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पहले के कलिसिया मे धर्मप्रचार आज के लिये आदर्श ! EVANGELISM IN THE EARLY CHURCHES – डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि.द्वारा लोस एंजलिस के बप्तीस टबरनेकल में प्रभु के दिन की शाम,
10 जुलै, 2011 को दिया हुआ धार्मिक प्रवचन “उसने बारहों को अपने पास बुलाया और उन्हें दो-दो करके भेजने लगा” |
यह बारह लोग यीशु के साथ सिर्फ कुछ हफतों से ही थे। परन्तु उसने उनको दो-दो करके प्रचार करने भेजा (मरकुस 6 : 12)। उस समय भी यीशुने उन्हे बुलाया, उसने यह किया “वह उन्हे भेजे कि वे प्रचार करें” (मरकुस 3 : 14)। आप जरूर जानते हो कि ये बारह लोग अभी तक बहुत आध्यात्मिक नहीं थे। जरूर आप जानते हो कि यहूदा परिवर्तित नही था, कि थोमा अब तक सुसमाचार में विष्वास नहीं करता था, कि पतरस ने बाद में प्रयत्न किया यीषु ने क्रूस पर जाते रोकने के लिये। फिर भी यीषु ने उनको एकदम से बाहर भेजा धर्मप्रचार के लिये! पहली चीज जो यीषु ने पतरस और आन्द्रयास से कही वो थी, “मेरे पीछे चले आओ तो मैं तुम को मनुश्यों के पकडनेवाले बनाऊँगा। वे तुरन्त जालो को छोडकर उसके पीछे हो लिये” (मती 4 : 19-20)।
फिर से, करीबन एक साल बाद, मसीहने उसके अनुकरण करनेवालो मे से सत्तर लोगो को बुलाया,“और जिस-जिस नगर और जगह को वह आप जाने पर था, वहाँ उन्हें दो-दो करके अपने आगे भेजा” (लूका 10 : 1)। महेरबानी करके लूका 10 पर फिरो। खडे रहिये जैसे ही मैं पद 1 से 3 पढ़ता हुँ।
“इन बातो के बाद प्रभु ने सत्तर और मनुश्य नियुक्त किए, और जिस-जिस नगर और जगह को वह जाने पर था, वहाँ उन्हे दो-दो करके अपने आगे भेजा। उसने उनसे कहा, पके खेत बहुत है, परन्तु मजदूर थोडे़ हैं; इसलिये खेत के स्वामी से विनती करो कि वह अपने खेत काटने को मजदूर भेज दो। जाओ, देखो, मैं तुम्हें भेडो के समान भेडियों के बीच भेजता हुँ” (लूका 10 : 1-3)।
आप बैठ सकते हो।
यह मसीह का तरीका था दो-दो करके लोगो को प्रचार के लिये बाहर भेजने का। मैं सोचता हुँ कि यही है जो हमे आज करने की जरूरत है। और यह भी ध्यान दिजीये कि ये नवसिखुआ है, उत्तमता पर मसीही बच्चे, परन्तु उसने उन्हे उसी समय बाहर भेज दिया। उसने सालों नही बिताये उन्हे बाइबल पढ़ाने मे उनको भेजने से पहले। नही! उसने उनको कहा,
“जाओःदेखो, मैं तुम्हे भेडों के समान भेडियों के बीच मे भेजता हुँ” (लूका 10 : 3)।
ध्यान दिजीये के मसीहने इन बिनअनुभवी युवा अनुकरण करने वालो से कहा कि क्या प्रार्थना करनी है। और उसने उनको पद 2 मे कहा कि क्या प्रार्थना करनी है,
“खेत के स्वामी से विनती करो कि वह अपने खेत काटने को मजदूर भेज दे” (लूका 10 : 2)।
उन्होने इस सत्तर बिनअनुभवी युवा अनुकरण करने वालो से प्रार्थना करने को कहा की प्रभु ज्यादा से ज्यादा लोगो को आगे भेजे खेत काटने को! डो. जोन आर. राइस ने उनके एक गीत मे अच्छा कहा है,
हमे खेत के स्वामी को विनती करनी चाहिये,
“खेत काटने वालो को तेरे खेत मे भेज।”
थोडे काटनेवाले है; सफेद और तू
खेत है, कितना समृद्ध है अधीन होना।
यहाँ मैं हूँ! यहाँ मैं हुँ! मुझे आगे भेजो,
ओ खेत के स्वामी,
