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यीशु मसीह में विश्वासFAITH IN JESUS CHRIST डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा लोस एंजलिस के बप्तीस टबरनेकल में प्रभु के दिन की सुबह, 11 दिसम्बर, 2011 को दिया हुआ धार्मिक प्रवचन “परन्तु सब ने उस सुसमाचार पर कान न लगाया। यशायाह कहता है, हे प्रभु, किसने हमारे समाचार पर विश्वास किया है? अतः विश्वास सुनने से और सुनना मसीह के वचन से होता है” (रोमियों 10:16-17)। |
पीछली रात डो. केगनने धार्मिक प्रवचन दिया जिसका शीर्षक था, “प्रभु की आत्मा द्वारा सुखा हुआ” (Withered by God's Spirit)। उस धार्मिक प्रवचन का पाठ था, “जब यहोवा की साँस उस पर चलती है, तब घास सूख जाती है, और फूल मुर्झा जाता है; निःसन्देह प्रजा घास है” (यशायाह 40:7)। डो. चानने कहा,
वो आपके मन में होना ही चाहिये। प्रभु की आत्मा द्वारा सूखाना, मुर्झाना चाहिये आपकी झूठी आशाएँ और आत्मविश्वास को, जो आपको अपने आप पर है। प्रभु की आत्मा को आपका विश्वास सिकुडना, झुलसाना, मुरझाना चाहिये, जब तक आपका मन सूखे फूल की तरह मुरझाये नहीं-जब तक आप “पराजित”, व्याकुल, विह्वल, और “शरमिंदा” न हो जाये स्वयं अपने द्रोही स्वभाव और पापी मनसे। जैसे उस लड़कीने कहा उसके परिवर्तित होने से कुछ क्षण पहले, “मैं अपने आप से बहुत धृणित हूँ”। oks पवित्र आत्मा का सूखाने का काम था, ऐसा नहीं था कि वह अपने आप में “नाराज” थी, परन्तु वो कि वह अपने आप से “धृणित” थी। वो होता है सच्चे अपराध भाव में।जैसे इयान.एच. मुरेय ने कहा, ज्यादातर लोग यीशु के पास नहीं आयेगे जबतक वे अनुभव न करे “पापो का संपूर्ण और मौलिकरूप से अपराधभाव को” (इयान.एच.मुरेय, ध ओल्ड इवान्जेलिकलिझम, ध बेनर ओफ टुथ ट्रष्ट, 2005, पृष्ठ. 7)। जोन न्यूटन (1725-1807), “अद्भुत अनुग्रह” के लेखक ने कहा,
मैंने प्रभु से पूछा कि मैं शायद उठुं
विश्वास और प्रेम और हर अनुग्रह में,
ज्यादा सामर्थ्य उनकी मुक्तिका जानूँ,
और ज्यादा उत्सुकता से उनके चहेरे से ढूँढू।
वो जिसने मुझे इस प्रकार प्राथर्ना करना सीखाया,
और वे, मैं विश्वास करता हूँ,
मेरी प्राथर्ना का जवाब दिया;
परन्तु यह इस प्रकार था कि जैसे
लगभग मुझे आशाहीनता तक ले गई
मैंने आशा की किसी सहाययुक्त घंटे मे वे
मेरी याचना का तुरन्त जवाब देंगे,
और उनके प्रेम की विवश करनेवाली शक्ति द्वारा,
मेरे पापो को हरायेंगे और मुझे विराम देंगे।
इसके बजाय, उन्होने मुझे महसूस कराया
मेरे मन के छिपे पापो को;
और अधोलोक की गुस्सेवाली शक्ति
मेरी आत्मा के हर हिस्सेमे चढ़ाई करे।
