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महान् और भययोग्य ईष्वर - भाग 1 THE GREAT AND TERRIBLE GOD – PART I डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा लोस एंजलिस के बप्तीस टबरनेकल में प्रभु के दिन की सुबह, 5 फरवरी, 2012 ‘‘महान् और भययोग्य ईष्वर'' (नहेम्याह 1:5)। ‘‘हे प्रभु, महान् और भययोग्य परमेष्वर'' (दानिय्येल 9:4)। |
इस धार्मिक प्रवचन का ज्यादा हिस्सा डो. जोन आर. राइस द्वारा दिये हुए ‘‘महान् और भययोग्य ईष्वर'' से लिया गया है (स्वोर्ड अॉफ ध लोर्ड, 1997, पृपृश्ठ 7-38)। पवित्रषास्त्र के इन दो पाठ ने परमेष्वर को भययोग्य, भययोग्य परमेष्वर कहा। नहेम्याह ने प्रार्थना की, ‘‘हे स्वर्ग के परमेष्वर यहोवा, हे महान् और भययोग्य ईष्वर''। फिर से, नहेम्याह 4:14 में, नहेम्याह ने कहा, ‘‘प्रभु जो महान् और भययोग्य है, उसी को स्मरण करके''। और नहेम्याह 9:32 में उसने कहा, ‘‘अब हे हमारे परमेष्वर, हे महान्, पराक्रमी और भययोग्य ईष्वर ...'' प्रभु को कहा गया है ‘‘पराक्रमी और भययोग्य ईष्वर'' व्यवस्थाविवरण 7:21 में। व्यवस्थाविवरण 10:17 में उसने कहा है, ‘‘ईष्वरों का परमेष्वर और प्रभुओं का प्रभु है, महान् पराक्रमी और भययोग्य ईष्वर ...''। दानिय्येल ने कहा ‘‘महान् और भययोग्य परमेष्वर'' (दानिय्येल 9:4)। बाइबल ये भाशा का उपयोग करते है परमेष्वर का वर्णन करने। यषायाह 59:18 में प्रभु ने कहा, ‘‘वह उनको फल देगा, अपने द्रोहियों पर वह अपना क्रोध भड़काएगा और अपने षत्रुओं को उनकी कमाई देगा''। इस प्रकार ईष्वर कई बार बाइबल में चित्रित किये गये है, पाप के विरूद्ध उनका क्रोध बाहर निकालते हुए।
वे जिन्होंने प्रभु के बारे में सिर्फ कहा प्रेम और दया का परमेष्वर जो बाइबल में दिये हुए परमेष्वर का वर्णन पूरी तरह नहीं करते। वो प्रभु है न्याय और बदले का भी। नयी नियमावली में हमें सरल चेतावनी दी गयी है, ‘‘जीवते परमेष्वर के हाथों में पड़ना भयानक बात है'' (इब्रानियों 10:31)। ये सारी आधुनिक पढ़ाई बिना व्यवस्था के अनुग्रह, पष्चाताप बिना विष्वास के, प्रभु की दया बिना क्रोध के, स्वर्ग बिना अधोलोक, है सच्चाई का दोश प्रभु के बारे में। ये प्रभु के संदेष की अप्रमाणिक प्रस्तावना है। परमेष्वर भययोग्य प्रभु है, भयानक प्रभु, पाप के विरूद्ध प्रभु का तीव्र क्रोध, बदले के प्रभु, डरने के लिये प्रभु, प्रभु जो पापीयों को थर्राते है।
हम क्यों और ज्यादा धार्मिक प्रवचन बाइबल के इस भययोग्य प्रभु पर न सुने? क्योकि बहुत से प्रचारक प्रभु के बारे में सच्चाई कहने से डरते है। वे डरते है कि विशयी, अपरिवर्तित लोग उनके कलीसिया में ऐसे प्रभु के बारे में सुनना नहीं चाहते। क्यों? ‘‘क्योंकि षरीर पर मन लगाना तो परमेष्वर से बैर रखना है'' (रोमियों 8:7)। अपरिवर्तित लोगों का विशयी मन स्वाभाविक्ता से बाइबल के महान् और भययोग्य प्रभु से विरूद्ध है।