आपकी पवित्र आत्मा मुझ पर साँस ले।
यहाँ मैं हू! यहाँ मैं हूँ! मुझे आगे भेजो
आज कुछ बहुमूल्य आत्मा को जितने।
(“यहाँ मै हुँ!” डो. जोन आर. राइस द्वारा, 1895-1980)।
उसकी पृथ्वी की सेवा के अंतमे, मसीह ने उनसे यही चीज कही,
“र्स्वग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिये तुम जाओ, सब जातियों के लोगो को चेला बनाओ; और उन्हें पिता, और पुत्र, और पवित्र, आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो, और उन्हे सब बाते जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओः और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदा तुम्हारे संग हुँ। आमीन” (मती 28 : 18-20)।
मरकुस के अंत मे मसीह ने कहा,
“तुम सारे जगत में जाकर सारी सृश्टि के लोगों को सुसमाचार प्रचार करो” (मरकुस 16 : 15)।
लूका के अंत मे मसीह ने कहा,
“...कि यरूषलेम से लेकर सब जातियों मे मन फिराव का और पापों की क्षमा का प्रचार, उसी के नाम से किया जाएगा” (लूका 24 : 47)।
यूहन्ना के सुसमाचार के अंत की ओर मसीह ने कहा,
“जैसे पिता ने मुझे भेजा है, वैसे ही मैं भी तुम्हें भेजता हूँ” (यूहन्ना 20 : 21)।
और स्वर्ग मे फिर से जाने से पहले मसीह के वचन थे,
“जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ्य पाओगे; और यरूषलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे” (प्रेरिता 1 : 8)।
एक बार वहाँ पर एक व्यक्ति था जिसने उसके कलीसिया को अलग किया यह कहते हुए कि ये आज्ञाएँ सिर्फ प्रेरितो के लिये ही है, और कोई भी मसीही को आज यें मानने कि आवष्यकता नही है। उसने अधिक-काल्वीनीझम का बहाना चालु रखा लोगो को उसके अनुकरण मे लाने और उनका कलीसिया छुडाने। परन्तु इसमे से कुछ भी नही आया, क्योंकि वहाँ पर कभी भी आषीर्वाद नही हो सकता था जहाँ यीषु के वचन फिराये और नहीं माने जाते हो।
स्पर्जन पांच-मुद्दे पर काल्वीनीस्ट थे, परन्तु वा अधिक ;भ्लचमतद्ध काल्वीनीस्ट नही थे। जैसे हम देख सकते है, वहाँ पर दोनो मे फर्क है। स्पर्जनने कहा,
ओह! मैं ऐसा करूंगा कि क्लीसिया सुनेगे उद्धारक यह वचन उसे दे; क्योंकि मसीह के वचन जीवित वचन है, जिसमे सिर्फ कल ही शक्ति नही थी, परन्तु आज भी है। उद्धारक की आज्ञाएँ (आदेश) सनातन उपकार है; ये सिर्फ प्रेरितो पर ही लागु नही होते, परन्तु हम पर भी, और हर मसीही पर यह जुआँ गिरता है,“इसलिये तुम जाओ, सब जातियों के लोगो को चेला बनाओ, और उन्हे पिता, और पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो”। हम आज बाहर नही है मेम्ने के पहले अनुकरण करनेवालो की सेवा से; हमारे चलने का क्रम वो ही है उनकी तरह, और हमारे मुख्य सेनापति हमसे आज्ञा मानना चाहते है ऐसे ही फुर्तीला और निपुण जैसे उनके पास से है (सी.एच. स्पर्जन, ध मेट्रोपोलीटन टबरनेकल पुलपीट, पीलग्रीम प्रकाशन, 1986 मे फिर से छपां हुआ, भाग टप्प्, पृष्ठ.281)।
डो. राइस के साथ हम मे से हर एक शायद ये कहे,
यहाँ मैं हूँ! यहाँ मैं हूँ! मुझे आगे भेजो,
ओ खेत के स्वामी
आपकी पवित्र आत्मा मुझ पर साँस ले।
यहाँ मैं हूँ! यहाँ मैं हूँ! मुझे आगे भेजो,
आज कुछ बहुमूल्य आत्मा को जितने।
