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रूत का परिवर्तनTHE CONVERSION OF RUTH डो.आर.एम. हायर्मस, जुनि. द्वारा लोस एंंजलिस के बप्तीस टबरनेेकल मे प्रभु के दिन की सुबह, 6 नवम्बर, 2011 “और रूत बोली, तू मुझसे यह विनती न कर, कि मुझे त्याग या छोड़कर लौट जा; क्योंकि जिधर तू जाए उधर मैं भी जाऊँगी; जहाँ तू टिके वहाँ मैं भी टिकूँगी, तेरे लोग मेरे लोग होंगे, और तेरा परमेष्वर मेरा परमेष्वर होगा” (रूत 1:16)। |
कहानी सरल है। न्यायियों के समय के दौरान वहाँ पर यहूदा की धरती पर दुश्काल पड़ा था। एक आदमी और उसकी पत्नी, नाओमी, ने उनके दोनो पुत्रों को लिया और बैतलहम छोड़ा और मोआब के मूर्तिपूजक देष में गये। दोनो लड़कोने मूर्तिपूजक लड़कियों से विवाह किया। नाओमी का पति मर गया। फिर उसके दोनो पुत्र मर गये। नाओमी अपनी दोनो पुत्रवधु ओर्पा और रूत के साथ बची। परन्तु उन दोनो पुत्रवधु में से किसीको कोई संतान नहीं थी।
जब नीओमी ने सुना कि दुश्काल ने यहूदा को खत्म कर दिया है, उसने बैतलहम जाने का निर्णय कर लिया। नाओमीने उन दोनो युवा औरतों से अपनी माँ के घर लौट जाने को कहा, और वह यहूदा अकेले ही जायेगी। दोनो लड़कीयोंने कहा, “निष्चय हम तेरे संग तेरे लोगो के पास चलेंगी” (रूत 1:10)। परन्तु नाओमीने उनपर उनके अपने लोगों के पास लौट जाने के लिये दबाव डाला। उन दोनो ने कहा वे नाओमी से प्रेम करती थी। वे दोनो रोयी। परन्तु ओर्पाने नाओमी को चूमा, और “अपने लोगों और अपने देवता के पास लौट” (रूत 1:15) गयी। अभी भी रूत ने उसे छोड़ने से इन्कार किया, नाओमी के उसके दूसरीबार घर लौट जाने पर दबाव डालने के बाद भी।
“रूत बोली, तू मुझसे यह विनती न कर, कि मुझे त्याग या छोड़कर लौट जा; क्योंकि जिधर तू जाए उधर मैं भी जाऊँगी; जहाँ तू टिके वहाँ मैं भी टिकूँगी, तेरे लोग मेरे लोग होंगे, और तेरा परमेष्वर मेरा परमेष्वर होगा” (रूत 1:16)।
यहाँ पर हमारे पास रूत के परिवर्तन का अनुभव है। मैं पाठ को चार सरल मुददो पर बाटुँगा।
I. पहला, रूत अपनी ईष्वरभक्त सास से प्रभावित हुई थी।
रूत पर नाओमी का बडा प्रभाव था। क्योंकि रूत उसे प्रेम करती थी। रूत मूर्तिपूजक परिवार से थी। परन्तु उसके नाओमी पर के प्रेम ने उसे मदद की उसकी धार्मिक अन्यायपूर्ण धारणा को तोड़ने में।