(“मैंने प्रभु से पूछा कि मैं शायद उठुं” जोन न्यूटन द्वारा, 1725-1807;
“मै जैसा हूँ” की तर्ज पर गाया हुआ)।
प्रभु करे आप जल्दी ही अनुभव करें पूरी तरह पापके अपराधभाव के सूखानेवाले काम का, आपकी स्वयं यीशु मसीह की आवश्यकता को देखने, आपको यीशु के पास ले जाने, उनके लहू द्वारा आपकी माफी और शुध्धता के लिये। क्योंकि अगर आप यीशु के पास विश्वास से नहीं आते हो तो प्रभु का क्रोध आपके ऊपर लटका रहेगा। आप मरे हुए हो जब आप जीवित होते हो-बिना प्रभु, बिना मसीह, बिना आशा के। स्पर्जनने कहा,
मेरी आत्मा को आपकी दया आती है-क्या आपको अपने आप पर दया नहीं आती? सिर्फ सुननेवालेः विश्वास रहित, अनुग्रह रहित, मसीह रहित! मसीह मरे, परन्तु उनके मृत्यु में आपका कोई हिस्सा नहीं। उनका लहू पापो से शुद्ध करता है, परन्तु आपके पाप आपके ऊपर ही रहते है... ओह, नाखुश आत्मा! ओह, दुष्ट आत्मा! प्रभु की चाह से बाहर, अनन्त प्रेम के साथ दुष्मनी, अनन्त जीवन रहित... आह, स्मरण कर, चाहे आपकी वर्तमान अवस्था भयानक है वह पर्याप्त नहीं है। आप जल्दी ही मरेंगे, और आप बिना विष्वास के मरेंगे। स्मरण कर वह मसीह के वचन, वे सबसे भयानक है जिसको मैं जानता हूँ उनमें से। “अगर आप विष्वास नहीं करेंगे कि मैं वह हूँ, आपको आपके पाप मे मरना चाहिये।” खाई (ditch) में मरना (या) जेल में मरना... हममें से कोई भी इसकी इच्छा नहीं करेगा; परन्तु आपके पापो मे मरने! हे प्रभु, यह अधोलोक है, ये अनन्त अधोलोक की यातना है... सदा के लिये मरना आपका भाग्य होगा... सिवा आप यीषु में (तुरन्त) विष्वास करो, क्योंकि जल्दी आप सुनवाई की पहुँच के बाहर होंगे। और ज्यादा धार्मिक प्रवचन नहीं, और ज्यादा अनुग्रह का निमंत्रण नहीं। ओह, आप क्या देंगे (अधोलोक में सुसमाचार का धार्मिक प्रवचन सुनने)। और ज्यादा प्रचारक का आवाज नहीं; कहते हुए, “तुम फिरो, तुम फिरो, आप क्यों मरेंगे!” ... आपके आसपास सब कुछ अंधेरा, और कठिन, और आपके लिये सिर्फ यह एक ही संदेष होगा-“वह जो अपवित्र है, उसे अभी भी अपवित्र रहने दीजीये।”
वहाँ पर माफी का कोई कायदा नही दिया गया,
उस ठंडी कब्रमें जिसे हम जल्दी पाते है;
परन्तु अंधेरा, मृत्यु और लंबी आषाहीनता,
वहाँ अनन्त सन्नाटे में षासन करो।
आह! फिर (अधोलोक में यह आसान नहीं होगा) आपका दुर्भाग्य कि आपने एकबार सुसमाचार सुना था। (आपका) अंतःमन जोर से चिल्लायेगा “मैंने अनुग्रह का सुसमाचार सुना था, और... मैंने उसका अस्वीकार किया” (सी.एच.स्पर्जन, “मैं विष्वास कैसे प्राप्त कर सकता हूँ?” ध मेट्रोपालीटन टबरनेकल पुलपीट, पीलग्रीम प्रकाषन, 1984 में फिर से छपां हुआ, भाग 18, पृश्ठ. 48)।