श्रेश्ठ भोज के द्रष्टांत मे यीशु ने कहा, “सड़को पर और बाडो़ की ओर जा और लोगो को विवश करके ले आ, ताकि मेरा घर भर जाए”(लूका 14 : 23)। विवाह के भोज के द्रश्टांत मे यीषु ने कहा,“चौराहों पर जाओ और जितने लोग तुम्हे मिले, सबको विवाह के भोज मे बुला लाओ” (मती 22 : 9)।
स्थानीय कलीसिया जो यीषुने यरूषलेम में स्थापित किया था उसने उनकी आज्ञा षब्दषः सुसमाचार प्रचार किया है। पिन्तेकुस्त के बाद कुछ हफतो मे ही महायाजक ने षिकायत की “तुम ने सारे यरूषलेम को अपने उपदेष से भर दिया है” (प्रेरितो 5 : 28)। फिर प्रेरितो 5:42 मे हमें कहा है, “प्रतिदिन मन्दिर में और घर-घर मे उपदेष करने, और इस बात का सुसमाचार सुनाने से कि यीषु ही मसीह है न रूके”। प्रेरितो 6:1 मे हम पढ़ते है, “चेलो की संख्या बहुत बढ़ने लगी।” बाद में, प्रेरीतो 12:24 में, हम पढ़ते है कि “परमेष्वर का वचन बढ़ता और फैलता गया।” डो. जोन आर. राईस ने कहा,
सामरिया में, जहाँ सेवक फिलिप्पुस प्रचार करने गये, हमें प्रेरितो 8:6 मे कहा गया, “जो बाते फिलिप्पुस ने कही उन्हे लोगो ने सुनकर...” फिर से पद 12 में “परन्तु जब उन्होंने फिलिप्पुस का विष्वास किया जो परमेष्वर के राज्य और यीषु के नाम का सुसमाचार सुनाता था तो लोग, क्या पुरूश, क्या स्त्री, बपतिस्मा लेने लगे।” ऐसा अद्भुत ज्वार प्रभु की षक्ति का और लोगो को बचाया जाना नये नियमावली के कलीसिया के लिये सामान्य था।
हकीकत मे, प्रेरितो 9:31 कहता है,“कलीसिया कैसे चैन मिला... और उसकी उन्नति होती गई : और वह प्रभु के भय और पवित्र आत्मा की षांति मे चलती और बढ़ती गई”।
कलीसिया “बढते” गये थे, इसलिये परिवर्तित भी “बढते” गये और कलीसिया की उन्नति हुई। ये यथाक्रम ;त्महनसंतद्ध योग्य आदर्ष था इस नये नियमावली कलीसिया का जहाँ मसीह बाहर आते है हर एक को जीतने जिसे वे जीत सकते हो और रोज गवाही देते है (जोन. आर. राइस. डी.डी. व्हाय अवर चर्चेस डु नोट वीन सोल र्स्वोड ओफ ध लोर्ड प्रकाषन, 1966, पृश्ठ.25)।
डो. राईस आगे कहते गये, “विरोध” बाधा, साथ में मूर्तिपूजक, विचारहीन लोग, के बावजूद भी उन्होने समुदाय को जीता... नये नियमावली के कलिसिया का अद्भूत बढावा हमारी तूलना के बाहर है। वोरनोक, अपनी हीस्ट्री ओफ प्रोटेस्टन्ट मीषन में, कहते है कि पहली सदी के (सडसठ) ;ैपगजल ैमअमदद्ध अंत मे पिन्तकुस्त के सालो बाद, वहाँ पर करीबन 2,00,000 मसीही थे। वो कहता है कि तीसरी सदी के अंत तक वहाँ पर करीब (8,000,000) मसीही होंगे प्रबल बाधा और हजारो लोगो की षहीदी के बावजूद भी। वे अभी रोमी साम्राज्य के 1/15 वाँ हिस्सा है! (अर्थात्, हर 15 लोग में से एक मसीही था) ...रोमी साम्राज्य मे लहूभरी बाधा के बावजूद भी। स्तिफनूस और याकूब की यरूषलेम मे षहीदी के बावजूद, और बहुत से ओर, पीडा दीये गये ‘पुरूश और स्त्री दोनो को बाँध-बाँध कर और बन्दीगृह से डाल-डालकर, इस पंथ को यहाँतक सताया कि उन्हें मरवा भी डाला’ (प्रेरीतो 22 : 4), और पौलुस का कारावास और हत्या का प्रयत्न, हजारो यहूदियो के बीच से जीते गये। नीरो ;छमतवद्ध के अधीन खूनी बाधा के बावजूद, जिसने पौलुस और दूसरो को मारडाला था; हाद्रीयन और खास करके एन्टोनीनुस पीयुस, मारकस ओरीलीयस और सेप्टीमस सेवेरस, के अधीन उपद्रव के बावजुद अभी भी सुसमाचार प्रचार की ज्वाला जल रही है। वोर्कमन कहते है,