करीबन हर व्यक्ति जो कलीसिया मे आते थे बाहर के संसार से, वे परिवर्तित थे प्रेम और मसीही के प्रभाव के द्वारा। वे सच्चाई को बहुत कम समजते थे। परन्तु वे कलीसिया में लोगों का प्रेम महसूस करते थे। पीछले रविवार एक युवा आदमी जो पहलीबार का मुलाकाती था उसने मुझसे कहा कि उसे मसीही बनने में रूचि नही है, परन्तु वह बहुत ही मैत्रीभाव से था और मुझसे कहा कितना अच्छा आदमी था जो उसे कलीसिया में ले आया, और हमारे लोग कितने मित्रतापूर्ण थे उसके साथ। चाहे वो लौट कर आये या नही, आनेवाले वर्शों मे वह याद रखेगा कि बेप्टीस्ट कलीसिया में उसका समय अच्छा रहा।
ज्यादातर वो जो रूत की तरह, बिना कलीसिया के पूर्वसूत्र ;इंबाहतवनदकद्ध से आते हैं, हमारे विष्वास में रूचिकर हो गये क्योंकि मसीही उनके साथ मित्रतापूर्ण थे, और वे कलीसिया में आना पसंद करने लगे, जैसे रूतने नाओमी से किया।
उसमें कुछ गलत नहीं है। जब मैं तेरह वर्श का था, डो. और श्रीमती हेन्री. एम. मेकगोवन मुझे ले गये, उनके बच्चों के साथ, बेपटीस्ट कलीसिया में। मैं यहाँ इस सुबह प्रवचन नहीं करता, 57 सालो के बाद, अगर वे मुझ पर दयालु और मैत्रीभाव से नहीं होते जब मैं खोया हुआ और अकेला तरूण था। मैं उनके घर हर हफ्ते कुछ रातें रहता था। श्रीमती मेकगोवनने कई बार मुझे खाना खिलाया। मैं मेरी आत्मा से ऋणी हूँ उन प्यारे लोंगो का!
यीषु ने कहा, “लोगों को विवष करके ले आ, ताकि मेरा घर भर जाए” (लूका 14:23)। लोग कलीसिया मे आने के लिये विवष किये जाते है कोमल प्रेम और कलीसिया के लोग की दयालु भावना से। मुडी ने प्रसिध्धि से कहा, “उन्हे प्रेम करो।” चलिये उन्होने जो कहा उसे मानने के लिये हम हमारे श्रेश्ठ प्रयत्न करें!
हर रविवार एक लड़का करीब 10 से 12 वर्श का षिकागो मे मुडी के कलीसिया मे कुछ कदम चलता था, हर रविवार वो कलीसिया को पसार करता था, जहाँ बडे लोग खडे रहते थे द्वार पर, वहाँ आनेवाले लोगो का अभिवादन करते हुए। उसने ध्यान दिया कि लड़का वहाँ से गुजरता था, मुडी के कलीसिया मे जाता था। एक रविवार की सुबह उस बडे व्यक्ति ने लडके से पूछा, “तुम क्यों मुडी की कलीसिया जाते हो? यहाँ क्यों नहीं आते? लडके ने कहा,” “नही, धन्यवाद! मैं श्रीमान मूडी के कलीसिया मे जाऊँगा। उन्हे पता है कि वहाँ पर लोगों से प्रेम कैसे किया जाता है।”
लोग विवष होते थे वहाँ आने उस कलीसिया मे मसीहीयों की आने उस कलीसिया मे मसीहीयों की अच्छाई के द्वारा। मुडीने प्रसिध्धि से कहा, “उन्हे प्रेम करो।” चलिये उन्होेंने जो कहा उसे मानने के लिये हम हमारे श्रेश्ठ प्रयत्न करें!