“परन्तु सब ने उस सुसमाचार पर कान न लगाया। यशायाह कहता है, हे प्रभु, किसने हमारे समाचार पर विश्वास किया है? अतः विश्वास सुनने से और सुनना मसीह के वचन से होता है” (रोमियों 10:16-17)।
वहाँ पर पाप और अधोलोक से बचने का सिर्फ एक ही रास्ता है-और वो है स्वयं यीषु मसीह में विष्वास के द्वारा! मसीह में विष्वास कैसे उत्पन्न होता है? जवांब सरल है “विष्वास सुनने से और सुनना मसीह के वचन से होता है”।
I. पहला, विष्वास की व्यक्ति है यीषु।
वहाँ पर अपरिचित नया रास्ता है यीषु में विष्वास का वर्णन करने का। मैंने कभी नहीं सुना था करीबन पच्चीस वर्श पहले तक। प्रचारक कहते थे, “यीषु के पास विष्वास के द्वारा आओ।” परन्तु वह अब बदल गया इस विचित्र वाक्यखण्ड से “यीषु में विष्वास से आइये।” मेरे लिये यह बहुत व्याकुल करनेवाला है। पापी को अब विष्वास के पास आने को कहा जाता है! आप “विष्वास के पास” कैसे आओगे? नही! नहीं! यह आपको सहाय नहीं कर सकता “विष्वास के पास आना।” यह व्याकुलता है जो “निर्णायक्ता” से आती है। पापीयों को यीषु के पास आने को ही कहना चाहिये! स्वयं यीषु मसीह हमारे विष्वास के व्यक्ति होने चाहिये! विष्वास स्वयं लक्ष्य नहीं है। बाइबल कहत है, “दुश्टात्मा भी विष्वास रखते, और थरथराते है” (याकूब 2:19)। दुश्टात्मा को जानकारी थी। उन्हें पता था यीषु कौन थे। “उन्होंने चिल्लाकर कहा, हे परमेष्वर के पुत्र, हमारा तुझ से क्या काम?” (मती 8:29)। उन्हें फरासियों से ज्यादा “विष्वास” था! फिर भी यह सिर्फ ऊपरी जानकारी थी। उन्हे “विष्वास” था कि वे प्रभु के पुत्र थे। परन्तु उनको स्वयं यीषु मसीह में विष्वास नहीं था। नहीं! नहीं! “विष्वास के पास आना” आपको बचा नहीं सकता। आपको यीषु के पास आना ही चाहिये, या आप आधेलोक की ज्वाला मे फेंके जाएगें ष्ौतान और उसके दुश्टात्माओ के साथ। विष्वास जो सिर्फ ऊपरी जानकारी है उसने किसीको कभी भी नहीं बचाया। आपको यीषु में विष्वास होना चाहिये। यीषु में विष्वास, यीषु को मानने के समान है। यीषु मे विष्वास, यीषु पर भरोसा करने के समान है। यीषु में विष्वास यीषु के पास आने के समान है। मैं इस सुबह आपसे कहता हूँ, “यीषु में विष्वास कीजिये।” यीषु को मानीये! यीषु का भरोसा कीजीये! यीषु को देखिये। यीषु के पास आइये! जैसे जोसेफ हार्ट (1712-1768) ने कहा, “कोई नहीं परन्तु यीषु, कोई नहीं परन्तु यीषु, असहाय पापीयों का अच्छा कर सकते है-कोई नहीं परन्तु यीषु, कोई नहीं परन्तु यीषु, असहाय पापीयों का अच्छा कर सकते है!”