दो सौ सालो के लिये, मसीही बनने का अर्थ था बडा त्याग, तुच्छ और उपद्रवी संस्था मे जुडना, मषहुर अविचारपूर्ण ज्वार के विरूद्ध तैरना, साम्राज्य के प्रतिरोध मे आना, और किसीभी समय कारावास और भयंकर तरीके से मोत की संभावना। दो सौ सालो तक जो मसीह का अनुकरण कर रहे थे उन्हे बहुत कीमत गिनती करनी पडी होगी, और चुकाने के लिये तैयार रहना पडा होगा ...उसकी आजादी और जींदगी के साथ। दो सौ सालो तक मसीही का कार्य स्वयं ही जुर्म था” (राईस, पइपकण्एपृपृश्ठ.27-28)।
डो. राईस ने कहा, “सबसे विपरीत हालात, प्रबल धृणा, बाधा, और ‘बंद द्वारा’ के बीच में भी नये नियमावली मसीहीयो ने आत्मा को जीतने का अद्भूत काम किया। हमारे कलीसियो के आत्मा जीतने के काम को नये नियमावली की सिखाई और अभ्यास के साथ कैसे तूलना करें ?” (राईस पइपकण्)। ‘‘नये नियमावली के कलीसिया और नये नियमावली के मसीहीयों की तूलना से हमारे वर्तमान कलीसिया और मसीही लोग सामान्यतः नाशकारी और शर्मनाक ढंग से नाकामियाब हो रहे है’’ (राईस पइपकण्ए पृष्ठ.29)।
फिर से डो. राईस ने कहा, ‘‘सिर्फ सारे बाहरी प्रयत्न ही नयी नियमावली के आत्मा जीतने के बराबर हो सकता है... वहाँ पर हमारे बेचारे विषयी स्वभाव की प्रकृति के उद्ेश्य सारी आज्ञाकारी, गर्म खून की तरह उत्साह और जोश गुनगुना, आधे मन से प्रभु का व्यापार करने। जैसे पुराना श्रेश्ठ गीत कहता है,
भटकने के लिये उन्मुख,
परमेश्वर, मैं इसे महसूस करता हुँ,
प्रभु जिसे मैं चाहता हूँ उन्हे छोडने उन्मुख।
इसप्रकार वहाँ पर जरूरत है बार-बार कलीसिया में जोश की पुनाः प्राप्ति की, आत्मा जीतने के दया की पुनः प्राप्ति की, प्रभु के शक्ति की हमारे पर पुनः प्राप्ति की। वहाँ पर कोई रास्ता नही कलीसिया के लिये आत्मा जीतने का नयी नियमावली तरीको के सिवा सारे बाहरी प्रयत्न के द्वारा’’ (राईस पइपकण् पृष्ठ.149-150)।
मैं जानता हूँ की वहाँ पर वे है जो कहेंगे कि डो. राईस के विशिष्ट उच्चारण हर व्यक्ति का धर्मप्रचार ‘‘काम’’ नही आयेगा। इसलिये कुछ लोग अधिक - काल्वीनीझम की ओर फिरे - पांच मुददा काल्वीनीझम नहीं-परन्तु अधिक काल्वीनीझम; इसके पीछे विचार दो है कि आपको खोये हुओ के पीछे जाने की आवश्यकता नही है; परमेश्वर उन्हे अंदर ले आयेंगे उनके विशिष्ट अनुग्रह द्वारा मसीही के धर्मप्रचार के काम किये बिना। ज्यार्ज वाइटफिल्ड, वीलीयम केरी, स्पर्जन और दूसरे बडे आत्मा जीतनेवाले पांच मुददा काल्वीनीस्ट थे, परन्तु वे अधिक-काल्वीनीस्ट भ्लचमत.ब्ंसअपदपेज नही थे। वे मानते थे कि हम सब को ‘‘सुसमाचार प्रचार का काम करना’’ (2 तिमुथियुस 4:5) चाहिये। मैं आशा करता हूँ की हर एक सुधारक याजक पढ़ेंगे, स्पर्जन विरूध्ध अधिक काल्वीनीझम, माननीय इयान एच.मुरेय द्वारा (बेनर ओफ ट्रूथ ट्रस्ट, 1995) इसे मंगाने के लिये यहाँ क्लिक करें। यह अद्भूत किताब है जो आपको प्रेरित करेगी, आपके मन को गर्म करेगी, और आपको खोये हूओ को धर्मप्रचार करने को नया जोष देंगे!