फिर भी ये घोशित करना जरूरी है प्रभु को अपरिवर्तित पापीयों के सामने। डो. मार्टीन लोयड - जोनेस ने कहा,
चीज जो सुसमाचार को दूसरी सारी पढ़ाई से अलग करती है वो है प्रभु की प्राथमिक घोशणा और हमारा ईष्वर के साथ का संबंध। ना कि हमारी विषिश्ट परेषानी, परन्तु वो ही परेषानी जो हम सबको आती है, कि हम दोशी पापी है, पवित्र प्रभु और पवित्र व्यवस्था के आगे (रोमन्स, एक्सपोझीषन अॉफ चॅप्टर 1, ध गोसपल अॉफ गोड, ध बेनर अॉफ ट्रुथ ट्रस्ट, 1985, पृश्ठ 95)।
पापी खोया हुआ महसूस नहीं करेंगे जब तक वे बाइबल के महान् और भययोग्य ईष्वर के आमने सामने न लाया जाय। सिर्फ जब वो अपराधी महसूस करेंगे पवित्रषास्त्र के महान् और भययोग्य ईष्वर के सामने वे तब सहमत होंगे कि उन्हें मसीह की आवष्यकता है।
अभी भी भयानक, भययोग्य और डरानेवाले प्रभु, क्रोध और भस्म करनेवाली आग के प्रभु के लिये बोलना आज बहुत से कलीसिया लोगों को आघातजनक और अप्रसन्न करता है। परंतु उनका आघातजनक होना गलत है।
डो. राइस ने कहा, ‘‘हमें इस भयानक और भययोग्य ईष्वर से डरना उचित है। पूरे बाइबल में प्रभु के डर ने हमें मदद की है जैसे सारे सामर्थ्य में से एक महान् सामर्थ्य की तरह। ये नींव है मसीही चरित्र और पवित्रता की। यह जरूरी है सच्चे पश्चाताप और सच्चे परिवर्तन के लिये'' (ibid)।
ओक्सफर्ड कोन्करडन्स (Oxford Concordance) सूचि देते है पवित्रषास्त्र के पंद्रह अंष की जिसमें हमें आदेष दिया गया है परमेष्वर के प्रेम करने या जहाँ प्रभु के लिये प्रेम का वर्णन सामर्थ्य की तरह किया गया है। परन्तु वो ही एकता (Concordance) की सूचि देते है बाइबल में छयालीस (46) अंष जहाँ प्रभु का डर आदेष या सूचित किया गया है सामर्थ्य की तरह!
बाइबल में तीन भिन्न पद हमसे कहते है कि, ‘‘बुद्धि का मूल यहोवा का भय है'' (भजनसंहिता 111:10; नीतिवचन 1:7; नीतिवचन 9:10)। हमें कहा गया है कि प्रभु का डर हमारा जीवन बढाते है (नीतिवचन 10:27; 19:23; 14:27)। हमें कहा गया है कि प्रभु का डर रास्ता है सफलता और प्रचुरता का (नीतिवचन 15:16)। और समस्त बाइबल में ईष्वरीय आदमी और औरतों के वर्णन की गयी है जैसे वो प्रभु से डरते है। Solomon, सुलैमान धरती के सबसे बुद्धिमान आदमी ने कहा, ‘‘परमेष्वर का भय, मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर, क्योंकि मनुश्य का सम्पूर्ण कर्तव्य यही है'' (सभोपदेषक 12:13)।
परन्तु बाइबल कहता है कि खोये हुए पापी ईष्वर से डरते नहीं है। उस भययोग्य सूचि आदमीयों के पापो की रोमियों 3:9-18 में, आखरी और अंतिम उत्कर्श दिखाते हुए स्वाभाविक इंसानी मनकी भ्रश्टता दी गयी है इन षब्दों में, ‘‘उनकी आँखों के सामने परमेष्वर का भय नहीं'' (रोमियों 3:18)।