“विश्वास सुनने से और सुनना मसीह के वचन से होता है” (रोमियों 10:17)।
II. दूसरा, यीषु में विष्वास रास्तो से नहीं आना।
मसीही घर में जन्म लेने से यीषु मे विष्वास नहीं आता। मैंने यह कहावत बहुत बार सुनी है, “प्रभु को पोता-पोती नहीं है।” यह बहुत सच्ची कहावत है। अगर आप हमारे कलीसिया में नये हो, यह नहीं मान लेना कि मसीही घर से सारे बच्चे परिवर्तित है। परन्तु उनमे से कुछ परिवतिर्त नही है। आप षायद सोचो, “कैसे वे मसीही घर से आते है, हर रविवार सुसमाचार प्रचार सुनते है, और मसीही नही है? बाइबल कहता है के वे “सदा सीखती तो रहती है पर सत्य की पहिचान तक कभी नहीं पहुँचती” (2 तीमुथियुस 3:7)। वे कलीसिया आते है, क्योंकि उनके माता पिता उन्हें यहाँ लाते है, या वे आदत के कारण आते है। परन्तु अभीतक वे पाप के अपराधभाव के अधीन नही आये है। अभी तक वे यीषु के पास नहीं आये है। अभी तक वे मसीह के साथ विष्वास के द्वारा नहीं जुडे़ है। अभी तक वे मसीही नहीं है।
फिर, भी, यीषु पर विष्वास सिर्फ उनसे आपको बचाने को कहने से नहीं आता। आप यीषु सें बहुत दूर खडे रहो और उन्हे आपको बचाने के लिये कहो-और अभी भी उनके पास नहीं आओ, और अभी भी उनका भरोसा न करो; और अभी भी उनसे जुड न जाओ। नहीं, ये आपका कुछ अच्छा नहीं करेगा उनसे आपको माफ करने के लिये कहना अगर आप उनके पास आने से इन्कार करते हो। यीषु ने कहा, “फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते” (यूहन्ना 5:40)।
फिर से, यीषु में विष्वास महसूस करने से या भावनाओं से नहीं आता। बहुतों को ऐसी भावनाएँं थी, परन्तु वह ज्यादा चलती नहीं। भावनाएँ भी हवामान की तरह जल्दी से बदल जाती है। एक दिन गर्मी होती है, परन्तु दूसरे दिन ठंडी। भावनाएँ और मन की कल्पना हवामान की तरह बदल सकनेवाली होती है। एडवर्ड मोटे ने कहा, “मैं सबसे मधुर कल्पना का भरोसा करने की हिमंत नहीं करता, परन्तु पूरी तरह यीषु के नाम पर झुका हूँ।” “कल्पना” (Frame) से उनका मतलब है “भावना”। “मैं सबसे मधुर भावना का भरोसा करने की हिंमत नहीं कर सकता।” “मेरी आषा यीषु के लहू और धार्मिकता से किसी भी कम चीज पर नहीं बनी।” इसे गाये!
मेरा आषा यीषु के लहू और धार्मिकता से
किसी भी कम चीज पर नही बनी।
मैं सबसे मधुर कल्पना पर भरोसा
करने की हिंमत नहीं करता,
परन्तु पूरी तरह यीषु के नाम पर भरोसा है।
मसीह, मजबूत पहाड पर में खड़ा हूँ,
बाकी सारी धरती डूबती हुई रेत है;
बाकी सारी धरती डूबती हुई रेत है।
(“मजबूत पहाड” एडवर्ड मोटे द्वारा, 1797-1874)।
अभी भी, फिर से, यीषु में विष्वास विचारो से नहीं आता। “विचार करना” से मेरा अर्थ है अपने मनमें यीषु की प्रतिमा बनाना और उस प्रतिमा के पास आना। यह मूर्तिपूजन के सिवा और कुछ नहीं। आप अपने मनमें मूर्ति बनाइये और उस मूर्ति के पास आओ। परन्तु यह स्वयं यीषु मसीह नहीं है। स्पर्जनने कहा, “सच्चे विष्वास को अपने निर्माण से ज्यादा मजबूत नींव होती है मनकी उड़ती कल्पनाओ से” (ibid.,पृश्ठ.40)।
एकबार फिर, यीषु मे विष्वास आपने कितना “मुरझाना” अनुभव किया उस से नहीं आता। कुछ लोग अपराधभावसे मूर्ति बनाते है। वे सोचते है कि पाप का अपराधभाव उन्हे बचायेगा। इस प्रकार, उन्होंने अपराधभाव से मूर्ति बनाई। पाप मे आदमी ज्यादातर सबकुछ करेगा स्वयं यीषु से दूर रहने के लिये। भविश्यवेताने कहा, “लोग उससे मुख फेर लेते थे; वह तुच्छ जाना गया, और हम ने उसका मूल्य न. जाना” (यषायाह 53:3)। ओह, मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ, यीषु स्वयं के पास विष्वास से आओ। आपका चहेरा उनसे मत छिपाइये! उनके पास आओ। उनमें विष्वास रखिये। उन पर भरोसा कीजिये। वे आपको बचायेंगे, वे आपको बचायेंगे, वे आपको बचायेंगे अभी!
