीमुथियुस 3:13)।
एक बार लोग उस अवस्था तक पहुँच जाते है वे कदाचित ही अगर कभी भी परिवर्तित होंगे क्योंकि वे प्रभु द्वारा छोड़ दिए गए है। जब प्रभु आपको छोड़ देते है, वे सदा के लिये बहुत देर हो चुकी होती है बचाने के लिये। परंतु अपने स्वयं को ज्यादा आराम मत दो। आप कलीसिया में रह सकते हो और फिर भी प्रभु द्वारा छोड़े जा सकते हो। मैंने वो बहुत बार होते हुए देखा है। कैसे भी, अगर आपकी अंतर-आत्मा आपको आपके पाप के लिये परेषान करती है तो वहाँ पर अभी भी आपके लिये आषा है।
अगर आप खोए हुए हो क्या यह समय के बारे में नहीं है जो आपका बहुत गंभीरता से मसीह को ढूँढने मिला है? कैसे आप खडे होकर बढते ही जाते हो अब आप जाने हो आप नीचे अधोलोक में कभी जाओंगे? आप ऐसे कैसे जी सकते हो रोज रोज? यीषु ने कहा, ‘‘सकेत द्वार से प्रवेष करने का यत्न कर’’ (लूका 13:24)।
मुझे याद है पीछे 1972 या 1973 में मैं कार चलाकर सान फ्रान्सीस्को से सान जोस जा रहा था। एक युवा हीप्पी मेरे साथ कार में था। वो सारा समय जाते और आते वक्त बात करता रहा। वो नषे से ज्यादा देर दूर नहीं रहा और उसका दिमाग अभी भी धुँधला लग रहा था। वो बोलते ही जा रहा था जब तक मैं मुष्किल से उसे सह सकुँ। मुझे याद है सोचना ‘‘वहाँ पर इस आदमी के लिये आषा नहीं है’’। परंतु में गलत था। वो आखिरकार परिवर्तित हुआ था! आज वो षादीषुदा है और बड़े बच्चे है। और वो एरीझोना, फोनीक्स के कलीसिया में याजक है! वो गा सकता है, ‘‘अद्भूत अनुग्रह, कितना मधुर स्वर है जिसने मुझ जैसे दुश्ट को बचाया!’’
अगर आप खोए हुए हो तो आपके लिये वहाँ आषा है! परंतु वहाँ पर आपके लिये सिर्फ एक ही आषा है - और उसका नाम है यीषु! यीषु पर भरोसा करो और आप बचाए जाओगे!
मेरे बंधन, षोक और रात से बाहर,
यीषु मैं आ रहा हूँ, यीषु मैं आ रहा हूँ;
आपकी आझादी, आनंद, और रोषनी में
यीषु मैं आ रहा हूँ, आपके पास!
(‘‘यीषु, मैं आ रहा हूँ’’ वीलीयम टी. स्लीपर द्वारा, 1819 - 1904)।
अगर आप अब तक बचाए नहीं गए हो तो मेहरबानी करके कमरे के पीछे जाओ अभी, और डो. केगन आपको प्रार्थना करने के लिये षान्त जगह पर ले जाएँगे।
अब थोड़े षब्द उनके लिये जो बचाए गए है। मैं जानता हूँ कि 2 तीमुथियुस 3:1-8 पवित्रषास्त्र का अंधेरेवाला और बिना प्रोत्साहनवाला अध्याय है। जब हम पापी आदमी को देखते है वो हमें निरूत्साही करेगा ही। फिर भी मुझे इस अध्याय से वर्शों से बहुत आराम मिला है। ये मुझे प्रोत्साहित करता है पढ़ने बाइबल की भविश्यवाणी में जो मानवजाति की अवस्था के बारे में! यह मुझे सोचने पर लगाता है, ‘‘अच्छा, इस प्रकार बाइबल कहता है कि होगा। चीजें खराब है, परंतु वे नियंत्रण से बाहर नहीं है। बाइबल ने ये पहले कहा था - और प्रभु जिसने हमें ये पवित्रषास्त्र के वचन दिये वे अभी भी सिंहासन पर है!’’ आगे और, दूसरा ही पाठ 2 तीमुथियुस में कहता है कि ‘‘प्रभु यीषु मसीह ... मरे हुओं का न्याय करेगा ...’’ (2 तीमुथियुस 4:1)। कोई बात नहीं लोग चाहे कितने भी बुरे बने, यीषु फिर से आ रहे है! इस महान गीत के षब्दों के बारे में सोचो -
रात काली थी, पाप हमारे विरूद्ध युद्ध कर रहे थे;
षोक का भारी बोझ हमने उठाया;
परंतु अब देखते है उनके आने के चिन्ह;
हमारा मन हमारे अंदर रोषन हो रहा है
आनंद का कटोरा ऊपर जा रहा है!