डो. राईस गलत नही थे मसीही लोगो को उनके मन और आत्मा को धर्मप्रचार के काम मे लगाने उतेजित करने। कमजोरी आई क्योंकि ज्यादातर कलीसिया जिसने उनका अनुकरण किया उन्होने पुरा समय नही दिया खोये हुओ के साथ जो अंदर लाये गये थे। आमतोंर पर उनके पास लोग थे ‘‘जल्दी से प्रार्थना’’ कहनेवाले बिना समय लिये की उन्होने पष्चाताप और यीषु मसीह मे सच्चे परिवर्तन का अनुभव किया या नही वो जानने, उनको बपतिस्मा देने से पहले। डो. केगन और मैंने ‘‘निर्णायक्ता’’ की परेषानी पर किताब लिखी है जो आप मुफ्त मे पढ़ सकते हो इस वेबसाइट पर यहाँ क्लिक करके टुडेस अपोस्टेसी : हाऊ डीसीझनीझम इझ डीस्ट्रोइंग अवर चर्चेस।
बच्चे को नहाने के पानी के साथ बाहर मत फेंको! मैं पुरी तरह से सहमत हूँ प्रष्न के साथ जो मैने दिया है डो. जोन आर. राईस से। हमे जरूरत है फिर से परखने की धर्मप्रचारक जोष पहले के कलीसिया के, और उनके द्रश्टांत का अनुकरण करने की! चलिये अपने आपको खोये हुओ को धर्मप्रचार देने के लिये फैलाते है! और चलिये बहुत सावधान हो जाये जितना हो सके उतना संभव करने, की वे सच्ची तरह परिवर्तित हो, हम उन्हे बपतिस्मा दे उससे पहले! इन सबसे बढकर, चलिये याद करते है मसीह के आदेष को,
‘‘सडको पर और बाडो की ओर जा और लोगो को विवष करके ले आ, ताकि मेरा घर भर जाए’’ (लूका 14:23)।
च्लिये खडे रहते है और डो. ओस्वर्ल्ड जे. स्मीथ के इस गीत को गाते है - ‘‘धर्मप्रचार कर! धर्मप्रचार कर!’’
हमें घंटे के लिये सांकेतिक षब्द दो,
रोमांचकारी वचन, षक्ति का वचन,
युध्ध पुकारता है, जलती हुई साँसे जो बुलाती है
बलपूर्वक अधीन होने या मरने।
वचन कलीसिया को चैन से उठाने,
मास्तर की मजबूत विनती पर मन लगाने
बुलावा दिया गया है, आप यजमान, उठो,
हमारा सांकेतिक षब्द है, धर्मप्रचार कर!
अब धर्मषिक्षा की आनंदित घोशणा,
पुरी पृथ्वी के द्वारा, यीषु के नाम मे;
यह षब्द बजते है बर्फ पर चलनेवाली पट्टी के द्वारा;
धर्मप्रचार कर! धर्मप्रचार कर!
मरते हुए आदमीयों को, गिरती हुई जाति को,
सुसमाचार के अनुग्रह की भेंट को जानिये;
संसार अभी अन्धकार मे है,
धर्मप्रचार कर! धर्मप्रचार कर!
(‘‘धर्मप्रचार कर! धर्मप्रचार कर!’’ डो. ओसवर्ल्ड जे. स्मीथ द्वारा, 1889-1986;
‘‘एन्ड केन इट बी?’’ कर तर्ज पर चार्ल्स वेस्ली द्वारा, 1707-1788)।
(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन से पहले डो. क्रेगटन एल. चान द्वारा पढा हुआ पवित्र षास्त्र :
लूका 9:1-6।
धार्मिक प्रवचन से पहले श्रीमान बेजामिन किनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीत :
‘‘यहाँ मै हूँ” (डो. जोन आर. राईस द्वारा, 1895-1980)।