III. तीसरा, यीषु में विष्वास का रास्ता जिस तरह उपस्थित होता है।
“विश्वास सुनने से और सुनना मसीह के वचन से होता है” (रोमियों 10:17)।
प्रचार किया हुआ सुसमाचार सुनो। सुनने के लिये अधिक प्रयत्न कीजिये। आपने जो धार्मिक प्रवचन मे सुना है उसे स्मरण रखने अधिक प्रयत्न कीजिये। अधिक प्रयत्न और परिश्रम कीजिये सुसमाचार को मानने और यीषु के पास आने के लिये। हमें हमारे पाठ के पहले पद मे कहा गया है,
“परन्तु सब ने उस सुसमाचार पर कान न लगाया...” (रोमियों 10:16)।
“सुसमाचार मानने” का अर्थ क्या है? क्यों, इसका अर्थ है यीषु मे मानना, यीषु मे विष्वास रखना, यीषु के पास आना। सुसमाचार को अभी मानीये। स्वयं यीषु के पास आइये और वे आपके पाप षुद्ध करेंगे और आपको जीवन देंगे। आमीन। महेरबानी करके अपने गीत के पर्चे के गीत क्रमांक 19 पर फिरो। खडे रहो और इसे गाओ।
मैं जैसा हूँ, बिना किसी हेतु के,
परन्तु वो कि आपका लहू मेरे लिये बहा,
और वो कि तेरी आज्ञा तेरे पास आने,
ओ प्रभु के मेम्ने, मैं आ रहा हूँ! मैं आ रहा हूँ!
मैं जैसा हूँ, और विलम्ब नहीं करता,
मेरी आत्मा को एक काले कलंक से छुडाने,
तेरे पास जिसका लहू मेरे हर दाग षुद्धकर सकता है,
ओ प्रभु के मेम्ने, मैं आ रहा हँ! मैं आ रहा हूँ!
मैं जैसा हूँ, चाहे उछालां हुआ
बहुत से विरोध बहुत से षक के साथ
अपने आपसे लडते और डरते, बिना
ओ प्रभु के मेम्ने, मैं आ रहा हूँ! मैं आ रहा हूँ!
मैं जैसा हूँ, गरीब, दुश्ट, अंधा;
दृश्टि, वैभव, मन का आरोग्यकर,
हाँ, जो मुझे आवष्यकता थी तुझ में मैंने पाया,
ओ, प्रभु के मेम्ने! मै आ रहा हूँ! मैं आ रहा हूँ!
मैं जैसा हूँ, आपका मुरझाना मिला,
मुरझाना आवकार्य, माफी, षुद्धि, पुर्नजीवित;
क्योंकि आपका वचन मैं मानता हूँ!
ओ, प्रभु के मेम्ने! मै आ रहा हूँ! मैं आ रहा हूँ!
(“मैं जैसा हूँ” चारलोट एलीयोट द्वारा, 1789-1871)।
(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन से पहले डॉ. क्रेगटन एल चान द्वारा पढा हुआ पवित्रशास्त्र :
रोमियों 10:9-17।
धार्मिक प्रवचन के पहले श्रीमान बेन्जामिन किनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीत :
‘‘मैंने प्रभु से पुछा कि मैं षायद उठुं''
(जोन न्यूटन द्वारा, 1725-1807; “मैं जैसा हूँ” की तर्ज पर)।
रूपरेखा यीशु मसीह में विश्वास डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा “परन्तु सब ने उस सुसमाचार पर कान न लगाया। यशायाह कहता है, हे प्रभु, किसने हमारे समाचार पर विश्वास किया है? अतः विश्वास सुनने से और सुनना मसीह के वचन से होता है” (रोमियों 10:16-17)। (यषाह 40:7)। I. पहला, विष्वास की व्यक्ति है यीषु, याकूब 2:19; मती 8:29;
II. दूसरा, यीषु मे विष्वास रास्तो से नहीं आना, 2 तीमुथियुस 3:7; यूहन्ना 5:40; यषायाह 53:3। III. तीसरा, यीषु में विष्वास का रास्ता जिस तरह उपस्थित होता है।,
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