II. दूसरा, रूप परखी गयी थी।
नाओमीने कहा, “देख, तेरी जिठानी तो अपने लोगों और अपने देवता के पास लौट गई है, इसलिये तू अपनी जिठानी के पीछे लौट जा” (रूत 1:15)। डो.जे. वेरनोन मेकगीने कहा,
ओर्पाने लौटकर जाने का अपना निर्णय ले लिया था। प्रभु के लिये उसका निर्णय सच्चा नहीं था, आप देखिये। वो मूर्तिपूजा मे लौटकर गई (और) हमने फिर कभी भी उसके बारे नहीं सुना (जे. वेरनोन मेकगी, टीएच.डी.,थ्रु ध बाइबल, थोमस नेल्सन प्रकाषन, 1982, भाग प्प्, पृश्ठ. 93)।
डो. मेकगी ने कहा कि नाओमी ने रूत पर दबाव डाला लौटकर अपनी प्रतिमाओ के पास जाने के लिये “उसे परखने के लिये कि वह यर्थाथ है या नहीं” (पइपकण्)।
और आप हर कोई जो आज सुबह मे यहाँ पर हो वो भी परखे जायेगें। आप देखेंगे किसीको कलीसिया छोड़ते हुए, जैसे रूतने ओर्पा को देखा था छोडते हुए। आप सोचेंगे, “मैने सोचा वे गंभीर थे, परन्तु उन्होने कलीसिया छोड़ दिया।” क्या यह वैसा ही नही जैसे रूत को परखा गया था? ओर्पा और रूत दोनो ने नाओमी से कहा, “निश्चय हम तेरे संग तेरे लोगों के पास चलेंगी” (रूत 1:10)। फिर भी, यहूदा की तरह ओर्पाने नाओमी को चूमा, और फिर उसे छोड़ दिया और फिर से संसार में चली गयी। रूतने उसका खराब द्रश्टांत देखा, और इसने उसे निष्चितरूप से परखा।
हर व्यक्ति जो परिवर्तित हुआ है उसे ऐसा ही अनुभव होता है। हम में से हर एक ने देखा है हमारे कुछ मित्रो को कलीसिया छोड़ते हुए और दुनिया के पापो में लौट कर जाते हुए। पतरसने यहूदा को देखा छोड़ते हुए। पौलुसने उसके करीबी मित्र देमास को छोड़ते हुए देखा। पौलुसने कहा, “देमासने इस संसार को प्रिय जानकार मुझे छोड़ दिया है” (2 तीमुथियुस 4:10)। और अगर पतरस और पौलुसने उनको यह होने दिया, क्या आप नहीं सोचते कि आपको भी यह परख से गुजरना पडेगा। जैसे रूत ने किया? प्रेरितो पौलुस ने कहा, “हमें बड़े क्लेष उठाकर परमेष्वर के राज्य मे प्रवेष करना होगा” (प्रेरितो 14:22)। “क्लेष” ;जतपइनसंजपवदद्ध के लिये ग्रीक षब्द अनुवाद किया गया है “थ्लीप्सीस” (जीसपचेपे)। इस्का अर्थ है “दबाव, विपत्ति, परेषानीयाँ, तडप।” “हमे बडे (दबाव, परेषानी और तडप) से परमेष्वर के राज्य मे प्रवेष करना होगा।” हमारे बहुत सालों से मसीही होने के बाद भी हमें दबाव और तड़प से गुजरना पडता है हमारे प्यारे मित्रो और स्नेहीजनों को कलीसिया छोड़ते हुए देखने क्योंकि वे “संसार को प्रिय जानते है” (2 तीमुथियुस 4:10)।
रूत यह परख से गुजरी जब उसकी करीबी सहेली और जिठानी फिर से मूर्तिपूजा मे वापस गयी। क्या आप यह परख से गुजरेंगे और मसीह के लिये जीना जारी रखेगें जब आपका करीबी मित्र हमारा कलीसिया छोड़ता है? यह मेरी प्रार्थना है कि आप ऐसा करेेंगे। बहुत सालों तक, जब से मैं चीनी कलीसिया मे था, मैंने उस पुराने गीत से प्रेम किया जो श्रीमान ग्रीफिथ ने अभी कुछ क्षण पहले गाया।
स्वामीने हमे बुलाया था; रास्ता षायद उदास हो,
और पथ पर खतरा और षोक बिखरा हो
परन्तु प्रभु की पवित्र आत्मा
थके हुओ को राहत देनी चाहिये;
हम उद्धारक का अनुकारण करते है,
और लौटकर नहीं आ सकते।
(“स्वामी आये है” साराह डाउडनी के द्वारा, 1841-1926;
“एष ग्रोव” की तर्ज पर।)
कोई बात नही किसी भी षोक से हम गुजरें, और कोई बात नही कोई भी कलीसिया छोड़ते हो, प्रभु का चुना हुआ कहेगा, “हम उद्धारक का अनुकरण करते हैं, और लौटकर नही आ सकते”। आप कैसे लौट सकते हो अगर आपको असरकारक प्रकार से बुलाया हो? यह सच्चे परिवर्तित के लिये लौटकर जाना नामुमकिन है! आमीन, और आमीन!