बहुत पहले नहीं किसी ने मुझसे कहा, ‘‘मुझे प्रभु का डर नहीं है''। उसने ऐसे कहा जैसे वो कोई खास व्यक्ति है। नहीं कभी भी नहीं! ये किस्सा है हर खोये हुए पापीयों का! ‘‘उनकी आँखों के सामने परमेष्वर का भय नहीं''। अपने महान् गीत ‘‘अद्भुत अनुग्रह'' में जोन न्युटन ने कहा, ‘‘वो अनुग्रह था जिसने मेरे मन को डरना सीखाया''। कोई भी पापी को प्रभु का डर महसूस नहीं होगा जब तक प्रभु की आत्मा उसे खास अनुग्रह नहीं देती। एक व्यक्ति जो परमेष्वर से डरता नहीं वो पाप में जीवित रहता है। वो प्रभु की चेतावनी के बारे में कुछ सोचता नहीं, और प्रभु के क्रोध और न्याय के बारे में गहराई से नहीं सोचता। परन्तु प्रभु भययोग्य ईष्वर, भयानक प्रभु है, परमेष्वर जो डरने के लिये उचित है।
कोई आष्चर्य नहीं कि एली के पुत्रों को प्रभु का डर नहीं था, ‘‘अब एली के पुत्र तो लुच्चे थे; उन्होंने यहोवा को न पहिचाना'' (1 षमूएल 2:12)। ‘‘उन्होंने यहोवा को नहीं पहिचाना''। कोई आष्चर्य नहीं कि उनको यहोवा का डर नहीं था। उन्हें जानकारी भी नहीं थी महान् और भययोग्य यहोवा की। बाइबल के भयानक प्रभु उनके लिये अनजान थे। एली के पुत्रों को प्रभु के साथ व्यक्तिगत अनुभव नहीं था। उन्होंने कभी भी गंभीरता से प्रभु के बारे में सोचा नहीं था। वहाँ पर उनके विचारों में प्रभु के लिये कोई जगह नहीं थी। ‘‘उन्होंने यहोवा को न पहिचाना'' - और उन्हें प्रभु को जानने में रूचि भी नहीं थी! वे पापी थे और वे प्रभुरहित थे और वे प्रचार को नहीं सुनते थे। प्रचारक ने कहा, ‘‘अगर आदमी परमेष्वर के विरूद्ध पाप करता है, उनके लिये कौन बिचवई (Intercede) होगा?'' परंतु उन्होंने उनके द्वारा सही होने से इन्कार किया। ‘‘उन्होंने बात न मानी ... क्योंकि यहोवा की इच्छा उन्हें मार डालने की थी'' (1 षमूएल 2:25)। फिर एक भविश्यवक्ता आया और उन्हें चेतावनी दी कि वे ‘‘दोनों के दोनों मर जाएँगे'' (1 षमूएल 2:34)। परन्तु वे अपने पाप में गये। मृत्यु की धमकी ने उन पर कोई प्रभाव नहीं डाला। फिर, फिर से, प्रभु ने युवा षमूएल को उद्घाटित किया की एली के पुत्र उनके पापो के लिये मारे जायेंगे और न्याय किये जायेंगे, ‘‘षमूएल का वचन सारे इस्त्राएल के पास पहुँचा'' (1 षमूएल 4:1)। फिर भी एली के पुत्रों ने उस चेतावनी को भी नहीं सुना।
अब कुछ निष्चित दिन पर, इस्त्राएली पलिष्तियों से युद्ध करने गये। हालात बुरे होते जा रहे थे, इसलिये लोग एली के पुत्रों के साथ गये और यहोवा की वाचा का सन्दूक (Ark of Covenant) को छावनी (Tabernacle) से बाहर युद्ध के मैदान के बीच में लाये। उन्होंने सोचा की उनको ‘‘चमत्कारिकरूप'' से प्रभु मिलेंगे उनको आषिश देने। परन्तु वे गलत थे - मृत्यु प्राय गलत! आपको प्रभु का आषिश नहीं मिल सकता है अगर आपको उनका डर नहीं हो! ‘‘और परमेष्वर का सन्दूक छीन लिया गया, और एली के दोनों पुत्र होप्नी और पीनहास भी मारे गए'' (1 षमूएल 4:11)। फिर भी ये पलिष्तियों नहीं थे जिन्होंने उनको युद्ध में मार डाला। हकीकत में यह उनके पीछे प्रभु थे। यह प्रभु थे हकीकत में जिसने उनको मार डाला, ‘‘क्योंकि यहोवा की इच्छा उन्हें मार डालने की थी'' (1 षमूएल 2:25)। ये हकीकत में महान् और भययोग्य यहोवा थे। ये जिन्होंने उनका नाष किया और उन्हें अधोलोक भेजा, ‘‘जहाँ उनका कीडा नहीं मरता और आग नहीं बुझती'' (मरकुस 9:48)।