आपका सिर उठाइएँ, थके हुए यात्री;
देखो दिन का समीप जाना अब गहरे लाल आसमान के,
रात की परछाइयाँ भाग गई, और यीषु आ रहे है,
लंबा रूके हुए थे लगभग आखरी बार
वे फिर से आ रहे है, वे फिर से आ रहे है,
वो ही यीषु, आदमी से अस्वीकारा हुआ;
वे फिर से आ रहे है, वे फिर से आ रहे है,
षक्ति और बड़ी महिमा के साथ, वे फिर से आ रहे है!
(‘‘वे फिर से आ रहे है’’ माबेल जोनस्टोन केम्प द्वारा, 1871-1937)।
मसीह के दूसरे बार आने की तरह और कुछ भी मसीहीयों के मन नहीं उठा सकता। मैंने सदा ऐसे जाना है! जैसे मैं यह धार्मिक प्रवचन प्रचार कर रहा था, मैंने डो. चार्ल्स एल. फियेनबर्ग द्वारा संपादित की हुई भविश्यवाणी पर की किताब से भेंट की। मैं भूल गया था मुझे वो कहाँ मिली थी, परंतु वहाँ उसके पहले पन्ने पर मैंने पढ़ा कैसे चीन का आदमी जिसने लिखा जब उसने मुझे यह किताब 1971 में भेंट दी। उसका नाम है केन यी और वा ेअब याजक है। मैं उसे जानता था क्योंकि मैंने हर हफ्ते के आखरी दिन साक्रामेन्टो में चीनी मिषन में गुजारे थे मेरे गोल्डन गेट बेपटीस्ट थीयोलोजीकल धार्मिक पाठषाला के पहले वर्श के दौरान। केन ने यह षब्द लिखे थे।
‘‘प्यारे बोब, आपके प्रेम भरे बलिदान के द्रश्टांत के कारण, आपके कलीसिया (पहले चीनी बेपटीस्ट कलीसिया, लोस एंजलिस) के प्रेम के कारण, क्योंकि आप हमारे (लोस एंजलिस के कलीसिया के) मिषन से प्रेम करते हो, आपका विचार जो आप इतने उत्साहपूर्वक बांटते हो इस कारण और अंत में, क्योंकि आप - आप हो और वहाँ कोई और नहीं - यह आनंद से ज्यादा है! मेरी आत्मा को आषिश करें! मारानाथा (Maranatha) - परमेष्वर आ रहे है! मसीह में प्रेम, केन’’।
आमीन! आमीन! जब हमारी सेवा द्वारा केन जैसा आदमी सहाय किया गया था, यह बनाता है हर चीज जिससे हम जाते है उसे अर्थपूर्ण! एक युवा आदमी ने हमारे कलीसिया में से मुझसे कहा वो उदास था क्योंकि हर एक जिसको उसने सहाय करने का प्रयत्न किया वे दूर चले गए। मैंने कहा, ‘‘हाँ, परन्तु, अगला षायद रूके और वो आपको आनन्द देगा जो संसार को कभी भी मालूम न था’’। जिसे आप मसीह के पास ले गये थे वे आप के साथ आनन्दित होंगे जब मसीह आते है! हर मसीही आपने कभी भी सहायता कि होगी वो वहाँ होगा आपके साथ जब यीषु आते है! आमीन! मारानाथा - यीषु आ रहे है!
आसमान फैला होना चाहिए,
उनका प्रवेषद्वार तैयार करते हुए;
सितारे उनकी प्रषंसा करने चाहिए
सराहना की मेघध्वनि के साथ।
उनकी आँखो में मधुर रोषनी
उस प्रतीक्षा को बढ़ाने को,
और हमें उनको देखना चाहिए,
फिर चेहरे से चेहरे के सामने।
और हमें उनको देखना चाहिए,
और हमें उनको देखना चाहिए।
सामने सामने उनकी सारी महिमा में!
और हमें उनको देखना चाहिए,
हाँ, और हमें उनको देखना चाहिए,
सामने सामने हमारे उद्धारक और प्रभु!
स्वर्गदूत उनके आने का आवाज पुकारने चाहिए,
सोते हुए उठने चाहिए उनकी सोने की जगह से;
और वे जो बचे हो वे क्षण में बदलने चाहिए
और हमें उनको देखना चाहिए फिर चेहरे से चेहरे के सामने।
और हमें उनको देखना चाहिए
सामने सामने उनकी सारी महिमा में!
हाँ, और हमें उनको देखना चाहिए,
और हमें उनको देखना चाहिए
सामने सामने हमारे उद्धारक और प्रभु!
(‘‘हमें उनको देखना चाहिए’’ डौट्टी रेम्बो, 1934-2008)।
(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन से पहले डो. क्रेगटन् एल. चान द्वारा पढ़ा हुआ पवित्रशास्त्र : तीमुथियुस 3:1-8।
धार्मिक प्रवचन से पहले श्रीमान बेन्जामिन किनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीत :
‘‘यीषु फिर से आते है’’ (एच. एल. टर्नर द्वारा, 1878)।
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