III. तीसरा, रूत ने प्रभु पर विष्वास किया।
“और रूत बोली, तू मुझसे यह विनती न कर, कि मुझे त्याग या छोड़कर लौट जा; क्योंकि जिधर तू जाए उधर मैं भी जाऊँगी; जहाँ तू टिके वहाँ मैं भी टिकूँगी, तेरे लोग मेरे लोग होंगे, और तेरा परमेष्वर मेरा परमेष्वर होगा” (रूत 1:16)।
यह षीघ्रतापूर्ण “निर्णय” नही था। उसने इसके बारे मे जतनपूर्वक वर्शो तक सोचा। रूत हकीकत मंे चाहती थी नाओमी के प्रभु उसके प्रभु बने। उसने प्रभु के बारे में सुना था, परन्तु, अब उसने हकीकत मे स्वयं प्रभु पर विष्वास किया था।
कुछ मुद्दो पर आप जीवित प्रभु के सन्मुख आ जाते हो। यह सदा ही मज़ाक और खेल नहीं हो सकता, सिर्फ कलीसिया मे आना, क्योंकि आपको लोगों के साथ रहना पसंद है। कुछ मुददो पर स्वयं प्रभु भी हमारे लिये महत्वपूर्ण बन जाते है आपको जीवन की पूरी दिषा बदलने - कोई बात नहीं की कोई और क्या कहता या करता हैं?
रूत का जीवन सदा के लिये बदल गया स्वयं प्रभु का सामना करने के द्वारा। डो.जे. वेरनोन मेकगी ने कहा, “आप नयी नियमावली के पहले पाठ (मती 1ः5) में (रूत) को पाओगे। वो वंषावली मे है जो मसीह तक ले जाती है” (पइपकण्)। मै मानता हूँ कि रूत सच्ची तरह से परिवर्तित हो गयी थी इस समय पर; जब उसने कहा,
“तू मुझसे यह विनती न कर, कि मुझे त्याग या छोड़कर लौट जा; क्योंकि जिधर तू जाए उधर मैं भी जाऊँगी; जहाँ तू टिके वहाँ मैं भी टिकूँगी, तेरे लोग मेरे लोग होंगे, और तेरा परमेष्वर मेरा परमेष्वर होगा” (रूत 1ः16)।
सच्चा परिवर्तन आपके जीने का तरीका बदल देता है, और यह आपके जीवन की पूरी दिषा ही बदल देता है। परन्तु, याद रखिये, आपको उनके पुत्र, प्रभु यीषु मसीह द्वारा प्रभु के पास आना ही चाहिये। मसीह ने कहा “बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता” (यूहन्ना 14:6)। क्यों? क्योंकि प्रेरितो पौलुसने कहा,
“परमेष्वर एक ही है, और परमेष्वर और मनुश्यों के बीच मे भी एक ही बिचवई है, अर्थात् मसीह यीषु जो मनुश्य है”
(1 तीमुथियुस 2:5)।
यीषु क्रूस पर मरे आपके पापो का दण्ड चुकाने और उनका लहू बहाया आपको पापो से षुध्ध करने। आपको यीषु के पास आना ही चाहिये प्रभु के साथ षान्ति पाने। परन्तु वहाँ पर एक आखरी मुददा है जो हमारे पाठ से बाहर आता है।
IV. चौथा, रूत परमेष्वर के लोगो के साथ हो गयी।
उसने नाओमी से कहा, “तेरे लोग मेरे लोग होंगे” (रूत 1:16)। उसने हिंमत से अपने आपको माओबी से काटा और यहूदी बन गयी। यहीं था जो उसे करना था उस व्यवस्था में से बचाये जाने के लिये। रूत सच्ची तरह से परिवर्तित हुई थी। प्रेरितो पौलुसने कहा,
“उनके बीच में से निकलो और अलग रहो, और अषुद्ध वस्तु को मत छूओ, तो मैं तुम्हें ग्रहण करूँगा; और मैं तुम्हारा पिता हूँगा और तुम मेरे बेटे और बेटियाँ होगे। यह सर्वषक्तिमान प्रभु परमेष्वर का वचन है” (2 कुरिन्थियों 6:17-18)।
इस पाप भरे संसार के बाहर आओ। कलीसिया में आओ। बहुत लोग आधे कलीसिया में और आधे संसार मे लटके रहते है - और वे आष्चर्य करते है कि वे परिवर्तन का अनुभव क्यों नही करते! हर षनिवार रात, रविवार सुबह और रविवार रात को आओ। सारे रास्ते से अंदर आओ - मसीह के पास, और स्थानीय कलीसिया मे। कहो, रूत के साथ, “तेरे लोग मेरे लोग होंगे। ” आमीन! और आमीन! खडे रहीये और गीत क्रमांक 7, “स्वामी आये है।” इसे गाइये!