मुझे स्मरण है बाइबल का अस्वीकार किये हुए दक्षिणी बप्तीस धार्मिक पाठषाला के प्राध्यापक का जहाँ मैंने हाजरी दी थी। मैं मास्तर की पदवी के साथ स्नातक हुआ था। एक साल बाद मैं वापस गया और मीनीस्ट्री के डोक्टर (Doctor of Ministry) के कार्यक्रम के लिये प्रवेष पाने प्रार्थनापत्र दिया। इस आदमीने मेरी ओर तिरस्कारसे देखा और मेरा प्रार्थनापत्र नीचे फेंक दिया क्योंकि मैंने बाइबल के बचाव मे मजबूत हिस्सा लिया था। परन्तु कुछ महिने बाद इसी आदमी ने अपने मुँह में बन्दूक लगाकर आत्महत्या की। दूसरे आदमीने झूठ बोला और मुझपर टेलीव्हीझन पर दुश्टता से आक्रमण किया। वो मरा हुआ था कोई अन्जान बीमारी से छत्तीस महिनों के अंदर। तीसरे आदमीने मुझ पर आक्रमण किया गर्भपात के विरूद्ध उत्साह से खडे रहने के लिये। वो युवान और मजबूत था, परंतु वो चौबीस महिनों के अन्दर ही मर गया। ये उन्हें होना आवष्यक नहीं था मुझ पर आक्रमण करने के कारण। यह भययोग्य न्याय उनपर आया क्योंकि उन्हें ‘‘जानकारी नहीं थी'' बाइबल के महान् और भययोग्य यहोवा की!
अब, मैं तुम से पूछता हूँ, आपको प्रभु का कोई डर है? जब आप अकेले होते हो क्या आप महान् और भययोग्य यहोवा के बारे में सोचते हो? स्मरण करो, ये प्रभु का डर है जिसको महसूस करने की आपको आवष्यकता है। यही है जिसके बारे में आपको सोचना और प्रार्थना करनी चाहिये जब आप अकेले होते हो। स्मरण करो, जब आप अकेले होते हो वही गिनती में आता है। याकूब रात में अकेला था जब उसने कहा, ‘‘निष्चय इस स्थान में यहोवा है; और मैं इस बात को न जानता था, और मैं भयभीत हो गया''। (उत्पति 28:16-17)। वो देर रात थी जब ‘‘याकूब आप अकेला रह गया; तब कोई पुरूश आकर पौ फटने तक उससे मल्लयुद्ध करता रहा'' (उत्पति 32:24)। वो तब था जब वो परिवर्तित हुआ था, रात भर अवतार से पहले के मसीह के साथ मल्लयुद्ध करते हुए! अब्राम अकेला था रात में जब प्रभु नीचे आए और उसे स्थिर किया अब्राहम की सन्दूक (Abrahamic Covenant) में। ‘‘जब सूर्य अस्त होने लगा, तब अब्राम को भारी नींद आई और देखो, अत्यन्त भय और महा अन्धकार ने उसे छा लिया'' (उत्पति 15:12)। भयानक और महा अन्धकार अब्राम पर छा गया जब उस रात प्रभु उसके पास आये। यही है जो भूतकाल के महान् मसीहीयों ने कभी कभी कहा, ‘‘आत्मा की अन्धेरी रात''। यही है जो लुथर, और बुनयान, और वेस्ली और वाईटफिल्ड, और जुडसन, और स्पर्जन ने महसूस किया। उनके परिवर्तन से पहले उन्होंने अनुभव किया बाइबल के डरानेवाले और भययोग्य परमेष्वर का।
क्या आप कभी भी सोचते हो इस महान् और भययोग्य प्रभु के बारे में जब आप अकेले होते हो? क्या आप कभी भी दोशी महसूस करते हो जब आप अकेले होते हो - जानते हुए कि अब्राम के परमेष्वर ने आपके पापो को देखा है, आपके मन और दिमाग के पाप को भी? पाप जो आप और प्रभु के अलावा कोई और नहीं जानता उसे भी? क्या ‘‘महा अन्धकार की भयानकता'' कभी भी रात को आप पर पडी है, जैसे वो अब्राम पर पडी? (उत्पति 15:12)।
ओह, हम कैसे प्रार्थना करे कि आप महसूस करो ऐसा अपराधभाव और भय जब आप रात में प्रभु के साथ अकेले होते हो! एली के पुत्रों ने कभी भी ऐसा अपराधभाव और भय महसूस नहीं किया, ‘‘क्योंकि यहोवा की इच्छा थी उनको मार डालने की''। जब प्रभु आपके पास आते है और आप पाप के विरूद्ध उनकी भयानक षक्ति और क्रोध महसूस करते हो, फिर आप षायद भाग कर यीषु तक आ सकते हो, पाप से षुद्ध होने उनके बहुमूल्य लहू द्वारा! हम कैसे प्रार्थना करें ताकि वो आपका अनुभव हो!
सेम्युएल डेवीस (1923 - 1961) नये इंग्लेन्ड से बडी जागृतता के दौरान षक्तिषाली प्रचारक थे। पुनःजीवन नीचे आया कई बार उनके सेवा के मंत्रीत्व के दौरान। 1958 में वो चुने गये थे जोनाथन एडवर्ड के बाद के राश्ट्रपति की तरह प्रीन्सेटन विष्वविद्यालय (Princeton University) में। वो तीन वर्श बाद मर गया सडतीस (37) वर्श की उम्र में। सेम्युएल डेवीस जानते थे बाइबल के महान् और भययोग्य प्रभु को। उनके गीत के षब्दों को सुनो जो श्रीमान ग्रीफिथने धार्मिक प्रवचन षुरू होने से पहले गाया था।
कितना महान्, कितना भययोग्य वह प्रभु,
जो हिला देता है निर्माण को उनकी संमति से!
उसने व्यग्र किया : धरती, सागर, कुदरती की सारी चीजों को
एक सर्वव्यापी ज्वाला में डूबने।
कहाँ, ओह, कहाँ पापीयों को ढूँढना चाहिये,
सामान्य नाष में आश्रय के लिये!
गिरते हुए पहाड़ उन पर फेंके जाये?
देखिये पहाड़ो को बर्फ के समान पिघलकर नीचे आते।
व्यर्थ में दया के लिये अब वे रोते है;
प्रवाही आग के सरोवर में वो रहते है;
वहाँ पर जलते फेंफडे उछाले गये,
सदा के लिये - ओह सदा के लिये खोया हुआ।
(‘‘प्रकृति का नाष'' सेम्युएल डेवीस द्वारा, 1723 - 1761)।
हम प्रार्थना करते है कि आप इस भयानक परमेष्वर की हकीकत को महसूस करना षुरू करेंगे। हम प्रार्थना करते है कि आप अपने पाप का दोश महसूस करेंगे और आप मानोगे कि सिर्फ सीषु का लहू ही आपको षुद्ध कर सकता है हमारे महान् और भययोग्य प्रभु की दृश्टि में।
(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन के पहले डो. क्रेगटन् एल. चान द्वारा पढा हुआ पवित्रशास्त्र :
2 थिस्सलुनीकियों 1:7-9।
धार्मिक प्रवचन से पहले श्रीमान बेन्जामिन किनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीत :
‘‘प्रकृति का नाष'' (सेम्युएल डेवीस द्वारा, 1723 - 1761)
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