स्वामी ने हमे बुलाया था; रास्ता षायद उदास हो,
और पथ पर खतरा और षोक बिखरा हो
परन्तु प्रभु की पवित्र आत्मा
थके हुओ को राहत देनी चाहिये;
हम उद्धारक का अनुकारण करते है,
और लौटकर नहीं आ सकते।
स्वामीने हमें बुलाया था;
चाहे संषय और प्रलोभन हो हमारा सफर चाहे विस्तृत हो, हम आनन्द से गाते हैः “आगे की ओर दबाओ,
ऊपर की ओर देखो,”
बहुत क्लेष के द्वाराः सि्ययोन के बच्चो को उनके
राजा का अनुकरण करना ही चाहिये।
स्वामी ने बुलाया था, जीवन के षीघ्र सुबह मे,
आत्मा के साथ ऐसे ताज़ा
जैसे धरती की तृण पर औसं की बूंदेः
हम संसार मे फिरते है,
उसकी मुस्कान और उनके तिरस्कार के साथ;
हमारे भाग्य की गणना प्रभु के लोगो मे करने;
स्वीमीने हमे बुलाया है, उसका पुत्र और उसकी पुत्रीयाँ,
हम उनके आषीर्वाद के लिये प्रार्थना करते है
और उनके प्रेम मे विष्वास और हरित तृणमय भूमि;
रूके हुए पानी के बाजु में;
वे हमें ले जायेंगे आखिरकार उनके साम्राज्य मे ऊपर।
(“स्वामी आये है” साराह डाउडनी के द्वारा, 1841-1926;
“एष ग्रोव” की तर्ज पर।)
(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन से पहले डो. क्रेगटन् एल. चान द्वारा पढा हुआ पवित्रशास्त्र : रूत 1:8-16।
धार्मिक प्रवचन के पहले श्रीमान बेन्जामिन किनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीत :
‘‘स्वामी आये है'' (साराह डाऊडनी द्वारा, 1841 - 1926)।
रूपरेखा रूत का परिवर्तन डो.आर.एम. हायर्मस, जुनि. द्वारा “और रूत बोली, तू मुझसे यह विनती न कर, कि मुझे त्याग या छोड़कर लौट जा; क्योंकि जिधर तू जाए उधर मैं भी जाऊँगी; जहाँ तू टिके वहाँ मैं भी टिकूँगी, तेरे लोग मेरे लोग होंगे, और तेरा परमेष्वर मेरा परमेष्वर होगा” (रूत 1:16)। (रूत 1:10; 15) I. पहला, रूत अपनी ईष्वरभक्त सास से प्रभावित हुई थी, लूका 14:23। II. दूसरा, रूप परखी गयी थी, रूत 1:15,10; 2 तीमुथियुस 4:10;
III. तीसरा, रूत ने प्रभु पर विष्वास किया, यूहन्ना 14:6; 1तीमुथियुस 2:5। IV. चौथा, रूत परमेष्वर के लोगो के साथ हो गयी, 2 कुरिन्थियों 6:17-18। |